शालिनी बनी मेरी दूसरी पत्नी

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"अच्छा....?"

"हाँ....मेरा पति का तो इतना नहीं है..."

मुझे गर्व होने लगी की एक जवान औरत मेरे औज़ार को तारीफ कर रही है।

"क्या मेरा उतना लम्बा है....? अब तक कितनों का देख चुकी हो...?"

"छी... कितने गंदे बात करते है आप...आपका दूसरा है... पहले मेरे पति का... बस..."

"क्यों कॉलेज में कोई बॉयफ्रेंड नहीं था क्या...?" मैं उसे बातों में रख कर ज्यादा से ज्यादा मजा लेना चाहता हूँ

"था न... मेरा पति ही मेरा बॉयफ्रेंड था... दूसरा कोई नहीं.."

"क्यों....? तुम इतना सुन्दर हो.. कोई तुमपर लार नहीं टपकाई..."

"मेरे पीछे दुम हिलाते चलने वाले और लार टपकने वाले बहुत थे ...लेकिन मैं किसी का दाना नहीं चुगि।

"अच्छा यह बताओ... तम्हारा पति का कितना था...?"

ऐसे बातें करने में अब उसे मजा मिल रही है तो वह भी जोश में मेरे सवालों का जवाब दे रही थी। मेरे सवाल पर वह बोली... "यही कोई साढ़ेपांच इंच या कुछ ज्यादा...कमसे कम छह इंच भी नहीं थी और मोटापा तो लम्बे वाले बैंगन से कुछ ज्यादा ... शायद उतना.." उसने अपने उँगलियों से मोटापा दिखाई।

"और मेरा कैसा लगा...?" मैं अपनी तारीफ उसके मुहं से सुन ना चाहता था।

"आअह्ह्ह... कुछ मत पूछो राघव जी...मैं पहली बार इतना लम्बा और मोटा देख रही हूँ... मुझे ढर है कि कहीं यह मेरी फाड़ न दे.." कही और जोरसे मेरे लवडे को ऐंठने लगी।

'बहुत प्यारी लग रही है ...?"

"हाँ...."

"तो प्यार करो न उसे.. चूमो..चाटो..." में सावधानी से बोला...

वह हीच किचाने लगी। मेरा अनुमान सही है.. वह इस से पहले कभी किसी का चूमि या चाटी नहीं.. अपना पती का भी...

"शालिनी, तुमने इस से पहले किसी का चाटि या चूमि नहीं हो..."

वह 'हाँ' में सर हिलायी।

"और तम्हारे को किसी ने चाटा...?" में उसको चूमते पुछा।

"नहीं राघव जी मैं किसी की चाटी या चूमि नहीं है.. और न किसिने मेरी चाटि है..."

"देखो त्तुम्हे बहतु सीखना होगा... एक बार चूमके देखो.. अगर घृणा होती है तो में फोर्स नहीं करूंगा.. फिर भी तुम्हे कोशिश तो करना होगा.. आगे तुम्हरी मर्जी..." में रुक गया... मैं उसे फोर्स नहीं करना चाहता था.. क्यों की मुझे उसे बहतु दिनों तक चोदना है।

में उसकी स्तनों को टीप रह था.. वह 'आअह्ह्ह..ओह्ह... ममम" करने लगी। में उसे मेरे लंड को चूसने को नहीं कहा।

लेकिन मैं उसकी पीछे सुलाकर उसकी पैंटी को उसकी जांघों से निचे खींचा और उसके टांगों से निकाल दिया। 'व्वाआहहहह... क्या चीज थी उसकी बुर.. दोनों फांके फुले थे और एक दूसरे से चिपके थे... यही सबूत है कि वह बहुत दिनों से चूदी नहीं है... उसकी बुर की फांके गुलाब की पुन्किडियां जैसी थी। उसकी crotch पर हफ्ता दस दिन के बाल थे।

उसकी देखने के बाद में अपने आपको रोक नहीं पाया। उसके दोनों जांघों को पैलाया.. और वह भी मर्जी से दोनों टांगों को पूरा खोल दी।

उसकी खूबसूरत बुर को देखते में झट मेरे मुहं व्हह लगा दिय और उसके गुलाब की पूणकड़ीयों को मुहं में लेकर चूसने लगा...

"आअह्ह्ह्ह.. राघव जी... यह क्या कर रहे है.. छी .. छी .. वह गन्दी है.. छोड़ो उसे..." कहते मेर मुहं को वहां से हटाने का प्रयत्न कर रही थी। लेकिन में दोनों हाथों से उसके जांघों को पकड़ कर उसके बुर पर मेरा जीभ चलाने लगा... मेरा टंग उसके फांकों को फाइल (file) करते निचेसे ऊपर तक चल रहि थी।

"hhhhhhaaa...mmmm...aaammmmaa" वह चट पटाने लगी। न.. न.. कहने वाली दो मिनिट बाद... "हा...हा" करते मेरे मुहं को अपने चूत पर दबाने लगी। मुझे और जोश आगया..मैं दोनों अंगूठियों से दोनों फांके फैलाकर मेरी जीभ अंदर तक दाल दिया और लगा उसे टंग फ़क करने...

"आअह्ह्ह.... हुफ्फ.. ममम.. क्या कर रहे हैं.. अम्मम्म.. कितना अच्छा है.. करो राघव जी.. ऐसे ही करो... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.... मेरे पती ने ऐसा कभी नहीं किया..ममममम..." मुझे कुछ हो रहा है.. ममम.. अब्बब्बबाआआ... अबबाआ मैं झड़ रही हूँ.. हहहह... निकल रही है.... निकली...निकली... मैं gayeeeee" कहते मेरे मुहं को ढेर सारा अपना चूतरस से भरदी।

उसका छूटते ही वह ढीला पड़ गयी। मैं भी exhaust हो गया था। पूरे पांच मिनिट बाद मैं उठा और उसको चूमता पुछा शालू डियर कैसी रही...?"

व्ह झट मिझे अपने आलिंगन में जकड़ी और बोली... "राघव भैय्या हाय कितना मजा आया.. अपना डाले बिना ही मेरि छूट गयी ..ऐसा तो मेरे साथ कभी नहीं हुआ.." वह कही और मुझे ताबड़ तोड़ चूमने लगी। वह कभी मुझे भैय्या कह रही थी तो कभी राघव जी कह रही थी। भैय्या कहने से मैं उसे रोकना नहीं चाहता था।

"देखा.....लंड चूसने से भी ऐसा ही मजा आता है.. पहले दो तीन क्षण कुछ अजीब लगता है.. लेकिन बाद में लंड को छोड़ने का मन नहीं करता..." में बोला।

"क्या अब मैं चूसूं...?" वह उत्साहित होकर पूछी।

"अब नहिं... बाद में... अब मेरे से रहा नहीं जाता.. कीतनि ही देर से रोके हुए हूँ.. अब तो तुम्हे चोदने के बाद ही मेरे यार को आराम मिलेगी।" कहते मैं उसके जांघों में आया।..

शालिनी मुझे प्यार भरे आँखों से देख रहीथी। में उसके ऊपर झुककर उसकी चूची को दबाते हुए पुछा... "शालिनी... डार्लिंग शुरू करून...?" मेरे हरकतों से और मेरे बातों से वह भी उत्तेजित होने लगी.

अपने निचले होंठ को दांतों से दबाते पूछी... "क्या शुरू करेंगे राघव जी...?" इसके पूछ ने का अंदाज इतना जान लेवा था की मैं उस अदा पर फ़िदा होगया। उस से मैं ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं किया...

अब मैं भी शैतानी पर आगया... एक हाथ को उसकी गांड के दरार में चलाते गांड की छेद को कुरेदते कहा "...तुम्हरी चूत में मेरा लैंड घुसाने का कार्यक्रम ..."

"ओये.. यह क्या कर रहे हो... बुर का नाम और गांड में ऊँगली.." वह इठलाते बोली। "में कब से इंतजार कर रही हूँ आप की लंडका..." कहती वह कमर उछाली।

में अपना 8 1/2 इंच लंड को मुट्ठी में पकड़ कर उसके फूले फूले बुर के होंठों पर रगड़ने लगा। "सससस....हहहह...." वह सिसकार लेने लगी।

"क्यों शालिनी क्या हुआ...?" पुछा।

"रघव भैया.. जल्दी डालो..." वह फिर से भैया कह रहि थी।

में उसे और रुलाने के लिए लंड के सुपाडे को उसके दरारों के बीच रगड़ रहा था...अब उसे बर्दास्त नहीं हो रहा...

उसने अपना राइट हैंड को हम दोनोने बीच लायी और मेरे डंडे को पकड़ कर अपने बुर के मुहाने पर रखी.. और कमर उठायी। ठीक उसी समय मैं मेरे कमर को निचे दबाया... मेरा मोटा सूपड़ा उसके दरारों को चीरता अंदर समागई।

"ummmmmmm...aaaa...." वह मेरे निचे चट पटाने लगी...

"नहीं.. राघव जी नहीं.. मेरे से नहीं होता.. यह डंडा है की मुस्सल.. तौबा.. निकालो.. हाहाःह.. दर्द हो रहा है..." कही उसके आंखोंमे आंसू थे...

"अच्छा,,, अच्छा..निकल रहा हूँ.. जरा सब्र करो..." में उसे समझाता उसके आंसू को चाटने लगा... सात साल के शादी शुदा औरत और एक च्चे की माँ की बुर इतनी तंग, मैं सोच नहीं था..." उसके ऊपर पूरा लेट कर उसके आंसूं को चाटता। आँखों को किस करता...उसकी दुद्दू को दबा रहा था। उसके एक निप्पल को उँगलियों के बीच लेकर मसलता.. एक को मुहं में लेकर चूसने लगा... मेरा औजार उसकी तंग बुर में फांसी हुई थी। कोई चार पांच मिनिट तक मैं ऐसे ही उसे किस करता, लिक (lick) करता रहा। तब तक शालनी की बुर में फिर से पानी रिसने लगा.. मुझे उसकी पानी रिसने की अहसास हो रही थी...

में हलके से हंप (hump) करने की कोशिश की। मेरी कमर को उठाते देख वह अपनी कमर उछाली।

"शालू.. करूँ...?" मैं पुछा।

उसने जवाब नहीं दी पर अपने कूल्हे उठायी।

में शॉट देने की जगह मेरे कमर को अंदर की ओर दबाया। मेरा लिंग उसकी बुर की दीवारों को रगड़ता अंदर घुसने लगा... "ममममम..." वह दंतों को दबायी आंखे मूंदली। उसे अभी भी दर्द हो रहा था।

"शालू.. निकाल दूँ" इ उसे किस करे पुछा।

उसने झट अपने दोनों हथेलियां मेरे नितम्बों पर रख कर अपनि और दबायी ।

"थैंक यू डियर..." में उसे आँखों को चूमा और कमर उठाकर एक छोटा शॉट दिया। मेरा लिंग और अंदर घुसा.. अब शायद दो इंच हर रह गया...

"राघव जी.. पूरा चलागया क्या ...?"

'नहीं शालू अभी दो इंच बाहर ही है..."

"अभी और... हाय... आपका कितना लम्बा है राघव जी..."

"वह अब चुदाई को एन्जॉय कर रही थी।

"निकाल दूँ ...." मैं उसे सताने के लिए मरे अंग को कच बाहर खींचा...

"भीं राघव जी.. नहीं.. प्लीज मत निकालिये..?

तुम्हे दर्द हो रहा होगा....!"

मेरी दर्द मकई परवाह नट करो... चोदो मुझे,,,," वह फिर से अपने कूल्हे उछालने लगी।

यह तव में थी में पाना सुपडे तक बाहर खींचा औरएक जोर का शॉट दिया... मेरा उसके उसमे झाड़ तक उतर गयी....

"hahahahahahahaha....अम्मा....." वह चिल्लायी और मुझे जोरसे अपने से छिपकाली और मेरे होंठों को चूसने लगी।

अब मैं शुरू होगया। कमर उठा उठा के दाना दान शॉट पे शॉट देने लगा। "माय गॉड.. शालू कितना तंग है तुम्हारी बुर.. उफ़.. मैं तो इना तंग चूत की उम्मीद ही नहीं थी.. तुम्हारी तो एकदम कुंवारी की तरह है..." मैं उसे शॉट देते बोला।

"होगी राघव जी... में नेरे पति से चुद कर तीन साल हो गए..."

"क्या....?" मैं चकित रह गया।

"हाँ... वह तो तीन साल से बीमार रहने लगे.." वह कुछ उदास सी बोली।

"गभराओ नहीं... सब ठीक हो जाएगा." मैं उसे सांत्वना देने लगा...

"हं यही उम्मीद है..."

कुछ देर की ख़ामोशी के बाद... वह बोली.. चलिए राघव जी... अब शुरू हो जाओ... आपका मेरे अंदर अडसा पड़ा है..." कहते कमर उठाने लगी।

मैं भी अभी समय नष्ट न करते चालू होगया। में शालिनी की टाइट छूट में अंदर नहर होने लगा... उसकी इतना टाइट था की में तो स्वर्ग में था। मेरा लिंग उसके दीवरों को रगड़ती अंदर नहर होने लगी। "हहहह...ममम शालू देर. माय गॉड.. में कबसे तरस रहा हूँ.. तुम्हे पानेके लिए... आअह्ह ह आज वह स्वप्ना पूरा हुआ..." में उसे दनादन छोड़ते कह रहा था।

"अच्छा.. कबसे तरस रहे थे...?" मेरे हाथ को अपने चूची पर लेते पूछी।

में उसके दुद्दू को टीपते.. "जबसे तुम्हे पहली बार मिला हूँ ... तभीसे.."

"तबसे.. येह तो कोई चार साल हो गए होंगे है न...?" वह पूछी।

"हाँ.. जब तुम सिल्क की साड़ी पहनी थी और स्लीवलेस ब्लाउज पानी थी..."

"ओह मै गॉड... राघवजी... आपको मेंरी साड़ी अभी याद है..."

"हाँ वह साड़ी तुमपे नहुत जच रही थी.. और तुमने साड़ी को इतना टाइट बंधा था की तुम्हारी पैंटी की लाइनिंग लिंग दिखने लगी... तभी से मैं पागल होगया हूँ..."

"ओह हाउ स्वीट ऑफ़ यू.. राघवजी... में कीतना ख़ुशनसीब हूँ,, मुझे इतना प्यार करने वाला भी कोई है.... ओह....अब जल्दि करो राघव जी.. मेरे अंदर खुजली हो रही है.. चोदो मुझे... आअह्ह्हा..." कह रही थी। वह भावुक हो रही थी और कामवासना में झुलस भी रही थी...

में उसे शॉट पर शॉट दे रहा था..

"आअह्ह्ह ... राघव माय लव... और जोर से.. आज फाड़ दो इस निगोड़ी बुर को.. में तड़प रही हूँ.. ऐसी चुदाई के लिए... बेचारे मेरे पति वह दिल का अच्छा है.. पर उसका लिंग तो बहुत छोटी और पतली है... अह.. मुझे तृप्ति ही नहीं अतिथी..." वह कहते जा रही थी और निचे अपनी गांड उछाल रही थी।

आअह्ह्ह.. उसके मदन रस मुझे फिरसे अभिषेक कर रही है.. कमसे कम चार बार तो झड़ी होगी वह.. में उसे पूरे आधे घंटे से ज्यादा समय तक बातें करते अपने आपको कन्ट्रोल करते पेल रहा था.. अब मेरे से बी नहीं हो रही है... "शालू... लेलोमे रा होगया है... में खलास हो रहा हूँ... कहाँ छोड़ू.. अंदर ही झाडूं क्या...?"

"नहीं राघव जी... मेरा अब unsafe पीरियड चल रही है.. प्लीज बहार निकल लीजिये..." वहकहि... वस्तव में मैं बहार नहीं निकालना चाहता था... लेकिन उसकी बात रखते मैं मेरे लंड बहार खींचा और उसके नाभि में झड़ गया...

उसके अब्द हम दोनों बहुत देर तक बेहोश पड़े रहे।

दोस्तों यह है कैसे मैंने मेरी पत्नी की सहेली को पटाया और उस से मौज किया।

वह मेरी पत्नी किसे बनी इस का विवरण मैं अगली एपिसोड में िखूँगा.. तब तक के लिए... इजाजत दीजिये।

कहानी कैसी है... कमेंट दीजिये...

शुभकामनाओं के साथ

पिनाभिराम

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