अधेड़ और युवा

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दो दिन बाद उस ने कहा कि वह लगाने के लिये तैयार है तो आधा दिन की छुट्टी ले कर रेलिंग लगवा दी। शाम को निशा को फोन करके कहा कि मैं आज घर पर ही हूँ तो वह टेक्सी कर के आ जाये वह बोली कि कुछ खाने को ले आऊं, मैंने जबाव दिया कि जो उसे पसंद हो वह ले आये। मुझे पता था कि वह बीयर जरुर लायेगी। शाम को जब वह आयी तो रेलिंग देख कर बोली कि मैं आप को कहने वाली थी, लेकिन आप ने पहले की लगवा दी। मैंने कहा कि दो दिन पहले मेरे मन में विचार आया कि आज कल घर में कोई नही रहता तो ऐसा करना जरुरी है सो लगवा दी है अब तुम आगे से आने की बजाए पीछे से आ सकती हो मुझे भी ज्यादा चिन्ता नही रहेगी।

वह मुझे चिकुटी काट कर बोली कि सब कुछ सोच कर ही करते हो। मैंने कहा कि यह सब तो बाद में सोचा है पहले तो सुरक्षा का विचार ही आया था। अब जब यह लग गयी है तो यह भी हो सकता है। वह बोली कि कुछ और भी लायी हूँ मैंने कहा कि पता है वह हंसी और बोली कि मेरे मन की बात भी जानने लगे है मैंने कहा की सोहबत का कुछ तो असर होना था। खाना बढ़िया था लेकिन मैं रात को कम ही खाता हूँ सो वह बोली कि आप को मेरा साथ देना पड़ेगा नही तो सारा फेकना पड़ेगा। मैंने कहा कि खा लेता हूँ, लेकिन पचाने में मेरी सहायता करनी पड़ेगी तो वह बोली की बंदी आप की सेवा में हाजिर है।

हम दोनों हंस पड़े। पहले बीयर की पार्टी हुई मुझे भी बीयर ही पीनी पड़ी फिर भरपेट खाना खाया गया। इस के बाद हालत ऐसी हो गयी कि हिला भी नही जा रहा था। मैंने गेस्ट रुम खोला तो निशा बोली कि मैं उपर से चद्दर लाती हूँ अगर दाग लग भी जायेगा तो कोई डर नही लगेगा। मैं उस की बात से राजी था वह चद्दर और तकिये ले कर आ गयी। हम दोनों अभी संबंध बनाने की हालत में नही थे सो बैठ कर बाते करने लगे। मैंने कहा कि कुछ अपने बारे में बताओं तो वह बोली कि कुछ खास नहीं है। बचपन से प्यार की भुखी हूँ बड़ी होने पर प्यार का जो रुप देखा वह घटिया था।

इस लिये बाहर निकल कर नौकरी कर ली। दोस्ती हूई वह भी सेक्स के लिये लालायित रहता था लेकिन कर कुछ नही पाता था दो साल संबंध चला फिर भी आप के अनुसार एक कुंवारी लड़की के समान हूं, इसी से आप समझ सकते है कि कैसा संबंध था। फिर वह भाग गया या मैंने उसे छोड़ दिया। सारे पुरुषों से घृणा सी हो गयी लेकिन आप को सुबह रोज देख कर लगा कि ऐसा व्यक्ति मेरे जीवन में आना चाहिये फिर लगा कि यह तो दिवास्वपन है, लेकिन जब दिल के हाथ मजबुर हो गयी तो खतरा मोल ले लिया, बाकि तो आप जानते है। इसी लिये मैं घर जाने के लिये उत्सुक नही होती।

आप ने मेरे मन और शरीर की औरत को संतुष्टि दी है। मुझे मान दिया है मेरी इज्जत करी है इस लिये अगर आप दुत्कारेंगे तो भी मैं आप से दूर नही जा सकती हूँ। एक महीने से आप को दूर से ही देख कर खुश हो रही थी। कार में आप को कुछ समय के लिये हाथ पकड़ कर मेरा पुरा दिन गुजर जाता था। मैं उस की बातें सुनता रहा और बोला कि निशा मैं तेरा कुछ नही कर सकता लेकिन भविष्य के लिये बड़ा डर लगता है वह बोली कि उस की आप चिन्ता नहीं करें मैं जिस दिन अपना जीवन साथी ढूढ़ लुगी उस दिन आप से दूर हो जाऊंगी। आप के लिये कोई परेशानी पैदा नहीं करुंगी। यह सुन कर मैंने उसे अपनी गोद में लिटा लिया। वह चुपचाप लेट गयी। ना जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही बैठे रहे मुझे नींद आ रही थी क्योकि मैं सुबह जल्दी जगा था निशा यह देख कर बोली कि चलो सोते है, आज साथ सो कर देखते है। वह लेट गयी और मैं भी लेट गया थका तो था ही लेटते ही सो गया।

दो तीन घंटे बाद नींद खुली क्योकि पैशाब आ रहा था तो देखा कि निशा जगी हुई थी। मैंने कहा कि सोई क्यो नही तो बोली की आप को सोते हुये देख रही थी। मैंने कहा कि यह भी कोई बात हुई सुबह ऑफिस जाना है। वह बोली कि मुझे सोने की गोली नही मिली है। मैंने कहा कि आ कर देता हूँ यह कह कर मैं बाथरुम चला गया। आया तो वह बेड के कोने पर बैठ कर मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे पता था कि अब क्या होना है सो मैं तैयार था।

मैं उस के पास आ कर खड़ा हुआ तो उस ने अपनी मनपसंद चीज पकड़ ली और मनमर्जी करने लगी। फिर मेरी बारी आयी तो मैंने उसे बेड पर उल्टा लिटा कर उस के पीछे से प्रवेश किया उस को इस में मजा आ रहा था मैं भी मजा ले रहा था काफी देर तक यह खेल चलता रहा फिर जब उफान खत्म हो गया तो दोनों सो गये। सुबह अलार्म के बजने से नींद खुली निशा को जगाया तो वह बोली कि नींद आ रही है मैंने समझाया कि हम दोनों को ऑफिस जाना है तथा लेट नही हो सकते तो वह भी उठ गयी। मैं नहाने चला गया वह भी उपर अपने कमरे में चली गयी। नहा कर जब तैयार हो रहा था तो वह नीचे आयी और बोली कि आज नाश्ता नही कर सकते, मैंने कुछ बनाया नही है मैंने कहा कि चाय पी लेते है ऑफिस जा कर कुछ खा सकते है वह इस के लिये राजी थी।

चाय पी कर जब ऑफिस के लिये कार में बैठ कर निकले तो रास्ते मैं मैंने पुछा कि दर्द का क्या हाल हो तो वह बोली कि कुछ खास नही हो रहा है तुम्हारी बात मान कर पैड लगा लिया है, जिससे बैठने पर दबाब नही पड़ रहा है। अगर हालात ज्यादा खराब हुई तो हॉफ डे का ऑफ ले कर घर आ जाउंगी तुम्हारा क्या हाल है मैंने कहा कि थकान तो है लेकिन काम चल जायेगा। लेकिन मेरी राय है कि हमें अपने पर एक दो दिन के लिये रोक लगानी होगी नही तो दोनों बीमार पड़ सकते है निशा बोली कि सही कह रहे हो आज से मैं उपर अपने कमरे में ही सोऊंगी। मैंने सर हिलाया। उसे उस के ऑफिस उतार कर मैं अपने ऑफिस आ गया।

केंटिन से सेडविच मंगा कर खाये तथा कॉफी पी फिर काम में डुब गया दोपहर का खाना भी कैंटिन से ही मंगा कर खाया। कोई फोन नही आया तो लगा कि सब कुछ ठीक शाम को निशा का फोन आया कि वह मेरा इंतजार कर रही है। उस को लेकर मैं चला तो मैंने उस से पुछा कि खाना पैक करवा लेते है तो बोली कि अच्छा रहेगा कुछ करने की हिम्मत नही हो रही है। मन कर रहा है कि जा कर सो जाऊँ मैंने कहा कि यही करना। रास्ते में खाना पैक करवाया और घर पर पहुंच कर उस को खाने बैठ गये तभी पत्नी का फोन आया कि खाना खा लिया है तो मैंने कहा कि खा रहा हूँ, उस से ज्यादा बात नहीं हुई।

खाने के बाद निशा बोली की मैं उपर जा रही हूँ मैंने कहा कि सामान तो ले जाओ तो वह बोली कि उपर और है यह कह कर वह चली गयी। मैं भी थकान महसुस कर रहा था सो कपड़े बदल कर सो गया। थोड़ी देर बाद निशा ने गुडनाईट कहने को फोन कहा। मैं उस के बाद गहरी नींद में चला गया। सुबह ही नींद खुली। भरपुर नींद ले कर शरीर में जान सी आ गयी थी। निशा को फोन किया तो वह बोली कि उठ रही हूँ अब सही हूँ। मैं चाय बनाने चला गया उसे चाय देने गया तो वह चाय ले कर बोली कि यही बैठ कर चाय पी ले। मैंने कहा कि ऐसा ही कर लेता हूं। मैं उस के पास ही बैठ कर चाय पीने लगा। वह मुझे चाय पीते देखती रही। इस के बाद कप ले कर जब मैं नीचे के लिये चलने लगा तो वह बोली कि नाश्ता मैं बना रही हूँ। मैं कप ले कर नीचे चला आया।

निशा नाश्ता ले कर नीचे आयी तो तैयार हो कर आयी थी उस ने पुछा कि दिन के खाने का क्या कर रहे है मैंने कहा कि अभी तो केंटिन से मंगा लेता हूँ, आगे की कुछ सोचा नही है, वह कुछ नही बोली चुपचाप नाश्ता करती रही, रास्ते में उसे ऑफिस छोड़ कर मैं ऑफिस आ गया। दोपहर में लंच के समय खाना ऑडर कर रहा था तभी मेरी सेकेट्ररी भागती आयी और बोली कि सर आज आप खाना मत मगांना मैं आप के लिये बना कर लाई हूँ मैंने उसे कहा कि तुम ने क्यो तकलीफ की तो वह बोली कि मुझे पता है कि मैडम घर पर नहीं है तभी आप केंटिन से नाश्ता और खाना खा रहे है सो मैं अपने लिये लाती ही हूँ आज आप के लिये भी ले आयी खा कर देखिये की कैसा बना है?

मैंने कहा कि मेरे लिये परेशान मत हुआ करों मुझे इस की आदत है तो वह कुछ नहीं बोली और खाना लेने चली गयी। खाना बढ़िया बना था, खा कर मैंने उसे धन्यवाद दिया तो वह बोली कि अब जब तक मेडम नहीं आती आपका खाना मैं ले कर आऊंगी। मैं उसे मना करना चाहता था लेकिन मैंने सोचा कि मैं खाना सुबह बना नही सकता निशा भी नही बना सकती है तो अगर कही से मिल रहा है तो उसे मना क्यों करते हो।

मैंने पुछा कि खाना किस ने बनाया है तो वह बोली कि मेरी मां ही बनाती है, मैंने कहा की मेरी तरफ से उन्हे धन्यवाद कहना। यह कह कर मैं काम में लग गया। पर्सनल सेकेट्ररी आप के बारे में काफी बातें जानती है, सो उन से झुठ नहीं बोला जाता। शाम को निशा को लेकर घर पहुंचा तो खाना बनाने के लिये चावल और दाल गैस पर बनाने के लिये रख दी, थोड़ी देर में निशा नीचे आयी तो यह देख कर बोली कि आप क्यों परेशान होते है। मैंने कहा कि अगर तुम ने नही बनाया है तो मेरे साथ ही खा लेना। वह बोली कि अभी चढ़ा कर आयी हूँ, एक साथ ही खा लेगे। मैंने सर हिलाया।

थका हुआ था सो टीवी खोल कर बैठ गया। शायद सोफे पर ही सो गया। निशा जब खाना ले कर आयी तो उस ने मुझे झकझौर कर जगाया कि खाना खा लिजिये फिर सो लेना। मैंने कहा कि थकान के कारण आंख लग गयी होगी वह बोली कि इसे स्वीकार करने में क्या हर्ज है कि थकान हो रही है। मैंने कहा कि भई अधेड़ तो हो ही गये है। उस ने समझा कि उसे ताना दे रहा हूँ सो मेरी तरफ आंखें तरेर कर देखा और कहा कि मुझ से पुछिऐ क्या हालत है रात को नींद नही आयी और सारा दिन काम किया। मैंने पुछा कि नींद क्यो नही आयी? तो जबाव मिला की जैसे आप को पता ही नही है।

मैंने कहा कि आज मेरे साथ ही सोना, नींद तो आनी चाहिये नहीं तो मुश्किल हो जायेगी। वह बोली कि कल ही तो मना किया था, भुल गया था कि तुम्हारी क्या हालत चल रही है या तो नींद की गोलियां लेना शुरु कर दो नही तो बहुत परेशानी होगी। वह बोली कि परेशानी तो हो रही है। लेकिन आप की बात भी तो माननी है। मैंने कहा कि कहा तो हम दोनों के भले के लिये ही था, लेकिन यह बात भुल गया था सो अपनी बात वापस लेता हूँ। वह खुश हो गयी। खाना खाने के बाद मैं ड्रिक लेने लगा तो वह बोली कि एक पैग मेरे लिये भी बना देना मैंने कहा कि एक से ज्यादा नही लेना है वह बोली कि आप जितने लेगे मैं भी उतने ही लुगी। मैंने उसे देखा और कहा कि फिर से मेरी चिन्ता करने लगी हो? वह बोली कि आप भी तो मेरी चिन्ता कर रहे है। उसका क्या?

मैंने सोचा कि हमारे झगड़े का कोई अंत नही है सो जैसा चल रहा है चलने देते है। उस ने पुछा कि दोपहर में क्या खाया तो मैंने उसे बताया कि आज मेरी सेकेट्ररी अपने घर से मेरे लिये खाना लायी थी वही खाया था। उस ने कहा कि हर जगह आप की प्रशंसक मौजुद है। मैंने कहा कि उसे पता चल जाता है कि कब मेरी पत्नी घर पर नही होती है। मैं तो उसे कुछ बताता नही हूँ, तुम्ही बताओ क्या करुं? अगर मना करता हूँ तो बिना मतलब के शंक को बढ़ावा मिलता है सो होने दो जो हो रहा है। वह चुप रही। एक पैग स्काच का अपने लिये बनाया और एक उसे दिया दोनों धीरे-धीरे सीप करते रहे। मैंने पुछा कि दर्द का क्या हाल है तो जबाव मिला की सही हो गया है लेकिन आगे का हाल खराब है शायद ज्यादा संभोग करने से सुजन आ गयी है।

मैंने कहा कि रात को दिखाना, उस ने अजीब सी नजरों से देखा तो मैंने कहा कि कुछ करुंगा नही एक जैल ही जिसे अंदर लगा लेना तो शायद आराम पड़ जायेगा। वह बोली कि मुँह से बात निकली नहीं और आप के पास उस के लिये समाधान हाजिर है, मैंने कहा कि पत्नी को संभोग के समय लुबरिकेशन की कमी होती है इस लिये वाटर बैस्ड जैल डॉक्टर ने लगाने को कहा था सो ला के रखा है। वह कुछ देर घुरती रही। फिर बोली कि इस के बाद कंट्रोल होगा, मैंने कहा कि अपनी बताओ मैं तो कर लुगां आदत है। वह बोली कि चलो इसे भी आजमा लेते है।

पैग खत्म कर के वह नीचे सोने आयी तो मैंने उसे कहा कि वह गैस्ट रुम में सोयेगी और मैं अपने बेडरुम में। वह सोने चली गयी। कुछ देर बाद में जैल ले कर उस के पास गया और उस से कहा कि इसे ऊंगली पर ले कर अंदर लगा ले तो वह इठला कर बोली कि अपने आप लगाओ आप का ही किया धरा है। मैंने उसकी मेक्सी ऊंची की और उस की पेंटी नीचे कर के ऊंगली पर जैल लगा कर उस की योनि के अंदर लगा दिया। उसे अंदर ठंडा सा लगा तो बोली की आराम मिल रहा है मैंने कहा कि सुबह तक काफी फर्क पड़ेगा। फिर उस की पेंटी सही की मेक्सी नीचे की और उसे एक किस करके दरवाजा बंद करके बेडरुम में चला आया। उसे क्या बताता कि इतना संभोग करने के बाद मेरे लिंग की क्या हालत है? कुछ जैल उस पर भी लगया और लेट गया। आराम मिला तो जल्दी नींद आ गयी।

सुबह मुझे निशा ने जगाया कि चाय पियेगे तो मैंने कहा कि नेकी और पुछ-पुछ। वह चाय बना कर ले आयी, चाय पीते हूये बोली कि जैल से बड़ा आराम पड़ा है। अब जलन कम है, तब मैंने उसे बताया कि मेरी भी हालत खराब है लिंग पर बहुत जलन हो रही थी उसे विश्वास नही हुआ तो लिंग को निकाल कर दिखाया तब जा कर उसे विश्वास हुआ। मैंने कहा कि हमने हफ्तें भर का काम एक दिन में ही कर लिया तो ऐसा होना ही था। वह बोली कि क्या करें कंट्रोल ही नही हो रहा था। मैंने सुझाया कि वीक डेज में कुछ नही करेंगे सिर्फ वीकऐन्ड ही प्यार के लिये रिजर्व है, वह हंस कर चली गयी।

मुझे पता था कि यह सब चल नही पायेगा लेकिन अपनी हालत भी तो देखनी थी नही तो कुछ और बिगड़ गया तो सारा समय बेकार हो सकता था। विचार को दिमाग से निकाल फेंका और ऑफिस के लिये तैयार होने लगा। ऑफिस पहुंच कर एक और सरप्राईज मेरा इंतजार कर रहा था आज मेरी सेकेट्ररी मेरे लिये डिनर भी बना कर लायी थी। अब मैं क्या करुं, मुझे समझ नही आ रहा था मैंने उसे अपने पास बुलाया और समझाया कि बॉस पर ज्यादा मेहरबानियां करने से ऑफिस में गॉसिप होने का खतरा रहता है इस लिये लंच तक तो सही है डिनर सही नही रहेगा, उसे मेरी बात समझ आ गयी और बोली कि कैसे काम चलाते है? तब मैंने उसे बैठा कर समझाया कि मुझे खाना बनाना आता है इस लिये कोई परेशानी नही होती, लंच इस लिये नही बना पाता क्योकि सुबह समय कम होता है।

फिर उसे समझाया कि मैडम तो आज से नही कई वर्षों से बाहर जाती रहती है और मैं इस का आदी हो गया हूँ इस लिये मेरे लिये परेशान नही हो। वह सर झुका कर सुनती रही फिर बोली कि लंच तो सर मैं ही लाऊँगी आप के लिये मैंने सर हिलाया। बोली कि आप मुझे किसी दिन बाहर डिनर खिला देना हिसाब बराबर हो जायेगा। मैंने कहा कि यहां तो नयी आफत पनप रही है। लेकिन कुछ कर नही सकते। ऐसे ही हफ्ते के दिन गुजर गये। शुक्रवार को पता था कि कुछ तो होगा लेकिन उस से डर नही था क्योकि शुरु का उत्साह खत्म हो चुका था, गुबार बैठ गया था सो जो भी होगा अच्छा ही होगा।

शाम को खाना खाने के बाद पेग पीने के बाद जब सोने की बात आयी तो दोनों ने सोचा कि आज बेड़रुम में ही सोते है। दोनों को प्यास तो थी इस लिये लेटते ही काम पर लग गये। जोर-शोर से तुफान आया जब वह उतरा तो हम दोनों बुरी तरह से थक गये थे सो गहरी नींद में सो गये। सुबह उठे तो मन में खुशी थी कि रात को जो किया उस का दोनों नें आनंद लिया। नाश्ते के समय निशा बोली कि आज अच्छा महसुस हो रहा है। मैंने कहा कि आज कुछ दिखाने का या साबित करने को नही था इस लिये सही लग रहा है। यही सही मायने में प्यार है। पहले हम अति कर रहे थे जो कि गलत थी, शुरु शुरु की वजह से भी शायद कुछ ज्यादा हो गया था अब सही हो रहा है इस को इंजोय कर सकते है।

किसी तरह का दर्द या परेशानी नही होगी, निशा भी मेरी बात से सहमत थी। दोनों अपने अपने काम में लग गये हफ्तें भर के काम पड़े थे उन्हे करने में सारा दिन निकल गया। दोपहर का खाना दोनों ने मिल कर बनाया जब खाने बैठे तो मैंने पुछा कि तुम्हारा पुरा हफ्ता कैसा बीता तो वह बोली कि आप को पता नही है क्या? मैंने कहा कि कुछ तो मुझे पता है कुछ नही पता इस लिये पुछ रहा था नही बताना चाहती तो कोई बात नही है तो वह बोली कि ना बताने को कुछ है ही नही।

ऑफिस में तो काम नॉरमल था, तुम्हारे साथ कुछ परेशानी हो रही थी सो तुम्हें बता दी थी।

जब सैकेट्ररी तुम्हारा लंच ला रही थी तो मुझे जलन हो रही थी लेकिन फिर सोचा कि मैं कर नही पा रही हूँ अगर कोई कर रहा है तो मुझे परेशानी क्यो हो रही है। यह सोच कर ही अपने मन को संतोष दिलाया। जब तुम मेरे साथ नही सोये उन रातों को मुझे नींद नही आयी पता नही क्या कारण था? मैंने कहा कि कारण तो तुम्हें पता है उस पर तुम्हें ही काबू पाना होगा। उस ने कहा कि मैं कोशिश तो कर रही हूँ लेकिन कुछ हो नहीं रहा है। मैंने कहा कि अभी तो मेरे साथ ही सोयों, शायद इस से ठीक हो जाये। वह कुछ देर खड़ी हो कर कुछ सोचती रही फिर बोली कि अगर बुरा ना मानों तो मेरी एक फैन्टसी है तुम उसे पुरा कर सकते हो? मैंने कहा बताओ क्या है,

उस ने कहा कि मैं नयी नवेली दुल्हन की तरह सुहागरात मनाना चाहती हूँ मैंने कहा कि इसे पति के लिये बचा कर रखो तो वह बोली कि मुझे पता था तुम ऐसा ही कहोगें इस लिये तो तुम्हें बता नही रही थी। मैं कुछ देर चुप रहा फिर बोला कि आज रात को इस फैन्टसी को भी जी कर देख लेते है। हर्ज क्या है? वह खुश हो गयी बोली कि कुछ तैयारी करु? मैंने कहा कि तुम्हारी फैन्टसी है तुम्हें ही पता है कि क्या करना है। वह बोली कि तुम तो अपना रोल निभाना मैं कुंवारी लड़की का रोल निभाती हूँ।

मुझे क्या करना है।

तो पहले कर चुके हो

कुछ खास तरीका या ख्यायिश

नही अनछुयी दूलहन का रोल निभाना चाहती हूँ

कठिन है

क्यों

अपने मन से पुछो

कुछ तो साफ-साफ कहो

कुछ कहुंगा तो मारोगी

नही।

जैसी हो वैसी ही रहना

दूल्हन के कपड़े पहनना अपने आप सब हो जायेगा, चिन्ता मत करों

तुम्हारी कोई फैन्टसी

इस के लिये टाईम ही नही मिला

फिर भी

कुछ याद नही आ रहा अगर आयेगा तो तुम्हें ही बताऊंगा

अच्छा

रात के डिनर के बाद शराब नही पी। निशा तैयार होने चली गयी। मैं गैस्ट रुम को संवारने में लग गया। सामान लगाया कमरे को साफ किया, रुम फ्रैशनर से कमरे को महकाया फिर चार पांच बड़ी मोमबत्तियां लगा दी। फुल तो थे नही इस लिये कुछ किया नही जा सकता था लेकिन उस की जगह लाल बडे़ फुलों वाली चद्दर बिछा दी। इस के बाद कमरा बंद कर दिया। मैं भी तैयार होने के लिये चला गया। कमरें में जा कर सोचा कि क्या पहनु? फिर सफेद कुरता पायजामा निकाल कर पहन लिया। कपड़ो पर और सारे बदन पर बढ़िया सेंट लगाया। पुरानी पड़ी कसी हूई ब्रीफ निकाली जो कभी बहुत सेक्सी लगती थी।

मैं जब पुरी तरह से तैयार हो गया तो कमरे से बाहर निकल कर गैस्ट रुम में गया तो मुझे लगा कि कोई कमरे है दरवाजा खोला तो देखा कि निशा बेड पर लाल रंग की साड़ी में पल्लु कर के बैठी थी, मेरे को देख कर उस ने पल्ला हटाया तो उसे देख कर हैरान रह गया वह वास्तव में नयी नवेली दूल्हन लग रही थी चेहरे पर हल्का मेकअॅप होने के कारण सुन्दरता और बढ़ गयी थी। मैंने सारी मोमबत्तियों को जला कर कमरे की लाईट बंद कर दी माहौल अब बहुत रोमांटिक लग रहा था। मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया तो उस ने बेड से नीचे आ कर मेरे पैर छुये फिर खड़े हो गयी।

मैंने उसे बांहों में भर कर चुमा तो वह छिटक कर खड़ी हो गयी और बोली कि मुझे कुछ गिफ्ट नही मिलेगा मैंने कहा कि मैं ही तो तुम्हारा गिफ्ट हूँ यह सुन कर वह मेरे पास आयी और बोली कि आज मैं भी अपने आप को समर्पित करती हूँ यह कह कर वह मुझ से लिपट गयी। उस की गरम सांसे मेरे सीने पर महसुस हो रही थी। मैंने उस का माथा चुम कर उसे बेड पर बिठा दिया और उस की बगल में बैठ गया। मैंने उस के कान में कहा कि आज तो बला कि खुबसुरत लग रही हो। वह कुछ नहीं बोली मैंने उस को गले से लगाया तो वह कांपने लगी बोली कि आप मेरे साथ जो कुछ करे आराम से करना।मैंने कहा कि तुम चिन्ता नही करो। मेरे होंठ अब उस के होठो के रस का पान कर रहे थे। वह कसमसा रही थी।

मैं याद करने की कोशिश कर रहा था कि मेरी सुहागरात को क्या हुआ था, लेकिन मुझे कुछ याद नही आ रहा था। मैंने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उस के चेहरे को चुमने लगा। फिर उस की गरदन की बारी आयी और इस के बाद उस के उरोजों के मध्य रेखा पर पहुंच गया। उस का सीना तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था। मैंने उस के ब्लाउज के हुक खोल कर उसे आगे से खोल दिया फिर उसे बाहों से निकाल कर उतार दिया। लाल रंग की ब्रा में उस का बदन चमक रहा था।

मैं ने अपने हाथों से उस के पेट को सहलाया फिर हाथ कमर से नीचे ले गया। पेटीकोट के अंदर हाथ गया तो वह सिकुड़ गयी। साड़ी के उपर से ही मेने उस की दोनों जाधों को सहलाया। मैं चाहता था कि उस का तनाव खत्म हो जाये।

अपना कुर्ता उतार कर रख दिया। उस को उठा कर बिठा दिया और उस से पुछा कि क्या हाल है तो वह बोली कि सही है। अब मैं रुक गया लगा कि अब दूल्हन को कुछ करना चाहिये। वह पाँव मोड़ कर बैठ गयी।

दर्द तो नही होगा

हो सकता है खुन भी निकल सकता है

क्यों

कुछ के पहली बार में निकलता है कुछ के नही निकलता

आप रुक क्यो गये

तुम तो कुछ कर नही रही हो

क्या करुं

प्यार तो करना आता है या वह भी नही आता

कभी किसी से किया नही है आप सिखा दो

अच्छा

मैंने उस का पेटीकोट भी उतार दिया अब वह ब्रा और पेंटी में पड़ी थी मैं उस की गोलाईयों को मसलने लगा उस ने कहा कि आप की ही है जरा तो दया करों। मैंने उस की पेंटी के अंदर हाथ डाल कर उस की योनि को भी सहलाया फिर हाथ निकाल लिया। उस की सांस तेजी से चलने लगी। मैंने उस की ब्रा उतारने के लिये उस को पलट कर ब्रा को हुक खोल दिया अब उस के कपोत आजाद थे उसने उन्हे हाथों से ढ़क लिया मैंने कहा कि हाथ तो हटाओ वह बोली की शर्म आती है मेरे से क्या शर्म है। यह कह कर मैं उसे हाथ को हटा कर उस के उरोजो को दबाने लगा वह कराहने लगी बोली की इतने जोर से मत करो। उस के निप्पलों को चुसने के बाद पुरे स्तन को मुँह में भर कर चुसा फिर उस की नाभी को चुम कर उस की पेंटी को उतार दिया उस की योनि को चुमना शुरु कर दिया।

उस के सारे बदन पर हाथ फिराना शुरु कर दिया। उस ने कराह कर आहहहहहहह उईईईईईईईईईई आहहहहहहहह करना शुरु कर दिया था मैं ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उस के टागों के मध्य बैठ कर कहा कि अब थोड़ा दर्द होगा सह लेना वह चुप रही फिर लिंग को उस की योनि में डालने की कोशिश की तो वह फिसल गया दूबारा से जोर लगाया तो वह चला गया लेकिन नीचे से वह दर्द से तड़फने लगी मुँह पर हाथ रख कर जोर से धक्का दिया और पुरा लिंग अंदर डाल दिया फिर उस का मुँह चुमने लगा ताकि उस का दर्द कम हो जाये।

कुछ देर ऐसे ही रहा फिर धक्के लगाने शुरु कर दिये कुछ देर में नीचे से भी धक्के लगने लगे। हम दोनों जोर जोर से धक्के लगा रहे थे कुछ देर बाद दोनों एक साथ स्खलित हो गये। मैं उस की बगल में लेट गया उस की तरफ मुँह करके पुछा कि मजा आया तो वह बोली कि यह भी पुछने की बात है?मैंने कहा कि कुंवारी बहु से पुछ रहा हुँ यह सुन कर उस ने मेरी छाती पर मुक्के मारने शुरु कर दिये। मैंने उसे अपने से चिपका लिया।

उस ने पुछा कि मोमबत्ती का आईडिया अच्छा था माहौल रोमांटिक लग रहा था तुम्हारे कपड़े भी जंच रहे थे मैंने कहा कि तुम तो पुरी दूल्हन लग रही थी हरकतें भी ऐसी ही कर रही थी। बोली किसी फिल्म में देखा था सो दोहरा रही थी। मैंने पुछा कि पाँव छुने की जरुरत क्या थी जबाव मिला की रोल तो पुरा करना था। मैंने उस के कान में कहा कि मन अभी भरा नही है तो वह बोली कि पहली रात को किसी का मन भरता है? सांस तो लेने दो। तुम्हारे जनाब को भी तो तैयार होना है। मैंने कहा कि वह तो दूसरे दौर के बिना मानता ही नही है।

उस ने नीचे झुक कर देखा कि जनाब तो तैयार खड़े थे। वह उठ कर मेरे उपर आ गयी और हाथ से लिंग को योनि में डाल कर धीरे-धीरे हिलने लगी। उस के हाथ मेरे निप्पलों को मसल रहे थे इस से सारे शरीर में कंरट दौड़ने लगा। फिर जो दौड़ शुरु हुई तो अपनी मंजिल पर ही जा कर रुकी हम दोनों पसीने से तरबतर हो गये। शरीर आग से तप रहे थे। समझ नही आ रहा था कि इस आग से कैसे छुटकारा मिलेगा। तुफान के थमने के बाद दोनों अगल-बगल लेट कर गहरी सांसे ले रहे थे। कुछ देर बाद वह मुझ से लिपट कर सो गयी और मैं भी निंद्रा देवी की अराधना में लिन हो गया।

सुबह जब नींद खुली तो वह तब भी ऐसे ही सो रही थी। उसे धीरे से अपने से अलग किया तो वह कुनमुनाती हुई जग गयी और बोली कि मैं कहां हूँ मैंने कहा जहां होना चाहिये वही पर हो तो बोली कि लगा था कि मैं मर तो नही गयी मैंने कहा कि सुहागरात पर हर दूल्हन ऐसा ही कहती है लेकिन मरती नही है। वह हंस कर बोली कि तुम ने तो आंटी का दम निकाल दिया होगा। मैंने कहा कि याद करने पर भी कुछ याद नही आ रहा है। निशा बोली कि मेरा तो दम निकल गया था।