अनजाने संबंध Ch. 07

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नदी से लड़की का बचाव और उस के बाद की घटनाएँ
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Part 7 of the 8 part series

Updated 07/04/2023
Created 06/17/2023
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अनजाने संबंध Ch. 06 से आगे की कहानी

*********************************************

शीत युद्ध की समाप्ति

*******************

नाश्ते के समय दोनों एक दूसरे से बात कर रही थी, माधवी बोली कि आज का क्या प्रोगाम है। मैंने आशा कि तरफ देख कर पूछा कि

कहाँ चलना है

कही चलते है

पास में झील है उस पर चलते है काफी शानदार जगह है

देखी तो नही है लेकिन उस के बारे में सुना है।

तय हुआ कि झील पर चलते है और दोपहर का खाना वही खायेगे, रात का खाना घर में ही बनेगा। कहीं से लाना नहीं है। आज दोनों से साड़ी पहन रखी थी। मुझें तो दोनों अच्छी लग रही थी अच्छा हुआ कि किसी ने पुछा नही की कैसी लग रही हूँ। किसी एक को अच्छा कहता तो दूसरी नाराज हो जाती।

आधे घन्टे में झील पर पहुँच गये, झील शानदार थी चारों तरफ से पहाड़ों से घिरी हुई थी, झील के किनारे पर रेलिग लगी थी तथा उसके साथ सड़क बनी थी उस पर घुमते-घुमते सारी झील दिख जाती थी। झील में नाव भी चल रही थी दोनों ने नाव में जाने से मना कर दिया। मैं दोनों की झील के किनारे फोटो लेने लगा। दोनों आज बड़े दिल से फोटो खिचँवा रही थी। मौसम सुहावना था झील के चारों तरफ घुमने में मजा आ रहा था ज्यादा भीड़ नही थी एकान्त सा था तीनों का समय अच्छा कटा, झील के पास ही ढ़ाबे पर दोपहर का खाना खा लिया फिर घर के लिए वापस चल पड़े रास्ते में मौसम बदल गया बुंदा बांदी शुरु हो गयी। घर पहुँचते ही जोरदाक बारिश होने लगी। घर में घुस कर मैंने कहा कि अच्छे समय पर निकल आये नही तो वही पर भीग जाते तो आशा बोली कि भीगने का मजा भी ले लेते।

मैंने कहा कि तुम तो डॉक्टर हो बीमार पड़ने से नही डरती लेकिन मैं तो डरता हूँ। माधवी ने भी मेरी बात से सहमति जताई। घर आ कर चाय पीने का मन कर रहा था तो मैं चाय बनाने के लिए किचन में जाने लगा तो दोनों बोली कि तुम पर किचन में जाने की रोक लगी है। मैंने हँस कर कहा कि कल सजा भुगत तो ली है। वो बोली कि सजा तो अभी अधुरी है मैंने कानों को हाथ लगाये और कहा कि चाय तो बना लाओ।

आशा चाय बनाने चली गयी तो माधवी मुझ से बोली कि रात को क्या खाना है मैंने कहा कि जो तुम बनाओ। उस ने कहा कि आशा से भी पुछ लेती हूँ। मैं कपड़ें बदले चला गया। माधवी आशा के कमरे में जा कर उस से बात कर रही थी और मैं कपड़ें बदलने के बाद बाहर बरामदे में खड़ा हो कर बरसती बारिश का आनंद उठा रहा था, कुछ देर बाद दोनों चाय लेकर मेरे पास आ कर बैठ गयी और बोली कि तुम्हें डुबते सूरज को देखने में बड़ा मजा आता है, मैंने कहा कि डुबता सूरज यह बताता है कि कल में फिर निकलुगाँ। आशा ने कहा कि बातों में तो कोई इस से जीत नही सकता है। माधवी हँसने लगी और बोली कि इसी वजह से मुझें पसन्द है इन कि बातों ने ही मुझें अन्धकार से बाहर निकाला है। आशा ने कहा कि यह तो सही बात है।

मैंने कहा कि मुझें चने के झाड़ पर चढ़ाना बन्द करो। कुछ और बात करो। खाने के बारे में क्या तय किया है। आशा बोली कि मैं कुछ नुडल्स के पैकिट लाई थी सो हम चाऊमिन बना रहे है और उस के साथ सुप भी है। मेरे ख्याल से इस से काम चल जायेगा, मैंने कहा कि देख लो तो माधवी बोली कि रात की पार्टी के लिए पकोड़े भी बना रहे है। नमकीन भी है। मैंने कहा कि यह सही रहेगा। हमारी बातों में शाम डुब गयी। हम तीनों कमरे में आ कर बैठ गये। दोनों किचन में चली गयी फिर आशा आ कर मेरे पास बैठ गयी और बोली कि कल तो मैं प्यासी रह गई थी आज तो मेरी प्यास बुझा देना, मैंने कहा कि होश में रहेगें तो ना प्यास बुझेगी होश खो देने के बाद कुछ हो नही पाता है।

आशा ने कहा कि कल की तरह नही करेगे। थोड़ी-थोड़ी ही लेगे। मैंने कहा कि ऑर्जरी नही करेगे, अलग अलग करेगे ताकि कोई प्यासा ना रह जाये। आशा ने खुश होकर मेरा माथा चुम लिया। मैंने उसे हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा का कहा कि सब कुछ सही हो जायेगा, चिन्ता मत करो। वो बोली की कल से पहले तो मुझें लगा था कि मैंने तुम्हारे पास आ कर गल्ती कर दी है माधवी को ऐसा लग रहा था कि मैं तुम्हे छीन कर ले जाऊँगी। मैंने कहा कि तुम्हे सब कुछ तो बता दिया है तुम खुद उस की मानसिक हालत को समझ सकती हो। तुम तो इतनी समझदार हो उम्र में उस से बड़ी हो, ज्यादा अनुभवी भी हो फिर भी बेकार की चिन्ता करती हो। सब कुछ सही होगा। ज्यादा पीना मत। आशा सर हिलाती हूई चली गई।

खाने के बाद पार्टी के लिये सामान मेज पर सज गया, मैंने कहा कि व्हीस्की से ही काम चला लेते है, माधवी ने तीन पैग बनाये और सब पीने लगे, नमकीन और पकोड़ों के साथ मजा आ रहा था, कब पैग खत्म हो गया पता नही चला फिर दूसरा पैग उसके बाद तीसरा और चौथे तक सब की हालत कल जैसी हो चुकी थी माधवी से तो खड़ा भी नही हुआ जा रहा था तो मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया और रजाई उढ़ा दी। आशा और मैं थोड़े होश में थे इस लिये चुप चाप बैठे थे मैंने उठ कर माधवी को देखा तो वह गहरी नींद में थी।

आशा भी हिल सी रही थी मैंने उस से कहा कि चलो तुम्हे भी सुला दूँ। यह कह कर मैं ने उस की बाँह पकड़ कर उठाया तो वह बोली कि गोद में उठा कर ले चलो। मैंने उसे गोद में उठाया और उस के कमरे की ओर चला, कमरे में पहुँच कर उसे बिस्तर पर लिटाया तो वह लेट तो गयी लेकिन उस ने मुझें भी अपने साथ गिरा लिया। मैं भी नशे में था वही उस की बगल में लुढ़क गया। कुछ देर बाद आशा ने मेरे कान में कहा कि आज तो मेरा साईज ध्यान रखोगे ना। मैंने हैरानी से उसे देखा तो वह सोई सी लग रही थी उस ने अपने से मेरे से लपेट लिया और बोली अब तो मेरी ख्वाईश पुरी कर दो।

मैंने उसे चुमा तो वह मेरे ऊपर आ गयी उस के भरे स्तन मेरे को ललचा रहे थे ब्लाउज से बाहर झाँक रहे थे मैंने हाथ से उन्हे दबोचा और दबाना शुरु किया उस ने शायद ब्रा उतार दी थी मैं उन्हें मसलाता रहा। आशा के होंठों ने मेरे होंठों को चुसना काटना आरम्भ कर दिया। मेरे हाथ उस की पीठ से हो कर उस के कुल्हों पर पहुंच गये और उन्हें दबाने लग गये। साड़ी तो कब की उतर गयी थी मैंने हाथो से ब्लाउज खोलने की कोशिश की तो सफलता नही मिला हाथ बगल में करा तो बता चला कि ब्लाउज जिप वाला था साईड़ में जिप लगी हई थी उसे खोलना पड़ेगा मैं हाथ डाल कर उस का एक स्तन बाहर निकाल लिया और उसे होठो के बीच ले लिया। इस से आशा को बड़ा दर्द हो रहा था तो उसने उठ कर अपने आप ही ब्लाउज की जिप खोल कर उसे उतार दिया मेरी तो मौज हो गयी मैं दोनों हाथों से उस के उरोजो को मसले और काटने लगा। उस के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी।

उस के हाथ मेरे पायजामे के अन्दर घुस कर लिंग को ढुढ़ रहे थे उस के मिल जाने के बाद उस को दबाना मसलना चालू हो गया। मैंने भी अपना पायजामा और ब्रीफ उतार दी उपर के कपड़ें भी उतार दिये। आशा के हाथ मेरे पुरे बदन पर फीर रहे थे सिहरन के साथ उत्तेजना भी शरीर में भरती जा रही थी। मैं ने भी आशा के पेटीकोट और पेंटी को उतार दिया। मेरी ऊंगलियों ने उस की योनि में घुस कर घर्षण करना शुरु कर दिया। मुझें उस का जी-स्पाट मिल गया था मैं उसे सहला रहा था आशा के चेहरे पर आनंद के कारण लाली छा गयी थी। आशा ने मेरे होठो पर चुम्बन किया मैंने उस के होठो को काट लिया उस ने भी मेरे होंठ को काट लिया।

मैंने आशा को पीठ के बल लिटा कर 69 की पोजिशन में आ गया, उस की योनि को चुमने के लिए मेरे होंठ मचल रहे थे पहले तो क्लोरिट को होंठों में ले कर चुमा और जब वह तन गयी तो जीभ को योनि के अन्दर डाल दिया। योनि के अन्दर बड़ी गरमी थी नमकीन स्वाद जीभ को अच्छा लग रहा था, आशा ने भी मेरे लिंग को मुँह में ले लिया और उस को चुसने लगी। लिंग तन कर पुरी लम्बाई ले चुका था छह इंच लम्बा और चार इंच मोटा हो गया था उस के मुँह में मुश्किल से जा रहा था। दोनों के शरीर में नशे के साथ वासना का उभार पुरे शबाव पर आ चुका था मैंने अपने को उस के पेरों के बीच कर के उस की योनि में लिंग डाल दिया उस ने हल्की सी कराह सी करी लेकिन मुझें अपने आलिंगन में जोर से कस लिया।

पुरा लिंग योनि में जाने के बाद मैंने पुरे जोर से धक्कें लगाने शुरु कर दिेये नीचे से आशा के कुल्हे भी मेरे धक्कों का साथ उछल कर दे रहे थे। काफी देर तक मैं ऐसा करता रहा फिर मैंने उस के दोनों पैर उठा कर अपने कन्धों पर रख लिये और लिंग योनि में डाला इस बार योनि बहुत कस गयी थी आशा भी सर पटकने लगी लेकिन मैं अपनी धुन में मस्त धक्कें लगाता रहा। जब लगा कि चरम आने को है तो पैरों को नीचे कर दिया आशा के दोनों पैर मेरे पैरों से लिपट गये उपर से उस के दोनों हाथो ने मुझें कस रखा था, मेरे शरीर में इतनी गरमी हो रही थी कि लग रहा था कि आग लगी है।

अचानक मेरी आंखों के सामने तारे झिलमिलाने लगे और चेतना कुछ पल के लिये चली गयी। जब आई तो मेरे लिंग के मुख पर आग बरस रही थी मेरा वीर्य इतना गरम था कि उस की गरमी लिंग के मुख को झुलसा रही थी थोड़ी देर बाद उस पर गरमागरम पानी की बारिश ही होने लगी। आशा भी स्खलित हो गयी। गरमी सहन नही हो रही थी। दोनों निढाल हो कर एक दूसरे की बगल में लेट गये। कब सो गये पता नही चला। सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा कि आशा मेरे से लिपट कर सो रही है। दोनों के शरीर पर कोई कपड़ा नही था। मैंने उठ कर अपने कपड़ें पहने और आशा का पेटीकोट उसे पहना दिया और उस पर रजाई डाल उढ़ा दी। साड़ी ब्लाउज पेंटी सब नीचे पड़ी थी उन्हे उठा कर बिस्तर पर रख ही रहा था तो आशा भी जग गयी। अंगडाई लेकर उठी तो मैंने कहा कि कुछ टुट ना जाये तो वह बोली की कुछ साबुत बचा कहाँ है? मैंने कहा कि तुम्हारे कपड़ें रखे है पहन लो मैं जा कर माधवी को देखता हूँ।

माधवी के कमरे में जा कर देखा तो वह रजाई में दुबकी पड़ी थी उस के चेहरे की मासुमियत देख कर एक बार तो मन करा कि चुम लूं लेकिन रुक गया कि अभी इसे सोने देते है। वापस आशा के कमरे में आया तो वह कपड़ें पहन रही थी बोली कि लाड़ली के पास हो आये मैंने कहा कि इस में कोई शक नही है कि वो मेरी लाड़ली है लेकिन तुम भी तो खास हो। बोलो तुम्हारे मन का करा है या नही। आशा ने गरदन हिलायी। मैं उसे कपड़ें पहनता देखता रहा तो वो बोली कि उतरना जानते हो तो पहनाना भी तो सीखों मैंने कहा कि बोलों क्या पहनाऊँ उस ने कहा कि पेटीकोट पहना कर काम खत्म हो गया था, मैंने कहा कि तुम्हारा ब्लाउज जिप वाला है उसे पहनाना नही आ रहा था और कोई कपड़ा दिखा नही इस लिए ऐसा किया। बोली कि अब तो पास आयो ना मैं पास गया तो वो बोली की खा नही जाऊगी। मैंने कहा कि खड़ा तो हूँ हुक्म करो क्या करूँ तो उस ने कहा कि ब्लाउज गले से डाल कर उस की दोनों जिपों को लगा दो। मैं ऐसा ही किया उस ने साड़ी पहन ली।

मैं उसे देखता रहा कि वह कितनी सेन्सुअल लग रही थी आशा ने मुझें घुरते देखा तो बोली कि रात से मन नही भरा। मैंने कहा कि होश ही नही है कि क्या करा था। बोली कि नशे के बिना तुम तो मेरे पास नही आ सकते हो। मैंने कहा कि ऐसा नही है पहले कुछ कारण था जो अब हट गया है। मैं धीरे से उस के पास गया और उसे बाहों में भर कर बोला कि कभी तो मुझ से प्यार से बोल लिया करो यार दोस्त हूँ दुश्मन नही हूँ। मेरी छोटी सी खता की ऐसी सजा तो मत दो, उस ने पुछा कि नशे में तो नही हो। मैंने कहा कि अब तो तुम्हारा नशा चढ़ रहा है उस ने मेरी छाती पर मुक्के मार कर कहा कि तुम बड़े वो हो। मैंने उसे छोड़ दिया लेकिन वो तो मुक्त होना ही नही चाहती थी मैं ने उसे अलग करा और कहा कि चाय पीनी है तो बताओ तो वो बोली कि माधवी को जगा दो मैं सब के लिए चाय बना कर लाती हूँ।

मैं फिर से माधवी के पास चला गया वह अभी भी सो रही थी मैं उस के साथ बिस्तर में लेट गया उस के बाहें शायद मेरा ही इन्तजार कर रही थी मेरे से लिपट गयी उस के पांव भी मेरे पर आ गये मैंने उसे अपने से लिपटा लिया और उस के होंठों पर होंठ रख दिये। उस के दातों ने मेरे होंठ को काट लिया। मैंने उस के पेटीकोट में हाथ डाल कर देखा तो उस की पेंटी गीली थी। मैंने उसे उतार दिया और उस को अपने से चिपका कर अपना पायजामा भी खिसका लिया। लिंग को उस की योनि में डालने की कोशिश की तो सफल नही हूआ। उस के कपड़ें थोडी और नीचे करे तब जा कर उस में प्रवेश कर पाया। अन्दर की गरमी और गीलेपन से राहत सी मिली और में संभोग रत हो गया माधवी कसमसाई और आँखे खोल कर बोली कि जगह तो बना लो दर्द हो रहा है मैंने कहा कि रुका नही जा रहा है तुम पीछे की तरफ घुम जाओ वो पलट गय़ी मेरे को उस में प्रवेश करने का मार्ग मिल गया और मैं जोर-जोर से धक्कें देने लगा। कुछ देर बाद स्खलित हो गया माधवी ने मेरी तरफ करवट ले कर कहा कि इतनी भी क्या जल्दी है मुझें भी मजा लेने देते मैंने कहा कि रुका ही नही जा रहा था। यह सुन कर वह मुझ पर चढ़ गयी और चुमने लगी। बोली कि सारा गीला कर दीया है कपड़ें बदलने पड़ेगे मैंने कहा तो बदल लो।

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