अनचाहा संबंध

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वाणी के हाथ मेरे कुल्हों के मध्य घुम रहे थे उसे अचानक जाने क्या हुआ कि उस की ऊंगली मेरी गुदा में घुस गयी। दर्द के साथ मुझे अच्छा लगा। उस ने मेरे विरोध ना करने पर ऊंगली को और गहराई में जाने दिया। उस की इस हरकत से मेरे लिंग में तेज तनाव आ गया। उस के ऊंगली को अंदर बाहर करने का प्रभाव मेरे लिंग पर हो रहा था। कुछ देर बाद वह अपने पुरे शबाव पर आ गया। हम दोनों यही तो चाहते थे। उस ने ऊंगली निकाल ली और मुझे पोजिशन बदलने को कहा। मेरे कुल्हों को अपनी योनि पर हाथों से दबाने लगी। अब देर करने की जरुरत नहीं थी। वासना की आग दोनों तरफ पुरी जोर से भड़क चुकी थी उसे बुझाना था। मेरे लिंग के उस की योनि में जाते ही मुझे लगा कि मैं किसी आग की भट्टी में घुस गया हूँ। वहाँ बहुत गर्मी थी। नमी भी थी।

वाणी अपनी योनि की मांसपेशियों को कस कर मेरे लिंग को मथ सा रही थी। मुझे यह सब अच्छा लग रहा था। सेक्स के बिना मैं भी काफी दिनों से था। हम दोनों सफर पर चल दिये। नोचना काटना सिसकिया आह उहहह आने लगी। सोफे पर जगह ना होने से दोनों नीचे फर्श पर आ गये। यहाँ पर जगह की कमी नहीं थी लेकिन नंगे फर्श पर वाणी की पीठ पर दर्द हो सकता था लेकिन किसी को दर्द की फिक्र नही थी। सफर को जल्दी पुरा करने की चिन्ता भी नहीं थी। कभी मैं ऊपर तो कभी वह मेरे ऊपर थी। फिर मेरी आँखें मुंद गयी। मैं कुछ क्षण के लिये चेतना हीन सा हो गया और उस के ऊपर गिर गया। वह भी गहरी सांसे ले रही थी। चेतना आने पर मैं उस के ऊपर से उठ कर बगल में लेट गया।

उस की गहरी सांसों पर जब लगाम लगी तो मेरी तरफ पलट कर मुझे चुम कर बोली कि तुम भी कमाल के हो। मैंने कहा कि कमाल तो तुम ने किया है। ऐसा करने का आइडिया कहाँ से आया? वह बोली कही से नहीं आया गहराई में ऊंगली फिराते में लगा कि देखुं तुम्हें कैसा लगता है तो ऊंगली अंदर डाल दी मुझे क्या पता था कि पीछे से आगे वाले का सीधा कनेक्शन है। वहां करते ही दूसरा रास्ते पर आगया। हाँ कह तो तुम सही रही हो। मुझे चिन्ता हो रही थी कि यह हालत की परमानेन्ट ना हो जाये। मुझे भी डर सा लग रहा था। लेकिन अब सब डर दूर हो गया है। अपनी चीज सही कर ली है। हाँ जो मेरा है वो मुझे चाहिये। इस के लिये मैं कुछ भी कर सकती हूँ।

तुम तो हर बार आग लगा देते हो

आज तो तुम्हारें अंदर भी आग लगी हूँई थी, अंदर डालते ही ऐसा लगा कि भट्टी में आ गया हूँ

पता नहीं लेकिन मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ शायद यही कारण होगा

ऐसा क्यो है

तुम शायद विश्वास नही करोगे लेकिन मैंने ने सेक्स का मजा तुम्हारे साथ ही पाया है। उन के साथ तो केवल मेरा शरीर होता है मन तो तुम्हारे पास ही रह गया है।

कविता भी करने लग गयी हो

विरह में लोग कवि बन जाते है मेरा क्या है

इतनी पतली क्यों हो गयी?

सही नहीं लग रही हूँ

नहीं थोड़ा मांस होना चाहिये

तुम चढ़ा दो

कैसे

मुझ से प्यार कर के

तुम प्यार करने कहाँ देती हो, दूत्कारती हो सबके सामने

हाँ मैं ने ऐसा किया है आगे से तुम ऐसी नौवत ही नहीं आने देना

मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ

अपनी इकलौती सलहज से मजाक में बात करके उसे तनाव मुक्त करके ताकि वह दूबारा गल्ती ना करे

मैं कोशिश कर के देखुँगा लेकिन पता नहीं इस में सफल हो पाऊँगा या नहीं

कोशिश तो तुम को ही करनी पड़ेगी क्योंकि अगर फिर से मुझे तुम से दूर रहना पड़ा तो पता नहीं मैं क्या कर लूँ

ऐसी खतरनाक बातें मत किया करो

तुम ही मुझे रोक सकते हो

मैंने कब मना किया है लेकिन तुम भी तो नाटक करना बंद करके सामान्य व्यवहार किया करो, सब सही हो जायेगा। बाकि में सभाल लिया करुँगा।

देखते है अब से ऐसा ही होगा।

तुम ने मेरी बहुत बड़ी चिन्ता दूर कर दी

मेरी भी चिन्ता थी, अचानक ही उपाय हाथ लग गया है

अभी हम दोनों की भुख मिटी नहीं थी इस लिये दूसरे दौर में लग गये। दूसरा दौर लम्बा चलना था सो लम्बा चला। तुफान के खत्म हो जाने के बाद हम दोनों बिल्कुल निचुड़ से गये थे। कुछ देर तो हिलने का मन भी नहीं किया । नंगे फर्श पर दोनों की हड्डियों का कचुमर सा निकल गया था। लेकिन मजा बहुत आया। मन का अवरोध हट गया। यह बहुत बड़ी बात थी। वाणी खुश थी मैं भी खुश था। वह उठ कर अपने कमरे में चली गयी और मैं दिवान पर लेट गया। थकान के कारण लेटते ही नींद आ गयी।

सुबह उठा तो सारा बदन टूट सा रहा था। उठने के सिवा कोई चारा नहीं था। तभी वाणी आती दिखायी दी। पास आ कर बोली कि आज तो पुरा बदन टूट रहा है। मैंने कहा कि मेरा भी ऐसा ही हाल है। वह मुस्करा कर मेरी तरफ देख कर बोली कि जनाब तो काम के ही नहीं थे तब तो यह हाल है अगर तैयार होते तो क्या करते?

अपनी क्यों नहीं कहती कि ऊंगली घुसेड़ कर उसे खड़ा होने पर मजबुर कर दिया और अब रो रही हो।

रो कौन रहा है, मैं तो हालत बयान कर रही हूँ

जो हुआ अच्छा हुआ, बहुत परेशान कर रखा था उस ने

तुम बैठों में चाय बना कर लाती हूँ

वह चाय बनाने किचन में चली गयी तो मैं उसके पीछे-पीछे किचन में आ गया और उसे चाय बनाते देखता रहा। मुझे देख कर वह बोली कि चैन क्यों नहीं है। मैंने कहा नहीं किसी को देखना है। वह यह सुन कर मुस्कराई और मेरी तरफ आँख मार कर बोली कि तुम मुझ से बच कर नहीं जा सकते। उसकी यह अदा बड़ी दिलफरेब थी। मैं उसे देखता ही रहा। वह भी अपने काम में लगी रही। आज रमा का मन उठने का नहीं था सो वह सोती रही हम दोनों बाहर के कमरे में चाय पीने बैठ गये। मैंने उस से पुछा कि इतने दिनों में कभी ट्राई नहीं किया। रोज ट्राई किया लेकिन कहीं खराबी है कुछ हुआ नहीं। मैं तो अब उन से इस विषय पर बात ही नहीं करती हुँ।

आज यह सवाल कैसे मन में आया।

ऐसे ही मन में आया तो पुछ लिया

गलत तो नहीं लगा

नहीं गलत नहीं लगा। तुम्हें कुछ भी पुछने का हक है

लड़का तो माँ पर गया है इस लिये कोई चिन्ता नहीं है, लेकिन अगर लड़की माँ पर नही गयी तो

मैं ऐसी चिन्ता नहीं करती

मेरी बात का बुरा मत मानना

नहीं बुरा क्या मानना है, तुम ने इतना दिया है कि कुछ भी माँग सकते हो

मैं कुछ नहीं माँग रहा बल्कि कल तो तुमने मुझे मेरा आत्मविश्वास लौटा दिया है

पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ था

नहीं मेरे साथ तो ऐसा पहली बार हो रहा है। लगता है तुम्हारा वह व्यवहार मेरे अन्तरमन में कहीं गहरे में बैठ गया था जो कल तुम ने निकाल दिया

मुझे क्या इनाम मिलेगा

कल क्या मिला था

जो मिला था वह तो मेरा है, मैं इनाम की बात कर रही हूँ

जो चाहिये माँग लो

तुम अपनी परेशानी मुझे दे दो

यह भी कोई इनाम हुआ

तुम्हारा खुश रहना ही मेरा इनाम है

मैं खुश तो हूँ

हूँ

चाय खत्म हो गयी थी वह मेरे सर पर चपत लगा कर कप लेकर चली गयी। मैं तैयार होने लग गया। रमा को नौवां महीना लगने वाला था इस लिये कई तैयारियां करनी थी। ऑफिस में इस के लिये छुट्टी भी लेनी थी। यही सब मेरे दिमाग में चल रहा था। वाणी ने प्रसव तक रहना था लेकिन अगर उस ने गर्भधारण करना था तो उसे अपने घर इस बीच जाना चाहिये था कि वह अपने पति से मिल कर आये और उसके बाद हम गर्भ के लिये संभोग करे। लेकिन ऐसा होना संभव नहीं लग रहा था। मैंने सोचा कि रात को वाणी से इस बारें में बात करुँगा।

रात को खाना खाने के बाद मैंने रमा से पुछा कि क्या वाणी कुछ दिनों के लिये घर जा सकती है तो वह बोली कि वह अब मेरे प्रसव के बाद ही जायेगी। क्या बात है? अगर वह कुछ दिन रह आती तो हम उस के लिये कुछ कर सकते थे।

वह बात अभी नहीं हो सकती है उसे भुल जाओ

जैसा तुम कहो

वाणी कमरे में आयी और बोली कि मेरे बारे में क्या बात हो रही है

मैंने कहा कि मैं चाहता था कि तुम घर हो आयो फिर तुम्हारे बारे में भी कुछ करते है। वह बोली कि नहीं अभी उस काम को आप भुल जाओ। पहले रमा के प्रसव का काम है उस के बाद ही मैं अपने बारे में कुछ सोचुँगी।

बात यही खत्म हो गयी

कुछ दिनों बाद मेरी माँ और भाभी भी आ गयी। रमा का प्रसव आराम से हो गया। लड़का आया था। सब बहुत खुश थे। माँ अपने पोते को देख कर फुली नहीं समा रही थी। प्रसव के बाद के संस्कार करा कर माँ और भाभी वापस चली गयी। रमा ने एक दिन मुझ से कहा कि वाणी को तुम घर छोड़ आयो। शायद माँ तुम्हारे साथ आ जायेगी।

मैं वाणी को अपनी ससुराल छोड़ने चला गया। रास्ते भर वह चुप चाप बैठी रही। मैंने पुछा तो वह बोली कि मैं क्या कहुँ, कुछ कहने को नहीं है। मैंने कहा कि कुछ दिनों बाद जब तुम्हें लगे की तुम तैयार हो तब आ जाना बहाना तो तुम्हारे पास है ही। वह बोली यह तो मैं करुँगी ही लेकिन तुम से दूर रहना बहुत मुश्किल हो जाता है। मैंने कहा कि जब अपनी ननद से बात किया करों तो बहाने से मेरे से भी बात कर लिया करना। हमे तो पता है कि हम अपने हालात के कैदी है ज्यादा पँख नहीं मार सकते। मेरी बात पर वह बोली कि अब तुम कविता कर रहे हो। मैंने कहा कि विरह में कविता ही निकलती है। मेरी इस बात पर उस ने मुझे देखा और कहा कि अब मैं तुम से कभी नहीं लड़ुँगी क्योंकि तुम्हारा प्यार आज मुझे पता चल गया है। मैं चुप रहा।

रमा की बात सही थी वापसी में उस की माँ मेरे साथ आ गयी। वह भी कुछ दिन बाद चली गयी। हम दोनों दोनों बच्चो के साथ जीवन बिताना सीख रहे थे। एक दिन रमा बोली कि कुछ दिनों बाद भाभी आने वाली है, वह अकेली ही आ रही है। मैंने कुछ नहीं कहा तो वह बोली कि कहो तो मना कर दूँ। मैंने कहा कि तुम दोनों मालकिन हो जैसा उचित समझो, हम तो आज्ञा का पालन करने वाले है। वह यह सुन कर मुझे मारने दौड़ी तो मैने उसे धमकाया कि अगर मेरे पास आयी तो मैं उसे छोड़ुँगा नहीं। वह बोली कि छुटना कौन चाहता है। यह कह कर वह मेरे से लिपट गयी। उस की गरम साँसे मेरे चेहरे पर लगने लगी और हम दोनों गहरे चुम्बन में डुब गये।

चुम्बन तो शुरुआत थी उस का अंत जोरदार संभोग से हुआ। संभोग के बाद रमा बोली कि भाभी बता रही थी कि तुम से पहले दिन कुछ हुआ नहीं था। मैंने उसे बताया कि मन ने ऐसा रोक लगा रखा था कि तनाव आ ही नहीं रहा था। वह तो वाणी ने अचानक कुछ ऐसा किया कि रुकावट हट गयी। वह हँस कर बोली कि अब मैं भी वह हरकत किया करोगी। मैंने कहा कि फिर मैं भी वहीं से किया करुँगा रोना मत। रमा बोली कि कभी कभी स्वाद बदलने के लिये उसे कर लेना चाहिये। मैंने कहा कि चलों ऐसा कर कर देखेगे। वह मुस्करा कर बोली कि वाणी के साथ मत करना, मैने कहा कि नहीं उस के साथ कुछ नया नहीं करना है। ऐसे ही बातें करते करते हम दोनों सो गये।

अगले हफ्ते वाणी आ गयी। मुझे उसे स्टेशन से लेने जाना पड़ा। रास्ते में उस की वही शिकायते सुनता रहा। मैंने उसे बताया कि अब वह परेशान ना हो हम दोनों रोज प्यार करते है और क्यों परेशानी नहीं हो रही तो वह बोली कि यह तो मैंने ही सही करी थी इस में खास क्या है।

हम दोनों जब मिलते है तो लड़ने क्यों लगते है

पता नहीं तुम ही जानते होगे

मैं तो कारण पता करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन पता नहीं चल रहा है

जब पता चल जाये तो मुझे भी बता देना

अच्छा

मेरा ख्याल है कि जब दो लोग एक दूसरे से प्यार करने लगते है तो वह लड़ने लग जाते है

प्यार और हम दोनों में दूर की कोड़ी है

मानो ना मानो लेकिन यह प्यार होने की ही निशानी है

मैं यह जान कर भी मानना नहीं चाहता हूँ

वो तो मैं भी समझती हूँ लेकिन तुम ने लड़ाई का कारण जानना चाहा तो मैंने तुम्हें बता दिया। हम दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया है।

इस के बाद हम दोनों के बीच सन्नाटा पसर गया।

घर आने के बाद वाणी बोली कि 4-5 दिन के लिये ही आ पायी हूँ अगर इस बीच गर्भ रह जायेगा तो अच्छा रहेगा नहीं तो फिर कभी ट्राई करेगे। रमा बोली कि शायद इस बार में ही हो जाये। तुम्हें कोई समस्या तो नही है, मसिक नियमित आता है, हाँ मासिक तो नियमित है उस के साथ कोई समस्या नहीं है। हो सकता है इन के साथ समस्या हो। रमा बोली कि कल तक तो नहीं थी।

पिछली बार तो बहुत परेशानी हूई थी।

मैंने वाणी को चिढ़ाने को कहा कि अगर इस बार परेशानी होगी तो वह वापिस चले जाये।

मेरी बात सुन कर वाणी मुझे मारने को दौड़ी यह देख कर रमा बोली कि तुम दोनों कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ने क्यों लगते हो। वाणी तुम्हारें जाने से पहले ही घर पर प्रेग्नेसी कीट से चैक कर लेगे, सब पता चल जायेगा। हाँ तुम इसे चि़ड़ाओ मत। मैंने हँस कर कहा कि अब इसे मेरे पर विश्वास ही नहीं है तो मैं तो यही कह सकता हूँ। रमा हम दोनों को लड़ता छोड़ कर भतीजे को ले कर चली गयी। वाणी ने मुझे मुक्के से मारा और मेरी पीठ पर जोर से थप्पड़ मारा और कहा कि रात को देखती हूँ तुम कितने सही हुये हो?

मैं भी उसे अकेला छोड़ कर कमरे में कपड़ें बदलने चला गया। वाणी भी दौड़ कर मेरे पीछे आ गयी और बोली कि यह तो गलत हो रहा है तुम दोनों मेरे पीछे पड़ गये हो। हम दोनों उस की बात सुन कर हँसने लग गये। दोनों बच्चें भी हमें हँसता देख कर ताली बजा कर हँसने लगे। माहौल हल्का हो गया।

रमा ने वाणी को गले से लगाया और कहा कि हम दोनों तुम से मजाक कर रहे है पिछली बार तुम ने हमे बहुत परेशान किया था इस लिये कुछ तो तुम्हें परेशान करना बनता है। वाणी रमा के गले मिल कर रो पड़ी। मैं उन दोनों को अकेला छोड़ कर बाहर चला आया।

रात को जब वाणी मेरे पास सोने आयी तो वह बोली कि तुम कब से बदमाशी करने लग गये हो?

जब से कोई कातिल हो गया है।

शायरी? हाँ तुम से निबटने का कोई तो तरीका खोजना ही था। थोड़ी बदमाशी से ही तुम सही रहोगी।

वह मुझ से चिपक गयी और बोली कि अब क्यों तरसा रहे हो कितनी बार माफी माँग चुकी हूँ। और कुछ चाहते हो तो वह भी बता दो कर दूँगी। मैंने उसे चुम कर कहा कि मैडम कुछ नहीं है तुम को थोड़ा सताया जा रहा है और कुछ नहीं है कोई माफी वाफी नहीं माँगनी है। अपनी योजना को पुरा करो। हम दोनों के बीच जोरदार युद्ध हुआ और मैं ही हार गया। वह हर बार मेरे ऊपर आ कर जोर लगाती लेकिन मुझे ही अन्त में उस के ऊपर आना पड़ता।

चार दिन तक हम दोनों ने भरपुर संभोग करा। पाँचवे दिन जब वाणी जाने लगी तो कीट का टेस्ट तो नेगेटिव आया था लेकिन मुझे विश्वास था कि वह गर्भवती हो गयी है। उस ने घर जा कर दो दिन बाद बताया कि वह गर्भवती है। यह जान कर हम दोनों खुश थे। मैं इस लिये खुश था कि वाणी की मर्जी का हुआ है और अब मैं उस से दूर रह पाऊँगा। कितना और कितने दिन यह मैं भी नहीं जानता था।

*** समाप्त ***

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