अधेड़ और युवा

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तुम्हारी फैन्टसी थी

हां थी लेकिन पता नही था कि असल में क्या होगा

सही रहा सब कुछ

हां जैसा मैंने सोचा था उस से बेहतर था

दूसरी सुहागरात का मजा ले लिया

मजे है

हां इस में कोई दो राय नही है

तुम ने अपनी बताई नहीं

मुझे कुछ याद ही नही आ रही है।

सोच लो ऑफर खत्म ना हो जाये

होने दो

तुम्हारी मर्जी

देख लो

अब खत्म करो नॉरमल हो जाओ

नॉरमल ही तो हूँ

अच्छा

यह कह कर मैं बेड से उठ गया और बाथरुम में चला गया

सुबह का रुटिन चालु हो गया नहाने का नाश्ता करने का उस के बाद दोनों अपने काम करने लगे, दोपहर का खाना बना कर निशा मेरे पास का कर बैठी और पुछने लगी कि ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी की कोई फैन्टेसी ना हो? मैंने कहा कि यह तुम्हारी पीढ़ी का नया शगल है पश्चिम से आया है हमारे समय में तो ऐसा कुछ नही था। तुम और मैं जो आज कल कर रहे है वह भी मेरे जैसे व्यक्ति के लिये फैन्टसी हो सकता है इस पर उस ने कहा कि यह तो सही है कि एक अधेड़ उम्र के आदमी के जवान लड़की मिल गयी है और वह उस के साथ समय बिता रहा है यह तो शायद हर अधेड़ की फैन्टसी हो सकती है।

मैंने कहा कि सही कह रही हो इस लिये मैं किसी और फैन्टसी को क्यो सोचुं मेरी तो बढ़िया चल रही है। उस ने पुछा कि आप की सेकेट्ररी कैसी है? मैंने कहा जैसी होती है, उस ने कहा कि मेरा वैसा मतलब नही है। मैंने कहा कि चुलबुली सी है थोड़ी मोटी कह सकते है लेकिन काम करने में बहुत तेज है, पारंगत है जो काम बोल दो वह हो कर रहता है कोई बहाना नही करती। मैंने निशा को चिढ़ाने के लिये कहा कि उस ने मुझ से वादा लिया है कि लंच के बदले में उसे किसी दिन डिनर पर ले जाऊंगा। यह सुन कर उस के कान लाल हो गये और बोली की मुझे तो कही ले कर नहीं जाते।

मैंने कहा कि तुम ने कभी कहा ही नहीं, वह बोली कि चलों आज कहीं चले रात को? मैंने कहा कि शहर में तो नहीं जा सकते कही ना कही कोई ना कोई जानने वाला मिल सकता है, वह बोली कि बाहर चलते है किसी एकान्त सी जगह में। मैंने कहा कोई जगह मालुम है तो वह बोली कि कई मालुम है मैंने कहा की शाम को चलेगें। एक घंटे के बाद वह तैयार हो कर आयी और बोली कि हाईवे पर 25 किमी पर एक शानदार रेस्टोरेंट है वही चलते है जल्दी निकलना पड़ेगा।

मैंने कहा कि मैं तैयार हो कर आता हूँ वह साड़ी पहन कर तैयार थी मैं भी जींस टीशर्ट पहन कर आया तो निशा बोली कि अब कोई साथ देख भी लेगा तो समझेगा कि पति पत्नी है आप तो अपनी उम्र से दस साल छोटे लग रहे है। मैंने कहा कि इतना चने के झाड़ पर मत चढायों तो वह बोली की एक लड़की की नजर से देख रही हूँ जो आप के पास नहीं है।

फिर हम दोनों कार में बैठ कर निकल गये। एक घंटा लगा वहां पहुंचने में। शान्त एकान्त जगह पर बना हुआ था वही लोग आते थे जो एकान्त की तलाश में होते थे या हाईवे से गुजर रहे होते थे। एक कोने की टेबल पर बैठ थे कि वेटर ने आ कर मैनू पकड़ा दिया। निशा से पुछा कि क्या खाना है तो वह बोली कि आप पसंद करो, वेटर से पुछा कि उस के यहां की स्पेशलिटी क्या है तो वह बोला कि हमारा प्लेटर फेमस है तो एक प्लेटर ऑडर किया, नान पनीर और कोफ्ते भी ऑडर किये।

उस से कहा कि पहले कॉफी भेज दे। वह चला गया। कुछ देर के बाद कॉफी आ गयी। हम दोनों कॉफी पीने लगे। निशा बोली कि किसी के साथ बाहर जाते नही हो मैंने कहा कि पहले जाता था अब निकलना कम हो गया है। कभी किसी खास मौके पर ही बाहर जाते है। रात को वैसे भी ज्यादा खाना खाया नहीं जाता इस लिये शायद ऐसा है। वह बोली कि आज क्या होगा मैंने कहा कि कभी-कभी तो चलता है। उससे पुछा कि घर नहीं जाना है तो वह बोली कि बताया तो था कि घर जाने की कोई इच्छा ही नहीं है। मैंने बात का रुख बदल दिया।

कुछ देर बाद गरमा-गरम प्लेटर आया भाप उठ रही थी, खा कर देखा तो स्वादिष्ट था। उसके बाद मैन कोर्स शुरु हुआ, पनीर की सब्जी लाजवाव थी नान खा कर मजा आ गया डिनर यादगार था खाने के बाद मीठे में गरम गुलाब जामुन खाये। बिल अदा करके निकले तो नौ बज रहे थे। रास्ते में निशा बोली कि आइसक्रीम खानी है मैंने कहा वहां क्यों नही कहा तो वह बोली की वहां की नही खानी थी। शहर में घुसे तो रास्ते पर खड़े आइसक्रीम वाले से मनपसंद आइसक्रीम ले कर खायी फिर घर के लिये चल दिये घर पहुंचे तो रात गहरी हो गयी थी।

घर पहुंच कर निशा मुझ से बोली कि आप तो यहां भी तेज निकले बढ़िया खाना खिलाया और शाम को मजेदार कर दिया। मैंने कहा कि तुम साथ थी इस लिये शाम मजेदार थी अगर मैं अकेला होता तो ऐसा नही होता। वह बोली कि आज के डिनर में मजा आ गया स्वादिष्ट खाना था प्लेटर बढ़िया था मैंने कहा कि तुम ने ही रेस्टरा सलेक्ट किया था कभी पहले गयी होगी तो वह बोली कि मैं कभी नही गयी हूँ लेकिन बहुतों के मुँह से सुना था लेकिन हाईवे पर होने के कारण जा नही पाई।

उस ने मेरी चुकटी काट कर कहा कि सब कुछ इतना बढ़िया तरीके से कैसे करते हो? मैंने कहा कि उम्र का प्रभाव है तो मेरे मुक्के पड़ने लगे और मैं उन से बचने के लिये बेडरुम में भाग गया वह भी मेरे पीछे आयी और बोली कि आज आप को छोडुगी नही जब तक आप मुझे ताना मारना बंद नही करेंगे। मैंने उसे आलिंगन में बांध लिया और कहा कि कभी-कभी तो चिढ़ाने का मौका मिलता हूँ उसे कैसे छोड़ सकता हूँ। वह मेरे बंधंन में कसमसाती रही। फिर बोली कि आगे से यह ताना नही देना। मैंने कहा कि अनुभव भी कई चीजे सिखाता है, मेरा यह मतलब था तब जा कर उस का गुस्सा खत्म हुआ।

मैंने उस से कहा कि इस दिन को बढ़िया बनाने के लिये धन्यवाद और उस के होठों पर अपने होंठ रख दिये उस ने कुछ नहीं कहा फिर बोली कि धन्यवाद तो आप को मिलना चाहिये कि आप ने मेरा सारा दिन यादगार बना दिया। मैंने कहा हिसाब बराबर हो गया। अब रात को यादगार बनाते है। वह बोली कि कपड़े बदलने जा रही हूँ कुछ पसंद का पहंनु? मैंने कहा स्कर्ट और टॉप पहन कर आयो। वह कमर मटकाती हूई चली गयी।

जब आयी तो खुले बालों में स्कर्ट और टॉप में सेक्सी लग रही थी चलते में उस के बिना ब्रा के स्तन हिल रहे थे निप्पल भी दिख रहे थे। मैंने कहा कि रात भी गजब की होगी। उस ने सामने आ कर घुम कर दिखाया कि कैसी लग रही हूँ तो मैंने कहा कि जम रही हो। वह बोली कि कुछ उल्टा-सुल्टा मत करना कल ऑफिस जाना है मैंने कहा कि भई कुछ ऐसा किया है तो शिकायत बनती है हम तो तुम्हारा कहा ही करते है फिर भी हम पर ही दोषारोपण होता है।

उस ने कहा कि अब इतने शरीफ भी मत बनो? मैंने उसे गोद में उठाया और उस के बिस्तर पर ले गया। उस की बाहें तो मेरी गरदन पर लिपटी हूई थी। उसे जब बिस्तर पर लिटाया तो उस ने मुझे भी साथ में गिरा लिया। हम दोनों एक दूसरे का अन्वेष्ण करने में लग गये जब उस से छुटे तो एक दूसरे में समा जाने के लिये तत्पर थे इस लिये कोई फोरप्ले नही हुआ सीधा संभोग शुरु हो गया एक बेहतरीन शाम साथ में गुजारने के कारण हम दोनों पहले से ही उत्तेजित थे, आहें कराहे फचफच की आवाज कमरे में भर गयी, हमारे धमाल से बेड भी चरमरा रहा था।

इतनी उर्जा भरी थी दोनों में की संभोग आधा घंटे तक चलता रहा निशा शायद दो बार डिस्चार्ज हुई लेकिन मैं सबसे बाद में डिस्चार्ज हुआ लेकिन इस संभोग में मुझे इतना आनंद मिला की कह नही सकता निशा का भी यही हाल था।काफी देर तक तो हांफते रहे फिर जब सांसे ठीक हुई तो निशा ने कहा कि हर दिन कुछ नया ही होता है। आज तो जान ही निकल गयी लेकिन मजा बहुत आया। मैंने कहा कि मैं भी यही कहना चाहता हूँ वह बोली कि इस के लिये कोई ऐक्सपलेशन है आप के पास? मैंने कहा नही कोई व्याख्या नही है। यही कह सकता हूँ कि दो दिल जब मिलते है तो ऐसा होता होगा।

वह बोली कि आज प्यार कहां से आ गया मैंने कहा कि और कोई व्याख्या तुम्हारे पास है तो बताओ तो वह बोली कि यह वो ही है जिस से आप बचना चाहते है लेकिन वही हो रहा है, आप चाह कर भी कुछ नही कर सकते मैं भी दिन के हाथों मजबुर हुं। मैंने सर हिलाया और कहा कि यह मेरे लिये नया अनुभव है। मैं निशब्द हुँ, उम्र के इस पड़ाव पर यह अनुभव डराता है तो यह भी बताता है कि अभी जीवन खत्म नही हुआ है उम्र केवल एक सख्या है अगर दिल जवान है। तुम ने मुझे मेरा जीवन वापस दिया है इस के लिये मैं तुम्हें कुछ दे भी नही सकता। यह सुन कर वह मेरे उपर आ गयी और चुम कर बोली कि इतना सब कुछ तो दे रहे है अब किसी और चीज की आवश्यकता नही है।

मैं तो इसी के सहारे सारा जीवन गुजार लुगी। मैंने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। आज से पहले यह भावना मेरे मन में नही आयी थी पत्नी और मेरे संबंध में नजदीकी तो थी लेकिन लगाव नही था। आज मैं कुछ बदला सा महसुस कर रहा था। लगता था कि जीवन में जो अभाव था वह आज पुरा हो गया था। मैं इसे खोना नही चाहता था लेकिन पता था कि यह लम्बे समय तक साथ नही रहेगा। इस सच्चाई को भी मन समझता था। मैंने दिल को समझाया कि जितने दिन के लिये यह सुख मिला है उन्हें तो दिल खोल कर जी लो।

मेरे दिन की बात निशा को समझ आ गयी वह बोली कि मैं भी तो यही कहती हूँ कि जो पल मिले है उन्हें तो जी भर कर जीले। मैंने कहा हां उन्हें तो जीना ही है।

**** समाप्त ****

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