साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ

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तब कमल ने कहा, "तो फिर सुनो रानी, प्लीज मेरी एक बात मानलो। तुम मुझे कमल भैया कह कर मत बुलाओ। भाई बहन के सम्बन्ध में एक मर्यादा होती है। जब हम सेक्स के बारेमें बात करते हैं तो हमने वह मर्यादा पार कर ली है। हमारा सम्बन्ध भाई बहन, भाई भाभी की सीमाओं को लाँघ कर कहीं आगे बढ़ चुका है। राज मुझे भले ही भाई कहे, तुम मुझे भाई या भैया मत कहना। तुम मुझे सिर्फ कमल कह कर बुलाना। मैं तुम्हें सिर्फ रानी कह कर बुलाऊंगा। ठीक है? तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?

रानी तो वैसे ही राज को कमल कह कर ही अपने पति से चुदवाती थी। उसने फ़ौरन कहा, "नहीं, मुझे कोई एतराज नहीं। अब मैं तुम्हें कमल भैया नहीं, कमल कह कर ही बुलाऊंगी और तुम तो मुझे रानी कह कर बुला ही रहे हो।"

कमल: "और दूसरी बात: अब मैं साधारणतया अश्लील माने जाने वाले शब्द जैसे चूत, लण्ड, चोदना इत्यादि शब्दों का प्रयोग करूंगा क्यूंकि जो मैं बताने जा रहा हूँ उस बात में यही शब्द सही लगते है। और मैं चाहता हूँ की अब तुम भी सारी औपचारिकता छोड़ कर मुझसे भी इसी शब्दों का प्रयोग कर के बात करो। क्या ऐसा कर सकोगी?"

रानी असमंजस में पड़ गयी। थोड़ा रुकने के बाद रानी बोली, " मैं और राज, हम पति पत्नी तो ऐसे स्पष्ट शब्दों में ही बात करते हैं। भला आप के साथ मैं ऐसे शब्द कैसे प्रयोग कर सकती हूँ? पर जब आप कहते हैं की बात समझने और समझाने के लिए यह जरुरी है तो फिर ठीक है। मुझे ऐसे शब्द सुनने में कोई आपत्ति नहीं है और अगर आपको कोई हर्ज नहीं है तो फिर ऐसा ही सही। मैं भी वही शब्द इस्तेमाल करने की कोशिश करुँगी।"

कमल: :फिर वही आप? मुझे तुम कहो; आप नहीं। यह बहुत जरुरी है।"

रानी: "ठीक है ठीक है यह भी मान लिया बस? कमल अब मैं भी तुमसे साफ़ साफ़ बात करुँगी और स्पष्ट अश्लील कहे जाने वाले शब्दों का ही प्रयोग करने की पूरी कोशिश करुँगी। तुम भी बुरा मत मानना।"

जब कमल ने रानी से यह सूना तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ा। फिर अपने आपको सम्हालते हुए बोला, "रानी तो सुनो, अब मैं तुम्हें सारी बात स्पष्ट और खुल्लम खुल्ले शब्दों में बताने जा रहा हूँ। सच बात यह है की मेरा लण्ड बड़ा और मोटा है। जब की कुमुद की चूत का छिद्र छोटा है। इस कारण मैं जब कुमुद को चोदता हूँ तो उसे तकलीफ होती है। मुझे भी कुमुद को तकलीफ होती है तो अच्छा नहीं लगता। दुसरा शादी के इतने सालों के बाद हम दोनों को शायद एक दूसरे को चोदने में उतना मझा नहीं आता। इसलिए मैं कुमुद को चोदते हुए कोई और औरत की अपने मन ही मन में कल्पना करता रहता था। ऐसा करने से मुझे बड़ा आनंद मिलता था और मैं और कुमुद हम दोनों ही खुश रहते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था।"

कमल थोड़ी देर चुप रहा तो रानी ने सोचा की शायद फ़ोन का कनेक्शन कट गया था। उसने "हेलो, हेलो" बोला तो कमल ने कहा, "मैं लाइन पर ही हूँ।" तब रानी बोली, "तो कमल, इसमें चिंता की कौनसी बात है? अक्सर कई कपल एक दूसरे से सेक्स करते समय, सॉरी यार, चोदते समय किसी और का नाम लेकर या उनको चोदते हैं ऐसा सोच कर आनन्द लेते हैं। इसमें झगड़े की बात क्या है?" (रानी कैसे बताती की वह खुद भी ऐसा ही कर रही थी?)

कमल की आवाज थोड़ी गंभीर हो गयी। कमल ने कहा, "पर सुनो तो सही। सारी समस्या तो अब आएगी। एक रात मैं और कुमुद हम दोनों बड़े अच्छे मूड में थे और कुमुद भी चुदवाने के लिए बड़ी बेबाक हो रही थी। मैं कुमुद को उसके ऊपर चढ़ कर चोदने लगा। कुमुद भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। अचानक जोश ही जोश में मेरे मुंह से तुम्हारा नाम निकल गया। मैंने मेरी बीबी से पूछा, "रानी डार्लिंग, कैसा लग रहा है? तकलीफ तो नहीं हो रही है ना? ऐसे ही कुछ बोल गया।"

कमल की बात सुन कर कुछ पलों के लिए रानी फ़ोन पर ही स्तंभित हो गयी। उसने सोचा की कमल शायद बोलने में गड़बड़ कर गया। उसने पूछा, "क्या कहा? कमल, तुम ने किसका नाम लिया?"

कमल ने जवाब में कहा, "तूम ने मुझे वचन दिया है की तुम गुस्सा नहीं करोगी, तो मैं तुन्हें कह रहा हूँ की अक्सर मैं तुम्हारे बारे में ही सोचता था और कल्पना करता था की मैं कुमुद को नहीं तुम्हें चोद रहा हूँ। जब कुमुद ने तुम्हारा नाम सूना तो मुझ पर आग बबूला हो गयी और दहाड़ कर बोली, 'यह रानी बिच में कहाँ से आ गयी? क्या तुम्हारे रानी के साथ कुछ शारीरक सम्बन्ध है, या फिर तुम मुझे रानी सोच कर चोद रहे हो?" मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था। मैं चुप रहा। बस तब से ही मेरी बीबी कुमुद मुझसे बात नहीं करती और मुझे रात को अपने पास फटकने नहीं देती। अब तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ? रानी प्लीज, मेरी गलती के लिए मुझे माफ़ करना और मुझसे सम्बन्ध मत तोड़ना।"

कमल की बात सुनकर राज की बीबी रानी के पॉंव के निचेसे तो जैसे जमीन ही खिसक गयी। कमल अपनी बीबी कुमुद को रानी समझ कर चोद रहा था यह सुनकर रानी एकदम गरम भी हो गयी। रानी ने महसूस किया की कमल की बात सुनकर उसकी चूत से पानी रिस ने लगा था। रानी खुद अपने पति राज को कमल कह कर उनसे चुदवा रही थी तो उधर कमल अपनी बीबी कुमुद को रानी समझ कर चोद रहा था। रानी ने नहीं सोचा था की ऐसा भी कुछ हो सकता है। पर जब वह खुद ही दोषी थी तो रानी कमल को कैसे दोष दे सकती थी? रानी के पास इसका कोई जवाब नहीं था। इसका मतलब साफ़ था की रानी और कमल एक दूसरे को चोदना चाहते थे।

काफी समय तक रानी एकदम चुप रही। उधर कमल परेशान हो रहा था की कहीं रानी ने फ़ोन काट तो नहीं दिया। कमल ने फ़ोन पर "हेलो, हेलो" कहा तो रानी ने कहा, "मैं सुन रही हूँ।"

कमल ने कहा, "देखो रानी मुझसे यह बड़ी गलती हो गयी। पर अब तुम्ही उसे सुधार सकती हो। प्लीज तुम मुझसे सम्बन्ध मत काटना। तुमने पहले ही वचन दिया है।"

रानी ने दबे हुए स्वर में कमल से कहा, "यह तो गजब हो गया। अब तो आप दोनों के बिच में मैं आ गयी। बात बड़ी गंभीर हो गयी है। मुझे थोड़ा सोचने का वक्त चाहिए। अब बुरा क्या मानें? जो होना था सो तो हो ही गया। सम्बन्ध तोड़ने की तो कोई बात ही नहीं है, पर यह क्या हो गया?"

कमल ने कहा, "तुम ना सिर्फ औरत के मनको बल्कि पुरुषके मनके भावों को भी अच्छी तरह समझती हो। इसीलिए तो इस बारेमें मैंने तुमसे बात करना ठीक समझा, और जो मेरे मनमें था तुम्हें साफ़ साफ़ बता दिया। अगर तुम्हें अच्छा नहीं लगा तो मैं वचन देता हूँ की आगे कभी ऐसा नहीं करूंगा। मैंने तुमसे यह सारी बातें इसलिए की क्यूंकि मैंने तुम्हारे जैसी समझदार और परिपक्व औरत नहीं देखि। मैंने महसूस किया है की तुम रिश्तों की बारीकियों को भली भाँती समझती हो।"

राज की बीबी रानी कमल के मुंह से अपनी भूरी भूरी प्रशंशा सुन कर कुछ सकुचाई और बोली, "वह तो सब ठीक है पर कमल, तुम ने तो एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी। खैर, जो होना था सो हो गया। सोचना यह है की इसे ठीक कैसे किया जाए। अब मेरे ख़याल से इसका एक ही इलाज है की मैं और राज इसके बारे में कुमुद से शान्ति से बात करें। पर फ़ोन पर नहीं। हमें आमने सामने बात करनी पड़ेगी। अगर तुम और कुमुद हमारे यहां अहमदाबाद आ सको तो अच्छा रहेगा। अब कुछ ही दिनों में नवरात्र का पर्व आ रहा है। अगर आप उन दिनों में आओ तो हम साथ में गरबा का मजा भी ले सकते हैं।"

कमल ने कहा, "अगर मैं कुमुद से कहूंगा तो पता नहीं, कुमुद मेरी बात मानेगी या नहीं। अगर राज कुमुद से बात करेगा तो ज्यादा अच्छा रहेगा। बेहतर यही है की तुम राज से अब यह सारी कहानी सुनाओ और उसे कहो की कुमुद को मेरे साथ अहमदाबाद आने के लिए मनाये। अब राज से यह बात छुपाने का कोई फायदा नहीं है।"

रानी ने शर्माते हुए कमल से कहा, "कमल तुम मेरी प्रॉब्लम समझो। मैं मेरे पति से कैसे कहूं की कमल अपनी बीबी कुमुद को चोदते हुए मेरा नाम लेता है? वह क्या सोचेंगे? क्या मैं यह कहूं की कमल मुझसे .... करना चाहता है कमल माफ़ करना पर मैं अभी ऐसा कुछ सोचने से भी डरती हूँ। मैं तुम्हारे साथ हम दोनों के बारेमें कैसे ऐसे शब्द का प्रयोग करूँ?"

कमल ने कहा, "अरे मेरी भोली प्यारी रानी, अब तो सब जान ही गए हैं की मेरे मनमें तुम्हें चोदने का विचार आ ही गया है। अब कोई भी शब्दों का प्रयोग करो क्या फर्क पड़ता है? तुम अब राज को खुल्लमखुला कह सकती हो की कमल के मन में तुम्हें चोदने का विचार आगया है।"

रानी यह सुनकर सकपका गयी और बोली, "नहीं बाबा नहीं। यह मैं नहीं कर सकुंगी। अगर मैंने ऐसा कहा और राज ने अगर मुझे पूछा की मैं क्या चाहती हूँ तो मैं क्या बताउंगी? बेहतर यही है की तुम मेरे पति राज से बात करो और उसे सब बताओ। मैं नहीं जानती की तुम राज को कैसे बताओगे की तुम अपनी बीबी को चोदते हुए यह सोच रहे थे की तुम अपनी बीबी को नहीं मुझे चोद रहे थे, और तुम्हारे यह सब बताने के बाद राज क्या सोचेगा। खैर तुम्हारे और राज के सम्बन्ध ऐसे हैं की शायद राज और तुम दोनों यह मामला मिलकर सुलझा सकते हो। पर मुझे नहीं पता की क्या होगा। अब राज से क्या बात करनी है या नहीं करनी है यह सब तुम जानो। अब राज से बात करने की जिम्मेवारी तुम्हारी है।"

रानी की बात सुन कर कमल का कमल खिल गया। वह समझ गया की अब रानी को कमल से चुदवाने वाली बात कहने या सुनने से कोई परहेज नहीं रहा था। अब उसके लिए चुनौती बस रानी को हकीकत में चुदवाने के लिए तैयार करने की थी।

राज तो सारी बात पहले से ही जानता था। रानी ने अपने पति राज से कमल से हुई सारी बातें बतायी। रानी ने यह कहा की कमल कुमुद को किसी और स्त्री का नाम लेकर चोद रहा था। रानी ने यह छुपाया की कमल वास्तव में रानी का नाम लेकर कुमुद को चोदता था।

राज ने कमल की बीबी कुमुद से फ़ोन पर बात की तो कुमुद राज से बात करते हुए फ़ोन पर ही रो पड़ी। जब राज ने पूछा की क्या बात थी तो कुमुद कुछ भी बोल न सकी। राज के काफी आग्रह करने पर कुमुद ने सिर्फ इतना ही बताया की बात बड़ी नाजुक थी और फ़ोन पर बात करना ठीक नहीं। राज ने कुमुद को काफी ढाढस दी और कहा की कुमुद और कमल दोनों अहमदाबाद आएं। राज कमल से बात करेगा और सारा मामला सुलझ जाएगा। कुछ समझाबुझा ने के बाद कुमुद अपने पति के साथ अहमदाबाद जाने के लिए राजी हो गयी। कमल और कुमुद का रेल गाडी का टिकट हो गया तो कमल ने राज को फ़ोन करके बता दिया।

रातको जब राज और रानी सेक्स के मूड में थे तो राज ने रानी से कहा, "खुश हो जाओ। तुम्हें कल्पना में चोदने वाला तुम्हारा लवर आ रहा है। मैं उसे लाने के लिए सुबह स्टेशन जाऊंगा। उसका स्वागत करने के लिए तुम तैयार रहना। अब तो कल्पना और वास्तविकता में फर्क मिटाने का वक्त आ गया है।"

रानी पहले तो शर्मायी पर फिर अपने आपको सम्हालते हुए बोली, "छोडो भी, तुम ज्यादा सयाने मत बनो। कल्पना और वास्तविकता में बड़ा अंतर होता है। तैयार तो मैं होउंगी ही क्यूंकि आपका प्रिय दोस्त जो आ रहा है। और फिर तुम्हारी प्यारी कुमुद भी तो आ रही है? क्यों मैंने गलत कहा?" अब शर्मा ने की बारी राज की थी। वह चुप हो गया।"

जैसे ही राज ने सुबह कुमुद को ट्रैन से उतरते हुए देखा तो उसकी जान हथेली में आगयी। कुमुद ने ट्रैन में से उतरने के पहले अपना मेकअप अच्छी तरह से किया था। उसकी पतली कमर और उसके सुआकार कूल्हे जीन्स में बड़े आकर्षक लग रहे थे। उसकी कमर उसके टॉप के निचे काफी खुली हुई थी जो उसकी नाभि की सुंदरता दिखा रही थी। उसके स्तनों का आकर्षक उभार मन को बरबस अपनी और आकर्षित कर लेता था। कुमुद थोड़ी सी सहमी सहमी महसूस कर रही थी। डिब्बे से निचे उतरते ही जैसे कुमुद ने राज को देखा तो उसका चेहरा खिल उठा। कुमुद की आँखों में एक नयी चमक सी आगयी।

राज भी कुमुद को देखता ही रहा। कुमुद का सारा बदन एक सूरज की पहली किरण की तरह चमक रहा था। बड़ी मुश्किल से कुमुद के स्तनों पर से अपनी नजर हटा कर राज ने कमल के पैर छुए। कमल ने राज को गले लगाया और रानी के बारे में पूछने लगा। राज ने कहा की वह तो कभी से उन दोनों का इंतजार कर रही थी। कमल के बाल बिखरे हुए थे और दाढ़ी थोड़ी बढ़ी हुई थी पर शायद इसी वजह से वह हैंडसम और मरदाना लग रहा था। राज ने एक सूटकेस और एक बैग उठाया और सब पार्किंग के लिए चल दिए।

घर पहुँचते ही दरवाजे पर राज की बीबी रानी बड़ी ही सुन्दर साडी में सजधज कर तैयार खड़ी थी। रानी के भरे हुए स्तन और उस के कूल्हे एकदम लुभावने दिख रहे थे। कमल का मन तो उन्हें अपने हाथोंसे मसलने और दबाने को मचल रहा था। पर वक्त की नजाकत देख कर उसने अपने आपको नियत्रण में रखा।

कमल को देखते ही रानी कमल के पांव छूने के लिए झुकी पर कमल ने जल्दी ही उसको अपनी बाहों में उठा लिया और कस के आलिंगन किया। राज और कुमुद ने अपने ही जीवन साथी: कमल और रानी को इतना गाढ़ आलिंगन करते देखा और एक दूसरे से नजरें मिलाकर एक दूसरे के मन के विचार पढ़ ने की कोशिश करते रहे।

रानी ने कमल और कुमुद के लिए दूसरा बेड रूम सजा रखा था, जिसमें उनका सामान रख दिया गया।

दिन में कमल और कुमुद ने आराम किया। शाम को गरबा में जाने का प्रोग्राम तय था। जब राज अपने दफ्तर से लौटा तो उसने कहा की सबको गरबा में जाना है। कमल गरबा में जाने के लिए बड़ा ही उत्सुक था परन्तु उसकी बीबी कुमुद को गरबा में जाने में कोई रूचि नहीं थी। वह अहमदाबाद के रिवर फ्रंट पर जाना चाहती थी। उसने सुना था की रात को साबरमती का किनारा अद्भुत नजारा पेश करता है और वह उसे देखना चाहती थी। राज की बीबी रानी गरबा करने लिए पागल थी। रानी ने तो गरबा में जाने के लिए सब के लिए बड़े आकर्षक ड्रेस भी बनवा रखे थे। पर चूँकि कमल की पत्नी कुमुद गरबा में जाना नहीं चाहती थी इसलिए राज ने कहा की उसे भी गरबा में जाने में ख़ास दिलचस्पी नहीं थी और वह कुमुद के साथ घूमने जाएगा।

आखिर यह तय हुआ की राज की बीबी रानी कुमुद के पति कमल के साथ गरबा में जायेगी और रानी का पति राज कमल की बीबी कुमुद को लेकर रिवर फ्रंट जाएगा और दोनों कहीं न कहीं कुछ खा लेंगे। इस तरह दोनों पति एक दूसरे की पत्नी के साथ अलग अलग जाने को राजी हो गए। जब रानी ने कुमुद से पूछा की वह कब तक बाहर घूमेंगे तब कुमुद ने कहा, "हम लोग करीब ११ बजे तक वापस आ जायेंगे।"

राज की पत्नी रानी ने बड़े चाव से गरबा के लिए ड्रेस की चार जोड़ी: दो औरत (रानी और कुमुद) के लिए और दो मर्दों (राज और कमल) के लिए नाप लेकर बनवायी थी। रानी और कुमुद के लिए चणिया चोली और मर्दों के लिए छोटा कुर्ता और काठीयावाड़ी निचे से टाईट और ऊपर से ढीला ऐसा पजामा। जब रानी ने चणिया चोली पहनी तो दोनों मर्दों के जबड़े खुले के खुले ही रह गए।

चोली इतनी सेक्सी थी की रानी के फुले हुए मस्त स्तन थोड़े ऊपर से और थोड़े निचे से बाहर निकल रहे थे। अगर उस चोली को थोड़ा सा ऊपर या निचे की और खींचा जाए तो रानी के स्तन पुरे नंगे ही हो जाएँ। कमल तो रानी के बदन को देखता ही रह गया। उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। रानी का घाघरा भी शरीर से चिपका हुआ रानी की मस्त जाँघें और उसकी सुआकार गाँड़ को भली भाँती उजागर कर रहा था। रानी ने घाघरे का नाडा कमर से इतना निचे कसा था की न सिर्फ उसकी नाभि लुभावनी नंगी दिख रही थी बल्कि रानी के पेट का उभर भी दिखता था। अगर नाडा थोड़ा निचे की तरफ खिसकाया जाये तो रानी की चूत के ऊपर के बाल भी नजर आने लगें। रानी की नाभि, पेट और स्तन के निचे के हिस्से इतना सेक्सी नजारा दे रहे थे की कमल और राज दोनों की आँखें रानी के बदन को ऐसी ताक रहीं थीं जैसे वह रानी को वहीँ के वहीँ चोदने को तैयार हों।

रानी ने कमल को तीखी नजर से देखा तो कमल ने बड़ी मुश्किल से अपनी नजर रानी के बदन से हटाई। राज ने यह सब देखा पर कुछ ना बोला।

राज और कुमुद तैयार होकर घर से निकले। कुमुद ने जीन्स और ऊपर एक लूज़ टॉप पहन रखा था। राज ने एक ऑटोरिक्षा बुलाया और कुमुद के साथ बैठ कर साबरमती के किनारे जाने के लिए निकल पड़े। वहाँ पहुँचने पर नज़ारे की सुंदरता देख कुमुद स्तब्ध रह गयी। हमारे देश में इतना खूबसूरत नजारा कम ही देखने को मिलता है। दोनों एक बेंच पर बैठे और नदी को जोश से बहते हुए देखने लगे। राज ने धीरे से कुमुद के हाथ पर अपना हाथ रखा। कुमुद मुड़कर राज की और थोड़ी देर तक देखती रही, पर कुछ बोली नहीं। अपने हाथ के उपरसे राज का हाथ देखा पर पर उसे हटाया नहीं। राज ने धीरे से पूछा "कुमुद आप इतने गंभीर क्यों हो? जब से आप आये हो तबसे मैं देख रहा हूँ की आप कुछ बेचैन से हो। अगर आप मुझे अपना समझते हो तो आपके मनमें जो भी बात हो आप मुझसे बेझिझक बात कर सकते हो।"

राज की इतनी प्रेम भरी और मीठी बात सुन कर कुमुद की आँखें भर आयी। राज ने कुमुद के कंधे पर हाथ रखा और धीरे धीरे वह कुमुद की पीठ को सांत्वना देते हुए सहलाने लगा। कुमुद की आँखों में से अचानक अश्रुओं की धारा बहने लगी। उस ने राज के कन्धों पर अपना सर रख दिया और धीमी सी आवाज में सिसक कर रोने लगी। राज ने कमल की बीबी को अपनी बाहों में ले लिया और बिना कुछ बोले कुमुद की पीठ को सहलाता रहा और उसे सांत्वना देने का प्रयास करता रहा।

कुछ देर बाद जब कुमुद थोड़ी शांत हुई तब उसने कहा, "राज मैं बड़ी उलझन में हूँ। बात कुछ ज्यादा ही नाजुक है और पता नहीं मुझे तुमसे यह बात करनी चाहिए या नहीं।"

राज ने कहा, "कुमुद अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम बड़े इत्मीनान से मुझे अपना निजी मित्र मान कर मुझसे खुले दिल से बात कर सकती हो। तुम मेरे बड़े भाई की पत्नी हो और इस रिश्ते से तुम मेरी बड़ी भाभी हो। पर मैं तुम्हें बड़ी भाभी नहीं मेरी ख़ास करीबी दोस्त या यूँ कहो की मैं तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड मानता हूँ, और यह बात मैंने छाती ठोक कर कमल भैया से भी कही है। तुम्हें तो कोई एतराज नहीं है न?"

राज की बात सुन कर कुमुद रोते रोते ही बरबस हंस पड़ी और बोली, "राज तुम तो बातों बातों में काफी आगे बढ़ गए! तुमने तो मुझे बगैर पूछे अपनी गर्ल फ्रेंड बना डाला। खैर, जब तुम्हारे भैया को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्यों एतराज होगा? लड़की तो मैं हूँ ही और फिर तुम्हारी फ्रेंड भी तो हूँ। मेरी समझ में यह नहीं आता था की मेरे मन की बात मैं किस से करूँ? मैं तुम्हें अपना मानती हूँ और एक राज ही है जिसे मैं अपने मनके राज़ बता सकती हूँ। मैं खुले दिल से आज मेरे मन की उलझन तुम्हें बताना चाहती हूँ। यह बात कमल, मेरे और एक दूसरी स्त्री के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।"

राज ने धीरे से कहा, "ओह! तो यह बात है! कुमुद शायद तुम जो कहने जा रही हो वह बात जातीय संबंधों और सेक्स को लेकर है। अगर ऐसा है तो फिर हम दोनों के बिच में जो औपचारिकता की दिवार है वह ख़तम होनी चाहिए। क्यूंकि अगर तुम मुझे आप कहके बुलाओगी या फिर हम दोनों के बिच में खुल्लम खुल्ला बात नहीं होगी तो ना तुम मुझे ठीक से बता पाओगी और ना मैं ठीक से समझ पाउँगा। इस लिए क्या हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकते?"

कुमुद ने मुड़कर राज की और देखा और राज का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, "ठीक बात है राज। जब हम इतने करीब आ ही गए हैं तो बेहतर है की अपने मन की बात स्पष्ट रूप से कहें। और हाँ, बात सेक्स के बारे में ही है।"

राज ने कुमुद का हाथ अपने हाथों में दबाते हुए कमल का रानी के साथ आजमाया हुआ पेंच कुमुद के साथ आजमाया और कहा, "जब बात सेक्स की ही है तो फिर हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए और जो बात हो वह खुल्लम खुल्ला स्पष्ट रूप में बोलनी चाहिए। तो फिर क्या इसके लिए तुम्हे सभ्य शब्दों का ही प्रयोग करना जरुरी है? मैं चाहूँगा की तुम मुझसे स्पष्ट बात करो। सेक्स या फिर साथ में सोना की जगह कहो चोदना, पुरुष लिंग की जगह बोलो लण्ड. स्त्री लिंग की जगह बोलो चूत। तब तो बात में कोई असमंजस नहीं रहेगा। क्यों की अगर ऐसे शब्द बोलने में तुम्हें हीचकीचाहट है तो फिर हम खुल्लम खुला बात कैसे कर सकते हैं? मैं कुछ गलत तो नहीं कह रहा?"

राज की बात सुनकर कुमुद एकदम चुप हो गयी और राज की और एक अजीबो गरीब नजर से देखने लगी। शायद कुमुद को राज की बात सुनकर एक झटका सा लगा। राज मन ही मन अफ़सोस करने लगा। वह डर गया की उसकी बात सुनकर कमल की पत्नी जो इतनी रूढ़िवादी थी कहीं उठकर उसे तमाचा ही ना मार दे। उसे लगा की उसने यह अश्लील माने जाने वाले शब्द बोलकर भयंकर भूल कर दी थी। कुमुद के चेहरे का रंग जैसे उड़ सा गया। थोड़ी देर के लिए उसने राज की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। शायद कुमुद कोई गंभीर सोच में डूब गयी।

पर थोड़ी देर बाद कुछ हिचकिचाते हुए कुमुद थोड़ी मुस्कुराई और बड़ी ही दबी सी आवाज में बोली, "नहीं राज, तुमने ठीक ही कहा है। मैं और कमल, हम पति पत्नी जब सेक्स के बारेमें बात करते हैं तो थोड़े ही सभ्य शब्दों का प्रयोग करते हैं? कमल तो खुल्लम खुल्ला ही नंगे शब्दों का ही उपयोग करता है और मुझसे भी वही शब्द बुलवाता है। पर पता नहीं तुम्हारे साथ ऐसे शब्द मैं बोल पाऊँगी या नहीं। पर हाँ कोशिश जरूर करुँगी। तो सुनो। यह बात कहते हुए मुझे डर हैं की कहीं तुम्हारा दिल टूट न जाए। पर खैर अब बात तो करनी ही पड़ेगी। तुम्हारा प्रिय दोस्त, यानी मेरा पति कमल जब मुझसे सेक्स करता है, सॉरी, मुझे चोदता है तो वह हकीकत में तुम्हारी बीबी यानी रानी के सपने देखता है। अपने मन में वह सोचता है की वह मुझसे नहीं रानी से सेक्स, सॉरी मुझ को नहीं रानी को चोद रहा है। यह मुझे तब पता चला जब वह मुझे चोदते एक बार अनजानेमें ही 'रानी डार्लिंग तुम्हारी चूत बड़ी गरम है।' ऐसे ही कुछ बोलने लगा। मैं सोचती हूँ की कहीं ऐसा तो नहीं की मेरे पति और तुम्हारी बीबी के बिच में अवैध सम्बन्ध हों और हमें पता भी ना चले?"

कुमुद की बात सुनकर राज ने चैन की सांस ली। जरूर वह एक कदम आगे बढ़ चुका था और अब उसे कमल की चाणक्य निति की सफलता का पक्का विश्वास हो गया। जाने अनजाने कुमुद भी दोनों पुरुषों की जाल में फंस ने वाली लग रही थी।

राज कुमुद की बात सुनकर ठहाका मार कर हंसने लगा और बोला, "कुमुद डार्लिंग, बस इतनी सी बात? तुम इसके लिए अपने इतने बहुमूल्य आंसू बहा रही थी?"

कुमुद राज की बात सुनकर रिसियाती हुई बोली, "इसमें हंसने की क्या बात है? क्या यह गंभीर मामला नहीं है? क्या तुम्हें यह सब पता है?"

राज अपनी हंसी को नियंत्रित करते हुए बोला, "देखो, मैंने तुम्हें बात बात में कुमुद डार्लिंग कहा। तुमने उस पर ध्यान भी नहीं दिया। जैसे हमारे बिच में एक खुल्लम खुल्ला बात करने का सम्बन्ध है वैसे ही मेरी बीबी रानी और तुम्हारे पति कमल के बीचमें भी यह सम्बन्ध हो सकता है या नहीं? दूसरी बात, कमल भैया के लिए तो मैं अपनी जान देने के लिए भी तैयार हूँ। शायद तुम्हें पता नहीं होगा की हम दोनों तो बचपन में एक ही पत्नी के साथ शादी करने के ख्वाब देख रहे थे। जब थोड़े बड़े हुए तो फिर हमने सोचा की जरूर हम एक दूसरे की पत्नी अगर अच्छी लगी तो मिल बाँट कर भोगेंगे। पर शादी के बाद तो बीबियों की भी सुननी पड़ती है न? खैर, वह अगर रानी को चोदना चाहते हैं और अगर रानी को उसमें कोई एतराज नहीं है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। पर बात चोदने की कहाँ है? कमल भैया तो रानी को चोदने की सिर्फ कल्पना ही तो कर रहे थे? वास्तव में तो वह रानी को चोद नहीं रहे हैं, तो फिर तुम इतनी परेशान क्यूँ हो रही हो?"

कुमुद राज की बात सुनकर थोड़ी सहम गयी और थोड़ी देर के लिए रुकी और बोली, "हाँ, तुम्हारी बात तो ठीक है। मैं भी बड़ी बेवकूफ हूँ। कमल रानी को चोदने की सिर्फ कल्पना ही तो कर रहा था! और मैंने तो इस बात पर कमल के साथ हंगामा खड़ा कर दिया।"

फिर कुमुद थोड़ी गंभीर हो गयी और धीरे से बोली, "पर कमल और रानी अगर हकीकत में सेक्स करने लगेंगे तो फिर?"

राज ने कहा, "कुमुद एक बात बताओ, क्या कमल तुमसे प्यार करता है या नहीं? और क्या तुम कमल से प्यार करती हो या नहीं?"

कुमुद बोली, "हाँ, हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।"

राज ने पूछा, "दुसरा सवाल, "क्या शादी से पहले तुमने किसी लड़के से एकाध बार सेक्स किया था या नहीं? कॉलेज मैं या स्कूल में या कहीं और किसी भी लड़के के साथ चूत में उंगली डालना, लण्ड हिला देना ऐसी हरकतें हुई थी या नहीं? कुमुद बात छुपाना मत। सच सच बताना।"

कुमुद ने राज को ध्यान से देखते हुए हिचकिचाते स्वर में बोला, "हाँ, थोड़ी बहुत हुई तो थीं।"

राज ने कहा, "तो उसका तुम्हारी शादी या कमल के साथ प्यार पर कोई असर हुआ? नहीं हुआ न?"

कुमुद ने कहा, "नहीं हुआ, पर वह तो शादी के पहले की बात थी। शादी के बाद अब तो हमने एक दूसरे के प्रति पूरी वचनबद्धता की शपथ ली है ना?"

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