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वह बेड पर लेटी थी मैं जानता था कि उस को सेक्स के लिए तैयार करना कठिन काम था और हम तीनों का एक साथ सेक्स करना तो असंभव सा काम था। मेरे और नेहा के पास चेहरा छुपाने के लिए कोई जगह नही थी हमें स्थिति का सामना करना ही था। मैंने उस के पास लेट कर कहा कि नाराज हो तो उस ने कहा कि नहीं मुझे पता है कि नेहा तुम से कितनी देर से नही मिली है इस लिए जल्दी है लेकिन बच्चों की तरह से करना तो समझ में नही आता मुझे तो ये काम रात में करना सही लगता है तो मैं तो तभी करुँगी। तुम दोनों अपना काम पुरा करो। मैं जरा सो रही हूँ। उस की बात सुन कर दोनों की साँस में साँस आई।

नेहा के कमरे में आ कर मैं कपड़े उतारने लगा तो नेहा बोली दीदी सही कह रही है। इतने दिन की प्यास है तो अच्छी तरह से बुझनी चाहिए जल्दी बाजी क्यो करें। कहाँ जाना है। कपड़ें बदल कर बैठते है फिर कुछ सोचेगे। मैंने कुरता पायजामा पहना तो नेहा ने ट्रेक सुट पहन लिया। उस ने मेरे कान में कहा कि तुम्हारा हो गया था या रह गया है। मैंने कहा कि हो गया था। बोली चाय पियोगे मैं कहा कि हाँ । वह चाय बनाने चली गयी। मैंने बाथरुम में जा कर देखा तो वीर्य से कच्छी गिली हूई पड़ी थी। मैंने लिंग को पानी से धोया। रात को क्या होगा मुझे समझ नही आ रहा था।

मेरी पत्नी का व्यवहार मेरी समझ में नही आ रहा था। नेहा चाय ले आई बोली दीदी तो सो गई है। मैंने कहा कि सुबह की जगी है इस लिए सोने दो। उस ने कहा कि तुम्हें नींद नही आ रही, मैंने कहा नही वैसे भी दिन में मुझे नींद नही आ रही है। नेहा मेरे पास सट कर बैठ गई और बोली कि तुम इतनी चिन्ता करना छोड़ दो सब सही होगा। मैंने हाथ से उसे अपने से सटा लिया। उस ने कहा कि मैं अभी जल्दबाजी कर जाती हूँ। दीदी के साथ रह कर धैर्य करना भी सीख लुँगी। मैंने कहा कि दीदी से धैर्य नही सिखना नही तो मेरी आफत आ जायेगी। उस की आदत उसकी है तुम्हें अपने को बदलने की जरुरत नही है। किसी की कॉपी मत बनो। जैसी हो मुझे वैसी ही पसन्द हो। उस ने हाँ में सर हिलाया।

मैंने उठ के कमरे का दरवाजा बन्द किया और नेहा को अपने से चिपका लिया। उस का धेर्य भी अब जवाब दे चुका था वह भी मेरे से ऐसे लिपट गई जैसे लता पेड़ से लिपट जाती है। चुम्बनों का दौर चल निकला। माथा आँखे, चेहरा और गरदन कोई ऐसा स्थान नही बचा जहाँ चुम्बन नही ले रहे थे। दो महीनों से ज्यादा का बिछोह था, उस की भुख भी तो मिटानी थी। मैंने नेहा के ट्रेकसुट को उतार दिया उस ने मेरा कुरता उतार फेका, मैंने उस की ब्रा उतार कर उस के उरोजों पर हमला कर दिया मैंने दांत उन को काटने लगे। निप्पल चुसे जाने लगे सिसकिया निकलने लगी। दोतों से कांटा जाना शुरु हो गया। मैंने उस की पेंट को उतार कर उस की पेंटी को नीचे कर दिया। बदले में नेहा ने मेरा पायजामा और ब्रीफ उतार दी दोनों एक दम नगें हो कर एक दूसरें से चिपके हुए थे। दो महीने की दूरी ने हमारी प्यास बढ़ा दी थी मैंने अपना चेहरा उस की नाभी पर ला कर उस का चुम्बन ले कर अपने होंठ उस से नीचे ले गया योनि पर एक भी बाल नही था नेहा ने शायद आज ही साफ करे थे। होंठ योनि का स्वाद लेने को आतुर थे उस को अपना भोग मिल गया। योनि पर होंठ के छुते ही नेहा कि सिसकियां शुरु हो गयी आहहहहहहहहहहह उईईईईईईईईईईईईई उहहहहहहहह..... मैं ने अपनी जीभ योनि के दोनों होंठों के बीच धुसेड़ दी, उसे जहाँ तक जाने की जगह मिली वह वहाँ तक का स्वाद लेने लगी। मैंने योनि को ऊपर से नीचे तक कई बार चाँट लिया। नेहा का सारा बदन काँप रहा था उस ने मुझे उल्टा होने को कहा ताकि वह भी लिंग को चुम सके मैं जैसे ही 69 की पोजिशन में आया उस ने मेरे लिंग को मुँह मैं ले लिया, भावनाओं के वेग पर किसी का कोई जोर नही चल रहा था।

हम दोनों कितनी देर तक ऐसे ही रहे फिर मुझे लगा कि नेहा का ऑर्गास्म होने वाला है तो मैंने अपनी पोजिशन बदल कर लिंग को उस की योनि में डाल दिया। योनि इतनी गरम थी कि पता चल रहा था मेरे धक्कें शुरु हो गये। मैं अपनी कुहनियों के बल पर हो कर धक्कें लगा रहा था, जिस से मेरा वजन नेहा के शरीर पर नही पड़ रहा था, नेहा ने अपना चेहरा ऊपर कर के मुझे किस करना शुरु किया। मैं ने भी उसे किस किया। उस के दांत मेरे होंठ में गढ़ गये मैंने भी बदले में उस के होंठ चबा डाले। मैंने दांतों से उस को उरोजों पर काटा, नेहा ने मेरे कन्धे पर दातों के निशान बना दिये। नीचे से में पुरी ताकत से धक्कें लगा रहा था नेहा के कुल्हें भी पुरा साथ दे रहे थे। दोनों पुरे जोश में थे। अलग रहने का पुरा बदला अभी ले लेना चाहते थे इस समय कुछ उमंग ही और थी। ज्वालामुखी फटने को था मेरी आंखों के सामने तारे झिलमिलाने लगे। कुछ क्षणों के लिए चेतना खो सी गई। नेहा ने भी कराह भरी।

जब चेतना लौटी तो नेहा कराह रही थी और मैं अभी भी धक्के लगा रहा था। लिंग में अभी भी तनाव था वह योनि में ही था कुछ देर बाद उस का तनाव कम हुआ तो वह योनि से बाहर निकला। मैं नेहा की बगल में लेट गया। दोनों की साँसे तेज चल रही थी। कुछ देर बाद साँसे सामान्य हुई तो मैंने नेहा से पुछा कि कैसा लगा? उस ने कहा कि आज तो बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने कहा कि जो हो रहा है उसे रोकना नही चाहिए। मैंने उस की योनि पर हाथ लगाया तो वहाँ से पानी निकल रहा था। वह बोली की आज ऐसा क्या हुआ है मैंने कहा कि तुम्हारा ऑर्गास्म हुआ है। इस लिए पानी निकल रहा है। वह बोली की ये तो पहली बार हुआ है। तुम तो जान निकाल देते हो। मैंने कहा कि हमारी हालत भी ऐसी ही है। मैंने भी नीचे देखा तो वहाँ भी वीर्य लिंग से टपक रहा था। नेहा ने उठ कर अपनी ब्रीफ से योनि और मेरे लिंग को साफ किया। चद्दर भी बुरी तरह से भीग गई थी। नेहा इस के बाद मेरी छाती पर अपना सिर रख कर बोली कि यह सब सपना सा नही लग रहा है कि आप की पत्नी ने हमारे संबंध को स्वीकार कर लिया है। मैं चुप रहा। मुझे खुद भी अभी तक विश्वास नही हो रहा था।

हम दोनों भी थके थे सो नींद आ गई। जब ऊठे तो दोपहर हो रही थी, नेहा ने उठ कर अगड़ाई ली और कहा कि सारे कस-बल निकाल देते हो। मैंने कहा कि अपनी हालत भी ऐसी है। नेहा ने कहा कि चाय बना कर लाती हूं। नेहा ने थोड़ी देर में आ कर कहा कि चलो चल कर दीदी के कमरे में चल कर चाय पीते है। मैं उठ कर उस के साथ पत्नी के कमरे में चल दिया। वहाँ देखा कि पत्नी जगी बैठी थी वह बोली कि मैं तो काफी देर पहले जग गई थी, उठ कर सारा घर देख लिया है। नेहा ने कहा कि आप हमें भी जगा देती, तब उस ने कहा की नेहा काफी लम्बे समय से ये चैन की नींद नही सो पाये थे। आज जब सो रहे थे तो उठाने का मन नही करा। काफी समय से इन का जीवन उथल-पुथल से भर गया है। तुम्हें तो यह बताते नही होगें लेकिन मैं तो इन के साथ रह कर भोगती हूँ। इस लिए जिस भी चीज से इन्हें चैन की नींद आती हो मैं उसे नही छेड़ सकती।

हम तीनों बेड पर बैठ कर चाय पीने लगे। नेहा ने पत्नी से पुछा कि आप को घर कैसा लगा। पत्नी बोली कि घर तो बढ़िया है और सजाया भी बढ़िया है। मुझे तो बहुत अच्छा लगा, बालकानी से आसमान भी दिखता है। नेहा ने पत्नी से पुछा कि खाना खाये तो पत्नी बोली कि चलो बनातें है, इस पर नेहा ने कहा कि मैंने बाहर से मंगा लिया है। अभी आता ही होगा। खाना थोड़ी देर में आ गया। भुख जोरों से लगी थी इस लिए भरपेट खाया गया। खाने के बाद नेहा फ्रीज से निकाल कर मिठाई का डिब्बा ले कर आई कि चलिए कुछ मीठा खाते है। मिठाई खा कर मजा आ गया। नेहा पत्नी का हाथ पकड़ कर उठा के ले गई। कुछ बातें वह मेरे सामने नही करना चाहती थी। मैं अकेला बेड पर बैठा रहा। खाना खाने के बाद नींद आ रही थी, सो मैं फिर से सो गया।

एक नया अनुभव

शाम को मुझे जब जगाया गया तब तक सूर्य पश्चिम में डुब चुका था। अंधेरा घिर आया था। फिर से चाय का दौर चला, नेहा ने कहा कि रात का खाना मैं बना रही हूँ, कोई खास चीज हो तो बोल दो। मैंने ना मैं सर हिलाया, श्रीमति जी और नेहा किचन में चली गई। खाना जब लगा तो पता चला कि शाही पनीर बना था, नेहा खाना अच्छा बनाती है ये मुझे आज ही पता चला। मेरे लिए अच्छी बात थी। खाना खाने के बाद नेहा ने कहा कि काफी पीनी है किसी को, हम सब ने हाँ में सर हिलाया। नेहा काफी बनाने चली गई। थोड़ी देर में वह कॉफी बना कर ले आई।

कॉफी पीने के बाद हम तीनों जनें नेहा के कमरे में आ गये। यहाँ बेड बड़ा था। तीनों के सोने के लिए काफी था। हम तीनों के चेहरे पर एक अजीब सी हिचकिचाहट थी। आज से पहले हम में से कोई भी इस तरह के सेक्स में इन्वाल्व नही हुआ था। शुरुआत मैंने नेहा को अपने पास बुला कर की, उस ने मेरी बीवी को अपने पास बुलाया। हम तीनों बेड पर बैठे थे। मैंने नेहा के होंठों पर चुम्बन लिया और उस को गले से लगा लिया। इस के बाद मेरी बीवी का नम्बर था मैंने उस को चुमा। उस ने भी मेरे होंठों को चुमा। मैंने नेहा के ब्लाउज के हुक खोल कर उसे उतार दिया और उस की ब्रा को भी खोल कर उतार दिया। उस के उरोजों को हाथों से मसलना शुरु किया। उस की साड़ी उतार कर पेटीकोट भी उतार दिया, इस के बाद पेंटी का भी नम्बर आया। अब नेहा बिना कपड़ों के थी मैं होंठों से उस के उरोजों से खेलता हुआ नाभी को चुमता हुआ उस की योनि तक पहुँच गया। योनि को चुमने से उस ने सिसकिया भरना शुरु कर दिया था। मेरी बीवी अभी दर्शक की भुमिका में थी। मैं जब नेहा की योनि के साथ व्यस्त था तभी नेहा ने मेरी पत्नी को खीच कर अपने ऊपर कर लिया और वह उस के होंठों को चुमने लगी। मुझे पता था कि मेरी बीवी को चुमना ज्यादा पसन्द नही था।

लेकिन दोनों चुम्बन का मजा ले रही थी। मैंने योनि को चाटने में ज्यादा समय नही लगाया और अपने को उस के पांवों के बीच कर के लिंग को उस की योनि में डालने के लिए धक्का लगाया, लिंग थोड़ा सा अन्दर चला गया। दूसरें धक्के में वह पुरा योनि में समा गया। नेहा ने बीवी के कपडे़ं उतार दिये थे और वह उस के उरोजो के निप्पलों को किस कर रही थी। उस का एक हाथ बीवी की योनि में घुसा हुआ था। मैंने अपनी पत्नी को नेहा के चेहरे पर अपनी तरफ चेहरा कर के बिठा दिया और उस के होंठों को चुमा। नेहा नीचे से उस की योनि को चुस रही थी, वह उत्तेजना से कांप रही थी। मैं नेहा के धक्कें लगा रहा था उस को भी ऊपर नीचे दोनों तरफ से आनंद मिल रहा था। बीवी की हालत भी ऐसी ही थी। मैंने अब नेहा की योनि से लिंग निकाल लिया और बीवी को नीचे लिटा कर उस की योनि में लिंग ड़ाल दिया वो भी पुरी तरह से तैयार थी अब नेहा मेरी तरफ चेहरा कर के बीवी के मुँह के ऊपर अपनी योनि कर के बैठी थी। बीवी ने भी नेहा की योनि में होठ लगा दिये। उसे ऐसा करने में झिझक हो रही थी मुझे पता था लेकिन थोड़ी देर में नेहा के मुँह से आती आवाजों से पता चल गया कि उसे भी इस में मजा आ रहा था। हम तीनों के शरीर उत्तेजना की चरम पर थे।

मुझे लगा कि मैं अपने चरम पर पहुचने वाला था। मैंने बीवी के उरोजों को दातों से काटना चाहा तो उस ने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया। मैंने उस के हाथ को उत्तेजना के चलते काट लिया। नीचे से नेहा भी चरम पर थी वह अपने कुल्हें उछाल रही थी। दोनों के शरीर के बीच जगह नही थी। तभी मैं चरम पर पहुँच गया मेरे लिंग के मुँह पर गरमी बढ़ गई। नेहा के ऑर्गास्म और मेरे वीर्य में टक्कर हो रही थी, नेहा की योनि में, अन्दर इतनी गरमी थी कि लिंग से बर्दाश्त नही हो रही थी, नेहा ने अपने दोनों पांव मेरे कुल्हों के ऊपर कस लिए। अब मुझे कुल्हें हिलाने के लिए जगह नही मिल पा रही थी। मैं भी पस्त सा हो कर धक्कें लगा रहा था। बीवी भी चरम पर पहुँच गयी। हम तीनों ने लगभग एक साथ चरमावस्था प्राप्त की। मैं और बीवी नेहा की बगल में लेट गये।

काफी समय लगा तीनों को साँसें काबु करने में। लेकिन हम तीनों ही सन्तुष्ट हुए थे। नेहा ने मेरी तरफ करवट ले कर मुझे बाहों में लेना चाहा लेकिन बीच में मेरी बीवी थी मैंने भी नेहा को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो मेरी बीवी ने कहा कि तुम दोनों क्या अब मेरा दम निकालोंगे। हम ने उस की नही सुनी और तीनों ने एक दुसरें को जकड़ लिया। नेहा और बीवी दोनों ने मुझ से कहा कि इतनी तेज मत काटा करों तुम दम निकाल देते है। इस बात में दोनों एकमत थी कि मैं ज्यादा ताकत लगाता हूँ। मैंने कहा कि तुम को जब भी लगे की मैं तेज हूँ तो मुझे रोक देना। नेहा ने कहा कि हमें पता थोड़ी ना चलता है। मैंने कहा कि मुझे भी तो पता नही चलता है। मैंने कहा कि अब तुम देखों कि तुम दोनों ने आज मुझे कितना काटा है। दोनों हँसने लगी। तीनों के अंगों से पानी, वीर्य टपक रहा था जो नीचे की चद्दर को गीला कर रहा था। इस के दाग जाते नही थे। मेरी बीवी ने नेहा से कहा कि आगे से कोई पुरानी चद्दर बिछा कर करेगे। यह दाग छुटता नही है। दोनों ने उठ कर कपड़ें से अपने-अपने शरीर पोछे और मेरे अंग को भी साफ किया। मैं तो ऐसे ही सो गया, नेहा के यहाँ आ कर मुझे अच्छी नींद आ रही थी। ये दोनों क्या करती रही और कब सोई मुझे पता नही चला।

सुबह जब उठा तो देखा कि दोनों मेरे दोनों तरफ सो रही थी, रात को पत्नी ने बीच में से हट कर मुझे बीच में कर दिया था और खुद मेरे दूसरी तरफ सो गई थी उस के इस कदम से दोनों को मुझ पर पांव रख कर सोने का आनंद मिल रहा था। दोनों के सोते चेहरे देख कर लग रहा था रात का अनुभव सही रहा था और दोनों ने उस का आनंद उठाया था। मैं तो खुश था ही। मेरे उठते ही नेहा अगड़ाई लेती हुई उठ गई और बोली की ऐसी नींद तो आज तक आई नही थी। मैंने भी कहा कि नेहा तुम्हारे यहाँ मुझे बढ़िया नींद आ रही है। मैं भी गहरी नींद ले रहा हूँ। हमारी बातचीत सुन की मेरी पत्नी की आँख भी खुल गई और वो बोली की क्या समय हुआ है मैंने कहा कि अभी पड़ी रहो। सुबह नही हूई है। उस ने करवट बदल कर चेहरे पर चद्दर कर ली। नेहा ने मेरा हाथ लेकर अपनी योनि में लगाया तो मैंने महसुस किया की वह गिली है। उस की इस बात से लगा कि उसे संभोग की इच्छा है मैं और वो उठ कर कमरे से बाहर निकल गये। दूसरे कमरे में जा कर नेहा मेरे से लिपट गई, मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और उस के ऊपर आ कर उस की योनि में लिंग को डाला, योनि उस के स्वागत के लिए तैयार थी। भरपुर नमी थी, लिंग को ज्यादा घर्षण नही करना पड़ रहा था।

मैं ने नेहा को अपने ऊपर कर लिया और नीचे से धक्के लगाये। नेहा भी धीरे-धीरे अपने कुल्हों को हिला कर लिंग को अन्दर ले रही थी। मैं ने अपने आप को उस के हवाले कर दिया था। वो धीरे-धीरे संभोग का आनंद उठा रही थी मैंने उस के उरोजों को मुँह में ले कर चुसना शुरु किया। उस के भरे हुए कठोर उरोज मेरे मुँह में समा नही रहे थे मेरी इस हरकत से उस के मुह से आहहहहहहहहह उईईईईईईईईईईईई निकल रही थी। हम दोनों में से कोई भी तेजी नही दिखा रहा था। नेहा ने अपने होंठों में मेरे निप्पल को काटना शुरु किया मेरी आह निकल गई, नेहा को इस में मजा आया और उस ने निप्पल को मुँह में भर कर चुसा। उस की इस हरकत से मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैंने नेहा से कहा कि वो अपनी पोजिशन बदल कर अपने को उलटा कर के बैठे उस ने ऐसा ही किया ऐसा करते ही उस की सिसकी निकली मैंने पुछा क्या हुआ उस ने कहा की यह तो अन्दर लग रहा है।

लिंग इस पोजिशन में जी स्पाट को रगड़ रहा था जिस से नेहा की ऐसी हालत थी उस ने फिर से पलट कर मेरी तरफ चेहरा कर लिया और झुक कर मेरे होठों को चुम लिया मैं भी भुखे की तरह उसके होठों को चुसने लगा। दोनों उद्देग के कारण एक-दूसरे को होठों को चुस रहे थे। हम दोनों चुम्बन लेते ही ऐसे हो जाते थे मानों दो जवान प्रेमी-प्रेमिका पहली बार चुम्बन कर रहे हो नेहा के साथ चुम्बन का मजा कुछ और था मेरी बीवी को तो ज्यादातर चुम्बन में दिलचस्पी नही होती थी। चुम्बन मुख्य क्रीड़ा थी संभोग तो सिर्फ चल रहा था। जब संभोग खत्म हुआ तो हम दोनों की सांस धोकनी की तरह चल रही थी, लम्बे चुम्बन के कारण ऐसा था।

दोनों से इस साथ का पुरा मजा लिया था। नेहा मेरे उपर ही लेटी रही। मैं उस की गरदन कन्धे को चुमता रहा। नेहा की योनि का पानी मेरे अंड़कोषों पर टपक रहा था लेकिन हमें इस की चिन्ता नही थी। हम दोनों के बीच का प्यार इस शारीरिक मिलन के आनंद को और बढ़ा देता है। मैं उस के कुल्हों को हाथ से सहला कर दबा रहा था, इस से उत्तेजित हो कर उस के कुल्हों ने फिर से लिंग पर धक्कें लगाने शुरु कर दिये। मैंने नेहा से कहा कि अभी वह अन्दर नही जायेगा। लेकिन नेहा पर कोई असर नही पड़ा उस के धक्के चलते रहे, मुझे कोई परेशानी नही थी। मैंने कुल्हों के बीच की गहराई से ऊंगली नीचे ले जा कर योनि में डाली तो पता चला कि नेहा को ऑरगास्म आ रहा था उस की आँखे बन्द थी शरीर काँप रहा था मैंने उसे बाहों से कस कर अपने से चिपका लिया हमारे शरीर के बीच कोई जगह नही थी दोनों एक हो गये थे।

नेहा ने धीरे से मेरे होंठो को छुआ और होंठ खोल कर उन्हें चुसने लगी। मैंने हाथ पीठ से हटा कर उस के कुल्हों पर कस दिये और उन्हे अपने लिंग से चुपका लिया कुल्हें एक रिदम् में अभी भी हिल रहे थे। अब तक लिंग में कुछ तनाव लौट आया था मैंने हाथ से उसे योनि में घुसेड़ दिया नेहा के धक्कें तेज हो गये। मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था मैं तो बस उस पल का पुरा मजा लेना चाहता था। कुछ देर बाद नेहा के कुल्हें हिलना बन्द हो गये। उस ने अपनी टागों से मेरी टागों को कस कर जकड़ लिया मैं उस के नीचे बिना हिले पड़ा रहा। मुझे अपने नीचे पता चल रहा था कि काफी पानी गिर रहा है। जब ऑरगास्म खत्म हुआ तो नेहा ने आँखे खोली और मेरे चेहरे को देखा जो उस को ही घुर रहा था। उस ने शर्म से आंखे बन्द कर के मेरी छाती में चेहरा छुपा लिया। बोली मेरे साथ क्या हो रहा है।मैं क्या पेशाब कर रही हूँ। मैंने कहा नही ऑर्गास्म आया था उस का द्रव है। नेहा ने कहा कि जब तुम मेरे पास होते हो तो मेरे को जाने क्या हो जाता है। मैंने कहा कुछ गलत नही है हम दोनों के प्यार की दशा को बताता है। शरीर भी अपनी दशा को बताता है। इस का मजा लो।

तुम मेरे बारे में क्या सोचते होगे?

क्या सोचुँगा?

कि हर समय सेक्स के लिए लातायित रहती हूँ।

मैं भी तो यही कर रहा हू, इस का मतलब मैं भी हर समय सेक्स ही सोचता हूँ।

जब तुम्हारे पास होती हूँ तो अपने पर कंट्रोल नही रहता।

तुम्हारे मेरे प्यार का ऐसा असर है। अपनी दीदी से पुछना मैं तो आज कर एक बार के बाद दुसरी बार कर ही नही पाता। शायद मानसिक अवस्था है इस के पीछे है।

तुम तो मेरी जान हो

तुम भी मेरी जान हो।

तुम्हें क्या कहा करुँ?

सर छोड़ कर कुछ भी चलेगा।

सुनो जी चलेगा।

दौड़ेगा।

दीदी से पुछना पड़ेगा कि वो क्या कहती है तुम्हें

मैं क्या पुकारुँ, नेहा चलेगा

तुम्हारी मर्जी

दीदी के बेड का भी कल्याण कर दिया

चलो उठ कर सूर्य महाराज के भी दर्शन कर ले निकलने वाले होगे।

हाँ चलो कपड़े पहनते है, मैं ले कर आती हूँ

वो कपडे ले कर आई तो हम दोनों ने कपड़ें पहन कर बॉलकानी में जा कर देखा तो आकाश की कालिमा छट रही थी और लालिमा छा रही थी, हमारे जीवन में भी नया सबेरा हो रहा था। सुर्य भगवान निकल आये थे। हम कुछ देर वही खड़े रहे फिर कमरे में आ गये। नेहा चाय बनाने चली गयी। मैं टीवी खोल कर समाचार देखने लगा। नेहा चाय लेकर आई और बोली की दीदी को जगा दूँ मैंने कहा कि देख लो कि जगी है या नही, उस ने आ कर कहा कि अभी सो रही है। मैंने कहा की सोने दो हम दोनों चाय पीते है। दोनों चाय पीने लगे। चाय की तलब भी लगी हूई थी। नेहा सोफे पर मुझ से सट कर बैठी थी उस का सर बार-बार मेरे कन्धे पर टिक जाता था। चाय खत्म होने के बाद मैंने उसे अपने आलिगन में भर लिया।

नेहा ने कहा कि तुम अपने अंडर गार्मेन्ट नही निकालना मैं नये ले कर आई हूँ उन को ही पहनना और यही छोड़ जाना। मैंने कहा जैसा आपका हुक्म, ये सुन कर उस ने मेरी पीठ पर मुक्कों की बरसात कर दी। मैं नहाने बाथरुम गया तो वहा नये कपड़ें रखे थे मैं नहा कर जब उन्हें पहना तो पता चला कि बिल्कुल सही फिटिग के थे। नेहा को मेरे साईज के बारे में कैसे पता चला। नहा कर बाहर आने के बाद नेहा ने यह नही पुछा कि कपड़े सही साईज के थे या नही। मेरे बाद वह भी नहाने चली गई। तब तक श्रीमति जी भी उठ गयी थी मैं उन के लिय चाय बनाने लगा। नेहा ने नहाने के बाद देखा कि मैं किचन में हुँ तो पुछा कि क्या कर रहे थे, मैंने कहा कि श्रीमति जी के लिए चाय बना रहा हूँ।

नेहा ने कहा यहाँ भी घुसपैठ कर रखी है। मैंने कहा कि घरवाली का ख्याल रखना पड़ता है तब तक पत्नी कमरे से बाहर आ गयी थी मेरी बात सुन कर बोली कि सिर्फ चाय ही बनानी आती है वो इस लिए की सुबह साहब को बिना चाय के लेटरिन नही आती है। मैंने चाय का कप उन को दिया और कहा कि किचन घरवाली की जागीर है हम उस में घुसपैठ नही कर सकते। मेरी बात सुन कर दोनों की हँसी निकल गई। नेहा बोली की मेरी किचन में आने की जरुरत नही है। मैंने पुछा कि आज का क्या प्रोग्राम है तो नेहा ने जबाव दिया कि दीदी को शहर घुमाते है। मैं फिर से टीवी देखने बैठ गया।

नाश्ता कर के बाहर जाने का प्रोग्राम बन रहा था तभी नेहा तो डिब्बे ले कर आयी और पत्नी को दे कर बोली की दीदी आप के लिए दो सिल्क की साड़ी ली थी। आज इन के ब्लाउज डलवा देती हूँ यहाँ के सिले ब्लाउज पहन कर देखियेगां कही और के सीले ब्लाउज पसन्द नही आयेगें। यह सुन का पत्नी ने डिब्बें खोल कर देखे तो गुलाबी और हरे रंग की साडि़यां थी, उस को दोनों रंग पसन्द थे, नेहा ने उस के ब्लाउज अलग रख लिए और बोली कि दो दिन में ब्लाउज मिल जायेगें। पत्नी ने भी नेहा से कहा कि मैं भी तुम्हारे लिए कुछ लाई हूँ यह कह कर वह कमरे में गई और एक पैकेट ले कर आई, उस ने वह पैकेट नेहा तो दे कर कहा कि यह मेरी सास की दी हुई साड़ी है मैं तुम्हे दे रही हूँ इसे सभांल कर रखना, उनका आर्शीवाद है। मेरे को दी थी, मैं तुम्हे दे रही हूँ, नेहा ले साड़ी ले कर उसे माथे से लगा कर पैकेट खोल कर देखा तो उस में शिफान की प्रिटिड़ साड़ी थी। मेरी मां की साड़ी थी उन्होने ही पत्नी को दी थी। पत्नी ने कहा कि यह इस लिए दी है कि तुम को भी उनका आर्शीवाद मिले। यह देख कर मैं हैरान रह गया कि मेरी पत्नी ने अपनी साड़ी नेहा को उपहार में दी है। नेहा ने कहा कि दीदी में इस साड़ी को सभांल कर रखुँगी। पत्नी ने कहा कि इस के साथ का ब्लाउज बनावा लो और इस को पहन कर दिखा देना। इन को वैसे भी साड़ी बहुत पसन्द है। नेहा बोली कि आज आप के साथ बनने दे देती हूँ। मैं खड़ा-खड़ा चुपचाप सब देख रहा था। इस मामले में मेरी कोई भुमिका ही नहीं थी।

सारा दिन हम तीनों जनें बंगलुरु घुमते रहे। नेहा और पत्नी ने खुब खरीदारी की, मैं तो कुछ खरीदना नही हूँ, दोनों ने मेरे लिए भी काफी सामान खरीदा। मेरी सहमति की दोनों को कोई आवश्कयता नही थी। मैं तो दर्शक की भूमिका निभा रहा था। शाम को घर लौटने पर दोनों खरीदे सामान को मुझे दिखाने लगी। पता चला की दोनों ने एक दुसरे के लिऐ साड़ियां खरीदी थी और मेरे लिए शर्ट और पेंट भी दोनों ने खरीदी थी। नेहा ने कहा कि आप के कपड़ें मेरे पास ही रहेगे। दीदी ने जो खरीदें है वह दिल्ली ले जाएगी। मैं सब सुनता रहा, कहने को कुछ था नही।

फिर दोनों औरतें रात का खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। मैं तो रात में थोड़ा ही खाता हूँ। लेकिन आज घुमने के कारण भुख लग रही थी। खाना बनने के बाद तीनों जने एक साथ खाना खाने बैठ गये। खाते समय बाते होनी शुरु हुई तो मेरी पत्नी ने नेहा से पुछा कि उसे साड़ी पहनने का हुक्म मिला है। नेहा ने कहा नही ऐसा तो कुछ हुआ नही है। पत्नी बोली की मेरे पर तो शुरु में बहुत दबाव था, लेकिन मुझे साड़ी पहनने में परेशानी होती थी, इन को साड़ी ही पसन्द है। इस पर मैंने कहा कि यह क्यों नहीं बताती कि जींस और टॉप पहनने के लिए भी मैंने ही कहा था। इस पर वह बोली की हाँ यह बात सही है कि जींस और टॉप मैंने इन के कहने पर ही पहननी शुरु की है।

नेहा ने कहा कि अभी तक तो मेरे कपड़ों के बारे में ये कुछ कहते नही है। मैंने ने पत्नी से कहा कि मौका मिलते ही मेरी बुराई करनी शुरु कर दी। इस के साथ तो अभी चार दिन भी नही रहा हूँ, कुछ कहने का समय ही नही मिला है। जब मिलेगा तो साड़ी पहनने को तो जरुर कहुँगा मुझे महिलाऐं साड़ी में ही सबसे सुन्दर लगती है। यह मेरी अपनी राय है। नेहा ने कहा कि दीदी कमाल की बात है अब में जब भी इन से मिली हुँ साड़ी में ही होती हूँ शायद इस लिए कुछ कहते नही है। मैंने हँस कर कहा कि मेरी तो अब शामत आने वाली है दो-दो औरतों ने मुझ पर हुक्म चलाना है तो दोनों बोली कि सो तो है अब तो दोनों की सुननी पड़ेगी। मैं चुप रहा, कुछ कहने का मतलब नही था।

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