गंगाराम और स्नेहा Ch. 10

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"शशशशशश... ऐसे क्यो चिल्ला रहि हो... जैसे पहली बार चुद रही हो..." चौधरी बोला और एक शॉट और दिया।

"हायरे दय्या...सससस... अम्मा.. चौधरी साब... पहली बार तो नहीं चुद रही हूँ लेकिन इतना मोटा लैंड तो मेरे लिए पहली बार ही है..." गौरी बोली और अपना कमर उठायी ।

"गंगाराम.. देख रहे हो तुम्हारी मुहं बोली बहन को.. कैसे चिल्ला रही है और ऊपर से कमर उछाल रही है" चौधरी का मन तो कर रहा था कि वह उसे छिनाल कहे रंडी कहे और भी कुछ गालियाँ दे.. लेकिन यह सोच कर अपने आप को कण्ट्रोल कर रहा था कि वह गंगाराम की मुहं बोली बहन है। .

गौरिका यह रूप देख कर तो गंगराम सकते में आगया। उसे क्या बोलना समझमे नहीं आरहा है।

तब तक चौधरी अपना लंड उस औरत के अंदर बहार करने लगा। धीरे धीरे गौरी को भी इस मोटे लैंड की स्वाद मिलने लगी। चौधरी के हर दक्का के साथ वह "आहहह.. उहह.. अम्मा..." कहते अपनी गांड उठा रही थी। इन दोनों की चुदाई देख कर अब गंगाराम का भी उठान ले चुकी है तो वह अपने लण्ड मुट्ठी में दबाते ऐंठने लगा।

यह देख गौरी उसे बुलाई। भाईसाब, इधर मेरी ओर मेरे मुहं के पास आईये..." वह बुलाई।

गंगाराम उसके समीप आया तो वह उसके लंड को पकड़कर अपने मुहंमें ली और चूसने लगी। अब गौरी की चूत में चौधरी का मुस्सल है तो मुहं में गणराम का डंडा। उस पर डबल अटैक होने लगी। गौरी से अपना औजार को चुसवाते गंगाराम ने उसकी चूची से खेलने लगा।

सचमे चौधरी को गौरी को चोदने में खूब मजा मिल रही थी। वह भी साला चुड़क्कड़ है और औरतों का रसिया है.. लेकिन वह हमेशा कॉल गर्ल को बुला लेता था। आखिर कॉलगर्ल कॉल गर्ल ही होती है...किसी फॅमिली औरत की तुलना तो नहीं कर सकती।

वाह गौरी को दनादन चोदते गंगारम से कहा "यार गंगाराम तू क्या जादू चलाता है.. जो ऐसे फॅमिली केस तेरे हाथ लगजाते हैं... सुना है आज कल तू दो जवान लडकियों को भी फंसाया हुआ है..." वह बोल रहा था लेकिन उसकी चुदाई चल रही थी।

इधर गंगाराम अपना लंड चुसवाते कहा... ऐसी कोई बात नहीं है.. बस जरासा कोशिश करता हूँ, कुछ फटती है तो कुछ नहीं। वैसे वह दो लड़किया मेरी भाँजिया है...मेरी बहन कि बेटियां ...उनकी तरफ आंख नहीं उठाना... मैं पहले ही चेता रहा हूँ..."

"अरे गंगाराम ऐसी कोई बात नही....वह बोलने को बोला लेकिन जबसे वह किसी से सुना था कि गंगाराम दो, दो जवान लड़कियों के साथ घूम रहा है तो, उसका भी मन करने लगा। लेकिन गंगाराम की कही बात ने उसकी गन्दी सोच पर पाबन्दी लगादी।

गौरी समझ गयी की वह दो लड़कियां कौन है... एक उसकी बेटी स्नेहा तो दूसरी स्नेहा की सहेली सरोज। जब गंगाराम ने उनको अप्पने भांजिया कहा और उन पर आंख न उठाने को कहा तो, गंगाराम के प्रति उसकी इज़्ज़त और बढ़ी।

उसके बाद जयदा बातें नहीं हुयी और दोनों चोदने में लग गए.. गंगाराम उसकी मुहं को और चौधरी उसकी चूत को। पिर कुछ देर बाद दोनों अपनी अपनी जगह बदल ली। गंगाराम गौरी की बुर में पेल रहा है तो चौधरी उसके मुहं को। यह सिल सिला कोइ 15 मिनिट चला और फिर दोनों खलास होगये। तबतक गौरी भी दो बार झड़ चूकी थी। तीनों ही थके हारे एक के बगल में एक पड़े रहे।

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रात के 9.30 बजे हैं। डिनर के बाद वह तीनों अब बेडरूम मे पहुँच गए। कुछ देर एक दूसर के अंगों से खेलते, छेड़ छाड़ करते रहे। इस छेड छाड़ से फिरसे तीनो गर्मा गए। दोनों मर्द अपने अपने अकड चुके औजारों के मुट्ठ में दबाये रहे। इधर गौरी की चूत में भो खलबली मचने लगी। वह एक हाथ से अपने चूचियों को टीपने लगी।

"क्यों गौरी गरमा गयी..." गंगाराम उसे देखता पुछा।

"हाँ भाईसाब.. बहुत खलबली मच रही है..?

"कहाँ...?" चौधरी कुत्सीश्च भाव से हँसते पुछा।

"और कहाँ चौधरी साब.. अब तक तुमहारा डंडा जहाँ घुसा था वहां.."

"कहाँ घुसी थी....?" उसे अंदाज में गौरी को छेड़ते पुछा।

उसकी इस छेड़खानी से गौरी को गुस्सा आया.. वह कुछ बोलना चाही लेकिन सम्भाल गई। वह गंगाराम की और मुड़ी और बोली "भाई साब यह घुड़सवार क्या होती है...?"

'क्या तुम्हे घुड़सवार क्या है नहीं मालूम...?" गंगाराम अचरज से पुछा।

"नहीं..."

"क्या तुमने अपने पति पर नाहिं चढ़ी हो क्या...?"

"चढ़ी तो हूँ..."

"मर्द के ऊपर चढ़के चुदना ही घुड़सवार होतीहै..."

"ओह.. उसे घुड़सवार कहते है यह नहीं मालूम...:"

"अब करोगी घुड़सवार...?" गौरी झट तैयार हो गयी।

"चलो फिर..." गंगाराम कहा, और चित लेट गया। उसका डंडा कड़क होकर छत को देख रही थी।

गौरी गंगाराम पर चढ़गई और उसके डंडे को पकडकर अपनेमे घुसाकर बैठने लगी। धीरे धीरे डंडा अंदर घुस रहा था देखते ही देखते पूरा 9 इंच गौरी के रिस रही चूत समागयी। गौरी उठ बैठक करने लगी।

"आअह कितना अच्छा है भाईसाब ... ऐसा करवाके तो जमाना हो गया...." कहते वह चुदाने लगी। गंगाराम नीचेसे दकके देरहा था। चौधरी गौरी के मुहं के पास अपना लवड़ा रखा।

उसके मतलब समझकर वह उस लवड़ा मुहंमें लेकर चूसने लगी। वह इतना मोटा था की उसका मुहं दुखने लगा।

चौधरी का लंड चूसने, गौरी आगे झुकी हुई थी। चौधरी की नजर गौरीके पीछे रखी ड्रेसिंग मिरर पर पड़ी।

उसमे उसे आगे झुकी होने की वजह से गौरी के मस्त गांड और उसके गद्देदार कूल्हे दिख रहे थे। साथ ही साथ गांड के निचे उसकी चूत जिसमे गंगाराम लंड अड़सा है दिख रही थी। चौधरी कुछ सोचा और अपने लावड़ा गौरी मुहं से निकाला। उसके मोटे लंड के वजह से उसके मुहं दुःख रहाथा तो लंड निकलते ही वह राहत महसूस की। चौधरी गौरी के पीछे आया और आगे झुककर उसके नितम्बों पर जीभ चलाया।

उसके जीभ की स्पर्श से गौरिका सारा बदन झन झना उठा "आआआअह्ह्ह्ह... चौधरी साब..." कहते अपने कूल्हे चौधरी के मुहं पर दबाने लगी। कुछ देर नितमब चाटने के बाद वह अपनी जीभ गांड के दरार में डालकर खुरदने लगा।

"स्स्सस्स्स्स...." गौरी ने सिसकी ली।

"क्या हुआ...?" जीभ से अपना काम जारी रखते पुछा।

"सुर सूरी होरही है..." वह मदहोश होती बोली।

"सुर सूरी को मिटाना है...?" पूछा।

"वूं..."

गौरी के ऐसे कहते ही वह चाटना बंद किया और अपनी एक ऊँगली से चुदरहे चूत पर घुमाया। लंड से अड़सी चूत में से रस लंड को भिगोता बहर को बह रहीथी। चौधरी ने अपना ऊँगली उस चूत रस को चिपुड़ा और उस उंगलि को गौरी के गांड की छेद पर रख हल्का हल्का दबाव देने लगा। एक क्षण तो ऐसे लगा की गांड की मांस पेशिया टाइट होरहा हो लेकीन जल्दी ही मांस पेसिया रिलैक्स करने लगी।

चौधरी यह समझते ही उसके गांड की मांस पेशियाँ कुछ ढीला पडिहै तो उसने अपनी ऊँगली पर दबाव दिया। मदनरस के चिकनाहट के कारन उंगली का पहला टकना गांड में घुस गयी। अनजानेमें ही गौरी की गांड पीछे को धकेली। चैधरी अपना ऊँगली कुछ और अंदर दे डाला। अब उस ऊँगली के दो टकने गौरी के गांड के अंदर।

चौधरी ऊँगली आगे पीछे करने लगा उसके ऐसे करने से गौरी को एक अलग ही आनंद मिल रही थी तो वह गांड पीछे धकेलने लगी। गांड पीछे जाते ही गंगाराम का औजार बहार को निकल रहा था और वह निचेसे ऊपर को दक्का देने लगा। अब गौरी की गांड चौधरी की ऊँगली से चुद रही है तो उसकी चूत गंगाराम के लंड से चुद रहि थी।

जब गौरी और गंगाराम अपने काम में तल्लीन थे तो, चौधरी ने अपनी उंगलि बाहर खीँचा और अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाकर सुपाडे को गांड की छेद पर रख अंदर को दबाया। थूककि चिनाहट की वजह से एक ही झटके में सुपाड़ा गौरीके गांड में चली गयी...

तब पहली बार गौरी को दर्द महसूस हुआ। वह अपने गांड की मांस पेशियाँ को टाइट कर ही रही थी कीचौधरी ने उसका कमर पकड़कर एक्जोर का शॉट दिया। आधे से जयदा कांड अंदर चली गयी।

"आआअह्ह्ह्हह... मरी रे... हाय मेरी गांड.. वह चिल्ला रही थी। उसके चिल्लाने का परवाह न करते चौढ़री ने एक और दक्का दिया तो पूरा लंड गांड में घुस गयी।

"नहीं.. नहीं..निकालो.. मैं मरगयी रे..." उसके आंखोमे आंसू आगये।

"भाईसाब देखो यह तुम्हारा दोस्त.. मेरी गांड में पेलदिया.." वह गंगाराम से बोली।

गंगाराम चौधरी की ओर देखा। चौधरी कुत्सितः भव से मुस्कुराते गंगाराम को आंख दबाता है।

चौधरी अपना आक्रमण गौरी की गांड पर करते रहा और यही अंजाम उसकी चूतका हो रहा था। सारे कमरे मे आआह्ह... ससस... मममम.. हहहह यः.. और जोरसे.. लेले... चोदे जाओ. जैसे आवाजें गूँज रही थी। तीन चार मिनिट की चुदाई के बाद अब गौरी को गांड में दर्द कमहुअ तो वह अब, गांड मरवानेका मजा लेरहि थी। उसकी चूत एक परनाले की तरह बहरहि है। अब चौधरी का लैंड भी आसानी से उसकी गांड में अंदर बहार हो रही थी। कोई दस मिनिट बाद सब झड़ गए। खुद गौरी तीन बार झड़ी थी। उसकी चूत और गांड में से खुद उसके मसाले के साथ इन दो मर्दों का भी मसाला बहकर बाहर को बह रहि थी।

उस धमासान चुदाई के बाद तीनों थक कर पड़े रहे।

वैसे गौरी इस से पहले गांड नहीं मारवाई थी लेकिन अब उसे गांड मरवानेका भी मजा मिलगयी है।

उस रात उन तीनों में एक बार और जमकर चुदाई हुयी।

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सवेरे के आठ बज चुके थे। गौरी किचन में नाश्ता बना रही थी तो गंगाराम और चौधरी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर धंधे की बात कर रहे थे।

गौरी ने सबको नाश्ता दी और सब खा लिये और चाय पीलेने के बाद चौधरी जाने को तैयार हुआ तो गंगाराम चौधरी के सामने एक एग्रीमेंट रखकर दस्तखत करने को बोला।

"यह क्या है...?"

"पढ लो..." गंगाराम बोला "यह एग्रीमेंट है तुम मुझे एक महीने का समय देरहे हो तुम्हारी जमीन खरीदने के लिए।

चौधरी पूरा एग्रीमेंट पढ़ा, कुछ बोलना चाहा लेकिन रुक गया और दस्तखत करदिया और चला गया।

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गौरी और गंगाराम अगल बगल सोफ़े पर बैठे थे। गंगाराम का हाथ गौरी के कांधों के गिर्द लपेटा था। गौरीभी उससे सटकर बैठ गयी।

"गौरी तुमने बहुत रिस्क लिया..." वह गौरी को देखता भावुक होकर बोला।

"मेरे भाईसाब केलिए... आपका इतना रूपये डूबते मैं नहीं देख सकती।"

"थैंक्यू... तुमने मेरे 20 लाख रूपये बचाये है... अब मुझे भी कुछ करना है...?" वह बोला। वास्तव में उसके दिल में गौरी के प्रति स्नेह उभर आया।

गौरी कुछ बोली नहीं...

"भाईसाब," गौरी बोली "आज शाम मैं घर चली जावूँगी... तीन दिन गुजर चुके हैं..."

"ठीक है.. मैं बाहर जारहा हूँ, तुम भी चलोगी क्या..?"

"नहीं.. मैं आराम करूंगी, रातमें बहूत थक गयी हूँ" बोली।

"ठीक है, तुम आराम करो.. में एक बजे तक आ जावूंगा.. खाना वगैरा मत बनाना; मैं बहार से लेते आवुंगा.." कहा और चला गया।

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शाम चार बजे गौरी अपने घर जाने को तैयार हुयी।

"ठीक है.. यह रख लो भाई के तरफ से तोहफा..." कहा और एक बैग उसे थमाया।

" क्या है यह...?" पूछी, पूछते वह बैग में का वस्तुएं निकला देखी और ढंग रह गयी।

"भाई साब.. यह....यह.... वह हकला रही थी। बैग में एक कीमती साड़ी, माचिंग ब्लाउज पीस, और एक छोटे डिब्बे ने 4 सोने के कंगन, एक और डिब्बे में दो जोड़ी ईयर रिंग्स के साथ एक पाजामा कुरता और एक 15/16 साल के बच्चेके लिए jean पैंट और शर्ट भी थे।

"भाई साब, यह सब क्या है...?"

"बोला ने भाई का तोहफा" गंगाराम गौरी को अपने बाँहों में लेकर हल्कासा चुम्बन दिया और बोला "साड़ी कंगन तुम्हारे लिए, ईयर रिंग्स स्नेहा और पूजा के लिए और बाकि के तुम्हारे पति और बेटे केलिए..."

गौरी न न कहरहि थी लेकिन गंगाराम जबरदस्ती बैग उसके हाथ में सौंपा।

"लेकिन भाईसाब में घर में क्या कहुगी...." वह संकोच से बोली।

"तुम कहरहि थी की तुम्हारा एक भाई अच्छे स्थिति में है..."

"हाँ.. उनके दोनों बेटे इंजीनियरिंग करे और अरब देशोंमें काम करते है.." बोली उसे समझ में नहीं आ रहा था की गंगाराम क्या कहना चाहता है।

"फिर क्या है...कह देना उस भाईके घर गयीथी तो उन्होंने अपने बहन को यह सब दिए हैं...."

गंगाराम के बहुत मानाने पर गौरी वह सब लेने को राज़ी होगयी। इस बीच गौरी ने स्नेहा को फोन पर कही की वह आज शाम आ रही है। शाम जब गौरीके लिए गंगराम कैब बुला रहाथा तो गौरी बोली "भाई साब कैब नहिं मैं ऑटो में चालि जावूँगी..." और ऑटो आनेपर अपने घर चलते वह इन तीन दिनों की घटनाओं के बारे मे सोच रहीथी।

ऐसा ही है गंगाराम। अपने को जिस किसीसे भी लाभ पहुंचेतो उसकी यह adat की उस प्रॉफिट मे कुछ हिस्सा प्रॉफिट दिलाने वाले को भी देते उन्हें इतना खुश करता है की बाद में वह अपराध भाव से तड़पे नहीं।

तो दोस्तों यह थी गौरी और गंगाराम की एक और नादभरी घटना। आशा करती हूँ की यह एपिसोड आपको पसंद आया होगा। आपके कमेंट की इंतजार में आपकी....

स्वीटसुधा

समाप्त

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Anonymous
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1 Comments
AnonymousAnonymous9 months ago

Good to read the next story

How about adding the younger sister noe

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