मार्केटिग मैनेजर से अफेयर

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बॉस का मार्केटिग मैनेजर से अफेयर और उसके बाद का घटनाक्रम.
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मैं एक कम्पनी में बड़े पद पर था, कम्पनी में मेरे नीचे कई डिपार्टमेन्ट आते थे उन सब के अपने-अपने हैड थे जो मेरे को रिपोर्ट करते थे। मार्केटिग ऐसा ही विभाग था जो सीधा मेरे नियत्रण में था। एक असिस्टेन्ट मैनेजर थी, युवा लड़की थी, चुलबूली और अपने काम के प्रति गम्भीर। ऐसे काम करने वालों से कम्पनी काफी खुश रहती है। कम्पनी के प्रोडक्टस की मार्केटिग के लिए विभिन्न फेयरों में भाग लेना पड़ता था। कभी-कभी मुझे भी इन मेलों में भाग लेने के लिए जाना पड़ता था। सीनियर के जाने से स्टाफ को सपोर्ट मिलता है और पार्टीज से बात करने में हेल्प मिलती थी।

कम्पनी एक नये प्रॉडक्ट को लांच करने के लिए काफी दिनों से तैयारी कर रही थी। उत्तर भारत के एक बड़े शहर में वार्षिक मेले का आयोजन था, विदेशों से भी काफी लोग आते थे इस लिए इस मेले में मैं भी जा रहा था। एक हफ्ते से मेले के लिए तैयारी चल रही थी। बहुत बड़ा इवेन्ट था। स्टाल भी काफी बड़ा लिया हुआ था। सब पर बड़ा दबाव था कि कुछ बड़ा करे। नियत समय पर हम लोग मेले के लिए निकले। शहर में पहुच कर पहले होटल में चैक-इन किया, शाम को समारोह स्थल पर पहुच कर अपने स्टाल की सजावट को देखा और उस में सुधार करवाया। आस-पास वालों से मुलाकात की। दूसरे दिन मेले का उद्धाटन था, उस के लिए सुबह जल्दी आना था इस लिए होटल के लिए निकल गये। होटल में दो रुम ले रखे थे। एक में मैं और दूसरे में मेरी मैनेजर नेहा थी।

रात को सोने से पहले हम दोनों ने कल के लिए स्टेट्जी बनाई और खाना खा कर सोने चले गये, अपने कमरे में जाने से पहले नेहा ने कहा कि सर मुझे जल्दी उठा देना मैंने कहा कि अगर तुम जल्दी उठ जाओ तो मुझे उठा देना। मैं सुबह जल्दी उठने का आदी हूँ इस के बारे में सब को पता है।

मैं सोने से पहले कल के लिए जरुरी चीजों की सूची को जाँच रहा था ताकि कोई चीज छुट ना जाए, सब को एक जगह पर रख कर मैं सो गया। सुबह पांच बजे उठा तो सोचा कि इतनी जल्दी नेहा को उठाने की क्या जरुरत है थोड़ी देर में उठा दूँगा लेकिन मुझ से रहा नही गया और छह बजे मैंने नेहा को फोन करके उठा दिया। वो बोली की सर जल्दी नही है, मैंने कहा कि मैं तो पांच बजे का उठा हूँ। तो उस ने कहा कि आप ने मुझे पहले क्यों नही उठाया, मैंने कहा कि अब उठा तो दिया है तैयार हो जाओ। फिर नाश्ता करके निकलते है। नाश्ता उस ने अपने रुम में ही मंगा लिया था, मैं नाश्ते के लिए उस के रुम में चला गया जो मेरे रुम की बगल में ही था।

उस के बेड पर कपड़ें फैले हुए थे। मैंने पुछा कि इतनें कपड़ें कैसे फैले है? तो उस ने कहा कि मैं सोच रही थी कि क्या पहँनु मैंने कहा कि ज्यादा चॉयस नही है बिजनेस सुट पहनो मैं भी ब्लु बिजनेस सुट पहन रहा हूं। उस ने कहा कि शर्ट किस कलर की पहने? मैंने कहा कि सफेद ही चलती है आगे वह देख ले उस ने कहा कि मैं तो सर आप को परेशान कर रही थी ये सब तो शाम के लिए कर रही थी। मैंने हँस कर कहा कि शाम की शाम को देखेगे।

कसा हुआ बिजनेस सुट नेहा पर फव रहा था। सामान्य तौर पर मैं उस की तरफ ज्यादा ध्यान से देखता नही हूँ लेकिन आज देख कर लगा कि मेरे साथ तो बहुत हॉट कुलीग है। ऊपर के भरे हुए शरीर पर कसी हुई शर्ट और उस पर कसा हुआ सुट गजब ढा रहा था। ग्राहक का ध्यान कहीं और जा ही नही सकता था। हम दोनों मेले की जगह पर पहुँच गये। आज राज्य के मुख्यमंत्री मेले का उद्धाटन करने आ रहे थे उस के बाद ही असल में काम-काज शुरु होना था। हम दोनों अपने स्टाल पर चौकस थे। मुख्यमंत्री जी जब हमारे स्टाल के सामने से निकले तो मैंने उन को नमस्कार किया तो उन्होंने भी रुक कर मुझे नमस्कार किया और आगे बढ़ गये।

उन के जाने के बाद नेहा ने कहा की बॉस आप को तो चीफ मिनिस्टर भी नमस्ते कर के जाते है। क्या बात है मैंने कहा कि यहाँ सैकड़ों लोग है लेकिन उन की नजर मुझ पर ही पड़ी बस इतनी सी बात है। इस में ज्यादा खुश होने की बात नही है। खुशी तो जब होगी, जब कोई ग्राहक मिले हमें अपने नये प्रॉडक्ट के लिए। सारे दिन हम कस्टमरों से बातें करते रहें। शाम को बाहर रेस्टोरेन्ट में खाना खा कर होटल में आ कर सो गये। दूसरा दिन भी बहुत व्यस्त रहा। आज दोपहर का खाना मेले में ही था। इस में लोगों से मिलना भी हो जाता था। नेटवर्क बनाने के लिए ऐसे मौके सही होते है। हम दोनों भी यही करते रहें। शाम के बाहर खाना खा कर सुबह मिले विजिटिग कार्ड का हिसाब कर के सोने चले गये।

अगला दिन शनिवार था, आज मेले का आखिरी दिन था इस लिए भीड़ ज्यादा थी, सारा दिन लगे रहे, खाना भी स्टाल पर ही खा लिया। शाम को मेले की तरफ से होटल में पार्टी थी, ये भी नेटवर्किग मिटिग थी। बढ़िया लोकेशन थी, बढ़िया इन्तजाम था, हम दोनों कोशिश कर रहे थे कि अधिक से अधिक लोगों से मिल पाये और उन के कार्ड ले पाये और अपने कार्ड उन को दे पाये। इसी पार्टी में एक बड़ी कम्पनी की सीईओ जो महिला थी से मेरा परिचय हुआ। मैं कोने में खड़ा था कि वह अचानक आई और अपना परिचय दे कर मुझ से बात करने लगी मैंने भी उन को अपना कार्ड दिया। बातें मौसम के बारे में शुरु हुई, शहर के बारे मेरी जानकारी से उन को आश्चर्य हुआ, बोली की आप जैसी पोस्ट पर बैठे लोगों को इतनी जानकारी कम ही होती है। मैंने कहा कि पढ़ाई के समय तो इतिहास में रुचि नही थी लेकिन बाद में अपने इतिहास में रुचि हुई। उन की भारतीय संस्कृति में रुचि से मैं आश्चर्य में था, उन का कहना था कि पहले अपनी जड़ें मजबूत होगी तभी तो ऊँची इमारत बनेगी। हम दोनों के विचार एक जैसे थे इस लिए हम दोनों एक कोने में खड़ें बात करने लगे।

उन्होनें ड्रिक लिया तो मुझे भी लेना पड़ा और पीना भी पड़ा। नेहा एक बार मेरे पास आई और दूर से देख कर चली गई मैं भी उसे परेशान नही करना चाहता था। आज उसे मैंने आजाद कर रखा था ताकि वह अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर सकें। पार्टी देर रात तक चली और मैं उन महिला के साथ ही रहा, फिर पार्टी खत्म होने के बाद उन को विदा करके नेहा को ढूढ़ कर उस को साथ ले कर होटल के लिए निकला, नेहा ने ज्यादा शराब पी ली थी इस कारण उसे पकड़ कर लाना पड़ा, होटल पहुँच कर उसे उस के कमरे में छोड़ कर मैं अपने कमरे में आ कर आज के मिले पेपर सम्भाल कर रखने लगा। कपड़ें बदल ही रहा था कि नेहा ने दरवाजा खड़खड़ाया, दरवाजा खोला तो देखा कि उस ने कपड़ें बदलें नही थे। उस से खड़ा भी नही हुआ जा रहा था। उस ने कहा कि सर मेरे पेपर भी आप रख लो। मैंने उस से पेपर ले कर उसे फिर से उस के कमरे में भेज दिया।

उस के जाने के बाद मैंने कपड़े बदले और लेटा तो लगा कि मुझे भी नशा हो रहा है। मैंने सोने की कोशिश की तो नींद नही आई। मैंने समय काटने के लिए टीवी ऑन कर लिया। थोड़ी देर बाद फिर दरवाजे पर नॉक हुआ, मैंने दरवाजा खोला तो नेहा सामने खड़ी थी। उस ने गाउन पहना हुआ था। कमरे के अन्दर आते ही उस ने दरवाजा बन्द कर दिया और मुझे बेड पर धकेला दिया और अपने गाउन को ऊपर से खोल कर कहा कि देखिये मेरे में क्या कमी है? कि आज आप उस के साथ चुपके हुऐ थे उस के पास ये है क्या? उस का इशारा अपने उरोजों की तरफ था, वो तो थकी हुई चीज है। मेरे को तो आप देखते ही नही हैं, मैं तो सारे दिन आप के पास थी। शाम से उसी के साथ चुपके खड़े थे, खाना भी उस के साथ खाया मुझे पुछा भी नही।

उस के इस व्यवहार से मैं भौचक्का था नेहा के मुख से ऐसी भाषा सुन कर मेरी जबान बन्द हो गयी थी। मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर उस का गाउन उसे पहना दिया और बेड पर बिठा दिया। गिलास में पानी भर कर पीने को दिया, इस पर वो बोली की मेरे को तो पानी और उस के साथ ड्रिक पी रहे थे। मैंने उसे शान्त करने के लिए कहा कि तुम्हें पता है कि मैं शराब नही पीता लेकिन उन का साथ देने के लिए पी ली थी। तुम चाहती हो तो तुम्हारे साथ भी पी लेता हूँ। यह कह कर मैंने आज गिफ्ट में मिली व्हीस्की की बोतल खोली और दो गिलासों में ड़ाल कर फ्रिज से सोड़ा निकाल कर मिलाया और एक गिलास नेहा को दिया और दूसरा खुद ले लिया। मैं देखना चाहता था कि अब वह क्या करती है। उस ने सिप लेनी शुरु कर दी, हार कर मुझे भी पीनी पड़ी, एक पैग के खत्म होने के बाद दूसरा पैग बन गया। हम दोनों नशे में टुन्न हो गये।

नेहा फिर बेड से उठ कर मेरे पास आ कर मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर बोली कि, बताओ उस चुस्सी हुई में क्या था जो मुझ में नही है। मैंने फिर उसे समझाने की कोशिश की लेकिन उस की सुई अटकी हूई थी। मेरे का समझ नही आ रहा था कि उस को शान्त कैसे करुँ। तब तक उस के शरीर की महक मेरी नाक में आने लगी, उस की भरी हुई छातियाँ मेरी छाती में गढ़ रही थी। मैं ने उसे समझाने की कोशिश की तो उस ने अपना गाउन उतार दिया, उस के भरे हुए उरोज कसी हुई ब्रा के कपों से बाहर निकलने को आतुर थे। उस ने अब अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिया। मेरा धैर्य जबाव दे गया और मैंने भी उस के होंठों को चुम लिया। अब तो हम दोनों एक दुसरे को जम कर चुम रहे थे।

नशे और वासना का ऊफान पुरे जोर पर आ गया। मैंने उसे बेड पर धकेल दिया फिर उस के ऊपर गिर गया उस के उरोजों को ब्रा के ऊपर से ही मसलना शुरु कर दिया। नेहा ने अपना हाथ पीछे कर के ब्रा का हुक खोल दिया। अब दोनों उरोज बंधंन से आजाद हो गये। मैं दोनों हाथों से उन्हें मसल रहा था। नेहा के मुँह से अजीब सी आवाज निकल रही थी। हाथों के बाद मेरे होंठों ने उरोजों के फुले हए निप्पलों को चुसना शुरु किया। नेहा के मुँह से आहहहहहहहहह उईईईईईईईईई उहहहहह निकलने लगा। उस के हाथ भी मेरे नाईटसुट के बटन खोलने में लग गये। नाईटसुट भी बेड के नीचे पहुच गया। नशे के कारण हम दोनों होश में नही थे। उस के हाथ मेरी ब्रीफ में घुस का मेरे लिंग को जो अब पुरे साईज में आ गया था मसल रहे थे। मैं भी सिसकियां भर रहा था। मैं ने उस के उरोजों को छोड़ कर मुँह नीचे की तरफ किया। उस की पेंटी के ऊपर से योनि को चुम लिया। बड़ी मोहक सुगंध आ रही थी।

फिर हाथ डाल कर उसे नीचे खिसका दिया। मेरे होंठ उसकी योनि जो हल्के बालों से ढ़की थी, को चाट रहे थे। मेरे होंठ कलोरिट को चुस रहे थे। इस के कारण नेहा सिसकियाँ लेने लगी। उस की इस आवाज से मैं और भड़क गया और मैंने ऊंगली योनि में डाल कर उस को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया। वह अन्दर से पुरी गीली थी। योनि कसी थी, मेरे ऐसे करने से नेहा ने मुझे 69 की पोजिशन में करके मेरी ब्रीफ को नीचे कर के लिंग को चुमना चाटना शुरु किया। जितना ऊपर से नेहा मेरे लिंग को मुँह में मसलती थी उतना ही मैं नीचे ने नेहा की योनि को उपर से नीचे तक चाटता था। वासना का ज्वार हम दोनों के शरीर में घुम रहा था। काफी देर तक यही खेल चलता रहा।

इस के बाद नेहा ने कहा कि, कील मी। फक मी। मैंने अपने को उस के पैरों के बीच करा और अपने लिंग के सुपाड़े को योनि के मुँह पर लगा कर धक्का लगाया। सुपाड़ा पुरा धुस गया। नेहा के मुँह से हल्की सी चीख निकली। उस ने नीचे से कहा की फिल मी। मैंने जोर से धक्का दिया और लिंग पुरा योनि में घुस गया। नेहा के मुँह से फिर निकला फक मी फक मी। मैंने जोर-जोर से धक्का लगाना शुरु कर दिया कमरे में फच फच की आवाज भर गई। नेहा फक्क मी फक्क मी की रट लगा रही थी। किल मी। मैंने लिंग निकाल लिया और बेड़ पर पालथी लगा कर बैठ गया इसके बाद नेहा को उठा कर अपने पैरा पर बिठा लिया इस से मेरा लिंग उस की योनि में गहराई में चला गया उस ने कहा कि सर कहाँ चला गया ये अन्दर तक फट जायेगा। मैंने उस के होंठ चुम कर कहा कि कहीं नही गया बच्चेदानी के मुँह तक गया है। तेरी तो पहले से ही फटी है अब क्या फटेगी। यह सुन कर उस ने मेरे कन्धे पर काट खाया, और बोली कि ऐसा नही है।

आप ये मत बोलो मैंने कहा कि कोई पहली बार तो नही है। उस ने कुछ नही कहा, अब उस ने कुल्हें उठा कर मजा उठाना शुरु कर दिया। जब-जब लिंग बच्चेदानी को टक्कर मारता तब-तब उस की आह निकलती। मैंने उसे गोद ने उतार दिया और खुद पीठ के बल लेट गया। नेहा अपने आप मेरे ऊपर आ गई और मेरे लिंग को योनि में डाल लिया। मैंने नीचे से धक्का लगाया तो उस ने भी ऊपर से उत्तर दिया। मैं उस के लटकतें उरोजों को जीभ से चाट रहा था। किसी को हाथ से सहला रहा था।

नेहा ने कहा कि आप तो सर इतने शरीफ नही हो जितना मैंने सोचा था मैंने कहा कि मुझे क्या पता था कि तेरी नजर मेरे पर थी। वह बोली की आप मेरे किसी भी इशारे को समझ ही नही रहे थे। मैंने कहा यह मेरी गल्ती है। मुझे पास में बैठी हॅाट लड़की दिखाई नही दे रही थी, लेकिन तेरी इस बात से बहुत गुस्सा हूँ कि मैं उस के साथ क्यों था? तुझे तो पता होना चाहिए था मैं तेरा ही काम कर रहा था।

आप ने उस के साथ शराब पी, खाना खाया मुझे पुछा भी नही

मैंने कहा कि मुझे लगा कि आज तुझे अपने दोस्तों के साथ छोड़ देना चाहिए ताकि तु भी मौज कर सके। मुझे क्या पता था कि तेरे मन में क्या चल रहा था, अब तो तेरे मन की हो गयी। शराब भी पी ली और वो भी कर लिया जो उस के साथ नही किया था।

इसी लिए तो आप को ईनाम दे रही हूँ। यह कह कर उस ने अपनी जीभ मेरे होंठों में घुसा दी। मैंने भी उस की जीभ को काट लिया। मैंने करवट ली और उस को नीचे कर लिया।

नेहा बोली सर आज मेरे को तो़ड़ दो, साबुत मत छोड़ना।

मैंने कहा कि अपनी चीज क्यों तोड़ दूँ?

मेरे सारे शरीर में इतना दर्द हो रहा है कि टुटने से ही यह दर्द जाएगा।

मैंने अपने धक्कों को बढ़ा दिया। मेरा सारा शरीर तना हुआ था। हम काफी समय से संभोग कर रहे थे। मैं चाहता था कि अब यह खत्म हो जाये।

मैंने नेहा को ऊपर से हटा कर डोगी बना दिया और पीछे से उस की योनि में प्रवेश किया। नेहा को दर्द हो रहा था लेकिन आनंद भी आ रहा था। इस में भी कभी समय रहा। लेकिन डिस्चार्ज नही हो रहा था। ऐसा शायद नशे के कारण हो रहा था। अब मेरे घुटने दर्द कर रहे थे।

फिर से नेहा को नीचे पीठ के बल लिटा कार उस में प्रवेश किया और उस की टांगों को उठा कर अपने कन्धों पर रख लिया अब नेहा ने आह भरना शुरु किया। मैं अपनी पुरी ताकत से धक्कें लगा रहा था। योनि पर जोरदार वार हो रहा था। टांग मेरे कन्धे पर होने के कारण योनि बहुत कसी हुई थी। लिंग बहुत कस कर योनि में जा रहा था। उत्तेजना के कारण नेहा सर को इधर-उधर पटक रही थी। सर मुझे मार दो कील मी।

हम दोनों पसीने से तरबतर हो गये थे। तुफान का छोर नही मिल रहा था। हार कर मैंने नेहा की टागों को नीचे कर दिया और फिर से लिंग को योनि में डाल दिया। मैंने शरीर को एक लाईन में तान कर धक्कें लगाने शुरु किये। थोड़ी देर में मुझे लगा कि मैं डिस्चार्ज हो जाऊगा मैंने नेहा से पुछा कि अब निकाल लुँ, उस ने कहा नही, जो भी है अन्दर ही चाहिए। मेरे आँखों के सामने तारें नाच गये। मैं धीरे से नेहा के ऊपर लेट गया नेहा ने भी अपनी टागें मेरे पांवों पर कस ली। वह भी डिस्चार्ज हो गई थी। मैं थक कर उस के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया। नेहा उठ कर मेरे ऊपर आ कर लेट गई और मेरे लिंग को जो अभी तना था अपनी योनि में फिर से डाल लिया। और धीरे-धीरे कुल्हें हिलाती रही। मैं शायद सो गया था।

जब आँख खुली तो देखा कि नेहा अभी भी मेरे पर लेटी थी। उस को भी शायद नींद आ गई थी। हम दोनों ने अपने शरीरों को चरम तक थका लिया था अब हिम्मत बिल्कुल नही थी। मैंने धीरे से नेहा को उठा कर बगल में लिटा दिया। फिर उस को देखा, वह सो रही थी उस के चेहरे पर ऐसी मुस्कराहट थी जैसी किसी बच्चे को अपनी मन-पसन्द चीज मिलने से आती है। मेरी भी हालात पतली थी। मैं भी सो गया।

सुबह अलार्म की आवाज से उठा तो देखा कि नेहा अभी भी सो रही है। मैंने उसे हिलाया तो वह कराहती हूई उठ गई। मुझे देख कर बोली की मैंने तो ऐसा तो नही कहा था कि आप मेरी जान ही निकाल दो। मेरे से तो उठा भी नही जा रहा, मैंने कहा कि मैं तो तुम्हे रोक रहा था, समझा रहा था ना जाने कब अक्ल बन्द हो गई। उस ने मुझे फिर से अपने ऊपर खीच कर किस किया और कहा कि ऐसी गल्ती तो आप को बार-बार करनी चाहिए। मैंने अपने को छुड़ा कर कहा कि नेहा जी अब उठ जाए, नहा ले नाश्ता कर के कही घुमने चलते है नही तो सारा दिन बेकार चला जायगा। और एक बात बताओ, कल की बात की बढ़ाई तो नही मारोंगी?

उस ने कहा कि आप भी कमाल करते है। ये कोई बताने की बात है।

मैंने कहा पता नही कब चने के झाड़ पर चढ़ कर सहेलियों में गा दो।

उस ने ना में सर हिलाया।

आप के बारे में तो सब कहते है कि आप सारे ऑफिस में केवल एक को ही चाहते है मुझे लगा की उस के मेरे सामने क्या हैसियत है।

मैंने पुछा कि वो कौन है मुझे तो पता नही, उस ने कहा की इतने मासुम ना बने। सब को पता है कि उस का आप पर बहुत होल्ड है।

उस ने जो नाम लिया वो मेरे लिए भी धक्का था। मैंने कहा कि नेहा ऐसी कोई बात नही है। मैं आज तुम से अपने मुँह से बोल रहा हूँ। मेरा उस से कोई संबंध नही है। हाँ वह पुरानी काम करने वाली है इस लिए उस के साथ ज्यादा खुला हुआ हूँ लेकिन ऐसा तो कई पुराने काम करने वालों के साथ है। वह बोली मैं तो आप की बात सुन का शॅक्ड हूँ कि सब मानते है कि उस के साथ के रिश्ते के कारण ही आप और किसी पर ध्यान नही देते वह व्यवहार भी ऐसा ही करती है। मानो वह आप के रिलेशन में है। मैं ने हँस कर कहा कि मेरे पास अपनी बीवी के लिए समय नही है किसी और के साथ रिलेशन, क्या वाहियात बात है। तुम बताओ ऐसी कोई बात जो खास हो, तुम्हारी नोटिस में आई हो। उस ने कुछ देर सोचा और कहा कि कुछ याद नही आ रहा। मैंने कहा कि इस बात के लिए क्या करुँ। कोई हल है तुम्हारे पास। वो चुप रही। जिस का नाम तुम ले रही हो उस का तो ऑफिस के हर लड़के के साथ चक्कर रहा है। आज कल जिस के साथ है उस का नाम मैं जानता हूँ लेकिन कहुँगा नही।

मैंने कहा कि आज के बाद तो तेरे सिवा मेरे करीब कोई नही है। लेकिन आशा करता हूँ कि इस बात को अपने तक रखोगी। वो बोली की मैं क्यो बोलुगी। ये रात तो मेरी यादों में रहेगी। आप से कुछ नही चाहिए। आप भी इसे भुल जाऐगे। मैंने कहा कि मेरे लिए तो रात गई बात गई। हम दोनों अलग-अलग चलने वाले रास्ते है जो कभी एक नही हो सकते।

उस की आँखों में आँसु आ गये। वह बोली की आप शब्दों का सही इस्तेमाल करते है। ऐसा ही होगा।

वो उठी और मेरे होंठों पर किस करके अपने कमरे में चली गई।

मैं भी इस प्रसंग को आगे नही बढ़ाना चाहता था। कुलीग के साथ संबंध काम में समस्या पैदा करते है। इन से बचना चाहिए। कल रात जो हुआ वह वन नाईट स्टैड़ मान कर भुल जाना चहिए।

हम ने वह दिन शहर को घुमने में बीता दिया। मैंने उस की फोटो खींची और उस ने मेरी खींची। हम दोनों किसी भी फोटों में एक साथ नही थे। रात की फ्लाईट पकड़ कर अपने शहर वापस आ गये। वह सीईओ मेरी गहरी मित्र बन गई थी।

मैं इस बात को भुल भी गया। छह महीने बाद नेहा ने हमारी कम्पनी छोड़ कर नई कम्पनी जॉएन कर ली। किसी कुलीग के चले जाने से परेशानी तो होती है लेकिन इस समस्या का कोई समाधान नही है। लोग अच्छें अवसरों के लिए ऐसा करते है करते रहेगें। नेहा की जगह किसी और को रख लिया गया। समय बीतता रहा।

करीब पांच साल बाद मैं एक फेयर में भाग लेने के लिए बंगलुरु आया हुआ था। आज फेयर का आखिरी दिन था। मैं शाम को फेयर खत्म कर के निकल रहा था तभी पीछे से किसी ने आवाज दी कि सर रुके। मैं हैरान हो कर मुड़ा कि मुझे यहाँ कौन सर कह रहा है तो देखा कि नेहा दूर से भागी चली आ रही थी, एक बार तो उसे पहचानने में परेशानी हूई। वह कुछ पतली हो गई थी और साड़ी में लम्बी भी लग रहा थी। मैं रुक कर उस का इन्तजार करने लगा, वह पास आ कर मेरे से बोली कि आप की चाल तो इतनी तेज है कि मेरी साँस फुल गयी, आवाज भी नही सुन रहे थे। मैंने कहा कि मुझे क्या सपना आयेगा कि इतने साल बाद कोई मुझे यहाँ मिलेगा। वो भी मेरी पुरानी मैनेजर। नेहा ने मुझे शरारत से देखा कि मैं मैनेजर कब थी? मैंने कहा कि मेरे लिए तो मैनेजर ही थी क्योकि तुम्हारे और मेरे बीच कोई और नही था। उस ने सर हिलाया।

वह और मैं लॉबी में सोफे पर बैठ गये। उस ने कहा कि आप को देखना सुखद है। अकेले है? मैंने कहा हाँअब अकेला ही जाता हूँ। उस की आँखों में शरारत की चमक आयी। मैंने कहा कि अब मैं कही-कही ही जाता हूँ। और लोग जाते है। मैंने कहा कि तुझे सब पता है। फिर क्यों पुछती हो। उस ने कहा कि आप के मुँह से सुन कर विश्वास होता है। दूसरें तो चुगली लगाते है।

मैंने पुछा कि उस का क्या हाल है? तो उस ने कहा कि वह सही है, अच्छी पोस्ट है, चैलेन्ज है। मैंने कहा कि शादी कैसी चल रही है तो उस के चेहरा उतर गया, मुझे लगा कि कुछ गलत पुछ लिया। मैंने कहा कि मैं तो तुम्हारे सम्पर्क में नही हूँ इस लिए सुना था कि तुम्हारी शादी हो गई है, इस लिए पुछ लिया। उस ने कहा कि शादी तो चली नही दो साल पहले ही तलाक हो गया है। अब वह यहाँ अकेली रहती है। उसे कोई परेशानी नही है। मैंने सॉरी कहा तो उस ने कहा कि आप क्यों सॉरी कहते हो मेरा फैसला गलत निकला एक साल भी नही साथ रह सके।

मैंने बात बदलते हुये कहा कि नेहा छोड़ो और बताओ घर में सब कैसे है, उस ने कहा कि सब सही है। आप बताओ आप कैसे हो, मैंने कहा कि सही हूँ, वह बोली मुझे तो पहले से पतले लग रहे है। मैंने कहा कि पतला हो कर सही लग रहा हूँ या नही। बोली मुझे तो पहले वाले ही पसन्द थे मेरी यादों में तो वही रुप बसा हुआ है। मैं उस के चेहरे को देख रहा था। उस ने मुझे घुरते देख कर कहा कि आप को कुछ बातें समझ नही आती या आप जानबुझ कर समझना नही चाहते। मैंने उसे आश्चर्य से देखा, वहाँ अपने लिए लगाव और प्यार देखा। मैं चुप रहा। उस ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा कि कहाँ ठहरे है? मैंने कहा कि ताज में हूँ। उस ने कहा की आप से बहुत बातें करनी है उससे पहले डिनर करना है, आप के साथ बहुत पहले से डियु है।

मैंने नेहा से कहा कि डिनर करते है, उस के बाद बातें भी करेगें, लेकिन जल्दी क्या है। मेरी एक मीटिग है पांच बजे, आठ-साढ़े आठ बजे खत्म होगी उस के बाद फ्री हूँ। उस के बाद तुम्हारी मर्जी पर हूँ इतना तो कर ही सकता हूँ अपनी पुरानी कुलीग के लिए।

आप की यही बात तो आप को सब से अलग करती है कि आप इतने सीनियर हो कर मुझ जैसी जुनियर को कुलीग कहते है। आप जैसे सीनियर अब नही मिलते है।

साथ में काम करने वाले तो सहकर्मी होते है चाहे पद में छोटे हो या समकक्ष।

तीन घन्टे की मीटिग ज्यादा लम्बी नही है।

हाँ है तो लेकिन जरुरी है। समय ज्यादा लगेगा।

तब तक मैं क्या करुँ?

मेरे कमरे में जा कर वैट कर ले।

आप को मेरे पर इतना विश्वास है।

जिस ने अपना सब कुछ सौप दिया हो उस पर इतना विश्वास तो कर ही सकता हूँ और सामान क्या है तीन सुट, कमीजें और कुछ कपड़ें

कहाँ ले चल रही हो डिनर के लिए?

ताज में करे?

हाँ

मैंने अपनी घड़ी देखी। पांच बजने वाले थे नेहा ने कहा कि आप मीटिग करो मैं रिजर्वेशन करवाती हूँ। तब तक कुछ शॉपिग ही कर लेती हूँ।

ओके मिलते है। यह कह कर मैं मीटिग के लिए निकल गया।

मीटिग आठ बजे खत्म हो गई थी इस लिए मैं ताज के लिए निकल गया।

लॉबी में देखा तो नेहा बैठी मिली, मुझे देख कर बोली की जल्दी आ गये। मैंने कहा कि हाँ मीटिग जल्दी खत्म हो गयी थी। इस लिए आ गया। नेहा ने कहा कि आप की फ्लाइट कब की है, मैंने कहा कि सुबह की है। वह बोली की सर परसों की करा ले एक दिन मेरे साथ भी गुजारें। मैंने कहा कि यह हो सकता है कल संड़े है परसों चले जाएगें। मैंने फोन निकाल कर अपनी सेकेट्ररी को कहा कि मेरी कल सुबह की फ्लाइट को सोमवार सुबह की कर दो। मैं एक दिन और रुकुँगा।

फोन बन्द कर के नेहा से पुछा कि कुछ और करवाना है?

उस ने कहा कि चैकऑउट कब कर रहे है मैंने कहा कल सुबह टाईम है।

उस ने कहा कि चल कर बैठते है। रेस्टोरेन्ट फुल था एक किनारे की मेज बुक थी। दोनों वहाँ बैठ गये। नेहा ने खाना ऑडर कर दिया। वो बोली की आप से कुछ काम है मैंने कहा कि कहो, उस ने कहा कि खाने के बाद बताऊँगी। मैंने कहा कि जैसी तुम्हारी मर्जी।

खाना आ गया। दोनों चुपचाप खाना खाते रहे। खाना खाने के बाद नेहा ने बिल पे करने की कोशिश की तो मैंने मना किया तो वह बोली की आप मेरे मेहमान है ये तो मैं ही करुगी। मैंने दूबारा नही कहा।

बाहर आने के बाद मैंने उस की बाँह पकड़ कर कहा कि चलो रुम में बैठते है वही आराम से बातें होगी। रुम चौदहवीं मन्जिल पर था। लिफ्ट से पहुँच कर रुम में आ गये। रुम में घुसते ही दरवाजा बन्द कर के नेहा ने मेरा आलिंगन कर लिया और मुझे किस कर के बोली कि इतनी देर से इस के लिए मरी जा रही थी अब मौका मिला है। मुझे उस का मतलब कुछ-कुछ समझ में आने लगा था। वह बोली कि आप के साथ सोना था। मैंने ने उसे घुर कर देखा उस ने बिना आँखे झपकाये कहा कि हैरान मत होईये। इतने दिन बाद मुझे मिले है तो ऐसे थोड़े ना छोड़ दुँगी। मैं कहा कि आज भी जल्दी है। उस ने कहा कि यहआप पर निर्भर है, मैंने कहा कि रात को रुक जाओ। उस ने कहा कि आप सुबह मेरे साथ ही मेरे फ्लैट पर चलेगे। मैं कल सारे दिन आप को शहर घुमाऊँगी। मैंने कहा चलो तुम्हारी बात मान लेते है। चलो नहा लेते है। सारे दिन ना जाने किस किस के साथ मिले है।

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