वन नाइट स्टैंड

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अनु ने कहा कि लगता है कल वाला उपाय करना पड़ेगा। मैंने कहा, मैं तो कल सो गया था आप का क्या हुआ? तो जबाव मिला कि मुझे नींद बहुत देर बाद आयी थी। करवट ही बदलती रही रात भर। मैं बोतल निकालने चला गया। फिर दो पैग बना कर एक उन के हाथों में थमाया और दूसरा खुद ले कर दुसरी कुर्सी पर उन के पास ही बैठ गया। हम दोनों ही हाथ में गिलास ले कर बैठे थे लेकिन पी नहीं रहे थे। पता नही क्या कारण था? कुछ देर सन्नाटा छाया रहा फिर अनु ने इसे तोड़ा और बोला कि आज तो हम दोनों भी बच ही गये थे। मैंने कहा हाँ बाल-बाल बचे अगर वह ओट नहीं होती तो कुछ भी हो सकता था। मुझे इतनी बारिश का अंदेशा नही था अगर होता तो ट्रेकिंग कैंसिल कर देता।

अनु बोली कि आज आप के साथ जा कर मुझे तो बहुत बढ़िया लगा। जीवन का एक नया ही रुप देखने को मिला। मै तो खुश हूँ। मैंने कहा ऐसा क्या मिल गया जो इतनी खुश है? उन्होनें अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर कहा कि आप का साथ। मैं इस हरकत से अचकचा गया कुछ क्षण तक कुछ समझ नहीं आया। फिर लगा कि देखते है क्या करती है? उन के हाथ ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया था। मैंने उन की तरफ देखा तो वहाँ याचना थी। मैं असमंजस में था कि क्या करुँ? मैंने अपने गिलास वाले हाथ को उन के हाथ पर रख कर उन को आश्वस्त किया। मेरा संकेत उन तक पहुँच गया। वह अपने गिलास से सिप लेने लगी। मैं भी धीरे-धीरे सिप कर रहा था।

हमारा मिलन

तभी बाहर जोर से बिजली कड़की और जोरदार बारिश शुरु हो गयी। थोड़ी देर बाद बिजली भी चली गयी। कमरें में घनघोर अंधेरा हो गया। मोबाइल को हाथ लगाया तो थोड़ी रोशनी हुई लेकिन फिर वह भी बंद हो गया। अनु का हाथ फिर मेरे हाथ पर आ गया। बाहर बिजली बार-बार कड़क रही थी उस की जोरदार धमक कमरें में भी महसुस हो रही थी। हम दोनों चुप थे। मैंने गिलास खाली करके अंदाजे से सामने के मेज पर रख दिया।

आप ने खत्म कर दिया?

हाँ

इतनी जल्दी?

क्या करता?

दूसरा बना ले

आप लेगी?

हाँ, लेकिन पहले इसे खत्म कर लुँ

मैंने अपने दूसरे हाथ से उन के हाथ को सहलाया और हाथ को ऊपर ले जा कर कंधे को थपथपाया। कुर्सी खिसकाने की आवाज आयी लगा कि बात बिगड़ गयी है लेकिन दुसरे ही पल उन के बदन की महक नथुनों में पड़ी तो पता चला कि डर की कोई बात नहीं है। दोनों तरफ आग एक जैसी ही लगी है। उन्होंने शायद मुँह मेरी तरफ किया, मुझे उन की सांसे अपने चेहरे पर महसुस हुई।

फिर उन के होंठों की छुहन मेरे गाल पर हुई। अब तो मेरी हालत खराब थी, लगा कि आज तो कुछ जोरदार होने वाला था। मैं ऐसे किसी संबंध में विश्वास नही करता था लेकिन परिस्थितियां काबु से बाहर थी, फिर गिलास रखने की आवाज आयी और किसी ने अपने हाथों से मेरा चेहरा पकड़ लिया। गरम होंठ मेरे चेहरे पर आ कर मेरे होंठों से जुड़ गये। गर्म सांसें मेरे चेहरे पर बरस रही थी।

दोनों के होंठ जब एक दूसरे से मिले तो उन्होनें अपना स्थान ढुढ़ लिया और गहरे चुंबन में रत हो गये। मुझे लगा कि कहीं वह कुर्सी से ना गिर जाये तो उन के कंधों को पकड़ कर के उन्हें खड़ा कर लिया, अब तो उन की बाहें भी मेरी पीठ पर कस गयी। हम दोनों एक दूसरे से आलिंगनबद्द हो गये। होंठ हमारी भावनाओं का इजहार कर रहे थे।

तभी फिर से बाहर बिजली गिरी, अनु ने मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरे कानों में कहा कि मुझे छोड़ना नहीं। बाहर तुफान चल रहा था, यहाँ अंदर भी एक तुफान आने को था। मैंने उन के कान में कहा कि पैग की जरुरत है तो वह बोली कि बहुत है। मैंने उन को अलग करके मोबाइल की रोशनी में पैग बना कर दिया और एक अपने लिये भी बनाया।

हम दोनों इस बार बिस्तर पर बैठ कर पी रहे थे ताकि गिर ना जाये। कमरें में बिल्कुल अंधेरा था। कोई कुछ बोल नही रहा था। उन का खाली हाथ मेरी छाती को टटोलने लगा और शर्ट के ऊपर से ही निप्पलों को नाखुन से नोचने लगा। मेरे शरीर में इस से करंट सा दौड़ गया। अनु इस खेल में माहिर खिलाड़ी थी। मैं भी कहा पीछे रहने वाला था मेरे खाली हाथ नें शॅल के अंदर टटोलना शुरु किया तो पता चला कि कपड़ें के नीचे कोई अवरोध नही था, अनु ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी सो हाथ कसे हुऐ उरोजों को सहलाने लगा।

इस वजह से निप्पल भी कड़े हो कर लम्बें हो गये थे वह भी उंगलियों के बीच फंस गये। फिर हाथ नीचे कमर को सहलाता रहा और नाभी से नीचे जा कर जाँघों की गहराई में डुब गया। कराहने की आवाज मेरे कान में आने लगी। अभी पैग खत्म नहीं हुआ था। वह भी चल रहा था तथा दोनों एक-दूसरें के शरीर को भी सहला रहें थे। एक तो शराब की गर्मी उस पर शरीर में बढ़ रही वासना की गर्मी अब सहन नहीं हो रही थी। मैंने जल्दी से पैग गटका और गिलास जमीन पर रख दिया, अनु ने भी ऐसा ही किया।

अब हम दोनों बेड पर लेट गये थे। दोनों ने एक-दूसरे के कपड़ें उतार फैकें थे। अंधेरे में भी चुम्बनों का दौर चला फिर एक दूसरे के शरीरों पर होंठों की मोहर लगी। दोनों ही अनुभवी खिलाड़ी थे इस लिये खेल को अच्छी तरह से खेल रहे थे। मैंने होठों से उस के उरोजों को चुमा और नाभी में जीभ लगा कर उस की जाँघों के मध्य उतर गया, योनि पर नमी थी, होठों ने उसे चाट लिया। मैंने उंगली अंदर डाल कर अंदर-बाहर करना शुरु कर दिया। दूसरी तरफ से मेरे लिंग पर कसाव बढ़ गया और मुझे अपने मुँह की तरफ कर लिया गया।

अब हम 69 की पोजिशन में थे। मैं मुँह और उंगली से योनि को चख रहा था उसे अंदर से सहला रहा था, वह मुँह में लिंग को ले कर चुस रही थी फिर उस ने उसे पुरा निगल लिया। छहः इंच का मेरा लिंग पुरा मुँह में उतर गया और मैं कुल्हें ऊपर नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे लगा कि लिंग का तनाव कम हो गया है तो समझ आया कि मैं स्खलित हो गया हूँ लेकिन शरीर का तनाव कम नहीं हुआ था।

मैं उस की योनि को चुस कर उस के होंठों को खोल कर उस में अपनी जीभ डाल कर उसे चख रहा था। अनु ने अपनी टांगें मेरे सिर पर कस कर जकड़ ली। उस की उंगलियां मेरे कुल्हों के मांस में गड़ रही थी। दोनों के शरीर बुरी तरह से जल रहे थे बाहर बारिश बरस रही थी और कमरे के अंदर ज्वालामुखी धधक रहा था।

मुझ से अब रहा नहीं गया और मैंने पोजिशन बदल ली और उस की जाँघों के बीच बैठ कर लिंग जो अब फिर से पुरे तनाव पर था, का सुपारा हाथ से पकड़ कर योनि के मुख पर रख कर धकेला लेकिन लिंग फिसल गया। अनु ने नीचे से हाथ बढ़ा कर लिंग को योनि पर लगाया और जब मैंने धक्का दिया तो वह योनि में घुस गया। अंदर भरपुर नमी थी, कसावट इतनी थी की लिंग को डालने के लिये ताकत लगानी पडी। मैंने जोर से धक्का लगाया तो पुरा लिंग योनि मे चला गया मेरे अंडकोश उस की जाँघों से जा टकराये।

मैंने जोर जोर से लिंग को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। पहले तो मेरी गति धीमी थी फिर धीरे-धीरे तेज हो गयी। अब नीचे से अनु भी कुल्हें उठ कर मेरा साथ दे रहे थे। काफी देर तक धक्के लगाने के बाद मैंने उसे कस कर जकड़ा और करवट बदल ली अब अनु मेरे ऊपर थी और वह उचक-उचक कर कुल्हों से धक्के लगा रही थी। मैं उस के उरोजों को हाथों से मसल रहा था और होंठों से निप्पलों को चुस रहा था। बाहर के तुफान की आवाज ने हमारी हर आवाज को दबा दिया था।

एक बार फिर हम ने करवट बदली, इस बार मैं ऊपर आ गया। मैंने पहले एक पांव उठा कर अपने कंधे पर रखा फिर दूसरा भी उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। इस कारण योनि की कसावट और बढ़ गयी और मुझे ज्यादा ताकत लगानी पड़ रही थी। नीचे से कराहने की आवाज बढ़ गयी थी। अब यह गर्मी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। अचानक मेरी आँखों के आगे तारें झिलमिला गयें। मेरे लिंग के मुँह पर आग सी लग गयी। कई महीनों बाद मैंने संभोग किया था इस कारण वीर्य भरा हुआ था उस की गर्मी मैं महसुस कर रहा था, अनु भी अंट-संट बक रही थी।

मैं उस पर निढाल हो कर गिर गया। कुछ क्षणों तक ऐसे ही रहने के बाद मैं उठ कर उस की बगल में लेट गया। मेरी सांस बहुत जोर से चल रही थी दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थी। मैंने हाथ लगा कर पता किया तो उस की हालत भी मेरी जैसी ही थी उस की छातियां जोर जोर से उठ रही थी और गिर रही थी। हम दोनों कुछ बोल नही रहे थे। हाथ से उस के शरीर को टटोला और नीचे हाथ लगाया तो वहाँ पर बहुत चिपचिपा था योनि से अभी भी द्रव्य निकल रहा था अपने लिंग को टटोला तो वह भी चिपचिपा था और उस ने भी द्रव्य टपक रहा था। अंधेरे में कुछ कर भी नहीं सकता था। इस लिये ऐसे ही पड़ा रहा।

अचानक अनु पलटी और मुझे चुम कर मेरे सीने पर सर रख कर लेट गयी। सरक कर मेरे कान तक पहुँची और मुँह कान पर कर के बोली कि इस में भी उस्ताद हैं। मज़ा आ गया है। आज तक ऐसा आनंद नही मिला था। सारी जिन्दगी याद रहेगा। मैंने भी उस के होंठों पर मुहर लगा कर कहा कि यादगार रात है। ज्यादा कुछ कहने को नहीं था। थोड़ी देर ऐसे ही लेटने के बाद मैंने तय किया कि अब अनु को अपने कमरे में जाना चाहिये सो बेड से उठ कर मोबाइल की रोशनी में कपड़ें पहने, अनु को भी कपड़ें पहनने में मदद की। उस से पुछा कि किसी चीज की जरुरत तो नहीं है तो उन्होनें ना में सर हिलाया।

मैंने दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो बाहर जोरदार तुफान चल रहा था। बारिश हो रही थी, कॅरीडोर में सन्नाटा था, घनाघुपअंधेरा था। अनु ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा कि मुझे कमरे तक छोड़ कर आयों। मैंने दरवाजा बंद किया और उन का हाथ पकड़ कर अंधेरे में ही उन के कमरे तक पहुँचा, वह दरवाजे पर ताला लगा कर गयी थी। सो दरवाजा खोल कर उन के साथ अंदर गया फिर मोबाइल से सारे कमरे को देख कर अनु की तरफ देखा तो वह बाथरुम की तरफ चल दी।

मुझे समझ आया और मैं भी बाथरुम देखने चल दिया। वहाँ भी नजर मार कर मैं वापिस घुमा तो अनु ने पीछे से पकड़ कर कहा कि मत जाओ। मैंने उसे सामने कर के कहा कि जाना तो पड़ेगा। तुम सोने की कोशिश करों। यह कह कर मैं उसे किस करके वापिस चला आया। उस के दरवाजे के बंद होने के बाद ही मैं वहाँ से हटा फिर कमरे की तरफ लौट पड़ा।

कमरें में आकर रोशनी में सारा कमरा देखा कि कुछ रह तो नहीं गया है। इस के बाद लेट गया। सारा शरीर टुट रहा था संभोग में दोनों ने बहुत ताकत लगाई थी। मैंने तो शायद पहली बार इतना जोरदार सेक्स किया था। कुछ देर बाद मैं भी सो गया।

सुबह अलार्म ने उठाया, उठ कर देखा कि बिजली आ गयी थी। बारिश भी बंद हो गयी थी लेकिन ठंड़ बढ़ गयी थी। कपडे़ं बदल कर पहले अनु जी के कमरे का दरवाजा खटखटाया तो कुछ देर बाद दरवाजा खुला। मुझे देख कर वह बोली की इतनी जल्दी कैसे उठ गये आप? मैंने कहा आदत है, आप तैयार हो ले फिर सब को उठाते है तो वह बोली कि मेरा तो दर्द के कारण बुरा हाल है मैंने कहा कि पैदल चलने की आदत नही है इसी लिये ऐसा हो रहा है आप पेनकिलर ले ले आराम मिलेगा।

कुछ देर बाद हम दोनों से सब को जगाया तो सब ने यही कहा कि दर्द से बदन दुख रहा है। मैंने कहा कि पहले ही सब को बता दिया था कि ऐसा होगा, इस लिये अब जल्दी से उठ कर तैयार हो जायों। नाश्ता करके वापिस निकलना है। यह कह कर हम दोनों अपने कमरों की तरफ चल दिये। रास्ते में मैंने अनु से कहा कि चलिये आप को पेनकिलर देता हूँ आप को उसे खा कर आराम आ जायेगा।

अनु जी मेरे साथ कमरे में आयी, मैंने बैग से दवा निकाल कर एक गोली उन को दी और एक अपने मुँह में डाल ली फिर गिलास में पानी भर के उन को दे दिया। उन्होंने गिलास के पानी के साथ गोली निगल ली फिर मैंने उसी गिलास में पानी ले कर पी लिया। अनु जी ने मेरी तरफ घुर कर देखा तो मैंने आँख मार दी। वह मुस्करा पड़ी।

ऑफिस में वापसी

ऋषिकेश से निकलते निकलते 11 बज गये। रास्ते में हरिद्वार पड़ा तो सब लोग गंगा जी में नहाना चाहते थे इस लिये गंगा जी के तट पर रुक कर सब नें गंगा जी में स्नान किया और बोतलों में गंगा जल भर कर बस में लौटने के लिये बैठ गये। मैंने और अनु जी ने भी गंगा में स्नान किया था। ऑफिस पहुँचते-पहुँचने रात के 11 बज गये। कुछ लोगों को तो रास्ते में ही उतारते आये थे।

इस लिये कुछ ही लोग ऑफिस में उतरें, बस वाले का मैंने हिसाब किया और ऑफिस के अंदर पहुँचा तो अनु जी बड़ी चिन्तित नजर आयी जब कारण पुछा तो वह बोली कि पति को फोन कर के बता दिया था कि मैं पहुँच रही हूँ आप मुझे लेने आ जाना लेकिन अभी तक नहीं आये है। क्या करुँ? इतनी रात में कैसे घर जाऊँ? मैंने कहा कि चिन्ता की कोई बात नहीं है मैं आप को घर छोड़ देता हूँ वह बोली कि मेरा घर तो आपके रास्ते के उलटी तरफ है।

मैंने कहा कि हाँ है तो सही लेकिन आप को यहाँ अकेले भी तो नही छोड़ सकता इस लिये मैं कुछ देर से ही अपने घर पहुँच जाऊँगा। घर में बता देता हूँ वह मेरी तरफ देख के बोली कि मुझे बहुत बुरा लग रहा है। मैंने कहा कि पति को मैसेज कर दे कि मैं कुलीग के साथ आ रही हूँ ताकि वह यहाँ आ कर परेशान ना हो।

मैंने अपनी गाड़ी निकाली और उन का तथा अपना सामान कार की डिक्गी में रख कर उन से बैठने को कहा। रात के बारह बज रहे थे बड़े शहर तो सारी रात चलते है लेकिन दिन वाली बात तो नहीं रहती है। उन का घर भी काफी दूर था लेकिन मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था, या तो मैं उन के पति के इंतजार में ऑफिस में ही बैठा रहता और पता नहीं वह आते या नहीं आते।

रास्ते में एक सुनसान इलाके में अनु जी का हाथ मेरे हाथ पर आ गया और वह मेरी तरफ देखने लगी। मैंने कहा कि कुछ मत कहिये। लेकिन उन का हाथ वैसा ही पड़ा रहा। मेरा मन तो कर रहा था कि इस का कुछ जबाव दूं लेकिन गाड़ी ड्राइव करने के कारण मजबुर था। उन के घर पहुँच कर उन का सामान उतारा और चलने लगा तो वह बोली कि घर में अंदर तो आइयें। घर बिल्कुल खाली पड़ा है यह भी नहीं है शायद मैं उन का मतलब समझ गया और उन के साथ सामान उठा कर घर के अंदर चला गया।

वाकई में घर खाली था पति घर पर नहीं थे। मैंने पुछा कि कोई बात तो नही है वह बोली कि एक बार घर में नजर मार लेती हूँ वह थोड़ी देर में घर में घुम कर आयी और बोली कि शायद मेरे जाने के बाद वह घर पर आये ही नहीं है। मुझे यह सुन कर बड़ा अचरज हुआ मेरी हैरानी देख कर वह बोली कि क्या कहुँ? मैंने कहा कि आराम किजिये। मैं चलता हूँ यह कह कर मैं उन के घर से निकल गया।

मुझे लगा कि अगर मैं थोड़ी देर और रुका तो वह भावुक हो कर कुछ हरकत ना कर दे। काफी देर से घर पहुँचा। पत्नी ने पुछा तो उसे सब कुछ बता दिया वह बोली कि यह तो बड़ी अजीब बात है कि पति पीछे से घर पर ही नहीं आया है लगता है दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा होगा। मैंने कहा कि ऐसा तो कुछ अनु जी ने कभी बताया नहीं है। मै भी थका हुआ था, सो सोने चला गया।

दूसरे दिन हॉफ डे के बाद ऑफिस गया तो देखा कि अनु जी भी अभी आ रही है, मुझे देख कर बोली कि थकान की वजह से उठा ही नहीं गया। आधे से ज्यादा स्टाफ ने छुट्टी ले रखी थी। हमें इस बात का अंदाजा था सो मैनेज कर लिया। शाम की चाय के समय अनु जी मेरे रुम में आयी तो बोली कि कल तो आप को चाय, कॉफी भी ऑफर नही कर सकी। मैंने कहा कि आधी रात को किसी भी चीज की आवश्यकता नही थी सो अपने मन से यह मलाल निकाल दो। वह मेरी बात सुन कर मुस्करा दी।

मैंने पुछा कि पति आ गये या नहीं तो वह बोली की सुबह आये थे बोले की कहीं फंस गया था। मैंने ज्यादा नहीं पुछा। मेरी किसी की निजी जिन्दगी में ताँक-झाँक करने की आदत नहीं है। वह रुआंसी हो कर बोली कि मुझे लगता है मेरी मेरिज चल नही पायेगी। मैंने कहा कि इतनी जल्दी कोई फैसला करना अच्छा नही है।

वह बोली कि आप को कुछ पता नहीं है यह पहले ऐसे नहीं थे। जब से नया काम किया है तब से यार-दोस्तों के चक्कर में पड़ कर ऐसे हो गये है। मैंने समझाया कि उन के साथ बैठ कर इस पर बात करों या घर के बड़े बुढ़ों को बताओं। वह बोली कि इन के माता-पिता तो है नहीं सिर्फ मेरी मां है उन्हें मैं यह सब बता कर परेशान नहीं करना चाहती हूँ। फिर बोली कि देखती हूँ मुझ से कब तक बर्दाश्त होता है।

मै चुपचाप उन की बात सुनता रहा, मेरे पास उन को सांत्वना देने के लिये शब्द नहीं थे। फिर वह डबडबायी नजरों से मुझे देख कर बोली कि मुझे कभी आप की सहायता की जरुरत पड़ी तो आप दगा तो नहीं देगें? यह सवाल सुन कर मैं अचकचा गया और कुछ क्षण मौन रहने के बाद बोला कि ऐसा नहीं होगा जो मेरे वश में होगा अवश्य करुँगा, ऐसा आप विस्वास रखे। मेरी बात से उन के चेहरे पर चमक सी आ गयी। चाय पी कर वह रुम से चली गयी।

मैं अकेला बैठ कर सोचने लगा कि आगे क्या होगा? यह वन नाइट स्टेंड आगे जा कर क्या रुप धारण करेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन जो भी रुप लेगा वह कठिनाई अवश्य करेगा। देखते है और क्या कर सकते है इंतजार के सिवा।

अनु से दुबारा मिलना

समय बीत रहा था, तीन महीनें बाद अनु जी ने हमारी कंपनी ने इस्तीफा दे दिया मैंने कारण जानना चाहा तो उन्होंनें कुछ बताया नही। समय अपनी गति से चलता रहा। सात-आठ महीने बाद एक दिन अचानक मोबाइल पर अनु जी का नाम चमकने लगा फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आयी कि पहचाना मुझे? मैंने कहा कि अभी इतना समय नहीं गुजरा की किसी को भुला जा सके। यह सुन कर वह बोली कि यह सुन कर अच्छा लगा कि आप को मैं अभी तक याद हूँ मैंने कहा यह क्या बात हुई? कहाँ पर काम कर रही है। वह बोली कि काम तो दूसरी कंपनी में कर रही हूँ लेकिन आप से मिलना चाहती हूँ कब मिल सकते है? मैंने कहा कभी भी ऑफिस आ जाईये तो वह बोली कि ऑफिस नहीं कही बाहर। मैंने कहा शाम को 5 बजे के बाद जहाँ आप चाहे। वह बोली कि आज सेक्टर 17 में मिलते है। मै आप की गाड़ी पहचान लुंगी। यह कह कर फोन कट गया।

पांच बजे तक समय काटना मुश्किल हो गया। पांच बजे के बाद ऑफिस से निकल कर सेक्टर 17 के बाजार में पहुँच कर गाड़ी पार्क ही कर रहा था कि अनु जी आती दिखायी दी। उन में कोई बदलाव नही आया था। मैंने नमस्ते करी तो वह बोली कि किसी रेस्टारेंट में चल कर बैठते है। हम दोनों एक रेस्टोरेंट की दूसरी मंजिल पर एकान्त कोने में जा कर बैठ गये। मैंने पुछा कि क्या पियेगी? तो वह बोली कि कॉफी, दो कॉफी का ऑडर करके मैं उन की तरफ मुखातिब हुआ और पुछा कि क्या समाचार है तो वह बोली कि मैंने अपने पति से तलाक ले लिया है कुछ दिनों में मिल जायेगा। वह मुझे अपनी दो संपत्तियां भी दे रहे है। दोनों फ्लैट इसी शहर में है इस के बदले मैं उन से खर्चा नहीं लूंगी। मैं कुछ पल उन्हें देखता रहा फिर बोला कि मुझे लगा नहीं था कि आप इतनी बहादूर होगी? आपने सोचा है कि अकेले जीवन काटना कितना कठिन है भारतीय समाज में?

वह बोली कि सब कुछ सोच लिया है। ऐसे व्यक्ति के साथ जीवन नहीं गुजारा जा सकता जो पत्नी होते हुऐ वेश्याओं के पास जाता हो। घर में पड़ी बीवी से संबंध ना रखता हो, उसके साथ जीवन कैसे बिताया जा सकता है? मै चुप रहा। मैंने उन के हाथों पर अपने हाथ रख कर उन को आश्वस्थ किया। वह बोली कि सिर्फ आप को बताना था कि मैं अब इस संबंध से मुक्त होने वाली हूँ।

मैंने कहा मेरी किसी सहायता की आवश्यकता हो तो अवश्य बताना। वह बोली कि आप की जरुरत पड़ेगी इस लिये आप को पहले से चैता रही हूँ कि समय पर धोखा मत दे जाना। मैंने उन की आँखों में देखा, वहाँ नमी थी। मैंने पुछा कि बच्ची कहाँ है तो जबाव मिला की वह तो नानी के पास है। इस के बाद हम दोनों अपने अपने रास्ते चले गये।

दो महीने बाद अनु जी का फोन आया बोली कि अब मैं बिल्कुल आजाद हूँ आप को पार्टी देना चाहती हूँ। मैंने पुछा कहाँ आऊँ? तो वह बोली कि मेरे नये फ्लैट पर। आप को पता भेजती हूँ मैंने कहा कि शाम को ही आ पाऊँगा तो जवाब मिला की मैं भी तो नौकरी के बाद ही घर आऊँगी। हम दोनों यह सुन कर हँस दिये।

ऑफिस के बाद मैं अनु जी के दिये पते के अनुसार पहुँच गया। काफी हाई सोसायटी थी। गेट पर नंबर बता कर ऐंटी मिली, कार पार्क कर के दसवें माले पर लिफ्ट से पहुँचा। फ्लैट के आगे आ कर घंटी बजाई तो कुछ देर बाद दरवाजा खुला, अनु जी साड़ी में खड़ी थी, मैंने हाथ में लिया मिठाई का डिब्बा उन के हाथ में थमाया और नये घर की बधाई दी तो वह बोली कि अंदर तो आइये। मैं अंदर आ गया, बाई तरफ सोफे पड़े थे सो एक पर बैठ गया।

अनु जी दरवाजा बंद करके पानी लेने चली गयी। आयी तो लाया हुआ पानी का गिलास मुझे थमा कर बोली कि मुझे पता है आप को प्यास लगी होगी। मैंने पानी ले कर पी लिया। पानी पीने के बाद गिलास मेज पर रख कर बोला कि बढ़िया फ्लैट है। वह बोली कि चलिये आप को पुरा फ्लैट दिखाती हूँ। मैं उठ कर उन के साथ चल दिया। चार कमरों का फ्लैट था, बॉलकानी से शहर का बढ़िया नजारा दिखायी देता था। तीन बाथरुम किचन तथा स्टोर था।

बढ़िया फर्नीचर भी पड़ा हुआ था। सारा फ्लैट देखने के बाद फिर से ड्राइग रुम में जाने लगा तो अनु बोली की वहाँ अभी एसी नहीं लगा है आप बेड़रुम में बैठे। मुझे बेड़रुम में बिठा कर वह चली गयी। मैं वहाँ बैठ कर इधर-उधर देखता रहा। समझ नहीं आ रहा था कि मैं वहाँ क्या कर रहा था? एक औरत अभी-अभी तलाकशुदा हुई थी और मैं उस के बेडरुम में बैठा था। दिमाग में कुछ समझ नही आ रहा था कि मेरा रोल क्या है। अनु जी ने मुझे क्यों बुलाया है?

अनु के द्वारा प्यार का इजिहार

इस का जबाव कुछ देर बाद मिला जब अनु जी वापस आयी। वह अपने हाथ में चाय नाश्ते का सामान ले कर आयी थी। सामान को मेज पर रख कर वह मेरे सामने बैठ गयी। कुछ देर तक मुझे देखती रही फिर बोली कि आप यही सोच रहे है ना कि मैंने आप को यहाँ क्यों बुलाया है? मैंने सर हिलाया तो वह बोली कि आज मैं आप से वह कहना चाहती हूँ जो उस रात के बाद कहना चाहती थी, जो हम दोनों ने एक साथ बिताई थी। लेकिन कह नहीं पायी।

लेकिन आज मेरे मन पर कोई बोझ नहीं है। इस लिये उस बात को अब मैं अपने मन में नहीं रख सकती, आप से कहनी ही है। मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था। वह कुछ देर चुप रही फिर बोली कि मुझे आप से प्यार हो गया था, प्यार है। आप मुझे स्वीकार करें ना करें लेकिन मैं अपने मन के हाथों मजबुर हुँ आप के सिवा किसी और से अब प्यार नहीं कर सकती। आप की याद में सारी जिन्दगी यु ही बीता सकती हूँ।

मैं यह सुन कर हैरानी से उन्हें देखता रहा, फिर बोला कि मुझे लगता तो था कि आप बहुत बहादूर है लेकिन आज की बात से पक्का हो गयी कि आप बहुत बहादूर है। लेकिन आप को पता है मैं आप से प्यार करुँ या ना करुँ, यह कई बातों पर निर्भर करता है। मेरी परिस्थिति आप को पता है। फिर भी आप यह कह रही है। वह बोली कि आप से कब पुछा कि आप मुझे प्यार करते है या नहीं मैं तो अपने दिल का हाल बता रही थी।

आप के मन की आप जाने? मैंने जो कहना था कह दिया। अगर मैं तलाक नहीं लेती तो यह बात आप को कभी पता नही चलती। मैं इसे अपने मन में छुपा कर रखती। लेकिन अब मैं उस संबंध से आजाद हूँ तो नये संबंध में बंध सकती हूँ। आप से कुछ नही माँग रही हूँ केवल आप को अपनी फिलिंग बता रही हूँ आगे आप की मर्जी है आप मेरे साथ क्या करते है? मेरे लिये यह सब एकदम अचानक हो गया था। मुझे कुछ-कुछ अंदाजा तो था लेकिन पक्का नही था। इस लिये कोई फैसला नहीं किया था।

कुछ देर शान्ति छाई रही फिर मैं बोला कि प्यार के बदले प्यार ही मिलेगा। लेकिन उस में बंधन होगे। यह बात आप को हमेशा ध्यान में रखनी होगी। यह संबंध बड़ा कॉम्पलिकेटिड है। आग में चलना होगा, सोच लो? समाज में तानों के सिवा कुछ नही मिलेगा। जबाव मिला कि इतने महीनों में यही सब सोचा है। मेरे पास खोने के लिये कुछ नही है। पहली बार इतना दुलार, अपनत्व, लगाव आप से ही मिला है। नहीं तो जीवन नीरस बंजर जमीन की तरह था। मेरी तरफ से आप पर कोई बंधन नही है, आप अपनी जिन्दगी जीते रहे, केवल मन के एक कोने में मुझे भी जगह दे दे। मैं इतने में जी लुगी।

आप को चाहना मैं नही छोड़ सकती, आप को भुलाने के लिये मैंने आपकी कंपनी से नौकरी छोड़ी थी, कि शायद आप ने दूर रह कर आप को भुल पाऊँगी लेकिन ऐसा हो नही पाया और आप की चाहत मेरे दिल में और बढ़ गयी। पति की बेवफाई ने इसे और बढ़ा दिया था। आप की बात मान कर उन को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह ऐसे रास्ते पर चल पड़े है कि अब उन का लौट के आना मुमकिन नही है। शायद इसी लिये उन्होनें मुझे इतनी आसानी से तलाक दे दिया।

मैं उन की बातें चुपचाप सुनता रहा। जब वह चुप हुई तो मैंने कहा कि दिल पर किसी का जोर नहीं है सो कुछ किया नहीं जा सकता जब किस्मत नें हमें मिला दिया है तो आगे के सफर पर मिल कर चलते है। जो होगा सो देखा जायेगा। अब क्या करोगी? यह बताओ? कुछ खास नहीं नौकरी करती रहुँगी, बेटी को तो अपने पास रह नही सकती, मेरे नौकरी पर जाने के बाद पीछे उसे कौन देखेगा? मैंने फैसला किया है कि अभी तो वह नानी के पास रहेगी फिर मैं उसे बोर्डिग में डलवा दूँगी। वैसे पैसे कि लिये मुझे नौकरी करने की जरुरत नही है, दूसरी प्रोपर्टी से किराया आता है। लेकिन समय काटने के लिये नौकरी तो करनी ही पड़ेगी। सो मैं करती रहुँगी। आर्थिक रुप से अभी कोई समस्या नही है।