रहस्यमय संबंध

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घर पर पत्नी चिंचित थी, मैंने उसे बताया कि सब कुछ सही है सारे चैकअप करवा लिये है इन के भी करवा दिये है। डॉक्टर के अनुसार थकावट है और कुछ नहीं है। यह सुन कर उस के चेहरे पर रौनक आ गयी। माधवी मेरे पास ही बैठ गयी। मैंने उस से कहा कि इतनी चिन्ता मत करियें, थकावट है एक दो दिन में दूर हो जायेगी तो वह बोली कि मैं भी तो आप के साथ थी फिर मुझे क्यों नहीं थकावट हुई? मैंने कहा कि हर एक का शरीर अलग तरह से रियेक्ट करता है। आप मुझ से जवान है शायद यही कारण होगा।

मेरी बात सुन कर वह बोली कि आप रोज इतने घंटों तक लगातार काम करते है बीच में आराम भी नहीं करते, मैं तो थक जाती हूँ घर चली आती हूँ। मैंने हँस कर कहा कि काम करना मेरा नशा है उस के बिना मैं शायद बीमार पड़ जाऊँ। पत्नी बोली की यह सही कह रही है आप को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिये। मैंने कहा कि शायद गोवा का मौसम मुझे रास नहीं आया है इसी वजह से इतनी थकान हो गयी है।

मेरी बात पर माधवी बोली कि शायद यही कारण है वहाँ पर थोड़ा घुम कर ही हमारी हालत खराब हो गयी थी और हम होटल वापस आ गये थे। बहुत खराब मौसम था। मैंने हाँ में सर हिलाया। माधवी चलने लगी तो पत्नी बोली कि अब खाना खा कर जाईयेगाँ। यह कह कर वह किचन में चली गयी। हम दोनों अकेले रह गये। मैंने उस के हाथ पर अपना हाथ रख कर उसे ढ़ाढ़स बधाया। वह कुछ शान्त हुई, मैंने घीरे से कहा कि तुम्हें कारण पता है फिर क्यों इतना परेशान हो? वह मेरी तरफ देख कर बोली कि पहले नहीं बता सकते थे। मैंने हँस कर कहा कि आप कुछ सुन कहाँ रही थी? वह बोली कि मेरी भी जांच करवा दी। मैंने जबाव दिया कि काम तो दोनों एक साथ करते है अगर थकान होगी तो दोनों को ही होगी।

इस पर वह मुस्करा दी। हम दोनों इधर-उधर की बातें करतें रहें फिर पत्नी खाना ले कर आ गयी। खाना खा कर माधवी चली गयी और मैं फिर से बेड पर आ गया सोने के लिये। पत्नी जब बेड पर आयी तो पता चला कि आज उन का मुड रोमांटिक था सो उन के मुड के लिये जो करना था सो करा। शुक्र था कि वह ज्यादा हाथ पैर नहीं चलाती है इस कारण से पीठ के जख्मों की खबर नहीं लगी। जब वह सन्तुष्ठ हो एक तरफ सो गयी तो मैं सोचने लगा कि इतना तो मैं कभी नहीं सो पाता हूँ आज क्या हुआ था। फिर मुझे समझ में आया कि इस उम्र में सेक्स के लिये जो उर्जा लगती है शायद वह कम हो गयी है उस के एक साथ ज्यादा इस्तेमाल के कारण यह हो रहा है। शरीर अपनी तरफ से वार्निग दे रहा है। इस का इलाज करना पड़ेगा। ऐलोपेथी में कोई इलाज नही है आयुर्वेद में पता करना पड़ेगा। तभी ध्यान आया कि एक अच्छे वैद्ध से परिचय हुआ था उस से मिल कर देखते है। यही सोचते सोचते नींद आ गयी।

सुबह ऑफिस जा कर वैद्ध जी का नंबर ढुढ़ कर उन्हें फोन किया और उनसे मिलने का समय लिया। दोपहर में खाने के बाद माधवी को बता कर वैद्ध जी से मिलने चला गया। उन से मिला तो वह बड़ें प्रसन्न हुये कि इतना बड़ा बिजनेस मेन उनसे मिलने आया है। मैंने बिना लाग-लपेट के अपनी समस्या उन्हें समझा दी वह बोले कि कोई खास बात नहीं है आपकी उम्र में ऐसा सामान्य बात है जब सेक्स की आदत कम हो जाती है तो शरीर में कुछ हार्मोन बनने कम हो जाते है फिर जब सेक्स करते है तो शरीर थकान महसुस करता है। वह कुछ देर तक मेरी नाड़ी पकड़ कर देखते रहे फिर बोले कि कम से कम तीन महीने दवा खानी पड़ेगी आपकी समस्या का जड़ से निदान हो जायेगा। मैंने कहा कि दवा खाने में कोई गुरेज नहीं है लेकिन दवा कम मात्रा में होनी चाहिये मैं बार-बार दवा खा कर अपने परिचितों की चिन्ता नहीं बढ़ाना चाहता, यह सुन कर वह बोले कि सही कह रहे है हमारी दवाईयाँ इतनी मात्रा में होती है कि रोगी खाते-खाते थक जाता है और बीच में ही छोड़ देता है।

मैं आप की परेशानी समझता हूँ इस लिये कम डोज वाली दवा दूँगा। उसे लेने में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। लेकिन नियमित रुप से खानी पड़ेगी। हो सके तो 1 महीने तक कुछ दूरी भी बना कर रखेगें तो अच्छा रहेगा। मैंने कहा कि आपकी शर्त पुरी नहीं हो सकती लेकिन ध्यान रखुँगा। कुछ देर बाद उन्होनें दो डिब्बियों में गोलियां दी और उन के लेने की मात्रा तथा किस तरह से लेनी है यह समझा दिया। वह बोले कि एक महीने की दवा दी है फिर आप से बात करके आगे की दवा दूंगा। बीच में कोई बात हो तो फोन कर लिजियेगा। मैं दवा का मूल्य दिया और धन्यवाद करके चल दिया। ऑफिस में माधवी मेरा इंतजार कर रही थी। बोली कि क्या बात थी मैंने उसे गोलमोल सा जबाव दे दिया। कुछ देर बाद हम दोनों घर आ गये।

वह अपने घर में चली गयी और मैं अपने में। घर में पत्नी ने बताया कि उसे एक हफ्ते के बाद किसी रिश्तेदार के यहाँ तीन-चार दिन के लिये जाना है। मैंने कहा कि इतने दिन के लिये मैं तो नहीं जा सकता तो वह बोली कि मैं पहले चली जाती हुँ आप माधवी के लेकर उसी दिन आ जाना। मैंने यह सुन कर कहा कि यह तो हो सकता है। पुरा हफ्ता पत्नी बाहर जाने की तैयारी करती रही। वह इस से पहले किसी के यहाँ अकेली नहीं गयी थी मैं हमेशा उस के साथ जाता था। लेकिन इस बार वह अकेली जा रही थी सो मुझे भी उसी की चिन्ता थी। माधवी बोली कि चिन्ता क्या है अपनी गाड़ी से जायेगी। आराम से पहुँच जायेगीं। बाद में हम दोनों भी पहुँच जायेगे। हम दोनों तो काम में व्यस्त रहते है वह तो अकेली बोर होती रहती है उन्हें जाने दिजिये। मैंने मन में सोचा कि पीछे से तुम्हें मनमर्जी करने की छुट मिल जायेगी लेकिन कहा कुछ नहीं। हफ्ते बाद पत्नी रिश्तेदार के यहाँ चली गयी। मैं और माधवी ऑफिस के लिये निकल गये। ऑफिस में पत्नी का फोन आया कि वह आराम से पहुँच गयी है। यह सुन कर मुझे चैन मिला।

निर्णय

दिन भर हम दोनों काम करते रहे। शाम को घर जाने के लिये निकले तो माधवी बोली कि खाने के लिये कही बाहर चलते है। मैंने कहा कि पहले घर चल कर कपड़ें बदलते है फिर कहीं चलेगें। मेरी इस बात पर वह चुप रही। घर जा कर मैंने ड्राइवर को भेज दिया। कपड़ें बदल कर मैं बैठा ही था तभी ध्यान आया कि मालिक साहब की चिठ्ठी पढ़नी चाहिये देखे उन में क्या लिखा है? उस को मैंने बड़ा संभाल कर रखा था सो उसे निकाला और लिफाफा खोल कर चिठ्ठी निकाल कर पढ़ना शुरु किया। इस में मेरी सारी परेशानियों का हल था। मालिक साहब ने लिखा था कि

जब भी इसे खोल कर पढ़ोंगें तो मतलब होगा कि किसी ऐसी परेशानी में हो जिसका हल नहीं मिल रहा है। मुझे अंदाजा है वह क्या बात है। तुम एक बात हमेशा ध्यान रखना कि मैं माधवी को तुम्हारें हवाले कर के जा रहा हूँ अब वह तुम्हारी है, उस की हर इच्छा को मेरी इच्छा समझ कर पुरी करना चाहे वह कुछ भी हो। कुछ भी। उसे कोई दूख नहीं पहुंचना चाहिये। मुझे पुरी आशा है कि तुम मेरी बात समझ गये होगे तथा तुम्हें समस्या का समाधान मिल गया होगा।

तुम्हारा मित्र।

इस पत्र को मैंने कई बार पढ़ा, ध्यान से पढ़ा तब समझ आया कि वह क्या कहना चाह रहे थे और मेरी समस्या का समाधान हो गया। माधवी और मेरे रिश्ते को लेकर मेरी झिझक भी समाप्त हो गयी। मुझे समझ आ गया कि अब मुझे क्या करना है। मेरे मन में जो कसक थी वह यह पत्र पढ़ कर दूर हो गयी। माधवी की हर इच्छा पुरी करना मेरी जिम्मेदारी थी। उस से भागना नहीं था। उसे निभाना था।

मन में अजीब सी शान्ति का अनुभव किया। तभी माधवी की आवाज कानों में पड़ी कि, कहाँ है? मैंने पत्र संभाल कर रखा और आवाज दी की आ रहा हूँ। जब माधवी के पास पहुंचा तो वह मुझे देख कर बोली कि अभी तक ऐसे ही बैठे है चलना नहीं है? मैंने मजाक में कहा कि नींद आ गयी थी इस लिये सो गया था।

मेरी आवाज में मजाक पहचान कर वह बोली कि आपकी पिटाई करनी पड़ेगी। मैंने नकली डर कर कहा कि दो दो लोगों के हाथ से पिटने के बाद तो खैर नहीं। वह इशारा समझ कर हँस पड़ी और बोली कि कपड़ें क्यों नही बदले? मैं बोला कि अभी बदल लेता हूँ चिन्ता मत करो? रात अपनी ही है। वह शरारत से मुस्कराई और बोली कि उन के जाते ही आप के पर निकल आये है। मैंने कहा कि जब कोई उड़ा के ले जा रहा हो तो क्या करुँ? उस ने पास आ कर धीरे से कहा कि तंग मत करो चलो ना? मैं कपड़ें बदलने चला गया।

पीछे से पत्नी का फोन आया तो माधवी ने उठा लिया और उसे बता दिया कि आज खाना खाने बाहर जा रहे है। पत्नी ने कहा कि इन से कहना कि मुझे फोन करे। जब मैं कपड़ें बदल कर आया तो माधवी बोली कि आप की पत्नी को बता दिया है कि हम बाहर खाना खाने जा रहे है वह कह रही थी कि उन्हें फोन कर लें, कुछ बात करनी है। मैंने तुरंत पत्नी को फोन मिलया तो वह बोली की बड़ी तेज सर्विस है। मैंने कहा कि कपड़ें बदल रहा था तभी तुम्हारा फोन आया बताओं क्या बात है?

वह बोली कि इन के यहाँ क्या देना है? मैंने कहा कि कोई गिफ्ट दे दो या चाहों तो नकद दे दो। इस पर वह बोली कि गिफ्ट तो मैं ले कर नहीं आयी हूँ अगर तुम खरीद सकों तो खरीद लाना। मैंने कहा कि हाँ मैं लेता आऊंगा। यह कह कर फोन काट दिया। माधवी बोली कि उन को बता कर कोई गल्ती तो नही की? मैं बोला कि नहीं सही किया, कोई गलत काम करने थोड़ें जा रहे है। खाना खाने जा रहे है। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरायी और बोली कि आप की पत्नी को बड़ा विश्वास है आप पर। मैंने कोई जबाव नहीं दिया।

माधवी कपड़ें बदलने के बाद सुंदर लग रही थी सो उसे ध्यान से देखा तो बोली

मैं सोच ही रही थी कि अभी तक देखा क्यों नहीं है?

एक समय में एक ही काम हो सकता है, आते ही हाईकमान का फरमान सुना दोगी तो कुछ और में दिमाग कैसे लगेगा?

हाईकमान

हाँ

मुझे गलतफहमी थी?

किस बात की

थी कोई बात

क्या बात?

मेरी तो दो-दो हाईकमान है

क्या कहने है

तुम्हें क्या पता दो लोगों की कमान में रहने का?

हाँ भई हम तो खुद मुख्तार है

तुम्हारा कौन हाईकमान है?

जैसे तुम्हें पता ही नहीं?

नहीं

इतने भोले भी मत बनों

ऐसे ही लड़ कर पेट भरने का इरादा है

तुम्हारी जैसी मर्जी

मैंने माधवी का हाथ पकड़ कर अपने पास किया और उसे चुम कर कहा कि गुस्सा थुक दो, जो सजा दोगी वह कबुल होगी। मेरी बात सुन कर वह हँस पड़ी। उस का मुड सही हो गया और हम दोनों बाहर के लिये निकल पड़ें। रेस्टोरेंट पर जा कर मनपसन्द का खाना खाया, मुझे कम खाते देख कर माधवी बोली कि इतना ही खाना था तो आयें क्यों? मैंने बताया कि ज्यादा खा लिया तो रात भर नींद नहीं आयेगी तो वह हंसी और बोली की नींद तो वैसे भी नहीं आनी है।

आज वह ज्यादा बोल्ड हो रही थी। मैं भी उस की बोल्डनेस का मज़ा ले रहा था। खाना खा कर दोनों कुछ देर घुमते रहे फिर घर के लिये वापिस हो लियें। रास्ते में माधवी बोली कि रात को इतना कम खाना क्यों खाते हो? मैंने बताया कि बहुत सालों से जितनी भुख होती है उस से आधा खाता हूँ तो रात को गैस की परेशानी नहीं होती हैं, नहीं तो बहुत गैस बनती थी और रात को सो नहीं पाता था।

मेरी बात सुन कर वह बोली कि इतना सब कुछ करते हो फिर भी कोई देखभाल करें तो उसे मना करते हो, अपने आप को सजा देने में मज़ा आता है क्या? मैंने कोई जबाव नहीं दिया। कुछ देर बाद वह बोली कि तुम से एक सवाल पुछा था अभी तक कोई जबाव नहीं मिला है। मैंने कहा कि क्या जबाव चाहिये, तुम तो मेरी मालकिन हो इस के बाद क्या बोलुं? वह बोली कि बातें मत बनाओं, सवाल का जबाव दों?

मैं गाड़ी चलाता रहा। इस के बाद घर आने तक हम दोनों के बीच मौन पसरा रहा। मैं उसे तोड़ने के लिये कुछ कहना चाहता था लेकिन शब्द नहीं मिल रहे थे। घर पहुँच कर वह अपने फ्लैट में चली गयी और मैं अपने में। कपड़ें बदल कर पत्नी को फोन किया और उस की राय मांगी कि गिफ्ट में क्या चाहिये? तो उस ने कहा कि कोई सोने का गहना सही रहेगा। मैं भी उस की राय से सहमत था। उस ने पुछा कि खाना खा लिया तो मैंने उसे बताया कि माधवी इस लिये नाराज है कि मैंने खाना कम खाया है।

उस ने कहा कि उस का मन रखने के लिये कुछ और खा लेते। मैंने पुछा कि इस के बाद जो रात भर परेशानी होती क्या उस से माधवी परेशान नहीं होती मेरे साथ तो वह बोली कि यह बात उस को समझानी चाहिये थी। अब उस की नाराजगी तो दूर करनी पड़ेगी। मैंने कहा कि कुछ सोचता हूँ यह कह कर फोन बंद कर दिया।

बिस्तर पर लेट गया लेकिन नींद नहीं आ रही थी सोच रहा था कि माधवी की बात का क्या जबाव दूँ? तभी फोन बजा देखा कि माधवी थी बोली कि बीच का दरवाजा खोलों कितनी देर से खटखटा रही हूँ। मैं जल्दी से उठा और बाहर जा कर फ्लैटों के बीच का दरवाजा खोल कर माधवी को आने दिया फिर से दरवाजें को बंद कर दिया। मैं ड्राईग रुम की तरफ बढ़ा तो माधवी मुझे पकड़ कर बेडरुम में ले गयी। हम दोनों बेड पर बैठ गये। मौन अब भी पसरा हुआ था। कुछ देर ऐसा ही रहा।

नाराज हो?

नहीं।

लग तो रहा है

क्या लग रहा है खुल कर बताओं?

क्या खुल कर बताऊं, जैसे तुम को पता नहीं है

क्या पता नहीं है?

मेरी नाराजगी

आज की नाराजगी की वजह पता नहीं चल रही है

बस ऐसे ही

क्या ऐसे ही

नाराजगी

तुम्हारे मन की करता हूँ फिर भी नाराज हो, कारण जान सकता हूँ

कोशिश करों सब पता चल जायेगा।

मैंने मन में कुछ जोड़ भाग किया तो समझ आया कि मैडम का पीरियड होने वाला है इस कारण से चिड़चिड़ी हो रही है। कारण जान कर मेरा गुस्सा काफूर हो गया।

माधवी आज तो तुम से कह रहा हुँ उस को कहने के लिये मैंने बड़ी कोशिश की है बड़ी कशमकश के बाद इस निर्णय पर पहुंचा हूँ। मेरी बात सुन कर माधवी मेरे पास खिसख आयी और बोली कि आराम से पांव ऊपर कर के बैठते है। फिर बात करेगें। हम दोनों ने ऐसा ही किया, दरवाजा तो माधवी ने बंद कर ही दिया था। माधवी बोली कि कहो क्या कहना चाहते थे, मैं सुन रही हूँ।

मैंने कहा कि तुम्हारें सवाल का जबाव यह है कि तुम मेरी सब कुछ हो, जान हो, जहान हो। मेरा सारा जीवन तुम्हारें आस-पास ही तो घुमता रहता है। मेरी बात सुन कर कुछ समय सन्नाटा सा छा गया। फिर वह अपने हाथों में मेरे हाथ लेकर बोली कि इस के लिये इतनी देर क्यों लगा दी? मैं बोला कि तुम्हें खुद पता चल जाना चाहिये था कि तुम मेरे लिये क्या हों? वह बोली कि मुझे सब पता है लेकिन तुम्हारें मुँह से सुन कर मेरे मन को आत्मा को चैन मिला है। मुझे तुम्हारा साथ चाहिये मैं किसी की जगह नहीं लेना चाहती हूँ।

ऐसा पाप मैं नहीं कर सकती, लेकिन क्या करुँ मेरा भी कोई नहीं है तुम्हारें सिवा इसी लिये सब कुछ समझते हुये भी तुम्हारें मुँह से सुनना चाहती थी सो आज तुम ने कहा दिया। ना कहते तो भी कोई बात नहीं थी। मेरें लिये भी तुम जान और जहान हो जैसा कहोगें जैसा रखोगें वैसा ही करुँगी। किसी शिकायत का मौका नहीं दूँगी। अगर कुछ गलत लगे तो मुझे बोल कर, रोक कर, मार कर समझा देगा। तुम्हारी हूँ।

उस के यह शब्द सुन कर मुझे चैन मिला। लेकिन हमारें संबंध में परेशानियां भी थी। सार्वजनिक तौर पर मैं उसे किसी तरह की स्वीकारता नहीं दे सकता था। यह उसे भी पता था, इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जा सकता था। इसे अनाम ही रहना था इसी में सब की भलाई थी। काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर युहीं बैठे रहे। माधवी बोली कि मेरें व्यवहार से गुस्सा तो नहीं हो? मैंने जबाव दिया कि पहले समझ नहीं आ रहा था लेकिन जब याद किया तो समझ आया मैडम का पीरियड का टाइम है इस लिये चिड़चिड़ी हो रही है। इस बात पर उस ने तकिया उठा कर मारा।

गंदे बच्चें।

इस में गंदी बात क्या है? तुम बिल्ली की तरह व्यवहार करो और मैं कारण बताऊं तो गंदा बच्चा क्या बात है?

मेरे बारे में यह कैसे पता?

अब छोड़ों फिर मारोगी।

नहीं बताओं।

यार इतना समय मेरे साथ रहती हो तुम्हारें चलने, उठने, बैठनें के तरीके से और काम छोड़ कर बीच में आ जाने से अंदाजा लगा लिया है। अब बताओ सही हूँ या गलत?

सही हो। लेकिन आज खत्म हो गया है। बड़ा दर्द होता है। इस लिये चिड़चिड़ी हो जाती हूँ लेकिन केवल तुम्ही से।

वो तो है।

मैं उस के पास खिसका और उसे अपनी बांहों में लेकर उस के कान में फुसफुसाया कि कोई और बात तो नहीं रह गयी मैडम, यह सुन कर वह बोली कि सब आज ही थोड़ी ना खत्म कर लेगे। मेरे तुम्हारें बीच तो अब यह रोजाना की बात होगी। मैंने उस की गरदन पर चुम्बन किया तो वह बोली कि यहाँ कुछ मत करों दिखता है। मैंने कहा कि इतने में क्या होगा? तो वह बोली कि आज तुम्हें दिखा ही देती हूँ कि तुम कितने जोर से करते हो।

यह कह कर उस नें मेरी बांहों से निकल कर नाईटसुट की शर्ट के बटन खोल कर उसे उतार दिया और ब्रा को हाथ पीठ पर ले जा कर खोल दिया। ब्रा नीचे गिर गयी। देखा कि उस के दोनों स्तनों पर दांतों के गहरे निशान थे जिन में खुन जम गया था। इतने दिन में भी वह सही नहीं हुये थे। आज उस को शर्म नहीं आ रही थी। मैंने जख्मों पर हाथ लगा कर देखा और कहा कि बता नहीं सकती थी कुछ दवा लगानी थी। वह बोली कि कुछ नहीं करना मैं तो इस दर्द का मज़ा ले रही थी लेकिन तुम ने तो बाज आना नहीं है इसी लिये तुम्हें दिखा दिया।

मैनें कहा कि उस दिन नशें में बहुत गलती हो गयी थी। इस के बाद उसने शर्ट के बटन लगा लिये। ब्रा ऐसे ही पड़ी रही। तुम्हारें दर्द का क्या हाल है। अब तो दर्द नहीं है। थोड़ा सा दर्द तो अच्छा लगता है लेकिन यह तो बहुत ज्यादा हो गया है लगता है हम नें कुछ ज्यादा ही कर लिया था। मैंने उसे समझाया कि कुछ ज्यादा नहीं किया था केवल बहुत दिनों बाद किया था। रोज करते रहते तो शरीर उस का आदी हो जाता है, चलने की तरह है अगर एक ही दिन में बहुत चल लोगें तो थकान तो होगी ही यही उस दिन हुआ था आशा है आगे ऐसा कुछ नहीं होगा।

आधा-पौन घंटें तक अगर सेक्स करेगें तो जवानों का भी दम निकल जायेगा हम तो मिडिल ऐज के है।

तुम्हें कैसे पता कि इतना समय लगा था

जब बत्ती बंद की थी जब घड़ी पर नजर गयी थी और जब खत्म हुआ था तो फोन पर टाइम देखा था इसी लिये टाइम पता है।

बड़ी तेज नजर है।

हाँ सो तो है।

दूसरे दिन कितना समय लगा था।

पता नहीं तुम ने अंधेरा कर दिया था लेकिन 20 मिनट से तो ज्यादा था इतना कन्फर्म है।

कैसे पता, पता है, बताओं तो सही

क्या करोगी जान कर, ऐसे ही, छोड़ो किसी और दिन बताऊँगा।

आज क्यों नहीं, याद नहीं आ रहा है।

झुठ बोल रहे हो

हो सकता है लेकिन तुम तो जानती हो कितना समय लगा था।

कैसे? रहस्य मत बनाओ, सही से जबाव दो।

क्या फर्क पड़ता है कि कितना समय लगा सही लगा या नहीं यह जरुरी है।

हाँ यह बात तो है।

मुझे ध्यान आया कि रात को दूध के साथ दवा लेनी है तो किचन में चला गया माधवी मेरे पीछे आ गयी और बोली बताओं क्या काम है? मैंने कहा कि दूध पीना है यह कह कर मैंने दूध गरम करने रख दिया, हल्का गरम करके दो गिलास में कर के एक अपने हाथ में और एक माधवी के हाथ में दे कर बेडरुम में वापस आ गया। बोतल से दवा की गोलियां निकाल कर दूध के साथ निगल ली। वह बोली किसकी दवा हैं मैंने कहा कि थकान की है।

उसे कुछ समझ नहीं आया लेकिन कुछ बोली नहीं। दूध पीने के बाद वह दोनों गिलासों को किचन में रख कर लौटी तो बोली कि आज तुम्हारें साथ नहीं सो सकती, खुन निकल सकता है, दर्द भी हो सकता है। मैंने कहा कि कुछ नहीं करेंगें, आगे जैसी तुम्हारी मर्जी। वह बोली कि जल्दबाजी अच्छी बात नहीं है। यह कह कर वह मुझे चुम कर चली गयी। मैं दरवाजा बंद करने के लिये पीछे गया तो वह मुड़ कर बोली कि मुझे रोक नहीं सकते? मैंने कहा कि तुम औरतों को समझना बहुत कठिन है।

अभी तो मुझे लेक्चर सुना कर आयी हो अब यह कह रही हो। मैंने उसे हाथ से पकड़ा और वापिस बेडरुम में ले गया। बेडरुम का दरवाजा बंद करके कहा कि आयों सोते है तुम्हारी परेशानी का भी इलाज है। यह कह कर मैंने एक दराज से कंडो़म का पेकेट निकाल कर उस को दिखाया। वह बोली कि बड़े बदमाश हो सब चीजों का इंतजाम कर के रखा है। मैंने कहा कि तुम्हारें लिये नहीं किया हम दोनों कभी कभी ऐसे ही इस्तेमाल कर लेते है। मज़े के लिये।

उस की नजरें कमरे में कुछ ढुढ़ रही थी मैंने पुछा क्या चाहिये तो वह बोली कि कोई और चद्दर बिछा लो, नीचे की चद्दर पर दाग लग सकते है। उस की बात सुन कर मैंने अलमारी खोली और एक पुरानी सी चद्दर बेड पर बिछा दी। लाईट बंद करने लगा तो वह बोली कि आज तो जलने दो। मैं रुक गया।

मिलन

दोनों एक साथ लेट गये। आज दोनों के बीच कोई शर्मों-लिहाज नहीं था मेरे मन में कोई दुविधा नहीं थी उस के मन में कोई शर्म नही थी। खेल तो होना ही था, मैदान तैयार था केवल सीटी बजने की देर थी। आज मुझे पता था कि शुरुआत मुझे करनी है सो मैंने उसे आलिंगन में ले कर एक लम्बा किस किया तो वह खुल गयी उस ने भी जोरदार किस किया। मुझे आज उस को पुरा चखना था संभोग ही एकमात्र उदेश्य नहीं था। उस के शरीर को महसुस करना उसे सहलाना पुचकारना, चखना, चाटना और जो किया जा सके।

वह भी शायद यही सोच रही थी। मैंने उस का नाइटसुट उतारा तो उस ने मेरा उतार दिया। पहली बार हम दोनों एक-दूसरें को बिना कपड़ों के रोशनी में देख रहे थे। मैंने उसे अपने से चिपका लिया वह ऐसे चिपक गयी जैसे कोई लता तने से लिपटती है। दोनों के हाथ एक-दूसरें के शरीर का अंवेषण करते रहे। जब मन भर गया तो मैं उस के उरोजों से खिलबाड़ करने लगा। ज्यादा पुष्ट तो नहीं थे लेकिन भरे हुये थे। सहलाने के बाद उन की कठोरता बढ़ गयी थी, लालच तो था उन्हें चखने का लेकिन पिछले निशान कुछ करने से रोक रहे थे।

पेट पर ज्यादा मांस नहीं था हाथ जब नाभी से नीचे गया तो वह बोली कि हाथ अंदर मत करना खुन लग जायेगा। मैंने उस की बात मान ली। उपर से ही योनि को सहलाया और उसकी जांघों को हाथ से सहलाया फिर पलट कर उस के पांव में बैठ कर पंजों को चुमा। कोमल पांव चुमने से सिहर रहे थे। उस को पेट के बल घुमा कर उस की जाँघों के चुमता हुआ कुल्हों पर चुम्बन दे कर उस की गहराईयों के बीच से चाटता हूआ उस की गरदन तक पहुंचा और उस के कानों की लो को दांत से छुआ। उस की हालत इस फोरप्ले के कारण खराब हो रही थी।

उस ने करवट बदल कर मुझे नीचे गिरा कर अपने से सटा लिया और कहा कि देर मत करों। मैंने उस से अलग हो कर कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकाल कर लिंग पर चढ़ा लिया। उसे मेरा कंडोम इस्तेमाल करना सही नहीं लग रहा था लेकिन कुछ कहा नहीं। जैसे ही दोनों के शरीर मिले तो दर्द से उस के मुंह से कराह निकल गयी। मैं रुका तो उस ने कहा कि रुकों मत। उस का इशारा मिलते ही हम दोनों फिर दौड़ में लग गये। जब मैं कुछ थक सा गया तो उसे अपने ऊपर कर लिया लेकिन कमर के दर्द के कारण कुछ देर बाद वह मेरे ऊपर से उतर गयी।

मुझे लगा कि संभोग किसी और आसन में करे तो सही रहेगा यह सोच कर मैंने उसे साइड से लिटा दिया फिर उस के पीछे लेट कर पीछे से उस के अंदर प्रवेश किया इस आसन में दोनों बगल में लेटे होने के कारण एक-दूसरे पर बोझ नहीं डालते है। पहले तो उसे अजीब सा लगा लेकिन फिर उस के कुल्हें हिलने लगे। मैं भी उस के उरोजों को सहलाता रहा। उस की गरदन को अपनी तरफ मोड़ कर उस को होठों को चुमा। काफी देर बाद हम दोनों स्तखलित हूयें। मैंने जब कंडोम उतारा तो उस पर खुन का दाग नहीं था। माधवी को जब यह दिखाया तो वह बोली कि अच्छा है नहीं तो मुझे डर लग रहा था।

आज का समय मैनें नोट किया था 35 मिनट लगे थे। माधवी को जब बताया तो वह बोली कि प्यार करते में भी तुम्हें यह सब ध्यान रहता है। मैंने कहा कि आदत है चीजों को नोट करने की उसी का नतीजा है। उस ने कहा कि अब से ध्यान देना बंद कर दो नहीं तो मार पड़ेगी मैंने कहा जैसा हुकुम सरकार यह सुन कर मेरी छाती पर मुक्कों की बारिश शुरु हो गयी मैंने बचने के लिये उसे अपने से कस कर चिपका लिया। वह यही चाहती थी सो अपना सिर मेरी छाती में छुपा लिया।

कुछ देर बाद मुझे कुछ नरमी सी लगी तो उस का सर हटा कर देखा तो वह रो रही थी। मैंने उस की आंखों को चुम कर कहा कि अब यह क्या है तो वह बोली की खुशी के आँसु है बहने दो। यह कह कर फिर से छाती में दुबक गयी। कुछ देर बाद दोनों नींद में डुब गये। सुबह मैं अपनी आदत के अनुसार साढ़े पांच बजे उठ गया। माधवी सो रही थी लेकिन अब उसे जाना पड़ेगा क्योकि कुछ देर बाद नौकर नौकरानियां आने लगेगे।

मैंने उसे जगाया तो वह कुनमुनाती हुई बोली कि क्या बात है? उठ कर घर जाओ, सुबह हो गयी है मेरी बात सुन कर वह उठ कर बैठ गयी और बोली कि इतनी गहरी नींद जमाने के बाद आयी है। फिर कपड़ें पहन कर अपने फ्लैट के लिये चली गयी। उस के जाने के बाद मैंने कमरे का निरीक्षण किया और देखा कि माधवी की कोई चीज या कपड़ा तो नहीं पड़ा है तो बेड के नीचे उस की ब्रा पड़ी मिली। उसे उठा कर बेड पर बिछी चद्दर हटा कर एक तरफ रखी और कंडोम को उस के लिफाफे में डाल कर साईड में रख दिया। यह सब कर के फ्लैट के दरवाजे पर जा कर उसे खटखटाया तो माधवी आयी तो मैंने उसे उस की ब्रा वापिस कर दी वह मुझे देख कर बोली कि मुझे लग तो रहा था कि कुछ कमी है लेकिन याद नहीं आ रहा था कि क्या कम है। यह कह कर वह चली गयी।