रहस्यमय संबंध

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मैं भी ऑफिस जाने के लिये तैयार होने में लग गया।

प्रेम का विकास

पुरा दिन ऑफिस में बहुत काम था, शाम को मुझे याद आया कि गिफ्ट लेना है फिर कुछ और भी ध्यान में आया तो माधवी को घर भेज दिया और अकेला बाजार चला गया। जान पहचान के ज्वैलर के पास जा कर उन से कुछ गिफ्ट के लिये दिखाने को कहा। जब गहने देख रहा था तो हीरों का एक हार बड़ा पसन्द आया उसे निकलवा कर देखा तो अच्छा लगा, सेल्सगर्ल ने कहा कि सर कुछ और भी डिजाइन है कहे तो दिखाऊँ? मेरे मन में कुछ चल रहा था सो कहा कि दिखाओं, डिजाइन बहुत बढ़िया थे एक पत्नी के लिये और एक माधवी के लिये खरीद लिया। गिफ्ट के लिये भी सोने का गहना खरीद कर पैक करवा लिया।

रात को जब घर पहुंचा तो माधवी मेरा इंतजार कर रही थी बोली कि कहाँ चले गये थे। मैंने उसे बताया कि पत्नी ने सोने का एक गहना लाने के लिये कहा था सो लेने गया था। वह कुछ नहीं बोली। खाना एक साथ खा कर जब माधवी अपने फ्लैट पर चली गयी तो मैंने सोचा कि इसे तो आज दे देता हूँ पत्नी को वही जा कर दूँगा। सरप्राइज रहेगा। रात को सोने के समय माधवी आयी तो बोली कि दिखायों क्या खरीद कर लाये हो तो मैंने गिफ्ट निकाल कर दिखाया। उसे देख कर बोली कि पसन्द तो तुम्हारी बहुत अच्छी है। मैंने कहा हाँ यह तो है पसन्द तो मेरी अच्छी है। मेरी बात सुन कर वह बोली कि अब अपने मुँह मिया मिठ्ठु ना बनों।

मैंने पुछा कि कमर में दर्द का क्या हाल है तो बोली कि सारे दिन मेरे साथ थे तब क्यों नहीं पुछा मैंने कहा कि ध्यान नही रहा। वह बोली कि झुठ मत बोलों सब ध्यान था बस कहो कि टाइम नहीं मिला। मैंने कहा कि जब पता है तो नाराज क्यों हो? अब तुम और मैं हुँ तभी तो पुछ रहा हूँ वह बोली कि हल्का सा था लेकिन पता नहीं चला। मैंने उस से आंख बंद करने को कहा तो वह बोली कि अब क्या है? मैंने कहा कि बंद तो करों उस ने इमानदारी से आंखे बंद कर ली मैंने हार निकाल कर उस के गले में पहना दिया और उसे शीशे के सामने खड़ा करके कहा कि अब खोलों तो उस ने आंख खोल कर शीशे में अपने को देख कर कहा कि यह क्या है मैंने कहा कि तुम्हारा गिफ्ट है बोली की कोई अवसर तो नहीं है मैंने कहा कि तुम्हारें मेरे मिलन से बड़ा कोई अवसर होगा मेरे लिये।

वह चुप हो कर हार को निहारती रही, फिर बोली कि बहुत सुन्दर है। मैंने कहा कि वहाँ पर दिखा तो पसन्द आ गया तुम्हारे लिये और पत्नी के लिये ले लिया, मन के किसी कोने में यह डर था कि पसन्द आयेगा या नहीं इसी लिये बदलने की बात कर के आया था। वह बोली कि बहुत सुन्दर है।

उन के लिये जो लाये हो उसे दिखाओं? मैंने कहा कि वह सरप्राइज है जब उस को दुँगा तब देख लेना। उस ने कुछ नहीं कहा। मेरे हार के बारें में क्या कहोगें, मैंने कहा कि क्या कहना है पसन्द आये तो दोनों के लिये खरीद लिये। वह चुप रही। काफी देर तक हार को पहने घुम-घुम कर निहारती रही फिर बोली कि तुम ना जाने कैसे मन की बात जान लेते हो? मैं कहने वाली थी कि मेरे पास कोई अच्छा हार नहीं है लेकिन उस से पहले ही तुम ने हार ला के दे दिया। मैं नें उसे लिपटा कर कहा कि दिल की बात दिल सुन लेता है।

उस की बांहें मेरे गले से लिपट गयी। कुछ देर बाद अलग हो कर वह बोली कि आज तुम अकेले ही सोयों, मैं अपने घर में सोती हूँ, ज्यादा प्यार नहीं करना है। फिर तुम्हें कुछ ना हो जाये। मैंने सर हिलाया। उसे बिठा कर कहा कि बात तो कर सकती हो। वह बोली कि क्या बात है कुछ बदल गया है। चुप रहने वाला आज बात करने की कह रहा है।

ऑफिस में तो बात कर ही नहीं पाते, यहाँ ही मौका मिलता है। काम के सिवा भी तो बात करने की होती है। वह चुप रही, फिर बोली कि क्या बात है, मैंने कहा कि परसों तुम और मैं जहाँ जा रहे है हो सकता है कि तुम्हारें कानों में कुछ पड़े तुम्हारें और मेरे संबंध में तो उस पर ध्यान नहीं देना, तो वह हँस कर बोली कि बस इतनी सी बात से परेशान हो? मैंने कहा कि परेशान नहीं हूँ इस लिये चिन्तित हूँ की तुम्हें बुरा ना लगे।

माधवी बोली कि अब इन सब बातों का असर नहीं पड़ता है तुम्हारें साथ में सारी दूनिया से लड़ सकती हुँ सब कुछ सोच कर ही आगे बढ़ी हूँ तुम मेरी तरफ से निश्चिन्त रहो। यह सुन कर मुझे चैन मिला।

आज तो दिन में तुम्हें नींद नही आयी थी,

तुम बताओ क्या हुआ था,

मुझे तो नहीं लगा।

अब कुछ ऐसा नहीं है।

जाने की तैयारी कर ली है?

हाँ सामान तो अलग कर दिया है कुछ और ले कर चलना है तो बता देना।

वहाँ आराम करने के लिये जगह की कमी रहेगी।

ऐसे मौकों पर तो ऐसा होता है।

बाहर कोई होटल बुक करवा दूँ।

होटल बुक तो करवा लो अगर जगह की कमी हुई तो हम सब रात को आराम तो कर पायेगे।

हाँ यही सही रहेगा। कल याद करा दूँगी।

मुझे कुछ याद आया तो पेंट की जेब से एक क्रीम निकाल कर माधवी को दी और कहा कि इसे निशान पर दो-तीन बार लगा ले दाग चला जायेगा। वह कुछ अनमनी सी दिखी तो मैं बोला कि जबरदस्ती भी करी जा सकती है। वह बोली कि अपनी चीज की बड़ी चिन्ता है। हाँ है तो। अपने आप लगा दो। मैंने उसे अपनी तरफ मोड़ा और उस के ब्लाउज को उतार कर ब्रा को खोल कर उस के उरोजों पर दवा लगा दी। वह चुपचाप लगवाती रही। जब दवा लग गयी तो बोली कि तुम सब की इतनी चिन्ता कैसै कर लेते हो, मैंने जबाव दिया कि मेरे डीएनए में यह घुला हुआ है।

उस ने क्रीम मेरे हाथ से ले ली और ब्लाउज सही करके बोली कि चलों पता तो चला कि इतनी चिन्ता करते हो नहीं तो कुछ बोलते ही नहीं हो। माधवी बोली कि अपनी चिन्ता क्यों नहीं करते? मैंने कहा तुम सब लोग हो ना मेरी चिन्ता करने के लिये। फिर हम दोनों दूनिया जहाँ कि बातें करते रहे। रात जब ज्यादा हो गयी तो वह बोली कि अब मैं सोने जा रही हूँ यह कह कर वह मुझे चुम कर चली गयी। मैं भी सोने की कोशिश करने लगा। थोड़ी देर में नींद आ गयी।

सुबह दोनों ऑफिस साथ गये, कुछ देर बाद ही माधवी बोली कि वह मार्किट जा रही है कोई काम तो नहीं है मैनें ना में सर हिला दिया। उस के बाद वह ऑफिस नहीं आई। शाम को जब मैं घर पहुँचा तो वह पहले से वहाँ पर थी। मुझे देख कर बोली कि तुम्हारें कपड़ें देख रही थी, वहाँ पर क्या पहनोगें? मैंने उसे अलग किये सुट, शर्ट, और पेंट दिखाये तो वह बोली कि सही चुने है। मैंने कहा कि तुम इन के साथ की बैल्ट वगैरहा सेलक्ट कर के बैग में रखवा दो, हाँ अंडरगारमेंट भी रखवा देना वह बोली कि उन्हीं को में देख रही थी तो पता चला कि साहब इस में भी लापरवाह है, नये ला दिये है।

सुबह कब निकलना है?

शाम का समारोह है 8-9 बजे चलते है, सफर में 5-6 घंटें तो लगेगे ही।

मैं नें उसे देखा तो वह मुस्करा रही थी। मतलब था कि आज उसे शैतानी करनी थी। अकेलेपन का पुरा फायदा उठाने के मुड में थी माधवी। मैं कपड़ें बदलने चला गया, वह पीछे से काम करवाती रही। खाना खाने के लिये उस के फ्लैट में गया तो वह मेरे मनपसन्द राजमा चावल बना कर बैठी थी। उसे पता था कि मैं रात को कम खाता था लेकिन मुझे पत्नी की बात याद आयी कि माधवी की खुशी के लिये कुछ ज्यादा खा लोगें तो कुछ नहीं होगा। यही याद रख कर मैनें राजमा चावल का भरपुर स्वाद लिया। यह देख कर माधवी बोली कि आज कम खाने की बात कहाँ गयी? मैंने जबाव दिया कि कभी कभी पेट की भी सुननी चाहिये। यह सुन कर उस के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी।

इस के बाद हम दोनों अपने अपने घर में सोने के लिये चले गये या कहे कि मैं अपने फ्लैट में सोने चला आया। पता था कि देर रात को उस ने आना है। वैसा ही हुआ नौकरों के जाते ही दरवाजा खटखटाया, मैंने जा कर खोला तो वह चुपचाप अंदर आ गयी। बेड पर जा कर बैठ गयी और बोली कि दूध तो नहीं पीना है मैंने हाँ में सर हिलाया तो किचन में दूध लेने चली गयी। दूध ले कर आयी तो बोली कि मैं दूध नहीं पी रही हूँ खाना ज्यादा खा लिया है। तुम्हारा साथ देने के चक्कर में ऐसा हुआ है।

मैं उस की बात सुन कर मुस्करा दिया मेरी मुस्कराहट देख कर बोली की मुस्करा क्यों रहे हो? मैंने कहा कि अब मुस्कराने पर ही रोक है? वह बोली कि जो आदमी कभी-कभी मुस्कराता हो तो पुछना बनता है। मैंने कहा कि खाना तो मैंने ज्यादा खाया है तुम्हारे साथ बैठ कर। अब जो परेशानी होगी वह रात को तुम ही झैलोगी। इस के बाद हम दोनों लेट गये।

दोनों के तन मे प्यास लगी थी उस का बुझना भी जरुरी था सो दोनों उसे बुझाने में लग गये। जब आग बुझी तो थक कर सो गये।

तनाव

पत्नी के पास शाम को पहुँचे तो वह हम दोनों को देख कर खुश हो गयी। सफर से थके थे सो आराम करने के लिये बैठे ही थे कि मेजबान आ गये। उन से माधवी का परिचय करवाया और बधाई दी। कुछ देर बाद जब हम तीनों अकेले हुये तो मैंने उसे हार निकाल कर दिया तो वह उसे देख कर खुश हो गयी। माधवी को देख कर बोली कि आप ने खरीदवाया है? माधवी बोली कि नहीं मैंने नहीं इन्होनें खुद ही खरीदे है। आप के लिये गिफ्ट लेने गये थे वही पर यह भी दिखे तो खरीद लाये।

मैंने उसे बताया पसन्द आने पर एक उस के लिये तथा एक माधवी के लिये खरीद लिये थे। मैंने पुछा कि पसन्द है तो जबाव मिला की अपनी पसन्द से लिया है तो पसन्द है। मैंने कुछ नहीं कहा लेकिन माधवी को शायद बुरा लग गया। लेकिन उस ने जाहिर नहीं किया। पत्नी बोली कि इस के साथ की साड़ी कहाँ से लाऊँ तो माधवी बोली कि इस का इन्तजाम मैं कर के लायी हूँ यह कह कर उस ने अपने बैग से साड़ी निकाल कर पत्नी के हाथ में थमा दी।

साड़ी देख कर पत्नी बोली कि यह तो इस के साथ जँच रही है। मैंने कहा कि माधवी तुम्हें कैसे पता चला कि हार के साथ क्या अच्छा लगेगा तो जबाव मिला कि इन का हार तो आप ने दिखाया नहीं था, इस लिये अन्दाजा लगाया कि हार तो मेरे जैसा ही होगा, उसी के साथ की सा़ड़ी कल खरीद कर तैयार करवा ली थी, ब्लाउज का साईज नहीं था नहीं तो मैचिग ब्लाउज भी सिलवा लाती।

यह सुन कर पत्नी बहुत खुश हुई और माधवी से बोली कि आप ने सही सोचा नहीं तो मैचिंग साड़ी के बिना यह हार नहीं पहन पाती। मैंने कहा कि इस बात के लिये माधवी को धन्यवाद तो दे दो। पत्नी बोली कि यह हम दोनों के बीच की बात है आप क्यों बीच में कूद रहे है। मैं चुप हो गया। इस के बाद दोनों तैयार होने के लिये चली गयी। मुझे तो तैयार होने में दस मिनट लगने थे, असली तैयार तो इन्होनें ही होना था। शाम के समारोह में दोनों सुन्दर लग रही थी, कई रिश्तेदारों नें यह बात दोनों से कही भी।

मैं चुपचाप सबकी बातें सुनता रहा। जब पत्नी ने मेजबान को गिफ्ट दिया तो उसे पा कर वह भी गदगद हो गये। शाम मजेदार रही सब नें समारोह का आनंद उठाया, रात को जब हम आराम करने होटल पहुँचे तो पत्नी बोली कि यह कब बुक करवा लिया। मैंने कहा कि कल ही करवाया था माधवी ने राय दी थी कि मेहमानों के कारण रात को आराम नहीं कर पायेगें इसी लिये अलग से होटल बुक करवा लेते है। पत्नी इस बात से भी बहुत खुश नजर आ रही थी। जब तीनों कमरें में बैठे तो पत्नी बोली कि आज माधवी ने साड़ी ला कर और आप ने हार ला कर पार्टी का मजा दूगना कर दिया। गिफ्ट से भी सब खुश नजर आ रहे थे।

उस ने माधवी से पुछा कि गिफ्ट खरीदने अकेले गये थे तो माधवी बोली कि हाँ बता कर नहीं गये थे। पत्नी ने प्रश्नवाचक नजरों से मेरी तरफ देखा तो मैंने माधवी के तरफ देख कर कहा कि मेरी शिकायत तो मत करों। अकेला इस लिये गया था क्योकि तुम दर्द से परेशान थी। मेरी बात सुन कर माधवी पत्नी से बोली की हाँ दर्द तो था कमर में। लेकिन मैंने बताया तो नहीं था। पत्नी बोली कि यह अन्तर्यामी है सब कुछ बिना कहे ही जान लेते है। मैं हँस दिया और बोला कि तुम दोनों का तो फायदा हो गया कि दोनों को नये हार मिल गये लेकिन फिर भी नाराज हो?

आदमी बिचारा करें तो क्या करें? मेरी बात पर दोनों हँस दी और पत्नी बोली कि मुझे आशा थी कि तुम माधवी को जरुर ले कर जायोगें क्योकि गहनों के बारें में तुम्हें क्या पता है? मैंने कहा कि गहनों के बारें में तो पता नही है लेकिन गहनें पहनने वालियों के बारें में पता है। मेरी बात पर दोनों हँस पड़ी और बोली कि चलो आज माफ किया। पत्नी माधवी से बोली कि तुम ने मेरा हार देखने के लिये नहीं मांगा था? तो उस ने जबाव दिया कि देखने के लिये मांगा था लेकिन यह कह कर मना कर दिया कि सरप्राइज है।

उन दोनों की बात सुन कर मैंने कहा कि यार बहुत अजीब बात है तुम दोनों के लिये हार लिये इस का धन्यवाद को मिला नहीं ऊपर से इतने सारें सवालों के जबाव देने पड़ें अलग से यह तो सही बात नहीं हैं मेरी बात पर दोनों बोली कि जबाव तो देने ही पड़तें हैं। मैंने पुछा कि कॉफी पीनी है तो माधवी बोली की नहीं कुछ हार्ड पीते है। मैंने पत्नी की तरफ देखा तो वह बोली कि मुझे माफ करों। माधवी बोली कि आप पी कर तो देखों अगर सही नहीं लगे तो अगली बार आप से नही कहेगें।

यह कह कर माधवी नें तीन कॉकटेल ऑडर कर दी। थोड़ी देर में वेटर कॉकटेल सर्व कर गया। माधवी और मैंने तो गिलास हाथ में ले लिया लेकिन पत्नी गिलास लेने में हिचकिचा रही थी माधवी ने गिलास उठा कर उस के हाथ में थमाया और तीनों से गिलास टकरा कर चियर्स किया। हम दोनों धीरे-धीरे सिप करने लगे लेकिन पत्नी कुछ सोच रही थी यह देख कर माधवी बोली कि आप चखों तो सही।

यह सुन कर पत्नी ने भी धीरे-धीरे पीना शुरु कर दिया। काफी देर तक कॉकटेल के साथ हम लोग बातें करते रहे। यह तय हुआ कि कल हम कुछ स्थानीय दर्शनीय स्थलों को देख कर परसों वापस लोटेगें। ड्रिक को खत्म करने के बाद माधवी अपने रुम के लिये चलने लगी तो मैं उसे रुम तक छोड़ कर आया, रुम तो बगल में ही था। उस ने दरवाजा बंद करते समय मुझे आँख मारी। मुझे कुछ समझ नहीं आया। जब अपने रुम में आया तो पत्नी बोली कि सर घुम सा रहा है मैंने कहा कि कपड़ें बदल कर लेट जाओं नींद आ जायेगी।

लेकिन वह तो इस बात से नाराज थी कि हार के बारें में उसे क्यों नहीं बताया था। उस की नाराजगी तो किसी और बात से थी लेकिन वह उसे कह नहीं रही थी। मैंने उसे बांहों में भरा और कहा कि गुस्सा थुक दो और आयों प्यार करते है शायद नशे की वजह से उस ने मेरी बात मान ली और हम दोनों प्यार करने लग गये। जोरदार दौर चला। उस ने शिकायत की, कि आज इतना समय क्यों लग रहा है? इस का मैं क्या जबाव देता। जब तुफान उतर गया तो दोनों थक कर सो गये।

सुबह नींद माधवी के फोन से खुली, उस ने कहा कि उठना नहीं है? मैंने कहा कि कितना बजा है तो जबाव मिला की सात बज रहे है। वह बोली कि रुम सही कर लो मैं चाय का ऑडर दे कर आ रही हूँ। मैंने देखा तो पत्नी भी उठ गयी थी बोली कि उसे आने दो हम तो तैयार है। कुछ देर बाद दरवाजा खटखटाया तो पत्नी ने ही खोला, उसे देख कर माधवी बोली कि मुझे लगा था कि आप सो रही होगी। पत्नी बोली कि नींद बहुत गहरी आयी थी, लेकिन इन्होनें जगा दिया था। तभी वेटर चाय ले कर आ गया, तीनों चाय पीने लगे। पत्नी बोली कि मैं विदा ले कर आती हुँ फिर घुमने चलते है। मैंने कहा कि ज्यादा देर मत लगाना। वह बोली कि नहीं जल्दी आ जाऊँगी। चाय पी कर वह नहाने चली गयी और उसके बाद तैयार हो कर रिश्तेदार के यहाँ के लिये चली गयी।

हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे। उस के जाते ही माधवी मेरे करीब आ कर बोली कि मौके का फायदा उठा लो। मैंने उसे पकड़ कर लिटाया और हम दोनों में संभोग शुरु हो गया। बिना फोरप्ले के दोनों खेल के लिये तैयार थे। जोरदार दौड़ लगी और उस के बाद तुफान आ कर चला गया। मैं थक कर सोने सा लगा तो वह बोली कि सोना मत नहाने चले जाओं, मैं भी नहा कर तैयार हो कर आती हूं। नहीं तो बदमाशी पकड़ में आ जायेगी। मैं नहाने चला गया और वह भी अपने रुम में चली गयी। मैं नहा कर तैयार हो कर बैठा ही था कि पत्नी वापस आ गयी और बोली कि नाश्ता ऑडर कर दो। तभी माधवी भी आ गयी, पत्नी को देख कर बोली कि नाश्ता करते है ऑडर कर दिया है। नाश्ता करके घुमने निकल गये। शाम को बाजार से दोनों ने भरपुर खरीदारी की। रात को पत्नी के साथ फिर से जोरदार संभोग हुआ। सुबह घर के लिये वापस चल दिये।

शाम को घर पहुँच कर लगा कि थकान हो गयी है। दो दिन से भाग ही रहे थे। मैं आराम करने लग गया। कुछ देर बाद माधवी कपड़ें बदल कर आयी और पत्नी से बात करने लगी। काफी देर तक उन की बातचीत चलती रही फिर माधवी वापस चली गयी।

रात को पत्नी मेरे पास आयी और बोली कि एक बात पुछनी है बुरा नहीं मानना। मैनें कहा कि तुम्हारी बात का क्या बुरा मानुँगा और मानुँगा तो जाऊँगा कहाँ? वह बोली कि गम्भीर बात है मजाक मत करो। मैं चुप हो गया, कुछ देर बाद वह बोली कि मुझे यह बात समझ में नहीं आयी कि तुम मेरे लिये हार लाये तो माधवी के लिये क्यों लाये? मैनें उस से पुछा कि क्या उस के लिये नहीं ला सकता? आज यह धन दौलत किस की दी हुई है, यह सब तुम्हें पता है फिर भी ऐसी बात करती हो?

वह बोली कि एक साथ क्यों लिये। मैंने कहा कि ऐसे ही पसन्द आ गये तो दोनों के लिये ले लिये क्योकि दोनों ही मेरे लिये प्यारी है, उन की जिम्मेदारी मेरी ही है, तुम दोनों के सिवा मैं और किस के लिये खरीद सकता हूँ सो दोनों के लिये खरीद लिये। इस के सिवा कोई और कारण नहीं था। वह बोली कि तुम ने उस को और मुझ को एक बराबर कर दिया है।

मैंने कहा कि यह बात तुम्हें बताना चाहता था, कि उस की जिम्मेदारी भी अब मेरी है जैसी तुम्हारी है इसी लिये जो तुम्हारें लिये करुँगा वही उस के लिये भी करुँगा। पत्नी बोली कि यह तो मुझे पता है कि उस की जिम्मेदारी हमारी है लेकिन इस जिम्मेदारी में क्या-क्या शामिल है? मैंने कहा कि आराम में बैठों तुम्हें कुछ खास बात बताता हूँ, जब वह बैठ गयी तो मैंने कहा कि हो सकता है मेरी बात तुम्हें बहुत बुरी लगे और तुम मेरे से नाराज भी हो जाओं लेकिन तुम्हें बताना जरुरी है।

मैं तुम से और माधवी दोनों से प्यार करता हूँ दोनों के बिना जी नहीं सकता। उस का प्रवेश मेरी जिन्दगी में बाद में हुआ है, कैसे हुआ है, क्यों हुआ है इस का अब कोई मतलब नही हैं। वह भी तुम्हारी तरफ अब मेरी जिन्दगी का एक भाग है। इस से ज्यादा मैं तुम्हें कुछ बता नहीं सकता। तुम मुझ से घृणा कर सकती हो, नाराज हो सकती हो लेकिन यही सच है तुम्हें अब उसे भी परिवार की तरह स्वीकार करना पड़ेगा। कभी समय मिलेगा तो मैं तुम्हें सारी बात समझाऊँगा लेकिन अभी सिर्फ इतना समझ लो।

वह भी तुम्हारी कितनी चिन्ता करती है कि तुम अच्छी लगों इस लिये मुझे बिना बताए साड़ी लाई और उसे तैयार कराया, यह सब बताता है कि वह भी तुम्हें चाहती है, तुम्हारी चिन्ता करती है। नहीं तो उसे क्या पड़ी थी कि वह ऐसा करती, मैंने तो उसे तुम्हारा हार दिखाया भी नहीं था। उसी ने होटल का आयडिया मुझे दिया नहीं तो मैं तो पहले की तरह किसी कोने से सो कर रात काट लेता। हम तुम तो नीचे से उठे है इन बातों पर ध्यान नहीं देते लेकिन वह हमारी इज्जत के लिये इन छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखती है। तुम्हें भी उस का ध्यान बड़ी बहन की तरह रखना चाहिये, तुम रखती भी हो मुझे पता है लेकिन उसे दिखाती नहीं हो, दिखाया करो ताकि उसे भी पता चले कि तुम उसे कितना चाहती हो।

मेरी बात सुन कर पत्नी कुछ देर चुप रही फिर बोली कि यह तो मुझे पता है कि तुम्हें उस की देखभाल करनी है लेकिन उस की क्या सीमा होगी मुझे पता नहीं था लेकिन आज तुम ने वह भी बता दी। मैं तुम्हारी हालत समझती हूँ मालिक साहब के अहसान इतने है कि हम इस जीवन में तो उन्हें चुका नहीं सकते, तुम्हारें और माधवी के बीच जो भी संबंध है उस को भी मैं समझती हूँ मुझे पता है कि मेरे से तुम्हारी सेक्स लाईफ नहीं मिलती है वह जवान है तुम्हें चाहती है तो मैं तुम दोनों के बीच में बाधा नहीं बनुँगी लेकिन अपने घर में किसी का हुक्म नहीं चलने दुँगी। मैंने कहा कि तुम्हारें घर में कोई दूसरा कैसे हुक्म चला सकता है जब कि मैं भी हुक्म नहीं चलाता तो किसी तीसरे की क्या बिसात है। मेरी बात सुन कर वह हँस पड़ी और बोली कि यह तो है।

तुम सबसे बड़ी हो इस लिये माधवी को गाइड कर सकती हो, वह कोई राय दे तो उसे सुन सकती हो पसन्द हो तो मानो ना पसन्द हो तो ना मानो। कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। इसी लिये मैं शुरु से दोनों घरों को अलग-अलग कर के चल रहा हूँ कि तुम दोनों में कोई टकराव ना हो। मेरे को लेकर भी कोई टकराव नहीं होना चाहिये, नाराजगी भी नहीं होनी चाहिये। मैं अगर कुछ भी लाऊँगा तो दोनों के लिये लाऊँगा नहीं तो किसी के लिये नहीं लाऊँगा, तुम दोनों अपने आप ला सकती हो।

मेरा माधवी का संबंध कैसा है मैंने तुम्हें आज समझा दिया है। समाज को समझाने की कोई आवश्यकता नहीं है हमारे बुरे समय में समाज ने मजाक बनाने के सिवा कुछ नहीं किया था सो मुझे किसी की चिन्ता नहीं है तुम्हें भी नही होनी चाहिये। अपने घर की मेरी या माधवी की किसी से बात नही करो। यही हम सब के लिये अच्छा रहेगा। सब लोग हमारी तरक्की से जलते है। उन्हें ऐसे ही जलने दो, तुम तो बस जिन्दगी का मजा लो। तुम्हें सेक्स ज्यादा पसन्द नही है कोई बात नहीं, मैं माधवी के साथ अपनी इच्छा पुरी कर लुगाँ, तुम्हें परेशान नहीं करुँगा।

अगर माधवी मेरे को ले कर कुछ कहें तो उसे सुन लेना नाराज मत होना, तुम से मैं बस यही चाहता हूँ जीवन के अब कुछ वर्ष ही बचे है इन का पुरा आनंद लो। और सब कुछ भुल जाओ। मैं यह कह कर चुप हो गया। दोनों काफी देर तक ऐसे ही बैठे रहे। फिर पत्नी मुझ से बोली कि इतना सब इतनी सफाई से बोल दिया। मुझे कुछ कहने का मौका भी नहीं दिया। मैं तो हमेशा तुम्हारें साथ थी, साथ हुँ और साथ खड़ी रहूगीं।

मैंने कहा कि हम दोनों से कितना बुरा समय एक साथ झेला है तो अब अच्छा समय भी एक साथ झेल लेगे। यह सुन कर वह बोली कि हाँ यह तो है। तुम एक बार यह सब बातें माधवी के सामने भी कहना देखुँ वह क्या कहती है? मैंने कहा कि उस के कुछ कहने से कुछ नहीं बदलेगा। वह अब हमारी है यही सत्य है उसे भी यह पता है और वह यह मानती है।

तुम दोनों में ज्यादा नहीं बनती है मुझे पता है कल तक वह मालकिन थी आज तुम भी उस के बराबर हो शायद यह भी एक कारण है लेकिन वह ऐसा कभी दिखाती नहीं है। तुम से बड़ी चीज माँगी है लेकिन और किसी से माँग भी नहीं सकता। पत्नी बोली कि माधवी को अभी बुलाओ। मैंने कहा कि बाद में बात कर लेगे तो वह बोली कि नहीं बाद में क्यों अभी क्यों नहीं।

मैंने माधवी को फोन करके कहा कि वह आ जाये कुछ बात करनी है। कुछ देर बाद माधवी आई तो सारे नौकरों की छुट्टी कर दी और दरवाजा बंद करके बेडरुम में आयी। वह आ कर खड़ी हो गयी तो पत्नी ने कहा की माधवी बैठों तो वह कर्सी पर बैठ गयी। उसे भी शायद अंदाजा था कि क्या बात चल रही है। इस लिये नौकरों की छुट्टी कर के आई थी। कुछ देर की चुप्पी के बाद मैंने माधवी से कहा कि मैंने अपने और तुम्हारें संबंध के बारे में इन को सब कुछ बता दिया है। इन से मैं कोई बात छुपा नहीं सकता जैसे अब तुम भी हर बात जानती हो। तुम दोनों ही मेरा जीवन हो। तुम दोनों के लिये ही मैं जी रहा हूं।

इस लिये मेरी इच्छा है कि हम तीनों के बीच कोई मतभेद ना हो। लड़ाई हो लेकिन वह इस घर के दायरे से बाहर ना जाये। पत्नी शायद तुम से कोई बात करना चाहती है तुम भी जो कहना चाहती हो कह सकती हो, तुम्हारा भी पुरा अधिकार है। मेरी बात सुन कर माधवी चुप रही, पत्नी ने उस से कहा कि माधवी एक तो तुम मुझे दीदी या मेरा नाम लेकर बुलाना शुरु कर दो मुझे आसानी रहेगी। मैं भी तुम्हें माधवी के नाम से पुकारुँ तो तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं होगी।

माधवी बोली कि आप मेरे से बड़ी है तो नाम लेना तो सही नहीं रहेगा दीदी ही सही रहेगा। आप मेरा नाम ले सकती है। यह कह कर वह चुप हो गयी। पत्नी बोली कि तुम अब हमारे परिवार का हिस्सा हो जैसे हम है वैसी ही तुम भी हो। हम तो तुम्हारी चिन्ता करते है तुम भी हमारी चिन्ता कर सकती हो। हम सब को एक-दूसरे की चिन्ता करनी पड़ेगी और कोई नहीं करेगा।

पत्नी यह कह कर चुप हो गयी। माधवी भी चुप रही, मैं नें कहना शुरु किया कि माधवी मैंने इन को अपने और तुम्हारें संबंध के बारें में सब कुछ बता दिया है। यह भी बता दिया है कि दोनों ही मेरे लिये प्यारी हो, मेरे जीवन का आधार हो, तथा तुम दोनों की जिम्मेदारी मेरी है। तुम्हें क्या लगता है मैं कुछ भुल गया हूँ या सब कुछ बता दिया है। सन्नाटा छाया रहा। कुछ देर बाद माधवी बोली कि इन के जाने के बाद मुझे लगा था कि मैं अब बिल्कुल अकेली रह जाऊँगी लेकिन इन्होनें मेरी इस तरह देखभाल की है कि मैं कह सकती हुँ की वह भी जब थे तब इतनी देखभाल नहीं करते थे।