साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ

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राज ने कहा, "वह बात तो ठीक है, पर शादी के कुछ सालों बाद पति या पत्नी को कोई कोई बार कहीं न कहीं, कभी न कभी विवाहेतर यानी शादी के बाहर सेक्स करने का मन होता है। कई बार जब मौक़ा मिलता है तो वह इसे आजमा भी लेते हैं। सही तो यह होता है की ऐसा होने से पहले पति पत्नी एक दूसरे से मिलकर इस बारे में बात करें। पर हकीकत में ऐसा होता नहीं है। हम एक दूसरे से बात करने में झिझकते हैं। और अगर बात कर ली तो पति अथवा पत्नी एतराज करते हैं, नाराज हो जाते हैं। इस लिए अक्सर ऐसी बातें चोरी छुपी हो जाती हैं।" इतना कह कर राज चुप होगया। वह जानना चाहता था की कुमुद पर उसकी बातों का क्या असर पड़ता है। राज ने कुमुद को देखा तो वह राज को बड़े ध्यान से सुन रही थी।

राज ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "यदि पति पत्नी में अच्छा खासा मेल है और एक दूसरे को प्रेम करते हैं, ध्यान रखते हैं तो समझदारी इसी में है की उस बात को ज्यादा तूल न दिया जाये और घर की बात घर में ही रहे। मैं ऐसे कई स्त्री और पुरुष को जानता हूँ जिनका एकाध बार या कुछ समय के लिए परपुरुष या परस्त्री से शारीरिक सम्बन्ध रहा था या कुछ कुछ किस्से में थोड़ा लंबा भी चला। जहां इसको एक आवेग के रूप में समझा जाय और एक दूसरे के साथ एडजस्ट कर लिया जाय वहाँ शादी अच्छी चलती है। जहां कोई ज्यादा आक्रामक रवैया दिखाता है वहाँ दिक्कत हो सकती है। आखिर में आदमी अपनी बीबी के पास और औरत अपने पति के पास ही वापस आते हैं। अपनी पत्नी के साथ ही वह सही आनंद पाते हैं। तो अगर ऐसा कुछ होता है तो ऐसी परिस्थी को शान्ति से सहजता और समझदारी से ही निपटना चाहिए। मैं तो कहता हूँ की ऐसा सहमति से हो तो अच्छा है। बल्कि मैं तो कहता हूँ की अगर ऐसा होता है तो दूसरे पार्टनर को भी इसका फायदा उठाना चाहिए।"

कुमुद ने राज की और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखते हुए पूछा, "फायदा? कैसा फायदा? क्या मतलब है तुम्हारा राज?"

राज ने सकुचाते हुए कहा, " अगर ऐसे मामले में पति और पत्नी ऐसे आवेग को सकारात्मक नजरिये से देखें और एक दूसरे को सहयोग दें तो इसमें मजा भी आ सकता है। देखो कुमुद मैं खरी खरी बात कहता हूँ। अगर कमल रानी से सेक्स करने के लिए उत्सुक है और अगर रानी भी कमल से चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है और अगर मौका मिलता है और कमल उसे चोदता है तो हमें उसको नजर अंदाज करना चाहिए। अगर तुम्हें पता चले की कमल रानी को चोद कर आया है तो उससे सवाल जवाब मत करो और ऐसा दिखाओ जैसे तुम उस बात को जानती ही नहीं हो या फिर उस बातको हंसी मजाक में उड़ादो। कमल को पता भी चले की तुम जानती हो पर उसे सीरियसली नहीं लेती तो इससे वह तुम्हारी इज्जत करेगा और एक तरह की गुनाह किया है ऐसी फीलिंग उसे होगी।"

राज ने यह सब बोल तो दिया पर वह डर रहा था की कहीं कुमुद इस बात से नाराज ना हो जाए। कुमुद की प्रतिक्रया जानने के लिए वह रुका। पर कुमुद के चेहरे पर कोई नकारात्मक भाव न देखते ही राज ने फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "अगर कमल तुमसे कहे की उसने रानी को चोदा है तो तुम उस बात को हंसकर उड़ा दो। मैं भी तो उस बात को ज्यादा तूल नहीं दूंगा और मेरी बीबी रानी से लड़ाई झगड़ा नहीं करूँगा। पर हाँ, तुम कमल भैया को और मैं रानी को यह जरूर अच्छी तरह समझा देंगे की अगर हम लोग भी कभी ऐसा कुछ करते हैं तो कमल भैया को और रानी को बुरा नहीं मानना चाहिए। और फिर अगर तुम्हारा मन करे तो तुम भी कोई पर पुरुष से कभी कभार आनंद ले सकती हो।"

कुमुद ने कुछ शर्माते हुए पूछा, "अब मैं तुम्हारा मतलब समझी। तुम भैया का बहाना लेकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो। राज साफ़ साफ़ बोलो तुम क्या चाहते हो।"

राज ने शर्माते हुए कहा, "मैं अपने मुंह से क्या बोलूं?" राज ने फिर हलके से अपना हाथ कुमुद की कमर पर घुमाया और कुमुद को अपनी और खींचा। कुमुद कुछ पलों तक राज से नजर से नजर मिलाकर देखती रही। फिर कुमुद धीरे से खिसक कर राज के पास आयी तो राज ने अपनी लम्बी बाहों में कुमुद को लपेट लिया और उसे उठा कर अपनी गोद में बिठा कर उसके मुंह पर अपना मुंह रखा। कुमुद ने राज की आँखों से आँखें मिलाकर उसे सरसरी नजर से देखा और बोली, "यह क्या कर रहे हो राज? ऐसा मत करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।"

कुमुद की बात सुनते ही राज को जैसे बिच्छु काटा हो ऐसा झटका लगा। वह एकदम गंभीर हो गया और धीरे से कुमुद से थोड़ा हट कर बैठ गया। उसकी उम्मीदों पर कुमुद ने ठंडा पानी फेर दिया था। जब कुमुद ने राज के चेहरे का भाव देखा तो उस बड़ा दुःख हुआ की उसने राज जैसे सीधे सादे आदमी को क्यों दुखी कर दिया। स्त्री सहज सहानुभूति और करुणा के कारण कुमुद से रहा नहीं गया और वो बोली, "ओ मेरे राज्जा, दुखी हो गए क्या? अपनी गर्ल फ्रेंड से नाराज हो?"

राज ने कुमुद की और देखा पर कुछ ना बोला। कुमुद ने पूछा, "क्या बात है, मुंह क्यों छोटा हो गया?"

राज: "मैं क्यों नाराज होऊं? मेरा आप पर कोई अधिकार थोड़े ही है? मैं यह सोचकर बहक गया था की आपने मुझे अधिकार दिया है। पर मैं ग़लतफ़हमी में था। खैर मुझे मेरी इस हरकत के लिए माफ़ करना। आगे से में ऐसा नहीं करूंगा।" ऐसा बोलते ही राज की आँखें झलझला उठीं। आँखों में पानी आ गया और राज का गला रुँध गया। वह कुछ बोल नहीं पा।

कुमुद का मन पिघल उठा। उसने राज का हाथ अपने हाथों में लिया तो राज ने हाथ वापस खिंच लिया। कुमुद ने महसूस किया की राज वाकई में बहुत दुखी हो गया था। कुमुद धीरे से उठी और राज का मुंह अपने हाथों में लेकर राज की गोद मैं जा बैठी और अपने होंठ राज के होंठ से मिला दिए। कुमुद को अपनी गोद में पाते ही राज मुस्कराया और उसने कुमुद की पीठ को हलके से सहलाना शुरू किया। फ़ौरन दोनों ही एक गहरे पाश में बांध गए। कुमुद ने फिर धीरे से राज के कानों में कहा, "राज आई एम् सॉरी। मुझे माफ़ करदो।"

राज ने कहा, "पहले धक्का मारकर दूर करती हो फिर माफ़ी मांगती हो?"

उस सुनसान नदी के किनारे काफी लम्बे समय तक दोनोँ एक दूसरे के होंठों का रस पान करते रहे। उनकी गरम गरम साँसों की तेज धड़कन के अलावा दूर से गरबा की धुन की आवाज सुनाई दे रही थी। चुम्बन करते हुए राज का हाथ कुमुद की पीठ को सेहला रहा था। धीरे धीरे उसने कुमुद की ब्लाउज के पीछे के बटनों को जब टटोलना शुरू किया तो कुमुद राज से थोड़ा सा अलग हो कर बोली, "राज, यह तुम क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा।"

राज ने कुमुद को और करीब से कस के पकड़ा और बोला, "यहां कोई भी नहीं है। मैं कितने दिनों से यह करने की लगन लगाकर इंतजार कर रहा हूँ। अब रहा नहीं जाता।" ऐसा कह कर राज ने कस कर कुमुद को अपनी बाहों में लिया और उसे पूरी ताकत और जोश से चुंबन करने में लग गया। उसका एक हाथ कुमुद को जकड़े हुए था और दुसरा हाथ कुमुद की पीठ को सहलाता हुआ कुमुद की कमर के निचे उसकी गांड के फुले हुए गालों को दबा रहा था।

कुमुद की सांस थम गयी। जब वह थोड़ी देर तक सांस न ले पायी तो थोड़ा सा अलग होकर उसने गहरी साँसे ली और फिर राज और कुमुद दुबारा बाहु पाश में बंध गए और फिर एक गहरे चुम्बन में उलझ गए। राज कुमुद के कभी ऊपर के तो कभी निचे के होँठ को बारी बारी से चूस रहा था। पहले तो कुमुद राज को सक्रीय साथ देनेमें झिझक रही थी, पर जब उसने देखा की राज मानने वाला नहीं है तो उसने अपने होठोँ को राज के होठोँ से चिपका दिया और राज के होठोँ को चूमने और चूसने लगी।

कुछ देर बाद कुमुद राज से अपना मुंह हटा कर बोली, "राज, तुम जितने भोले दीखते हो उतने हो नहीं। तुम्हारे भैया तो जैसे हैं वैसे ही दीखते हैं। पर तुम तो छुपी कटार हो। खैर तुम बात सही कर रहे हो।

कमल पहले से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सुअल है। मैं उसका स्वभाव जान गयी हूँ। मैं जानती हूँ की उसने शादी के पहले और शायद शादी के बाद भी कई औरतों को अपने चंगुल में फंसाया होगा और शायद चोदा भी होगा। पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और बात वहाँ ही ख़तम हो गयी और हमारा संसार ठीक चलता रहा। पर अब तो बात रानी की आ गयी। इसी लिए मैं थोड़ी ज्यादा दुखी हो गयी थी। पर तुमने ठीक कहा। जहर जहर को मारता है। पर राज, यह बात चुभती है की मैं जिसे अपनी छोटी बहन मानती हूँ वही मेरे पति के साथ ऐश करना, सॉरी मेरे पति से चुदवाना चाहती है। बोलो मैं क्या करूँ? मैं जानती हूँ कमल नहीं सुधरेगा। या तो मैं कमल को छोड़ दूँ, या फिर उसकी यह आवारा गर्दी बर्दाश्त करूँ। मेरी समझ नहीं आता मैं क्या करूँ?"

राज: "मेरे पास इसका सटीक इलाज है। मैं सच सच बताऊँ, तुमको क्या करना चाहिए? पर तुम मेरी बात नहीं मानोगी। वचन दो की मेरी बात मानोगी।"

कुमुद:, "क्यों नहीं मानूंगी? मैं वचन देती हूँ, की मैं तुम्हारी बात मानूंगी।"

राज: "तो फिर तुमने अभी कहा ना? जहर जहर को मरता है। अगर तुम समझती हो की रानी और कमल तुम्हें जहर देरहे हैं तो तुम भी उनको जहर पिलाओ। "

कुमुद:, "क्या मतलब? साफ़ साफ़ कहो, तुम क्या कहना कहते हो।"

राज: "तो आओ, जो खेल रानी और कमल खेलते हैं, वही खेल हम खेलें।"

कुमुद ने राज की और देखा और हंस पड़ी और बोली, "अच्छा मियाँ? तुम अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो?"

राज" "जहर जहर को मारता है। देखो मैं तुम्हें कोई तरह से भटका नहीं रहा। मैं मानता हूँ घर की बात घर में ही रहे तो अच्छा है। क्यों तुम इस जिद पर अड़ी हो की तुम ऐसा नहीं होने देगी? अगर मान भी लिया जाय की कमल रानी को चोदता है तो फिर भी रानी बीबी तो मेरी ही रहेगी. कमल फिर भी तुम्हारा पति ही रहेगा। जैसे ही तुम दोनों यहाँ से गए की बात खतम। अब तुम बात का बतंगड़ ना बनाओ यही मेरी तुम से बिनती है।"

कुमुद एकदम सोच में ड़ूब गयी। थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, "शायद तुम ठीक ही कह रहे हो। मुझे इस बात को स्वीकार करना चाहिए। धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। मुझे अब कमल से कोई शिकायत नहीं करनी है। अगर वह रानी से सेक्स भी करता है तो मैं उसे ज्यादा तूल ना देनेकी कोशिश करुँगी। अब मैं चाहती हूँ की कमल और मैं हम दोनों पहले की तरह ही अपना जीवन बिताएं। मेरा मतलब है पहले की तरह ही सेक्स करें और एक दूसरे को शक की नजर से ना देखें। चलो घर चलते हैं। वहीं जा कर एक दूसरे से साफ़ साफ़ बात करते हैं।"

यह कह कर कुमुद ने राज की बांह पकड़ी और अपना सर उसकी बांह से सटाकर चुपचाप बैठ गयी। राज ने भी कुमुद की पीठ सहलाते हुए कुमुद को थोड़ी देर ले लिए बेंच पर शान्ति से बैठ कर चिंतन करने का मौक़ा दिया। ऐसे ही कुछ मिनट बीत गए तब कुमुद उठ खड़ी हुई और राज का हाथ पकड़ कर बोली, "चलो घर चलते हैं। "

राज कुमुद की बात सुनकर दुखी हो गया। वह कुमुद से कुछ देर और प्यार जताना चाहता था। राज का दिमाग कुमुद के इतने करीब बैठने से चकरा रहा था। उसके हाथ कुमुद की छाती पर सैर करने के लिए बेताब हो रहे थे। पतलून में राज का लण्ड भी कड़क हो चुका था। पर राज जानता था की अगर उसने जल्द बाजी की तो थोड़ी बहुत नरम पड़ी हुई कुमुद कहीं फिर से अपना तेवर बदल ना दे। कही बनी बनाई बात पर पानी ना फिर जाय।

राज ने एक नजर कुमुद की और देखा और अपने मन का दुःख अपनी आँखों से जाहिर करने की कोशिश की। शायद कुमुद भी राज के मन की बात समझ गयी थी। कुमुद ने धीरे से राज का हाथ दबाया और शायद धीरज रखने का इशारा किया।

धीरे से राज उठ खड़ा हुआ और आगे बढ़कर उसने एक ऑटो रिक्शा रोका। राज ऑटो रिक्शा में कुमुद से एकदम सटकर बैठा और कुमुद का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे प्यार से सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद राज ने कुमुद की कमर के इर्दगिर्द अपना हाथ घुमा कर उसे अपने सीने से दबा लिया। कुमुद भी अपना सर राज के सीने पर रख कर अपने मन के तरंगों में खो गयी।

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2 Comments
junamjunamover 2 years ago

The details and plot development is very engrossing. Thank you for sharing this story.

rajNsunitaluv2explorerajNsunitaluv2explorealmost 5 years ago
Very erotic and very interesting

Loved the plot and the way story has progressed. One of the most satisfying wife swapping story we have ever read. Looking forward to more such stories.

Raj Sunita

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