दर्जी के साथ

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दर्जी ने पटा लिया
3.7k words
4.2
1.3k
16

Part 1 of the 2 part series

Updated 06/11/2023
Created 10/22/2021
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बात उन दिनो की है जब मै 19 साल की थी और फ़र्स्ट इयर मे पढ़ती थी। उस दिन मूड बहुत खराब था पापा ने बिना बात के ही डांट दिया था। मैंने अपनी सहेली को फोन किया तो वो भी फ्री नहीं थी तो मूड और खराब हो गया। बुरे मूड को सुधारने के लिए मै खूब शॉपिंग वोपिंग करके पापा के पैसे उड़ाने का मन बनाया।

मै घर मे अकेली लड़की हू और दो बड़े भाई है, अकेली लड़की होने के कारण मै अपने पापा की बहुत लाड़ली हू इसीलिए जब उस दिन पापा ने डांटा तो मै और भी ज्यादाह नाराज़ हो गयी थी। मैंने पापा का क्रेडिट कार्ड टपाया और मॉल की तरफ निकल पड़ी।

हमारा घर काफी खुले विचारो वाला था और मेरा किसी लड़के से दोस्ती को बुरा नहीं माना जाता था। बचपन से ही मेरी दोस्ती लड़को और लड़कियो दोनों से ही थी। लेकिन जैसे जैसे मै जवान होने लगी तो मैंने पाया की लड़को की नजरे मेरे प्रति बदल रही थी। 19 साल की उम्र मे ही मेरा शरीर पूरा भर गया था और छाती और नितम्ब खूब उभर आए थे। कॉलेज मे आने के बाद मेरी एक लड़के से दोस्ती हुई जो थोड़ा आगे बढ़ गयी और मेरे उसके साथ शारीरिक संबंध भी बन गय थे।

सोमवार की दोपहर होने के कारण उस दिन मॉल लगभग खाली था। मै एक बड़े से कपड़ो के स्टोर मे अपने लिए कपड़े देखने लगी। स्टोर भी खाली था और 4-5 सेल्समैन जगह जगह खड़े थे। मैंने एक लहंगा चोली पसंद कर ली, पर उसकी चोली सिली हुई नहीं थी। सेल्समैन ने बताया की पीछे की तरफ टेलर बैठा है वो सिल देगा, तो मै कपड़ा ले कर पीछे की तरफ चली गयी।

टेलर एक अलग कमरे मे बैठा था, मैने उसे कपड़ा दिखाया और चोली सिलने के लिए बोली। मैंने देखा की टेलर करीब 50 साल के लगभग का दाढ़ी वाला आदमी था, वो मेरे को कनखियो से ताड़ रहा था।

"ठरकी साला," मै मन ही मन सोची।

फिर वो मेरे से चोली का स्टाइल पूछने लगा।

"मैडम ये आप जैसी यंग लड़की के लिए ये ठीक रहेगा," वो एक फोटो दिखा के बोला। मैंने देखा की चोली आगे से और पीछे से काफी डीप थी और उसमे मेरी छातिया काफी दिखती।

"ये तो काफी डीप नेक है," मै बोली।

"पर आप पे ये सूट करेगा," वो मेरी छातिया ताड़ते हुए बोला।

"साला कमीना," मै मन ही मन सोची पर कुछ बोली नहीं, उसे अपने ऊपर लार टपकाते देख के मन मे गुदगुदी सी होने लगी। मै भी मज़ा लेने के लिए अपनी चूचियो की तरफ देखते हुए बोली,

"जयादह दिखेंगे।"

"आप पे अच्छा लगेगा, हर लड़की के थोड़े ही इतने अच्छे होते है," वो मेरी चूचियो की तरफ देख के खीसे निपोरता हुआ बोला।

"नहीं मेरे पापा नाराज़ हो जाएगे," मै भी मज़े लेती रही।

"मेरे पास एक सैंपल चोली है, आप ट्राए तो करके देखिये," वो बोला और जल्दी से एक चोली मेरे आगे रख दी। मै उस दिन सलवार सूट पहने थी और चोली पहनने के लिए मुझे कुर्ता उतारना पड़ता। मै चोली हाथ मे लेकर उसकी तरफ देखने लगी।

"वहाँ, पीछे कमरा है," वो पीछे की तरफ इशारा करता हुआ बोला, "वहाँ ट्राइ कर लीजिए।"

मै चोली हाथ मे लेकर पीछे के कमरे मे चली गयी। कुर्ता उतारने के बाद मैंने खूटी पर टांग दिया और चोली पहेनने लगी। मैंने देखा की चोली छोटी सी थी और मेरा पेट नाभि के नीचे तक खुला था। शीशे मे देखा तो पाया की मेरे leggings मेरे बदन पर चिपकी हुई थी और मेरी पतली कमर और चौड़ी गांड मस्त लग रही थी। चोली मे मेरी cleavage भी मस्त दिख रही थी। मै अभी देख ही रही थी की टेलर बाहर से बोला,

"मैडम पहन लिया, मै आऊ, fitting देखने।"

मै एकदम से हकबका गयी, "ये साला अंदर आ के मेरे साथ मजे लेना चाहता है।" मेरे को अंदर ही अंदर गुदगुदी होने लगी। बाहर दूर दूर तक कोई नहीं था तो मुझे भी मस्ती सूझने लगी। साला ठरकी बूढ़ा देखेगा तो लार ही टपकायगा और क्या करेगा, मै ये सोच कर कुंडी खोल दी। पर मुझे उसके हरमीपन का पता नहीं था, या ये कहिए की मुझे अपने बारे मे पता नहीं था की मै कितनी जल्दी मर्द के सामने टांगे फैला दूँगी।

"वाह," वो मुझे देखते ही बोला, "कितनी अच्छी लग रही है आप पे।" वो मेरे को ऊपर से नीचे तक निहारने लगा और बात करते करते वो छोटे से रूम मे अंदर ही आ गया। उसके घूरने से मेरे बदन मे सनसनी होने लगी।

"मैडम एक बार पीछे से दिखाओ," वो बोला तो मै निशब्द घूम गयी।

"बढ़िया," वो बोला तो मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया, "एक मिनट मैडम।"

मेरी दिल की धड़कने अचानक से बढ़ गयी। वो दोनों हाथो से मेरे कंधे पकड़े रहा और मुझे सीधा खड़ा कर दिया।

"मैडम आपकी कमर पतली है और नितांब उठे हुए है, आप जब लहंगा यहा बांधेगी तो बहुत बढ़िया लगेगा," वो मेरी कमर पर नीचे की तरफ हाथ रख के बोला। मेरी धड़कने और बढ़ गयी और मै वापस घूमने लगी पर वो एक हाथ मेरे कंधे पर और एक हाथ मेरी कमर पर रख कर मुझे रोके रहा।

"एक मिनट मैडम।"

"आप लहंगा यही बंधेगी या और नीचे," कहकर वो अपना हाथ और नीचे मेरी leggings की इलास्टिक पर ले आया।

"बस बस, यही पे," मै अब झनझनाने लगी थी, मै जल्दी से वापस घूम गयी पर मेरे घूमने से पहले वो मेरी गांड पर अपनी हथेली फिरा दिया,

"मैडम यहाँ बाँधिए तो और अच्छा लगेगा," वो बोला।

"क्या कर रहे हो," मै तेवर दिखती हुई बोली, "अब क्या नीचे ही गिरा दू।"

"अरे नहीं आपके नितम्ब तो उठे हुए है नीचे थोड़े ही गिरेगी," वो खीसे निपोरता हुआ बोला तो मै चिढ गयी।

"इधर उधर क्या हाथ लगा रहे हो," मै गुस्सा दिखाते हुए बोली।

"अरे मैडम, नाप भी तो लेना है," वो पूरी बेशर्मी से बोला।

"तो क्या नाप हाथ से लोगे," मै उसकी बेशर्मी पर और चिढ़ गयी पर वो खीसे निपोरता रहा।

मै शीशे मे चोली की फिटिंग देखने लगी और देखा की वो भी मुझे ताड़ रहा था।

"मैडम, अगर नाराज़ न हो तो मै भी चोली की फिटिंग चेक कर लू," वो बोला।

"कर लो, फिटिंग चेक करने ही तो आए हो अंदर," मै बोली।

"तो फिर हाथ लगा तो नाराज़ नहीं होना," वो पूरे हरमीपन से बोला और इससे पहले की मै कुछ बोलू वो मेरे कंधे पर एक हाथ रख दिया और दूसरे हाथ से चोली के किनारे को पकड़ के इधर उधर खीच के देखने लगा।

वो पूरा खेला खाया था, वो कभी एक हाथ से मेरे कंधे और गर्दन को सहला देता था और कभी दूसरे हाथ से मेरे पेट को। मै बीच बीच मे चिहुक जाती जब वो जानबूझ कर नाभि के ऊपर सहला देता, मेरी साँसे उसकी हरकतों से भारी होने लगी थी,

"बस हो गया क्या," मै बोली।

"कहा मैडम, आपने तो हार्ड कप वाली ब्रा पहनी है और कप भी बड़ा है, तो इसमे फिटिंग सही कहा पता चलेगी," वो बोला।

"नहीं कप बड़ा नहीं है," मै हकबका गयी, मेरे को याद ही नहीं था की मै हार्ड कप ब्रा पहने थी।

"और मैडम आपको हार्ड कप ब्रा की क्या जरूरत है आपके तो अपने कप ही अभी हार्ड है," वो पूरी ढीठाई से बोला तो मै कोई जवाब नहीं दे पायी। वो एक हाथ मेरे मोमो के ऊपर लेजा कर ब्रा के कप को पकड़ लिया।

"ठीक है, ठीक है, मै अगली बार नॉर्मल कप वाली ब्रा पहन लूँगी," मै कसमसाते हुए बोली।

"अभी इस ब्रा को उतार दो तभी सही नाप हो पाएगा," वो अभी भी ब्रा को पकड़े हुए था।

"नहीं नहीं, मै कल नॉर्मल ब्रा पहन कर आऊँगी,"

"अरे दो मिनट का तो काम है उसके लिए कल क्या आना," वो बोलते बोलते चोली के हुक खोल दिया।

"अहह," मै एकदम से सनसना गयी और उसका हाथ पकड़ ली, "क्या कर रहे हो,"

"नाप ले रहा हू मैडम," वो धीरे से बोला, "और शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है, यहा कोई नहीं आयेगा, ब्रा उतार के सही से नाप लेता हूँ।"

मुझे पता ही नहीं चला पर वो मुझे अब तक कोने मे धकेल चुका था, उसका एक हाथ मेरी पीठ के पीछे ब्रा का हुक खोल रहा था और दूसरे हाथ से वो चोली उतारने लगा। मै कोने मे फंस सी गयी थी, न आगे जाने की जगह थी और न पीछे।

"छोड़ो छोड़ो, मुझे नहीं नाप देना," मै उसका हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगी।

"मैडम छीना झपटी नहीं, ये चोली बड़ी महंगी है फट जाएगी," वो इस बार एसी सख्ती से बोला की मै एकदम से भोचक रह गयी। मै स्तभ खड़ी रह गयी और वो चोली मेरे कंधो से उतार के नीचे फेक दिया। मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, मेरी ब्रा का हुक भी वो खोल चुका था।

"छोड़ो," मै कसमसाई।

"मैडम, शर्माने की जरूरत नहीं है, मै बहुत लड़कियो की छाती का नाप नंगा करके ही लिया हूँ," वो फुसफुसाया। वो झटका दे कर ब्रा मेरे हाथ से खीच लिया और वो भी मेरे कदमो मे जा गिरी। मै अपनी नंग्न छातियो को छुपाने के कोशिश करने लगी पर वो मुझे बांहों मे दबोच के धीरे धीरे मेरे हाथो को हटाने लगा। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मै अर्धनग्न अवस्था मे एसे उसकी बांहों मे फंस जाऊँगी।

उसकी गरम गरम साँसे मेरे गालो पर पड़ने लगी, "मैडम, हाथ हटाओ," वो फुसफुसाते हुए बोला और मेरे हाथो को पकड़ के हटाने की कोशिश करने लगा, "हटाओ वरना नाप कैसे लूँगा।"

मेरे को कुछ समझ नहीं आ रहा था, मै शर्म से गडी भी जा रही थी और एक अजीब तरह की उत्तेजना मे भी डूबती जा रही थी। मेरे हाथो से जैसे जान ही निकली जा रही थी और मेरा विरोध धीरे धीरे कम होता गया, अभी भी मै से सोच के अपने आप को सांत्वना दे रही थी की ये मेरे को यहाँ स्टोर रूम मे चोद थोड़े ही देगा, थोड़ा बहुत हाथ लगा लेगा, बस।

जैसे ही मेरे हाथ उसको थोड़ा मौका दिये, तुरंत उसकी सख्त हथेली मेरे मोमो को जकड़ ली।

"पूछ रही थी न की हाथ से नाप लेगा क्या, अब मै हाथो से ही तुम्हें पूरा नाप दूँगा," वो मेरे कानो के पास फुसफुसाया। मै उसके बोलने के लहजे से अवाक रह गयी, अब वो पहले की तरह मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था।

मेरा अर्धनंग्न शरीर उसने अपनी मजबूत बांहों मे भर लिया और मेरे कोमल स्तनो को कस कस कर भीचने लगा।

"अहह, अहह," मै स्तब्ध अवस्था के खड़ी थी, मेरी समझ मे नहीं आ रहा था की वो मेरे साथ इतना आगे कैसे बढ़ गया था। अभी एक मिनट पहले तक तो मै चोली ट्राइ कर रही थी और इस टेलर के साथ मज़ाक कर रही थी और अब वो मुझे अपनी बांहों मे दबोच के मेरे स्तन रगड़ रहा है।

"छोड़ो, छोड़ो," मै कसमसने लगी, पर उसकी हरकतों की वजह से मेरे पूरे शरीर मे सनसनाहट हो रही थी और मुह से न चाहते हुए भी कराहे निकाल रही थी। मेरे दोनों हाथ उसके हाथो के ऊपर शीथल पड़े थे और उसे अपने मोमो को मसलने से बिलकुल भी नहीं रोक पा रहे थे।

"देखा तुम्हारे मोमे कितने तने हुए है," वो बोला तो उसकी साँसे मेरी गर्दन पर पड़ने लगी, "हार्ड कप ब्रा की कोई जरूरत नहीं है।"

मै चुपचाप गर्दन हिला दी।

"क्या नाम है तुम्हारा।"

"बबली,"

"कितनी उम्र है"

"19"

"हुम्म, बबली अपना सर पीछे करके मेरे सीने पर रख दो," वो बोला तो मै बिना हुज्जत किए अपना सर उसके सीने पर टिका दी। उस स्थिति मे मै सीधा उसकी आंखो मे देख पा रही थी और वो मेरी आंखो मे, उसकी ढाढ़ी मेरे गालो पे लगने लगी।

"अब बस करो, अब जाने दो," मै उसको बोल तो रही थी पर अब मेरी समझ मे आ रहा था की ये मुझ पर पूरी तरह से हावी हो गया है और ये मेरे साथ अपनी मनमर्ज़ी करेगा और मै कुछ भी नहीं कर पाऊँगी। मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धडक रहा था मै आज तक केवल एक अपने हमउम्र लड़के के साथ ही सेक्स किया था। पर ये खयाल भी मन मे आ रहा था की दिन दहाड़े कपड़ो के स्टोर मे ये मेरे साथ सेक्स तो नहीं कर पाएगा, सिर्फ छेड़छाड़ ही कर पाएगा। मेरी इसी ऊहापोह की स्थिति का वो पूरा फायदाह उठा रहा था।

मैंने देखा की उसके मुख पर कुत्तसित मुस्कान तैर रही थी जैसे की वो मेरे मन की बात पढ़ पा रहा हो फिर उसके होंट मेरे गालो से फिसलते हुए मेरे होंटो पर आने लगे। मेरी आंखे स्वत मूँद गयी।

"गुड गर्ल," मुझे उसकी आवाज सुनाई दी। मै गहरी गहरी साँसे लेने लगी और उसके होंट मेरे होंटो के ऊपर चिपक गए और वो मेरे होंटो को चूमने और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिसलती हुई मुह के अंदर घुस गयी। न चाहते हुए भी मेरा मुह खुल गया और मेरी जीभ उसकी जीभ से रगड़ने लगी।

मै शर्म और उत्तेजना मे डूबी जा रही थी, उससे दबने मे अब मज़ा आने लगा था। छाती मे मीठा मीठा दर्द हो रहा था और मन कर रहा था की वो एसे ही दबाता रहे। तभी वो मेरे निप्पल और उसके घेरे को अपने अंगूठे और उंगली के बीच दबा लिया, मेरे पूरे बदन मे तीखा दर्द सा फैल गया जब वो उसे मसलने लगा। मेरा बदन उसकी हरकतों से धीमे धीमे काँप रहा था और वो मुझे दबोच के अपनी मनमरज़ी करता जा रहा था।

"बबली," थोड़ी देर बाद वो बोला।

"हूँ,"

"स्कूल मे पढ़ती हो,"

"नहीं कॉलेज मे,"

"बॉयफ्रेंड है,"

मैने हाँ मे गर्दन हिला दी, "अब जाने दो," मै बोली।

"बहुत गोरी गोरी और साफ सुथरी चुचिया है तुम्हारी, बॉयफ्रेंड ने कभी मसली नहीं है क्या।"

मै शर्म से लाल होने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से निप्प्ल्स को मसलने लगा।

"अहह, अहह, नहीं, अहह, आई, आई," मै कसमसाती रही और वो रगड़ता रहा। मै धीरे धीरे गरम होने लगी और जब भी वो अपने होंट मेरे होंटो के ऊपर रखता तो उसके कहे बिना भी मै उसे किस करने लगती। जब भी वो कस कर मसलता तो मै कसमसा जाती।

मै फिर से कसमसाई तो वो मुझे कस कर जकड़ता हुआ बोला, "बबली ये leggings इलास्टिक वाली है या नाड़े वाली।"

"इलास्टिक," मै काँपते स्वर मे बोली।

"इसे मै उतारू या तुम खुद ही उतारोगी।"

"नहीं नहीं प्लीज," मै मिमयाई।

"श्श्श, पुच, पुच, क्यू इतना मचल रही हो, मै बहुत प्यार करूंगा तेरे को,"

"यहाँ तुम्हें और मुझे कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं है, दरवाजा भी अंदर से बंद है," वो फुसफुसाया और मेरे सभी विरोध को खत्म कर दिया।

उसका एक हाथ मेरी चूत को टटोलने लगा, "टांगे क्यो चिपका रही है, चुत तो तेरी गीली हो चुकी है," वो फुसफुसाया, "चल टाँगे फैला, पुच, पुच, नखरा नहीं करते।"

धीरे धीरे करके वो मेरे को पूरा नंगा कर दिया और फिर अपने कपड़े उतारने लगा तो मेरी साँसे भारी होने लगी ये समझ के की अब ये मेरे को चोदेगा। ये मेरे बॉयफ्रेंड जैसा लड़का नहीं है बल्कि पूरा मर्द है और मै ये सोच सोच के उत्तेजना मे काँपने लगी। जब वो अपना अंडरवियर उतारा तो उसका काला मोटा लाँड़ देख के मेरी सिसकारी निकाल गयी।

वो मुझे वही पड़े एक कपड़ो के ढेर के ऊपर लिटा के मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका मोटा लाँड़ मेरी जांघों पे चुभने लगा। जब उसका पूरा वजन मेरे ऊपर पड़ा तो मेरे मुह से कराह निकल गयी।

मेरे बदन मे भी आग लग चुकी थी और मै सब कुछ भूल के मज़े मे डूबने लगी थी।

"देख तू साथ देगी तो तेरे को भी मज़ा आयेगा," वो मेरे एक मोमे को जकड़ता हुआ बोला। उसका हाथ शिकंजे की तरह मेरी छाती पर जम गया।

"अहह," मै करहा पड़ी, "कैसे अंकल।"

"अच्छी बच्ची," वो खुश होता हुआ बोला, "पहले तो टांगे खोल ले और मेरे लौड़े को एक हाथ से सहला।"

मुझे बहुत शर्म आई पर फिर भी मै टांगे फैलाने लगी, मेरे अंदर अजीब सी सनसनी होने लगी। मै हाथ बढ़ा के उसका मूसल जैसा लाँड़ पकड़ ली।

"अहह, से तो बहुत मोटा है," मै आह भर कर बोली। मै उसके लाँड़ पे ऊपर से नीचे हाथ फेरने लगी।

"पुच पुच, बहुत अच्छे, एसे ही सहलाती रहो" वो भराई हुई आवाज मे बोला और मेरे शरीर को जगहे जगहे से मसलने रगड़ने लगा। वो मेरी पावरोटी की तरह फूली हुई चूत को मसलने लगा।

"चूत तो तेरी मस्त है, काम लगा है न तेरा," वो बोला तो मेरी समझ मे नहीं आया और मै उसका मुंह देखने लगी।

"अरे मतलब लौडा लिए है न चूत मे, या आज पहली बार है।"

मै शर्म से लाल हो गयी उसकी बात सुन के, "धत।"

"अरे अब शर्म क्यो कर रही हो, सच सच बता," वो मेरे गालो को किस करता हुआ बोला, तो मै हाँ मे गर्दन हिला दी।

वो अपनी एक उंगली मेरी चूत मे घिसने लगा, "लगती तो सीलबंद है, मज़ा देगी तू मस्त।"

उसके बाद वो मेरे ऊपर पिल पड़ा और मेरे सारे शरीर को आटे की तरह गूंधना शुरू कर दिया। मै पूरी तरह फैल के पड़ी हुई थी और मन कर रहा था की वो करता रहे।

"अंकल अब कर दो न," मेरे मुह से अपने आप निकाल गया, मै अब कंट्रोल नहीं कर पा रही थी।

'अहह करो न," मै कराह पड़ी।

"बबली मज़ा आ रहा है," वो फुसफुसाया।

"हाँ अंकल," मै आह भर्ती हुई बोली।

"तो मुझे भी मज़ा लेने दे, अभी तो मै शुरू हुआ हूँ।"

"उह उह अंकल, अह अह, तो मज़े लो न," मै बदन को एठते हुए बोली, "कर दो।" पर वो अपनी रफ्तार से अपने काम पर लगा रहा।

"बबली," वो फुसफुसाया।

"अह," मेरी आंखे मुँदी जा रही थी।

"अब तू तैयार है।"

"अहह, अंकल।"

वो मेरी छातियो को छोड़ के मेरे दोनों तरफ पैर डाल के चढ़ गया। मेरे सीने मे अभी भी टीस मार रही थी। वो अपना मोटा लंबा लाँड़ मेरे गालो पर थपथपाने लगे जैसे मुह का दरवाजा खोलने को कह रहा हो।

"अंकल, अब ये मत करो न, उह, अब नीचे घुसा दो," मै वासना मे तड्फड़ा रही थी।

"पर मेरा मन तो तेरे मुह मे गिराने का है," उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी।

"नहीं न, अंकल," मै कसमसाई। मै उसके हाथ पर एक घूसा भी मार दी। वो मेरे बालो को पकड़ मे मेरा मुह सीधा कर दिया।

"पहले मुह मे ले,"

"अह, अह, उह, अह, नहीं न, अंकल," मै कसमसाती रही।

"थोड़ी देर चूस ले, फिर चूत मारता हूँ तेरी।"

उस समय मै इतनी गरम हो चुकी थी की मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था, मै उसका लौंडा पकड़ के अपने होंटो पर रख दी,

"घुसा दो," मै कराही, और मुह पूरा चौड़ा खोल के उसका मोटा लाँड़ अंदर लेने लगी।

"गुड गर्ल," वो खुश होता हुआ बोला और उसका लाँड़ मेरी जीभ पर फिसलने लगा।

"ग्ग, अग्ग, ग्ग, ग्ग, अग्ग्र्ल," मै अपना पूरा मुह खोल के उसके मोटे लाँड़ को पीने लगी।

"शाबाश, अंदर तक ले, पूरा उतार ले," वो धीरे धीरे 3/4 लाँड़ अंदर पेल दिया।

"औकऔक," मै ज़ोर से फड़फड़ाई जैसे ही उसका लाँड़ मेरे हलक मे जाके लगा। पर वो तुरंत पीछे खीच लिया।

"ले, ले, धीरे धीरे उतार ले," वो मेरे चेहरे को सहलाता हुआ बोला। उसके वासना मे डूबे चेहरे को देख के मुझे नशा सा चढ़ रहा था। वो मेरे बालो को पकड़ के लाँड़ मेरे मुह के अंदर पेलने लगा।

"औक, आ, आक, औक," मै छटपटाते हुए अपने गले मे उतरते लाँड़ को बरदास्त करने लगी।

"शाबाश शाबाश, थोड़ा और, थोड़ा और," वो फुसफुसाया और फिर एक और धक्के मे वो जड़ तक पेल दिया।

"औ... औ..." मेरा मुह लाँड़ की जड़ मे जा लगा। मै एकदम स्थिर लेटी रही और किसी तरह नाक से सांस लेती रही।

"अहह, शाबाश, पीती रह," वो भर्राई आवाज मे बड़बड़ाने लगा, "चूसती रह।"

मेरी छटपटाहट धीरे धीरे कम होने लगी और वो मेरे बालो को पकड़ के मेरे मुह आगे पीछे करने लगा। वो अब आराम से मेरे मुह को चोदने लगा और उसका लाँड़ मेरे मुह मे हलक तक अंदर बाहर होने लगा।

"अहह, मस्त लौंडिया है," वो बड़बड़ाया, "थोड़ी देर और चूसेगी तो तेरे मुह मे ही गिरा दूँगा।"

वो मेरे चूत भी मारना चाहता था तो कुछ देर बाद वो लाँड़ बाहर खीच लिया, जैसे ही वो लाँड़ बाहर निकाला मै ज़ोर ज़ोर से हाफने लगी।

"अंकल," मै शिकायती लहजे मे बोली पर उसको कोई फर्क नहीं पड़ा और वो मेरे टांगे ऊपर उठा दिया।

"चूत तो तेरी पावरोटी की तरह फूली हुई है," वो मेरी चूत को थपथपाता हुआ बोला और अपना मोटा लाँड़ चूत की फाँको के बीच घिसने लगा।

"अहह अंकल," मै सिसकारी भरने लगी और वो धीरे धीरे लाँड़ को अंदर ठेलने लगा।

"आह, आह आई अहह," मै कसमसाती रही उसका लाँड़ फिसलता हुआ अंदर समा गया और मै उसको कस कर चिपट गयी।

"अंकल कर दो, चोद दो," मै बड़बड़ाने लगी। वो पूरा मेरे ऊपर पसर गया और धक्के मारने लगा।

"उह उह अंकल, अह अह,आह, आह आई अहह," हर धक्के पे मै जैसे स्वर्ग पहुच जाती। वो हुमच हुमच के धक्के मरने लगा और मै उससे चिपक के झड़ने लगी। मै इससे पहले कभी भी ऐसा ज़ोर से नहीं झड़ी थी, मै करीब एक मिनट तक कापती रही और झड़ती रही। पर मेरे झड़ने के बाद भी अंकल मुझे पेलते रहे और मेरे सारे कस बल निकाल दिये।

"अहह, तेरी चूत भर दूँगा मै अपने माल से," वो बड़बड़ाते हुए थोड़ी देर बाद मेरे अंदर ही झड़ गए।

हम दोनों ही थोड़ी देर तक उठ नहीं पाये। उसके बाद धीरे धीरे मेरा जोश ठंडा पड़ने लगा तो एहसास हुआ की ये क्या हो गया, मै कैसे एक चालू लड़की की तरह इस अजनबी से चुद गयी। दर्जी उठ के बाहर चला गया था तो मै भी उठ गयी, मेरा शर शरीर दर्द के मारे टूट रहा था।

मै किसी तरह कपड़े पहन के बाहर आई तो देखा की करीब एक घंटा बीत चुका था, ये दर्जी मेरे को एक घंटे से रगड़ रहा था। बाहर अभी भी सन्नाटा था तो थोड़ा चैन आया की किसी को पता नहीं चला।

"बबली नाप तो अभी भी नहीं लिया, तुम बाहर क्यो आ गयी," वो कुतसित भाव से मुस्कुरा रहा था।

"मेरे को नहीं सिलवाना," मै बोली।

"अरे नहीं नहीं, चलो अभी नाप ले लेता हूँ और मै बहुत बढ़िया चोली सिलुंगा," वो बोला और मेरे न न करते करते भी मेरा नाप लेने लगा। नाप देकर और रसीद लेकर मै जल्दी से घर की तरफ चल पड़ी।

अगले हफ्ते मै सिली हुई चोली लेने भी गयी थी, पर वो कहानी फिर कभी।

आप लोगो को मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।

Just trying my hand at writing in Hindi do tell me how it was.

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Anonymous
36 Comments
AnonymousAnonymous7 months ago

मेरा असली नाम

इमरान ख़ान है

और मैं एक मुस्लिम लड़का हूं

मेरी उम्र 26 साल है

पति चाहे कितना भी ओपन माइंड हो

लेकिन फिर भी औरत गैर मर्द की बाहों

में एकदम ओपन फील करती है वहा उसे जज करने जैसी फीलिंग नही आती.....

वो खुल के बोल सकती है की वो कितनी बड़ी चुद्दाकड है और उसे लंड से कितना प्यार है ... गैर मर्द के झटके खाते हुए वो उसे चिल्ला के कह सकती है की और जोर से मारो जबकि यही बात पति से कहने में हिचकिचाती है क्योंकि उसे डर होता है कि

ऐसा कहने से पति क्या सोचेगा या फ़िर चुद्दकड़ समझेगा तो डाउट करेगा ... ये डर उसे गैर मर्द के साथ नही होता बस यहीं कारण है कि औरत की मन पसंद चुदाई अक्सर गैर मर्द के साथ होती है... इसपे अगर वो मर्द उसे अपनी पसंद का मिल जाए और उसे भी वो मर्द प्यार करता हो सच्चे दिल से तो फिर एक औरत के लिए इससे बडकर कुछ नही ... लेकिन ऐसी खुशकिस्मत औरते बहुत कम होती हैं

व्हाट्सएप मैसेज करो मुझे 8920952534

अकेला हू अभी l😍😍❤️❤️

दिल्ली, गाजियाबाद

नोएडा, फरीदाबाद

गुड़गांव

AnonymousAnonymous9 months ago

जब मै 18-19 की थी तब मै भी एसे ही अंकल अंकल करती हुई फंस गयी थी। वो दर्जी जान पहचान का था और पापा के साथ उठता बैठता था, दोनों साथ मे दारू भी पीते थे और वो मेरे को हमेशा बेटी बेटी बोलता था, पर साथ ही साथ वो मेरे साथ हंसी मज़ाक भी करता था। पीठ सहलाना, कमर मे हाथ डाल देना, गालो और बालो को सहला देना, ये सब तो वो जब मौका मिलता करता रहता। बड़ा ओपेन माइंड बनते हुए वो मेरे से बॉयफ्रेंड कौन है टाइप बात भी करने लगा, मै उसकी ये सब बाते सुन के शर्मा जाती।

फिर एक बार ब्लाउज़ सिलवाने गयी तो नाप लेने के बहाने अंदर कमरे मे ले गया और नाप लेते लेते हाथ लगता रहा और फिर ब्लाउज़ डीप नेक बनवाओ बॉय फ्रेंड को पसंद आएगा टाइप बाते शुरू हो गया। मै उसको बता बता के थक गयी की मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है पर वो छेड़छाड़ करता रहा और मै शर्म से पानी पानी होने लगी। पीछे से खुला रक्खो, आगे से खुला रक्खो वो हाथ लगा लगा के समझाने लगा और लड़को तो दीवाने हो जाएंगे तुम्हें देख के। अरे शर्मा क्यो रही हो, मुझसे क्या शरमाना, वो मेरे स्तनो को पकड़ के ऊपर उठाने लगा। मै शर्म के मारे जड़ सी हो गयी। पुच, पुच, हाथ नीचे रख, मुझे देखने तो दे, तेरे तो बहुत बड़े बड़े है, बहुत प्यारे है।

इसी तरह सहला के, फुसला के वो मेरा कुर्ता उतरवा दिया और बोला की कोई डिस्टर्ब न करे इसलिए दरवाजा बंद कर देता हूँ।

बहुत बढ़िया, कितने तने हुए है कोई सपोर्ट की भी जरूरत नहीं, थोड़ी देर मे ही वो मुझे पीछे से बांहों मे ले लिया और मेरी ब्रा ऊपर उठा के मेरे दोनों स्तनो को जकड़ लिया। मै अंदर ही अंदर उत्तेजित भी हो गयी, पर न नुकुर करती रही, छोड़ो छोड़ो बोलती रही।

थोड़ी देर मे जाना, वो इतनी गंभीरता से बोला की बरबस ही मेरी गर्दन हाँ मे हिल गयी। दोनों हाथो से वो भोपू की तरह मेरे स्तनो को बजाने लगा। मै अंकल आह, अंकल उह ही करती रह गयी। सबकुछ जानते समझते भी कामोतेजना मे मन यही बोल रहा था की होने दो जो हो रहा है।

अंकल वही मेरे को लिटा लिया और पेल डाला।

AnonymousAnonymous11 months ago

हमारी बिल्डिंग के पास ही उस दर्जी की दुकान थी. उसके साथ हल्की-फुल्की मस्ती में मज़ा आता था, कभी-कभी वो नाप के बहाने हाथ लगा देता था गोलाई पर. अक्सर कहता आप घर बुलाया करो नाप के लिए वहां इत्मीनान से नाप लूंगा. मैं उसके इरादे समझती थी. बार बार कहता था कि bra न पहनूँ नाप देते हुए तो एक दिन मैं बिना bra के गई.

जैसे ही मैंने अंदर वाले कमरे में चुन्नी उतारी तो खुश हो गया देखते ही और लगा तारीफे करने और मैं शर्मा गई. मेरा कोई इरादा नहीं था उसे ज्यादा छूट देने का पर वो दरवाजा बंद कर दिया और पूरा फायदा उठाने लगा. धीरे-धीरे वो मेरे को पटा लिया कि कुर्ता भी उतार दूँ , पता नहीं क्यु अकल पर पत्थर पड गये थे और माहौल एसा हो गया कि मेरे बदन में सनसनी होने लगी और मैं थोड़ा और मस्ती करने के लिए कुर्ता ऊपर उठा दी.

उसके मर्दाना हाथ मेरे स्तन पर जम गये तो मेरे मुह से सिसकारी निकल गई. इसके बाद उसे और कुछ पूछने कि जरुरत नहीं पडी. वो मेरे को वही टेबल पर झुका दिया और मेरे को नंगा करके काबु में कर लिया. जब वो मेरे को पेल रहा था तो मैं आनंद के सागर में गोते खाने लगी क्योंकि पति के साथ अब एसा एक्साइटमेंट नहीं होता था.

उस दिन के बाद से वो घर भी आने लगा.

AnonymousAnonymous12 months ago

मैं जब 14 साल की थी तब मेरे को भी एक हरामि दर्जी ने chod दिया था। शर्म और नादानी की वज़ह से उसकी छेड़छाड़ की मैंने किसी से शिकायत नहीं की। एक दिन वो मुझे दुकान के अंदर वाले कमरे में दबोच लिया, बाहर वाले कमरे में उसका नौकर पहरा देता रहा। उसने मुझे फुसलाकर एसा काबु में किया की मैं उसे पूरा समर्पण करने को राजी हो गई।

जब वो मुझे नंगा करके मेरे ऊपर चढ़ने लगा तो मैं बहुत डर गई पर वो मेरा पूरा फायदा उठाया। मेरी दर्द भरी आवाजें बाहर उसका नौकर भी सुनता रहा।

shang40shang40about 1 year ago

Apni bhasha mein aisi kahani. Mashallah... Acche ghar ki kitni biwiyan betiyan chod chuki hai Darji ne. Hindu aurate Muslim Darji se hi kapde silwana pasand karti hai iska karan unka lund hota hai.

AnonymousAnonymousover 1 year ago

मेरे को भी मेरे दर्जी ने चोद डाला था, पर मै लड़की नहीं लड़का हूँ। मै अपने बाप के साथ उसके पास जाया करता था फिर भी वो मेरे को इधर उधर हाथ लगा देता और मै जब भी उसकी तरफ देखता वो एसे हँसता जैसे मज़ाक कर रहा हो। एक दिन मै उसकी दूकान के सामने से गुजर रहा था तो वो मेरे को अंदर बुला लिया बोला की नाप ठीक से नहीं हुआ था फिर से लेने पड़ेगा। मै उसकी बातों मे आ गया और वो मेरे को पीछे बने अपने घर मे ले गया, उस वक़्त घर मे कोई नहीं था। वहाँ वो नाप के बहाने मेरे को हर जगह हाथ लगाया। मै शर्म, झिझक और उत्तेजना की वजह से कुछ कह नहीं पाया और वो मुझे अपने बिस्तर पर लिटा के ऊपर चढ़ गया। जब वो मेरे कपड़े उतारने लगा तो मुझे डर लगा पर तब तक देर हो चुकी थी। फिर मेरे साथ वही हुआ जो इस लड़की के साथ story मे हुआ, मै उसका लंड भी चूसा और फिर उसने मेरी गांड भी मारी।

momcommomcomalmost 2 years ago

मै जब छोटा था तब हमेशा अपनी माँ के साथ बाज़ार जाया करती थी। माँ को मेरी दादी अकेले बाहर जाने नहीं देती थी इसलिए वो हमेशा मुझे साथ ले जाती थी। पिताजी मेरे गल्फ़ मे नौकरी करते थे और साल मे एक बार ही आ पाते थे और माँ ने अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए कुछ लोगो से संबंध बना लिए थे। माँ मेरे को लेकर अक्सर एक दर्जी के पास जाती थी। दर्जी मेरे को दुकान पर बैठा के माँ को अंदर वाले कमरे मे ले जाता, कहता ‘नाप लेना है,’ और मेरे को कहता की अगर दूकान पर कोई आए तो कह दू की अंकल बाहर गए है और देर से आएंगे। माँ को लगता था की मुझे कुछ पता नहीं है पर मै कुछ कुछ समझने लगी थी और दरवाजे की झीरी से सब देखने भी लगी थी। मम्मी उस वक़्त 34-35 साल की भरपूर जवान औरत थी और घर का सारा काम करने की वजह से उनका शरीर बहुत कसा हुआ और सुडौल था। वो नंगी हो के दर्जी के उस कमरे मे नीचे गद्दे पर लेट जाती और दर्जी भी नंगा होके उनके ऊपर चढ़ जाता था। मुझे समझ नहीं आता था की वो मम्मी को प्यार करता है की पिटाई करता है, क्योकि को मम्मी को चूमता भी था पूरे शरीर पे और नोचता भी था और मम्मी की दर्द भरी आवाज मुझे सुनाई देती थी। मै उनकी पूरी हरकते देखती की कैसे वो मम्मी की टाँगे उठा के अपना डंडा उनके अंदर घुसा देता और फिर ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार के मम्मी को दर्द पहुंचता।

सब करने के बाद दर्जी पैंट पहन के बाहर आ जाता पर मम्मी को साड़ी पहनने के थोड़ा टाइम लगता। उस समय दर्जी मेरे को अपनी गोद मे बैठा के एक दो पप्पी मेरे गालो पर कर देता और कभी कभी टॉफी भी देता। एक दिन मै उसकी गोदी मे बैठी थी तो मेरे मुह से निकल गया की वो मम्मी को दर्द क्यो करता है, तो वो हंसने लगा और बोला की मम्मी को दर्द नहीं होता बल्कि मज़ा आता है। मै कौहुतूल से उसकी तरफ देखने लगी तो वो मुस्कुराने लगा और मेरी अर्धविकसित स्तनो को सहलाने लगा और बोला तेरे को पूरा समझा दूँगा किसी दिन। जब तक मम्मी बाहर आयी वो एक दो बार मेरे स्तनो को हल्के से मसल दिया और बोला दर्द हुआ क्या, मै हाँ के गर्दन हिला दी तो वो मुस्कुराने लगा बोला, मज़ा भी आया न।

एक दिन मै बाज़ार से अकेली जा रही थी तो दर्जी मेरे को अपनी दूकान पर बुला लिया। वो दुकान बंद कर दिया और मुझे ले कर अंदर वाले कमरे के आ गया, बोला आज तेरे को पूरा समझा दूँगा। उस दिन माँ की जगह मै नंगी होके लेटी उस गद्दे पे। मै जानती थी की अब क्या होगा और मै वो सब करना चाहती थी जो माँ करती थी। मैंने उसके गले मे अपनी बाहे डाल दी और वो मेरे होंटो को चूमते हुए मेरे स्तनो को मसलने लगा। वो फुसफुसाया, बेटी तो माँ से भी जायदा मस्त है। बहुत कुशलता से उसने मुझे रगड़ा मसला और फिर मेरी चूत मे तेल लगा के मेरा कौमार्ये भंग कर दिया।

tantrik721tantrik721almost 2 years agoAuthor

Dear readers the second part is published

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

Wapis kb aa rahi hai ye kpde lene ?

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

कहानी पढ़ कर और कमेंट पढ़ के लग रहा है की मै अकेली नहीं हूँ बल्कि ये कहानी तो बहुतों के साथ घटित हुई है। मेरी शादी को 10 साल हो चुके थे और पति के सेक्स एक रूटीन। तो जब उस दर्जी ने ब्लाउज का नाप लेने के बहाने से कमर पर हाथ फेरा तो मेरे अंदर सनसनी दौड़ गयी और मै कमजोर पड़ गयी। सब कुछ जानते हुए भी की ये नाजायज फायदा उठा रहा है मै उस वर्जित और अनैतिक आनंद को महसूस करने के लिए मै ब्लाउज उतार के नाप देने को तैयार हो गयी। वो मुझे अंदर कमरे मे ले गया और पहले ब्लाउज और फिर ब्रा भी उतरवा लिया।

जब वो मेरी चूचियो को अपने हाथो मे जकडा तो मै नैतिक अनैतिक, जात पात, सब भूल गयी, उस वक़्त वो सिर्फ एक मर्द था और मै एक औरत। बहुत सालो के बाद मै इतना उत्तेजित हुई थी। उसने पूरा फायदा उठाते हुए मुझे नंगी कर के वहीं लिटा लिया। मर्दांगी मे वो कम नहीं था और वो मेरे को तबीयत से चोदा।

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

सब के कमेंट्स पढ़े। मेरे पति अच्छे पद पे हैं उत्तर प्रदेश में। जैसा के औरों के साथ मेरे साथ भी हुआ । नाप के बहाने सब जगह हाथ लगाया और मुझे समझा ही दिया के आजकल फैशन ऐसा के गहरा ब्लाउस बिना ब्रा के पहन जाता। इससलिए आप ब्रा उतारिए तब ही नाप लूँगा.

ब्रा उतारने के बाद फिर वही के आपके दूध तो बहुत मस्त हैं। सलवार के नाप के लिए चूत पे हाथ। उसको एक kink और भी था के जब मै नंगी तब किसी से फोन पे बात जरूर करू। कहता था आप सिर्फ़ ज्वेलरी रखो जिस्म पे। कान की बाली , पायल । कपड़ा कोई नहीं पति से या सास से या किसी दोस्त से उसी समय बात करूँ और उसे समय वो मुझे चोधे । शुरू में अजीब लगा लेकिन फिर मज़ा भी आया। कहता था के आप अकेली नहीं चुधवाती मुझ से। शहर की बहुत बीवियों को चोधता हूँ । उनके घर जाता हूँ। पति से नमस्ते करता हूँ। चाय पीता हूँ। किसी को शक नहीं होने देता. अजीब लेकिन मजेदार experience । कहानी पढ़ के मज़ा या गया

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

बहुत से लेडिज टेलर सच मे बहुत बदमाश होते है और छोटी नादान लड़कियो को फंसा लेते है। पर मै तो उस वक़्त 32 साल की एक बच्ची की माँ थी। पर उसने मुझे मीठी मीठी बाते करके और नाप लेने के बहाने हाथ लगा लगा के फंसा लिया। जब उसने पहली बार नाप लेने के बहाने मेरे स्तनो पर हाथ लगा दिया तो पूरे बदन के जैसे करंट दौड़ गया। मै उसे डांटने या रोकने के बजाय उसकी हरकत को नज़रअंदाज़ कर दिया, इससे वो और भी निर्भीक को गया।

मै जब भी उसके पास जाती तो वो बहाना ढूंढ के मेरे बदन पे हाथ फेर देता था। मेरे को भी उसके हाथ लगाने मे मज़ा सा आने लगा था पर मै कभी भी अपने पती को धोका देकर उसके साथ सेक्स करने की नहीं सोची। पर उसका इरादा सिर्फ हाथ लगाने के नहीं था बल्कि को तो पूरा कांड करना चाहता था।

एक दिन वो मेरे को ब्लाउज़ का ट्राइल लेने के लिए बुलाया और अंदर कमरे मे आते ही वो दरवाजा बंद कर दिया और मेरी पीठ पर हाथ रख के मुझे बीच कमरे मे ले आया। वो पूरे आत्मविश्वास के साथ मेरी साड़ी के पल्लू को पकड़ के नीचे गिरा दिया और फिर ब्लाउज़ को खीच खीच देखने लगा और कहने लगा की ये तो ढीला सिला है, ठीक नहीं है। वो इस तरह से मेरे ऊपर हावी हो गया की मै कुछ सोच समझ नहीं सकी बस शर्म और झिझक से जड़ खड़ी रह गयी।

उसकी एक उंगली मेरे उरोजों के दरार मे धस गयी तो मेरी साँसे भरी होने लगी।

“नहीं नहीं क्या कर रहे हो,” मै किसी तरह बोली, “तुम बहुत बदमाश हो हर बार बदमाशी करने लगते हो।“

“थोड़ी बदमाशी करने दो न,“ कहते हुए वो ब्लाउज़ मे हाथ घुसा दिया और मेरे बूब्स को पकड़ लिया। मै नहीं नहीं करती रह गयी और वो मुझे अपनी बांहों मे जकड़ लिया। वो लंबा चौडा तगड़ा मर्द था और जब वो दोनों हाथो से मेरे उरोजों को मसलने लगे तो मै कसमसाती रह गयी और आनंद के अतिरेक मे मेरी आंखे मुँदने लगी। वो तेजी से मेरे कपड़े उतार दिया और मुझे नंगी करके वहीं फर्श पर पटक दिया। मै कभी भी अपने पती के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहती थी और मै उसके साथ इतना आगे बढ़ जाऊँगी ये मैंने कभी सोचा भी नहीं था। पर जब वो मेरे ऊपर चढ़ के मेरे शरीर का मर्दन शुरू किया तो मै सब कुछ भूल गयी।

बाहर दुकान मे उसके दो कारीगर चेले भी थे उन्हे पता था की उनका दर्जी मास्टर अंदर क्या गुल खिला रहा है। कोई हस्तछेप न कर सके इसलिए वो दुकान का शटर गिरा दिये और साले दरवाजे की झिरी से मेरी चुदाई देखने लगे। दर्जी ने मुझे बुरी तरह रगड़ डाला और इतनी ज़ोर से चोदा जैसा मै पहले कभी भी नहीं चुदी थी।

उस दिन चुदने के बाद मै खुद बैचन रहने लगी दोबारा उसके साथ चुदाई के लिए। वो जब भी बुलाता मै उसकी दुकान पर चली जाती और वो मेरे को जो बोलता मै वो करती। एक बार वो मुझे चोद रहा था तो उसके दोनों कारीगर दुकान बंद करके अंदर कमरे मे आ गए। उस वक़्त मै नंगी पड़ी थी, मुझे बहुत शर्म आयी और मै अपने शरीर को दर्जी के शरीर के नीचे छुपाने की कोशिश करने लगी। पर दर्जी ने तो उन्हे जानभूझ के अंदर आने के लिए बोला था। \

मेरी न नुकुर बिलकुल भी नहीं चली, दर्जी मुझे दबोचे रहा और एक मेरी टाँगे उठा के लन्ड पेल दिया चूत मे। दर्जी वही बैठा रहा और दोनों बारी बारी से मुझे चोदने लगे। उनके बाद दर्जी ने भी मेरी बजाई।

कई सालो तक मै तीनों के साथ चुदाई करती रही और ये सिलसिला तभी खतम हुआ जब मेरे पती का तबादला दूसरे शहर मे हो गया।

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

मस्त मस्त मस्त मस्त मस्त कहानी है।

मेरे को दर्जी ने तो नहीं पर परचून की दूकान वाले ने पटा लिया था जब मै छोटी थी। जब भी उसकी दूकान पर जाती तो वो चॉकलेट, टॉफी देता और कहता की बदले मे एक पप्पी और मेरे गालो पर पप्पी कर देता। दोपहर मे जब कोई नहीं होता तो गोदी मे बैठा लेता और बाहो मे दबोच के पप्पी लेता। मै छोटी थी पर बेवकूफ नहीं थी थोड़ा थोड़ा समझने लगी थी पर फ्री की चॉकलेट के लिए रोज चली जाती थी। वो मुझे दोपहर को बुलाता और काफी काफी देर तक गोदी मे बैठा के बाहो मे भीचता और गालो और होंटो पर पप्पी करता।

एक दिन जब मै गयी तो मूसलाधार बारिश होने लगी और वो मुझे दुकान के अंदर करके शटर बंद कर दिया। फर्श पर दरी बिछा के वो मुझे वही लिटा लिया, मुझे मज़ा आ रहा था उसकी हरकतों मे और जब वो मुझे नंगा किया तो मै ज़ोर से उसको चिपक गयी। वो मेरे को पूरा सेट कर दिया था, थोड़ा दर्द होगा तो मज़ा आयेगा, सहन करना होगा, बोल बोल के मुझे तयार कर दिया। वो मेरे छोटे छोटे मोमो को मसलने और चूसने लगा और मेरी चूत मे तेल लगा के घिसने लगा तो मै आनंद के सागर मे गोते खाने लगी।

थोड़ी देर रगड़ने मसलने के बाद वो मेरी टांगे ऊपर उठा दिया और अपना लन्ड मेरी चूत के छेद पर रख दिया। पहले धक्के मे ही मुझे चाँद तारे दिख गए और मै बिलबिलाने गयी और चिल्लाने लगी पर वो मुझे दबोचे रहा। मेरे चिल्लाने की आवाज बारिश की आवाज के खो गयी। वो पूरा लन्ड अंदर पेल दिया और उसके भारी शरीर के नीचे मै हिल भी न सकी। मै छटपटाती रही और वो मेरी नादानी का फाइदा उठाने लगा। थोड़ी देर मे तीखा दर्द थोड़ा कम हो गया पर फिर भी मै चिल्ला पड़ती जब वो ज़ोर से धक्का मारता। पेल पेल के उसने मुझे औरत बना दिया।

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

Part 2???

AnonymousAnonymousalmost 2 years ago

You have a flair for writing - please keep doing what you do best

AnonymousAnonymousabout 2 years ago

तुम्हरी कहानी ने मुझे मेरी बचपन की याद दिला दी लेकिन मैं उस वक़्त तुम से भी काफी कम उम्र थी और बिल्कुल कुंवारी और नादान थी

लगभग वही सब हुआ जो तुमने लिखा था

मेरे माँ मुझे गाव के दर्जी के पास ले गई थी और साले ने मेरी माँ को बेवकूफ़ बना दिया और मुझे बिटिया बिटिया कह के अकेले कमरे में ले गया

वहाँ उसने मुझे हाथ लगा लगा के गर्म कर दिया और मेरी छाती मसल दी, होंटों को किस कर लिया पर chod नहीं पाया

उस दिन तो माँ की वजह से ज्यादा कुछ नहीं हो पाया पर सिला हुआ कुर्ता लेने मैं अकेली गयी तो उसने कहा छोडऩा था

दुकान बंद करके वो मुझे पीछे कमरे में ले गया पर तेल लगा के चौदने के बाद भी बहुत दर्द हुआ था

AnonymousAnonymousabout 2 years ago

This really needs a second chapter

AnonymousAnonymousabout 2 years ago

Orgasmic, cant wait for hee to return and maybe enjoy some threesome

AnonymousAnonymousover 2 years ago

Wah mst kahani

AnonymousAnonymousover 2 years ago

5 saal pahle hum Mainpur mei padhte the. Hamarre girls' primary school se thodi si door boys' middle school tha. Boys shaitani karne hamare school mei chupchap ghus aate aur jo ladki dikhti, uske shareer pe haath lagaate Mai 13 saal ki thi tab, aur Didi 15 saal se jyada. Didi ko to kayi baar school gate ke andar jhadiyo ke pichhe dekh chuke the, aur kayi baar to wo gate ke baahar bhi chali jaati thi. Wo 9th mai thi aur hum 6th mei Unka shareer to thoda jawan dikhta tha, hamara bas start hua hi tha. Ek din na jane kyu hum bhi gate ke paas chale gaye, Didi baahat thi lekin gate ke lafi paas, ek ladke se chipki huyi. Uss ladke ne bola, 'ab kab chalegi wahan par? Hafta hone wala hai.' Didi boli nahi tab ladke ne unke chhati par masalate huye fir poochha, 'Bol na, tere sath bahot maza aata hai'. Mai dhire se ek jhad ke pichhe ja kar sunane lagi. Didi dhire bol rahi thi, lekin hum sun liye "Uss din tum apna dost kyu laaye? Humko bahut darr lagaa, fir bhi tum bole too hum uske saath bhi....' Ladka Didi ke hips masal kar bola, 'Maza nahi aaya dono ke saath?' Didi sharam kar rahi thi, kuch bol nahi.

Ladka jaate huye bola, 'Kal shanivar hai, tu ek class ke baad aa jaana, teeno wahan chalenge' Main ekdam gate ki taraf bhagi, lekin Didi ko bra ka hook lagaate dekhi.

Didi ki kuchh saheliyon se baat hoti thi, unmei se teen hum se thoda khuli thi, Unse pata chala ki unki class ki bahut ladkiya masti karti hain ladko ke saath, jyadataar ek se jyada ladko ke sath, Didi ke bhi 3-4 se chalta tha. Hamara bhi man kiya karta tha, tab ek Riya Didi smile karte boli' Tu kahe to tera bhi kanta fit karwa denge. Ud din hum jawaab nahii diye, lekin agli baar Riya Didi boli " Aaj aa ja, ek naya ladka, humare waale ke sath aayega. Tu chahe to saath chal sakti hai.' Hum darri thi, lekin gaye un logo ke saath, Didi waale ke sath ek nahi, do aaye the. Ek kafi toota hua kamra tha, jiske paas koi ghar nahi tha kafi door tak. Didi to do ladko ke sath jaldi hi ek kone mei shuru ho gaye. Jo ek bacha tha wo humare paas aa kar shuru ho gaya, rokna bhari ho gaya. Pahle din hi kaafi ho gayaa, fir to teeno ladko mei se kisi na kisi se ho hi jaata tha aksar.

Teen mahine ke baad school jate dekha humari Didi thoda sust thi; baad mei unki close saheli ne hint kiya ki shayad kuchh gadbad ho gayaa hai, isliye doctor ko dikhane jaana hoga. Ab tak hum samajhne lage the ye sab. Hum bhi darr gaye, aur exam tak ladko se nahi mile. Didi ka bhi sab theek go gaya aur wo bhi exam tak nahi gayi. Agle saal wo Mainpuri ss Kanpur chali gayi padhne. Didi se milte to baat hoti, wo batayi ki Kanpur mei to khoob chalta hai ye sab. Hum bhi next year ke liye Kanpur ke liye Amma aur Babu ko manaa liye hain. Manisha (14)

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