रहस्यमय संबंध

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इसी वजह से मैं इनका ध्यान रखने लगी हूँ, इसी से मेरा समय कट जाता है। ऑफिस जाने से कुछ समय कट जाता है लेकिन जीवन में और कुछ भी होता है जो नहीं मिल पा रहा था। किसी से क्या कहुं, जो भी कह सकती थी सो इन से ही कहा लेकिन यह मेरी बात का जबाव ही नही देते थे। कई बार इस को लेकर लड़ाई भी हुई लेकिन इन की चुप्पी टुटती ही नहीं थी। अभी कुछ दिनों पहले ही इन्होनें मेरी बात का जबाव दिया, मुझे सब कुछ समझाया।

मेरा तो आप के सिवा कोई नहीं है लेकिन इन के जाने के बाद मुझे एक दिन भी यह नहीं लगा कि मेरा क्या होगा क्योकि इन्होनें मेरा अपनों से भी ज्यादा ध्यान रखा है, इसी लिये मैं शायद कुछ बिगड़ गयी हूँ ज्यादा की आशा कर बैठी लेकिन आप दोनों ने उसे भी पुरा किया है। इस से ज्यादा मैं क्या कहुँ, आप मुझे छोटा समझ कर रोक सकते है, समझा सकते है, डॉट सकते है, मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानुगी।

इन की चिन्ता करना मुझे अच्छा लगता है लेकिन मुझे पता है कि इन पर आप का पहला अधिकार है इस लिये आप को कभी मेरी कोई बात बुरी लगे तो मुझे बता देना। मैं अपनी गलती सुधार लुँगी। और किसी बात की कोई इच्छा नहीं है। मैंने पत्नी की तरफ देख कर कहा कि कुछ और कहना है या कहलवाना है तो वह बोली कि सब समझदार है घर की बात बाहर नहीं जानी चाहिये। हमारी ही जग हंसाई होगी। तुम्हें प्यार करने में मैं तो कंजूस हुँ लेकिन माधवी लगता है कंजूस नही है क्या करुँ मेरी आदत ही ऐसी है लेकिन माधवी को प्यार के बदले प्यार मिलना चाहिये।

मैंने हँस कर कहा कि माधवी लो यह तो अभी से तुम्हारी तरफ हो गयी है। जितना मेरे में दम है उतना तो प्यार मैं करुँगा ही। मेरी बात सुन कर माधवी हँस पड़ी, बोली कि दीदी आप को पता है कितना दम है इनमें? पत्नी बोली कि इन को खुद ही पता नहीं है। सामने वाले को पता चलता है कि कितना दम है। मैं उन दोनों की बात सुन कर मुस्करा दिया।

मैंने कहा कि अब एक गंभीर बात सुनों सारी संपत्ति दो भागों में है दोनों बराबर है कंपनी में मेरा हिस्सा ज्यादा है क्योकि भविष्य में कोई परेशानी ना हो इस लिये मालिक साहब ऐसा करके गये है। इस में कोई बदलाव नहीं करुँगा। आगे भी जो कुछ जमीन जायदाद, सोना चांदी, जो कुछ भी खरीदा जायेगा वह आधा-आधा होगा। इस को लेकर किसी को परेशान होने की आवश्यकता नही है। अगर कभी किसी एक को कोई वस्तु मैनें दी तो इस का मतलब होगा कि वह मेरी आमदनी का हिस्सा है, कंपनी का नहीं।

माधवी बोली कि यह क्यों कह रहे हो? मैंने कहा कि माधवी इस लिय बता रहा हुँ कि कल रोहित बड़ा होगा तो हो सकता है उसे कोई गलतफहमी हो जाये या कोई गलत समझा दें तो तुम उसे समझा सकती हो। आज की बात नहीं कर रहा लेकिन भविष्य को लेकर कह रहा हूँ। कंपनी ऐसे ही चलेगी हो सकता है कई नई कंपनियां भी खोली जाये उन की हिस्सेदारी उसी समय तय की जायेगी। तुम दोनों को खास कर माधवी तुम को सब बातें स्पष्ट होनी चाहिये। तुम मेरा ही हिस्सा हो इस लिये हो सकता है कभी मैं तुम पर कोई जबरदस्ती भी करुँ लेकिन उसे अपने हित में सोच कर बर्दाश्त कर लेना।

माधवी बोली कि आप मुझ पर ऐसा कुछ नही करेगें जो मेरे खिलाफ हो इतना मुझे विश्वास है। उस की यह बात सुन कर पत्नी बोली कि तुम दोनों तो एक दूसरें के प्यार में गहरे डूबे हुये हो। माधुरी यह सुन कर शर्मा गयी। पत्नी बोली कि कोई इन से इतना प्यार कर सकता है यह तो मेरे लिये गर्व की बात है। मैंने बात बदलने के लिये कहा कि तुम दोनों अपने में मुझे सही तरह से बाँट लेना। यह सुन कर दोनों हँस पड़ी।

पत्नी बोली कि माधवी चलों बातें तो हो गयी अब खाना बनाते है भुख लग रही है तो माधवी बोली कि खाना मैनें बनवा रखा है इन के फोन के समय में उस के लिये कहने ही वाली थी लेकिन फोन के बाद नौकरों की छुट्टी कर दी। पत्नी बोली कि यह काम तो बढ़िया किया था। माधवी बोली कि वही चलते है खाना खाने, हम तीनों दूसरे फ्लैट में खाना खाने चले गये।

खाना खाने के बाद माधवी ने आइसक्रीम मँगा रखी थी उसे खा कर जब वापस आने लगे तो माधवी बोली कि आज आप मेरे पास रुक जाओं। मैंने कहा कि कुछ देर बाद आता हूँ तो पत्नी बोली कि माधवी तुम भी चलो, बातें करते है फिर साथ में आ जाना यह कह कर वह और माधवी मेरे साथ हमारे घर में चले आये। बेडरुम में आराम से बैठे तो पत्नी से अपना मोबाइल मुझे देकर कहा कि वहाँ की फोटो है आप टीवी पर दिखाओं।

मैं मोबाइल को टी वी से कनेक्ट करने लगा। जब वह टीवी से कनेक्ट हो गया तो हम सब लोग वहाँ की फोटोग्राफ्स देखने लगे। पत्नी और माधवी बहुत सुन्दर लग रही थी और दोनों भीड़ से अलग लग रही थी। मैंने कहा कि तुम दोनों ने तो उस दिन सारी लाईमलाइट खा ली थी। दोनों बोली कि हम है ही ऐसे। आप की तो निकल पड़ी है, मैंने कहा यह तो सही है। मेरी फोटो जब आयी तो पत्नी बोली कि सुट में जँच रहे हो। माधवी बोली कि सुट बदल ही नहीं रहे थे। मुश्किल से बिना बताये मॉल लेकर गयी तब जा कर नये सुट खरीदे।

मैंने कहा कि भई अपने लिये कुछ खरीदने की आदत छुट गयी है, लेकिन चिन्ता क्या है तुम लोग हो ना मेरी चिन्ता करने के लिये। काफी देर तक समारोह की बात होती रही। पत्नी ने बताया कि जब मैं कार से पहुँची तो मेरी कार देख कर कईयों की जान निकल गयी। एक ने तो पुछ ही लिया कि किसी से माँग कर लायी हो? तुम ने क्या जबाव दिया मैंने पुछा तो वह बोली कि उसे बताया कि हमारे पास ऐसी कई कारें है यह तो मेरी कार है। इन के पास अपनी अलग है। यह सुन कर पुछने वाली की शक्ल देखने लायक थी।

मैंने पुछा कि तीन दिन कैसे गुजारें तो वह बोली कि कितनों से सालों बाद मिलना हुआ था कुछ अपनी अकड़ में मरे जा रहे थे। मैं तो लोगों से मिलने जुलने में ही लगी रही। जिन के यहाँ गई थी उन्हें सब पता था लेकिन जो काफी दिनों बाद मिले थे वह शॉक में थे। तुम दोनों के आने के बाद कुछ और शॉक लगा और रात को मेरे, माधवी के हार तथा गिफ्ट को देख कर तो बोलती बंद हो गयी। अच्छा हुआ कि रात को तुम ने होटल कर लिया था नहीं तो मुश्किल होती। मैंने कहा कि मुझे पता था कि तुम्हें परेशानी होगी लेकिन उस समय मना करना सही नहीं था। आना जाना भी चाहिये। ऐसे माहौल में घर सा आराम तो मिल नहीं सकता। माधवी ने हाँ में सर हिलाया।

पत्नी बोली कि तुम ने गिफ्ट और हार ला कर और माधवी ने मैचिंग साड़ी ला कर पार्टी को मजा दूगना कर दिया। कैसे धन्यवाद दूँ? मैंने कहा कि कैसा धन्यवाद अपने लिये ही तो सब किया था। माधवी बोली कि इस में धन्यवाद की क्या बात है। लेकिन जब इन्होनें आप का हार नहीं दिखाया तो मुझे कुछ समय के लिये बुरा लगा फिर समझ आया कि जब कह ही रहे है कि सरप्राइज है तो कैसे दिखायेगें। थोड़ी देर बाद बात समझ आने के बाद गुस्सा खत्म हो गया।

रात बहुत हो रही थी, हम सब थके थे सो मैं माधवी के साथ चल दिया। पत्नी ने बीच का दरवाजा बंद कर लिया। माधवी के बेडरुम में पहुँचते ही माधवी बोली कि इतना बड़ा काम कर दिया कोई इशारा तो कर दिया होता।

मैंने कहा कि क्या इशारा करता उसे सब समझ है। दो हार लाने के बाद उसे सब समझाना जरुरी था। वो गुस्सा थी तुम्हारी तरह ही उसे लगता है कि कोई और उस की चीज की चिन्ता कैसे कर सकता है चाहें वह चिन्ता करें ना करे। एक और बात है मैं उस से कोई बात छुपा नही सकता, वह मेरे अच्छे बुरे में साथ खड़ी रही है हम दोनों ने बड़े बुरे दिन देखे है लेकिन उस ने कभी शिकायत नहीं करी। इस कारण से उस से झुठ नहीं बोल सकता। उसे सच पता चला और मैंने सब समझाया तो वह शान्त हो गयी हो सकता है कभी फिर किसी बात पर गुस्सा हो जाये लेकिन उसे यह तो नहीं लगेगा कि मैंने उस के साथ धोखा किया।

तुम्हारे सवाल का जबाव देने में इतने दिन क्यों लगे, लगे हाथ उस का कारण भी सुन लो, तुम मेरे मालिक की पत्नी हो तुम से प्यार करना तुम्हारें साथ सोना मुझे लगता था कि मैं अपने जमीर के साथ धोखा कर रहा हूँ सब कुछ समझ कर भी मन नहीं मान रहा था। उस दिन के बाद भी मन में दुविधा थी। फिर काफी मनन किया और इस समस्या का हल मिल गया। तब जा कर तुम्हारें सवाल का जबाव तुम्हें दिया।

माधवी मुझे एकटक देखती रही फिर बोली कि तुम कितने साफ ह्रदय के हो तभी इतनी कठिन बात को इतनी आसानी से कह पाते हो। मुझे अब जा कर नींद आनी शुरु हुई है। नहीं तो मन में ना जाने कैसे विचार आते रहते थे। माधवी बोली कि दीदी खुश लग रही थी। मैंने कहा कि हाँ वह खुश है उसकी खुशी देख कर मैं भी खुश हूँ। तुम नें साड़ी ला कर उस का मन जीत लिया है। उस के साथ एक समस्या है कि वह अपनी चाहत आसानी से जाहिर नहीं करती। इस लिये परेशान मत होना।

माधवी कुछ देर चुप बैठी रही फिर उस की आंखों से आंसु टपक पड़ें। मैंने उसे छाती से चुपका लिया और कहा कि अब रोने की क्या बात है तो वह बोली की यह तो खुशी के आँसु है। कुछ देर बाद जब वह शान्त हुई तो मैंने उस से मजाक किया कि तुम तो बड़ी बहादूर हो मुझे रुकने के लिये एकदम से कह दिया तो जबाव मिला कि तुम्हारे साथ रह कर बहादूर हो गयी हूँ। अब यह बहादूर रोना बंद करेगा तो कुछ और करें?

मेरी बात सुन कर वह बोली कि अभी रुकों आती हूँ यह कह कर वह चली गयी। कुछ देर बाद जब वह आयी तो उसे देख कर मेरे मुंह से सीटी निकल गयी। उस ने पीले रंग की बिकनी पहन रखी जो गोवा में स्वीमिंग पूल में पहनी थी उस के हाथ में मेरा पीले रंग का स्वीमिंग शॉर्ट भी तथा मैं उस का इशारा समझ गया और उसे ले कर पहन लिया।

मैं बेड के किनारे पर बैठ गया और माधवी को अपने पास कर के उस की नाभी पर चुमने लगा। वह कांपने लगी। उस ने मेरे सर के बाल कस कर जकड़ लिये थे। मेरे होंठ उस की पेंटी के अंदर जाने को आतुर हो रहे थे सो मैंने पेंटी के हुक खोल कर उसे नीचे गिरने दिया। अब मैदान खाली था सो होंठ उसकी योनि को चाटने लग गये। मैं पहली बार उस की योनि का स्वाद ले रहा था मजा आ रहा था पहली बार पत्नी के अलावा और किसी की योनि का स्वाद चखा था। ऊंगली से उस की योनि के होंठों को अलग करके जीभ को अंदर प्रवेश करा दिया, जीभ कसैले, नमकीन स्वाद का मजा उठाने लगी।

गहरे और गहरे जा कर चटखारे भरने लगी। माधवी के कुल्हें हिल रहे थे और उस के हाथों नें मेरा सिर जकड़ कर योनि से चुपका दिया था। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा लेकिन इस अवस्था में वह सब नही कर सकता था जो करना चाहता था, इस लिये उसे उठा कर बेड़ पर लिटा दिया और उस के उपर 69 की पोजिशन में बैठ गया। मेरे होंठ अपने मनपसन्द काम में लग गये। फिर मेरी ऊंगली भी योनि में अंदर बाहर होने लगी, माधवी की हालत उत्तेजना की वजह से खराब हो रही थी जब उस से रहा नहीं गया तो उस ने मेरा शॉर्ट उतार दिया और मेरे लिंग को मुँह में ले लिया।

मेरे द्वारा योनि में किये जा रहे कार्य के कारण उस ने मेरे लिंग को चुमना और चुसना शुरु कर दिया, शायद सारा लिंग मुँह में ले लिया था। मैं भी इस कारण से उत्तेजना से भर गया था। दोनों के शरीर में चिरपरीचित आग लग गयी। जब और बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं उठ कर सीधा हो कर उस की जाँघों के बीच बैठ गया, और उस के अंदर प्रवेश किया, उत्तेजना या दर्द के कारण उस की आहहहहहहहहहह उईईईईईईईईई एहहहहहहहहहहहहहहह निकल रही थी। हम दोनों इस उम्र और वर्ग से आते है कि अपनी भावनाओं को काबु करना हमें आता है लेकिन इस समय सब कुछ काबु से बाहर हो रहा था।

मेरे कुल्हें तथा उस के कुल्हें एक ताल और लय में ऊपर-नीचे हो रहे थे। गति बहुत अधिक थी कोशिश थी की जल्दी इस से छुटकारा मिल जाये लेकिन ऐसा संभव नहीं दिख रहा था। जब दोनों कुछ थक से गये तो अगल-बगल में लेट गये। फिर मैं नीचे आ गया और माधवी मेरे ऊपर सवार हो गयी। उस की गति तो बहुत अधिक थी इस कारण से कई बार लिंग योनि से बाहर निकल जाता था मुझे डर लग रहा था कि इतनी गति के कारण लिंग पर कोई चोट ना लग जाये लेकिन इस समय उस की गति को रोकना मुश्किल था, जब तक वह अपनी मंजिल नही पा लेती।

फिर अचानक उस की गति पर विराम लग गया और वह पस्त हो कर मुझे पर लेट गयी। लेकिन मैं तो अभी स्खलित नहीं हुआ था सो उसे अपने नीचे लिटा कर मैं शुरु हो गया। फच-फच की आवाज जोर जोर से आ रही थी इस का मतलब था कि उस की योनि उस के स्खलन के द्रव से भरी हूई थी। तभी अचानक मेरी आँखें भी मुंद गयी और मेरी आँखों के सामने चांद-तारे छिलमिला गये। मैं भी स्खलित हो गया, बड़े जोर से वीर्य निकला की लिंग के मुंख पर आग सी महसुस हुई। तनाव खत्म हो गया। कुछ क्षण ऐसे ही पड़े रह कर मैं फिर माधवी की बगल में लेट गया। वह चुपचाप पड़ी थी उस की छातियां जोर जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने उन्हें सहलाया तो वह पलट कर मुझ से लिपट गयी। मैंने उसे अपने से लिपटा लिया। हम कब नींद के आगोश में चले गये पता भी नहीं चला।

सुबह चार बजे मेरी आँख खुली तो वह अब भी मुझ से लिपट कर सो रही थी। उस के चेहरे पर सन्तुष्टी नजर आ रही थी। मैं भी रात के संभोग के बाद सन्तुष्ट महसुस कर रहा था। काफी समय बाद गहरी नींद आयी थी। उसे अलग कर के मैं वाशरुम में चला गया। वहाँ से आया तो देखा कि माधवी आंखें खोल कर पड़ी थी। मुझे देख कर बोली कि इतनी जल्दी क्यों उठ गये? मैंने हँस कर कहा कि प्रेशर लग रहा था सो नींद खुल गयी इस लिये वाशरुम गया था। वह बोली कि लग तो मुझे भी रहा है, तो चली जाओं रोकना सही नहीं है।

हर बात पर सुझाव। भई यही तो एक चीज है जो हमें आती है। मेरी बात का जबाव ना दे कर वह चद्दर लपेट कर वाशरुम चली गयी। जब वाशरुम से बाहर आयी तो नाइटसुट पहने हुई थी। आ कर बिस्तर की हालत देख कर बोली कि कितना बड़ा दाग लगा है? मैंने कहा कि कल तुम भी क्लाइमेक्स पर पहुंची थी इस कारण से इतना बड़ा दाग है। वह बोली कि मुझे तो पता नही चला। तुम्हें होश कहा था। तुम्हें था हाँ कुछ देर तक तो था फिर मैं भी डिस्चार्ज हो गया तो होश नहीं रहा।

इतना सब कैसे ध्यान रख लेते हो? कल तुम्हें काटने का मन कर रहा था लेकिन काटा नहीं।

काट लेती अब किस बात का डर है?

हाँ अब किस बात का डर। तुम जो जैसे बहुत शरीफ हो क्या हाल किया था।

मैं तो ऐसा ही हुँ तभी तो तुम्हें पसन्द हुँ।

अपनी बढाई अपने मुँह से।

सामने वाला तो कभी करता ही नहीं हो तो सोचा सेल्फ प्रमोशन ही कर ले।

क्या बात है यह प्रमोशन मैडम के सामने करना शायद काम बन जाये।

वहाँ दाल नहीं गलती, इतने सालों में नहीं गली अब क्या गलेगी।

क्या कारण है पता क्यों नही करते?

बहुत किया लेकिन अब उस तरफ सोचना बंद कर दिया।

हाँ अब चिन्ता की क्या बात है

पहले कैसे काम चलता था।

क्या करोगी जान कर?

कुछ छुपाने के लायक है?

नहीं किसी और के साथ चक्कर?

इतना समय नहीं था ना हिम्मत थी। पुरुषों की कुछ बातें ना पुछों तो अच्छा है,

मत बताओं तुम्हारी मर्जी लेकिन मैं समझ सकती हूँ।

छोड़ो कुछ और बात करों।

मैं तो सो रही हूँ।

नींद आ जाये तो सो जाओ।

मैं तो जा रहा हूँ ।

जाओं लेकिन कपड़ें तो पहन लो।

हाँ सही याद दिलाया।

यह कह कर मैं कपड़ें पहनने लगा। और उस के बाद अपने घर चला गया। पत्नी सो रही थी लेकिन मुझे आया देख कर जग गयी और बोली कि बिना नहाये मेरे पास मत आना, यह सुन कर मैं गुस्से से भर गया और दूसरे कमरें में जा कर सो गया। सुबह अलार्म से उठा तो नहाने चला गया। फिर तैयार हो कर माधवी के साथ नाश्ता कर के ऑफिस चले गये। इस दौरान मेरी पत्नी से कोई बात नहीं हुई। उस ने भी कोई फोन नहीं किया। माधवी को शायद कुछ पता चल गया। उस ने मुझ से पुछा कि कुछ हुआ है क्या? मैंने कोई जबाव नहीं दिया तो वह चुप हो गयी। दोपहर में घर से खाना आया तो देखा कि एक का ही खाना था। दोनों नें उसे ही बाँट कर खा लिया फिर शाम को घर जाते में खाना पैक करा कर लेते गये। घर पहुँच कर पत्नी को खाना बनाने की मना कर दिया।

उस ने कहा कि उस ने खाना नहीं बनाया है। जब उसे बाहर से लाया हुआ खाना दिया तो वह बोली कि पहले बता नहीं सकते थे। मैं पुछा कि जब बनाया ही नहीं है तो परेशान क्यों हो? उस ने कहा कि खाना तो बना दिया है। उस की यह बात मुझे समझ में नहीं आयी। चुपचाप कपड़ें बदलने लगा। फिर टीवी खोल कर बैठ गया। जब वह चाय ले कर आयी तो मैनें पुछा कि दिन में एक आदमी का खाना क्यों भेजा था तो वह बोली कि मुझे तो तुम्हारा पता था माधवी को अपना खाना ले जाना चाहिये थे। यह सुन कर मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन चुप रहा। रात को सोते समय उस से पुछा कि ऐसा क्यों कर रही हो तो वह बोली कि और क्या करुँ? कोई मेरे सामने मेरे पति तो ले जाये तो मैं गुस्सा भी ना करुँ।

मैंने उसे समझाया कि सब कुछ तुम्हारें सामने तय हुआ था उस के बाद भी यह सब करना सही नहीं है। माधवी क्या सोचेगी? जो मर्जी सोचे, मैं क्या करुँ? मैंने उस से पुछा कि तुम तो मेरे साथ सोओं मत, जो सो रही है उस से जलों यह क्या है। कल में किसी और के पास चला जाता और तुम्हें पता भी नहीं चलता तो क्या होता। तुम्हें सब कुछ बता दिया फिर भी नाराज हो, जब तुम एक चीज तो शादी की मुख्य चीज है पति को नहीं दे सकती तो कोई दूसरी दे रही है तो जल क्यों रही हो।

कभी सोचना कि जो हुआ है वह क्यों हुआ है। इस में तुम्हारा बहुत बड़ा योगदान है। मैं इतने सालों से तुम्हें कुछ नहीं कहता था जैसा तुम चाहती थी वैसा ही करता रहा, लेकिन अब मैं भी इस से परेशान हूँ तथा अपने मन की करना चाहता हूँ। तुम तो नहीं बदलोंगी। मेरे पास भी तो एक ही जीवन है ना जाने कब बुलावा आ जाये, तो मैं क्यों ना अपने मन के शरीर के अरमान पुरे करुँ?

मेरी बात सुन कर वह चुप हो गयी। रात को मैं उस के साथ ना सो कर दूसरें कमरें में सोया। सुबह उठ कर तैयार हो कर माधवी के पास चला गया उस से कहा कि दोनों का दोपहर का खाना भी बना कर ले चले या कही बाहर खा लेगे। वह बोली की बाहर चलेगे। नाश्ता कर के हम दोनों निकल गये। रास्ते में मैंने पत्नी को फोन करके दोपहर के खाने के लिये मना कर दिया।

दोपहर का खाना खाने बाहर गये तो खाना खाते में माधवी बोली कि लड़ाई खत्म नहीं हुई अभी। मैंने कहा नहीं। वह बोली कि दीदी से बात करुँ? क्या करोगीं, जब मेरी नहीं सुनती तो तुम्हारी क्या सुनेगी। बड़ी जिद्दी है शादी से ही ऐसी है मैंने बड़ा कम्प्रोमाइज किया है लेकिन उस ने नहीं मानना तो नहीं मानना। यह सब मेरी वजह से हो रहा है? नहीं पुरानी कहानी है। उस की जिद्द अब मेरे से सहन नहीं होती। पुरा जीवन ऐसा तरसाया है कि कभी-कभी तो मन करता था कि घर से भाग जाऊं लेकिन फिर मन को मना लेता था। लेकिन अब बर्दाश्त नहीं होता।

शान्त हो जाओं। शान्त ही तो हूँ। बात करते है कुछ ना कुछ तो हल निकलेगा। हाँ यह हल निकलेगा कि मैं अपना मन मारुँगा और तुम अपना और वह अपनी मनमानी करेगी। अब यह नहीं होगा। ऐसा कैसे चलेगा। कुछ दिन के लिये तुम दोनों बाहर चले जाओ। क्या करेंगे, वहाँ जा कर भी लड़ेगे। मैं हार लाऊँ तुम साड़ी लाओं लेकिन उसे यह है कि दो क्यों लाये। सब कुछ समझा कर देख लिया है। उस समय तो हाँ कर देती है फिर बाद में पलट जाती है।

कुछ दिन के लिये बेटी के पास क्यों नहीं भेज देते,

यह भी कर के देख लेते है।

घर आ कर पत्नी से पुछा कि बेटी के पास जाना है तो वह बोली कि तुम नहीं चलोगें तो मैंने कहा कि नहीं मेरे पास समय नहीं है तुम कुछ दिन उस के पास रह आयों। बेटी आस्ट्रेलिया में काम करती थी। उस से पुछा कि मम्मी कुछ दिनों के लिये तेरे पास आ जाये तो वह खुश हो गयी। वीसा ले कर उसे बेटी के पास आस्ट्रेलिया भेज दिया। बेटी ने बताया कि मम्मी यहाँ पर खुश है हम दोनों खुब सारी शॉपिग कर रहे है।

एक दिन बेटी का फोन आया तो वह बोली कि आप दोनों में लड़ाई हुई है क्या तो मैंने उसे सब कुछ बताया तो वह बोली कि मम्मी की जिद ने आप को बहुत परेशान किया है अब जब सही समय आया है तब भी वह बदलने को तैयार नहीं है। मैंने कहा कि बेटा मैंने उसे सब कुछ समझाया लेकिन वह फिर भी अपनी जिद पर अड़ी है लेकिन इस बार में उस की जिद को मानने वाला नहीं हूँ कुछ मेरी भी जिम्मेदारियां है मुझे उन्हें भी देखना है, वह बोली कि मैं समझाऊँ तो मैंने कहा कि नहीं तेरी भी लड़ाई हो जायेगी। छुट्टियाँ सही से मनाने दे। हम दोनों तो ऐसे ही रहेगे। यह कह कर मैंने फोन रख दिया।

माधवी बोली कि बेटी को सब कुछ बता दिया। मैंने कहा कि वह सब कुछ समझती है। उसे सब पता है। लेकिन कुछ कर नहीं सकती। माधवी बोली कि अब मैं क्या करुँ? मैंने कहा तुम तो वही करों जो हम दोनों ने तय किया है। समय ही शायद इस समस्या को सुलझा सकता है। मैंने उसे बांहों में लेकर कहा कि बातें बंद कुछ प्यार करते है। वह मुझे चुम कर बोली कि तुम्हारें कितने रुप है कभी पता चलेगे। मैंने कहा कि तुम मेरे बारें में इतना जानती हो तुम्हें सब पता चल जायेगा। हम दोनों प्रेमी प्रेमालाप में मग्न हो गये।

सुबह माधवी ने शिकायत कि की तुम ने रात को बड़ा तंग किया था। मैंने कहा क्या किया। वह बोली की अंग-अंग दर्द कर रहा है। इतनी देर तक सेक्स करेंगें तो सुबह क्या हाल होगा। मैंने कहा कि किस्तों में करा करेगें तो वह बोली कि मारुँगी। मैंने कहा कि तुम्हारी मनमर्जी ही कर रहा हूँ। मैंने पुछा कि शायद तुम्हें भी कमजोरी है इसी के कारण परेशान हो। इस का भी इलाज करते है। वह बोली कि इस का भी इलाज है मैंने कहा हाँ भई है। या एक दिन छोड़ कर करा करें तय कर लों। वह बोली कि तुम पास हो तो मैं रुक नहीं सकती। लेकिन आज देखो नीचे दर्द हो रहा है। कितनी जोर से करते हो तुम। दया नहीं आती मुझ बेचारी पर? मैंने कहा कि दया क्यों करुँ मेरी चीज है जैसा मन करेगा करेगें।

वह मुझे मुक्के मारती हूई बोली कि आज चला भी नही जा रहा है। मैंने कहा कि डॉक्टर को दिखा लेते है। सेक्स तो नार्मल चीज है उस के बाद ऐसा तो नहीं होना चाहिये। वह बोली कि आज दिखा कर आती हूँ। यही सही रहेगा।

डॉक्टर ने कहा कि कुछ भी नहीं है थोड़ी थकावट है सो आराम कर ले। मुझे लगा कि वैद्ध जी से एक बार बात कर लेता हूँ ऐसा ही किया तो वह बोले कि बढ़ती उम्र मे ऐसा होने लगता है। मैं कुछ दवाइयां देता हुँ सही हो जायेगा। मैं जा कर दवाइयां ले आया। रात में माधवी को यह सब बताया तो वह बोली की सब जगह गा दिया। मैंने कहा कि अगर परेशानी है तो सलाह लेनी ही पड़ेगी। फिर उसे समझाया कि दवा कैसे लेनी है। वह दवा लेने के लिये मान गयी। मुझे भी लगा कि रोज सेक्स नहीं करना चाहिये। इस से भी शायद फर्क पड़े लेकिन साथ सोने के बाद तो यह हो नहीं सकता था सो मैंने अलग सोना शुरु कर दिया।

अब माधवी परेशान होने लगी। उस को प्यार से समझाया कि या तो तुम कुछ दिनों तक अपने में कंट्रोल रखना सिखो नहीं तो ऐसा ही करना पड़ेगा तो वह मान गयी कि वह अपने पर कंट्रोल रखेगी। उस ने अपना वादा निभाया भी। इस से यह फायदा हुआ कि शरीर में थकान कम हो गयी और परेशानी से मन पर पड़ रहा असर भी कम हो गया। काम पर ध्यान बढ़ गया। लेकिन हम दोनों के बीच प्यार और बढ़ गया क्योंकि दोनों एक दूसरे की इच्छाओं का पुरा ध्यान रखते थे।

कुछ दिन बाद माधवी मेरे से बोली कि चलों दीदी के पास चलते है आपकी बेटी के पास कुछ दिन रह कर दीदी को वापस ले आते है। यह चीज ज्यादा दिन नहीं चल सकती है। मैनें कहा कि मैं भी यही सोच रहा था, कुछ दिन आस्ट्रेलिया में भी बिता कर आते है। एक हफ्तें बाद हम दोनों भी बेटी के पास पहुँच गये। हमें देख कर वह खुश हो गयी, पत्नी भी खुश थी, हम सब लोग कुछ दिन आस्ट्रेलिया घुमते रहे फिर भारत वापस आ गये।

माधवी की बेटी से भी दोस्ती हो गयी। मुझे एक ही डर सता रहा था कि भारत पहुँचते ही माधवी और पत्नी में तनाव फिर से शुरु हो जायेगा और परेशानी बढ़ जायेगी। माधवी ने मेरी परेशानी समझ कर कहा कि आप चिन्ता मत करों, आपसे अलग रह कर दीदी भी समझ गयी है तथा मैं भी समझ गयी हूँ आशा है कि भविष्य में झगड़ा नहीं होगा या होगा तो बढ़ेगा नहीं। मैंने कहा कि मुझे इसी बात कर डर है।

वह बोली कि सब को एक और मौका मिलना चाहये। मैंने कहा मौके ही मौके है। वह मेरें हाथ को दबा कर चली गयी। पत्नी के पीछे माधवी को भी समझ आया था कि मेरें पास हर समय रहना हल नहीं है। हल है कि समय का सदुपयोग किया जाये। अपना हक दिखा कर हक नहीं मिलता वह तो अपने आप ही आप के पास आ जाता है। संबंधों के शुरुआत की लालसा में अब एक ठहराव आ गया था, लालच की जगह जिम्मेंदारी की भावना ने ले ली थी।