दुबारा जवानी का अनुभव

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मैं उस के उरोजों के मध्य चुम्बन लेने लगा। रचना लंबें फोरप्ले के मुड़ में नहीं थी उस ने हाथ पीछे कर के ब्रा के हुक खोल कर उसे उतार दिया। उस के भरे उरोजों को देख कर मेरे होंठ सुख गये। फिर मेरे होंठ उन की घुंडियों को चुस कर उनका रस पीने लगे दूसरा हाथ दूसरे उरोज को मसल रहा था पुरे हाथ में उरोज समा नहीं रहा था, कसी ब्रा पहनने के कारण उस के उरोजों का साईज पता नही चलता था, मेरी तो निकल पड़ी थी उस को उरोजो को मसल कर उन्हें चुस कर मेरी जीभ उस की कमर पर आ गयी और उस की गहरी नाभी में गरम सांसे छोड़ने के बाद जाँघों के मघ्य जाने के लिये मचल गयी।

रास्ते में आये ट्रेक पेंट को हाथों नें नीचे कर दिया। कसी पेंटी के ऊपर से योनि का चुम्बन करने के बाद पेंट टाँगों से नीचे हो गयी फिर पेंटी का नंबर था वह भी उतर गयी। अब मैदान खाली था सो योनि की भंग को होंठों के बीच ले कर चुसना शुरु कर दिया। रचना आहहहहहहहह उहहहहहहहहहहह अईईईईईईईईईईई करने लगी फिर योनि के गुलाबी होंठों को अगुठें और ऊंगली से अलग करके जीभ अंदर का स्वाद लेने लगी। नमकीन और कसेला स्वाद अच्छा लग रहा था, रचना का शरीर झटके खाने लगा कुछ देर बाद में उस की जाँघों को चुमता हुआ उस के पंजों तक पहुँचा और दोनों पंजों की दसों ऊंगलियों को चुस कर वापस उस के चेहरे पर आ गया

अब मेरा इरादा उस के पिछवाड़े का निरीक्षण का था सो उसे पेट के बल लिटा कर उस की गरदन को जीभ से चाटता हुआ नीचे कुल्हों की दरार तक पहुँच गया, मेरे यहाँ पहुँचते ही रचना चिहुंक गयी मेरी जीभ उस की दरार को छुती हुई उस की योनि पर पहुँच कर रुक गयी और मैं उस का रस लेने लगा। दोनों के शरीर वासना की आग से जल रहे थे अब इस आग को बुझाने का समय आ गया था सो रचना को उलटा किया और अपने कपड़ें उतार कर उस की जाँघों के बीच बैठ गया।

मेरा लिंग जो इतने लंबें समय से इंतेमाल नही हुआ था आज अपने पुरे जलाल पर था, मैनें भी उसे आज से पहले इतना तना नहीं देखा था, उसे देख कर मन में बैठा डर गायब हो गया था। मैनें लिंग को हाथ से पकड़ कर रचना की योनि को दो-तीन बार सहलाया उसके बाद लिंग को योनि में डालने का प्रयास किया तो लिंग का सुपाड़ा अंदर चला गया, रचना कराहने लगी मैं थोड़ा थम गया फिर दूबारा जोर लगाया तो लिंग पुरा अंदर चला गया रचना ने आहहहह उहहहहहहहहहहहहहहहहह करना शुरु कर दिया। मैनें धीरे-धीरे धक्कें लगाने शुरु कर दिये। नीचे से रचना भी अपने कुल्हें उठा कर मेरा साथ दे रही थी। रचना की योनि कसी हुई थी मेरी पत्नी की प्रसव के बाद योनि धीली पड़ गयी थी। लेकिन यह तो कुँवारी चूत की तरह टाइट थी मेरे लंड़ को कस कर पकड़ा हुआ था। कुछ देर बाद मैनें करवट ली और रचना को ऊपर कर लिया। पहले तो वह युही पड़ी रही फिर उस ने चुतडो़ं को उठा कर वार करना शुरु कर दिया।

मैं उस के हिलते उरोजों की निप्पलों को चाटने लग गया। रचना की उत्तेजना बढ़ गयी और उस के धक्कों की गति भी बढ़ गयी। पांच मिनट बाद वह थक गयी और मेरी बगल में लेट गयी। कुछ क्षण रुकने के बाद मैनें बैठ कर उसे गोद में बिठा लिया उस के पांव मेरी कमर पर कस गये और हाथ मेरी पीठ पर कस गये उस ने कुल्हें उठा कर लिंग को अंदर ले लिया और मैं धक्के लगाने लगा, इस के कारण रचना का सारा शरीर हिल रहा था अब मैनें उस के उरोज को मुँह में ले कर चुसना शुरु कर दिया, उस के नाखुन मेरी पीठ के मांस में घंस गये। जब मुझे लगा कि मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ तो मैनें उसे उतार कर लिटा दिया और उस के ऊपर लेट कर जोर से धक्कें लगाने शुरु कर दिये, दर्द के कारण रचना अपनी गरदन इधर-उधर पटक रही थी। फिर अचानक मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और रचना की चीख निकल गयी। जब मुझे होश आया तो मैं रचना की बगल में लेट गया।

रचना भी गहरी सांसे ले रही थी, कुछ देर बाद हम दोनों की हालत थोड़ी सही हुई तो मैनें रचना से पुछा कि तुम चीखी क्यो थी? वह बोली कि अंदर एकदम आग सी लग गयी थी, मेरे लिंग में इतने समय के बाद वीर्य निकला था सो मुझे भी जलन का अनुभव हुआ था। रचना बोली कि क्या इसी वजह से तुम डर रहे थे, पुरे जानवर हो, सारा शरीर तोड़ के रख दिया है, पता नहीं कितनी देर लगी है, अंदर तो आग जल रही है, मैनें उसे अपने से चुपका कर कहा कि मैडम आप की वजह से यह सब हुआ है। वह मेरे से लिपट कर बोली कि तुम मुझे इतने दिनों से बेकार में तरसा रहे थे। मुझे लग रहा था कि तुम प्यार करने से डर रहे हो। मैनें कहा लंबी कहानी है कभी पुरी सुनाऊँगा। अभी तो मजा लो। आज मेरे मन पर लदा बौझ उतर गया था कि मैं सेक्स का आनंद नही ले सकता था। अगर पार्टनर तैयार हो तो आप सेक्स का पुरा मजा ले सकते है अगर पार्टनर तैयार नही है तो सेक्स का मजा नहीं लिया जा सकता।

मन में दूबारा आत्मविश्वास का जागना

रचना के पास से जब मैं चला तो मेरे मन में एक नया आत्मविश्वास आ गया था, मुझे जो डर इतने दिनों से सता रहा था वह दूर हो गया था। घर पहुँच कर मैं सामान्य बरताव करता रहा लेकिन मेरे मन में कुछ चल रहा था। उस को काम में लाने के लिये मैं तैयारी कर रहा था। यह मेरे अपने डर के ऊपर पार पाने की लड़ाई थी जो मुझे ही करनी थी और उस के लिये मुझे अपने मन में चल रही उलझन पर पार पाना था। रात को सोने से पहले में उस डर पर काबु पा चुका था। रात को जब मैं पत्नी के साथ सोने के लिये बेडरुम में घुसा दो मेरी पत्नी मुझे देख कर कुछ नहीं बोली लेकिन मैनें उस के चेहरे पर चमक देखी। मुझे नहीं पता था कि उस के मन में क्या चल रहा है लेकिन मुझे पता था कि मुझे आज क्या करना है। मैनें अपने कपड़ें बदले और बाक्सर पहन लिया यह सब भी मैनें पत्नी के सामने ही किया। वह निर्लिप्त भाव से मुझे कपड़ें बदलते देखती रही, मुझे ऐसा करते देखना उस के लिये कोई नयी चीज नहीं थी।

मैं लेट गया फिर पत्नी भी लाइट बंद करके लेट गयी, लेकिन उस ने इस से पहले दरवाजा बंद कर दिया था। बच्चें दूसरें कमरें में सो रहे थे। वह भी बेड के एक तरफ करवट ले कर सोने की कोशिश करने लगी। हम दोनों चुपचाप बेड पर अलग अलग पड़ें थे। कुछ देर बाद वह मेरे करीब खिसक कर दूसरी तरफ मुँह करके लेट गयी। कुछ देर बाद मैंने उस की पीठ की तरफ अपना मुँह किया और पीछे से उस से चिपक कर लेट गया, दूसरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। वह ऐसी ही लेटी रही। मेरे एक हाथ उस के ऊपर से उस के वक्ष स्थल पर पहुँच गया। वह चुपचाप लेटी रही। इस से मेरी हिम्मत बढ़ी और मैनें हाथ से उस के स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से सहलाना शुरु कर दिया, मुझे पता था कि वह रात को ब्रा उतार कर सोती है आज भी वही था ब्लाउज के अंदर ब्रा का अवरोध नहीं था। मेरे हाथ से उस के स्तन को कोई 6 महीने बाद सहलाया था। मेरे सहलाने की सिहरन से उस के निप्पल तन कर फुल गये थे और ब्लाउज के ऊपर से अलग से महसुस हो रहे थे।

मेरे हाथ उन को धीरे-धीरे सहलाते रहे। उन का साइज भी बढ़ रहा था। काफी देर ऐसा करने के बाद मेरा हाथ उस के पेट को सहलाने लगा, वह अभी भी कोई हरकत नहीं कर रही थी लेकिन उस के शरीर की सिहरन मैं महसुस कर सकता था, उस के शरीर का हर अंग मेरे हाथों को पता था। उस की नाभी की गहराई को ऊंगली से सहला कर मेरा हाथ उस की जाँघों की तरफ चल दिया। नीचे साड़ी थी, पेटीकोट था और हो सकता है उस के नीचे पेंटी भी हो लेकिन वह रात को पेंटी भी उतार कर सोती थी यह मुझे पता था। या तो वह बुरी तरह नाराज थी या वह इस सब का मजा ले रही थी यह मुझे पता नहीं चल रहा था, मैं उस के रिस्पोन्स की चिन्ता भी नहीं कर रहा था आज रात को मेरा उद्देश्य उसे अपनी मर्दागनी का सबुत देना था उस के व्यवहार की चिन्ता नहीं थी, कह सकते है कि मैं एक तरह से उस का बलत्कार करने की कोशिश कर रहा था।

मैनें धीरे से हाथ से साड़ी पेटीकोट के अंदर से निकाल कर अलग कर दी फिर पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, पत्नी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, इस से उत्साहित हो कर मैनें हाथ से पेटीकोट को कुल्हों से नीचे कर दिया। इस दौरान मेरा तना हुआ लिंग उस के कुल्हों की दरार में दबा जा रहा था। वह उसे महसुस कर रही थी। मेरे हाथ नें उस की योनि को हथेली से सहलाया वहां पर हल्के बाल थे फिर मेरी ऊंगलियों नें उस की भंग को हल्के से मसलना शुरु कर दिया। इस से उस के कुल्हों में हरकत हुई और वह मेरे लिंग से और सट गया। मैं अपने काम में लगा रहा, इस के बाद मेरी एक ऊंगली उस की योनि के होठों के मध्य घुस कर उस की मालिश करने लगी। ऊंगली ना तो योनि के अंदर जा रही थी, केवल बाहर से ही उसे ऊपर से नीचे सहला रही थी।

कुछ देर बाद मेरी ऊंगली को नमी का अहसास होने लगा। मेरी हरकत से उस के अंदर उत्तेजना भरती जा रही थी अब यह देखना था कि वह कब तक इसे काबु में रखती है और कब इस के आगे समर्पण करती है? इस के लिये मुझे ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ा उस ने अपनी गरदन मोड़ कर मेरे होंठ अपने होंठों में जोर से दबोच लिये। वह चुम्बन के लिये मरी जा रही थी, मैं भी उसे ज्यादा नहीं तड़फाना चाहता था सो मैनें उस के होंठों को अपने होंठों के मध्य ले लिया और हम दोनों एक-दूसरे को बेहतहासा चुमने लगे। आज कोई रुकना नहीं चाहता था, उस के मीठे लबों की मिठास को मेरे होंठ पी लेना चाहते थे यही हालत उस की भी थी। फिर उस की जीभ मेरे मुँह में घुस गयी मैं उस की जीभ को होंठों में दबा को चुसने लगा। मेरी पत्नी अब करवट लेकर मेरे सामने थी उस के हाथों नें मेरा चेहरा थाम रखा था और उस के होंठ पुरे चेहरे को चाट रहे थे।

कोई दस मिनट तक हम दोनों चुम्बन रत रहे फिर जब सांस फुल गयी तो अलग हुये। इतने महीनों के अलगाव की पूर्ति आज ही हो रही थी। मैनें उस की गरदन पर गहरें चुम्बन ले लिये। लव बाइट के कई निशान बन गये थे इस के बाद मेरा ध्यान उस के स्तनों पर गया और मैनें हाथ डाल कर उन को ब्लाउज से बाहर निकालना चाहा तो वह नहीं निकले, इतने महीनों में वह और कठोर हो गये थे, मैनें जोर लगाया तो ब्लाउज के हुक टुट गये। पत्नी ने कुछ नहीं कहा। शायद वह आज कुछ कहना या मुझे रोक कर नाराज नहीं करना चाहती थी क्या सच था यह तो वह ही जानती थी? अब एक हाथ से मैं स्तन को मसल रहा था तथा दूसरें को दांत से काट रहा था उस के मुँह से आहहहहहहह उहहहहहहहहहहह उहहहहहहहह निकल रही थी, लेकिन वह मुझे रोक नहीं रही थी। मेरा मन जो कर रहा था मैं कर रहा था, उस के स्तनों पर मेरी दांतों के निशान पड़ने लगे। उस की आहें बढ़ने लगी इस से मेरी उत्तेजना भी बढ़ने लगी।

इस के बाद मेरा ध्यान फिर से उस की योनि की तरफ गया और मैं ऊठ कर उस की योनि की तरफ बैठ कर उस की योनि को चाटने लगा। मेरी जीभ उस का स्वाद लेने के लिये मरी जा रही थी सो मैनें उस की योनि के होंठों को ऊंगली से अलग करके जीभ को अंदर डाल दिया। जीभ योनि की गहराई में ऊतर गयी। फिर वह उस का स्वाद लेने के लिये पुरी योनि को चाटने लगी। मैं ऊंगली से उस की भग को सहलाता रहा। तभी पत्नी नें मेरे नीचे आ कर मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया। उस ने उसे पहले तो चाटा इस के बाद उसे लालीपॉप की तरह चुसना शुरु कर दिया। मुझे पता था कि मैं अगर डिस्चार्ज हो गया तो फिर कितनी देर में दूबारा तनाव में आऊँगा यह पता नहीं था, यह खतरा मैं ऊठाना नहीं चाहता था सो उस के नीचे से निकल गया, उस नें भी लिंग मुँह से निकाल दिया।

मैं पीठ के बल लेटा ही था कि मेरी पत्नी मेरे ऊपर आ गयी और धीरे से बैठ गयी। उस की योनि मेरे लिंग को छु रही थी वह कुछ देर कुल्हें हिला कर मेरे लिंग को योनि से सहलाती रही, इस से मेरा लिंग और तन गया इस के बाद उस ने हाथ से पकड़ कर लिंग को योनि के मुँह पर लगा कर अपने कुल्हों को नीचे दबा कर उसे योनि में डाल लिया। अब मैनें नीचे से उछल कर लिंग को पुरा योनि में घुसेड़ दिया। पत्नी ने धीरे-धीरे कुल्हों को हिला कर ऊपर नीचे कर के लिंग को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। हम दोनों ही भुखे थे लेकिन आज कोई भी जल्दी बाजी नहीं दिखा रहा था, शायद दोनों नें ही अपने अपने सबक सीख लिये थे। उस के स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे मैं अपने होठों से उन के निप्पलों को चुम रहा था। काफी देर तक यही चला फिर थक कर पत्नी मेरे ऊपर से उतर कर बगल में लेट गयी।

अब मैं उस के ऊपर आ गया मैनें उस के दोनों पांव कंधे पर रख कर लिंग योनि में डाल दिया, 10 मिनट से ज्यादा होने के बावजूद लिंग का तनाव कम नहीं हुआ था। कुछ देर धक्कें लगाने के बाद मैनें उस के चेहरे पर दर्द के भाव देख कर उस की एक टांग नीचे कर के दूसरी को कंधें पर रख कर धक्कें लगाना जारी रखा। इस आसन में ज्यादा मजा नही आ रहा था सो उसे पेट के बल लिटा कर उस के कुल्हों को उठा कर घोड़ी बना कर पीछे से प्रवेश किया, पत्नी कराहने लगी लेकिन मैं धक्कें लगाने में लगा रहा, जब थक गया तो उस की बगल में लेट गया पीछे से लिंग उस की योनि में डाला और उस के कुल्हों पर जोर से धक्कें लगाना शुरु कर दिया हर धक्कें पर पत्नी के मुँह से कराह निकल रही थी मेरे हाथ उस की छातियों को दबा रहे थे मसल रहे थे मैं कुछ ज्यादा ही ताकत लगा रहा था शायद यह मेरे मन में जमें गुस्से के कारण था। 20 मिनट से ज्यादा हो चुके थे हम दोनों संभोग की गर्मी से पसीने से भीग गये थे।

मैं उस से कुछ देर के लिये अलग हो गया। मैनें उसे मिशनरी पोजिशन में करा और उस के अंदर घुस गया उस की टांगें मेरे कुल्हों पर कस गयी। इस का मतलब था कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी अब मैं भी चाहता था कि डिस्चार्ज हो जाऊँ इस लिये मैनें अपने धक्कों की गति बढ़ा दी। मेरा सारा शरीर एक रेखा में हो कर ऊपर नीचे हो रहा था फिर मेरा सारा शरीर अकड़ गया और मैं बड़े जोर से पत्नी के अंदर डिस्चार्ज हो गया। मेरा लिंग मेरे ही वीर्य की गरमी से जल सा गया पत्नी नें भी आह भरी और उस की गरदन इधर उधर होने लगी। मेरी सांस फुल गयी थी सो मैं उस से उतर कर उस की बगल में लेट गया। हम दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे। जब सांसें सामान्य हुई तो मैनें पत्नी की तरफ देखा तो वह मुझे ही देख रही थी।

उस की आंखों में आश्चर्य के भाव थे कि तुम्हारा यह रुप कहाँ था? मैनें उसे अपनी तरफ खींच कर अपने से सटा लिया उस ने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया। आज मैनें सोचा था कि उस से जबरदस्ती गुदा मैथुन करुँगा, लेकिन मैं उस के साथ ऐसा नहीं कर सका। मुझे इस का कोई अफसोस नहीं था वह मेरी पत्नी थी उस से ऐसा उस की मर्जी से ही करना चाहिये था।

थके होने के कारण हम दोनों कब सो गये पता ही नहीं चला। सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा कि वह मुझ से चिपक कर सो रही थी उस की एक टांग मेरी टांग पर रखी थी सोते हुये उस का चेहरा बहुत मासुम लग रहा था मुझे अपने पर शर्म आयी कि मैनें इतनी मासुम को परेशान किया था। हम दोनों के बीच रात के प्यार नें सभी गिले-शिकवे धो दिये थे। नीचे देखा तो लिंग महाराज सुबह के समय के तनाव पर थे सो मैनें पत्नी को पलटा और उस के पीछे से लिंग योनि में डाल दिया योनि रात की नमी से भरी थी वह कुनमनायी और कुल्हें हिला कर लिंग को अंदर लेने लगी। सुबह का संभोग ज्यादा देर नहीं चला लेकिन आनंद बहुत आया। इस के बाद वह भी जग गयी और बोली कि ऐसे ही पड़े रहो। मैनें उसे देखा तो वह बोली कि मुझे तुम्हें काटना है तुम ने रात को कितना काटा है कुछ तुम्हें भी तो दर्द होना चाहिये यह कह कर उस के दांत मेरे कंधे में गड़ गये। मुझे यह दर्द भी आज अच्छा लग रहा था। छुट्टी का दिन होने के कारण जल्दी उठने की समस्या नहीं थी लेकिन बच्चों के जग जाने का डर था सो दोनों उठ गये और कपड़ें पहनने लगे।

~~समाप्त~~

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