अधेड़ और युवा

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अधेड़ मकान मालिक और जवान किरायेदारनी के मध्य संबंध
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मैं एक अधेड़ उम्र का सामान्य पुरुष हूँ अपने मकान में पत्नी के साथ रहता हूँ बेटा बाहर दूसरे शहर में नौकरी करता है इस लिये हम दोनों अकेलें रहतें हैं। इस कारण से हम ने अपने मकान की दूसरी मंजिल किराये पर दे रखी है। दो लड़कियों ने मिल कर उसे ले रखा है। मेरा उन दोनों लड़कियों से सामान्य सा परिचय है जब कभी आते-जाते सामने पड़ जाती है तो दुआ-सलाम हो जाती थी।

मेरी पत्नी के रिश्तेदार काफी हैं तथा वह उन के यहाँ आती-जाती रहती है इस कारण से मैं काफी दिनों तक अकेला रहता हूँ, खाना बनाना आता है इस लिये कोई खास परेशानी नहीं होती। कभी मन करता है तो बाहर ही खा कर आ जाता हूँ। ऐसा ही एक समय था पत्नी जी अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ गई हुई थी, मैं हफ्ते भर तो नौकरी के चक्कर में डुबा रहता और शाम को घर आ कर खाना खा कर सो जाता था, किरायेदारों के बारे में कुछ भी पता नही रहता था।

शनिवार को छुट्टी होने के कारण देर से उठा, बाहर बैठ कर अखबार पड़ रहा था तभी ऊपर से किराये पर रहने वाली एक लड़की उतर कर आई और बोली कि अंकल आज कल आंटी दिखाई नही दे रही है कहीं गयी है क्या? मैंने जबाव दिया की हाँ किसी रिश्तेदार के यहां गई है। आप नही गये? मैंने कहा कि मेरे को नौकरी भी करनी है। मेरी बात सुन कर वह हँस दी और बोली की हाँ हम नौकरी करने वालों की तो बड़ी आफत है कहीं आ-जा भी नही सकते।

मैंने उस की बात में सहमति में सर हिलाया तो वह बोली कि आप चाय पियेगे? मैं बना रही थी मैंने मना किया तो वह बोली कि तक्लुफ करने की कोई जरुरत नही है मुझे पता है कि आप सुबह अखबार पढ़ते में चाय पीते है। मैंने कहा कि आज सोने का मन कर रहा था इस लिये चाय नही बनायी तुम बना रही हो तो तुम्हारे हाथ की चाय पी लेते है पता भी चल जायेगा कि कैसी चाय बनाती हो? मेरी बात पर वह बोली कि यह तो चाय पी कर ही पता चलेगा, यह कह कर वह चाय बनाने के लिये ऊपर चली गयी। मैं आराम से धुप में बैठ कर अखबार पढ़ता रहा।

कुछ देर बाद वह एक प्लेट में दो कप चाय ले कर आ गयी तथा मेरे साथ ही कुर्सी पर बैठ गयी। मेरे को एक कप दे कर दूसरा खुद ले कर चाय पीने लगी। मैंने पुछा कि तुम्हारी साथी कहाँ है? इस पर वह बोली कि वह भी अपने घर गयी है। कुछ दिनों में आयेगी। मैं भी अकेली हूँ। बोर हो रही हूँ, मैंने कहा कि अगर टीवी देखना हो तो नीचे आ कर देख लेना टाईम कट जायेगा। वह बोली कि अभी तो हफ्ते भर के काम पड़ें हैं उन्हें खत्म करना है, कपड़ें धोने हैं, खाना बनाना है शाम को सोचुंगी। मैंने उससे कहा कि दोपहर का खाना वह मेरे साथ खा सकती है, अगर उसे मेरे हाथ के खाने से परेशानी ना हो, तो वह हँस कर बोली कि आप कैसा खाना बनाते है यह तो खा कर ही पता चलेगा तो आज दोपहर का खाना आप के साथ है। चाय खत्म हो गयी थी सो वह दोनों कप ले कर चली गयी।

मैं भी अखबार रख कर के नहाने चला गया। नहा कर नाश्ता बना रहा था तो वह फिर दरवाजे पर दिखाई दी, मैंने पुछा क्या चाहिये? तो वह बोली कि मैं सोच रही थी कि आप नाश्ता मेरे साथ करते, मैंने कहा कि तुम्हें कहने में देर हो गयी है मैं तो नाश्ता बना रहा हूँ तो वह बोली कि मैं अपना नाश्ता यही ले आऊं? मैंने कहा जरुर मैं भी उसे चख लुँगा। वह अपना नाश्ता लेने चली गयी।

कुछ देर बात प्लेट में नाश्ता ले कर आयी जो दो ब्रेड पीस और चाय थी, मैंने कहा कि इस से काम चल जाता है? वह बोली कि ज्यादा से तो वजन बढ़ने का खतरा रहता है। मैंने कहा कि अभी तो तुम लोगों की खाने-पीने की उम्र है अभी से डाईटिग की क्या जरुरत है तो वह बोली कि सब को स्लिम लड़की चाहिये तो इस के लिये ध्यान रखना पड़ता है मैंने तो पराठें बनाये थे सो उस के सामने एक पराठा अचार के साथ रख दिया और कहा कि अगर इच्छा हो तो खा सकती है मैं जबरदस्ती नही करुँगा।

मेरी बात सुन कर वह मुस्कराई और बोली कि आप बातों में फँसा लेते है। मैंने कहा कि कभी-कभी तो चलता है। अभी तुम्हें इतना काम करना है सब पच जायेगा। मेरी बात सुन कर उस ने पराठे की प्लेट अपने सामने खिसका ली। मैं आराम से नाश्ता करता रहा। नाश्ता खत्म होने के बाद वह बोली कि आप ने पराठा बढ़िया बनाया था इस के लिये धन्यवाद मैंने कहा कि धन्यवाद की कोई बात नही है तुम ने मेरा अकेलापन थोड़ा कम कर दिया। वह नाश्ते के बरतन उठा कर चलने लगी तो मैंने कहा कि मैं तुम्हें किचन दिखाता हूँ तो वह बोली कि मुझे पता है। मैं आप के पीछे आंटी के पास आती रहती हूँ।

नाश्ते के बाद वह ऊपर चली गयी और मैं अपने हफ्ते के गंदे कपड़े धोने लगा। उस के बाद मैंने सारे घर में झाडुँ लगायी, काम वाली भी नही आ रही थी। इस सब में दोपहर हो गयी, मुझे याद आया कि आज तो किरायेदार के लिये भी खाना बनाना है सो मैं चावल और दाल निकाल कर धोने लगा। दाल को धो कर चढ़ा दिया और चावल भी बनाने रख दिये। दाल में तड़के लिये प्याज वगैरहा काट कर रख दी जब दाल गल गयी तो उस में तड़का लगा दिया।

दोपहर का भोजन तैयार हो गया था। मैं सोच रहा था कि क्या करुँ तभी दरवाजा खटका, जब खोला तो देखा कि ऊपर वाली लड़की जिसका नाम निशा था खड़ी थी बोली कि मैं जल्दी तो नही आ गयी? मैंने कहा नहीं मैं तुम्हें आवाज देने की सोच ही रहा था। हम दोनों मेज पर खाना खाने लगें। निशा बोली की आप खाना अच्छा बना लेते है। मैंने कहा कि पढ़ाई के दौरान घर से दूर रहा था इस लिये खाना बनाने की आदत पड़ गयी थी जो अब काम आ रही है। वैसे मेरी पत्नी मुझ से भी बढ़िया खाना बनाती है। निशा बोली की आंटी के हाथ का खाना तो कई बार खाया है।

मैंने पुछा कि ऑफिस में कैसा चल रहा है तो वह बोली कि कुछ खास नहीं है काम चला रहे है। कोशिश है कि कहीं और जॉब मिल जाये। खाना खाते-खाते निशा बोली कि आप जब भी सुबह ऑफिस जाते है तो लगता है कि काफी सज-धज कर जाते है आप की उम्र के आदमी तो आप जैसे हैन्डसम नजर नही आते क्या राज है?

मैंने कहा कि बचपन से अच्छें कपड़ें पहनने तथा सलीके से रहने की आदत है वो ही इस का राज है जो भी पहनों सलीके से पहनों तो आप का आत्मविश्वास बढ़ जाता है ऐसा मेरा मानना है। दिन की शुरुआत सही तरीके से होनी चाहिये नहीं तो सारा दिन बुरा बीतता है। जब तक आप खुद पर गर्व नही करेगें तब तक सामने वाला भी आप की इज्जत नही करेंगा। मेरी बात पर निशा भी सहमत दिखी। खाने के बाद हम दोनों अपने बरतन किचन में ले गये और उन को धो कर रख दिया।

मैंने उस से पुछा कि कुछ और तो नही खाना है? तो वह बोली कि नहीं पेट भर गया है आप ध्यान रखियेगा की रात का खाना मैं बना रही हूं। मैंने कहा कि मुझे याद है। निशा बोली कि मुझे अभी कई काम करने है तो मैं जाती हूँ यह कह कर वह चली गयी। जब वह जा रही थी तब मैंने उस की चाल पीछे से देखी तो लगा कि भगवान ने यौवन उसे भरपुर दिया है अब से पहले मैंने उसे ध्यान से देखा ही नही था।

खाना खा कर मैं सोने चला गया। पांच बजे उठा तो दिन ढलने को हो रहा था, समय काटने के लिये टीवी ऑन करके बैठ गया। डिस्कवरी पर इंजिनियरिग से संबंधित कार्यक्रम आ रहा था सो उस में डुब गया। कब रात हूई पता ही नहीं चला, खाना तो बनाना नही था इस लिये अलमारी से स्कॉच निकाली और एक पैग बना कर उस की चुस्कियां लेने लगा।

अकेलेपन को काटने का शराब बढ़िया साधन है। कुछ ही घूंट लिये होगे कि दरवाजे पर दस्तक हुई। उठ कर दरवाजा खोला तो देखा निशा खड़ी थी अन्दर आ कर बोली कि मैं तो काम में इतनी डुबी की खाना बनाना भुल गयी इस लिये बाहर से ऑडर कर दिया है। कुछ देर में आ जायेगा, आप को कोई परेशानी तो नही होगी? मैंने कहा की कोई परेशानी नही है, मेरे हाथ में गिलास देख कर बोली कि इस का भी शौक रखते है।

मैंने कहा हर खुबसुरत चीज का शौक है। बोली क्या है? मैंने कहा स्कॉच है, पुछने में झिझक रहा था कि उस ने ही पुछ लिया की मुझे भी एक पैग देगे? मैंने कहा हाँ क्यों नही, बैठो वह बैठ गयी मैं जा कर उस के लिये एक पैग बना कर लाया और उसे दे दिया, वह बोली की स्कॉच कभी पी नही है, बीयर से ही काम चला लेती है। मैंने कहा इस का स्वाद बिल्कुल मखमल की तरह है। पी कर देखो। उस ने एक सिप लिया और कुछ देर बाद बोली कि हां बिल्कुल मखमल की तरह है। मैंने कहा कि धीरे-धीरे इस का स्वाद जवान पर चढ़ जाता है। उस ने अपना पैग जल्दी खत्म कर दिया मैंने उसे दूसरा पैग बना कर दे दिया। वह उसे भी जल्दी खत्म करने को थी तो मैंने उसे समझाया कि स्काच को घीमे-घीमें पिया जाता है तभी आप इस का मजा ले पाते है तब जा कर उस के पीने की रफ्तार पर लगाम लगी।

दो पैग के बाद हम दोनों ने शराब पीनी बन्द कर दी तभी उस के मोबाइल की घंटी बजी तो वह दरवाजा खोल कर बाहर गयी और खाना लेकर आ गयी। मुझे भी भुख लग आयी थी दोनों जने किचन में जा कर खाना प्लेटों में लगा कर मेज पर आ कर बैठ गये। लग रहा था कि निशा को नशा हो गया था। खाना खाते में भी वह झुम सी रही थी। खाना खत्म करके वह बोली कि कुछ देर टीवी देख लेती हूँ मैंने कहा हाँ आराम से देखो और मैं बरतन किचन में रखने चला गया।

बरतन धो कर जब मैं रुम में वापस आया तो देखा कि निशा सोफे पर लुढ़की पड़ी थी, उसे हिलाया तो वह उठ गयी मैंने कहा कि तुम अब सोने जाओ तो वह उठ कर चलने लगी, लेकिन उस से खड़ा नही हुआ जा रहा था, मुझे लगा कि क्या आफत मौल ले ली मैंने इसे स्कॉच पिला कर। मैंने उसे कंधे से सहारा दे कर उसे उसके कमरे में पहुंचाया और उस से कहा कि कमरा अंदर से बंद कर ले जब उस के दरवाजे की चिटकनी की आवाज आयी तब मैं चैन की सांस ले कर नीचे आ गया। मेरा नशा तो उतर गया था सो एक और पैग बनाया और टीवी पर एडल्ट चैनल लगा कर बैठ गया धीरे-धीरे सीप ले रहा था।

कुछ तो नशा कुछ टीवी पर आ रही एडल्ट फिल्म के कारण मुझे लगा कि मुझे भी अब बिस्तर पर चला जाना चाहिये वही इस तनाव का कुछ उपाय हो सकता है। सो मैं टीवी बंद करके दरवाजा बोल्ट करके सोने के लिये बेड रुम में चला आया। पैग अभी भी मेरे हाथ में था बिस्तर पर लेट गया और पैग से चुस्कियां लेता रहा जब पैग खत्म हो गया तो गिलास रख कर सोने की कोशिश करने लगा, शायद नींद आ भी गयी थी।

किसी के जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज से मेरी नींद टुट गयी। अचकचा कर बिस्तर से उठा, दरवाजे पर जा कर पुछा कि कौन है? तो जबाव मिला की निशा हूँ, दरवाजा खोला तो निशा खड़ी थी। मैंने पुछा कि क्या हुआ तो वह बोली कि नींद नही आ रही थी तो सोचा कि आप से ही बातें करती हूँ। मैंने उसे अंदर आने दिया और दरवाजा बंद कर दिया। वह नाईटसुट में थी।

सोफे पर बैठ कर उस ने अपने पाँव ऊपर कर लिये और पालथी मार कर बैठ गयी। मैं बड़े असमंजस में था कि आधी रात को मैं इस का क्या करुँ? मैंने उस से पुछा कि नींद क्यों नही आ रही है? वह बोली की कोई कारण है इस वजह से नींद नहीं आ रही है, कई दिन से ऐसा हो रहा है। मैंने कहा कि पानी दूं तो वह बोली की हाँ प्यास लग रही है। मैं किचन में जा कर उस के लिये एक गिलास में पानी लाया। वह झट से पुरा गिलास पानी एक ही घुंट में पी गयी। मैंने गिलास उस के हाथ से ले लिया।

सोफे के दूसरी तरफ बैठ कर मैंने पुछा कि किसी से झगड़ा हुआ है या कोई ब्रेकअॅप हुआ है। अब वह रोने लगी और बोली कि उस के बॉयफैन्ड से उसे छोड़ दिया है। वह इसी वजह से परेशान है मैंने कहा कि कोई बात नही है कोई दूसरा मिल जायेगा। जो चला गया है उस की चिन्ता मत करो। अपने आप पर ध्यान दो। वह बोली कि आप सही कह रहे है लेकिन मन नही मान रहा है। मैंने कहा कि मैं क्या कर सकता हूँ? तो वह बोली कि आप के व्यवहार में अपनापन लगा इस लिये आप को परेशान कर रही हूँ मैंने कहा कि बताओ क्या कर सकता हूँ। वह चुप रही। मैंने कहा कि मेरे पास नींद की गोली तो है लेकिन वह बिना डॉक्टर के पुछे नही दे सकता।

गर्म दूध चाहो तो पी लो कहते है उस से नींद आ जाती है, वह बोली कि आप समझ नही रहे है। मैंने गरदन हिलायी। मेरी चिन्ता यह थी कि मेरे अकेले के साथ जवान लड़की रात में जब पत्नी भी नही है बड़ी आफत हो सकती है। लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुँ? मैंने हार कर कहा कि तुम यही सोफे पर सो जाओ शायद नींद आ जाये, डर तो नही लगेगा। वह बोली कि मैं किसी से नही डरती। मैंने कहा कि बहादूर हो। यह कह कर मैं तकिया और चादर लाने अपने बेडरुम में चला गया, जब लौटा तो देखा कि वह अधलेटी खर्राटे भर रही थी उस की टांगे उठा कर सोफे पर रखी और गरदन के नीचे तकिया लगा कर चादर उढ़ा दी और अपने कमरे में दरवाजा बंद करके बैठ गया।

हालात की गम्भीरता मुझें समझ आ रही थी। लेकिन इस का क्या करुँ यह नहीं सुझ रहा था। उस समय को कोस रहा था जब निशा को खाने का आमंत्रण दिया था। नींद और नशा दोनों गायब हो गये थे। कमरे से निशा के खर्राटों की आवाज आ रही थी, मुझे समझ नही आ रहा था कि वह इस हालत में मेरे पास क्यों आयी थी? क्या शारीरिक सुख की चाह थी, अपनी से आधी उम्र की लड़की के साथ संर्सग की बात भी मेरे दिमाग में नही थी। अपनी इज्जत का भी ख्याल था। मैं अधलेटा सा बिस्तर में पड़ा रहा कब आँख लग गयी पता ही नही चला।

सुबह अलार्म से आँख खुली तो रात की घटना स्मरण आयी और फौरन कमरे की तरफ भागा, वहाँ जा कर देखा कि वह अभी भी आराम से सो रही थी, यह देख कर कुछ आराम पड़ा, फिर चाय बनाने के लिये किचन में चला गया। दो कप चाय बना कर कमरे में आया, निशा को धीरे से हिलाया तो वह उठ गयी, फिर अचकचा कर सोफे पर बैठ कर बोली कि मैं यहां कैसे? मैंने कहा कि तुम रात को किसी बात से परेशान हो कर आयी थी कि नींद नही आ रही है और फिर यहीं पर सो गयी, मैंने तकिया लगा कर चादर उढ़ा दी थी। ये लो पहले चाय पी लो।

वह अपनी हालत को देखती रही और चाय ले कर बोली कि आप को बहुत परेशान किया। मैंने कहा हाँ परेशान तो किया लेकिन मुझे पता नही है कि तुम किस बात से परेशान हो, नींद ना आने की बोल रही थी और यहाँ आ कर गहरी नींद में सो गयी। इस लिये कुछ कन्फियुज हूँ। वह चुपचाप चाय पीती रही जब कुछ ताकत सी आयी तो बोली कि शायद मैंने बताया होगा कि मेरा ब्रेकअॅप हुआ है तभी से नींद नही आ रही है। साथ वाली भी चली गयी है इस लिये बड़ा डर लग रहा था कि कुछ कर ना लुँ इस लिये रात को आप के पास आ गयी।

मैंने हँस का पुछा कि मुझ से डर नहीं लगा तो वह बोली कि नहीं कोई डर नही लगा और शायद इस लिये ही आप के पास आते ही मुझे नींद आ गयी। कई दिनों के बाद मैं सो पायी हूँ। मैंने उस से कहा कि अगर और नींद आ रही है तो अपने कमरे में जा कर सो जाये। नाश्ता मैं करा दुँगा। उस का अब नीचे रहना सही नही है उसे मेरी बात समझ में आ गयी वह बोली कि मैं आप की बात समझती हूँ यह कह कर वह जाने लगी तो मैंने कहा कि अपना नंबर दे कर जाये ताकि मैं उसे फोन कर सकुँ उस ने अपना फोन नंबर मुझे दे दिया।

उस के जाने के बाद मैं अपने नित्य के कर्मों में लग गया। नहा कर नाश्ता बनाया तो ध्यान आया कि निशा के लिये भी बनाना है। नाश्ता बना कर मेज पर लगा दिया फिर निशा को फोन किया उस ने उठाया और कहा कि कौन है मैंने कहा कि मैं नीचे वाला अंकल बोल रहा हूँ नाश्ता करने आ जाओ तो वह बोली कि अंकल मैं पांच मिनट में आती हूँ। पांच मिनट बाद वह दरवाजे पर थी। कपड़ें बदल लिये थे अब सुट पहन लिया था। बाल वगैरहा भी कढ़े हुये थे। बोली कि नींद आ रही थी। मैंने कहा कि नाश्ता कर के फिर सो जाना, इस पर वह बोली कि नही अब नही सोऊंगी, कुछ काम करुंगी।

हम दोनों मेज पर नाश्ता करने बैठ गयें। नाश्ते के दौरान मैंने पुछा कि तुम्हें सच में रात को डर नही लगा था? वह बोली कि आप से क्या डरना आप ज्यादा क्या कर सकते थे, इस उम्र के व्यक्तियों से वैसे भी कुछ हो नही पाता है। मैं उस के जबाव में छिपे व्यग्य को समझ रहा था और सोच रहा था कि आज की पीढ़ी कितनी खुदगर्ज है मुँह फट है उस ने मेरी तरफ नजर उठा कर कहा कि मुझे तो लगा था कि आप ऐसा मौका नही छोड़ोगे?

मैंने कहा कि तुम लोगों की सोच यही तक है। वह बोली कि आप बुरा नही मानना, मैं कितनों के साथ सोई हुँ सो अब इस से डर नही लगता है। आप की उम्र और व्यवहार देख कर तो बिल्कुल नही लगा था और यह भी पता था कि आप चाह कर भी कुछ नही कर पायेगें। मैं उस के उत्तर से आहत सा महसुस कर रहा था सो केवल इतना ही कहा कि बिना किसी चीज को परखे उस के बारे में कोई धारणा नही बनानी चाहिये। मेरी बात सुन कर वह मुस्करा दी।

मुझे दिन में कही जाना था सो मैंने कहा कि मैं तो दोपहर में कही जा रहा हूँ कोई काम तो नही है मुझ से।वह बोली कि मैं दोपहर का खाना बनाने की सोच रही थी, मैंने कहा कि मैं तो बाहर जा रहा हूँ वही खा लुंगा। तुम मेरे लिये परेशान मत हो। हम दोनों के बीच बातचीत खत्म हो गयी। वह नाश्ता कर के चली गयी। मैंने बरतनों को उठा कर किचन में रखा और तैयार होने लगा फिर ताला लगा कर कार ले कर घर से निकल गया। मुझे कोई काम नही था, संडे को तो आराम करने का मुड था लेकिन निशा के मुँह से निकली बातें सुन कर मन खराब सा हो गया था सो बाहर घुमने का मन बना लिया।

मॉल में घुमता रहा इस के बाद रेस्तरा में खाना खाया, शहर के बाहर का एक चक्कर लगा कर घर वापस आया और सोने चला गया। मेरी उम्र के व्यक्तियों की सेक्स ड्राइव मर नही जाती है बस उस पर जिम्मेदारियों की धुल चढ़ जाती है, पत्नियाँ अपने पास आने नही देती, काम की थकान कुछ और सोचना बंद करा देती है। लेकिन शरीर की भुख तो मरती नही है। वह कम जरुर हो जाती है लेकिन खत्म नही होती उसे एक सही उत्प्रेरक की तलाश होती है जब वह मिल जाता है तो वह फिर से जागृत हो सकती है।

शाम को टीवी देखने बैठ गया। कुछ पढ़ने का मन किया तो पुस्तक निकाल कर उस के पन्नें पलटने लगा। कुछ देर बाद मेरा फोन बजा उठाया तो निशा का फोन था वह बोली कि आप बुरा तो नही मान गये है, मैं ऐसी ही मुंहफट हूँ कुछ भी बोल देती हूँ, नीचे आऊँ आप से बात करने, मैंने कहा आ जाऔ।

कुछ देर बाद वह कमरे में आ गयी। मैंने कहा कि अब क्या हाल है? वह बोली कि मैं बहुत शर्मींदा हूँ अपने सुबह के व्यवहार पर। पता नही मुझे क्या हो गया था जो मैंने आप से ऐसी बात की। मैंने कहा कि तुम्हारी बात सुन कर मैं भी अचंभित था। हो सकता है तुम्हारी बात किसी हद तक सही हो लेकिन उस बात का उस समय कोई मतलब नही था। मैं तो सारी रात परेशान रहा कि एक जवान लड़की मेरे साथ है क्या करुँ? लेकिन सुबह उस के मुँह से ऐसी बात सुन कर लगा कि बडे़ खतरनाक विचार है तुम्हारें पुरुषों के बारे में। कल रात की बात भुल जाओ और मौज करो।

उस ने कहा कि मैं अब भी अपनी कही बात पर कायम हूँ कि आप की उम्र के लोग मेरी उम्र की लड़कियों को संतुष्ट नहीं कर सकते। मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन मैंने उस से कहा कि यह बहस का विषय नही है इस पर फिर कभी बात करेगें। वह बोली कि आप अगर सिद्ध करना चाहे तो सिद्ध कर सकते है। मैंने उसे देखा तो उसकी आंखों में शरारत झलक रही थी। मैंने कहा कि मुझे कुछ सिद्ध नहीं करना है। तुम जा कर अपने कमरे में आराम करो। और मुझे दुबारा से परेशान नही करना। मेरी बात सुन कर वह बोली कि आप का यह व्यवहार भी मेरी बात को साबित करता है। मुझे अब गुस्सा आ रहा था लेकिन मेरा अनुभव मुझे रोक रहा था।

मैंने कहा कि तुम अपने मन में कुछ भी सोचने मानने के लिये स्वतन्त्र हो, मैं इस में तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता। यह कह कर मैं खड़ा हो गया। वह भी खड़ी हो कर बाहर चली गयी। मेरा मुड खराब हो गया था मुझे लगा कि यह लड़की कहीं कोई षडयंत्र तो नही रच रही है कि बु़ढ़े को उकसा कर फंसा लुं और बाद में ब्लेकमैल करुं। मैं और डर गया। मैंने सारे दरवाजे बंद किये, फिर पत्नी को फोन किया की वह कब आ रही है तो वह बोली कि अभी मुझे कुछ दिन और लगेगे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करुं।

एक ही चीज समझ आ रही थी कि इस लड़की से दूर रहने में ही भलाई है।

सोमवार को सुबह मैं तैयार हो कर ऑफिस के लिये निकल गया। शाम को लौटा तो घर में आ कर खाना बनाने लगा। रात को खाना खा कर टीवी देख रहा था, डर था कि वह फिर ना आ जाये लेकिन निशा के दर्शन नहीं हुऐ। हफ्ता युं ही गुजर रहा था, शुक्रवार को पत्नी वापस आ गयी। उस के आने से मुझे चैन आया कि अब मेरा निशा से वास्ता नही पड़ेगा। पड़ा भी नहीं। एक हफ्ते बाद पत्नी फिर किसी के यहां चली गयी। मैं घर पर फिर अकेला था। निशा और उसकी सहेली के बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था, ना मैं पता करना चाहता था।

शनिवार को छुट्टी के दिन में सुबह अखबार पढ़ रहा था तभी निशा की आवाज सुनायी दी।वह कह रही थी कि आप सुबह का नाश्ता मेरे साथ करें मैंने कहा कि उसे परेशान होने की आवश्यकता नहीं है तो जबाव मिला की आंटी जाते समय कह कर गयी है कि मैं आप का खयाल रखुं। गुस्सा तो आया कि कहुं की मैं इतना बड़ा हूँ कि अपना ख्याल खुद रख सकता हूँ लेकिन मर्यादा का ध्यान रखते हुऐ कुछ नही कहा।

10 बजे वह नाश्ता बना कर नीचे ले आयी। दोनों बैठ कर नाश्ता कर रहे थे, मैं चुपचाप था तो वह बोली कि मेरी बात से आप के अंहम को चोट लगी है। मैंने कहा कि मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहता। उस ने कहा कि वह अपने उस दिन के बर्ताव को लेकर क्षमा चाहती है ब्रेकअॅप के कारण पुरुषों से उसे घृणा सी हो गयी थी इस लिये सारा गुस्सा आप पर निकल गया।

मैं आप के व्यवहार को उस दिन समझ नही सकी और आप को ना जाने क्या-क्या कह डाला। बाद में शान्त होने पर सोचा कि आप उस दिन कुछ भी कर सकते थे लेकिन आप ने कुछ नही किया और मैंने इस के लिये आप को उकसाया ताने दिये, मैं इस शर्म की वजह से आप के सामने नही आ रही थी। आजकल के पुरुषों के व्यवहार को देख कर मेरी ऐसी धारणा बनी है। मैं फिर से आप से माफी चाहती हूँ।

मैंने कहा कि इस बात को यही खत्म करते है। तुम उस सब को भुल जाओ। मैं भी भुल चुका हूँ। उस ने कहा कि मेरे लिये भुलना मुश्किल है उन दिनों में कई दिनों से सोई नही थी लेकिन आप के पास आ कर ना जाने क्या हुआ कि मुझे नींद आ गयी। इस का यही मतलब है कि मेरा अन्तर्मन यह जान गया था कि आप के साथ मुझे कोई खतरा नहीं है। मैंने कहा कि तुम्हें तो शारीरिक संबंधों से कोई डर ही नहीं लगता है, तुम उस दिन कह रही थी, वह बोली कि शायद नशे की वजह से मैं यह बकवास कर गयी।

मैंने दूबारा उस से कहा कि जो कुछ हुआ है उस को वह भुल जाये। कोई चिन्ता की बात नही है। नाश्ता करके वह चली गयी और मैंने चैन की सांस ली। दोपहर में मुझे उस के दर्शन नही हुये। शाम की चाय पी कर मैं टीवी पर मैच देखने बैठ गया। कम रात हो गयी पता ही नहीं चला खाना बनाने का मन नही था। सो कुछ नही किया। टीवी ही देखता रहा।

तभी अचानक दरवाजे पर थाप हुई खोला तो देखा कि निशा हाथ में खाना ले कर खड़ी थी, बोली कि मुझे लगा कि आप ने खाना नही बनाया है तो मैं खाना ले कर आ गयी। मैंने उसे अंदर आने दिया, और दरवाजा बंद कर दिया। मैंने कहा कि खाने से पहले कुछ पीना है तो वह बोली कि हार्ड ड्रिक्स मेरे बस की नही है, कुछ हल्का आप के पास होगा नही। मैंने कहा कि तुम्हारे लिये क्या हल्का रहेगा तो वह बोली कि बीयर सही रहेगी, मैंने कहा कि देखो शायद फ्रिज में तुम्हारे कुछ काम का पड़ा हो? वह फ्रिज देखने चली गयी। उसे वहां बीयर के कैन मिल गये। उन्हे ले कर वह वापस आ गयी और बोली कि मेरा तो काम हो गया मुझे मेरी मतलब की की चीज मिल गयी है।

हम दोनों ने बीयर पी और उस के बाद खाना खाया, मैंने पुछा कि तुम ने खुद बनाया है तो वह बोली कि हां इस बार मैंने ही बनाया है। मैंने कहा कि खाना अच्छा बनाती हो। पति काबु में रहेगा। वह बोली कि पहले कोई मिले तो सही, काबु में तो अपने आप हो जायेगा। मैं हँस दिया। वह खाने के बरतन उठा कर चली गयी और जाते हुऐ बोली कि दरवाजा बंद मत करियेगा। मैं हैरत से उसे देखता रहा। दरवाजा ऐसे ही भेड़ दिया, टीवी देखने लगा। रात काफी हो रही थी।

मुझे नशे की तलब लग रही थी बीयर से नशा नहीं हुआ था। सो अलमारी से वोदका निकाल कर उस का छोटा सा पैग बना कर उस की चुस्कियां लेने लगा। तभी दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज आयी। देखा तो निशा आ रही थी। मेरे हाथ में गिलास देख कर बोली कि आप को बीयर से मजा नही आता है मैंने कहा कि जितना नशा चाहिये वो नही मिला था। वह बोली कि

क्या पी रहे है?

वोदका,

मुझे नही ऑफर करेगे?

तुम से नही सभंलेगी, बहुत तेज नशा है इसका, रहने दो।