अधेड़ और युवा

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शाम को उठा तो सोचा कि निशा सही कह रही है क्यों ना आज की दवा के साथ या दवा के बिना करके देखा जाये सच्चाई सामने आ जायेगी। यही सोच कर कार निकाली और बाजार के लिये निकल गया। कैमिस्ट पर जा कर वियग्रा की चुसने वाली गोलियां खरीदी तथा एक दवा जो कभी डॉक्टर ने बताई थी वह भी खरीदी कुछ कॅडोम तथा नये तरीके की पिल्स का एक पैकेट भी खरीदा। रास्ते में सोचा कि कुछ खाना भी ले चलते है यही सोच कर चाऊमिन और नुडल्स पैक करवा लिये। घर आया तो काफी अंधेरा हो गया था। सामान रखा कर बैठा तो सोचा कि निशा को मना कर दूँ की वह डिनर ना बनाये। उस को फोन करके कहा कि रात का डिनर मेरे साथ करना, चाईनिज लाया हूँ तो वह बोली कि अच्छा किया है मैं कुछ देर में नीचे आती हूँ।

मैं आते में दो बीयर की बोतलें तथा एक रेड वाईन की बोतल भी लाया था। बोतल तो फ्रिज में रख दी। रेड वाईन दराज में सज गयी। खाना फ्रिज में रख दिया जब खायेगे तो माईक्रोवेव में गर्म कर लेगें। समय का पता नही कब खायेंगे। टीवी खोल कर उस को देखने बैठ गया। थोड़ी देर बाद दरवाजा खटका खोला तो निशा को देख कर मेरा मुँह खुला रह गया, मुझे देख कर वह बोली कि मुँह में मच्छर ना चला जाऐ। मैंने हँस कर उस को अंदर आने का रास्ता दिया और दरवाजा बंद कर दिया। निशा साड़ी पहन कर आयी थी साड़ी में वह गजब ढ़ा रही थी मेरी आँखे उस से हट नही रही थी। उस ने कहा कि मुझे आंटी से पता चला था कि आप को साड़ी पहुत पसंद है इस लिये एक घंटा लग कर आप के लिये साड़ी पहनी है।

अच्छी लग रही हूँ

अब यह भी बोल कर बताऊँ? देख कर समझ नही आ रहा है?

कभी-कभी शब्द अच्छे लगते है।

सोच रहा हूँ कि शब्द कम पड़ गये हैं।

इतना फ्लर्ट, पहले से ही है या अभी सीखा है

किसी को देख कर फ्लर्ट करने का मन कर रहा है।

तो करो ना रोका किसने है?

दिलों पर छुरियां चलाने की तैयारी है।

जिस पर चलानी है वह कुछ कह ही नहीं रहा है

अब क्या दिल खोल कर दिखा दे, कि क्या हाल है।

पता तो चलना ही चाहिये की कितना बड़ा घाव लगा है।

घाव का पता तो घायल का हाल देख कर ही पता चल जाता है।

मुझे तो यहाँ कोई घायल नही दिख रहा है?

घायल की गति घायल जाने।

अब यह तो मत कहो

अब किसी को क्या बताये की हुआ क्या है हाले दिल की ऱजा क्या है

शायरी भी आती है जनाब को

ऐसे हालात में ही तो शायरी होती है।

अभी तक हाल क्या है पता नही चला है?

कत्ल भी करते है और हाथ में तलवार नहीं

वाह वाह

उस ने मेरे सामने घुम कर दिखाया, साड़ी जितना छुपाती है उससे ज्यादा दिखाती है, जब मुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं उसे गोद में उठा कर बेड रुम में ले गया और उस के कान में कहा कि खाना बाद में खायेगें पहले जो सामने है उस को चखले। वह बेड से उठ कर खड़ी हो गयी और बोली कि साड़ी खराब हो जायेगी। मैंने कहा कि यहाँ किसी का मन खराब हो गया है उसकी कोई फ्रिक ही नही है? उस ने शरारत से कहा कि देखते है किस का क्या खराब होता है। वह मेरे सामने खड़ी थी उस की साड़ी से झांकती तनी हुई छातियाँ मुझे चुनौती दे रही थी कि देखते है तुम कब तक अपने पर काबु रख सकते हो?

साड़ी में निशा का देख कर मुझे मानना पड़ा कि वह बला की खुबसुरत है। उस की गिराई बिजलियाँ मेरे दिल पर गिर रही थी और वह यह सब मुस्कराती हूँई देख रही थी। मैंने उस के सामने सर झुका कर कहा कि मैं गलत हूँ जो सरकार कहे वह करने को तैयार हुँ, उस ने कहा कि गुलाम को सब पता है। मैंने कहा बंदा आपकी सेवा में हाजिर है जो चाहे किजिये। मेरी बात सुन कर वह हँस पड़ी और बोली कि मुझे पता था कि आप मुझे साड़ी में देख कर काबु से बाहर हो जायेगे और मैं जो चाहुंगी वो करवाऊँगी।

मैंने कहा कि तुम्हारी सोच सही थी। यह कह कर मैंने उसे बांहो में समेट लिया वह तो इस पल का इंतजार कर ही रही थी सो मुझ से किसी लता की तरह लिपट गयी। उस के होंठ मेरे होठों को चुमने लगे। फिर उस की जीभ मेरे मुँह में घुस कर मेरी जीभ के साथ अठखेलियां करने लगी। वासना का ज्वार दोनों के शरीरों में उफान मार रहा था कोई एक अब चाह कर भी उसे नही रोक सकता था। मैंने उसे कस के अपने से चिपटाया तो वह बोली कि दम घुट जायेगा फिर क्या किजियेगा।

मैंने कसाव कम किया तो उस के हाथ मेरी पीठ से होते हूये हिप पर कस गये और उस ने मेरे को नीचे से अपने से मिला लिया। मेरा तना हुआ लिंग पेंट में से उस के पेट पर दवाब डाल रहा था। वह इस का मजा ले रही थी मेरे हाथ भी उस की पीठ को सहला कर उस के कुल्हों पर कस रहे थे उन्हें मसल रहे थे। उस ने अपने कुल्हें मेरे शरीर पर टकराने शुरु कर दिया यह इस बात का इशारा था कि वह अब समागम के लिये आतुर है।

देरी करने की कोई वजह नहीं थी। सो मैंने उस की साड़ी पेटीकोट से निकाल कर उसे उस के शरीर से अलग कर के एक तरफ फैक दी। अब वह ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। मैं पेंट और शर्ट में था क्यो कि कुछ देर पहले ही बाजार से आया था। उस के हाथ मेरी शर्ट के बटन खोलने में लग गयी और उसे उतार कर उस ने उसे एक तरफ उछाल दिया। बनियान का भी यही हाल हुआ। फिर उस के हाथों ने बेल्ट खोल कर पेंट को भी नीचे गिरा दिया।

मेरे होंठ उस की गरदन पर कसे हुये थे उस ने धीरे से कहा कि लव वाईट मत करों परेशानी होगी। मैं सभंल गया। लेकिन अब होंठ उस की वक्ष के मध्य चुम रहे थे। मैं अपने हाथों उरोजों को सहला रहा था मसल रहा था लेकिन ब्लाउज में अंदर हाथ नही डाल पा रहा था। मेरी जल्दबाजी देख कर उस ने कहा कि आज जवानी वापिस आ गयी है।

मैंने कहा कि तुम्हारी को देख कर उसे आना ही था। उस ने धीमे से मेरे कान में कहा कि आप वो ही करोगें जैसा मैं चाहती हूँ। मैं उस की कोई बात सुनने की हालत में नहीं था। फिर मेरे दिमाग में कौधा कि निशा मुझे कंट्रोल कर रही है मैं वही सब कर रहा हूँ जो वह चाहती थी। वह चाहती थी कि आज भी कल जैसा करें सो हो रहा है। दवा भी आज मेरे पास है लेकिन उसे खाया नहीं है, लेकिन उस को लग रहा है कि मैं दवा के असर मैं हूँ। अच्छा है वह यही सोचती रहे, मैंने सोचा। मेरा हाथ पेटीकोट के ऊपर से ही उस की योनि को सहला रहा था। ना जाने क्यों मैं आज उस के अन्तरवस्त्र उतारने में देरी कर रहा था मेरा मन कह रहा था कि यह अवसर दूबारा नही मिलेगा तो इसे लम्बे समय तक भोगों जल्दी मत करों लेकिन निशा को जल्दी पड़ी है।

उसे किसी तरह से जल्दी करने से रोकना होगा नही तो वह मेरा सारा मजा खत्म कर देगी। इसी लिये मैंने उसे बेड पर धकेल दिया। वह लेट गयी उस की गरदन तकियों पर टीकी थी तथा धड़ नीचे था। मैं उस के उपर खड़ा हुआ तो उस ने मुझे घुटनों के बल बिठा दिया अब उस के सामने मेरी ब्रीफ थी वह कुछ देर तक उसे घुरती रही फिस हाथ डाल कर लिंग को साईड से निकाल लिया। लिंग पर पुरा तनाव आ रहा था लेकिन अभी वह पुरी तरह से तनाव में नहीं था।

उस ने लिंग के सुपाड़े पर हल्का सा किस किया और जीभ निकाल कर उसे आईसक्रीम की तरह चाटने लगी। मेरी हालत पतली होने लगी। वह अपनी मन मर्जी करती रही। अब लेटने की बारी मेरी थी तथा वह मेरे मुँह के सामने खड़ी थी मैं ने उस के पेटीकोट को उठा कर ऊपर किया और उस के कुल्हों को हाथ से अपने चेहरे के करीब कर लिया मेरा चेहरा उस के पेटीकोट से ढ़का हुआ था।

मेरी जीभ उस की पेंटी के दोनों तरफ की जाँघों को चाट रही थी मैं योनि पर स्पर्श नही कर रहा था मुझे लग रहा था कि उस की योनि गिली हो रही थी। ऐसा करने का मेरा एकमात्र उदेश्य था की वह समर्पण कर दे लेकिन वह भी मजा ले रही थी अब मैंने उस की पेंटी में ऊंगलीं घुसेड कर उस की योनि को बाहर कर दिया तथा ऊंगली को उस के अन्दर बाहर करने लगा।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मेरी जीभ ने ऊंगली की जगह ले ली अब निशा का शरीर काँप रहा था तथा उस ने मेरा सर मेरे बालों से पकड़ लिया। इस तरह से एक समय में एक ही व्यक्ति मजा ले पा रहा था दूसरा केवल तड़प रहा था। इस खेल को ज्यादा नहीं चलना था सो निशा ने बैठ कर अपने होंठों से मेरे होंठ जकड़ लिये और वह उन्हें बुरी तरह से चुस रही थी, काट रही थी।

मैं उस की कान की नोक से खेलने लगा। उस ने अपना छातियाँ मेरे मुँह के सामने कर दी। मैं भी उन्हे ब्लाउज के उपर से ही चुमने लगा। फिर मैंने आगे से ब्लाउज के बटन खोल कर के उसे उतारा और निशा की पीठ पर ब्रा के हुक खोल कर उस के कपोतों को आजाद कर दिया अब वै मेरे हाथों और होठों की कैद में थे, खुश थे उन के निप्पल के चारों तरफ मेरे होंठ परिक्रमा कर रहे थे मेरे हाथ उन की गोलाई को दबा रहे थे जिस से निशा की आह निकल रही थी। मैंने अपनी जीभ को उस की नाभी का स्वाद लेने के लिये नीचे किया। उस की कसी हुई सपाट कमर पर जीभ फिरती रही। मैंने अब उस का पेटीकोट उतार दिया और उसकी पेंटी भी उतार दी।

निशा नीचे की तरफ खिसखी और उस ने मेरी ब्रीफ उतार कर पंजों से निकाल कर नीचे फेक दी फिर मेरे पाँव पकड़ कर मुझे नीचे की तरफ खींच लिया अब मैं बेड़ पर सीधा लेटा था वह झुकी लिंग को मुँह में डाल लिया कुछ देर उसे चुसने के बाद वह सीधी हुई और मेरी बगल में आ कर लेट गयी। मैंने उसे पलट कर उस की पीठ अपनी तरफ की और उस की पीठ पर किस करना शुरु कर दिया मेरा एक हाथ उस के उभारों की दरार में घुस कर कुछ ढुढ़ रहा था उसे वह जब मिला तो वह उस में घुसने का प्रयास करने लगा, इस पर निशा चिहुंक गयी। बोली अभी इस का समय नही है कभी फिर करेगे। हाथ फिर और नीचे जा कर उस की योनि में घुस गया।

सारी योनि नमी से भरी हुई थी अब समय था हमारे समागम का हम काफी देर से फोरप्ले कर रहे थे अब असली खेल खेलना था मैंने फिर से उसे पलट कर उस के उपर आ गया वह शायद इसी क्षण की प्रतिक्षा में थी मैंने उस की दोनों टांगे उठा कर अपने कंधो पर रखी और सामने उभरी योनि में हाथ की सहायता से लिंग घुसेड़ दिया। पहली बार में ही काफी गहराई में चला गया जब दूसरा धक्का लगाया तो शायद उस की बच्चेदानी के मुँह से टकराया। निशा आहहहहहह उईईईईईईईईईईई एईईईईईईईई आहहहहहहहहहहहह करने लगी।

मेरे धक्के बढ़ गये थे थोड़ी देर बाद निशा बोली कि बड़ा दर्द हो रहा है पोजिशन बदल लो मैंने यह सुन कर उस की टागें नीचे कर दी और लिंग निकाल लिया, मुझे कुछ याद आया तो मैं बेड से उतर कर अपनी पेंट की जेब तलाशने लगा उस में से कॅडोम का पैकेट निकाल कर एक कॅडोम लिंग पर चढा़या और लौट कर निशा के ऊपर आ गया निशा यह सब देख कर बोली कि अब इस की क्या जरुरत है मैंने कहा कि देखती जाऔ, जब लिंग अंदर गया तो उसे पता चला कि कॅडोम पर बड़े-बड़े डॉट थे उन के कारण निशा को बहुत अधिक मजा आने लगा मैंने पुछा कि पता चला क्यों जरुरी था वह बोली कि तुम हर बार चौकाते हो।

मैं धक्कें लगाता रहा जब थोड़ा सा थका तो निशा को उपर कर लिया अब वह कमांडिग पोजिशन में थी मैं सिर्फ उस के शरीर को हिलते देख रहा था हाथों से उस के उरोजों को दबा रहा था यह खेल काफी देर से चल रहा था शायद 40 मिनट से अधिक हो चुके थे। निशा कुछ रुकी तो मैंने उसे नीचे लिटा लिया और बड़ी तेजी से प्रहार करने लगा। उस ने कहा कि इतनी जल्दी क्या है धीरे-धीरे करो ना। मेरी कमर तोड़ने का इरादा तो नही है? मैंने कहा कि ऐसा इरादा तो नही है मैंने उस के कुल्हों को उठा कर एक तकिया उन के नीचे लगा दिया अब उस की योनि उभर आयी थी और मेरे धक्कें ठीक उस पर लग रहे थे।

निशा का सर उत्तेजना की वजह से इधर-उधर हो रहा था मैं पुरा पसीने से नहा रहा था वह भी पसीने में डुबी हूई थी। मुझे लगा कि अब ज्यादा देर सही नही रहेगी, मुझे अपनी उम्र का भी ध्यान रखना ही होगा। मैंने हाथ बढ़ा कर तकिया नीचे से निकाल दिया निशा ने चैन की सांस ली। कुछ और देर तक हम दोनों के शरीर ताप से जलते रहे फिर नीचे ज्वालामुखी फुट गया, ऐसा लगा कि योनि के अंदर आग लग गयी है मेरे को तो कुछ कम महसुस हो रहा था लेकिन निशा का चेहरा बता रहा था कि क्या चल रहा है। मेरी आंखे भी मुंद गयी और मैं उस की बगल में लुढ़क गया।

शरीर के अंदर की गर्मी बर्दाश्त के बाहर हो रही थी लग रहा था कि अंदर आग लगी है लेकिन यह सब अच्छा लग रहा था शरीर इतने कष्ट के बाद भी संतुष्ट था। मैंने निशा की तरफ देखा तो वह हाँफ रही थी लेकिन मुस्करा रही थी। मेरी नजर दीवार पर लगी घड़ी पर पड़ी तो वह 8 बजा रही थी। हम 1 घन्टे से यह खेल खेल रहे थे मैंने गरदन नीची कर के अपने लिंग को देखा तो वह अब भी खड़ा था निशा भी उसी को देख रही थी उस की आंखो में हैरानी झलक रही थी। मैंने उस के होठ चुमे और कहा कि दवा का असर है। अब की बार वह हैरानी से मुझे घुर रही थी।

मैंने कहा की वह दवा तुम हो

फिर झुठ बोल रहे है

नही सच कह रहा हूँ दवा लाया तो था लेकिन ली नही है अभी दिखाता हूँ यह कह कर मैंने पेंट की जेब से दवा की डिब्बी निकाली और उसे उस की तरफ उछाल दिया उस ने लपक कर उसे खोला तो देखा कि दवा खोली नही गयी थी।

फिर इतनी देर लगने का क्या कारण है?

अभी भी समझ नही आया

सुबह तो समझाया था

कुछ कुछ समझ आया है लेकिन विश्वास नही हो रहा

आज टाईम देखा

हां सात बज रहे थे

अब क्या बजा है?

आठ बजे है

कितना समय लगा

एक घंटा

और क्या कहुँ?

सन्तुष्ठ हो

200 परसेन्ट

मैं भी हूँ फिर क्यों चिन्ता करें

आप छुपे रुस्तम है कहते कुछ है करते कुछ है

भई तुम्हारा कहा कि तो माना है अब भी नाराज हो

नाराज कौन है

मुझे लगा

गलत लगा, इनाम मिलना चाहिये

किस बात का

यह भी बताना पड़ेगा

इनाम मिल गया है।

कब मिला

अभी तो मिला है, बाकि का किस्तों में लेगें

बदमाशी भरी हुई है इस शरीफ चेहरे के पीछे

जो कुछ कहो, थोड़ी देर बाद खाना खाते है फिर पार्टी करते है या कहो तो पहले पार्टी करे खाना बाद में खाये?

सब कुछ पच गया है खाना पहले और कुछ बाद में

चायनीज पड़ा है फ्रिज में गरम करके खाते है।

ऐसे कैसे?

मैं किस बात के लिये हुँ यह कर मैं बेड से उतरा और पेपर टावल ले कर उस के तथा अपने अंगों को साफ करा फिर नीचे पड़े कपड़ें उठा कर बेड पर रखे। निशा की पेंटी पांवों पर चढ़ा दी उस के बाद उस की ब्रा भी पहना कर उस को ब्लाउज पहना दिया। इसके बाद पेटीकोट उस के पांवों के उपर चढ़ा कर उस का नाड़ा लगा दिया। निशा मुझे हैरत की नजरों से देख रही थी बोली कि सबसे कठिन काम साड़ी पहनना है। मैंने उस की साड़ी उठाई पल्ला उस के कंधों पर डाला और साड़ी में प्लेट डाल कर उसे पेटीकोट में खोंस दिया।

इस के बाद उस से कहा कि शीशे के सामने खड़ी हो कर संवर लो। वह बोली कि मुझे भी कुछ करने का मौका दो, मैंने कहा मना कब करा है तो वह मेरी ब्रीफ मुझे पहनाने लगी मैंने टांगे उठा कर उसे चढ़ाने दिया फिर वह बनियान पहनाने लगी वह भी पहन ली इस के बाद पेंट का नम्बर आया वह भी चढ़ गयी सबसे बाद में शर्ट पहनाई गयी। अब हम दोनों पुरे कपड़ों में थे लेकिन हमारे चेहरे पसीने से सने थे बाल बिखरे हुये थे। निशा शीशे के सामने अपने बाल सही करने लगी फिर क्या हुआ की मेरे पास आ कर उस ने मेरे बाल काँढ़ दिये।

मैं बाथरुम में चेहरा धोने चला गया, चेहरे पर पानी मारने के बाद साबुन से हाथ धो कर निकला तो निशा अंदर आयी और मुझे देख कर बोली की हर बात में तेजी है। मैंने कहा कि बताया तो था। वह भी चेहरा धोने लगी फिर हाथ धो कर बोली कि खाना कैसे गरम करना है? मैंने कहा कुछ नही करना है माईक्रोवेव में एक मिनट के लिये रख देते है गरम हो जायेगा कुछ प्लेट निकाल कर मेज पर लगा लो मैं खाना गरम कर के लाता हूँ यह कह कर मैं फ्रिज के पास चला गया, खाना निकाल कर माइक्रोवेव में रखा और डिफ्रिजिग का बटन दबा दिया।

एक मिनट बाद खाने में से घुआ निकल रहा था उसे लेकर मेज पर आया तो मेज पर प्लेटें सजी थी हम दोनों से प्लेटों में नुडल्स तथा चाऊमिन लिये और खाने लगे। निशा बोली कि आप के दिमाग में यह सब कब आया। मैं बोला कि जब तुम खाना खा कर गयी तो मैं आराम करने लेट गया उसी समय मुझे ध्यान आया कि तुम अपने मन की करे बिना मानोगी नही इस लिये मैं दवा लेने बाजार चला गया वहां से दवा ले कर चला तो मन में आया कि कुछ हुआ तो रात का खाना कौन बनायेगा सो चाउमीन ले लिये।

तुम्हारे लिये भी नयी आयी हुई पिल्स भी ली ये नये तरह की है बंद करने के बाद नुकसान नही करती है आगे से इन्हें ही खाना अगर जरुरत लगे तो। वह बोली कि हर बात का समाधान है आप के पास, मैंने कहा कि जो मेरे सामने बैठी है उस का समाधान छोड़ कर। वह हँसी और बोली कि मन तो आप का भी कर रहा था इस लिये तो चले गये।

तुम्हारी बात सही है कि मेरा मन भी कर रहा था इस लिये तुम्हारी शर्त पुरी करने के लिये दवा लेने चला गया लेकिन उस को खाने का कोई विचार मन में नही था। तुम बताओ आज कैसी हालत है वह बोली कि आज तो सही है थोड़ा सा दर्द सा है सो चलता है कल क्या हुआ था मैंने कहा कि शायद काफी दिनों के बाद संभोग किया होगा इस कारण से ऐसा हुआ होगा तो वह बोली कि छह महीने बाद कुछ किया है फिर बोली कि शायद सही अर्थ में तो कल ही कुछ हुआ है मैंने कहा कि अब तुम ने सही बात बोली है।वह बोली कि आप को कैसे पता चला? कल तुम्हारे में प्रवेश करते ही पता चल गया था कि तुम झुठ बोल रही हो। इतनी टाईट योनि किसी ऐक्टिव लड़की की हो ही नहीं सकती जैसा तुम दावा कर रही थी, शायद मुझे उकसाने के लिये तुम ने झुठ बोला था।

वह चुप रही। कुछ देर बाद उस ने कहा कि सब मेरा बनाया हुआ नाटक था मेरा मन आप पर जब से आया हुआ है जब से आप के मैंने ऑफिस के लिये जाते देखा था। तभी से लगता था कि ऐसे हैन्डसम के साथ सोना है। कुँवारी नहीं हूँ मै। मैंने कहा मैं कब कह रहा हूँ कि कुँवारी हो। लेकिन कल तुम्हारी हालत देख कर समझ गया था कि कुछ तो गड़बड़ है जो तुम कह रही थी और जो मुझे दीख रहा था वह बिल्कुल अलग था। मैंने को तो इतना बढ़िया साथी मिला सैक्स के लिये तो मैं तो खुश ही था लेकिन डर जरुर गया था लेकिन आज भी अपने लालच में ही यह सब किया है तुम चाहे तो सजा दे दो वह बोली की सजा नही इनाम मिलेगा।

खाने के बाद हम दोनों बात करने बैठे तो देखा कि नौ बज रहे थे मैंने पुछा कि पार्टी का मुड़ है तो जबाव मिला इस से बढ़िया मुड तो हो ही नही सकता। मैंने पुछा आज मेरी पसन्द से कुछ पी कर देखो तो बोली कि यह भी पुछने की बात है? मैंने ग्लास में रेड वाईन डाल कर उस को दी और कहा कि चख कर देखो उस ने उसे चखा फिर कहा कि बढ़िया है लेकिन हल्की है मैंने कहा कि धीरे-धीरे इस का स्वाद आने लगेगा।

फिर मैंने फ्रिज से बीयर की बोतल निकाल कर उसे गिलास में डाल कर उसे दिया तो वह बोली कि आज तो मेरी हर बात का ध्यान रखा है क्या बात है? मैंने कहा कि तुम ने मेरा मन खुश किया है तो मैं तुम्हें खुश करना चाह रहा हूँ।वह बोली कि अच्छी बात है। हम दोनों ने बीयर की दोनों बोतल खाली कर दी। उस की आंखो में लाल डोरे तैरने लगे। वह बोली की एक और दौर हो जाये मैंने कहा कि नशे की वजह से कह रही हो तो वह बोली कि नहीं पुछ रही हूँ।

मैंने कहा की कुछ कह नही सकता चलो ट्राई करते है यह कह कर मैं उस का हाथ थाम कर उसे बेडरुम में ले गया फिर उसे दिवार से सटा कर उस को कमर से उठाया और उसके पैर उठा कर कमर पर रख कर साड़ी उपर करी और पेटीकोट को उठा कर पेंट नीचे कर के ब्रीफ में से लिंग निकाला और उस की पेंटी को साईड में कर के योनि में डाल दिया और फिर मैं शुरु हो गया लिंग से पेंटी का कपड़ा रगड़ रहा था लेकिन मुझे किसी की परवाह नही थी। निशा भी मेरे होठ चबा रही थी दस मिनट तक हम संभोग करते रहे फिरदोनों एक साथ डिस्चार्ज हो गये। दोनों हांफ रहे थे।

उसे फर्श पर खड़ा किया तो वह मुझ से लिपट गयी। मैंने कहा कि साड़ी खराब हो जायेगी तो वह बोली कि होने दो मुझे मत रोकों। हम दोनों के डिस्चार्ज से दोनों के कपड़े गीले हो रहे थे काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही खड़े रहे। फिर मैंने उसे अलग किया और कहा कि कमरे में जा कर छुट्टी अप्लाई कर दो। कल नही जा पाऔगी। वह बोली की आप मैंने कहा कि सुबह देखुंगा

मैंने उसे कहा कि अब उसे कमरे में जाना चाहिये वह कुनमुनायी की यही सोना है मैंने कहा कि नहीं रात में हम सो नही सकेगे क्योकि रुक नही पायेगे और कल के लिये आफत हो जायेगी। मेरी बात उस की समझ में आ गयी जाते समय वह मुझे चुम्बन दे कर बोली कि यह दिन मैं कभी नही भुलुंगी। मैं उसे पीछे से छोडने गया।

उस के जाने के बाद मैंने बेड की चद्दर उठा कर पानी में डाल दी कमरे को घुम कर देखा कि कुछ और तो नही पड़ा है तो कॅडोम मिला उसे उठा कर पैकेट में डाल कर पेंट की जेब में रखा। दवा और कॅडोम का लिफाफा छुपा कर रख दिया। पेंट पर भी डिस्चार्ज के दाग दिखे तो उस की जेब से सामान निकाल कर उसे भी पानी में डाल दिया फिर ध्यान आया कि मैडम ने बाल कंधी किये थे तो कंधी उठा कर साफ कर दी। कमरे को सुघा तो निशा के सेंट की खुशबु आयी इस लिये तेज रुम फैरशनर का छिड़काव सारे कमरे में करा। खाने के कमरे में भी यही करा।

जब बिस्तर पर गया तो लगा कि अंगों को भी धो लेना चाहिये तो बाथरुम में जा कर सब कुछ साबुन से साफ किया। वापस लौटा तो लगा कि आज सालों बाद सेक्स का सही आनंद आया है ये जवान लड़की तो मर मिटी है जब तक चलता है चलने दो। सेक्स की भुख जो दब गयी थी फिर वापस से भड़क गयी थी। मन ही मन सोचा कि आज निशा की बात मान कर अच्छा किया नही तो ऐसा मौका फिर कम मिलता। यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता ही नही चला।

मैं सुबह उठ कर ऑफिस के लिये तैयार हो कर निकल गया। ऑफिस में जा कर पता चला कि मुझे अचानक बगलुरु जाना पड़ेगा। मैं फ्लाइट पकड़ कर बगलुरु आ गया। यहाँ किसी पार्टी के साथ को डील फाईनल करनी थी सो डील को फाईनल करके मैं कुछ देर के लिये शहर घुमने निकल गया। क्लाइट की सेकेटरी मेरे साथ थी, दो-तीन सिल्क की साड़ियां पसन्द आयी तो खरीद ली, शाम को 10 बजे की फ्लाइट थी, दो घंटे पहले एअरपोर्ट पहुंचा, चैकइन करा कर अंदर पहुंचा तो पता चला कि फ्लाइट लेट है, कुछ कर नही सकता था सो लाउंज मैं बैठ कर इंतजार करने लगा।

तभी निशा का फोन आया कि आप कहाँ हो अभी तक घर क्यों नहीं आये हो? मैंने उसे ज्यादा नही बताया सिर्फ यह कहा कि मुझे आने में देर होगी वह सो जाये। साढ़े ग्यारह बजे फ्लाइट उड़ी, ड़ेढ बजे लैड़ करी गाड़ी निकाल कर जब घर पहुंचा तो दो बज रहे थे। घर का ताना खोला तो निशा भी उपर से आ गयी और बोली की मैं चिन्ता से मरी जा रही थी, इतनी देर कैसे हो गयी? मैंने कहा सांस तो लेने दो सब बताता हूँ, सामान अंदर रख कर दरवाजा बंद किया और निशा से कहा कि एक गिलास पानी पिला दे वह पानी लेने चली गयी।

पानी पीते समय मैंने उसे बताया कि ऑफिस जा कर पता चला कि अचानक बगलुरु जाना पड़ेगा सो वहां चला गया, कुछ बहुत जरुरी काम था, उसे पुरा किया शाम की फ्लाइट थी लग रहा था कि टाईम से पहुंच जाऊंगा तो बताने की जरुर नही समझी लेकिन फ्लाइट साढे ग्यारह बजे उड़ी और ढेड़ बजे लैड़ करी। उस ने पुछा कि खाना खाया है मैंने सर हिलाया तो वह बोली कि मैंने बना कर रखा था उसे गरम करती हूँ। मैं बोला कि मैं नहा कर आता हूँ उस ने कहा कि रात में नहाने की क्या जरुरत है सुबह नहा लेना मैंने कहा कि मुझे नींद नही आयेगी। मैं कपड़े उतार कर नहाने चला गया।

गरम पानी से नहा कर सारे दिन की थकान चली गयी। बाथरुम से तोलिया लपेट कर निकला तो निशा बोली कि अब कुछ नही पहनना ऐसे ही रहो। मैंने कहा कि सरकार पेट पुजा तो करने दो तो जबाव मिला कि मैं भी भुखी हूँ मैं समझा की दुसरी भुख की बात कर रही है तो वह बोली कि मैंने भी खाना नही खाया है, मैंने कहा कि यह तो गलत बात है वह बोली कि अगर आप ने बता दिया होता कि बाहर हो तो खा लेती। मैंने कहा कि मुझे खुद नहीं पता था कि क्या हो रहा है। हम दोनों खाना खाने बैठ गये। खाना खा कर उठे तो रात के तीन बज रहे थे। मैंने निशा से पुछा कि मेरी तो छुट्टी है उसे तो ऑफिस जाना होगा वह बोली कि मैं भी ऑफिस गयी थी। आज की छुट्टी ले लेती हूँ।

मुझे कुछ याद आया तो मैंने निशा से कहा कि आज हम दुसरें कमरे में सोते है, उस ने प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखा तो मैंने कहा कि समझा करो काफी कपड़े धोने है रोज गंदे हो रहे है जबाव देना मुश्किल हो जायेगा। उस ने सर हिलाया, मैंने दुसरा कमरा जो गेस्ट के लिये था खोला वह बिल्कुल साफ पड़ा था उस में बेड भी नया था गद्दा भी नया था। थोड़ी देर पंखा चला कर छोड़ दिया ताकि रुकी हुई हवा निकल जाये। तब तक निशा दुध ले कर आ गयी बोली कि इसे पी लो ताकत आयेगी। मैं उस को देखने लगा तो वह शरारती अंदाज में मुस्करा दी।