मेरी चुत का चोदू

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उसने ब्लाउज के बटन खोल दिए. अब मेरी दोनों चूचिया पूरी नंगी थीं. उसने लपककर दोनों को क़ब्ज़े में कर लिया.

अब एक चूची उसके मुँह में थी और दूसरी को वह मसल रहा था.

वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चुत पर रगड़ना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद लंड को चुत के मुँह पैर रखकर बोली- ले अब मैंने तेरे चाकू को अपने खरबूजे पर रख दिया है ... पर अन्दर आने से पहले उस लड़की का नाम बता ... जिसको तू बहुत दिन से चोदना चाहता है ... और जिसे याद करके मुठ मारता है.

वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए.

मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठों चूसने लगी.

कुछ देर बाद मैंने कहा- हां तू मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है?

अफ़रोज़- आपा, आप बुरा मत मानिएगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है, सिर्फ़ आपको ख़्यालों में रखकर मारी है.

मैं- हाय भाई ... तू कितना बेशर्म है. अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचता था.

अफ़रोज़- ओह आपा, मैं क्या करूं ... आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्सी हैं. मैं तो न जाने कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चुत में लंड पेलना चाहता था. आज दिल की आरज़ू पूरी हुई.

फिर उसने शर्माकर आंखें बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया.

अपने भाई का लंड अपनी चुत में लेते ही मेरी एक मीठी आह निकल गई.

भैया ने पूछा- क्या हुआ आपा?

मैंने कहा- कुछ नहीं तेरा अन्दर घुसा ... तो कुछ मीठा सा दर्द हुआ.

उसने मेरी बात सुनते ही अपने लंड को मेरी चुत में और अन्दर ठूंसा और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया.

मैंने भी उसके लंड को अपनी चुत में एडजस्ट करते हुए कमर हिलाई और लंड को चुत में सैट कर लिया.

अब मैंने पूछा- अरे तू मुझे इतना चाहता है, मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर में ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है. पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती.

ये कह कर मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी और लंड का मजा लेना शुरू कर दिया.

बीच-बीच में मैं उसकी गांड भी दबा देती.

अफ़रोज़- आपा, मेरी किस्मत तो देखिए कितनी झांटू है ... जिस चुत के लिए मैं इतने दिनों से तड़प रहा था, उसी चुत में मेरा लंड घुसा पड़ा है, पर मैं उसे चोद नहीं सकता. मगर फिर भी मुझे लग रहा है कि मैं स्वर्ग की सैर कर रहा हूँ.

अब मेरा भाई खुल कर लंड चुत बोल रहा था ... पर मैंने उसकी इस बात का जरा भी बुरा नहीं माना.

अफ़रोज़- अच्छा आपा, अब वायदे के मुताबिक़ मैं लंड चुत से बाहर निकाल लेता हूँ.

वह जैसे लंड चुत से बाहर निकालने को तैयार हुआ, मैं सोचने लगी कि अफ़रोज़ अब मेरी चुत में लंड के धक्का लगाना शुरू करेगा, लेकिन यह तो ठीक उल्टा कर रहा था.

मुझे उस पर बड़ी दया आई. साथ ही अच्छा भी लगा कि मेरा भाई वायदे का पक्का है. अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफ़ादारी का इनाम उससे अपनी चुत चुदवाकर दे दूं.

इसलिए मैं उससे बोली- अरे यार, तूने मेरी चुत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है ... और तुमने अपना वादा भी निभाया है ... इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी. चल अगर तू अपनी बहन को चोदकर भैनचोद बनना ही चाहता है ... तो तू आज चोद ही ले अपनी जवान बड़ी बहन की चुत को.

मैंने जानबूझ कर इतने गंदे शब्द उससे कहे थे.

अफ़रोज़ मेरे इन शब्दों का बुरा ना मानकर ख़ुश होता हुआ बोला- सच आपा?

उसने फ़ौरन से मेरी चुत में अपना लंड धकाधक पेलना शुरू कर दिया कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूं.

मैं आह आह करती हुई उसके कुंवारे लंड से अपनी चुत चुदाई का मज़ा लेती हुई बोली- तो बहुत किस्मत वाला है अफ़रोज़.

अफ़रोज़- क्यों आपा?

मैं- अरे यार, तू अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की, जिसकी चुत को तू जाने क़ब से चोदना चाहता था.

अफ़रोज़- हां आपा, मुझे तो अब भी यक़ीन नहीं आ रहा है. मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपनी आपा को उसी तरह से सपने में चोद रहा हूँ ... जैसे रोज़ आपको चोदता था.

फिर अफ़रोज़ ने मेरी एक चूची को मुँह में दबा लिया और लंड पेलते हुए मेरे दूध चूसने लगा.

लगातार दस मिनट तक भाई ने बहन को चोदा बेहतरीन अंदाज में! उसके धक्कों की रफ़्तार अभी भी कम नहीं हुई थी.

मैं भी काफ़ी दिनों के बाद किसी लंड से चुद रही थी इसलिए मैं भी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी.

वह एक पल रुका फिर लंड को मेरी चुत की गहराई तक पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा.

उसकी अकड़न बताने लगी थी कि अब वह झड़ने वाला था.

मैं भी सातवें आसमान पर पहुंच गयी थी और मैं अपनी टांगें पूरी तरह से फैला कर नीचे से अपनी गांड उठा-उठाकर अपने भाई के धक्कों का जवाब दे रही थी.

उसने मेरी चूची छोड़कर मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया जो कि मुझे चुदाई के समय हमेशा अच्छा लगता था.

अफ़रोज़ ने मुझे चूमते हुए कसकस कर दो चार धक्के दिए और और 'हाय आशना मेरी जान ...' कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया.

मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और 'हाय मेरे भाई राजा ...' कहती हुई झड़ गयी.

चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था.

हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे.

कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- क्यों मज़ा आया मेरे भैनचोद भाई को, अपनी बहन की चुत चोदने में?

उसका लंड अभी भी मेरी चुत में ही था. उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़कर अपने लंड को मेरी चुत पर कसकर दबा दिया.

वो बोला- बहुत मज़ा आया आपा. यक़ीन नहीं होता कि आज मैंने अपनी बहन को चोदा है ... और मैं भैनचोद बन गया हूँ.

मैं- तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी नहीं थी?

अफ़रोज़- आपा, यह बात नहीं है.

मैं- तो क्या तुझे अपनी बहन को चोदकर भैनचोद बनने का कोई अफ़सोस लग रहा है!

अफ़रोज़- नहीं आपा ये बात भी नहीं है, मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया भैनचोद बनने में ... मन तो कर रहा है कि बस अब सिर्फ़ अपनी आपा की जवानी का रस ही पीता रहूँ.

मैं- तो पीता रहना न मेरे भाई.. मुझे भी तो अपने भाई से चुदकर मजा आया है.

अफ़रोज़- हां आपा ... बल्कि मैं तो ये भी सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी. अगर एक दो और दी होतीं ... तो सबको चोद लेता. आपा मैं तो यह भी सोच रहा हूँ कि यह कैसे चुदाई हुई कि मैंने आपको पूरी तरह से चोद लिया ... लेकिन आपकी चुत देखी भी नहीं.

मैं- कोई बात नहीं राजा ... मज़ा तो पूरा लिया ना?

अफ़रोज़- हां आपा मज़ा तो ख़ूब आया.

मैं- तू घबराता क्यों है, अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है. अब मैं अपना सब कुछ तुझे दिखाऊंगी. जब तक अम्मी नहीं आतीं, मैं घर पर नंगी ही रहूंगी. तुझसे अपनी चुत भी चटवाऊंगी और तेरा लंड भी चूसूंगी. उसमें भी बहुत मज़ा आता है.

अफ़रोज़- सच आपा?

मैं- हां ... अच्छा एक बात बताऊं, तू इस बात का अफ़सोस ना कर कि तेरे पास सिर्फ़ एक ही बहन है. मैं तेरे लिए और चुत का जुगाड़ भी कर दूंगी.

अफ़रोज़- नहीं आपा, अपनी बहन को चोदने में मज़ा ही अनोखा आता है ... बाहर की चुत चोदने में क्या मज़ा आएगा?

मैं- अच्छा चल एक काम कर तू अम्मी को चोद लेना और मादरचोद भी बन जा.

अफ़रोज़- ओह आपा ये कैसे होगा?

मैं- घबरा मत, इसका पूरा इंतज़ाम मैं कर दूंगी. अम्मी अभी 38 साल की ही तो है ... तुझे मादरचोद बनने में भी बड़ा मज़ा आएगा.

अफ़रोज़- हाय आपा, आप कितनी अच्छी हैं. आपा एक बार अभी और चोदने दो न. इस बार आपको पूरी नंगी करके चोदूंगा.

मैं- जी नहीं राजा साहब अब आप मुझे माफ़ कीजिए.

अफ़रोज़- आपा प्लीज़ सिर्फ़ एक बार और मजा दो ना!

ये कह कर अफ़रोज़ ने अपने लंड को चुत पर अन्दर को दबा दिया.

मैंने ज़ोर देकर उससे पूछा- सिर्फ़ एक बार!

अफ़रोज़- हां सिर्फ़ एक बार आपा ... पक्का वादा.

मैं- सिर्फ़ एक बार करना है तो बिल्कुल नहीं.

अफ़रोज़- क्यों आपा?

अब तक उसका लंड मेरी चुत में अपना पूरा रस निचोड़कर बाहर आ गया था.

मैंने उसे झटके देते हुए कहा- अगर एक बार बोलूंगी ... तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे?

अफ़रोज़- हां आपा.

मैं- ठीक है, बाक़ी दिन क्या होगा. बस मेरी चूचियां और चुत देखकर मुठ मारा करेगा क्या! और मैं क्या बाहर से कोई लंड लाऊंगी अपने लिए! अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है, तो बिल्कुल नहीं.

उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ में आई, तो उसके लंड में थोड़ी जान आ गई और वो लंड को मेरी चुत पर रगड़ते हुए बोला- ओह आपा यू आर ग्रेट.

मैंने भी हंस कर उसे अपने मम्मों से चिपका लिया.

इसके बाद मैं और वो दोनों बाथरूम में गए और खुद को साफ़ करके कमरे में आ गए.

इस बार मैंने उसे 69 में लिटाया और हम दोनों ने एक दूसरे के लंड चुत चूसे.

कुछ पांच मिनट बाद मेरी चुत में खुजली मचने लगी और अफ़रोज़ का लंड भी फौलाद बन गया. दूसरी बार धकापेल चुदाई हुई और हम दोनों ने अम्मी के आने तक घर के हर कोने में चुदाई का मजा लिया.

अम्मी के वापस आ जाने के बाद मैंने अम्मी से कहा कि अफ़रोज़ सैट हो गया है. अब आपको घर में ही लंड मिलने लगेगा.

मेरी अम्मी जो कि मेरी राजदार थीं, इस बात को सुनकर खुश हो गईं और उस रात घर में जश्न हुआ.

अम्मी ने व्हिस्की की बोतल खोल कर चुदाई समारोह का आगाज किया और हम तीनों अम्मी बेटे और बेटी के बीच चुदाई का धुआंधार युद्ध हुआ.

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