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Click hereमैंने सीमा के पैर अपने कंघों पर रख कर जोर से धक्कें लगाने शुरु किये। मेरे हर धक्कें पर सीमा आहहहह उहहह करती थी। कुछ देर बाद मुझे लगा कि सीमा के पैर मेरी कमर पर कस गये। वह डिस्चार्ज हो गयी। अब मेरी बारी थी। कुछ देर बाद मेरे लंड़ पर आग सी लग गयी, मेरा गर्म वीर्य मेरे ही लंड़ को जला रहा था। सीमा की कसी चूत ने मेरे लंड़ कर मथ कर निचोड़ दिया और लंड़ सिकुड़ कर सीमा की चूत से बाहर निकल गया। मैं भी उस के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट गया।
हम दोनों की साँसे धौकंनी की तरह चल रही थी। कुछ देर बाद दोनों की सांस में सांस आयी तो मैंने सीमा को अपने से चिपका कर पुछा कि क्या हाल है? तो वह बोली कि आप ने साहब आज मेरे शरीर को तोड़ दिया है, मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं भोगा है। मेरी चूत का बाजा बज गया है। पता नहीं कल चल कैसे पाऊँगी। मैंने उसे चुम कर कहा कि चिन्ता नहीं करो सुबह तक सब सही हो जायेगा। वह मेरे से लिपट गयी और उस का मुँह मेरी छाती में छुप गया। अंदर का तुफान तो शान्त हो गया था लेकिन बाहर तुफान अपनी पुरी क्षमता से चल रहा था।
इतने जोरदार संभोग के कारण हम दोनों नींद में डूब गये। सुबह जा कर ही हम दोनों की आँखें एक साथ ही खुली। हम दोनों ने उठ कर अपने कपड़ें पहनें और फिर से रजाई में घुस गये।
*** समाप्त ***