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लम्बा चुम्बन चला, फिर मेरा ध्यान उस के गले पर चला गया और मैं उस की गरदन को चुमने लगा। होंठ दोनों उरोजों के बीच चले आये थे, मैंने ऊपर से उरोजों को दबाना चाहा लेकिन ब्रा के कारण दबा नही पा रहा था। मैंने नेहा के ब्लाउज के हूकों को खोल कर उसे खोल दिया। अब बाऊन रंग ब्रा मेरे सामने थी, मैंने नेहा को कमर से उठा कर ब्रा के हुक खोल कर उस का ब्लाउज उतार दिया। अब उस के उरोज मेरे सामने थे मैंने उन के तने हुए निप्पलों को होंठों के बीच ले लिया। दूसरे को हाथों से मसला। नेहा के हाथ मेरी कमीज को उतारने में लगी हुई थी। उस ने बटन खोल कर उसे उतार दिया मैंने बनियान अपने आप उतार दी। साड़ी खराब ना हो जाए इस लिए मैंने उसे उतार कर रख दिया। अगला नम्बर पेटीकोट का था वह भी उतर कर नीचे गिर गया। टाइट नायलोन की पेंटी दिखाई नही दे रही थी मैं उस की नाभी को चुमने लगा। इसके बाद मेरे होठ पेंटी के उपर से योनि को चाट रहे थे। मैं होठो से उस की जाँघों को सहलाता हुआ घुटनों से होता हूआ पन्जों पर पहुचा। मैंने उस की मुलायम ऊंगलियों को होठों में लेकर चुमा। इस बीच नेहा ने मेरी पेंट भी उतार दी थी।

अब मैं बेड पर बैठ गया और मैंने नेहा को अपनी गोद में पेट के बल लिया कर उस की पीठ को हाथो और होठों से सहलाना शुरु किया। मैं उस के सारे शरीर को अपने हाथों से छु रहा था। मैंने उस के सारे शरीर को अपने हाथ से अच्छी तरह से सहलाया यह उस को अच्छा लग रहा था वह आराम से पड़ी हुई थी। मैंने ऊंगली डाल कर उस की टाईट पेंटी को उतार दिया। मैंने अपनी ऊंगलियों से उस के कुल्हों के बीच की रेखा को सहलाते हुए योनि पर ले गया। योनि के ऊपर गांड पर जब ऊंगलियां पहुँची तो नेहा के शरीर ने हरकत की। उसे लगा कि मैं उसके अन्दर ऊंगली करुँगा? मैंने ऐसा नही किया। मैं ने अपनी ऊंगली योनि के अन्दर कर दी। उसे अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया। नेहा ने करवट ले कर अपने को पलट दिया और अब उस के उरोज मेरे सामने आ गये। मैंने उन्हे मुँह में ले लिया। कोशिश की कि पुरे उरोज को मुँह में ले कर चुसना चाहा। भरा हुआ उरोज मेरे मुँह में तो नही आया लेकिन मेरी इस हरकत से नेहा के मुँह से सिसकी निकल गई।

उस ने कहा कि सारें तुम्हारे ही है, आराम से करो, मैंने कहा कि मन नही भर रहा है।

मैंने उसे गोद से उतार दिया और अपनी ब्रीफ उतार दी। नेहा ने मुझे खींच कर अपने ऊपर कर लिया और किस करने लगी। उस की भुख बढ़ी हूई थी। योनि में डाली ऊंगली से पता चल चुका था कि वहाँ नमी आ गई थी। मेरा लिंग भी कठोर हो चुका था। अब देर करने का फायदा नही था मैंने लिंग को हाथ से योनि के ऊपर लगा कर धक्का दिया। धक्के से लिंग का सुपड़ा योनि में घुस गया। नेहा ने मेरे कुल्हों पर हाथ कस के उन्हें नीचे की तरफ धकेला। मैं धक्का दे ही रहा था। इस से लिंग पुरा योनि में चला गया। उस की आहहहहहहहहह से पता चला कि बच्चेदानी के मुँह तक पहुँच गया था। मैं थम गया। मैंने अपने कमर से ऊपर के हिस्से को हाथों की सहायता से ऊपर किया और लिंग को भरपुर धक्कें लगाने लगा। कमरे में फच फच की आवाज आ रही थी। नेहा नीचे से धीरे-धीरे हिल रही थी। इस से हमारे शरीर के बीच जगह खत्म हो गयी।

मन करा कि कोई और आसन किया जाये तो मैंने लिंग निकाल कर पालथी लगा बैठ गया और नेहा को उठा कर गोद में बिठा लिया इस दौरान लिंग को योनि में डाल दिया जैसे ही नेहा पुरी तरह से मेरी गोद में बैठी लिंग पुरा घुस गया। नेहा के उरोज जो अब मेरे मुँह के सामने थे मेरे होठों का शिकार हो रहे थे। मैं नेहा के चुतड़ों के नीचे हाथ लगा कर उन्हें उछाल रहा था। इस से बार बार लिंग बच्चे दानी के मुँह को छु रहा था और नेहा को सिसकने के लिए मजबुर कर रहा था। काफी देर बाद मैंने नेहा को फिर से लिटा दिया और एक तकिया उस के कुल्हों के नीचे लगा कर फिर उस के ऊपर लेट कर लिंग को योनि में डाल दिया। इस से योनि काफी उभर आई थी, मेरे को उसे भोगने में आसानी हो रही थी। नेहा नीचे से कराह रही थी। मजा तो उसे भी आ रहा था। मैंने उस के दोनों पैर उठा कर अपने कन्धे पर रख लिये उस के मुँह से सिसकियां निकलनी शुरु हो गई। कारण ये था कि योनि और कस गयी थी। इस लिए लिंग के धक्कों से ज्यादा घर्षण हो रहा था।

उस के चेहरे के दर्द को देख कर मैंने उसके पांव नीचे रख दिये उसे थोड़ा आराम पड़ा, फिर मैंने कुल्हों के नीचे से तकिया भी निकाल दिया। नेहा ने कहा कि मेरे अन्दर ही डिस्चार्ज होना। मैं भी अपने चरम पर पहुँच गया नेहा ने मुझे नीचे से अपने पैरों से कस लिया। मेरे धक्कें धीरे हो कर रुक गये। लेकिन मैं हिल नही रहा था नेहा के पैरो ने मुझे लॉक कर रखा था। जब मैं पुरा डिस्चार्ज हो गया तब नेहा ने अपने पैर मेरी कमर से हटाये। मैं उस की बगल मैं लेट गया मैंने पुछा कि कोई कोन्ट्रासेप्टिप ले रही हो। उस ने कोई जबाव नही दिया। मैं भी थोड़ा सा थक सा गया था। एक दो मिनट के बाद जब मेरी ताकत वापस आ गई थी। मैंने करवट ले कर नेहा को देखा तो वह सीधी लेटी हुई थी मुझे कुछ शक सा हुआ लेकिन मैंने कुछ कहा नही।

सुबह तीन बजे मैं उठ गया, नहाने चला गया। नहाने के बाद मैंने नेहा से कहा कि मैं कैब बुला रहा हूँ जरा पता बता दो। उस ने फोन ले कर पता बता दिया। मैं ने अपना सुटकेस चलने के लिए उठाया तो नेहा मुझ से लिपट गई और बोली कि आप को जाने देने का मन नही है लेकिन हर काम मन का थोड़ी होता है। मैंने उस के होंठों को चुमा तो वो और मैं गहरे चुम्बन में डुब गये। उसने अलग हो कर कहा कि आप मत फोन करना मैं करुँगी। मैं उस के कन्धे थपथपाता हुआ लिफ्ट की तरफ बढ़ गया। नीचे कैब इन्तजार कर रही थी। सुबह होने के कारण एअरपोर्ट चल्दी पहुँच गया। चैकइन करने के बाद लॉज में बैठ कर पीछले दो दिनों के घटनाक्रम के बारे में सोचता रहा, सब कुछ इतनी तेजी से हुआ था कि कुछ सोचने का समय ही नही मिला, प्यार मिला भी तो इतनी देर से, वो भी ऐसे। मेरे भाग्य में कोई चीज सीधी होती ही नही है।

बोर्डिग शुरु होते ही जहाज में जा कर सीट पर बैठ गया। फ्लाईट टाईप पर उड़ी, उड़ने के बाद चाय नाश्ता मिला। ढ़ाई घन्टे में फ्लाइट दिल्ली में लैंड़ कर गई। ड्राइवर को पहले ही फोन कर दिया था वह पहुँचा हुआ था। ऑफिस के रास्ते में फोन आया सिर्फ ये पुछा गया पहुँच गये। मैंने हाँ कहा, फोन कट गया। ऑफिस में जा कर फिर काम में लग गया। शाम को घर पहुँचा तो बीवी से पुछा कि देर कैसे हो गई मैंने कहा कि कुछ काम पड़ गया था। जब घड़ी उतार रहा था तो उस ने पुछा कि आज तो सूरज पश्चिम से निकला है आप ने अपने लिए अगुठी खरीदी है मैंने उतार कर उसे दिखाई उस ने हाथ में लेकर तौली और वापस दे दी। बोली बढ़िया है। फिर उस ने देखा कि घड़ी भी नई है यह भी खरीदी है मैंने कहा हाँ अच्छी लगी। उस ने कुछ नही कहा। लेकिन लग रहा था कि उसे खुशी थी कि मैंने अपने लिए कुछ खरीदा है।

रात को सोते समय बीवी ने ज्यादा लॉड दिखाया। उस के प्रेम का भी प्रतिउतर देना जरुरी है। इस लिए उस के साथ भी संभोग लम्बा और तुफानी था, मुझे लगा कि या तो मैं बदल गया हुँ या वो बदल गयी है। समय भी इतना ज्यादा लगा कि उसे दर्द हो गया लेकिन उस की शिकायत मुझे झुठी लगी। वह सन्तुष्ट हो कर सो गई। तभी मेरे फोन पर एस एम एस आया, देखा तो लिखा था स्वीट ड्रीमस गुड नाईट। मैंने फोन बन्द कर दिया और सो गया।

दिन ऐसे ही गुजरतें रहें ना उस का फोन आया ना मैंने करा। मैसेज रोज आते थे। महीने भर बाद फिर बंगलुरु का ट्रिप बन गया। इस बार सैकेटरी भी साथ जा रही थी। मिलन मुश्किल था। मैंने मैसेज किया कि आ रहा हूँ लेकिन अकेला नहीं हूँ। उस ने उत्तर दिया कि स्वागत है। दो दिन तो काम में ही निकल गये। आखिरी दिन मैंने सेकैटरी को कहा कि उसे बंगलुरु घुमना तो नही है। उस ने कहा कि सर मैंने तो कुछ भी देखा नही है अगर आप चलते है तो मैं भी देख लुँगी। मैंने यह बात नेहा को बताई तो उस ने कहा कि बॉस को यह तो करना पड़ेगा, लेकिन तुम्हारा साथ कैसे मिलेगा मुझे। मैंने कहा कुछ करते है इतनी दूर आ कर अपनी जान से मिले बिना नही जायेगे। उस की हँसी फोन पर खनखने लगी। उस ने कहा कि इस बार कुछ नही मिलेगा, सुखे घर वापस जाओ।

मैं सेकैटरी के साथ शहर घुमने निकल गया नेहा ने पहले ही बता दिया था कि कहां-कहाँ जाना है। शाम को होटल लौट कर उस के साथ डिनर किया और उसे सोने भेज दिया। अपने कमरे में पहुँचा तो थोड़ी देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई मुझे लगा वही होगी। मैंने दरवाजा खोला तो नेहा खड़ी थी। उस ने जल्दी से अन्दर आ कर कहा कि तुम्हारे पास एक घन्टा है। मैंने कहा की तुम कहाँ से आई उस ने कहा कि वो मत पुछो। वह मेरे गले से चुपक गई और उस के होंठों ने मेरे होंठों को सील कर दिया। महीने भर की प्यास आज ही मिटानी थी। हम दोनों को अब कोई चीज रोक नही सकती थी। कपड़े उतर कर जमीन पर गिर गये, और कमरे में आहहहहह उहहहहह की आवाजें आने लगी। ज्यादा समय नही था, संभोग शुरु हो गया लम्बा चला, मैं थका था लेकिन शरीर की थकान पर मन की उमंग हावी थी।

आधे घन्टे बाद जब तुफान गुजर गया तो मैंने साँस ले कर बोला की मैडम ने रुम का पता कैसे करा? उस ने कहा कि हर चीज बताई नहीं जाती, तुम्हारे भरोसे रहती तो आप सुखे वापस जाते यह मैं होने नही देती। मैंने उसे चुम कर कहा कि इस के लिए क्या इनाम चाहिए तो उस तरफ से जवाब आया कि इनाम तो मिल गया है। थोड़ी देर बाद नेहा बोली की मैं अब जा रही हूँ जरा दरवाजा खोल के देखों कि तुम्हारी सैकेटरी तो नही जाग रही है। मैंने कहा कि मैंने पहले ही कन्फर्म किया है कि वो सो गई है तो नेहा ने हँस कर कहा कि बॉस को हर बात थोड़ी ना बताई जाती है। मैं ने दरवाजा खोल कर देखा और नेहा को इशारा किया, वो चुपचाप कमरे से निकल गई। मैं धीरे से उस के कमरे तक गया तो देखा कि कमरा बन्द था।

मैं लौट कर लेटा था कि दरवाजे पर नॉक हुई मैं ने दरवाजा खोला तो मेरी सैकेटरी खड़ी थी। कमरे मैं आ कर बोली की सर आज मैंने आप के लिए कुछ खरीदा था सोचा कि आप को दे दूँ। मैंने बेड की तरफ देखा तो रजाई ने पुरे बेड को कवर कर रखा था। बेडशीट पर हमारे मिलन के निशान पड़े हुए थे। मैंने उसे बैठने को कहा तो वह कुर्सी पर बैठ गयी। उस ने नाईट गाउन डाला हुआ था। मैंने उस की तरफ नजर ना कर के पुछा कि क्या खरीदा था तो उस ने कहा कि सर एक टाई खरीदी थी। उस ने टाई का पैकेट मेरे को दे दिया, मैंने कहा कि जल्दी सो जाना चाहिए था सुबह जल्दी उठना है। उस ने कहा कि सर ऑफिस में देना सही नही था इस लिए अभी आ गई। मैं चाह रहा था कि वह जल्दी चली जाये लेकिन वो जाने का नाम नही ले रही थी। मुझे बोलना पड़ा कि निशा अब जा कर सोओ। आज का दिन बड़ा थका देने वाला था। मुझे नींद आ रही है। उस ने कहा कि सर आप से बात करने का समय ही नही मिलता, मैंने कहा कि तुम से ज्यादा मुझ से कोई बात नही करता है। मैंने उबासी ली। उस को समझ आ गया कि उसे अब जाना चाहिए, लेकिन जाते जाते निशा भी मुझे किस कर के गई।

मैं ने दरवाजा बन्द किया और जल्दी से बेड पर से रजाई हटा कर देखा बेडशीट पर बड़ा सा दाग पड़ा हुआ था। इतना तो होना ही था। तभी नेहा का फोन आ गया, उस ने कहा कि गई? मैंने चौक कर पुछा कि कहाँ हो उस ने कहा कि लॉबी में खड़ी हूँ अपने सामान की चिन्ता थी। मैंने हँस कर कहा कि आ कर देख लो कुछ चोरी तो नहीं हो गया है। उस ने हँस कर कहा कि विश्वास है लेकिन मैं भी तो चोर हूँ इस लिए सब चोर दिखाई देते है। मैं अब निकल रही हूँ, पहले भी जा रही थी तभी उस का दरवाजा खुला तो रुक गई। मैंने कहा कि अभी गड़बड़ हो जाती बेड़शीट पर दाग लगा हुआ है। मैं लेटा ही था कि निशा अचानक आ गई। मुझे लगा कि तुम हो, मैं ऐसे ही उठ कर दरवाजा खोल दिया।

नेहा ने कहा कि देखना की रात मैं दुबारा ना आ जाये। मैंने कहा की चिन्ता मत करो, उसे डांट कर भेजा है। घर जा कर फोन करना, प्यास अभी मिटी नहीं है। नेहा ने हँस कर कहा कि मीठा ज्यादा अच्छा नही है। जितना मिला है उस से खुश रहो। स्वीट ड्रीमस गुड नाईट कह कर फोन कट गया। आधे घन्टे बाद फोन आया कि घर पहुँच गयी हूँ। मैंने कहा कि बड़ी बहादूर हो। उस ने कहा सो तो हूँ। बोली बात करनी थी लेकिन हो नही पायी। मैंने कहा कि मैं दिल्ली जा कर फोन करुँगा, नेहा ने कहा कि नहीं मैं करुँगी, आप टाईम बता देना। मैंने कहा अभी से कैसे बता सकता हूँ उस ने कहा कि मिस कॉल कर देना। मैंने हँस कर कहा कि मिस कॉल को तो मैं भुल गया। फोन कट गया।

सोने लेटा तो सोचने लगा कि यह निशा की बच्ची भी किसी चक्कर में है इस से बचना पड़ेगा फिर मन ने कहा कि उसे भी मजा लेने दे। उस के मजे का क्यों खत्म करता है। थका होने का कारण नींद आ गई। अलार्म के बजने से नींद खुली, निशा को फोन करा, उस ने फोन उठाया और बोली सर क्या है। मैंने कहा कि उठो, चलना है। तब जा कर उस की नींद खुली और बोली सर सॉरी उठ गई हूँ अभी तैयार हो कर आती हूँ मैंने कहा कि मुझे आधा घन्टा लगेगा, आने से पहले अपना कमरा ठीक से देख लेना। मैं नहाने चला गया। नहाने के बाद तैयार होने के बाद सारे कमरे को चैक करने लगा। सामान सुटकेस में रखने के बाद निशा का इन्तजार करने लगा। निशा जब आई तो बोली की सर सब चैक कर लिया है।

आप का रुम चैक कर ले मैंने कहा कि मैंने कर लिया है। लेकिन उस ने रजाई हटाने का इरादा किया तो मैंने उसे रोक कर कहा कि सब देख लिया है। सुटकेस ले कर बाहर चलो मैं एक नजर मार कर आता हूँ वह दोनों सुटकेस ले कर बाहर चली गई। मैंने दरवाजा बन्द कर के कमरे को चैक करना शुरु किया बेड पर रजाई हटा कर देखा कि कुछ पड़ा तो नही है तकिए के नीचे नेहा के कान का इएरिंग पड़ा था मैंने उठा कर जेब में डाला और चद्दर पुरी हटा कर चैक किया और कुछ नही मिला। बेड के नीचे भी नजर डाली। कुछ नही मिला। मैंने चैन की साँस ली। दरवाजा बन्द किया और नीचे चल दिया।

दिल्ली आ कर खाली हुआ तो नेहा को मिस काल किया। दूसरी तरफ से फोन आया तो मैंने कहा कि कुछ खो तो नही गया है। उस ने कहा कि मेरा इएरिंग कमरे में शायद गिर गया था। मैंने कहा कि मैडम कल तो मैं बाल-बाल बच गया। उस ने हँस कर कहा कि कैसे? मैंने कहा कि निशा पीछे ही पड़ गई कि मेरे कमरे को चैक करेगी। बड़ी मुश्किल ने उसे भगाया और जब बेड चैक किया तो तुम्हारा इएरिंग तकिए के नीचे पड़ा मिला। अगर निशा के हाथ लग जाता तो उस ने परेशान करना था। नेहा की हँसी आई दूसरी तरफ से, लड़कियों से कैसे बच सकते हो इस की ट्रेनिंग देनी पड़ेगी। फिर सारे जहाँ की बाते होती रही। नेहा ने कहा कि जब आग में कुद पड़े है तो आग से डरना क्या।

हमारा संबंध ऐसे ही चल रहा था मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं अपनी पत्नी को यह सब कैसे बताऊँ, उस का इस पर क्या रिएक्सन होगा यह तो बाद की बात थी। लेकिन भगवान कई बार अजीब तरीके से हल सुझाता है मुझे पता नही था। मेरी माता जी एक दिन सुबह सोते में ही दिल का दौरा पड़ने से गुजर गई। मैं अपनी मां को बहुत प्यार करता था। उस दिन मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई। मुझे अपने कई सारे चैक करवाने पड़े। नेहा को मैसेज किया, उस का फोन आया कि वह दिल्ली आ रही है। मैंने मना किया लेकिन उस ने कहा कि वह मेरी बात नही मान सकती। मैंने उस से कहा कि चार-पांच दिन बाद आना तो उस ने कहा कि वह सुबह आ जाऐगी लेकिन घर नही आयेगी। मैं जब कहुँगा तब ही आऐगी। मैं ने कहा कि मैं उसे बताऊँगा। इस समय तो घर संबंधियों से भरा हुआ है। चार दिन बाद मैंने उसे आने के लिए फोन किया तो वह घर आ गयी। मैंने उसे पत्नी से मिलवाया कि मेरी कुलीग है। इस के बाद मैं किसी काम में लग गया।

उन दोनों में कब क्या बात हूई। मुझे पता नही चला मैं घर में आये लोगों के बीच व्यस्त था। दोपहर के खाने के समय जब सब लोग एक साथ खाना खा रहे थे तब नेहा मुझे दिखाई दी। हम दोनों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नही था। एक दूसरे को बिना देखे हम खाना खा रहे थे। मेरी पत्नी सारा काम सम्भाल रही थी। उस से बात करने का तो समय ही नही था। खाना खाने के बाद नेहा ने अवसर देख कर मुझे कमरे में बुलाया तो मैं उस के पास गया तो देखा कि पत्नी वहाँ पहले से मौजुद थी। नेहा ने मुझ से कहा कि मैंने दीदी से बात कर ली है और उन्होंने मुझे माफ कर दिया है। मैं आज वापस चली जाने वाली थी लेकिन दीदी का कहना है कि मुझे तैरहवी के दिन आना चाहिए, मैं कोशिश करती हूँ कि छुट्टी मिल जाए अगर नही मिलती है तो मैं बाद में आ जाऊँगी।

मैं हैरान सा कभी नेहा को और कभी अपनी पत्नी को देख रहा था। इससे पहले कुछ कहता किसी ने मुझे आवाज दे कर बाहर बुला लिया। इस के बाद नेहा चली गई। आज मेरी जिन्दगी की इतनी बड़ी बात हो गई लेकिन मेरे पास उस के बारे में सोचने के लिए समय नही था। शाम को ऑफिस के और लोग शोक प्रगट करने आये थे। उन के जाने के बाद पत्नी ने पुछा कि ऑफिस से छुट्टी ले ली है या नही मैंने कहा कि छुट्टी नही मिली है मुझे भी ऑफिस जाना पड़ेगा, उस ने कहा कि जाने से पहले जो काम करने होते है उन को कर के जाइयेगा। मैं ने हाँ मैं सर हिलाया।

इस समय एकान्त मिलना तो मुश्किल था लेकिन सुबह कुछ काम करने के लिए जब हम दोनों बाहर गये तो उस ने मुझ से कहा कि तुम मुझे बता नही सकते थे मैंने पुछा कि क्या तो उस ने कहा कि नेहा के बारे में। मैंने कहा कि बताने की हिम्मत जूटा रहा था। पत्नी ने कहा कि मुझे पता है कि तुम्हें उस से प्यार है। उस को तो तुम से इतना प्यार है कि मैं समझ ही नही पा रही हूँ कि कोई किसी को इतना कैसे चाह सकता है? लेकिन आज मैंने अपनी आंखों से देख लिया है। मुझे कोई परेशानी नही है, समाज को तुम दोनों को झेलना है।

मैं तो सिर्फ तुम्हें बांटने का दुख सहुँगी। लेकिन लगता है नेहा का प्यार तुम्हें शान्ति दे पाऐगा जो मैं नही दे पाई हूँ। मैंने कहा कि मुझे तुम से कोई शिकायत नही है। लेकिन इस पर मेरा कोई जोर नही है। उस ने कहा कि उसे पता चल गया है तो वह इस बात को सम्भाल लेगी। मैंने उस से पुछा कि नेहा को क्यों बुलाया है तैरहवी पर तो उस ने कहा कि उस ने जब तुम्हारे जीवन में प्रवेश कर लिया है तो उसे तुम्हारे जीवन में हो रही घटनाओं में भी भाग लेना चाहिए। किसी को ज्यादा बताने की आवश्यकता नही है नेहा के बारे में बताने की।

उसे बता दिया है कि तैरहवी तक उसे जमीन पर सोना है, क्योकि तुम और मैं भी जमीन पर सो रहे है जो मैं यहाँ कर रही हूँ वो सब उसे भी करने को कह दिया है देखते है कि वह करती है या नही, मुझे तो लगता है कि सब कुछ करेगी। मैं चुप रहा। इतना सब कुछ दोनों के बीच हो गया मुझे पता ही नही चला। दोनों ने सब कुछ संभाल लिया। मुझे लगा कि मैंने सर से एक बड़ा बोझ उतर गया है।

दिन गुरजते गये। मैं ऑफिस और घर में फँसा रहा, मैंने नेहा को फोन नही किया। उस ने भी नही किया। तैरहवी से एक दिन पहले वह घर पर आ गयी। उसे देख कर मैं भी आश्चर्य में पड़ गया एक बार तो उसे पहचान नही पाया। उस ने अपने को बिल्कुल बदल लिया था, वह साड़ी पहने हुए थी उस पर उसने सर भी ढ़क रखा था मेरी हँसी निकलने वाली थी कि उस ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे ऐसा करने से रोक दिया। वह चुपचाप पत्नी के साथ घर के अन्दर चली गयी। मैं बड़ा हैरान था सोच रहा था कि ये दोनों औरतें क्या करना चाहती है। हुआ तो कुछ खास नही, सब कार्य होते रहे और नेहा मेरी पत्नी के साथ-साथ रही। शाम को जब कार्यक्रम खत्म हो गये तब मैंने पत्नी से पुछा तो उस ने कहा कि उस ने नेहा को अभी नही भेजा है वह कल जायेगी। रात को सोते समय नेहा से मुलाकात हूई तो पता चला कि उसे कोई पहचान नही पाया है। उस की वेशभुषा ने उसे भीड़ में मिला दिया था। सुबह जब नेहा जाने लगी तो नेहा ने मुझ से कहा कि कुछ दिन बाद छुट्टी लेकर दीदी के साथ बंगलुरु आईगां। मैं यह सुन कर और आश्चर्यचकित हो गया।

घर में मां के देहान्त के बाद परिवार में झगड़ें बढ़ गये थे। सब अपनी-अपनी चलाना चाहते थे। मैं इस कारण से बड़ा अशान्त था, एक दिन पत्नी से कहा कि कुछ दिनों के लिए कही बाहर चलते है। मैंने सोचा कि वह अपने मायके जाने की बात कर रही है, लेकिन उस ने कहा कि नेहा के पास चलते है। मैं ने उसे ऐसे देखा कि उस के सर पर सींग उग आये हो, उस ने कहा कि क्यों तुम ही हैरान कर सकते है मैं नही? मैं ने कहा कब चलना है तो बोली की तुम को जब छुट्टी मिल जाये। मैं ने फोन कर के नेहा को कहा कि पत्नी उस के पास आना चाहती है उस ने कहा कि कब आ रहे है?

मैंने कहा कि एक-दो दिन में बता दूँगा। ऑफिस से छुट्टी तो मिल गयी। दो दिन बाद हम बंगलुरु के लिए निकल लिये। पत्नी की यह पहली हवाई यात्रा थी सो उसे घबराहट हो रही थी मैंने उसे समझाया कि घबराने की कोई बात नही है। रास्ता मजे से कट गया, मियां बीवी को एकान्त अब नसीब हुआ था हम दोनों उस का भरपुर मजा ले रहे थे। एअरपोर्ट पर नेहा हमें लेने के लिए आई हुई थी। लग नही रहा था कि कोई औरत अपनी सौतन का स्वागत करने आई हुई है। उस के घर जा कर देखा तो घर की सजावट बिल्कुल बदली हूई थी।

आराम करने के बाद हम तीनों जब एक साथ बैठे तो मैंने पुछा कि उस दिन ऐसा क्या हुआ था जो मुझे पता नही है। नेहा बोली मैं बताती हूँ कि उस दिन हुआ क्या था। मैं ने जब दीदी को देखा तो मुझे लगा कि मैं तो इन के सामने कुछ भी नहीं हुँ। मैंने इन के साथ बहुत बुरा किया है इन के पति को चुरा लिया है। जब मैं इन के साथ कमरे मैं गई तो मैं ने अपना माथा इनके कदमों में रख दिया और कहा कि आप के साथ मैंने बड़ा बुरा किया है लेकिन मेरे पास अपने जीवन को बचाने के लिए इस के सिवा कोई चारा नही था। आप मुझे माफ कर दो। इन्होने मुझे उठा कर कहा कि ये तो कुछ बताते नही है तुम ही कुछ बताओ। मुझे कुछ तो पता है लेकिन पुरा पता नही है।

मैंने इन्हे उस दिन की सारी बात बता दी। और यह भी कहा कि मैं इन के बिना जिन्दा नही रह सकती। शायद कुछ कर लेती लेकिन भाग्य ने उस दिन अचानक इन्हें मेरे पास भेज दिया। मेरी बाते सुन कर इन्होंने कहा कि अगर तुम उन को प्यार करती हो तो कोई गलत बात नही है, ये है ही ऐसे। इन की पसन्द को मैं नकार सकती हूँ लेकिन ऐसा करना सही नही होगा, इन की प्यार की प्यास मेरे से नही बुझती तो शायद तुम से बुझ जाये। यह कह कर दीदी ने मुझे उठा कर गले लगा लिया। मेरी कोई बहन नही है लेकिन उस क्षण मुझे मेरी बहन मिल गई। फिर दीदी ने ही मुझे सब बातें समझायी।

इतनी सी बात हुई थी उस दिन। मैं अभी अचरज में था। मेरी पत्नी ने कहा कि तुम आदमी लोग इन बातों को नही समझ सकते। हम औरतें इन बातों को समझती है और सुलझा भी सकती है। इस की चिन्ता करना छोड़ दो। हम दोनों सभाल लेगी। मैं चुप रहा। लगा कि दोनों मिल कर मेरा मजाक बना रही है। नेहा ने एक कमरा पत्नी को दिखा कर कहा कि दीदी यह आप के लिए तैयार किया है। आप अब आराम करो। मुझ से बोली की आपके कपड़ें मेरी अलमारी में रखे है, बदल लो।

मैं कपड़ें बदलने उस के कमरे में गया तो वो भी पीछे से आ गई और मेरे से लिपट गई। किसों की बरसात हो गई। मैंने धीरे से उस के चेहरे को पकड़ कर उस के होंठो को चुमा। लेकिन उसे तो इस से अधिक कुछ चाहिए था, उस के हाथ मेरे जिस्म पर घुम रहे थे। मैंने उस के कान में कहा कि भई आराम से कर लेना कही नही जा रहा हूँ। लेकिन उस के उत्साह में कोई कमी नही आई। उस के होंठ मेरे होंठों से चुपक गये और उन को चुसने लगे। नीचे का होंठ छुठा तो ऊपर का होंठ का नम्बर आ गया। अब मेरे हाथ भी उस के उरोजों को ब्रा के उपर से मसल रहे थे। दोनों इतने दिनों बाद मिले थे कि सब्र नही हो रहा था। मैंने धीरे से उस की साड़ी उठायी और उसे दीवार से लगा कर पेंट नीचे कर के ब्रीफ में से लिंग निकाल कर उस की पेंटी को किनारे कर के योनि में डाल दिया। उस के पैर मेरे कन्धे पर थे और मैं धक्के लगा रहा था उस के होठ मैंने अपने होठों से दबा रखे थे ताकि वह ज्यादा आवाज न कर सके।

मेरे ऐसे करने से उस के हाथ मेरी पीठ पर मुक्के मार रहे थे लेकिन मैं उन की परवाह न करके धक्के पर धक्का लगा रहा था थोड़ी देर में तुफान अपने पुरे उफान पर आ कर उतर गया। मैंने उस के होंठ छोडे तो उस के होंठों ने मेरे गले पर अपनी छाप लगानी शुरु कर दी। उस को अभी आराम नही आया था तभी पीछे से मेरी पत्नी की आवाज आई कि जो करना है तो आराम से क्यों नही करते। हम दोनों की तो साँस ही रुक गई, वो कमरे में आ कर बोली की इतने दिनों बाद मिले हो तो आराम से कर लो ऐसी भी क्या जल्दी है? मैं ने उसे पास बुला कर उसे चुम कर कहा कि तुम भी आ जाओ। उस ने कहा कि पहले तुम नेहा से तो निबट लो, फिर मेरे से बोलना। यह कह कर वो कमरे से चली गयी। मैंने नेहा को बेड पर लिटा दिया। उस का शर्म के मारे बुरा हाल था ऐसा था कि मानो किसी बच्चे को चोरी करते समय पकड़ लिया गया हो। हम दोनों ने अपने कपड़ें सही किये और दूसरे कमरे में पत्नी के पास गये।

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