Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereउन के जाने के बाद अनु ने बताया कि मां कह रही थी कि तेरी बेटी को अब जा कर बाप मिला है। वह बोली कि कही मैंने कोई बड़ी जिम्मेदारी तो नहीं तुम पर डाल दी है। मैंने कहा कि बेटियां भी कही जिम्मेदारी होती है वह तो भगवान का वरदान होती है। मेरी बात सुन कर वह बोली कि तुम कितनी आसानी से बड़ी बात को छोटा कर देते हो। मैंने कहा कि इस का ऐडमिशन भी करा दो। वह बोली कि बात कर ली है एक दो दिन में हो जायेगा।
अनु मुझे काफी देर तक ऐसे ही देखती रही तो मैंने उस से कहा कि क्या देख रही हो कभी देखा नही है? तो वह बोली कि देख रही हूँ कि तुम मुझे पहले क्यों नही मिले। मैंने कहा कि जिसे जब मिलना होता है तभी मिलता है इसे लेकर क्यों परेशान हो तो वह बोली कि आज मेरी बेटी मेरे पास वापस आयी है तो तुम्हारें कारण नहीं तो पता नहीं कब तक मुझ से दुर रहती। मैंने कहा कि इन बच्चों के भाग्य का तो हम खा रहे है और इन्ही को अपने से दूर रखे, बड़ी गलत बात है।
उस की बाहें मेरी गरदन में लपट गयी और होंठ मेरे होंठो से मिल गये। जब उस का मन भर गया तो अलग हो कर बोली कि इनाम तो बनता था सो दे दिया। मैंने कहा कि बड़ा रुखासुखा इनाम था। वह बोली कि अभी तो यही मिल सकता है। जब मौका मिलेगा तो तर वाला भी मिल जायेगा। मैंने शैतानी से कहा कि अभी तो इसी से काम चला लेते है। वह मुझे मारने दौड़ी तो मैं भाग लिया।
ऐसे ही समय बीत रहा था अनु की बेटी यहाँ आ कर सब से धुलमिल गयी थी सो उस की चिन्ता खत्म हो गयी थी। हफ्तें में दिन बंधे हुऐ थे कि मुझे किस के साथ सोना है यह मैंने नहीं बल्कि दोनों ने मिल कर तय किया था। पत्नी को तो ज्यादा सेक्स करना नहीं था सो अनु के साथ जब भी सोता था तो वह रात मजेदार गुजरती थी। हम दोनों कोशिश करते थे कि हमारी सेक्स लाईफ रोमांचक हो तथा हम दोनों उस का भरपुर आनंद उठाये। कामसुत्र में दर्शाये आसनों को भी लगा कर देख लेते थे।
अनु के वैवाहिक जीवन के बारें में मैंने उससे ज्यादा नहीं पुछा था लेकिन मुझे लग रहा था कि उस का पति उस के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाता था। मुझे ऐसा लगा कि शायद वह समलिगीं था। लेकिन मैंने उस से यह पुछना उचित नहीं समझा। हम दोनों आपस के संबंधों को सहज तरीके से निभा रहे थे। समाज की कानाफुसियां चल रही थी लेकिन कोई मुँह पर कुछ नहीं कहता था, मुझे पहले भी समाज की चिन्ता नहीं थी अनु भी समाज की ज्यादा नहीं सोचती थी। मेरे संबंधियों नें कुछ इशारों में कहा तो पत्नी ने उस का कड़ा जबाव दे दिया सो वह बात आगे नहीं बढ़ी। हम तीनों और हमारे बच्चें मस्त थे। जीवन का आनंद ले रहे थे।
परिवार के साथ विदेश में छुट्टी मनाना
ऐसे में मैंने परिवार सहित मारिशस जाने का निर्णय किया। मुझे कंपनी की तरफ से कोई काम था। सो सोचा कि परिवार को भी ले चलते है। पत्नी से पुछा तो वह बोली कि चलते है अनु भी तैयार हो गयी मैंने उस से कहा कि वहाँ समुद्र तट पर बिकनी पहननी पड़ेगी तो वह बोली कि दीदी पहन लेगी तो मै भी पहन लुँगी। मैंने कहा कि यह तो गलत बात है वह बोली कि ऐसा ही है तुम भी तैयार रहना़।
सब लोग हफ्ते के लिये मारिशस पहुँच गये। पहले दिन तो मैं अपने काम में बिजी रहा। अनु सब को घुमाने चली गयी। दूसरे दिन सब लोग समुद्र तट पर गये। मुझे लगा कि बिकनी पहने की बात मजाक में ली गयी होगी लेकिन वहाँ जा कर पता चला कि दोनों नें अपने लिये बिकनी ली थी और वह उसे पहनने के लिये तैयार थी लेकिन शर्त यह थी कि मैं किसी की कोई फोटो नहीं खिचुंगा मैंने कहा कहा कि खिचुंगा लेकिन किसी को दिखाऊँगा नही।
बड़ी मुश्किल से दोनों तैयार हुयी फिर मैं भी टाईट स्वीमिग सुट पहन कर समुद्र के लिये तैयार हो गया। बच्चें एक तरफ खेल रहे थे जब दोनों बिकनी पहन कर आयी तो मेरे मुह से सीटी निकल गयी, अनु बोली कि कोई और छेड़े तो छेड़े हमारे तो यह ही काफी है छेड़ने के लिये। दोनों बड़ी हॉट लग रही थी जब पानी से बाहर आ रही थी तो मैंने उन की फोटो खिचीं। मेरे लिये तो दोनों को इस ड्रेस में देखना अलग ही अनुभव था। दोनों पानी मे आग लगा रही थी। कोई कह नहीं सकता था कि सारे दिन साड़ी में लिपटी ये दोनों इतनी हॉट है। मेरी तो निकल पड़ी दोनों इस का मजा ले रही थी।
अनु ने मेरी तरफ देख कर कहा कि दूर क्यों हो पानी में आयो। मैं तुम्हारी फोटो लेती हूँ दीदी के साथ फिर तुम मेरी खिचँना। मैं पानी में चला गया और पत्नी के साथ खड़ा हो कर पोज देने लगा। इस के बाद पत्नी ने मेरी और अनु के साथ फोटो खिचीं। सब ने खुब मस्ती कि और उस के बाद शाम को वापस होटल आ गये। होटल में आ कर दोनों फिर से साड़ी में आ गयी। रात को खाने के बाद मैं दिन में खिचीं फोटों देख रहा था तो पत्नी बोली की अनु तो बिल्कुल हिरोइन लग रही है। इस का यह रुप तो आज ही सामने आया है।
अनु यह सुन कर बोली कि दीदी मजाक मत बनाओ यही क्या कम है मजाक बनाने के लिये अब आप भी मजाक बनाने लगी तो मैं बोला कि गलत नहीं बोल रही है बिकनी में तो यार तुम बहुत ही हॉट लग रही हो मुझे तो अपने पर रश्क हो रहा है। अनु बोली कि दीदी भी तो हॉट लग रही है तुम्हारी तो निकल पड़ी है दो दो हॉट लड़कियों के साथ मौज कर रहे हो। मैं हँसने लगा। मैंने कहा कि कपड़े आदमी का व्यकत्तिव कैसे बदल देते है अब तुम अपनी फोटों साड़ी में देखो। साड़ी में फोटों देख कर दोनों बोली कि यह देखों कितनी बढ़िया फोटों आई है। मैंने कहा हां बहुत सुन्दर लग रही हो दोनों।
अनु को मैं कभी ध्यान से देखता ही नहीं था उस के साथ मन मिलने के बाद उस के शरीर को ध्यान से देखने की जरुरत ही नहीं लगती थी लेकिन आज लगा कि यह भी उस का एक पक्ष है। पत्नी भी समझती सब थी लेकिन कहती नहीं थी मुझे लगा कि दोनों की सुन्दरता को सराहना भी जरुरी है। मैंने मन में तय किया की दोनों की सराहना किया करुँगा। मारिशस का टूर इस दृष्टि से बढ़िया रहा कि हम लोगों ने अपने एक अलग ही रुप को देखा था जो कभी सामने आता ही नहीं था।
अनु ने रात को सोते में मुझ से कहा कि तुम हम में हर बार कुछ नया ही ढुढ़ लेते हो। मैंने कहा कि यह तो है जब भी कही बाहर जातें है तो अपने बारें में कुछ नया ही पता चलता है। रोज की दिनचर्या में कुछ साफ नहीं देख पाते है। इस लिये साल में कम से कम एक बार घुमने जरुर जाना चाहिये यह अपने आप को खोजने की यात्रा भी हो सकती है। वह बोली कि सही कह रहे हो। फिर हम दोनों प्यार करने में लग गये, आज अनु बहुत मेहरबान थी क्योकि मैंने आज उसकी बहुत प्रशंसा की थी। दोनों समागम का मजा लेते रहे। फिर थक कर सो गये।
सुबह पत्नी बोली कि यह इतना मख्खन इस लिये तो नहीं लग रहा कि रोज मौज मारी जाये। मैंने कहा कि यार प्रशांसा करो तो उस में भी शक करती हो, सोचोगी तो एक पत्नी की तरह ही ना, अनु बोली कि दीदी कुछ गलत नहीं कह रही है बाहर जा कर तो तुम अलग ही हो जाते हो। वैसे अच्छा है कुछ नया ही रुप सामने आता है। मैं उन की इस बात को कोई जवाब देना नहीं चाहता था इस लिये चुप रहा। पत्नी बोली कि यह कह तो सही रहे है बाहर आ कर हम सब अलग ही रुप में आ जाते है, अच्छा है अपने एक नये पक्ष से हमारा परिचय होता है। अपनी एक नयी पहचान सामने आती है।
पत्नी अनु से बोली कि ऐसा आदमी कहीं देखा ही कि अपनी बीवी को ध्यान से ही ना देखे। यह ऐसे ही है। अनु बोली कि ऐसा ही तो आदमी चाहिये था जो मन से जुड़ा हो तन से नहीं। यह ऐसे ही है मैं तो इस बात से खुश हुँ। पत्नी बोली कि लेकिन अपनी चीज को कभी तो ध्यान से देखना ही चाहिये। मैंने कहा कि यार देख तो लिया है और अब आगे से ध्यान रखुँगा। मेरी बात पर दोनों बोली कि चलों तुम्हें अपनी गल्ती समझ तो आयी।
भारत वापस आ कर सब कुछ सामान्य चलने लगा। एक दिन रात को अनु बोली कि तुम से कुछ पुँछु तो बुरा तो नहीं मानोगे? मैंने कहा कि अब बुरा मानने की अवस्था से दूर आ गया हूँ। वह बोली कि तुम ने एक बार भी मेरे पिछले पति के बारे में नहीं पुछा, क्या बात है। मैंने उसे बताया कि मैं उस की निजी जिन्दगी में झाँकना नहीं चाहता था लेकिन अब तुम मेरी जिन्दगी हो तो पुछ सकता था लेकिन इस लिये कुछ नहीं पुछा कि तुम्हें दूख ना हो। एक और बात तुम्हारी मेरी जिन्दगी में इतने दूख आये है कि उन से लड़ने में ही सारा समय चला गया है। कभी रुक कर कुछ जानने का अवसर ही नहीं मिला।
तुम कुछ बताना चाहती हो तो बताओ? वह बोली कि तुम्हारी इसी बात ने तो मुझे तुम पर आशिक कर दिया था कि तुम सामने वाले को पुरी इज्जत देते हो। अनु ने बताया कि उस का पति शादी के कुछ समय तक तो उस से शारीरिक संबंध बनाता रहा लेकिन फिर उसे पता चला कि वह समलिंगी है और विपरीत लिंग में उसकी कोई रुचि नहीं है। शादी तो उस ने समाज के डर से करी थी। वह तो पहले महीने में ही मैं गर्भवती हो गयी नहीं तो बेटी का भी जन्म नहीं होता। मैंने तो असल सेक्स तुम्हारे साथ उस रात को ही किया था। इस लिये तुम मेरी नजरों में बस गये थे।
तुम से मिलने से पहले में सोचती थी कि मेरा क्या होगा? इस आदमी के साथ मैं कैसे जीवन बिताऊँगी। तुम से उस रात मिल कर मेरी यह चिन्ता खत्म हो गयी थी। मुझे समझ आ गया कि कोई मुझे मिल गया है जो मेरे मन और तन को समझ सकता है। चाहे मैं उसे पा पाऊँ या नहीं। लेकिन मेरी खोज तुम पर आ कर खत्म हो गयी। लेकिन जब तुम बीमार हो गये तो मुझे लगा कि मैं जिस को भी चाहती हूँ वह मेरे से छिन लिया जाता है। तभी तो मैं शर्मो-हया त्याग कर तुम्हारें घर पहुँच गयी थी।
तुम ने, दीदी ने मुझे स्वीकार करके मेरे जीवन को बचा लिया। तुम ने मेरी बेटी को अपना लिया मैं धन्य हो गयी हूँ। मैं उस की बातें ध्यान से सुनता रहा, मैं चाहता था कि वह आज अपने सारे दूख मुझे सुना दे। वह बोली कि तुम से प्यार पाने के बाद भी मैं अपनी बेटी की चिन्ता में मरी जाती थी। लेकिन तुम ने एक वाक्य में मेरी सारी चिन्ता दूर कर दी। तुम मुझे ध्यान से देखों या ना देखो, लेकिन मैं जानती हूँ कि तुम मेरे मन की बात जान जाते हो। मुझे और क्या चाहिये। मेरा पति मेरे सिवा और कुछ देखता ही नहीं है।
मेरी माँ मुझ से कह कर गयी थी की तुझे यह आदमी भाग्य के कारण मिला है इसे लोगों से बचा कर रखना, जो किसी और की बच्ची को अपना सकता है उसका दिल बहुत बड़ा है ऐसा व्यक्ति भाग्य से मिलता है। मुझे पता है तुम मुझे मेरे तन से नहीं मन से चाहते हो, अगर मेरी प्रशंसा ना भी करो तो चलेगा। मुझे पता है कि तुम्हारें दिल में तो मैं ही बसी हूँ। उस की यह बातें सुन कर मैं ने उसे गले से लगा लिया और कहा कि तुम जैसी हो मेरी हो और मैं जैसा हूँ तुम्हारा हूँ। वह मेरे कान में बोली कि तुम्हारें कितनें रुप है जो हम दोनों नहीं जानती है। मैंने कहा कि रोज तो तुम्हारें साथ रहता हूँ अगर तुम्हें नहीं पता तो और कौन जानेगा। वह बोली कि बातें मत बताओ, सही से जवाब दो।
अनु का बच्चे के लिये प्रयास
मैंने कहा कि कोई रुप नहीं है जैसी परिस्थिती होती है वैसा बन जाता हूँ। उस रात तुम्हारें साथ प्रेमी बन गया था। मारिशस में प्रशंसक था और यहाँ पति हूँ। यही मेरा परिचय है। अनु तुम्हारी आँखों के कारण कुछ देखने की इच्छा ही नहीं होती। वह मुझे मुक्का मार कर बोली कि जो बदमाशी करते हो वह क्या है। मैंने कहा कि वह तो होनी ही है। हम दोनो बिना सिर पैर की बातें करते रहे। अनु बोली कि मुझे एक बच्चा चाहिये। मैंने कहा कि इतने है तो। वह बोली कि मैं इतने दिनों से कोशिश कर रही हूँ लेकिन कन्सीव नही हो रही हूँ। मैंने कहा कि चल कर किसी डॉक्टर को दिखा लेते है। वह बोली कि तुम भी चलोगे। मैंने कहा कि दोनों चलेगे। क्या पता किस में खराबी निकल आये।
दूसरे दिन मैं और अनु एक परिचित डॉक्टर से मिलने गये। वह बोली कि अभी तो उम्र है कन्सिव हो जायेगा। मैं कुछ टेस्ट करवा लेती हूँ फिर बताती हूँ कि क्या करना है। घर पर आ कर पत्नी बोली कि डॉक्टर ने क्या कहा है तो मैंने उसे सब बता दिया। वह बोली कि यह काफी दिनों से चाह रही है कि गर्भवती हो जाये लेकिन हो नहीं रही है। अनु ने बताया कि कुछ टेस्ट करे है जब रिपोर्ट आयेगी तभी कुछ पता चलेगा। दो दिन बाद जब फिर से डॉक्टर के पास गये तो रिपोर्ट आ गयी थी।
वह बोली कि आप दोनों में कोई कमी नहीं मिली है। आप दोनों कुछ दिनों तक लगातार संभोग करों। हो सकता है इस दौरान गर्भ ठहर जाये। अनु से वह बोली कि आप चिन्ता मत करों, सब कुछ सही हो जायेगा। उस ने अनु के लिये कुछ दवाईयां लिख दी। हम दोनों घर आ गये। पत्नी को सारी बात बताई तो वह बोली कि मैंने तो इसे बताया था कि तुम पहले ही माँ बन चुकी हो। यह भी पहले बाप बन चुके है इस लिये चिन्ता की कोई बात नहीं है।
लेकिन इसे फिक्र हो रही थी। मैंने कहा कि डॉक्टर ने कहा है कि इसे चिन्ता से दूर रहना चाहिये। अनु बोली कि मैं सब समझती हूँ लेकिन मन नहीं मानता। मेरी इच्छा है कि इन से मेरे एक बच्चा तो कम से कम हो। उस की बात सुन कर पत्नी हँस कर बोली कि यह सब तेरे ही तो है। यह सुन कर अनु पत्नी का हाथ अपने हाथ में ले कर बोली कि दीदी सारे बच्चें मेरे ही है लेकिन मैं इन के वीर्य से अपने शरीर में इन के अंश को पालना-पोसना चाहती हूँ। दर्द झेलना चाहती हूँ। उस की यह बात सुन कर पत्नी हँस कर बोली कि तुम्हारी प्रेमिका तो आज पुरी प्रेम में पगी लग रही है। मैं इस की भावना समझती हूँ अपने पति के अंश को अपने गर्भ में पालना हर स्त्री का सपना होता है, ऐसा ही सपना इस का है इस में कोई गलत बात नहीं है। अभी तो यह गर्भ धारण कर सकती है।
मैं दोनों की बातें सुन कर हैरान था कि स्त्रियां अपने पुरुषों को लेकर कैसे विचार रखती है। मुझे चुप देख कर अनु बोली कि चुप क्यों हो। मैंने कहा कि आज मैंने महिलाओं का वह पक्ष देखा है जो हम पुरुषों से छुपा रहता है कि तुम हम से इतना प्रेम करती हो कि उस के लिये कष्ट भी पाने के लिये तैयार हो। अनु बोली कि मैं जब तक तुम्हारी पुर्ण रुप से नहीं हो पाऊँगी जब तक तुम्हारें बच्चें की माँ ना बन जाऊँ। हमारी बातें गम्भीर हो गयी थी। इस लिये पत्नी बोली कि आज के लिये इतना ही ज्ञान बहुत है।
आगे आने वाले कई महीने कठिन बीते लेकिन अंत में अनु गर्भवती हो गयी। नौ महीने बाद उस ने एक लड़के को जन्म दिया। इस अवसर पर उस की माँ हमारे साथ रहने आ गयी थी। बच्चे के जन्म के दो दिन बाद अनु अस्पताल से वापस घर आ गयी थी। घर में खुशी का माहौल था सारे बच्चें अपने नये भाई को लेकर बहुत उत्साहित थे।
अनु का मुझे मेरे बच्चे की माँ बनने का कारण बताना
एक दिन मैं शाम को अनु की माँ के साथ बैठा था तो वह बोली कि आप ने अनु को अपना कर मुझ पर बहुत अहसान किया है। मैंने उन्हें चौक कर देखा तो वह बोली कि मैं सोचती थी कि मेरी परी सी बिटिया की जिन्दगी खराब हो गयी है। अब कौन उसे स्वीकारेगा। लेकिन आप ने उसे स्वीकारा उस की बेटी को अपनाया और अब उसे माँ बना कर हमारे खानदान पर उपकार कर दिया है। उन की बात सुन कर मैंने उन से पुछा कि मांजी खानदान तो मेरा बढ़ा है आप पर कैसे उपकार हुआ? तो वह बोली कि बेटा आप के बच्चे को जन्म दे कर मेरी बेटी आज धन्य हो गयी है।
आज वह सच्चे अर्थों में तुम्हारें और अपने खानदान की हुई है नहीं तो पहले यह लगता था कि वह किसी की रखैल है। आज वह तुम्हारी सही अर्थो में पत्नी हो गयी है। तुम्हारें खानदान के चिराग की माँ बन कर। मैं उन की इस बात से चकित सा था। वह मेरी हालत देख कर बोली कि बेटा बुरा नहीं मानना किसी के साथ रहने से वह अपना तो हो जाता है लकिन कोई लड़की जब तक उस खानदान से नहीं जुड़ती जब तक वह तुम्हारें बच्चे की माँ नहीं बन जाती। मेरे नाती में मेरी बेटी और तुम्हारा अंश है अब वह पुरी तरह से तुम्हारी हो गयी है। मुझे अपने मन में समझ आया कि क्यों अनु बच्चे के लिये इतना लालायित थी। उस की माँ के तर्को को ना मानने का कोई तर्क मेरे पास नहीं था। यह सही था कि वह अब मेरे वंश में जुड़ गयी थी। उस का खुन मेरे वंश के साथ मिल गया था। किसी पुरुष के बच्चें की माँ कहलाना भी उस से अभिन्न रुप से जुड़ना ही तो है।
रात को यह बात मैंने पत्नी को बतायी तो वह बोली कि बात तो सही है तुम किसी के साथ रह सकते हो, शारीरिक संबंध बना सकते हो लेकिन यह बंधन अटुट तभी होता है जब कोई नया जीव आता है। वह दोनों का अंश होता है उस के साथ यह बंधन कभी ना टूटने वाला बन जाता है। मैं उस की व्याख्या सुन कर हैरान था। इस पहलु के बारें मे पहले मैंने कभी सोचा नहीं था। चालीस दिन के बाद जब मैं अनु के साथ सोने गया तो मैंने उसे यह बात बतायी तो वह बोली कि तुम पुरुष कभी भी हम महिलाओं का मन नहीं समझ सकते।
मैं बोला कि यह पहलु कभी मेरे सामने आया ही नहीं था। तुम्हारी इच्छा का मैं आदर करता था और समझता था कि माँ बनना हर स्त्री का अधिकार है। लेकिन यह पहलु कभी सोचा नहीं था। वह बोली कि मैं तो बस तुम्हारें अंश को पाल कर जन्म देना चाहती थी। अब में सही अर्थ में तुम्हारी हो गयी हूँ। मैंने उसे चुमा और कहा कि अनु तुम मेरी हो। वह बोली कि मैं तो बहुत पहले से तुम्हारी हूँ आज तुम मेरे हो गये हो। मेरे बेटे के रुप में। मैंने तुम्हें अपने पेट में नौ महीने पाला है। तुम मेरे मैं और मैं तुम में मिल गये है। हमारा बेटा हम दोनों का रुप है।
हमारा परिवार पुरा हो गया था। हम अपना समय अच्छे से काट रहे थे। समाज के ताने भी सह रहे थे लेकिन फिर भी खुश थे। बच्चें बड़े हो रहे थे। हमारी उम्र भी बढ़ रही थी। आदमी को और क्या चाहिये। चुनौतियां तो आती जाती रहती है।
समाप्त