अधेड़ और युवा

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आप फिर से चिढा़ रहे हैं

सिर्फ बता रहा हूँ कि यह बहुत तेज है

कोई बात नहीं

फिर से कोई परेशानी ना हो जाये

आप किस बात के लिये है?

इसी की तो चिन्ता है

एक लड़की से डर लगता है।

डर किस बात का?

फिर देते क्यों नही है

देता हूँ लेकिन चेतावनी दे रहा कि बाद में शिकायत मत करना कि पहले बताया नही था

मैंने एक पैग बना कर उसे दे दिया। वह उसे पीने लगी, बोली कि बात तो आप सही कह रहे है। मैंने कहा कि अभी कुछ देर बाद असर होगा

आप पर क्यों नही हुआ है?

कौन कहता है कि असर नही हुआ है तुम से बातें ऐसे ही कर रहा हूँ?

कुछ देर में बताती हूँ

मैं चुपचाप उसे देखने लगा, जवानी भरी हूई थी पतली कमर भरे नितम्ब और पुष्ट सीना इस बात की गवाही दे रहे थे। मुझे पता था कि आगे क्या होगा, लेकिन आज मैं उस से बच नहीं सकता था, मन में आ रहा था कि देखते है क्या होता है? हर बार भाग भी तो नही सकते। उस को देख कर ही लग रहा था कि वो समागम के लिये तैयार हो कर आयी थी। मैं ही तैयार नहीं था लेकिन अब मैदान भी नही छोड़ सकता था।

उस ने अपना पैग खत्म कर लिया और मेरे से बोली कि आप देख लो मुझे कुछ नहीं हुआ है। मैंने सर हिलाया। कुछ देर बाद उस ने कहा कि वह आज मेरे साथ सोने के लिये आयी है। मैं उस की यह बात सुन कर चौक गया। लड़की बड़ी खुले विचारों की थी। अंदर से डर तो लग रहा था पत्नी के साथ तो संभोग करे महीनों बीत जाते थे। आज पता नही क्या होगा?

कोई बात नही यही सो जाओ,

यहाँ नही आप के साथ, आज आप को भी टेस्ट करते है।

मैं कोई टेस्ट नही दे रहा हूँ

आप तो फिर से नाराज हो रहे है, मैं बोलने में मुँहफट हूँ

आओ, यह कह कर मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने बेड रुम में ले गया। बेड पर बिठा कर दराज चैक करने लगा कि कोई कॅडोम पड़ा है या नही तो वो बोली कि उस की चिन्ता ना करे मैं पिल्स लेती हूँ। मैं यह सुन कर और चौक गया। लड़की खेली खिलायी है कहीं कोई गड़बड़ ना कर दे। लेकिन कहते है ना जब वासना सर पर चढ़ जाती है तो कुछ दिखायी नहीं देता। मोबाइल बाहर रख देते है, इस से भी डरते है, मैंने अपना तथा उस का फोन बाहर कमरें में रख दिया फिर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। मुझे तो इतने नशे से कोई फर्क नही पड़ता था लेकिन मैं देखना चाहता था कि उस की क्या हालत है, हल्का सा नशे का असर दिखायी दे रहा था।

मैंने उसे कंधे से पकड़ा तो उस की बाँहे मेरी गरदन के गिर्द लिपट गयी, उस के गरम होंठों की मिठास मेरे लब लेने लगे। उस के कठोर स्तन मेरी छाती में चुभ रहे थे मेरे हाथ भी उस की पीठ से होते हुये कुल्हों पर पहुंच गये। जवान जिस्म की गरमी मेरे को भी गरम कर रही थी। मेरे मुँह में निशा की नुकीली जीभ घुस कर मेरी जीभ से कुश्ती कर रही थी। मैं भी इस का मजा ले रहा था मेरी बीवी ने कब से चुम्बन देना बंद कर दिया था।

आज का अवसर मैं छोड़ना नही चाहता था इस लिये उस के लबों का शहद मैं जी भर कर पी रहा था वह भी प्यासी थी सो हम दोनों काफी देर तक चुम्बन का मजा लेते रहें। मैंने उस की पीठ पर हाथ कस कर उसे अपने से लिपटा लिया उस की कठोर छातियां मेरी छाती में घुसना चाहती थी। मैंने उस के कुल्हों की बीच की रेखा से अपनी ऊँगली नीचे ले जा कर दरार को तलाशना चाहा तो वहां पेंटी मिली।

फिर हाथ आगे ला कर उस के पायजामें के अंदर डाल कर उस की योनि को छुआ इस से उसे करंट सा लगा उस को भी मेरा तना हुआ लिंग चुभ रहा था वह भी हाथ नीचे कर के उसे पकड़ने की कोशिश करने लगी। वह भी ब्रीफ में कैद था। मैं उस के चेहरे का चुमता हूआ उस की गरदन पर पहुंच गया मैंने इतना कस कर उसे चुमा की वहां का खुन जम गया वह बोली कि लव वाईट मत करो, परेशानी होगी।

मैंने अपने आप पर अकुंश लगाया और हल्का चुम्बन ले कर उस की वक्ष रेखा के मध्य चुम्बन दे दिया। उस की ब्रा का 34 डी साईज था मैं चाहता था कि उस के कपोतों को दबोच लुँ लेकिन वह अभी आजाद नहीं थे उस का दिया ताना अभी भी मेरे दिमाग में था इस लिये मैं यह कम धीरे-धीरे करना चाहता था कि जब संभोग शुरु हो तो वह पर्याप्त गरम हो ताकि दोनों उस का मजा उठा सकें। मैंने उस के नाईटसुट की कमीज के बटन खोल कर उसे उतार दिया नीचे वो काले रंग की पैडेड ब्रा पहने थी, ब्रा के उपर से ही मैंने उस के उरोजों को दबाया।

इससे ही उस के मुँह से आहहहहहहहहहहह निकलने लगी। मैंने पीछे हाथ कर के उस की ब्रा के हुक खोल दिये और उस के कठोर तने हूये उरोजों को आजाद कर दिया वह मेरे सामने तन कर खड़ें थे उन की गुलाबी निप्पल तन का आधें इंच की हो गयी थी मैंने होठो को बीच और ऊँगलियों के बीच उन को लेकर मसला। उस के मुँह से उईईईईईईईईई निकली। मेरा हाथ उस की चिकनी कमर के नीचे पहुंच कर उस के पायजामे को नीचे कर गया। उस की जाँघें देख कर मेरा मुँह सुख गया। कैले के तने के समान भरी हुई जाँघें काली पेंटी पहने थी।

मैं उन के उपर से हाथ फिरा कर उस को उत्तेजित कर रहा था। पेंटी को उतारने का मेरा कोई इरादा नही था। मैं घुटनों के बल बैठ गया और उस की योनि पर किस करने हुये जाँघों को चुमने लगा। मेरी इस हरकत से उस से खड़ा होना मुश्किल हो गया। वह कांपने लगी। मैंने घुटनों के बल बैठ कर उस की दोनों जाँघों को बुरी तरह से चुमा वह मेरे सर के बाल पकड़ कर खड़े रहने की कोशिश कर रही थी।

मैंने उसे बेड के कोने पर बिठा दिया और उस के पाँव को उठा कर उस के पंजों की ऊंगलियों को मुँह में ले कर चुसा। दोनों पंजो की ऊगलियों को ऐसे चुसने के बाद नीचे से शुरु करके उस की टांगों पर चुम्बन दिये।

फिर पेंटी के ऊपर से ही योनि पर अपनी गरम सांसे छोड़ी। मुझे लगा कि उस की पेंटी गिली हो रही थी। इस के बाद मेरा मुँह उस की नाभि पर पहुंचा और वहां पर मैंने एक गहरा चुम्बन किया। फिर अपनी जीभ से चाटता हुआ छातियों तक पहुंचा और दोनों के निप्पलों के चारों तरफ जीभ घुमा कर उन्हें चाटा। इस से उन का तनाव और बढ़ गया। अभी तक मैं ही सब कुछ कर रहा था वह चुपचाप पड़ी थी।

मैंने उस के कान में कहा कि खेल में भाग क्यों नही ले रही तो वह बोली कि मुझे मौका तो मिले मैंने कहा कि चलो अब तुम्हारा मौका है, यह सुन कर उस ने उठ कर मेरे पायजामे को नीचे कर दिया और मेरी टीशर्ट को सर के उपर कर के उतार दिया अब मैं भी ब्रीफ में था आगे का भाग तना हुआ था वह उसे हाथ से सहलाती रही।

फिर हाथों को मेरी छाती पर ले जा कर अपने नाखुनों से मेरे निप्पल काट लिये मेरी कराह निकल गयी। फिर उस ने अपने होठों से उन को चुसना शुरु कर दिया। उस के हाथ मेरी पीठ पर फिर रहे थे जिस से मेरे शरीर में करंट सा भरता जा रहा था। मैं भी अपने हाथों से निशा की पीठ सहला रहा था। उस से जब सहन नही हुआ तो उस ने मेरी ब्रीफ में हाथ डाल कर उसे नीचे कर दिया मैंने उसे अपनी टागों से अलग कर दिया।

अब मेरा लिंग उस की आंखों के सामने लहरा रहा था, उस का साईज सात इंच था मोटाई कोई चार इंच के करीब थी मैं अपने सारे बाल साफ कर के रखता हूँ तो वह कुछ मुड़ा सा केले के समान आकार लिये हुऐ था। उस ने पहले तो उसे हाथों से पकड़ा फिर सहलाया और उस का सुपडा मुँह में ले लिया मैं इस के लिये शायद तैयार नहीं था। मेरे पाँव कापंने लगे। उस के दांत मुझे अपने लिंग के मुँह पर महसुस हो रहे थे। डर यह था कि कही मैं उस के मुँह में ही ना स्खलित हो जाऊं। मैं इस से बचना चाहता था इस लिये ही मैंने अभी तक उस की योनि को हाथ नही लगाया था। लेकिन सब कुछ अपना सोचा तो होता नही है। उस ने मेरे लिंग को अपने मुँह में भर लिया और उस के ऊपर मुँह को ऊपर नीचे करने लगी वह उसे चुस रही थी। इस से लिंग और कठोर हो गया।

मैंने देखा कि वह ही मजा ले रही है मैं केवल देख रहा हूँ तो मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और उस के ऊपर उल्टा लेट गया अब उस के पास मेरा लिंग था और मेरे पास उस की योनि मैं अभी भी पेंटी के उपर से जीभ फिरा रहा था फिर मैंने ऊंगलियों से पेंटी को नीचे सरका दिया अब योनि जो बिल्कुल सफाचट थी शायद आज ही सफाई हुई थी सामने थी मेरी जीभ उस के ऊपर से स्वाद लेने लगी मैंने एक उगली उस के अंदर डाली तो वह कराह उठी मुझे उस के जी-स्पाट की तलाश थी मेरी जीभ उस के भंग को चुस रही थी निशा के मुँह से अब सिसकियां निकल रही थी मैंने योनि के होठों को ऊंगलियों की सहायता से अलग करके जीभ को अंदर कर दिया वहां उस का पाला नमकीन पानी से पड़ा जो अंदर भरा हूआ था।

मैं बड़े आराम ने उस की योनि का रस पी रहा था और वह मेरे लिंग को मुँह में लेकर चुस रही थी कुछ देर बाद मुझे लगा कि मैं उस के मुँह में स्खलित हो गया लेकिन उस ने सारा वीर्य पी लिया और चाट कर लिंग को साफ कर दिया। मेरी ऊंगलियों ने उस का जी-स्पाट पा लिया था और वह अब उसे मसल रही थी निशा आहह उईईईईईईईई उहहहहहहहहहहह कर रही थी।

अचानक उस ने मुझे सीधा कर के मेरे होंठ कस कर जकड़ लिये मुझे पता चल गया कि यह अब पुरी तरह से गर्म हो गयी है अब बस लोहे की चोट करना बाकी है सो मैंने अपने को उस की जाँघों के मध्य कर के उस की योनि पर लिंग का सुपाडा रखा और उसे अंदर धकेला तो पहली बार तो वह फिसल गया लेकिन निशा ने अपने हाथ से पकड़ कर के लिंग को योनि पर लगाया और मैंने धक्का दिया तो वह योनि में प्रवेश कर गया इतनी कसी योनि का अनुभव मुझे काफी समय से नही हुआ था आश्चर्य था कि इतनी सेक्सुआली ऐक्टिव लड़की की योनि इतनी टाईट थी।

दूसरे प्रहार में लिंग पुरा योनि में समा गया। कसाब होने की वजह से अंदर बाहर होने में ज्यादा घर्षण होना तय था। फिर मैंने धीरे-धीरे लिंग को अंदर बाहर कर के धक्के लगाना शुरु किया तो निशा कराहने लगी। उत्तेजना के कारण वह सिर को इधर-उधर पटक रही थी।

मैं धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा। अब नीचे से उस के कुल्हों का प्रहार भी प्रारम्भ हो गया था। फच फच की ध्वनि कमरे में भर गयी। धीरे धीरे मेरी गति बढ़ती गयी। उस के कुल्हें भी साथ दे रहे थे। हम दोनों पसीने से नहा गये थे। मैंने तो ना जाने कितने महीनों से संभोग नही किया था। हस्त मैथुन भी करने का समय नही मिला था। मैंने बिस्तर पर करवट ली और निशा मेरे ऊपर आ गयी। अब उस की कमर लचक लचक कर कुल्हों को उठा कर लिंग को समाने के लिये लालायित हो रही थी मैं उस के कठोर स्तनों को दातों से काट रहा था मसल रहा था

उस का चेहरा पसीने से तर था। हम ने करवट बदली अब मैं फिर से उस के ऊपर था मुझे लगा कि मेरे लिंग पर गर्म पानी की फुहार पड़ी है शायद निशा डिस्चार्ज हुई थी मैं अपनी पुरी गति से धक्कें लगा रहा था उस की योनि की मांस पेशियां लिंग को कस कर मसल रही थी। मुझे पता था कि अब चरम दूर नही है मैंने अपना शरीर कड़ा किया और उसे एक सीधी लकीर में करके जोर जोर से योनि पर लिंग कर प्रहार करने लगा मेरी गति बहुत अधिक थी। मेरे अंदर इतनी गरमी हो रही थी कि अब मैं भी उस से छुटकारा चाहता था।

तभी अचानक निशा की चीख निकल गयी मैं भी डिस्चार्ज हो गया था मेरा वीर्य इतना गर्म था जैसे लावा मेरे लिंग के मुंख पर जैसे आग सी लग गयी थी। उसी की गरमी से निशा की चीख निकली थी। मेरी आंखों के आगे तारे झिलमिला गये और मैं निशा के ऊपर लुढ़क गया। कुछ देर बाद सज्ञा लौटी तो अपने को निशा के ऊपर से हट कर उस की बगल में लेट गया उस की छातियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी। मैं भी तेज सांस ले रहा था। तुफान चरम पर पहुंच कर थम गया था। मैंने नीचे अपने लिंग को देखा तो वह वीर्य और योनि के चिपचिपे द्रव्य से लिपटा हुआ अभी भी तनाव में था। मुझे पता था कि मैं अभी भी एक बार और संभोग कर सकता हूं।

मैंने करवट ले कर निशा को देखा वह भी मेरी तरफ पलट गयी थी, उस के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे उस की आंखों ने सब कह दिया। मैंने उस के हाथ को उठा कर अपने पांवों के मध्य भाग में रखा तो उस की आंखे फट सी गयी। उस ने गरदन झुका कर देखा और कहा कि ऐसा कैसे है, क्या आप ने कोई दवा ली है? मैंने कहा कि मेरी दवा तो तुम हो कहो तो एक और दौर कर लेते है। उस के चेहरे के भाव देख कर मैंने कहा कि कुछ देर बाद करेगे। दस मिनट बाद जब हम दोनों कुछ सही हो गये तो मैंने उसे फिर अपने नीचे लिटाया और उस से संभोग करना शुरु कर दिया लिंग का तनाव योनि के अंदर जा कर और बढ़ गया था। यह दौर भी दस मिनट तक चला मेरे हर धक्के पर निशा की कराह निकलती थी।

मैं हटना चाहता था लेकिन उस की कही बात मेरे जहन में कौध जाती थी और मैं फिर पुरे जोश से संभोग करने लगता। नीचे निशा की हालत देख कर मैंने बैठ कर उसे अपने ऊपर घुटनों पर बिठा कर भोगना शुरु किया उस की टांगे मेरी कमर से लिपटी हूई थी तथा मैं उस के कठोर उरोजो को चुस रहा था। कुल्हों को उठा उठा कर उस की कमर टुट सी गयी थी।

फिर मैंने उसे पेट के बल लिया कर उस के पीछे से योनि में प्रवेश किया मेरे दोनों हाथ उस की छातियों के मसल रहे थे और कुल्हे उस के कुल्हों पर जोरदार धक्के लगा रहे थे। उस के मुँह से आह निकलती देख कर मेरा जोश बढ़ रहा था तभी मैं स्खलित हो गया। और उसे सीधा कर के उस के बगल में लेट गया। आज जैसा अनुभव मुझे पहले कभी नही हुआ था अपनी शादी के शुरु के सालों में भी ऐसा आनंद नही आया था जैसा आज आया था।

मैंने उठ कर पेपर टावल से अपने लिंग को साफ किया फिस निशा की योनि की सफाई की और बिस्तर पर पडे़ गीलेपन को पोछा। निशा पर झुक कर उस को चुम्बन दिया और पुछा कि कैसा रहा? उस ने मुंदी आंखों से कहा वंडरफुल। मैंने उसे कपड़ें पहनाये और खुद भी कपड़ें पहन लिये। इस के बाद में उस की बगल में लेट गया। कब नींद आयी पता नही चला, सुबह के अलार्म ने जगाया तो उठ कर देखा कि निशा सोयी पड़ी थी उस का पायजामा गीला था।

मेरा पायजामा भी गीला था। मेरे उठने के कारण उस की नींद भी उचट गयी और वह अगडाई लेती हुई उठ कर बैठ गयी। मेरी तरफ देख कर बोली की आप से तो बाद में बात करुंगी अभी ऊपर कमरे में जा रही हूँ। यह कह कर वह उठ कर चल दी लेकिन जैसे ही उठी तो कमर में दर्द के कारण बेड पर बैठ गयी। बोली कि मुझ से तो उठा भी नही जा रहा है। मैंने कहा कि मैं सहारा दे कर छोड़ आता हूँ वह बोली की यही सही रहेगा।

मैं उसे पीछे के रास्ते से सहारा दे कर उस के कमरे में छोड़ आया। अब नींद कहा आनी थी सो उठ कर बेड की चादर बदलने लगा। उस पर बड़े बडे़ दाग लग गये थे। उसे उठा कर पानी में डाला और नयी चद्दर निकाल कर बेड पर बिछा दी। चाय बना कर पीने का मन कर रहा था सो किचन में चाय बनाने लगा दो कप चाय बना कर एक कप निशा को देने गया तो देखा वह बिस्तर पर बैठी थी बोली कि चाय का मन कर रहा था। मैंने कहा पी लो और सो जाऔ। बाद में बातें करेगे। यह कह कर मैं नीचे चला आया।

नहा कर मैं तो नाश्ता करने बैठा ही था कि निशा को आता देखा, वह बोली की मेरी तबीयत कुछ सही नही थी इस लिये देर से उठी हूँ आप नाश्ता कर लो फिर बात करते है मैंने उसे नाश्ते के लिये पुछा तो वह बोली कि मैं नाश्ता कर के आई हूँ। मैं चुपचाप नाश्ता करता रहा। नाश्ता खत्म करने के बाद उस के पास जा कर बैठा और पुछा कि क्या बात है? वह बोली कि आप से यह कहना है कि मैं गलत थी कि आप के उम्र के लोग कुछ नहीं कर सकते।

कल आप ने यह साबित कर दिया है कि आप तो किसी नौजवान से भी ज्यादा कर सकते हो। मैंने कहा कि इस बात को वह भुल क्यो नही जाती। उस ने कहा कि उसे यह गुमान था कि वह लड़कों को समझती है तथा उनकी ताकत को जानती है। काफी लोगों के साथ संबंध होने से उसे ऐसा लगता था।

मेरा धेर्य जबाव दे गया था, मैंने उस से कहा कि निशा अब झुठ बोलना बंद करो कि तुम्हारे कई लोगों से संबंध रहे है पता नहीं क्यों यह झुठ तुम मेरे सामने बार-बार बोल रही हो। कल के बाद मैं यह बड़े विश्वास से कह सकता हूँ कि तुम ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंधों की आदी नही हो। अब किस वजह से कह रहा हूँ यह मत पुछना? मेरे सामने इस तरह की ठीग हाँक कर तुम क्या साबित करना चाहती हो? यह मेरी समझ के बाहर है। मैं कुछ जानना भी नहीं चाहता कल रात तुम ने मुझे बहुत सालों के बाद संतुष्टी दी है और मैं कह सकता हूँ कि तुम भी सतुंष्ट हुई हो।

इस के बाद किसी भी तरह की बहस खत्म हो जानी चाहिये, दो लोगों ने कुछ पल साथ बिताये और उनका आनंद लिया बात खत्म। मेरी बात सुन कर निशा का चेहरा उतर गया, लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो। वह चुपचाप बैठी रही फिर उस की आंखों से गंगा-जमुना बहने लगी। मैं और परेशान हो गया कि इसे अब क्या हुआ है। वह कुछ देर तक रोती रही मैं उठ कर उस के पास नही गया। मुझे उस के व्यवहार से गुस्सा आ रहा था। ऐसा करके वह कल रात के अनुभव को खराब कर रही थी। कुछ देर सन्नाटा परसा रहा फिर वह बोली कि मैं आप के पास से नही जाऊँगी जब तक आप पुरी बात नही समझ लेगे। मैंने कहा कि शान्त हो कर पुरी बात बताओं या चली जाओ।

उस का रोना कम हो गया। मैंने उसे एक गिलास पानी ला कर दिया। वह उसे एक बार में पी गयी। फिर उस ने कहा कि मैंने कई लोगों से संबंध होने के बारे में झुठ नही बोला है लेकिन आप जो सोच रहे है वैसा हुआ ही नही है इसी लिये तो मैं यह समझती थी की अधिक उम्र के लोग संभोग नही कर पाते है मेरे साथ अधिकतर ऐसा ही हुआ है। लेकिन कल आपने मेरी यह धारणा तोड़ दी है। मैं यही बात आप से करने आयी थी कल रात को जो संतुष्टि मुझे मिली है वह मेरा पिछला बॉयफैन्ड कभी नही दे सका उस के साथ तो 2 या 3 मिनट से ज्यादा कभी कुछ होता ही नहीं था इस लिये मुझे इस से घृणा सी हो गयी थी।

लेकिन कल आप ने जो किया या जो हम दोनों के बीच हुआ मैं उस के बारे में आप से समझना चाहती हूँ आप से उम्र में छोटी हूँ इस लिये अनुभव भी कम है तथा कुछ ऐसा है तो मुझे आज तक नही पता है शायद वह आप बता दें। उस की इस बात से मुझे कुछ शान्ति मिली मेरा गुस्सा कुछ कम हुआ।मैंने उस से पुछा कि कल मैंने या तुम ने कुछ नया किया था, वह बोली नही। फिर ऐसा क्या हुआ था कि तुम और मैं उस से परम संतुष्ट है? उस ने सर हिलाया। मैंने कहा कि सेक्स शरीर से नहीं दिमाग से होता है यह तुम लोगों की पीढ़ी नहीं समझती।

पोर्न देख कर और अश्लील साहित्य पढ़ कर जो धारणा बनती है वह जब वास्तविक्ता मैं नही होती तो असंतोष पैदा होता है। कामसुत्र के देश में ऐसी बात अजीब लगती है लेकिन हम भुल गये है कि जब दो लोग मन से एक दूसरे को चाहते है या लगाव रखते है वह जब सेक्स करते है तब शरीर उस के लिये तैयार होता है और आनंद आता है। नकली वासना का फल नकली ही मिलता है। कल तुम और मैं उम्र में अंतर के बावजुद एक ही स्तर पर थे। सेक्स में उम्र आड़े नही आती है यह कल तुम्हें तथा मुझे भी पता चल गया है। तुम कह सकती हो कि शायद कल के लिये नशा भी जिम्मेदार है लेकिन नशे से तो शरीर और शिथिल हो जाता है। उत्तेजना नहीं आती है। इस लिये यह तर्क बेकार है।

सही बात यह है कि तुम कल काफी समय से संभोग के लिये ललायित थी मैं भी काफी लम्बे समय से इस से वंचित था दोनों एक दूसरे से बैर तो रख रहे थे नीचा दिखाना चाह रहे थे लेकिन एक दूसरे को पसन्द भी कर रहे थे। इस लगाव में ही समाधान छिपा है। अगर हम फिर कभी ऐसा करेगे तो परिणाम ऐसा ही आयेगा क्योकि हम दोनों एक दूसरे को समझते है एक-दूसरे की चिन्ता करते है, यही एक मात्र कारण है कि हम जब समागम करते है तो वह लम्बे समय तक चलता है शरीर में ऐसे रसायन उत्पन्न होते है जो इस को ज्यादा रोचक बनाते है। मेरा तो ऐसा मानना है। शायद तुम भी समझ चुकी होगी। उस ने सर हिलाया।

मैंने फिर पुछा कुछ और जानना है? वह बोली कि मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि आप बिना की दवाई का सेवन करें इतने लम्बे समय तक कर सकें। मैंने कहा कि कल तो कोई दवा नहीं ली थी तुम्हारा पुरी तरह से भाग लेना ही मेरे लम्बे समय तक कर पाने का कारण है अपनी पत्नी के साथ मैं भी 2 या 3 मिनट की टिक पाता हूँ। अगर तुम ऐसा सोचती हो तो जब कभी दूबारा मौका मिलेगा तो दवा खा कर भी कर सकते है, लेकिन कल कोई दवा नही ली थी मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम कुछ ऐसा भी करोगी? मैं तो पिछली घटना से तुम से बुरी तरह से गुस्सा और डरा हुआ था। ऐसी अवस्था में संभोग के लिये सोचना और उस के लिये दवा खाना तो दूर की बात है। यह सुन कर निशा ने मुँह उठा कर मुझे देखा और कहा कि आप मुझ से डर गये थे? मैंने कहा हाँ डर गया था तुम्हारा हद से ज्यादा खुला व्यवहार कुछ और ही घोषित कर रहा था।

ऐसा लग रहा था कि तुम कुछ षड़यन्त्र रच रही हो, किसी अधेड़ को हनी ट्रेप में फंसा कर ब्लैकमेल करने का। इस कारण तथा तुम्हारें द्वारा बार-बार मेरे पुरुषत्व को चुनौती मुझे गुस्सा दिला रही थी। मैं इस कारण से तुम को देखना भी नही चाहता था। कल भी तुम जब आयी तो मुझे कुछ अच्छा नही लगा लेकिन मर्यादा का ध्यान रख कर कुछ नहीं कहा। मेरी बात सुन कर निशा कुछ देर चुप रही फिर बोली कि आज मैं अपने व्यवहार को देखती हूँ तो आप का सोचना सही लग रहा है। मैं शायद बॉयफैन्ड से धोखा खाने की सारी खुन्नस आप पर ही निकाल रही थी, जब कि आप ने अपनी तरफ से मेरी अवस्था का फायदा नहीं उठा कर अपना अच्छा चरित्र ही दिखाया था लेकिन मैं घृणा की मारी कुछ देख ही नही पा रही थी।

कल आप ने मुझे स्वीकार करके मेरी सारी गलतफहमी दूर कर दी। मैं आप की दोस्ती के लायक तो नही हूँ लेकिन दोस्ती की चाहत रखती हूँ अगर आप के मन में मेरे लिये जरा सा भी प्रेम है तो आप मना नही करेंगे। मैंने कहा कि एक बात जान लो मैं और तुम जो कुछ कर रहे है वह लम्बे समय तक नही चल सकता है। तुम्हारी जिन्दगी अलग है मेरी अलग है। हम दोनों नदी के दो किनारों की तरह है जो कभी एक नही हो सकते। दोस्ती हो सकती है। लेकिन उस की भी एक सीमा है। जो कुछ हुआ है उसे ज्यादा याद नही रखना है किसी पल विशेष की कमजोरी में ऐसा हो गया है यही समझ कर उसे भुल कर आगे बढ़ जाना है।

वह बोली कि आप की हर बात सही है लेकिन कभी जब समय या मौका मिले तो हम दोनों इस का दूबारा आनंद ले सकते है। इस में क्या रोक है? मैंने कहा कि रोक तो नही है लेकिन अगर इस की आदत पड़ गयी तो यह दोनों का जीवन बर्बाद कर देगा। उस को यह बात समझ में आयी तो लेकिन वह बोली कि आप तो अब मेरे जीवन भर के दोस्त हो गये है। मैंने कहा कि मैं तुम से डबल उम्र का हुँ तो जबाव मिला की औरत और पुरुष के बीच उम्र का कोई बंधंन नही होता है एक ही रिश्ता है नर और नारी का। निशा बोली कि मैं आप को एक राज की बात बताती हूँ कि मैंने कई बार दिन में चार-चार बार संभोग किया है लेकिन ऐसी हालत नही हुई है जैसी कल दो बार में हो गयी है।

मैं तो वैसी ही हुं केवल आप अलग है। मैंने कहा कि एक बार फिर से बिना किसी नशे के करते है तब यह बात सही समझ में आयेगी। वह बोली कि आज क्यों नही? मैंने कहा कि आज इस लिये नही कि मैं भी कल का थका हूँ तुम ज्यादा थकी हो फिर कल दोनों को ऑफिस जाना है, वहां ऐसी हालत में जा कर भद्द नहीं उड़वानी है। उस ने कहा कि मैं तो छुट्टी ले सकती हूं। मैंने कहा कि मैं नहीं ले सकता इस लिये आज का कोई चांस नही है फिर किसी दिन देखगें फिर दवाई भी तो लानी पड़ेगी।

आज तो वह नही है। मुझे कुछ याद आया तो मैंने निशा से पुछा कि कल कॅडोम तो नहीं लगा सका था कोई चिन्ता की बात तो नही है तो वह बोली कि आप को कहा तो था कि मैं पिल्स लेती हूँ। मैंने कहा कि इन्हे लेना बंद कर दो, वह बोली क्यों? मैंने कहा कि बाद में कन्सीव करने में समास्या होगी इस लिये इन्हे शादी के बाद खाना। मुझे इनके दुश्प्रभाव के बारे में अच्छी तरह से पता है। उस ने कहा कि आप मेरी इतनी चिन्ता क्यों करते है। मैंने कहा कि अभी तो कह रही थी कि दोस्त हो अब पुछ रही हो कि चिन्ता क्यों कर रहा हूँ? भई दोस्त किस बात के लिये होते है? उस ने कहा कि खाना बंद कर देती हूँ फिर क्या करेंगे? मैंने कहा कि कुछ और साधन अपना लेगे। मैं तुम्हें पता करके बताऊगा, यह कह कर मैं चुप हो गया। वह भी उठ कर चली गयी।

मैं भी कल बहुत थक गया था लेकिन थकान का ध्यान ना करके काम करने लगा। दोपहर को राजमा चावल बना कर बैठा ही था कि निशा बोली कि मैंने पनीर बनाया है मेरे साथ खाना खा ले। मैंने उसे बताया कि मैंने भी राजमा चावल बनाये है। इस पर वह बोली की अब तो राजमा ही खाना है, मैंने कहा कि चावल कम रहेगे तो वह बोली कि चावल तो मैंने भी बनाये है। वह अपनी सब्जी और चावल ले आयी और हम दोनों ने पेट भर कर के खाना खाया। खाना खा कर वह चली गयी और मैं भी सोने चला गया।