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इस के बाद सोने के समय पत्नी बोली कि मैं तो बहुत थक गयी हूँ आज तुम्हारा साथ नही दे पाऊगी, सोने जा रही हूं। नेहा ने कहा कि दीदी दुध पी कर सोने जाना, उस की बात सुन कर वह बोली की हाँ दुध से नींद अच्छी आती है, इन को भी दुध पिलाने की आदत डाल दो, ये दुध नही पीते है। नेहा ने मेरी तरफ देखा तो मैंने कहा कि किसी वजह से दुध पीना छोड़ दिया है लेकिन अब फिर से पीना शुरु कर देता हूँ। यह सुन कर पत्नी बोली कि अच्छी बात है अब से जो भी बात इन से मनवानी होगी तेरे से कह दुँगी। नेहा ने मुझे देख कर कहा कि आप को लगता है कि यह मेरी बात मानते होगे, पत्नी बोली की प्रेमिका की बात तो माननी पड़ती है बीवी की बात कौन मानता है, बीवी नाराज हो कर कहाँ जायेगी। मैंने कहा कि इस पुराण को यही पर विराम दे दो नही तो रात इसी में गुजर जाएगी। मेरी बात सुन कर नेहा हँसती हुई किचन में चली गयी।

मैं उस के कमरे में सोने के लिए चला आया। थोड़ी देर में नेहा दो गिलास दुध ले कर आयी और बेड के साईड टेबल पर रख कर बोली कि आप तो किसी की बात ही नही मानते हो, दीदी बता रही है कि काफी समय से दुध पीना छोड़ दिया है, क्या कारण है, मैंने कहा कि मुझे एक बीमारी थी जिस में दुध पीने से बीमारी बढ़ जाती है इस लिए दुध छोड़ दिया था, बचपन से मैं तो नियमित रुप से रात को दुध पीता आया हूँ। नेहा ने कहा कि चलो अब तो पी लो, यह कह कर उसने एक गिलास मुझे पकड़ा दिया मैंने चुपचाप गिलास उस के हाथ से ले कर दुध पीना शुरु कर दिया। कुछ देर बाद दुध पी कर गिलास वापस नेहा को दे कर कहा कि देख लिया की मैं दुध भी पी लेता हूँ। तुम भी पी लो, नेहा ने कहा कि मैं अभी बाद में पीती हूँ। पहले दीदी को देख कर आती हूँ यह कह कर वह कमरे से निकल गयी।

वह थोड़ी देर बाद लौटी तो बोली कि दीदी तो इतनी थकी थी कि दुध पीते ही सो गई है। उन के खर्राटों की आवाज आ रही है। मैंने कहा कि उसे ज्यादा घुमने की आदत नही है इस लिए जल्दी थक जाती है। यह कर कर मैंने नेहा का हाथ पकड़ कर खीचाँ तो वह बोली की अभी आती हूँ। घर के दरवाजे बन्द कर आऊ। मैंने उस का हाथ छोड़ दिया। वह हँसती हूई चली गई। मैं पीठ सीधी करने के लिए सीधा लेट गया, थका हुआ तो था ही नींद में खो गया। कब नेहा साथ में आ कर लेट गयी मुझे पता ही नही चला। जब उस के हाथ और पैर मेरे ऊपर आये तो मेरी नींद टुटी। मैं चौक कर उठ बैठा यह देख कर नेहा भी उठ गई और बोली कि क्या हुआ उठ क्यो गये। मैंने कहा कि मुझे भी झपकी आ गयी थी। उस ने कहा कि इस में बुरा क्या है रात को नींद तो आनी ही है। मैंने उस की तरफ मुड़ कर कहा कि भई हमें तो नींद से पहले कुछ और काम भी करना है।

वह बोली की वह काम सुबह भी हो सकता है, मैंने कहा कि भई अब तो जग गये है काम करके ही सोयेगे, नेहा ने कहा कि आप शैतानी से बाज नही आयेगे, इस पर मैंने कहा कि पांच-छह दिन की छुट्टी मिली है उस का सदुपयोग तो करना ही है। ना कह कर मैंने उसे अपने करीब कर लिया। नेहा तो इस के लिए तैयार ही बैठी थी फौरन मेरी बांहों में आ गई। उस के होंठ मेरे होंठों से मिल गये, वो बोली इन से तो दुध की स्मैल आ रही है, मैंने कहा कि अभी तो पीया है उसी की आयेगी, और कुछ पीयेगे तो कुछ और आयेगी। मैंने उसे कस कर जकड़ लिया उस ने कहा कि जान निकालने का इरादा है क्या मैंने कहा कि नही अपने में समाने का इरादा है वह बोली मैं तो ऐसे ही तैयार हुँ। मैंने अपना सर उस की गोद में रख दिया, नेहा बोली कि मेरे को चकोटी काटो मुझे लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रही हूं, विश्वास नही हो रहा है कि यह सब सच है मैंने कहा की बोलो कहा पर काटुँ? उस ने मेरे आशय समझ कर मुक्कें मारने शुरु कर दिये।

नेहा ने नाईटी पहनी हूई थी और मैं गोद में लेटे होने के कारण उस के उरोजो तक अपना मुँह ले जा पा रहा था। नेहा आज बात करने के मुड़ में थी मैंने भी उस की बात समझ कर उससे पुछा कि कहो आज का दिन कैसा लगा, उस ने कहा कि अभी तक का सबसे बढ़िया दिन था अपने प्यार के साथ और उनकी पत्नी के साथ दिन एक साथ बिताना, इस की तो कल्पना भी मैं नही कर सकती थी, मैंने कहा कि यह तुम्हारी और मेरी बीवी की आपसी समझदारी का परिणाम है, नेहा ने कहा कि दीदी की वजह से मुझे यह दिन देखने को मिला है नही तो कोई अपनी सौत के साथ रहने के लिए आता है।

मैंने नेहा से पुछा कि उस ने तो मुझे कुछ बताया नही है तुम ही कुछ बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या हुआ है जिस से यह सब हो रहा है, नेहा ने कहा कि दीदी का कहना है कि आप को प्यार हुआ है तो वह आप को रोक नही सकती क्योंकि उन के अनुसार आप प्यार के भुखे है और वह आप को नही मिला है। वह भी आप को चाहती है लेकिन मेरे प्यार को देख कर मुझे स्वीकार किया है। होगा वही जो वह चाहेगी। मैं तो उन के कर्ज में दबी हूँ कि उन्होने आप को सभांलने की जिम्मेदारी मुझे दी है। हम दोनों मिल कर आप की देखभाल करेगी उन्होने मुझे बताया है कि आप के साथ क्या-क्या हुआ है और वह आप के लिए क्या चाहती है, मुझे तो आपने इन बातों के बारे में कुछ बताया नहीं था। मैंने कहा कि नेहा इस से पहले कभी इतनी देर के लिए मिले भी तो नही है। फिर मैं क्या अपनी सुनाऊँ। मेरे को तो अब आदत पड़ गई है। तुम भी तो इतनी परेशानियों से गुजरी हो, इस लिए कभी कुछ कहा नही। मुझे तो आदत पड़ गई है लगता है जब कभी हद से गुजर जाएगी तो मैं भी आत्महत्या कर लुँगा। मेरी बात सुन कर नेहा ने अपने हाथ से मेरा मुँह बन्द कर दिया और कहा कि आगे से ऐसी बात सोचना भी नही, दो दो जिन्दगियों की जिम्मेदारी है तुम पर।

मैंने कहा कि मैं कहाँ भाग रहा हूँ लेकिन कभी कभी थक जाता हूँ इस लिए ऐसा बोल गया। कभी-कभी लगता है कि सब कुछ छोड़ कर कही चला जाऊँ। घर की परेशानियों ने जीना दुभर कर दिया है जिये जा रहे है जब तक दम में दम है। मेरी बात सुन कर नेहा ने मुझे अपने से लिपटा लिया और कहा कि तुम अपनी सारी परेशानियां मुझे दे दो। मैंने उस से कहा कि इस बात को छोड़ दो इस का कोई हल नही है, ज्यादा होगा तो मैं नौकरी छोड़ दुँगा और तुम्हारे पास आ जाऊँगा यहाँ पर नौकरी कर लुगा। नेहा बोली कि जब भी ऐसा करना हो तो मुझे बता देना मैं सब इन्तजाम कर दुँगी। मैंने कहा कि हम दोनों घर छोड़ने की सोच रहे है लेकिन फिर लगता है कि माँ के जाने के बाद पापा को अकेला कैसे छोड़ दुँ लेकिन उन के साथ रहना अब मुश्किल होता जा रहा है। इस बारे में तुम्हे बता दिया है जब भी कुछ ऐसा होगा तो तुम्हे पहले बताऊँगा।

मेरी बात से नेहा को चैन मिला, उस ने मुझे चुम कर कहा कि अब तुम्हारी चिन्ता मेरी चिन्ता है, मैंने हँस कर कहा कि क्या रात चिन्ता करते ही गुजारनी है। नेहा ने ना में सर हिलाया, हमारी बातों से मुड़ बदल गया था, लेकिन जब सोने लगे तो मैंने नेहा से कहा कि यार अब आप कहना बन्द कर दो, तो उस ने कहा कि और क्या कहुँ। मैंने कहा कि कोई छोटा सा नाम रख लो, सुनने में अच्छा लगेगा नही तो डर लगता है कि अभी सर ना कह दो, इस बात पर नेहा ने मेरी पीठ पर कई मुक्के मारे, मैंने उसे आलिंगन में लेकर कहा कि कोई भी नाम चलेगा सोना बाबू। वह बोली कि अब बाबू बेबी तो नही कह सकती कहो तो आज से नाम लेना शुरू कर दूँ मैंने कहा नेकी और पुछ पुछ नेहा ने शरारत से कहा कि पता नही कब मुँह से सर भी निकल जाये, फिर बोली की सुनो जी सही रहेगा। मैंने कहा कि जैसी तुम्हारी मर्जी। हम दोनों थके थे और नींद भी आ रही थी नेहा ने मेरी छाती में मुँह छुपा लिया और मैं उस की पीठ सहलाने लगा पता नही कब हम दोनों नींद के आगोश में चले गये।

सुबह जब नींद खुली तो पांच बजने वाले थे, नेहा मुझे से लिपटी सो रही थी, उस की नाईटी सिमट कर ऊपर आ गयी थी कुल्हें और जांघें दिख रही थी मैं ने उन को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया, नेहा के शरीर को ढ़ग से सहलाने का मौका अभी तक नही मिला था जब भी हम मिले जल्दी में मिले थे। आज मैं उस के शरीर को महसुस करना चाहता था इस लिए मैंने अपने सारे कपड़ें उतार दिये और उस की नाईटी भी धीरे से उतार दी, अब मेरे हाथ उस के शरीर पर फिर रहे थे उसे छु रहे थे सहला रहे थे, महसुस कर रहे थे। मैंने नेहा के पांव के पंजों को अपने हाथ से सहलाया और उस की ऊंगलियों को होठों से चुमने लगा। मुलायम ऊंगलियां मुँह में ले कर चुमने से मेरे शरीर में तो करंट दौड़ रहा था। मेरी इस हरकत से नेहा की नींद खुल गयी पहले तो उसने हाथ से मुझ को ढ़ुंढा और जब मैं नही मिला तो आँखें खोल कर देखा तो पाया कि मैं उस के पांवों के पास हुँ। यह देख कर वह उठने लगी तो मैंने उसे रोक दिया और उस की रेशम जैसी मुलायम पिड़लियों को चुमता हुआ ऊपर की ओर बढ़ा और जाँघों के मिलन पर रुक गया वहाँ पर योनि की खुशबु सुध कर मस्त हो गया लेकिन करा कुछ नही कुल्हों को चुम कर पीठ पर हाथ फिराता हुआ गरदन पर पहुँच गया और गरदन के पीछे के हिस्से को चुमने लगा। नेहा ने करवट बदल कर पीठ नीचे की तो मैं उस के उरोजों के निप्पलों को जो फुल कर लम्बे हो गये थे दातों से काटने लगा, नेहा ने कहा कि काटने के सिवा कुछ आता है जनाब को मैंने होंठों से उस के होंठ चुम कर कहा कि बोलना मना है। सिर्फ हाथ बोल सकते है, हाथों ने उस के कठोर उरोजों को जोर से मसला, मेरी ये हरकतें नेहा के शरीर में वासना की आग भड़का रही थी मेरी आग तो भड़की हुई थी।

नेहा ने भी अपने हाथों से मेरे शरीर को नापना शुरू कर दिया पीठ से होते हुए कुल्हों पर पहुँचे और चुटकी काटने लगे। उसके बाद जाँघों को सहलाते हुए पंजों तक पहुँच गये उस ने भी सारी ऊंगलियों को चुमा, हम दोनो के शरीर में अब आग पुरी तरह से भड़क गयी थी मैंने नेहा को पीठ के बल कर के उस में प्रवेश किया लिंग बिना किसी रूकावट के पुरा समा गया, अन्दर से योनि की मांसपेशियों ने उसे जकड़ लिया। दोनों के शरीर एक रीदम् में हिलने लगे। अचानक दोनों की गति बढ़ गयी इतनी उत्तेजना बढ़ी की बेड पर लुढकने लगे। कभी मैं ऊपर और कभी नेहा मेरे ऊपर। आधे घन्टे बाद यह तुफान उतरा तब जा कर हम दोनों को आराम पड़ा। नेहा बोली कि आप को सुबह भी चैन नही है। मैंने कहा कि यार इतने दिन बाद तो मिली हो, क्या इस को बेकार जाने दूँ। सुबह यह महाराज अपने पुरे शबाव पर होते है तो मौका कैसे छोड़ दे।

नेहा ने कहा कि दीदी से पुँछूगी कि क्या उन को भी ऐसे ही परेशान करते है तो मैंने कहा कि उस के साथ तो सुबह ही समय मिलता है रात को तो वह थकी होती है इस लिए कुछ हो नही सकता। नेहा ने मेरे कान में कहा कि आज मेरे साथ नहाने का इरादा है तो मैंने कहा कि पत्नी जी ऊठने वाली होगी। नेहा ने कहा कि अभी तो छः ही बजे है उन्हें तो आठ बजे तक सोने देते है। तब तक तो हम नहा लेगे। आप भी क्या याद करोगे किस के साथ नहाये थे। मैंने कहा कि अब किस को दोष दोगी। वह बोली की नहाने की बात कर रही हूँ कुछ और नही करेगे। मैंने हाँ कर दी।

हम दोनों बाथरुम में नहाने आ गये। शावर के नीचे दोनों खड़े हो कर पानी से भीगते रहे, नेहा ने कहा कि मैं आप को साबुन लगा कर नहलाऊँगी। उस के बाद आप मेरे को नहलाना। उस ने मेरे सारे शरीर पर साबुन लगाया और पुरे शरीर को कस कर रगड़ा मेरे शरीर का हर हिस्सा साबुन से मला। इस के बाद मैंने नेहा के शरीर पर साबुन मला और उस के शरीर को साबुन से अच्छी तरह से मला फिर शावर के नीचे खड़ा कर के पानी से नहला दिया। अब मेरा नम्बर था नेहा इस अवसर का पुरा फायदा उठा रही थी पानी से नहलाने में उस ने मेरे पुरे शरीर को अपने हाथों से सहलाया। नहाने के बाद एक दूसरे के शरीर को तौलिये से पौछ कर सुखा कर कपड़ें पहन कर दोनों बाथरुम में से निकले, यह डर तो था कि कही पत्नी जाग ना गयी हो। लेकिन वह सो रही थी। नेहा ने मेरे से कहा था कि कभी तो बदमाशी करने का मन करता ही है। दीदी को मैं समझा दुँगी।

मैंने कहा कि मुझे तो उस ने कभी ऐसा करने नही दिया है कोशिश तो काफी बार की है, नेहा ने कहा कि घर में एकान्त नही है इस लिए शायद उन्होंने मना किया होगा। ऐसी बात से तो दोनों के बीच लगाव बढ़ता है। आदमी कभी औरत के मन की बात नही समझ सकते। मैंने कहा कि भई मैं तो अकेला पड़ गया हूँ क्या करुँ। नेहा ने हँस कर कहा कि चुपचाप सरेन्डर कर दे। माफी मिल जायेगी। नेहा कह कर चाय बनाने चली गयी। मैंने पत्नी के कमरे में जा कर देखा कि वह जगी है या नही लेकिन वह आराम से सो रही थी। मैं आ कर सोफे पर बैठ गया। नेहा चाय ले कर आई और मेरे पास बैठ गयी और बोली कि आप के साथ होते ही मेरा दिमाग शैतानी करने को मचल ऊठता है क्या करुँ। मैंने कहा कि उसे रोको नही बदमाशी करने दो मुझे अच्छी लगती है तुम्हारी ये बदमाशियां, लगता है कि जवानी अभी गयी नही है।

थोड़ी देर बाद पत्नी भी जग गयी और हमारे पास आ कर बोली की मेरी किसी को याद है या नही हम ने कहा कि अभी तो तुम्हारी ही बात कर रहे थे तुम सो रही थी इस लिए तुम्हे ऊठाया नही था। वह आ कर मेरे पास बैठ गयी और मुझे चुम कर बोली की नेहा को मैंने सब कुछ बता दिया है तुम्हारे बारे में इस लिए संभल कर रहना, मैंने कहा कि मेरा कौन सा रहस्य है जो तुमने इसे बता दिया है तो वह हँस कर बोली कि तुम्हारे जल्दी ऊठने की आदत और जल्दी नहाने के बारे में नेहा को बता दिया है कि यह तो पंडित जी है सुबह-सुबह पूजा करते है इस लिए इन के साथ रहना है तो सुबह जल्दी उठ कर इस की पूजा की तैयारी करनी पड़ेगी। नेहा ने कहा कि मेरे साथ तो इन्होने आज तक पूजा नही की है। मेरे यहाँ तो पूजाघर भी नही है। वह बोली कि अब तुम इस परिवार की सदस्य बन गयी हो, परिवार के संस्कार सीखने पड़ेगे। मैंने बात संभाली की अभी इस बात की कोई जरूरत नहीं है जब नेहा का मन करेगा तब वह पूजाघर बना लेगी।

पत्नी बोली की तुम दोनों के संबंधों को भगवान् का आशीर्वाद भी मिलना चाहिए इस लिए आज किसी मन्दिर चल कर इस काम को भी कर लेते है। मैंने अपनी पत्नी से पुछा कि तुम कब से भगवान् की इतनी भक्त हो गयी। उस ने कहा कि जब से नेहा से बड़ी हो गयी हूँ तब से इस की और तुम्हारी चिन्ता मेरी जिम्मेदारी है, इस लिए कह रही हूँ नेहा को या तुम्हे कोई परेशानी है तो कहो। नेहा बोली कि नही मुझे कोई परेशानी नही है तो मैंने कहा कि मुझे क्या परेशानी होगी। तय हुआ कि किसी मन्दिर में जा कर हम दोनों एक दूसरे को जयमाला डालगे। मेरी समझ में नही आ रहा था कि पत्नी को यह क्या सुझा है, सोचा जब अकेली मि्लेगी तब इस विषय में पुछुँगा। नाश्ता करके नेहा ने कहा कि पास में ही एक मन्दिर है वहाँ चलते है पत्नी और मैं तैयार हो कर उस के साथ चल दिये। मन्दिर पहुँच कर नेहा ने मन्दिर में पत्नी के साथ जा कर उन के पुजारी से बात की और बाहर आ कर एक माला भगवान के लिए तथा दो बड़ी माला हम दोनों के लिए खरीदी मैंने कहा कि एक और खरीद लो तुम्हारे गले में भी डाल दुँगा तो पत्नी ने कहा कि मेरे गले में पहले डाल चुके हो।

मैं चुप हो गया, अन्दर जा कर पुजारी को सब सामान दे दिया उन्होंने अन्दर जा कर पुजा कि और दो माला हमें वापस ला कर दे दी, पहले नेहा ने मेरे गले में माला डाली उसके बाद मैंने उसके गले में माला डाली। तीनों ने भगवान को प्रणाम किया, पुजारी से प्रसाद ले कर हम मन्दिर से निकल आये। रास्ते में मैंने कहा कि यहाँ आ कर मेरे मन को बड़ी शान्ति मिली है, इस पर पत्नी ने कहा की नेहा बच्चे की इच्छा रखती है मेरे तो हो नही रहे है इस लिए यह सब किया है, भगवान का आशीर्वाद लेना जरुरी है, मैंने नेहा की तरफ देखा जो गाड़ी चला रही थी, वह बोली कि मेरी बड़े दिनों से इच्छा थी कि मैं आप के बच्चे की माँ बनु। दीदी ने परमिशन ने दी है। अब मुझे नेहा का व्यवहार समझ में आया। मैंने कहा कि जब तुम दोनों ने तय कर लिया है तो मैं क्या कहुँ। पत्नी बोली की हम दोनों ने सारे चैक करवा लिए है कोई कमी नही है लेकिन गर्भ टहर नही रहा है नेहा को भी ट्राई करने दो शायद यह गर्भवती है जाये।

घर पहुँच कर पत्नी ने नेहा से कहा कि अपने और इस के कपड़े संभाल कर रख दे इन्हे धोना नही। एक साल तक ऐसे ही रखने है। मैं हँसा तो वह बोली कि चुप रहो। नेहा ने सर हिलाया। मैंने कहा कि नेहा ने अभी तक कुछ इस्तेमाल तो करा नही है शायद कन्सीव हो जाये। हम तीनों ही चाहते थे कि संतान हो। नेहा ने कहा कि कुछ समय तक देखते है अगर कुछ नही हुआ तो डॉक्टर से मिलेगे। तीसरा दिन था नेहा बोली की बंगलुरु के पास एक झरना है उस को देखने चलते है, गाड़ी ले कर निकल गये, दो घन्टे का सफर था वहाँ जा कर मन प्रसन्न हो गया हरियाली को झरने को देख कर। दो-तीन घन्टे गुजार कर हम वापस चल दिये। रास्ते में खाना खा कर रात को घर पहुँचे तो पत्नी बोली कि आज तो तुम लोग हनीमून मनाओ मैं सोने जा रही हूँ मैंने कहा कि आज तो तुम्हारे साथ मनायेगे तो वह बोली कि अपने हनीमून की तो याद ही नही है मैंने कहा कि आज फिर से मना लेते है इस पर नेहा हँस कर बोली की मैं तो तीन दिन से मना रही हूँ आज आप का नम्बर है। मैंने कहाँ कि पहले तुम्हारे साथ करुँगा इसके बाद नेहा के साथ। इस पर पत्नी ने सर हिला कर हाँ कहा। नेहा ने हँस कर कहा कि मेरा नंबर तो वैसे भी सुबह ही आता है। पत्नी बोली कि हम भी सुबह ही कर पाते है। रात को वक्त नही मिल पता है। मैंने कहा कि आज रात को कर लेते है। सब कपड़ें बदलने चले गये। कपड़ें बदल कर मैं पत्नी के कमरे में चला गया और नेहा अपने कमरे में।

मैं पत्नी के कमरे में चला गया। पत्नी बेड पर बैठी थी, मैं उस के पास जा कर बैठ गया उस को आलिंगन में ले कर बोला कि आज तो आप बड़ी बहन की भूमिका में है। उस ने कहा कि रोल तो निभाना ही पड़ेगा और कोई चारा नही है। मैंने उस से पुछा कि उसे कब लगा कि नेहा को बच्चा चाहिए। उस ने कहा कि नेहा ने खुद उसे कहा था कि उस को एक बच्चा चाहिए। मैंने उस से कहा कि लगता है कि मेरी किस्मत में अभी यह सुख नही है। पत्नी बोली की कोशिश तो करनी ही पड़ेगी जब होगा तब हो जाएँगा। उस ने अपने हाथ से मेरा मुँह बन्द कर दिया। मैं ने उसे लिटा दिया और उस के कपड़ें उतारने शुरु कर दिये उस को पता था कि मुझे वह बिना कपड़ों के अच्छी लगती है। मैंने अपने भी सारे कपड़ें उतार दिये। हम दोनों एक-दूसरे से लिपट का एक-दूसरे के शरीर का स्वाद लेने लगे। होंठों ने अपना काम करना शुरु कर दिया और हाथ भी अपने काम पर लग गये। पत्नी के साथ लम्बा फोरप्ले करना पड़ता था इस लिए उस के उरोजों को चुसने के साथ ही मैंने अपनी ऊंगली उस की योनि में अन्दर बाहर करनी शुरु कर दी, इस से थोड़ी देर में ही वह गरम हो गयी। उस ने मुझे जोर से चुमना शुरु कर दिया। मुझे पता चल गया कि अब उस में प्रवेश करना होगा मैंने बैठ कर उस के दोनों पांव फैला कर लिंग योनि के मुँह पर लगा कर धक्का लगाया और लिंग योनि में आधा चला गया। दुसरे धक्के में लिंग पुरा योनि में घुस गया। पत्नी ने अपनी टागें मेरी कमर पर कस ली। थोडी देर बाद में मैंने उसे अपने ऊपर कर लिया और उस के निप्पलों को चुमने लगा, वह जोर जोर से कुल्हों को ऊपर नीचे कर रही थी मैं भी नीचे से उस का साथ दे रहा था कुछ देर में ही मैं चरम पर पहुँच गया, पत्नी भी नीचे बगल में लेट गयी।

उस ने पुछा कि नेहा के बारे में तुम्हें जो पता है वो मुझे क्यों पता नही है। मैंने कहा कि शायद तुम्हें मेरे से ज्यादा पता है मैंने तो उस से कुछ पुछा नही है जो कुछ पता है वह तभी का पता है जब वह हमारे यहाँ नौकरी करती थी। उस के परिवार के बारे में मैंने ज्यादा बात नही की है ना उस ने कुछ बताया है। पत्नी बोली कि वह अब हमारे परिवार की सदस्य है तो उस के परिवार के बारे में हमें पता होना चाहिए, मैंने कहा कि तुम सब पता कर लेना। पत्नी बोली कि यह अब तुम्हारी जिम्मेदारी में आ गया है। इस से बच नही सकते हो। मैंने कहा कि उस से पुछते में डर लगता है कि वह बुरा ना मान जाए, वह बोली कि उस के बुरा मानने की भी तो पता चलना चाहिए कब तक सब अच्छा होता रहेगा।

कभी तो वो नाराज भी होगी उस की भी आदत पड़नी चाहिए तुम्हें। मैंने कहा कि लड़वाना चाहती हो, तो वह बोली कि तुम्हारी हर बात उसे पता चलनी चाहिए कि तुम असल में कैसे हो। मैं ही हूँ जो सब झेलती हूँ, अब उस को भी इस की आदत डालनी पडे़गी। मैंने कहा कि उसे सब बता क्यों नही देती हो। बोली मैं क्यों बताऊँ तुम्हारी प्रेमिका है तुम बताओ। मैंने कहा कि धीरे-धीरे उसे मेरे बारे में सब पता चल जायेगा। इस कि फिक्र ना करो। यह कह कर मैं सो गया।

सुबह उठा तो देखा कि पांच बज रहे थे पत्नी तो गहरी नींद में सो रही थी मैं उठ कर के नेहा के पास चला गया नेहा जगी हुई थी मुझे देख कर बोली कि आप को नींद आती भी है या नही मैंने कहा कि मेरे अन्दर की घड़ी में इस समय का अलार्म लगा हुआ है मैं क्या करुँ। नेहा ने मुझे बेड के किनारे खड़ा देखकर मेरे लिंग से खेलना शुरु कर दिया और वह महाराज भी अपने पुरे तनाव में आ गये। नेहा ने उसे मुँह में ले लिया और चुसना शुरु कर दिया मेरे से खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था नेहा बड़े मजे से मेरे लिंग को पुरा मुँह में लेकर चुस नही थी। मैं उस के मुँह में ही स्खलित हो गया, वह सारा वीर्य पी गयी। अब जा कर मैं बेड पर लेट गया। मैंने देखा कि नेहा ने भी कोई कपड़ा पहन नही रखा था वो बोली कि तुम्हारा इन्तजार कर रही थी।

मैंने उसे अपने से लिपटा लिया और कहा कि अब तो इस महाराज को तैयार होने में और समय लगेगा तो वह बोली कि लगने दो हमें कौन सी जल्दी है। मैं उस के उरोजों को सहलाने लगा तो वो बोली कि लगता है मेरा साईज बड़ गया है मैंने कहा कि हो सकता है कि मेरी मेहनत का परिणाम हो तो वह बोली कि है तो तुम्हारी मेहनत का ही परिणाम। इन को इतना मसलते हो काँटते हो, चुसते हो कि मेरा दम निकल जाता है तो मैंने कहा कि मना क्यों नही किया कभी तो वो बोली कि इस के लिए कौन औरत मना करती है। मैंने कहा कि उत्तेजना में ध्यान नही रहता। उस ने कहा कि ध्यान रहना भी नही चाहिए।

मैंने नेहा से कहा कि तुम्हारे परिवार के बारे में कुछ पुछु तो बुरा तो नही मानोगी तो वह बोली कि अब अच्छा बुरा सब कुछ आप का है मेरा कुछ नही बचा। मैंने कहा की घर में कौन-कौन है? तो वह बोली कि पिताजी तो गुजर गये है दो भाई है और माँ है। भाई मेरे से तलाक के बाद संबंध नही रखते है माँ कभी कभी फोन कर लेती है वह भी कब तक है अब तो जो कुछ है वह आप और दीदी ही है। मैंने कहा कि जब इस संबंध का पता चलेगा तो कैसे रियेक्ट करेगे तो वह बोली कि भाईयों के लिए तो मैं मर गयी हूँ। माँ क्या सोचेगी इस से कोई फर्क नही पड़ता।

आप के परिवार का रियेक्शन कैसा होगा, मैंने कहा कि भाई कुछ बोल सकते है पिताजी तो मेरे खिलाफ ही रहते है। हो सकता है कि मुझे अपनी संपति से अलग कर दे लेकिन वो तुम्हारी वजह से नही होगा वह तो मेरे उन के संबंधो की खराबी की वजह से होगा। शायद कुछ समय के बाद मैं घर छोड़ दुँगा। पत्नी को मेरे पीछे बहुत सुनना पड़ता है और मेरे गरम स्वभाव की वजह से वह मुझे सारी बात बताती नही है कि मैं कोई कठोर कदम ना उठा लुँ। लगता है कि उस की सहन शक्ति भी अब जबाव देने लगी है।

वापस जा कर मैं अलग घर लेकर घर छोड़ दुँगा। अब सहन नही हो रहा है। मानसिक शान्ति खत्म हो चुकी है। फिर देखेगे कि आगे क्या करना है। मेरे परिवार के लोगों को तुम जान चुकी होगी। पत्नी की एक बहन और एक भाई है। उन के रियेक्शन को मैं अभी से देख सकता हूँ लेकिन वह पत्नी के तुम्हें स्वीकार करने के कारण अलग भी हो सकता है। इन सब बातों के लिए तो हम सब को तैयार रहना पड़ेगा, इस पर नेहा बोली कि मैं तो हर बात के लिए तैयार हूँ। मैंने पुछा कि तुम्हे मेरे स्वभाव के बारे में कुछ पता है कि मैं बहुत जल्दी गुस्सा कर जाता हूँ तो वह बोली कि यह सब मुझे पता है कि आप कैसे स्वभाव के है आप से प्रेम है इस लिए आप जैसे भी है मेरे है। मुझे कोई चिन्ता नही है। आप दीदी को समझाना कि वह इस बात को लेकर चिन्ता ना करे। मैंने आप को पाने के लिए इतना इन्तजार करा है और जब भगवान ने मुझे दिया है तो मैं और किसी बात की चिन्ता नहीं करती।

आप ने तो आज तक मेरे अतीत के बारे में कुछ नही पुछा क्यो? मैंने कहा कि तुम जैसी भी हो मेरी हो दोस्ती में हम किसी को जैसा वह है वैसा ही स्वीकार करते है उसे बदलते नही है। सो तुम तो मेरी दोस्त हो। नेहा बोली कि दीदी ने शायद आप की क्लास ली है मैंने कहा हाँ तेरी वजह से मेरी क्लास लगी कि मैं तेरी जिम्मेदारी नही ले रहा हूँ। अब बताओ मैं क्या करुँ। नेहा हँस कर बोली कि दीदी मेरी है तो मेरी चिन्ता तो करेगी ही। इस में आश्चर्य क्या है। मैं आज दीदी के साथ बैठ कर अपनी सारी बातें बताऊँगी। वैसे एक बात तो है कि आप मेरी चिन्ता नहीं करते है। मैंने कहा कि अब तुम भी उस का साथ दो और मेरी शिकायत उस से कर दो। नेहा ने कहा कि उन को दिखाऊँगी कि किस तरह से आप ने काट काट कर मेरे जख्म कर दिये है तथा संभोग कर कर के मेरी हालत पतली कर दी है। मैंने कहा कि चलो अब से नही करते तो वो बोली कि अभी तो शिकायत करी नही है अभी से क्यो डर गये हो।

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