अनचाहा संबंध

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रमा चिहुंक कर बोली कि आज यह करने का समय नहीं है तुम अपनी बदमाशी बंद करो। वाणी बोली कि दीदी यह ऐसे ही बदमाशी करते है। रमा बोली कि अगर इन्हें रोका ना जाये तो बदमाशी की हद पार कर जाते है. मैं तो इन पर लगाम लगा कर रखती हूँ। मेरा हाथ दरार से नीचे जा कर उस की योनि पर पहुँच गया। एक ऊंगली योनि के अंदर बाहर करने लगा। दोनों इस कारण से आहहहहह उहहहहह करने लग गयी। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा फिर मैंने रमा को अपने लिंग की तरफ किया और वाणी को अपने मुँह पर बिठा लिया। मेरी जीभ वाणी की योनि में उतर गयी। रमा ने मेरे लिंग को अपनी योनि में डाल लिया। उसे पता था कि मैं आज उस के लिये उपलब्ध नहीं हूँ लेकिन वह अपने मन का कर रही थी।

मेरी जीभ वाणी की योनि का रसास्वादन कर रही थी। और मेरे हाथ उस के वक्षस्थल पर घुम रहे थे। वह उत्तेजना के कारण काँप रही थी। उस के लिये इस तरह की उत्तेजना का महसुस करने का यह पहला अनुभव था। रमा भी उस की पीठ और गरदन पर अपने होंठों से वार कर सही थी। आगे से मैं और पीछे से रमा के प्रहारों के कारण वाणी बीच में फँस सी गयी थी। कुछ देर बाद उस ने अपनी योनि मेरे मुँह पर दबा दी। फिर उस की योनि ने अपना रस मेरे मुँह पर छोड़ दिया। इस कारण से उस का सारा बदन काँप रहा था। मैंने उस के कुल्हों को पकड़ कर उस की योनि को अपने मुँह से सटा लिया। कुछ देर तक उस की योनि धार छोड़ती रही। फिर जब वह सामान्य हुई तो उस ने मेरे ऊपर से उठकर रमा को आगे कर दिया और खुद मेरी जाँघों पर बैठ कर लिंग अंदर डाल लिया।

रमा जो अभी तक लिंग का आनंद उठा रही थी अब मेरे मुँह पर धक्कें लगा रही थी क्योंकि वह भी डिस्चार्ज होने वाली थी। कुछ देर में वह भी आहहहहहहहहहहहह करके डिस्चार्ज हो गयी और निढाल सी हो कर मेरी छाती पर बैठ गयी। वाणी के हाथ रमा के स्तनों को दबा रहे थे। वाणी शायद उन्हें महसुस करना चाहती थी इसी कारण से वह उन्हें सहला कर मजा ले रही थी। नीचे से मैं अपने कुल्हें से उस की योनि पर प्रहार कर रहा था। वह भी कुल्हें उछाल कर मेरा साथ दे ऱही थी।

रमा ने अपनी पोजिशन बदल कर अपना मुँह वाणी के सामने कर लिया और दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करने लगी। दोनों के चुम्बन बहुत जोरदार थे। शायद कोई दमित इच्छा पुरी हो रही थी। मैं पीछे से रमा की पीठ पर हाथ फेर रहा था। उस की उत्तेजना बढानी थी। वह उत्तजित तो थी लेकिन डिस्चार्ज होने के कारण थोड़ी शीथिल हो गयी थी। मैंने अपना हाथ उस की योनि में डाल दिया और दो ऊँगलियां योनि में डाल कर अंदर बाहर करना शुरु कर दिया।

पीछे से वाणी लिंग को अंदर बाहर कर रही थी। कुछ देर बाद में वाणी के भीतर डिस्चार्ज हो गया। वह भी थक कर मेरे उपर बैठी रही। मैंने रमा को हटाया और वाणी को लिटा दिया। हमें उस के ऐसे ही लिटाये रखना था ताकि वीर्य योनि से बाहर ना निकल जाये। रमा भी उस की बगल मे लेट गयी। वह भी थक गयी थी। पहला दौर खत्म हो गया था। हम सब अपनी बिखरी साँसों को इकठ्ठा कर रहे थे। जब सही हो गये मैं सोचने लगा कि अगले दौर में क्या किया जाए।

दिमाग में आ गया था कि अब क्या करना है। मैंने बगल में लेटी रमा को पेट के बल किया और उस के कुल्हों को हाथों से थपथपाया। वह समझ गयी कि अब क्या होने वाला है। मैं उस पर लेट कर उस के कुल्हों की गहराई में अपने लिंग को रगड़ने लगा। कुछ देर बाद ऐसा करने से लिंग में तनाव फिर से महसुस होने लगा। जब लिंग भरपुर तन गया और उस के कुल्हों को उपर उठा कर उस की योनि में पीछे से प्रवेश किया। रमा दर्द के कारण कराहने लगी। मैं धीरे-धीरे धक्कें लगा रहा था। उस के कुल्हें मेरे धक्कों की मार के कारण लाल से हो गये थे।

काफी देर रमा और मैं इस आसन का मजा लेते रहे। वाणी हम दोनों को देख रही थी उसे पता था कि रमा के बाद उस का ही नंबर आना था। मैं रमा के उपर से उठ कर अलग हो गया। वाणी ने करवट बदली और वह भी पेट के बल लेट गयी। मैं उस के कुल्हें सहलाता रहा। फिर उस की गहराई में ऊंगलियां फेरने लगा। वह चिहुंक गयी। उसे लगा कि मेरे मन में कुछ और है लेकिन मैं अपने वीर्य को कहीं और बरबाद नहीं करना चाहता था इसी कारण मन होते हुए भी वह नहीं करना चाहता था।

वाणी के कुल्हों को ऊंचा किया और उस के पीछे से प्रवेश किया। वह कराही लेकिन फिर चुप हो गयी। मैं भी धीरे-धीरे उस की योनि में लिंग अंदर बाहर करता रहा। दूसरी बार होने के कारण स्खलन होने में ज्यादा समय लगना था। यह मुझे पता था। कुछ देर बाद मैंने वाणी को सीधा किया और उस की टांगों को अपने कंधों पर रख कर अपना लिंग योनि में डाल दिया। पहले धीरे और बाद में जोर से धक्कें लगाने लगा। वाणी अपनी गरदन इधर-उधर पटक रही थी। कुछ देर बाद उस ने कहा कि पाँव नीचे कर दो। मैंने उस के पाँव नीचे कर दिये। दूबारा से लिंग अंदर डाला तो वाणी आहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहहह करने लग गयी।

मेरे प्रहार पुरे जोर से चल रहे थे। वह हाथ पैर भी पटकने लगी। रमा ने जब यह देखा तो मुझ से कहा कि जरा रुक जाओ। मैं रुक गया और लिंग बाहर निकाल लिया। वाणी शान्त हो गयी। रमा ने उसे झकझोरा तो वह बोली कि क्या हो गया? रमा बोली कि तुम बताओ क्या बात है वह बोली कि मुझे कुछ पता नहीं है। मैंने कहा कि यही रुक जाते है शायद इस के लिये ज्यादा हो गया है। वाणी बोली कि आज पहली बार है इस लिये ऐसा है लेकिन तुम पुरा करो।

मैंने रमा की तरफ देखा तो वह बोली कि जब यह कह रही है तो काम पुरा करो। मैंने उस के अंदर फिर से लिंग डाला और धक्कें लगाने शुरु कर दिये। मेरी हालत भी खराब सी हो रही थी। मैं भी थक गया था और चाहता था कि जल्दी से स्खलित हो जाऊँ। जोर लगाने से कुछ देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया। वाणी की योनि नें अंदर से लिंग को कस लिया था और मेरा लिंग मथ सा गया। योनि नें मानो लिंग को निचोड़ सा लिया। कुछ देर बाद निचुड़ा हुआ लिंग वाणी की योनि से बाहर निकल आया। वह योनि द्रव और वीर्य से लिथड़ा हुआ था।

मैं भी रमा, वाणी के बगल में लेट गया। कुछ देर आराम करने के बाद बैठा तो रमा और वाणी भी उठ कर बैठ गयी। रमा ने वाणी से पुछा कि क्या हुआ? वाणी बोली कि मैं तो हवा में उड़ रही थी, अब नीचे उतरी हूँ। रमा बोली कि आज मजा आ गया। उस ने मेरी तरफ मुँह किया तो मैंने कहा कि अगर तुम दोनों संतुष्ट हो तो मैं भी खुश हूँ। वाणी बोली कि आज तो तुम ने आगे से पीछे से दोनों तरफ से कर के बाजा बजा दिया है। रमा बोली कि अभी तो कुछ रह गया है जो कर नहीं पाये नहीं तो तेरी तो जान निकल जाती। वाणी कुछ नहीं बोली। मैंने कहा कि तुम सही तो हो? वह बोली कि तुम दोनों को ऐसा क्यों लग रहा है। रमा बोली कि तुम गरदन और हाथ-पैर इदर-उधर पटक रही थी इस लिये हम दोनों कुछ देर के लिये डर गये थे। वाणी बोली कि शायद उत्तेजना के कारण ऐसा किया होगा। मैं तो पुरा मजा ले रही थी। आगे मुझे कुछ पता नहीं है। उस के चेहरे पर संतुष्टी के लक्षण नजर आ रहे थे।

रमा बोली कि चलों उठ कर अपने को साफ कर लो, फिर कपड़ें पहन कर सोते है। हम तीनों अपने आप को साफ करने लग गये। फिर कपड़ें डाल कर तैयार हो गये। वाणी अपने कमरे में सोने चली गयी। हम दोनों पति-पत्नी सोने लेट गये। मैंने रमा से पुछा कि छोटी का क्या करा? वह बोली कि तुम चिन्ता ना करों सुबह सब बताती हूँ तुम अब सो जाओ। मैं उस की सलाह मान कर सो गया।

सुबह सब कुछ सामान्य था, मैं उठ कर तैयार हुआ और ऑफिस के लिये निकल गया। घर से दिन में कोई बात नहीं हुई।

सातवीं रात

विदाई की रात

दिन सामान्य तौर पर शुरु हुआ, मैं ऑफिस गया। वहाँ से वापस आया तो रमा ने मुझे याद दिलाया कि कल उसकी भाभी और छोटी बहन वापस जा रही हैं। मुझे पता तो था लेकिन इस पुरे हफ्ते में इतना कुछ बीता था कि यह बात मेरे ध्यान से निकल गयी। रात को खाना खाते समय चारों लोग आपस में हंसी मजाक करते रहे। जब सोने की बारी आयी तो मैं बेडरुम में सोने चला गया। कुछ देर बाद रमा भी आ कर पास लेट गयी। वह मुझ से बोली कि कल वाणी चली जायेगी। तुम एक बार और उन के साथ संबंध बना लो। मैंने कहा कि सुबह देखते है तो वह बोली कि देखते नहीं तुम्हें यह करना है। मैंने कहा कि जैसा तुम कह रही हो अभी तक मैं वैसा ही कर रहा हूँ तो आज तुम्हारी बात क्यों नहीं मानुँगा। वैसे तो मैं भी मन ही मन इस के लिये राजी था। सुबह वाणी की आवाज से मेरी नींद खुली। वह मेरे पास आ कर लेट गयी।

उस ने मुझ से पुछा कि तुम्हें मेरी याद आयेगी। मैं कुछ नही बोली। वह बोली कि मुझे तो तुम से प्यार हो गया है, लेकिन मैं बदले में तुम से कुछ नहीं चाहती। मैंने उसे अपने से लिपटा कर कहा कि हर बात मुझ से क्यों सुनना चाहती हो, कुछ चीजें बिना कहे समझ लेनी चाहिये। तुम भी अब मेरी जिन्दगी का हिस्सा बन गयी हो। उसे मैं चाह कर भी अपने से अलग नहीं कर सकता। मैंने उस का चुम्बन लिया और उस के बदन पर हाथ फैरना शुरु कर दिया। वह भी मेरा शरीर सहला रही थी। हमारा साथ अब यादों में रह जाने वाला था। हम दोनों एक दूसरें में समाने की कोशिश करने लगे। कपड़ें उतर गये और हम दोनों अपने शरीर में भड़की आग को बुझाने में लग गये।

जब आग बुझी तो दोनों पस्त हो कर अगल-बगल लेट गये। मैंने कहा कि तुम अपना ध्यान रखना और जैसी भी खबर हो बताना। वह बोली कि तुम्हें तो हर खबर पहले पहल पता चलेगी। चिन्ता मत करो। मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली। मैं हँस पड़ा और बोला कि तुम अभी तो आने वाली परेशानियों को झेलने का प्रयास करो। मेरी चिन्ता करने के लिये रमा है। वह भी हँस पड़ी और बोली कि मुझे पता है बातों में आप से कोई जीत नहीं सकता है। हम दोनों उठ गये और कपड़ें पहन कर तैयार हो गये। सोने का समय नहीं था मुझे तैयार होना था। वाणी को स्टेशन छोड़ने जाना था उसके बाद ऑफिस भी जाना था।

सब अपना काम करते रहे, मैं और रमा वाणी और छोटी को ट्रेन में बिठा कर वापस घर आ गये, मैं ऑफिस चला गया। शाम को जब आया तो घर खाली खाली लग रहा था। रमा नें भी यही बात कही कि आज घर खाली-खाली लग रहा है। हम दोनों कुछ कर नहीं सकते थे। इस लिये चुपचाप अपने काम करते रहे। रात को दोनों जब सोने लगे तो रमा मुझ से बोली कि तुम ने मेरी बात मान कर इतना बड़ा एहसान कर दिया है कि मैं पुरी जिन्दगी इसे नहीं चुका पाऊँगी। मैंने कहा कि तुम्हारी बात मान ली है अब आशा करो कि भाभी गर्भवती हो जाये ताकि यह सब फलीभुत हो सके। मैंने जो किया वह उतना बड़ा नहीं है जितना बड़ा रिस्क तुम दोनों ने लिया है। मैंने तो सामान्य कार्य किया है। पहले पहल मेरे मन में परेशानी थी लेकिन बाद में वह दूर हो गयी। वाणी ने मेरी दूविधा दूर कर दी थी। तुम ने इतना बड़ा रिस्क उठाया अपने परिवार का हित करने के लिये, इस लिये सबसे बड़ा खतरा तो तुम ने उठाया था। मैं तो बस तुम्हारी बात मान रहा था। रमा बोली कि तुम ने जो किया वह बहुत बड़ी चीज है। हम जो कर सकते थे वह हमने कर दिया है। देखते है आगे क्या होगा।

हम दोनों फिर एक दूसरे में डुब गये। दोनों इतने दिनों से एक दूसरे को मिस कर रहे थे। रमा मुझे आलिंगन करके बोली कि तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिये। मैंने कहा कि तुम्हारा सुख ही मेरा इनाम है। रमा बोली कि इनाम तो बनता है, आज तो मिलेगा नहीं लेकिन कभी तो मिलेगा ही। मैं कुछ नहीं बोला और उसे चुम कर सोने की कोशिश करने लगा। रमा मेरे ऊपर टाँग रख कर सो गयी। मुझे भी कुछ देर बाद नींद आ गयी।

हम लोग फिर से अपने काम-काज में डुब गये। कुछ दिनों बाद रमा ने पुछे बताया कि वाणी गर्भवती है। यह सुन कर मुझे अच्छा लगा, मैंने जो कुछ किया था उस का सही परिणाम निकला था। अब प्रसव का इंतजार था। जब वाणी पांच महीने की गर्भवती थी तब रमा और मैं उस से मिलने गये। मैं बड़ा अटपटा सा महसुस कर रहा था, लेकिन रमा ने समझाया कि अगर हम इस समय उसे देखने नहीं गये तो इस का अर्थ गलत निकलेगा। इस लिये हम दोनों कुछ दिनों के लिये मेरी ससुराल चले गये। ससुराल पहुँच कर हम दोनों का बहुत स्वागत हुआ। दामाद का आना वैसे भी हमारे समाज में अच्छा समझा जाता है।

घर के हर सदस्य से मेरा सामना हुआ केवल वाणी को छोड़ कर। मैंने भी उससे मिलने की चेष्टा नहीं की। शाम को जब घर में रमा मैं और वाणी थी तभी वह मुझ से मिलने आयी। मैंने उसे बधाई दी। वह मुस्करा कर रह गयी। इस से ज्यादा हम दोनों कुछ कह नहीं सकते थे। रमा अपनी भाभी के लिये काफी उपहार ले कर गयी थी सो वह उन्हें अपनी भाभी को दिखाने लग गयी। मैं उन दोनों के बीच क्या करता इस लिये बाहर आ कर खड़ा हो गया। कुछ देर बाद मेरा साला हमारे आने की खबर मिलने के कारण घर पर आ गया। वह मुझ से बातें करने लगा। हम लोग दूनिया भर की बातें करने लगे। कुछ देर बाद घर के अन्य सदस्य भी आ गये। सब के साथ अच्छा समय बीत गया। कुछ दिन रहने के बाद हम दोनों वापस आ गये।

वापस आ कर मैंने और रमा ने तय किया कि अब हमें भी बच्चे के लिये प्रयास करना चाहिये। हम ने गर्भनिरोध के साधन अपनाने बंद कर दिये। लेकिन रमा को गर्भ धारण करने में देर हो रही थी। हम अपने प्रयास में लगे रहे। वाणी के प्रसव से पहले रमा भी गर्भवती हो गयी। इस से हम दोनों बहुत खुश थे। हम ने यह खबर किसी को नहीं बतायी थी। सही समय का इंतजार कर रहे थे। वाणी के प्रसव पर हम ससुराल गये। वहाँ पर हमने किसी को कुछ नहीं बताया।

वाणी ने लड़के को जन्म दिया था। बालक माँ पर गया था यह देख कर मुझे बड़ी दिलासा मिली। रमा भी बहुत खुश थी। वह भी बुआ बन गयी थी। घर में रमा की माँ ने रमा से पुछा कि अब तो उसे भी माँ बन जाना चाहिये तब रमा ने अपने गर्भवती होने का समाचार उन्हें दिया। इस से वह बहुत खुश हुई और बोली कि पोता अच्छा समाचार लाया है। वाणी ने भी रमा को बधाई दी और ताना भी मारा कि तुम से इंतजार नहीं हुआ तो रमा बोली कि अब तुम्हें मेरी सेवा करनी होगी। वाणी बोली कि यह भी कोई कहने की बात है मैं कुछ महीनों बाद तुम्हारे पास आती हूँ।

शुरु के पहले दो-तीन महीने किसी भी गर्भवती के लिये बड़े कठिन होते है। रमा की तबीयत बहुत खराब रहती थी। इस कारण से मेरी माँ कुछ दिनों बाद हमारे साथ आ कर रहने लगी। वह भी बहुत खुश थी और अपनी बहू की सेवा करती रहती थी। दो महीनों के बाद वह पिता जी के पास वापस चली गयी। इस दौरान रमा की तबीयत सही हो गयी थी। वह अब ज्यादा परेशान नहीं होती थी। समय कट रहा था। तभी एक दिन रमा ने बताया कि वाणी आने वाली है। मैंने पुछा कि अभी तो लड़का छोटा है वह कैसे आयेगी तो वह बोली कि लड़का अब पाँच महीने का हो गया है। अब इतनी परेशानी नहीं है। उन के आने से मुझे थोड़ा आराम मिल जायेगा। मैं कुछ नहीं बोला। रमा का छठा महीना चल रहा था। हम दोनों संभोग नहीं कर रहे थे। डाक्टर ने तो मना नहीं किया था लेकिन हम दोनों सावधानी के कारण इस से बच रहे थे। मन तो दोनों का सेक्स के लिये करता था लेकिन फिर मन को मार लेते थे।

दूबारा मिलन

वाणी को इस बार साले साहब छोड़ने आये थे। वह उसे छोड़ कर चले गये। दोनों ननद-भाभी में बहुत बातें होती रहती थी। वाणी के लड़के के साथ मेरा भी समय कट जाता था। रमा को कष्ट ना हो इस लिये मैं उससे अलग सोया करता था। एक रात मुझे लगा कि कोई मेरे पास आ कर लेट गया है। पहले तो लगा कि मेरा भ्रम है लेकिन जब जानी पहचानी सुगन्ध नथुनों में समाई तो समझ आया कि यह तो वाणी है। मुझे आश्चर्य हुआ कि वह अब मेरे पास क्यों आयी है?

मैं तुम्हारें पास नहीं आ सकती?

नहीं ऐसी बात नहीं है

फिर क्या बात है

बच्चे को अकेला छोड़ कर

वह अपनी बुआ के पास सो रहा है

रमा भी शामिल है

हाँ

तुम इतने दिनों तक उस से नहीं मिले हो और मैं भी कितनें दिनों से नहीं मिली हूँ तो सोचा कि आज मिल लेती हूँ

बहाना बनाने की कोई जरुरत नहीं है।

तुम ही अचरज कर रहे हो

हाँ शायद इस की आशा नहीं थी

मुझ से दूर क्यों भागते हो

तुम से दूर कैसे जा सकता हूँ

अच्छा तो भी डरते क्यो हो

कौन डर रहा है

फिर लड़ाई क्यो कर रहे हो

मैंने तो कुछ नहीं कहा

मुझे तो लगा कि लड़ रहे हो

जैसा तुम सही समझो, लेकिन अभी संभोग करना सही रहेगा?

सही है तुम्हारे साले साहब से तो रुका ही नहीं जाता

हम दोनों तो सावधानी के लिये संबंध नहीं बना रहे है

सही कर रहे है लेकिन मैं तो अब सही हूँ मेरे साथ क्यों नहीं कर सकते

मना कहाँ कर रहा हूँ सिर्फ पुछ रहा था।

जबाव मिल गया

हाँ

मैंने उस का मुँह पकड़ कर चुम्बन ले लिया। वह भी मुझे चुमने में लग गयी। जब दोनों का मन भर गया तो मैंने कहा कि मुझे पता नहीं है कि प्रसव के कितने दिन बाद माँ सामान्य हो जाती है। वह बोली कि तीन महीने बाद सामान्य हो जाता है लेकिन शरीर सामान्य होने में समय लगता है। मैंने कहा कि वह तो तुम्हें देख कर लग रहा है। वह बोली कि मजाक उड़ा रहे हो। मैंने कहा कि नहीं तुम अब ज्यादा सुन्दर लग रही हो। वह बोली कि चलों आप ने अपने मुँख से मेरी प्रशांसा तो की नहीं तो मुझे लगता था कि मैं जबरदस्ती आप पर लद रही हूँ।

अपने तुम पतली थी अब शरीर भर गया है। मुझे तो अभी पता चला है। वह मुझे मुक्के मार कर बोली कि जब भी मिलोगे मजाक ही उड़ाओगे। मैंने उस के बदन पर हाथ फिरा कर कहा कि अब ज्यादा मजा आयेगा। वह हँस कर बोली कि अब आप अपने रंग पर आ गये है। पहले मुझे लगता था कि आप बड़े शरीफ है लेकिन पिछली बार आखिर में, मेरी गलतफहमी दूर हो गयी थी। मैं ने उस के उरोज दबाये और कहा कि तुम्हारे साथ शरीफ कैसे रह सकता हूँ। उस ने मेरे लिंग पर हाथ लगा कर कहा कि बताओ यह तैयार है या नहीं मैंने कहा कि अपने आप देख लो। वह मेरे पायजामे में हाथ डाल कर लिंग को ब्रीफ के उपर से सहलाने लगी। कुछ देर बाद लिंग अपने पुरे शबाव पर आ गया। वाणी के शरीर की मादक सुगन्ध ही मेरे को मदमस्त कर रही थी। मुझ से अब रुका नहीं जा रहा था।

मैं भी सेक्स का भुखा था। उस के और मेरे हाथ दोनों के शरीर को सहलाने मे लगे रहे। फिर दोनों के कपड़ें उतर गये और हम दोनों एक-दूसरे में समा गये। इस बार के सभोग में मेरे अंदर कोई शर्म नहीं थी जो पहली बार थी। आग बुरी तरह भड़की हुई थी। काफी देर लगी हमें उसे बुझाने में। जब वह बुझ गयी तो वह बोली कि आप अब ज्यादा बदमाश हो गये है। मैंने कहा कि पहली बार कुछ शर्म सी थी वह अब नहीं है। फिर तुम भी सुधर गयी हो. वह बोली कि हाँ हो सकता है तुम्हारी याद में मैं भी बदल गयी हूँ। तुम्हारे प्यार में मैं भी बदल गयी हूँ। शरीर पर किसी का अधिकार है लेकिन मन अब आप के पास ही है।

आप तो स्वीकार करेगे नही कि मुझ से प्यार करते है लेकिन मेरे पास तो उस का सबुत है। मैंने कहा कि कितनी बार मेरे मुँह से सुनना चाहती हो। वह बोली कि सुनना नहीं समझना चाहती हूँ अब समझ आ गया है कि आप का बोलना उतना जरुरी नहीं है, लेकिन यह पता चल गया है कि आप भी मुझे प्यार करते है। मैंने कहा कि कुछ चीजे कही नहीं जाती महसुस करी जाती है। तुम अब यह महसुस करने लगी हो। इस लिये समझ रही हो। वह बोली कि हाँ मुझे लगता है कि अब मैं बड़ी हो गयी हूँ। आप के संतुलित व्यवहार ने मुझे सिखा दिया है कि कहाँ क्या करना है। मेरे रंग में ढ़ल रही हो। हाँ ऐसा ही है। मैंने कुछ नहीं किया सब कुछ अपने आप हो गया है। आप के अंश ने मुझे आप के रंग में रंग दिया है। इस बात को दबा कर रखो। हाँ ऐसा ही होगा।

आज आप ने मेरी छातियों को नहीं छुआ

मुझे लगा कि वह दूध से भरी होगी तो तुम्हें दर्द होगा

हाँ यह तो है लेकिन आप को यह कैसे पता

पता है माँ नही बना लेकिन इस बारे में जानकारी तो रख सकता हूँ

हाथ लगा कर देखो

मैंने स्तनों को हाथ लगाया तो वह तने से थे

दूध की वजह से नहीं उत्तेजना के कारण तने है तुम उन्हें छु सकते हो पी सकते हो

डरा रही हो

नहीं बता रही हूँ कि मैं क्या चाहती हूँ

मैंने उस के स्तन के निप्पल पर अपना मुँह लगा दिया। दूध का स्वाद मेरे मुँह में भर गया। वाणी यही चाहती थी। मैं उस का चाहा करता रहा। पहले एक उसके बाद दूसरे स्तन को चुस कर तनाव को खत्म कर दिया। वह हँसी और बोली कि तुम हमें नहीं समझ सकते इस लिये हर बात में अक्ल मत लगाया करो। मैं यह कब से चाहती थी कि तुम मेरा दूध पियो लेकिन पिछली बार कुछ हो नहीं सकता था लेकिन इस बार हुआ और अब रोज होगा।

बच्चे में लिये नहीं बचेगा।

नहीं उस के लिये बहुत बनता है। तुम्हारे बाद और बनेगा

जैसी तुम्हारी मर्जी

तुम चुपचाप बात क्यों नहीं मानते

तुम बताती कहाँ हो

अब बता तो दिया

ऐसे ही और कुछ भी हो तो बता देना

मैं तुम्हारे शरीर का हिस्सा बन गयी हूँ इस लिये मेरा सब कुछ तुम्हारा है।

बड़ी खतरनाक बातें करने लग गयी हो

हो सकता है

सभल कर रहा करो

तुम हो ना सभालने वाले

मेरे पास पहले से एक है

वह और मैं एक ही है

वाणी उठ कर कपड़ें पहनने लगी और उस के बाद चली गयी मैं मजेदार संभोग के बाद गहरी नींद में डुब गया। सुबह उठा तो वाणी चाय ले कर खड़ी थी बोली कि अब कुछ समय तक मेरी ही शक्ल देखने को मिलेगी। रमा को आराम करने देते है। मैं कुछ नहीं बोला। चुपचाप चाय पीने लगा। रमा सारे दिन आराम करती रही, वाणी ने ही घर का सारा काम किया। मैं उस का सहयोग करता रहा। बुआ अपने भतीजे को दूलार करती रही। मैं छोटे बच्चों से जरा डरता हूँ।

यह रमा को बता था इस लिये वह मुझे वाणी के लड़के को लेने के लिये नहीं कहा। शाम को खाने के समय वाणी बोली कि मैं जब तक यहाँ हूँ रमा आराम करेगी। मैंने कहा कि यह तो सही नहीं रहेगा, उसे थोड़ा बहुत काम करते रहना चाहिये यह उस के लिये अच्छा रहेगा। रमा ने कहा कि तुम सही कह रहे हो। वाणी बोली कि मेरे जाने के बाद भी तो काम करोगी ना। मैंने वाणी से कहा कि तुम सब काम करो लेकिन रमा को भी अपने साथ रखो ताकि वह भी अपना योगदान देती रहे। वाणी ने मेरी बात मान ली।

रात को मैं रमा के पास लेटा रहा और उस को प्यार करने लग गया। रमा बोली कि तुम अपनी बदमाशी से बाज नहीं आयोगे। मैंने कहा कि मुझे अपनी हद पता है, तुम चिन्ता मत करो। वह चुप हो गयी। तभी वाणी कमरे में आयी और बोली कि रमा तुम चिन्ता मत करो यह कुछ नही करेगें। रमा बोली कि तुम्हारे आने के बाद तो इन्हें बदमाशी नहीं करनी चाहिये। मैंने हँस कर कहा कि मैं बदमाशी तो नहीं छोड़ सकता। वाणी बोली कि यह तुझे परेशान कर रहे है। कुछ नहीं करेगे। तेरे से ज्यादा तेरी चिन्ता करते है। रमा कुछ नहीं बोली। वाणी बोली कि आज से मैं रमा के साथ सोऊंगी आप चिन्ता ना करो। मैं उठ कर सोने के लिये बाहर के कमरे में चला गया।

मुझे पता था कि रात में वाणी मेरे पास जरुर आयेगी। मैं कब सो गया मुझे पता नहीं चला। सुबह कब वाणी मेरे पास आ कर सो गयी मुझे पता नहीं चला। उस ने मुझे छेड़ा नही। मैं सोता रहा। सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे पता चला कि वाणी मेरे पास सो रही थी। सोते हुये वह बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने उस के माथे पर चुम्बन किया। मेरे चुमने से वाणी की आँख खुल गयी। मुझे जगा देख कर वह बोली कि चलों तुम्हारी आँख तो खुली नहीं तो तुम तो बहुत गहरी नींद में थे। मैं बोला कि रात को बहुत थका था इस लिये मुझे पता नहीं चला कि तुम कब आयी। उस ने मुझे चुमा और कहा कि मैं बस तुम्हारा साथ चाहती हूँ। हम दोनों एक दूसरे को चुमने लग गये। आज दोनों संभोग करने के मुड में नहीं थे। बातें ज्यादा करना चाहते थे। दोनों के बीच प्यार पनप गया था। अब शारीरिक सम्पर्क से ज्यादा चाहत को जाहिर करने पर जोर था।

तुम बहुत थक गये थे, क्या कारण था

मैंने तुम्हारे साथ घर का काम भी किया था हो सकता है इस लिये थक गया हूँ

अपना ध्यार रखो

हाँ ध्यान रखुगाँ

हो सकता है कि रोज प्यार करने से भी थक सकते हो

कल तो शायद महीनों बाद संभोग किया था

इतना समय क्यों लगा

हम दोनों संभोग करने से डर रहे थे, डाक्टर ने मना नहीं किया है लेकिन हमें डर लगता है

सावधानी रखनी जरुरी है, हम दोनों ने भी ऐसा ही किया था

हाँ यही कारण है, सेक्स से ज्यादा रमा और बच्चें की सेहत ज्यादा जरुरी है

तुम्हारी इच्छा तो पुरी हो जायेगी जब तक मैं यहाँ हूँ संभोग तो हो ही सकता हैँ, मेरी इच्छा भी इसी बहाने पुरी हो जायेगी

तुम्हारा साथ तो अच्छा लगता है, लेकिन हमें सावधानी बरतनी पड़ेगी क्योकि तुम अभी गर्भवती नहीं होना चाहती होगी

हाँ यह तो है लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी सावधानी की जरुरत है, लेकिन अगर आप सोचते हो तो बरत लेते है।