उत्तेजना साहस और रोमांच के वो दिन! 02

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ज्योति को दर्द का कोई एहसास नहीं हो रहा था। दर्द जैसे गायब ही हो गया था और उसकी जगह सुनील का लण्ड ज्योति को अवर्णनीय सुख और उन्माद दे रहा था। जैसे सुनील का लण्ड ज्योति की चूत की सुरंग में अंदर बाहर हो रहा था, ज्योति को एक अद्भुत एहसास रहा था। ज्योति न सिर्फ सुनील से चुदवाना चाहती थी; उसे सुनील से तहे दिल से प्यार था।

उनकी कुशाग्र बुद्धिमत्ता, उनकी किसी भी मसले को प्रस्तुत करने की शैली, बातें करते समय उनके हावभाव और सबसे ज्यादा उनकी आँखों में जो एक अजीब सी चमक ने ज्योति के मन को चुरा लिया था। ज्योति सुनीलजी से इतनी प्रभावित थी की वह उनसे प्यार करने लगी थी। अपने पति से प्यार होते हुए भी वह सुनील से भी प्यार कर बैठी थी।

अक्सर यह शादीशुदा स्त्री और पुरुष दोनों में होता है। अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ किसी और स्त्री से प्यार करने लगता है और उससे सेक्स करता है (उसे चोदता है) तो इसका मतलब यह नहीं है की वह अपनी पत्नी से प्यार नहीं करता। ठीक उसी तरह अगर कोई शादीशुदा स्त्री किसी और पुरुष को प्यार करने लगती है और वह प्यार से उससे चुदाई करवाती है तो इसका कतई भी यह मतलब नहीं निकालना चाहिए की वह अपने पति से प्यार नहीं करती।

हाँ यदि यह प्यार शादीशुदा पति या पत्नी के मन में उस परायी व्यक्ति के लिए पागलपन में बदल जाए जिससे वह अपने जोड़ीदार को पहले वाला प्यार करने में असमर्थ हो तब समस्या होती है।

बात वहाँ उलझ जाती है जहां स्त्री अथवा पुरुष अपने जोड़ीदार से यह अपेक्षा रखते हैं की उसका जोड़ीदार किसी अन्य व्यक्ति से प्यार ना करे और चुदाई तो नाही करे या करवाए। बात अधिकार माने अहम् पर आकर रुक जाती है। समस्या यहां से ही शुरू होती है।

जहां यह अहम् नहीं होता वहाँ समझदारी की वजह से पति और पत्नी में पर पुरुष या स्त्री के साथ गमन करने से (मतलब चोदने या चुदवाने से) वैमनस्यता (कलह) नहीं पैदा होती। बल्कि इससे बिलकुल उलटा वहाँ ज्यादा रोमांच और उत्तेजना के कारण उस चुदाई में सब को आनंद मिलता है यदि उसमें स्पष्ट या अष्पष्ट आपसी सहमति हो।

ज्योति को सुनील से तहे दिल से प्यार था और वही प्यार के कारण दोनों बदन में मिलन की कामना कई महीनों से उजागर थी। तलाश मौके की थी। ज्योति ने सुनील को जबसे पहेली बार देखा था तभी से वह उससे बड़ी प्रभावित थी।

उससे भी कहीं ज्यादा जब ज्योति ने देखा की सुनील उसे देख कर एकदम अपना होशोहवास खो बैठते थे तो वह समझ गयी की कहीं ना कहीं सुनीलजी के मन में भी ज्योति के लिए वही प्यार था और उनकी ज्योति के कमसिन बदन से सम्भोग (चोदने) की इच्छा प्रबल थी यह महसूस कर ज्योति की सुनील से चुदवाने की इच्छा दुगुनी हो गयी।

जैसे जैसे सुनील ने ज्योति को चोदने की रफ़्तार बढ़ाई, ज्योति का उन्माद भी बढ़ने लगा। जैसे ही सुनील ज्योति की चूत में अपने कड़े लण्ड का अपने पेंडू के द्वारा एक जोरदार धक्का मारता था, ज्योति का पूरा बदन ना सिर्फ हिल जाता था, ज्योति के मुंह से प्यार भरी उन्मादक कराहट निकल जाती थी। अगर उस समय वाटर फॉल का शोर ना होता तो ज्योति की कराहट पूरी वादियों में गूंजती।

सुनील की बुद्धि और मन में उस समय एक मात्र विचार यह था की ज्योति की चूत में कैसे वह अपना लण्ड गहराई तक पेल सके जिससे ज्योति सुनील से चुदाई का पूरा आनंद ले सके। पानी में खड़े हो कर चुदाई करने से सुनील कोज्यादा ताकत लगानी पड़ रही थी और ज्योति की गाँड़ पर उसके टोटे (अंडकोष) उतने जोर से थप्पड़ नहीं मार पाते थे जितना अगर वह ज्योति को पानी के बाहर चोदते।

पर पानी में ज्योति को चोदने का मजा भी तो कुछ और था। ज्योति को भी सुनील से पानी में चुदाई करवाने में कुछ और ही अद्भुत रोमांच का अनुभव हो रहा था। सुनील एक हाथ से ज्योति की गाँड़ के गालों पर हलकी सी प्यार भरी चपत अक्सर लगाते रहते थे जिसके कारण ज्योति का उन्माद और बढ़ जाता था। ज्योति की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए सुनील का एक हाथ ज्योति को दोनों स्तनोँ पर अपना अधिकार जमाए हुए था।

सुनील को कई महीनों से ज्योति को चोदने के चाह के कारण सुनील के एंड कोष में भरा हुआ वीर्य का भण्डार बाहर आकर ज्योति की चूत को भर देने के लिए बेताब था। सुनील अपने वीर्य की ज्योति की चूत की सुरंग में छोड़ने की मीठी अनुभूति करना चाहते थे। ज्योति की नंगी गाँड़ जो उनको अपनी आँखों के सामने दिख रही थी वह सुनील को पागल कर रही थी।

सुनील का धैर्य (या वीर्य?) छूटने वाला ही था। ज्योति ने भी अनुभव किया की अगर उसी तरह सुनील उसे चोदते रहे तो जल्द ही सुनील अपना सारा वीर्य ज्योति की सुरंग में छोड़ देंगे। ज्योति को पूरी संतुष्टि होनी बाकी थी। उसे चुदाई का और भी आनंद लेना था। ज्योति ने सुनील को रुकने के लिए कहा।

सुनील के रुकते ही ज्योति ने सुनील को पानी के बाहर किनारे पर रेत में सोने के लिए अनुग्रह किया। सुनील रेत पर लेट गए। ज्योति शेरनी की तरह सुनील के ऊपर सवार हो गयी। ज्योति ने सुनील का फुला हुआ लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा और अपना बदन नीचा करके सुनील का पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ दिया।

अब ज्योति सुनील की चुदाई कर रही थी। ज्योति को उस हाल में देख ऐसा लगता था जैसे ज्योति पर कोई भूत सवार हो गया हो। ज्योति अपनी गाँड़ के साथ अपना पूरा पेंडू पहले वापस लेती थी और फिर पुरे जोश से सुनील के लण्ड पर जैसे आक्रमण कर रही हो ऐसे उसे पूरा अपनी चूत की सुरंग में घुसा देती थी। ऐसा करते हुए ज्योति का पूरा बदन हिल जाता था। ज्योति के स्तन इतने हिल तरहे थे की देखते ही बनता था।

ज्योति की चूत की फड़कन बढ़ती ही जा रही थी। ज्योति का उन्माद उस समय सातवें आसमान पर था। ज्योति को उस समय अपनी चूत में रगड़ खा रहे सुनील के लण्ड के अलावा कोई भी विचार नहीं आ रहा था। वह रगड़ के कारण पैदा हो रही उत्तेजना और उन्माद ज्योति को उन्माद की चोटी पर लेजाने लगा था। ज्योति के अंदर भरी हुई वासना का बारूद फटने वाला था।

सुनील को चोदते हुए ज्योति की कराहट और उन्माद पूर्ण और जोरदार होती जा रही थी। सुनील का वीर्य का फव्वारा भी छूटने वाला ही था। अचानक सुनील के दिमाग में जैसे एक पटाखा सा फूटा और एक दिमाग को हिला देने वाले धमाके के साथ सुनील के लण्ड के केंद्रित छिद्र से उसके वीर्य का फव्वारा जोर से फुट पड़ा।

जैसे ही ज्योति ने अपनी चूत की सुरंग में सुनील के गरमा गरम वीर्य का फव्वारा अनुभव किया की वह भी अपना नियत्रण खो बैठी और एक धमाका सा हुआ जो ज्योति के पुरे बदन को हिलाने लगा। ज्योति को ऐसा लगा जैसे उसके दिमाग में एक गजब का मीठा और उन्मादक जोरदार धमाका हुआ। जिसकेकारण उसका पूरा बदन हिल गया और उसकी पूरी शक्ति और ऊर्जा उस धमाके में समा गयी।

चंद पलों में ही ज्योति निढाल हो कर सुनील पर गिर पड़ी। सुनील का लण्ड तब भी ज्योति की चूत में ही था। पर ज्योति अपनी आँखें बंद कर उस अद्भुत अनुभव का आनंद ले रही थी।

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