अधेड़ और युवा

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घर बंद कर के मैं कमरे में लौटा तो निशा कपड़ें उतार कर लेटी हूई थी। मैं तो अभी तक तोलिया ही लपेटे घुम रहा था किसी का हूकुम था। दरवाजा बंद करके तोलिया खोल कर कुर्सी पर डाल दिया और बेड पर निशा की बगल में लेट गया। वह बोली कि आज मुझे आप की बहुत चिन्ता होती रही आप ने भी कोई कॉल नही किया फिर आप टाईम पर नही आये। मैंने कहा कि वहां बहुत काम था किसी बात के लिये समय ही नहीं मिला मैंने उसे बताया कि मेरे साथ ऐसा अक्सर होता रहता है कई बार तो किसी को पता भी नही चलता है।

निशा ने अपनी टांगे मेरे उपर रखा कर कहा कि क्या इरादा है मैंने कहा कि जो आप की मर्जी हो तो वह मेरे उपर आ गयी और फिर वही पुराना सनातन खेल शुरु हो गया आज सारा कंट्रोल निशा के पास था मैं तो मुक दर्शक था जब तक उस का मन नही भरा वह अपनी मनमर्जी करती रही फिर हम दोनों थक कर सो गये। सुबह काफी देर से सो कर उठे।

निशा घोड़ें बेच कर सो रही थी मैंने तोलिया लपेटा और अपने कमरे में जा कर कपड़े पहने। किचन में जा कर चाय बनायी और उसे ले कर निशा के पास गया तब तक वह भी जग चुकी थी। चाय देख कर बोली की मुझे क्यों नही जगाया? मैंने कहा कि मेरी आदत खराब मत करो। वह बोली क्यों? मैंने जबाव दिया कि मुझे तो रोज अपने आप ही बनानी पड़ती है सो क्यो उसे बदलुं, वह बोली कि आंटी नही बनाती मैंने कहा नहीं मैं ही बनाता हूँ।

यह सुन कर वह चुप रही। चाय पी कर बोली कि नाश्ता मैं बनाती हूँ आप तैयार हो जाओ मैंने उसे याद दिलाया कि उसे छुट्टी लेनी है तो वह बोली कि उसे तो मैं रात को ही भेज चुकी थी। आप के लिये जाग रही थी तो पता था कि सुबह ऑफिस नही जा पाऊंगी। मैंने कहा कि पुरी प्लानिग कर लेती हो। वह बोली कि कभी-कभी मन को हो जाता है। वह कपड़ें पहनने लगी तो मैं बोला कि मत पहनो रात की बात अभी अधुरी है वह बोली कि फिर शरारत मैंने कहा आप करे तो नियामत हम करे तो शरारत वह बोली सो तो है।

मैं उस के पास लेटा तो वह बोली कि अभी सारा दिन पड़ा है फिर कर लेगे। अभी तो आप नहाने जाऔ। मुझे उस का विचार अच्छा लगा मैं नहाने के लिये चला गया वह भी शायद अपने कमरे में नहाने के लिये चली गयी। नहा कर निकला तो देखा कि वह नही है। मैं बाहर गया और अखबार उठा लाया। उसे पढ़ने बैठ गया फिर ध्यान आया कि कल की रिपोर्ट भी तो तैयार करनी है और उसे भेजना भी है। सो लेपटॉप खोल कर रिपोर्ट तैयार करने लगा। एक बार पढ़ने के बाद उसे ऑफिस मेल कर दिया मेरा काम तो खत्म हो गया था। निशा अभी तक आयी नहीं थी उसे फोन किया तो वह बोली कि तैयार हो रही हूँ आती हूँ। मैंने कहा कि बिजलियां गिराने वाली तैयारी ना करना बंदा पहले से ही घायल है।

वह हँस पड़ी और बोली कि यह तो देखा जायेगा। कुछ देर बाद जब वह आयी तो स्कर्ट और टॉप पहने हुये थी बालों की पोनी टेल बधी थी। सुन्दर लग रही थी। मैं ने कहा कि बिजलियाँ गिराने की आदत जायेगी नहीं वह बोली कि क्या करे आदत से मजबुर है। मैं फिर से अखबार पढ़ने में लग गया उसके बाद पत्नी को फोन करा कि वह कब आ रही है तो जबाव मिला की मेरे बिना मन नही लगता जनाब का मैंने कहा की पता है तो पुछती क्यो हो? वह बोली की कुछ दिनों में आती हूँ। मैं किचन में देखने गया कि क्या चल रहा है तो देखा कि वह आलु के पराठें बना रही थी मैं आम का आचार ले कर मेज पर आ गया। फिर किचन में गया और फ्रिज खोल कर देखा कि शायद दही हो लेकिन दही नहीं था वह बोली कि दही है मैं अभी उपर से लाती हूँ।

वह उपर गयी और दही ले कर आ गयी बोली कि मुझे लगा था कि आप आलु के पराठों के साथ दही पसन्द करोगें। मैंने उसे देखा और कहा कि मेरे बारे में वह इतना सब कैसे जानती है तो वह बोली कि मुझे अपने आप महसुस होता है मैंने कहा कि मेरी पत्नी भी यह नही जानती तो वह मेरी नाक पकड़ कर बोली कि मुझे सब पता चल जाता है। मैंने कहा कि बड़ी खतरनाक बात है। वह बोली सो तो है कुछ भी करना या सोचना तो इस का ध्यान रखना। हम दोनों ने पेट भर कर नाश्ता किया।

उस ने पुछा कि जो पिल्स कल ला कर दी थी कैसे खानी है। मैंने कहा अभी बताता हूँ फिर मैं पिल्स का पैकेट ले कर आया और उसे समझाया कि जब से उस की महावारी खत्म हो उस दिन से शुरु कर के खानी है पैकेट पर नंबर पड़े थे। वह बोली की माहवारी होगी तब से शुरु करती हूँ मैंने कहा कि ना खाये तो अच्छा है वह बोली कि यह भी सही कह रहे है कुछ महीने खा कर देखती हूँ फिर बंद कर दूगी।

निशा जाते समय बोली कि कुछ काम तो नही है। मैंने कहा कि मुझे तो नहीं है अपनी बताऔ? वह बोली कि लंच पर बात करते है यह कह कर वह चली गयी। मैं भी कुछ जरुरी फोन करने में लग गया।

थोड़ी देर बाद निशा मेरे पास आ कर बैठ गयी। मैंने उस से पुछा कि मेरी इतनी चिन्ता क्यों है उसे? उस ने कहा कि कह नही सकती क्या कारण है आप को इस के क्या समस्या है? मैंने कहा समस्या है क्यो कि यह प्राकृतिक नही है मैं तुम्हारे बराबर का नहीं हूँ मेरा तुम्हारा परिचय कुछ दिनों का है तथा यह संबंध ज्यादा दिनों तक नही चल सकता। हम इसे किसी निश्कर्ष पर नही ले जा सकते इस लिये मेरी राय है कि तुम मेरे बारे में चिन्ता मत करो ना मेरे बारें में सोचों यह जो हम दोनों कर रहे है यह सिर्फ मन बहलाने का उपाय है इस से ज्यादा कुछ नही है।

मैं तुम्हें कुछ नही दे सकता ना तुम्हारा मेरे साथ कोई भविष्य हो सकता है। तुम्हें कोई लड़का ढुढना है उसके साथ शादी करनी है तथा परिवार बढ़ना है मैं तो पहले ही अपना आधे से अधिक जीवन जी चुका हूँ मेरी अपनी जिम्मेदारियाँ है मैं उन्हें छोड़ नही सकता। अपनी पत्नी को भी नही छोड़ सकता।

समाज की भी अपनी मर्यादा है उस का भी पालन करना है। मेरी बात सुन कर निशा बोली कि आप हर बात में दुर तक चले जाते है मैंने कब कहा कि मुझे आप से कुछ चाहिये जो मिल रहा है उस से मैं खुश हुँ, भविष्य तो आप के साथ नही देख रही हूँ, हां आप की चिन्ता कर रही थी हो सकता है जो लगाव आपने मेरे से दिखाया है यह उस का प्रतिउत्तर हो? इस से ज्यादा कुछ नही है। कल मैंने खाना नही खाया इस लिये की आप ने मुझे पुरी बात नही बताई थी अगर आप बता देते की बाहर है तो मैं खाना खा लेती। आंटी कह कर गयी थी इस लिये मैं आप के बारे में सोच रही थी नहीं तो मेरे पास अपनी आफतें बहुत है। उस की बात सुन कर मुझे अच्छा लगा, यह बात निशा ने महसुस कर ली, वह बोली कि मेरी समझ नही आ रहा कि आप मेरे मुँह से ये सब सुन कर खुश क्यों हो रहे है।

जबकि मुझे पता है कि आप का चरित्र ऐसा नही है। मैंने कहा कि मैं नही चाहता की तुम और मैं किसी प्रेम के संबंध में बधे जो की हो सकता है तुम ने अभी किसी से धोखा खाया है मैं पत्नी के रुखे पन से पिडित हूँ यह लिये दोनों ही ऐसे किसी संबंध में जल्दी बंध सकते है हमारी परिस्थिति हमें ऐसे संबंध के लिये उचित सहयोगी बनाती है यही मैं नही चाहता हूँ तुम और मैं कितने भी करीब हो लेकिन मन से हमें दूर रहना होगा यही हम दोनों के लिये अच्छा है।

मेरी बात सुन कर निशा बोली कि यही बात आज के किसी लड़के ने कही होती तो मैं हैरान नही होती लेकिन आप की पीढ़ी का व्यक्ति यह कह रहा है तो मुझे हैरानी हो रही है। मैंने कहा कि यह सब कह कर मैं भी खुश नही हुँ लकिन मेरा एक ही उद्देश्य है कि हम किसी भी तरह के प्रेम संबंध से दुर रहे। वह बोली की परसो तो आप मुझे भाषण दे रहे थे कि लगाव की वजह से ही देर लग रही है आज उसी तर्क को काट रहे है। मैंने कहा कि तुम जो भी समझों मैं कुछ नही कहुंगा लेकिन अपनी मंशा मैंने तु्म्हारे सामने जाहिर कर दी है।

मैंने कहा कि तुम और मैं जब भी समय मिलेगा शारीरिक संबंधों का आनंद ले सकते है लेकिन इस से ज्यादा कुछ नही करेगे। ये मेरी तुम से मांग है मैं तुम्हारी हर बात मांन लेता हूँ तो तुम को भी मेरी यह माँग माननी होगी। वह बोली कि मैं तो इसे मान रही हूँ फिर क्या परेशानी है? मैंने कहा आगे से मेरी चिन्ता नही, कोई पुछताछ नही अगर प्रेम है भी तो उसे दर्शाना नही ना ही मैं दर्शाया ऊगा। सिर्फ भुख पुरी करने के लिये ही मिलेगे। इस से ज्यादा कुछ नही। निशा मेरी तरफ देखती रही फिर बोली कि मुझे समझ आ रहा है कि इस बात के पीछे भी आप की मेरे लिये चिन्ता ही है।

मैंने सर हिलाया फिर कुछ ध्यान आया तो अंदर कमरे में गया और उस के लिये लायी साड़ी ला कर उस के हाथ में दे दी वह बोली कि मैं यह नही ले सकती अभी तो आप मना कर रहे थे मैंने कहा कि तुम्हारे लिये ही खरीदी थी इस लिये ये तो लेनी पड़ेगी इस के बाद कुछ नही लेना। उस ने पैकेट खोल कर देखा और कहा कि आप का टेस्ट कितना बढिया है मुझ पर यह साड़ी अच्छी लगेगी। मेने कहा कि किसी को पता नही चलना चाहिये कि मैंने ला कर दी है। उस ने सर हिलाया। कुछ देर हम दोनों चुपचाप बैठे रहे फिर वह बोली कि अब क्या करे? मैंने कहा कि जो कल किया था वही करेगे।

आज जो होना था वह धमाकेदार होना था। मैंने दवा खा ली थी। कुछ और भी मेरे मन में था सो उसे भी आजमा का देखने का मन था। हमारा फोरप्ले शुरु हो गया और एक दूसरे के शरीर को सहला रहे थे चुम रहे थे धीरे-धीरे शरीरों में उत्तेजना भरती जा रही थी। मैं उस की योनि में ऊगंली डाल कर उसे अंदर बाहर कर रहा था इस से उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी फिर अचानक मुझे कुछ याद आता तो मैं कुछ लेने चला गया जब आया तो मेरे हाथ में शीशी देख निशा बोली कि इस का क्या होगा मैंने कहा देखो क्या करता हूँ यह कर कर मैंने उस के स्तनों पर, नाभी पर तथा योनि पर शहद लगा दिया कुछ शहद उस के होठो पर भी मल दिया।

फिर मैं अपने होठों से शहद को चाटने लगा, निशा के मुँह से आह निकले लगी। मैं दोनों स्तनों को चाटने के बाद मैं जीभ से नाभी को चाटने के बाद नीचे ऊतर कर उस की योनि को चाटने लगा इस के कारण निशा उईईईईईईईई आहहहहहहहहहहहह करने लगी मेरी जीभ उस की योनि के अंदर घुस कर स्वाद ले रही थी। जब मैं ने सारा शहद चाट चुका तो वह बोली कि अपने मन की तो कर ली अब मेरे मन की क्या होगी मैंने कहा कि यह लो कर लो यह कर कर मैंने शहद की बोतल उस के हाथ में पकड़ा दी। वह क्षण सोचती रही फिर उस ने हथेली में शहद ले कर मेरे निप्पलों पर मला और बचा हुआ लिंग पर लगा दिया।

उस की जीभ ने निप्पलों को कस कर चाटा और साफ कर दिया फिर झुक कर लिंग पर जीभ फिराने लगी। अब मुझ से खड़ा होना मश्किल हो रहा था लेकिन वह तो अपनी मर्जी करती रही जब सारा शहद साफ हो गया तो शहद को मेरे होठो पर लगा कर उन पर जुट गयी। मेरा चेहरा उस की जीभ के प्रहार झेलता रहा। जब यह खेल खत्म हुआ तो मैंने उसे पीठ के बल लिटा कर उस के अंदर प्रवेश किया, इतना कसाब था कि लग रहा था कि किसी कुवारी की योनि है। लेकिन लिंग भी पुरे जोश में था तथा आज स्खलन को रोकने के लिये दवा भी ले रखी थी सो आज निशा की हालत पतली होनी थी। निशा ने अपने पाँव मेरी कमर पर कस लिये की मैं कुल्हें उठा ना सकुं मेरी गति पहले तो कुछ धीमी थी फिर बढ़ने लगी।

नीचे से निशा भी साथ दे रही थी हम दोनों भुखे तो थे ही, फचाफच हो रहा था, कुछ देर बाद मैंने उसे अपने उपर कर लिया वह अपने कुल्हो से लिंग को अंदर बाहर करती रही जब उस की कमर थक गयी तो वह बोली की आसन बदल लो, यह सुन कर मैंने उसे छाती के बल बेड पर लिटा दिया और फिर उस की योनि में लिंग डाला इस आसन में लिंग जी-स्पाट पर सीधा घर्षण करता है स्त्री की कराहे निकले लगती है निशा भी हल्की हल्की कराह रही थी मैं दोनों हाथों से उस के भरे हुए उरोज मसल रहा था कुछ देर बाद मैंने उसे एक करवट किया और उस की पीठ के पीछे से प्रवेश किया उस ने मुँह मेरी तरफ घुमा का मुझे चुमा मैं भी उसे चुमता रहा।

मेरा लिंग उस के कुल्हो पर धका घक धक्के लगा रहा था। पानी निकल कर उस के चुतड़ों और मेरे कटि प्रदेश को चिपचिपा कर रहा था। मुझे पता था कि मैं डिस्चार्ज नही होऊंगा। इस कारण से मैंने उस के कान में कहा कि कुछ और कर के देखे, मेरा इशारा वह समझ गयी बोली कि कल के देख लो। मैं बेड से उठा और मेज पर रखी ऑयल की शीशी उठा ली कुछ बुंदे हथेली पर ली और निशा के पास आ गया वह उल्टी लेटी थी।

मैंने गुदा मैथुन पहले नही करा था सो मैं कुछ डरा सा था मैंने तेल उस की गुदा पर मला और अपनी एक उगली धीरे से गुदा में डालनी शुरु की तो निशा बोली कि दर्द हो रहा है मैंने कहा कि थोड़ा तो होगा तुम मसल्स को धीला छोड़ दो, तेल से आसानी होगी, उगली आराम से अंदर चली गयी कुछ देर उसे अंदर बाहर किया फिर कुछ और तेल ले कर निशा की दरार में मल दिया। लिंग तो पहले से ही चिपचिपा था उसे किसी स्नेहक की आवश्यकता नही थी।

अब मैंने लिंग को हाथ में पकड़ कर उस का सुपाड़ा गुदा के मुंख पर रख कर उसे अंदर दबाया तो वह कुछ दबा लेकिन अंदर नही गया मैंने जोर लगाया तो सुपाड़ा कसी हुई गुदा के अंदर चला गया। निशा कराहने लगी मैंने उस की स्तनों को सहलाया वह बोली कि पुरा डाल दो। मैंने जोर लगाया तो उस की चीख निकल गयी। मैंने धीरे से लिंग को पुरा उस की गुदा में उतार दिया कुछ देर ऐसे ही रहा। निशा ने मेरे पीठ पर हाथ मार कर चलने का इशारा किया तो मैं कुल्हें हिलाने लगा। मुझे लग रहा था कि निशा को बहुत दर्द हो रहा था तथा वह मुश्किल से चीख को दबा रही थी। कुछ देर करने के बाद मुझे कुछ मजा नही आया तो मैंने लिंग को गुदा से निकाल लिया। निशा ने राहत की सांस ली।

अब मैं पालथी मार कर बेड पर बैठ गया और निशा को अपने ऊपर बिठा लिया वह धीरे-धीरे उपर नीचे हो रही थी। मैं होठों से उसके उरोज पी रहा था। इतना मुँह में दबा कर चुसा की अगर वह बच्चे पैदा कर चुकी होती तो शायद स्तनों से दुध निकल आता। उस ने कहा कि आज क्या हुआ है मैंने उस के कान में कहा कि जो वह चाहती थी वही हो रहा है। उस की आंखे फैल गयी बोली कि कब खत्म होगा मैंने कहा कि पता नही है जब तुम थक जाऔ तो बोल देना खत्म कर देगे। कुछ देर बाद मैंने उसे लिया दिया और जोरजोर से धक्के लगाने लगा, गरमी के कारण मैं अब चाहता था कि डिस्चार्ज हो जाऊं इस बीच निशा डिस्चार्ज हो गयी मैं ने अपनी गति तेज की तो निशा ने भी अंदर से मेरे लिंग को जोर से कस लिया कुछ देर बाद मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

पसीने से नहाये हुऐ दोनों अगल बगल लेट गये। निशा बोली की अंदर आग सी लग गयी है मैंने कहा की मेरी हालत भी ऐसी ही है। समय देखा तो 50 मिनट से ज्यादा हो चुका था। कुछ देर आराम करने के बाद मैं उठा और एक टॉवल गीली कर के लाया और निशा का पुरा बदन पोछ दिया ताकि शहद हट जाये फिर अपना शरीर भी साफ किया। अभी भी हमारे शरीर के अंगों से द्रव निकल रहा था। काफी समय तक ऐसे ही पडे़ रहे।निशा बोली कि खाना खाना है या नही मैंने कहा कि कौन बनायेगा तो वह बोली कि पहले ही बना कर रखा है।

वह कपड़े पहन का खाना लेने चली गयी उस की चाल लगड़ा रही थी। आज तो दोनों तरफ से प्रहार हुआ था। खाना खा कर हम दोनों बात करने लगे। वह बोली कि मुझे पहले बता नहीं सकते थे मैंने कहा कि तुम्हारे ऊपर जाने के बाद ही ख्याल आया था तुम्हारे आने के बाद तो कुछ बोलने को समय ही नही था। वह बोली कि कुछ खास असर तो नही पड़ा है समय पर, मैंने कहा कि हो सकता है जिन्हे कोई समस्या होती होगी उन्हे इस से ज्यादा समय मिलता होगा। अपने साथ तो अभी ऐसा नही है। आगे क्या हो बता नही सकते। वह बोली कि आज पीछे की कैसे याद आई तो मैं बोला कि इनाम तो मिलना ही था सो मैंने कहा कि इसे भी ट्राई कर लेते है बहुत सुन रखा था कभी करा नही था।

पत्नी ने तो इतने सालों में हाथ भी नही लगाने दिया है। कुछ नया करने की ललक होती है सो आज उसे भी पुरा कर लिया, तुम्हें कैसा लगा वह बोली कि मुझे तो लगा कि मैं मर जाऊंगी इतना दर्द हो रहा था देखो मैंने दांतों से होठ दबा रखे थे मैंने उस के होठ देखे तो उन पर गहरे निशान थे। मैंने उस के कहा कि मना क्यों नही किया तो वह बोली कि मैं भी तो मरी जा रही थी इस का आनंद लेने के लिये। इनाम से मेरा तात्पर्य इसी से था। तुम ने मेरा इशारा समझ लिया था। पहली बार शायद इतना दर्द हुआ है बाद में नही होगा। मैंने कहा कि मजा आया या नही तो वह बोली की नही मजा नहीं था। मैंने कहा कि मुझे भी मजा नही आया।

निशा ने कहा कि शहद का आइडिया कहा से मारा तो मैंने कहा कि मेरा है पत्नी पर कई बार अजमाया हुआ है। अब तो कई सालों के बाद आज किया है। अच्छा लगा तो बोली की मन किया की सारे शरीर पर शहद लगा कर चाटु। मैंने कहा कि एक-आद बार के लिये सही है। मैंने कहा कि मुझे बहुत गर्मी लग रही है निशा बोली कि मेरी भी ऐसी ही हालत है। मैंने कहा कि अब आराम करते है। आज काफी कर लिया है। उस ने लिपट कर कहा कि आज तो तुम ने बिना कहे ही मेरे मन की कर दी है क्या इनाम मिलना चाहिये।

मैंने कहा कि जैसा मलिका का मन करे। मेरी बात सुन कर उस ने मुझे मुक्कों से मारना शुरु कर दिया। मैंने अपने बचाव के लिये उसे अपने आगोश में लिया अब वह हाथ पैर नही चला सकती थी। वह कसमसाती रही लेकिन मैंने उसे छोडा नही। फिर जब वह शान्त हो गयी तब उस के लबों पर एक बोसा दे कर मुक्त कर दिया। लेकिन वह कही जाना कहां चाहती थी।

मैंने शरारत से उस के कुल्हों की दरार पर हाथ लगाया तो वह बोली की ज्यादा परेशान किया तो तुम्हारे साथ भी ऐसा ही करुंगी तभी तुम्हें समझ आयेगा। मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कुछ करने से रोका है। वह मुस्करा दी और बोली कि परेशान मत करों बहुत दर्द हो रहा है कल ऑफिस कैसे जाऊंगी सब को पता चल जायेगा। मैंने कहा कि पैनकिलर खा लेना रात में सब सही हो जायेगा। नही तो पैड लगा कर चली जाना। वह बोली की आइडिया तो बढ़िया है तुम्हें सुझा कैसे? मैंने कहा कि अभी-अभी दिमाग में आया है तुम्हारी बात सुन कर। वह बोली कि हम से ज्यादा हमारे बारे में आप कैसे जानते है मैंने कहा कि चीजों के बारे में पता रखना मेरी नौकरी है। अब तो आदत पड़ गयी है। इस के पीछे यही कारण है। वह चुप रही।

रात को भी जोरदार संभोग हुआ, दोनों यह मौका छोड़ना नही चाहते थे ना जाने फिर कब यह मौका मिले या ना मिले सो कोई कसर नही रहती चाहिये थी।

एक दिन बाद पत्नी जी वापस आ गयी। मेरा पुराना रुटिन वापस आ गया घर से ऑफिस, ऑफिस से घर यही काम रह गया था। निशा से एक दो बार सुबह जाते समय दुआ सलाम हुई थी। एक दिन जब ऑफिस जाने के लिये तैयार हुआ तो पत्नी बोली कि आज निशा को साथ लेते जाना उसे तुम्हारे ऑफिस की तरफ ही जाना है उसे रास्ते में छोड़ देना मैंने सर हिला दिया। जब निकलने लगा तो निशा नीचे आ गयी मैं उसे कार में बिठा कर निकले लगा तो कुछ याद आया और उतर कर घर के अंदर चला गया वहां पत्नी का चुम्बन ले कर जो कि मेरा ऑफिस जाने से पहले का काम था वापिस आ कर कार में बैठ गया।

निशा ने रास्ते में पुछा कि क्या भुल गये थे जो दूबारा घर गये थे। मैं हंस दिया और बोला कि क्यों जानना चाहती हो? वह बोली कि ऐसे ही? मैंने कहा कि वाईफ को किस करने लगा था तुम्हारी वजह से आते में उसे किस नही कर सका था मेरी रोज की आदत है।

वह मुस्कराई और बोली कि फ्लर्ट तो जनाब की आदत में शामिल है मैंने कहा कि अब मैंने ऐसा क्या किया है जो यह इलजाम लगा रही हो? वह बोली कि यह भी मैं ही बताऊं मैंने कहा कि आरोप भी तो तुम्हारा ही है। वह बोली कि आंटी को भी खुश रखते है मैंने कहा कि वह मेरी मालकिन है उसे तो खुश रखना पड़ेगा वह बोली कि फिर मख्खन बाजी, मैंने कहा कि वह मेरे घर की मालकिन है इस में किसी को कोई शक नही होना चाहिये।

मैंने उस से पुछा कि कहा जाना है तो वह बोली कि कही नहीं आप के साथ वक्त बिताना था सो यह बहाना कर दिया, क्या करती आप के दिदार ही नही हो रहे थे। मैंने पुछा फिर से वही पुराना राग, वह बोली कि आप ने मुझे जो दिया है वह मुझ से भुलता नहीं है क्या करुँ? मैंने कहा कि कुछ दिन तो ऐसे ही काटने होगे। बोली की कुछ कहा थोड़ी ना है बस आप से कुछ देर बात ही तो की है चुमाचाटी तो नही करी, बात करने में भी डर लगता है मैंने कहा कोई डर नही है वैसे ही कह रहा था वह बोली कि आप की बात हर वक्त ध्यान में रहती है इस लिये आप को देख कर भी अनदेखा करती हूँ और क्या चाहते है आप मुझ से? मैंने कहा कि नाराज क्यों हो रही हो, मैं कुछ कह थोड़ी रहा हूँ। वह मेरा हाथ जोर से दबाये बैठी रही।

उस की आंखे पनीली सी हो रही थी मैंने उसे देख कर कहा कि अपने पर कंट्रोल करो, कुछ इंतजार तो करना ही पड़ता है वह बोली कि इंतजार तो कर सकती हूँ लेकिन आप की यह बात बर्दाश्त नही होती। मैंने कहा कि अब से ऐसी कोई बात नहीं करुंगा जिस से तुम्हें दुख पहुंचे मेरी यह बात सुन कर उस के चेहरे पर खुशी छा गयी। वह बोली हर रात को मुझे आप की याद आती है कंट्रोल करना मुश्किल होता है। मैंने कहा कि विरह में दर्द तो होता ही है तुम्हें ही नहीं किसी दूसरे को भी तुम्हारी याद आती है लेकिन वह इस तरह से व्यक्त नही कर सकता है। निशा बोली कि मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ लेकिन आप की उपेक्षा नही।

मुझे लगा कि मैं कुछ ज्यादा ही नही कर रहा हूँ तो शर्मिंदा हो कर कहा कि आगे से ध्यान रखुंगा की तुम्हारे मन को चोट ना पहुंचे ऐसी कोई बात नही कहुंगा। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर रौनक आ गयी, मैंने पुछा कि कहां पर छोडुं तो वह बोली कि थोड़ा सा रास्ता बदल कर मुझे मेरे ऑफिस ही ना छोड़ दे? मैंने कहा कि यह तो मैं कर ही सकता हूँ उस के हाथ का दबाव मेरे हाथ पर बढ़ गया उसे उसके ऑफिस छोड़ कर मैं अपने ऑफिस आ गया। यहां तो काम की कमी नही थी कुछ और सोचने का समय ही नही मिलता है। शाम को निशा का फोन आया कि मुझे जाते में ले जा सकते है? मैंने कहा कि क्यों नही। मैं उसे रास्ते में से ले कर घर आ गया। पत्नी को बोला कि यह आज ऑफिस के पास ही सारे दिन रही थी सो आते में लेता आया, पत्नी बोली कि इस बहाने यह टाईम पर घर तो आ गयी नहीं तो रात को घर आते-आते लेट हो जाती है। मेरे मन से बड़ा भारी बोझ उतर गया।

अगले दिन कुछ नही हुआ मैं अकेले ही ऑफिस गया। दोपहर में पत्नी का फोन आया कि निशा को शाम को अपने साथ लेते आना उस का फोन आया था कि अकंल को बोल दिजियेगा। मैंने कहा कि ध्यान रखुंगा। शाम को निशा को लेकर चला तो वह बोली कि आप सोच रहे होगे की यह तो पीछे ही पड़ गयी है लेकिन बात यह है कि आप के साथ मैं जल्दी घर पहुंच जाती हूँ तो आंटी का हाथ बंटा देती हूँ कुछ मुझे भी आराम करने का समय मिल जाता है मैं अगर आप से कहती तो आप कुछ और समझते। मैंने कहा कि अच्छा किया कि पत्नी से कहा नहीं तो तुम और मैं एक साथ घर जाते तो कोई कुछ भी समझ सकता है।

सारे रास्ते उस का हाथ मेरे हाथ पर पड़ा रहा मैंने एक बार हटाया तो वह बोली कि इस में भी डर लगता है मैंने कहा कि हर बार ताना मत दिया करों। वह बोली की आप काम ही ऐसा करते हो। मैंने कहा कि हाथ ही तो हटा रहा था कि तुम्हारें हाथ के उपर रखना था तुम तो कुछ समझती ही नहीं हो। वह हंस पड़ी बोली कही भी रख सकते है हाथ पर ही क्यों? मैंने कहा कि गाड़ी चलाते में गियर बदलना पड़ता है अगर तुम्हारा हाथ मेरे हाथ पर रखा होता है तो रिस्पोन्स में देरी हो सकती है बस यही बात है।

सारे रास्ते हम दोनों में यही बातें होती रही। मेरा समय कट जाता था। घर आ कर उस से दूबारा मुलाकात नहीं होती थी। मेरी पत्नी के पास उस का आना कुछ ज्यादा हो गया था। मुझे कुछ जानने में दिलचस्पी भी नहीं थी। पत्नी को तो छुना भी मुश्किल हो रहा था कभी जबरदस्ती सी कर के संभोग हो पाता था मेरे लिये यह बड़ा कष्टप्रद था लेकिन उस को कुछ भी समझाना असंभव था। एक महीना ऐसे ही बीत गया फिर शादीयों का सीजन शुरु हुआ तो पत्नी जी फिर से किसी की शादी में जाने की तैयारी कर रही थी मैंने पुछा कि कितने दिन में आने का विचार है तो पता चला कि वह वहां से किसी और शादी में अपनी बहन के साथ जाने वाली है। शायद पंद्रह दिन लग सकते थे। मैंने सुना कि वह निशा को बता रही थी कि कभी-कभी नीचे आ कर कन्फर्म कर लेना कि यह खाना बना रहे है या नही? नही तो बना कर खिला देना कितने कमजोर हो गये है। मेरे पीछे खाने में कोताही करते है।

निशा ने कहा कि आप चिन्ता मत करों मैं अकंल का ध्यान रखुगी। एक सुबह मैं पत्नी को रेल में बिठा कर आया। घर आया तो देखा कि निशा नाश्ता ले कर खड़ी थी बोली कि आंटी का आदेश है, मैंने कहा कि अपना भी ले आती दोनों साथ ही खा लेते तो वह बोली कि आप ने ऐसा कैसे सोच लिया कि आप को अकेले खाने दुंगी। नाश्ता कर के दोनों एक साथ ऑफिस के लिये निकल गये। रास्तें में मुझे ध्यान आया कि घर में पीछे की तरफ और आगे की तरफ लोहे की रेलिग लगवा देनी चाहिये क्यों कि दिन में कोई भी नही होता है। ऐसा सोच कर एक ठेकेदार का फोन किया और दोपहर में जा कर उस को नाप तौल करवा दी।