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Click hereमैंने उसे बांहों में उठाया और बेडरुम में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। वह बेड पर बैठ गयी और मुझे भी अपने पास बिठा लिया। हम दोनों कुछ देर तक एक-दूसरें के हाथों को थामें बैठे रहे।
ऐसे ही रात बिताने का इरादा है
रात तो अपनी है
हाँ सो तो है
कुछ पीना है
क्या है
सब कुछ जो कहो
बीयर पीते है
मैं फ्रीज से बीयर की बोतल और गिलास ले कर आ गया। दोनों ने कुछ ही देर में बोतल खाली कर दी। नशा अपना असर दिखा रहा था। वह बोली कि बेड पर कोई और चद्दर बिछा लो। मैंने यह सब पहले ही सोच रखा था सो अलमारी से चद्दर निकाल कर बिछा दी। इस के बाद हम दोनों बेड के किनारे पर बैठ गये। मैंने आगे बढ़ कर निशा के होंठों पर अपने प्यासे होंठ रख दिये। उस के होंठों की मिठास मेरे लबों नें महसुस करनी शुरु कर दी थी। हम दोनों ना जाने कितनी देर तक चुम्बन में डुबे रहे।
उस की बांहें मेरी गरदन के इर्द गिर्द कस गयी। निशा मेरे कान में फुसफुसाई की बड़ी रोमांटिक रात है। प्रेमी के घर पर उस के बिस्तर पर मैं बैठी हूँ। मैंने उसे आलिंगन में कस लिया, मुझे पता चला कि निशा ने काफी वजन कम किया है। मुझे इस बारें में कुछ पता नहीं था। आज से पहले मैंने उसे काफी दिनों से देखा भी नहीं था। तभी निशा बोली कि मैं मुँह धोने जा रही हूँ तुम भी कपड़ें बदल कर हाथ-मुँह धो लो, फिर सोते है।
मैं कपड़ें बदलने लगा और निशा वाशरुम में चली गयी। उस के बाहर आने के बाद मैं वाशरुम में घुसा। वहाँ जा कर मुझे कुछ ध्यान आया। हाथ-मुँह धोने के बाद कमरे में वापस आया तो निशा से पुछा कि तुम कोई कॉन्टरसेप्टिप लेती हो। वह बोली कि यह बात कैसे ध्यान में आयी तो मैंने उसे बताया कि अभी वाशरुम में ध्यान आयी है। वह बोली कि तुम इस की चिन्ता ना करो, मैं पिल्स लेती हूँ। पिछली बार मैं पिल्स पर नही थी इस लिये बैगलुरु से आते ही गर्भनिरोधक गोली लेनी पड़ी थी। महीना आने तक डर ही लगा रहा था। अब कोई डर नहीं है।
मैं तो कपड़ें उतार चुका था सिर्फ तोलिया लपेटे हुये था। निशा साड़ी में थी। उस ने नजरों से इशारा किया तो मैंने उस की साड़ी पकड़ कर खींच ली। साड़ी उस के बदन से अलग हो गयी। अब वह पेटीकोट और ब्लाउज में थी। वह पहले के मुकाबले काफी पतली हो गयी थी। छ महीने पहले वह मांसल बदन की मालकिन थी लेकिन अब वह सुघठित शरीर की स्वामिनी थी। खुब सेक्सी लग रही थी। मैंने झुक कर उस के ब्लाउज को पीछे से खोल दिया और उस की ब्रा का हुक भी हटा दिया। इस के बाद उस के पेटीकोट को पांव के नीचे खींच दिया।
अब वह बिना कपड़ों के थी। उस ने हाथ बढ़ा कर मेरी तोलिया खींच ली। अब मैं भी उस के सामने ब्रीफ में खड़ा था। वह उठी और मेरी ब्रीफ को नीचे खिसखा दिया। मेरा लिंग अपने पुरे शबाव में तन कर उस को सलामी दे रहा था। वह कुछ देर तक तो उसे हाथ से सहलाती रही फिर उस के सुपाड़ें पर चुम्बन दे कर बोली कि इस का इसकी दोस्त से मिलन करवायों वह बड़ी प्यासी है। मैंने कहा कि जल्दी क्या है मिलन तो होना ही है। मैंने उस के पांव बेड से नीचे किये और उन्हें खोल कर उन के बीच में बैठ गया।
मेरी आँखों के सामने उस की फुली हुई चिकनी योनि थी, मैंने उस के फलकों को अलग किया और उस के अंदर अपनी जीभ डाल दी। जीभ उस की योनि की गहराई में उतर गयी। कसैला स्वाद भी मजेदार लग रहा था। निशा ने आहहहहहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहहहहहहहह करना शुरु कर दिया। उत्तेजना के कारण उस का बदन कांप रहा था । उस ने मेरे बाल पकड़ कर मेरे सिर को अपनी योनि से चिपका दिया। निशा के पांव मेरी पीठ पर आ गये।
कुछ देर बाद मैं उठ कर उस के साथ बेड पर आ गया। हम दोनों 69की पोजिशन में एक-दूसरे का स्वाद लेते रहे। कुछ देर बाद मैं ने उठ कर उस के उरोजों को मसलना शुरु कर दिया। उस के हाथ मेरी छाती पर घुम रहे थे। वासना की आग हम दोनों के शरीर में भड़कती जा रही थी। अब उस का शमन होना जरुरी था। निशा का वजन कम होने के कारण उस के उरोज अब ज्यादा पुष्ट हो गये थे। ऐसा नहीं लग रहा था कि वह दो बच्चों की माँ के उरोज है। मैं उन के निप्पलों को चुस रहा था। निशा आह भर रही थी। उसे भी मजा आ रहा था। उस के उरोजों पर दांतों के निशान आने लगे।
उस के नाखुन मेरी पीठ पर अपनी छाप छोड़ रहे थे। हम दोनों पसीने से नहा गये थे। मैंने उसे उल्टा कर के उस के शरीर पर हर हि्स्से को चुमा और उस के पांवों की उँगलियों को मुँह में ले कर चुसा उस की ऊंचाईयों के बीच की गहराई को अपनी उंगली से सहलाया। निशा का सारा शरीर अकड़ रहा था। अब देर नहीं की जा सकती थी। मैंने उसे सीधा किया और उस के ऊपर लेट गया। उस ने अपनी बांहों से मुझे अपने से चिपका लिया।
उस के होंठ मेरे कंधें को काट रहे थे। मैंने कुल्हों को उठा कर लिंग को उस की योनि में डालने की कोशिश की तो वह फिसल गया। इस पर निशा ने अपने हाथ से लिंग को पकड़ कर योनि के मुँख पर रखा और मेरे जोर लगाने पर लिंग योनि में घुस गया। अंदर बहुत नमी थी। लिंग सरकता हूआ पुरा योनि में समा गया। ऊपर से निशा ने अपनी बांहों में मुझे अपने से चिपका रखा था और नीचे से मैं उस में समाया हुआ था कुछ देर मैं ऐसे ही लेटा रहा फिर कुल्हों को उठा कर धक्कें लगाने लगा। निशा भी अपने कुल्हों को उठा कर मेरा साथ दे रही थी। दोनों में युद्द सा छिड़ गया कि कौन किस को अपने अंदर समाता है। निशा ने अपनी योनि को कसना शुरु कर दिया मेरा लिंग उस की योनि में मथा सा जा रहा था। कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा। फिर मैं थक कर निशा की बगल में लेट गया।
निशा ने मेरे ऊपर आ कर कंमाड अपने हाथ में ले ली और अब उस के कुल्हें मेरे लिंग को अंदर समाने की जोर अजमाइश कर रहे थे। मेरे हाथ उस के कुल्हों पर कसे हुये थे। उस ने करवट ली और मैं उस के ऊपर आ गया। मेरी गति बढ़ गयी और निशा के कराहने की आवाज आने लगी। कमरा फच फच की आवाज से भर गया। बेड भी कराह रहा था। तभी निशा के पैर मेरी कमर पर कस गये वह स्खलित हो गयी थी। कुछ देर बाद मेरे लिंग के मुँह पर भी आग सी लग गयी। मैं भी स्खलित हो गया। हम दोनों के शरीर में लगी आग का शमन हो गया था। कुछ देर बाद हम दोनों एक-दूसरे की तरफ मुँह किये लेटे थे।
निशा बोली कि आज तुम ने सारी कमी पुरी कर दी है। मैंने निशा से पुछा कि तुम पतली कैसे हो गयी हो? वह बोली कि चलो तुम्हें पता तो चला, नहीं तो मुझे लग रहा था कि जिस के लिये यह सब किया है वह ही नहीं देख रहा है। मैंने उसे बताया कि मैंने महसुस तो कर लिया था लेकिन पुछा नहीं था। वह बोली कि वजन कुछ ज्यादा था तो उसे कम करके सही कर लिया है। आदमियों को तो मांसल औरते ही अच्छी लगती है। मैंने कहा कि मेरे लिये तो तुम जैसी हो अच्छी हो। वह बोली कि मुझे पता है लेकिन बढ़ती उम्र में वजन कम ही रहे तो सही है। मैंने सहमति में सर हिला दिया।
वह बोली कि आज तो तुम ने किसी फिल्म की तरह से सब कुछ किया है। मुझे छुपा कर यहाँ ला कर। मैंने कहा कि हाँ खतरनाक तो है लेकिन मिलन के लिये और कोई तरीका समझ ही नहीं आया। वह बोली कि दो दिन तक मजा करेगें। जब मन करेगा प्यार करेगे। मैंने कहा हाँ जब मन किया तब प्यार करेगें। वह बोली कि पड़ोसी शक तो नहीं करेगें? मैंने कहा कि कोई किसी के मतलब नहीं रखता है। तुम घर के बाहर नहीं निकलना और परदें नहीं खोलना। वह बोली हाँ यह सावधानी तो मैं रखुँगी।
मैंने उसे अपने से लिपटा लिया और हम दोनों नींद की अराधना में डुब गये।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो निशा को देख कर मेरा महाराज सुबह का सलाम देने लगा। मैंने निशा के पीछे से प्रवेश किया निशा कुनमुनाई, मैं पीछे से संभोग करता रहा। वह सोते सोते संभोग कर मजा उठाती रही। संभोग के बाद मेरी नींद फिर से लग गयी। दूबारा मेरी नींद निशा के मुझे उठाने से खुली। निशा ने मुझे उठा कर कहा कि अब उठ जाओ। मैं उठ कर बैठ गया। निशा मुझे देख कर बोली कि उठने का मन है या नहीं? मैंने कहा कि छुट्टी का दिन है जब मन करेगा तब उठेगे। निशा ने कहा कि बताओ किचन कहा है चाय बना कर लाती हूँ। मैंने कहा कि रुकों चाय पीने से पहले एक बार प्यार तो कर ले। मेरी बात से वह भी सहमत थी। मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों फिर से संभोग में डुब गये। दस मिनट बाद जब ज्वार उतर गया तो हम दोनों बेड से उतर गये।
दोनों ने कपड़ें पहन लिये। इस के बाद मैं किचन की तरफ चल दिया। निशा मेरे पीछे पीछे आ गयी। मैं किचन में चाय बनाने लगा और निशा मुझे देखती रही। चाय बना कर हम दोनों वही पर चाय पीने लग गये। चाय पीने के बाद दोनों के बदन में ताकत आ गयी और हम दोनों कमरे में वापस आ गये। निशा बोली कि आज दिन में क्या करने का विचार है? मैंने कहा कि पहले नहा लेते है रात को इतनी बार संभोग किया है कि सारा शरीर चिपचिपा हो रहा है। इस के बाद हम नाश्ता करते है फिर कुछ और करने का सोचते है। मेरी सुन कर निशा बोली कि यही सही रहेगा।
हम दोनों नित्यकर्म में लग गये। उस से निवृत हो कर नहाने चले गये। नहाने के बाद निशा नाश्ता बनाने चली गयी। मैं घर में सफाई करने लग गया। निशा ने नाश्ता लगा दिया तो हम दोनों नाश्ता करने बैठ गये। नाश्ता निशा नें बढ़िया बनाया था। नाश्ता कर के मन तृप्त हो गया। निशा खाना अच्छा बनाती है यह मुझे पता नहीं था। लेकिन आज यह भी पता चल गया।
निशा ने पुछ ही लिया कि नाश्ता कैसा बना है? मैंने उसे बताया कि नाश्ता बढ़िया बना है। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर संतोष झलक गया। वह बोली कि रात को कितनी बार प्यार किया है हमने? मैंने कहा कि सुबह तक तीन बार कर चुके है। वह बोली कि प्यार की प्यास बुझ ही नहीं रही है। मैंने कहा कि जो मौका मिला है उस का पुरा फायदा उठाना है। वह बोली कि इतना बड़ा खतरा उठाया है तो ऐसा करना तो बनता है।
नाश्ता करने के बाद निशा ने बेड पर पड़ी चद्दर धोने डाल दी। रात के खेल के कारण सारी चद्दर दाग से भर गयी थी। मैंने नई चद्दर निकाल कर बेड पर बिछा दी। वह बेड पर लेट गयी और बोली की सारा बदन टुट रहा है तुम ने दम निकाल दिया है। मैंने कहा कि इतने दिन बाद मिली थी रुका ही नहीं जाता है। वह बोली कि मुझ से कौन सा रुका जा रहा था। छह महीने बाद मौका मिला है। ऐसा कब तक चलेगा? उस के इस सवाल पर मैं चुप रहा तो वह बोली कि नाराज मत होना, मन है कि मानता ही नहीं है। मैंने कहा कि अपनी तो ऐसे ही चलेगी। संबंध को छुपा कर ही रखना पड़ेगा पता नहीं कब तक ऐसा कर पायेगे।
वह बोली हां यह तो है मैं तुम्हारें परिवार को कोई दर्द नहीं देना चाहती हूँ। मैंने खुद अपना परिवार ऐसे बर्बाद होते देखा है किसी और परिवार की बर्बादी का कलंक अपने सर नहीं ले सकती। अपने को ही दबा कर रखना होगा। यह मैं पहले से जानती हूँ। मैंने उस के कंधें थपथपा दिये। मुझे भी इस बारें में कुछ पता नहीं था। भविष्य के बारे में कोई कुछ नहीं बता सकता था।
दोपहर के खाने के बाद फिर से हम दोनों ने संभोग किया। शाम को उठ कर चाय पी और रात का खाना खाने के बाद हम दोनों सोने आ गये। रात को फिर से सनातन खेल शुरु हो गया। मुझे जितने आसन आते थे आज निशा के साथ सब आजमा लिये। तीन-चार बार संभोग करने के बाद ही हम नींद के आगोश में चले गये। सुबह उठ कर फिर से एक बार जोरदार सनातन खेल हुया। जब मन भर गया तब दोनों उठ कर नित्य के कामों में लग गये।
नाश्ते के समय निशा बोली कि मुझे छोड़ कर कैसे आयोगे? मैंने उसे बताया कि सुबह तो छोड़ना संभव नहीं होगा इस लिये सोचता हूँ कि रात को ही तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आऊँ। वह बोली कि मुझे तो छोड़ दोगें लेकिन रात को लेट आ कर सुबह ऑफिस कैसे जाओगे। मैंने कहा कि मैं काम चला लुगा लेकिन तुम्हें आज रात को ही तुम्हारें घर छोड़ कर आता हूँ वह बोली कि आज कहाँ छुपा कर ले जाने का विचार है मैंने कहा कि जैसे आयी थी वैसे ही जाना पड़ेगा। यह सुन कर वह बोली कि मेरी कमर का कचुमर पहले ही बना हुआ है, इस के बाद तो खड़ा होना भी मुश्किल होगा। मैंने कहा कि आज तुम्हें थोड़ी देर ही लेटना पड़ेगा। तुम नीचे की बजाए सीट पर ही लेट जाना। तुम्हारें ऊपर कंबल डाल दुंगा।
मेरा विचार निशा को समझ आ गया। दिन में भी हम दोनों नें अपने मन का करा और रात को अंधेरा होने पर मैंने कार के पीछे की सीट पर निशा को लिटा कर उस के ऊपर कंबल डाल कर घर से बाहर निकल गया। कुछ दूर जाने के बाद मैंने निशा को बैठ जाने को कहा। वह उठ कर बैठ गयी। उस के घर पहुँच कर उसे घर छोड़ कर मैं वापस अपने घर आ गया।
कुछ देर बाद निशा ने फोन करके पुछा कि पहुँच गये? मैंने उसे बताया कि मैं अभी पहुँचा हूँ वह बोली कि मैं तो सोने जा रही हूँ। सारे शरीर में दर्द हो रहा है, लगता नहीं है कि मैं कल ऑफिस जा पाऊंगी, मैंने कहा कि कल छुट्टी ले लेना। वह बोली कि मैं भी ऐसा ही सोच रही हूँ। सुबह बताती हूँ। तुम्हारा क्या हाल है? मैंने कहा कि मेरा भी तुम्हारें जैसा हाल है सोच रहा हूँ कि दर्द की गोली खा कर सोता हूँ। वह बोली कि मैं भी कोई पैनकिलर खा लेती हूँ। मैंने फोन काट दिया।
भविष्य में इस संबंध का गहराना
दोनों के संबंध ऐसे ही चोरी छिपे चल रहे थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि पत्नी को किस तरह से इस के बारे में बताया जाये। मुझे पता था कि इस संबंध को वह बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगी। वह क्या कदम उठायेगी मुझे पता नहीं था। मैं अपने परिवार को तबाह नहीं करना चाहता था लेकिन निशा को भी छोड़ना नहीं चाहता था। उस के साथ मेरा लगाव गहरा हो गया था। वह मेरे दूख-दर्द में शामिल थी और मैं उस के दूख-दर्द में शामिल रहता था।
जीवन ऐसे ही चल रहा था। हर दिन उस का मेरे जीवन में हिस्सा बढ़ता जा रहा था। हम दोनों के बीच का संबंध गहराता जा रहा था। उस की गहराई अब इतनी थी कि निशा को मैं अपने से अलग नही कर सकता था। वह अकेली जिन्दगी काट रही थी लेकिन उसे पता था कि वह अकेली नहीं है मैं हर पल उस के साथ हूँ।
समाप्त