ससुरजी के साथ मेरे रंगरेलियां 03

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

में उसके ऊपर चढ़ कर अपना चढ़ हाथ पकड़ा और उसकी स्वर्ग द्वार पर रख एक जोर का धक्का दिया... "आ..आ...आए.. स..ससस....स....यय...यय.... आ..आ...आ... और जोरसे पापा.. औअर जोर से... है.. है... बस मज़ा आगया..... आआआह्ह्ह्हह्ह कितने दोनों से में आपके लैंड के लिए तरस रही हूँ.... dadddddyyyyy........ पूरे चार वर्ष से इस लंड, मेरे पापा के मर्दानगी के तरस रही थी डैडी... पूरे चर साल से में आपके मोठे लंड की कल्पना कर रही थी..." और संगीता ने अपनी गांड खूब उछालते मेरे चमड़े की चढ़ को अंदर लीलने लगी।

संगीता जे बातें सुनकर में ढंग रह गया। "बेटी तुम...." में अपना चोदना बंद कर उसकी आंखोमे देखा। "ओह बाबा.... प्लीज अब मत रोकिये.. मैं झड़ने वाली हूँ आप भी जड़ जाईये बाबा... ता की हम दोनों एक ही बार झड़े और दोनों को मजा आ जाये" कहते अपनी कमर ऊपर उछाल रही थी और में अंदर धकेल रह था। क्यों की में भी कबसे उसके बारे में सोचता था में भी झड़ने को तैयार था और उसकी बातें सुनकर जोर जोरसे उसे चोदने लगा। मेरा मुश्तण्ड उसकी गीली बुर में अंदर बहार होने लगी। मैं तो उसे चोदते सच में ही स्वर्ग में था। मैं मेरे सुपडे तक लंड को बहार खींचता और फिर संगीता अपने कमर उठाती, फिर मई उसके अंदर...आआह्ह्ह्ह..वैसे ही हम 12, 15 मिनिट तक डटे रहे। में चोदता और वह चुदवाती। अब मैं झड़ना वाला था।

"बेटी, संगीता मैं फिनिश होने वाला हूँ... अंदर झड़ जावूं या..." मैं अपना धक्का रोक कर पुछा और उसके आखो में देखा।

ओह बाबा..अंदर ही जाईये... अंदर हि झडिये बाबा.. अपना गर्म लावा मेरी तपती बुर में उंडेल कर उसे ठंडा कीजिये.... साली कैसी तप रहीहै... मममम...भर दीजिये बेटी की चूत को अपनी सीड से.... oaaaahhhhsss....aaah" और खलास होने लगी। उसका मदन रस मेरे लिंग को अभिषेक क रहा था। पहले दूध का अभिषेक और अब.... फिर मैंभी दो चार धक्के और देकर उसके अंदर झड़ गया। हम दोनों थक गए, साँसे तेज चलने लगी औरमैं उसके ऊपर निढाल हो कर गिरा।

दस बारह मिनिट बाद हमे होश आया और हम उठे और एक दूसरे को देख मुस्कराये। भरी दोपहर में सुरज की तेज रौशनी में बहुत ही मजेदार चुदाई थी यह। उस रात संगीता ने मुझे वहां ही रोक लिया.. और.."

प्रिय पाठकों इतना जहकर मेरे ससुरजी ने अपनी बेटी संगीता के चुदाई किस्सा समाप्त करे।

-x-- --x-- --x-- --x-- --x--

मैं खुश थी की मेरे जो शब्द मैंने संगीता से कहे वह कारगर निकले और उसका फल मीठा निकला। मैं बाबूजी को प्यार भरे नजरों से देखते "बाबूजी..आप खुश होना...?" पूछी।

ओह... हेमा... मैं स्वीट... यू आर ए डार्लिंग... तुमने मुझे पूरा ही नया जीवन दिया है..." और उन्होंने मेरे मुहँ पर हर जगह चुम्बनों से भर दी।

"ओके...ओके... अब आप की बहु के तरफ भी ध्यान दो... देखो उसकी बुर में भी खुजलो हो रही है... वह बहुत गर्म होगयी है आपकी गरम कहानी सुनकर... देखो मेरी बुर कैसे गीली हो गयी है..." और मैंने बाबूजी केँ हाथ को मेरो रिसती चूत पर ले गयी। मेरी मदन रस से भरे बुर में ऊँगली करते बाबूजी ने मुझे पलंग पर चित लिटाये, मैं मेरो जाँघों को उनके एंट्री के लिए फैलायी। बाबूजी ने एक जोर का धक्का मेरे अंदर दिए।

सर...सर...सर...सर...एक ही झटके में उनका कड़क 8 इंच लम्बाई मेरे अंदर समां गयी। "oooooooyeeeeeeyee... ससुरजी, यह क्या इतनी जोर से.... aaasshhhshhhaaaa.... मेरी अभी तंग है... आपकी बेटी के जैसे ढीली नहीं है... मेरी शादी के सिर्फ दस महीने ही हुए है, जबकि आपकी बेटी संगीता के 3 वर्ष होगये... क्या मतलब इसका..वह तीन वर्ष से अपने पति से चुदा रही है.. और एक बच्चे की माँ भी बनी है... इसी लिए उसकी बुर कुछ ढीला हो गयी है.. मेरी नहीं... जरा धीरेसे पेलिए..." में बोलने को बोली लेकिन अपनी कमर उसके धक्के के लिए ऊपर उठायी। और हमारी चुदाई उस रात 3 बजे तक चली। खूब चली। मुझे उन्होने तीन बार, दो बार चित लिटाकर तो एक बार कुतिया बनाकर पेले थे।

--x-- --x-- --x-- --x--x-- --x-- --x--

उस रात मेरे और मेरे पति के बीच क्या हुआ वह एक अलग ही रोमांटिक दास्ताँ है .. वह मैं फिर कभी आपको सुनवंगी।

--x-- --x-- --x-- --x--x-- --x-- --x--

बाबूजी से मेरी पह्ली चुदाई जे बाद दूसरे दिन ग्यारह बजे के समय मैं संगीता के गर पहुंची जो मेरे यहाँ से 4 मील दूरी ओर है। संगीता ने मुझे हर्षातिरेक से अंदर बुलायी.. "ओह हेमा.. आओ अंदर आओ..." कहती मझे अपने आलंगन में ली। उनके दूध से भरे टिट्स मी टिट्स पर रगड़ खाने लगी।

में ठीक हूँ संगीता.. बोलो तुम कैसी ही..?" में भी उसके गाल को चूमते पूछी।

में उनकी बड़े भाई की पत्नी (भाभी) हूँ, लेकिन मैं उस से उम्र में छोटी होने का कारण यह मुझे नाम लेकर ही बुलाती है और मैं भी उसे नाम से ही पुकारती हूँ।

चाय के साथ स्नैक्स लेते हुए हम ने बहुत से रोजमर्रे की बातें की। वह मेरी हाल चाल पूछी और मैं उसकी।

एक अध् घंटे के बाद मै बोली "संगीता...." और रुक गयी। क्या सोच के आयी थी वह बात कैसे बढ़ाना समझ में नहीं आया।

"क्या बात है हेमा ...? तुम कुछ परेशान लग रही हो..?" संगीता पूछी।

फिर भी मैं कुछ बोली नहीं। सोच रही थी कैसे शुरू करूँ।

"बात क्या है हेमा...?" उसने मेरे कंधे पर सांत्वना के तौर पर हाथ रख कर पूछी "तुम्हे कुछ परेशान कर रही का...? भैया तुम्हारे से अच्छे से तो पेश आ रहे है ना...?"

"नहीं ... नहीँ ... तुंहरे भैया नहीं..."

"फिर क्या है...?"

में धीरेसे उस दिन मेरे ससुरजी मूठ मरने की बात बोली।

ओह... मै गॉड। ... बाबा कैसे मूर्ख है... वेह ऐसे कैसे....?" संगीता चकित होकर बोली। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

उन पर गुस्सा मत करो संगीता... मैं उन पर गुस्से में नहीं हूँ। सच पूछो तो मुझे उन पर सहानुभूति है..." उस दिन से वह घर नहीं आ रहे है... मि उन्हें पहले की तरह मेरे घर आना चाहती हूँ।"

संगीता ने मुझे चकित और आश्चर्य से देखि और पूछी "तुम्हे उन पर गुस्सा नहीं आ रहा है ..? ऐसी मूर्खता पूर्ण व्यवहार पर...?"

"नहीं। .." मैं बोली "मुझे तो उनपर सिम्पथी, या सहानुभूति तुम जो चाहे कहो वह है। सेक्स एक स्त्री और एक पुरुष के बीच एक आम शारीरक इच्छा है...मेरे तुम्हारे भैय्या से शादी के बाद, जितने दिन मैं उस घर मे रही, मैंने तो ससुरजी को सासुमा के कमरे में सोते नहीं देखि। और तुम्हे मालूम हि है, सासुमा उनसे कैसे अबध्र व्यवहार करती है। मुझे पूरा विश्वास है, सासुमा उन्हें छूने भी नहीं देति होगी। बेचारे.. बाबूजी... वह कहाँ जायेंगे क्या करेंगे.. सिवाय मूठ मारने की..." मैं बोली!

"पिछले दस वर्षों से वह लोग एक कमरे में नहीं सो रहे है..." संगीता बोली।

मैं ऐसा अभिनय किया जैसे में पहली बार यह बात सुन रही हूँ और बोली ...'सोचो.. कितना कष्ट दायक होगी उन्हें.. एक औरत का सुख नहीं मिल रहि है तो...सॉरी गंदे शब्द का प्रयोग कर रही हूँ... चुदाई के बिना कोई कैसे रह सकता है...?"

"दस वर्ष पूर्व... यानि के उस समय उनका उम्र कोई चालीस वर्ष के होंगे... सुना है चालीस की दौर में दूसरी जवानी अति है... और बेचारे बाबूजी.. चुदाई से वंचित...प्छ ..प् पच्छ.." मैंने जान भूज कर चुदाई शब्द का प्रयोग संगीता से किया।

तब पहली बार संगीता के फेस में बदलाव आया। अपने पापा के प्रति उसका क्रोध और जुगुप्सा कम हुआ। "तुम जो बोल रही हो वह सच है हेमा... बेचारे डैडी..." वह धीरे से बोली जैसे अपने आप् में कह रही हो।

"सच पूछो तो मैं उन्हें वह सुख देना चाहती हूँ... पर ससुरजी..." में भी उतने ही धीमें आवाज में बोली। मेरे बातें सुनकर संगीता ढंग रह गयी। उसका मुहं खुले का खुल्ला ह रह गया।

"मेरे बातों के गलत मतलब नहीं निकलना संगीता; देखो, मैं इस घर की बहु हूँ। इस घर का एक अंग हूँ। मैं इस घर के सुख शांति चाहती हूँ इसके लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ। सिर्फ में यही चाहती हूँ के हमारे घर के सब फॅमिली सदस्य की खुषि और आनंद। बाबूजी ने इस घरके सदस्यों के लिए इतना कुछ त्याग करें है... और कर रहे हैं। अगर वह चाहे तो अपना बदन का भूख मिटाने किसी और औरत के साथ रह सकते है.. या किसी कॉलगर्ल या तुम कहो तो रंडी के पास जाकर अपने तृप्ति कर सकते है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्यों..? इस घर के वास्ते..."

"सोचो अगर उन्होंने ऐसा किया.. तो क्या होगा... सबसे पहले तो घर की बदनामी... दूसरा पैसे की बर्बादी... और ऊपर से सुख रोग... इस सब का असर किस पर पड़ेगी.. फॅमिली मेंबर्स पर... क्या तुम चाहोगी की कोई यह कहे ... देखो संगीता के पिता ... कैसे रंडी के साथ फिर रहा है.. या पुलिस द्वारा पकड़ा गया है .. इन सब का असर किस पर होगा.. संगीता.. घर के सदस्यों पर..है या नहीं...?

"यस.. हेमा...तुम सहि हो..." संगीता बोली, कुछ रुक कर "फ़र्ज़ करो अगर तुम इस सिचुएशन में रहती तो क्या करती...?" वह पूछी।

यह सुनकर मुझे खुशी हुयी की मेरा तीर निशाने पर लगा और उसे देखती बोली "मैं एक क्षण के लिए भी हीच किचए बिना मेरे पापा को शांत करने हेतु जो करना है वह करुँगी.. वह चाहे तो चुदा भी लुंगी..." कही और संगीता के आँखों में देखि। संगीता मुझे देख मुस्कुरायी।

"संगीता...." मैं फिरसे कही... "तुमने एक बीज बोई और वह कुछ दिन बाद पौधा बनकर उग आयी...तो तुम क्या करोगी .. उसका देख बाल करोगी... समय समय पर पानी, खाद दोगी उसकी सुरक्षा का ध्यान रखोगी,

और वह पौधा पेड़ बन कर फल देती है...उस फल पर तुम्हारा अधिकार होगा या नहीं..?" में पूछी।

"जरूर होगी.. क्यों नहीं..? पक्का उस पर मेरा अधिकार होगा..." वह बोली।

"फिर एक पिता या माँ का यह अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए... वह भी तो अपने संतान के बीज बोते है.. जन्म पर उसकी पालन पोषण करते है..उस की सुरक्षा का ध्यान रखते है... फिर यह फल बनते है.. तो फिर माता पिता को उस फल को भोगने, सॉरी खाने क्यों नहीं दिया जाता..क्यों उसे गुनाह या पाप कहते है..?" कह कर मैं चुप होगयी।

संगीता कुछ सोहते रही... तब तपती लोहे पर एक और चोट देती में बोली..."जब बाबूजी मूठ मर रहे थे तो मालूम है उसके लबों पर किसका नाम था...?"

किसका....?"

तुम्हारा...' कहकर मैं उसका चहरा मेरे हाथों में लिया हल्का सा चुम्बन उसके गाल पर दिए।

"क्या...सचमें.....?" वह चकित होकर पूछी लेकिन मैं यह देखी की उसके होंठो पर एक छोटी सी मुस्कान देखि।

"हाँ.. यह सच है..." कही और उससे गुड बाई कहकर घर वापिस आयी। मुझे विश्वास था की मेरो बातों का असर होगा... और देखो... आपने उसे..." में अपने बाबूजी को मेरो बाहों में दबोच ली।

मुझे मालूम है तुम हर चीज़ में सामर्थ्य हो।" और मेरे प्यारे ससुरजी ने मुझे पीछे धकेल मेरे ऊपर चढ़ गए। में उनके एंट्री के लिए मेरी जंगों के साथ मेरा सारा शरीर खोल के रख दी।

तो प्रिय पाठक गण यह है मेरी दास्तान बाबूजी केँ साथ... उम्मीद करती हूँ की यह दास्तान आप का मनोरंजन किया होगा.. फिर मिलते है किसी और दास्तान के साथ.. तबतक के लिए अलविदा शब्बाख़ैर ..... आपका कमेंट जरूर लिखना...

आप सब की हेमा नंदिनी ..

------------------------

12
Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
2 Comments
AnonymousAnonymousabout 1 year ago

mujhe bhi boobs se khalan aur chooshna bhut achhaa lagta hain. chodene se phalan khanlo aur maze do phir dekho jaise wo tum ko chut dati hain

AnonymousAnonymousabout 2 years ago

बहुत ख़ूब क्या लिखा है एक दाम कामुक केसे बाप ने बेटी का दूध पिया लेकिन स्तन कितने बड़े थे मालुम नहीं चला

बस थोड़ा सा मोहक होता बाप केसे बेटी को प्रलोभन या बेटी मन करत है तो या शानदार हो जाता।

Share this Story

Similar Stories

माँ और शशांक भैय्या का पहली मिलन How a horny lady satisfies her self with her nephew.in Incest/Taboo
में और शशांक भैय्या hema ki apne chachere bhai shashank e chudai.in Incest/Taboo
Mera Laadla Devar, Vikram The realations ship the a student and his bhabhi.in Incest/Taboo
Maa Ki Mamta, Bete Ki Hawas Dosto ye kahani hai meri aur mere maa ke milaap ki.in Incest/Taboo
शशांक भैय्या और माँ एक औरत की कहानी जो अपने भतीजे से काम वासना मिठाती हैin Incest/Taboo
More Stories