अनचाहा संबंध

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मैं आगे से इस बात का ध्यान रखुगाँ, तुम्हारा ध्यान रखना भी मेरी जिम्मेदारी है।

हाँ मेरी जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है

तुम कब तक हो

एक महीने के लिये आयी हूँ, ज्यादा रुक सकती हूँ अगर मन किया तो

रुक जाओ

मुझे रोकने के लिये रोज मेरे साथ प्यार करना पड़ेगा

वो तो मैं करुगाँ, और कुछ

जेसा मैं कहुँगी करोगे

यह भी पुछने की बात है।

हाँ

जैसा तुम कहो

मुझे सुबह बाजार ले चलना कुछ सामान खरीदने है

जरुर, क्या लेना है, वैसे तुम्हें शायद मेटरनिटी वाली ब्रा लेनी चाहिये

तुम्हें कैसे पता चला कि मैं उन्हें लेना चाहती हूँ

मैं भी तुम्हें कुछ कुछ समझने लगा हूँ, परेशान होते देखता हूँ तो पता लगा कि क्यों परेशान हो इस लिये हल सुझा दिया.

बार बार ब्लाउज खोलना और ब्रा खोलना बहुत परेशानी का काम है, तुम ने एक दिन में पता लगा लिया, इन से कितने दिनों से कह रही थी लेकिन कुछ किया ही नहीं

शायद मिली ना हो

बता तो सकते थे कि मिली नहीं

यही कारण होगा

पता नहीं लेकिन मुझे ब्रा चाहिये चाहे आप कही से भी लाना

हाँ भई जब आदेश दे दिया है तो उस पर अमन होगा

तुम्हारी पिटाई करने का मन कर रहा है

मन में कुछ रखो मत कर डालो

बाद में रोना मत

अगर रोऊँगा तो तुम ही आँसु पोछने आयोगी

तुम्हारी तो दोनों तरफ से मौज है

ऐसा कह सकती हो

कुछ कपड़ें भी लेने है। सब छोटे हो गये है

जो लेना हो ले लेना, छोटे साहब को घर पर ही छोड़ कर चलना आसानी रहेगी

तुम उसे गोद में क्यों नहीं लेते

तुम्हें पता नहीं हैं मुझे छोटे बच्चों को गोद में लेने से डर लगता है, इसी लिये तो मैं उस से खेलता रहता हूँ

इस डर पर काबु पा लो, कोई बिना वजह शक कर सकता है

हाँ सही कह रही हो, काबु पाना ही पड़ेगा

घर पर मेरे रुखे बरताव से परेशान तो नहीं हुये थे

पहली बार बुरा सा लगा फिर ध्यान ही नहीं दिया लेकिन ससुर जी और सास ने यह बात नोट की थी

सब ने नोट की थी लेकिन तुम ने ही नोट नही की क्या वजह थी

कोई वजह नहीं थी तुम्हें तो पता है मैं पहले भी तुम से ज्यादा बात नहीं करता था

हाँ यह तो वह मैं मरी जाती थी कि तुम मुझ से बात करो लेकिन कह नहीं पाती थी

शायद ऐसा ही सही है, शक की गुंजायश कम हो जाती है

तुम इतनी दूर तक की सोचते हो

सोचने का काम ही करता हूँ उसी के पैसे मिलते है।

मुझे लगा था कि जब मैं मिलुगी तो तुम मुझ से नाराज होगे

नाराज लगा

नहीं तो

मस्त रहो

मस्त तो हूँ लेकिन तुम इतने कटे कटे से दूर दुर क्यों रहते हो

तुम मेरी सलहज हो, मैं पहले से ही ऐसा हूँ अपनी ननद से पुछ लेना

अब तो सब बदल गया है

तुम्हारे और मेरे लिये बदल गया है लेकिन रिस्ता तो पहले वाला ही है

आगे कैसे चलेगा

कैसे जैसे चल रहा है वैसे ही चलेगा, तुम्हें दो और चाहिये वो मिलेगे

वो तो है लेकिन तुम से बात कैसे करुँ

जैसे अब कर रही हो

मुझे लगता है कि मैं जबरदस्ती कर रही हूँ

मेरे व्यवहार में कोई अंतर नही मिला

हां अंतर है तुम अब दूराव नहीं करते, ध्यान रखते हो

और क्या चाहती हो

यही चाहती थी कि तुम्हारा साथ मिले

वह तो मिल गया है यह हमेशा ध्यार रहे कि हमारे परिवार है और वह हम दोनों की पहली जिम्मेदारी है, हमारा अपना जीवन बाद में हैं

यह बात मुझे हमेशा ध्यान रहती है, मैं तो सिर्फ तुम्हारा साथ चाहती हूँ

साथ मिल रहा है,

कुछ है जो मैं तुम्हें नहीं बता सकती

मत बताओ मैं कुछ जानना भी नहीं चाहता हूँ

तुम इतने प्यारे क्यों हो

इस का क्या जबाव दूँ

वाणी के हाथ फिर से शरारत करने लग गये। उसे अपनी चीज मिल गयी थी और अब वह उस से खेल रही थी। वह चाहे मुँह से मना कर रही थी लेकिन मन ही मन में तो उसे मिलन की प्यास थी। मैं उसे प्यासा रखना नहीं चाहता था। हम दोनों अपनी प्यास बुझाने लग गये। काफी देर बाद जब प्यास बुझी तो दोनों थक कर चुर हो गये थे। दोनों निढ़ाल हो एक-दूसरे की बगल में लेट गये। वाणी मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि तुम्हें एक काम रोज करना है, क्या, मेरे इन दोनों में भरे तनाव को कम करना है यह कह कर उस ने अपने स्तन मेरे मुँह पर लगा दिये। मुझे पता था कि मुझे अब क्या करना है सो मैं उन्हें चुस कर उन का तनाव कम करने में लग गया।कुछ देर बाद वह दोनों लटक गये। इस से वाणी को बहुत राहत मिली थी। वह बोली कि तुम समझ नहीं सकते कि कितना आराम मिला है। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था लेकिन समझना चाहता भी नहीं था जिस में वाणी को आराम मिले वही काम करना था मुझे।

सुबह नाश्ता करने के बाद रमा बोली कि तुम भाभी को बाजार ले जाओ इन्हें कुछ लाना है मैं तो इतनी देर घुम नहीं पाऊँगी। मैंने हाँ मैं सर हिला दिया। दोनों बाजार के लिये चल दिये। बाजार में मेटरनिटी वाली ब्रा मुश्किल से मिली। लेकिन जैसी चाहिये थी वैसी मिल गयी। उस केबाद कुछ कपड़ें लिये। इस के बाद वाणी मुझ से बोली कि तुम्हें भी तो कुछ लेना था। मुझे ध्यान आया कि कंडोम लेने है। मेडिकल की दूकान में जा कर कुछ कंडोम और जैल की टयूब ली।

वाणी से पुछा कि उसे तो कुछ नहीं लेना तो वह बोली कि पैड लेने है तो एक बड़ा पैड सेनेटरी नैपकिन का भी ले लिया। सब सामान ले कर घर आये तो वाणी बोली कि अपनी चीज दिखाना मत। मैं कुछ नहीं बोला। मुझे लगा कि वाणी रमा को नहीं बताना चाहती कि वह कंडोम युस कर रही है। दूसरी चीज क्या खरीदी थी तुम ने? जैल था। किस काम के लिये। पता चल जायेगा। कुछ कुछ समझ आ रहा है ज्यादा अकल के धोड़े दौड़ाना बंद करो।

घर आ कर सारा सामान वाणी ने रमा को दिखाया, ब्रा देख कर वह बोली की यह तो काम की चीज है दूध पिलाने में आसानी हो जायेगी। वाणी ने बताया कि इन की उसे बहुत दिनों से तलाश थी लेकिन वहाँ पर नहीं मिली थी। रमा बोली कि इन से कहो यह सब ला देते है। वाणी ने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा। रमा इन्हें बच्चों से इतना डर क्यो लगता है? अपने बच्चें को भी गोद में नहीं लेगे। डर नही लगता, इस के साथ तो बहुत खेलते है। हाँ गोद में नहीं उठाते है। लगता है कि सभाल नहीं पायेगे। एक बार गोद में दे कर देखो अपने आप सभालना आ जायेगा। तुम्हारे भाई भी बहुत डरते थे लेकिन अब डर चला गया है।

मैंने बात संभाली और कहा कि मैं अपना डर दूर कर लुगा तुम चिन्ता ना करो। हमे बहस करते देख रमा बोली कि वाणी चलो खाना बनाते है नहीं तो देर हो जायेगी। दोनों मुझे और लड़के को अकेला छोड़ कर चली गयी। मैं बेड पर बैठ कर वाणी के लड़के के साथ खेलने लग गया। कब समय कट गया पता ही नहीं चला। रमा की आवाज आयी कि आ कर खाना खा लो बन गया है।

तब जा कर मैंने उस से खेलना बंद किया। तीनों ने खाना खा कर ऐसे ही बात करना शुरु कर दिया। रमा बोली कि मेरी पीठ में दर्द हो रहा है क्या करुँ, वाणी बोली कि मैं गर्म पानी बोतल में भर कर देती हूँ तुम उसकी सिकाई करो आराम मिल जायेगा। मैं उन्हें बात करता छोड़ कर फिर से वाणी के लड़के के पास चला गया। वह भी सो गया था। उसे सोता देख मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी सोने लेट गया।

रमा ने मुझे जगाया कि चलो उठ कर चाय पीलो। मैं उसके साथ चल कर बड़े कमरे में आ गया। वहाँ हम तीनों चाय का आनंद लेने लगे। चाय पीने के बाद मैंने रमा से कहा कि वह शाम को खाना खाने के बाद घुमने चला करे। वह बोली कि मुझ से बाहर नहीं जाया जाता। मैंने उससे कहा कि वह छत पर चल कर घुम सकती है लेकिन उसे रोज थोड़ा घुमना चाहिये। उस के लिये फायदेमंद रहेगा। मेरी बात पर वाणी ने भी सहमति दर्शायी। रमा बोली कि चलो आज शाम को तुम मुझे छत पर घुमाने चलना।

मैंने इस के लिये सर हिला दिया। चाय के बाद रमा आराम करने के लिये चली गयी। मैंने वाणी से पुछा कि आज तो तुम्हारा लड़का बहुत देर तक सो रहा है तो वह बोली कि आप को पता नहीं चला है वह तो जग कर दूध पी कर फिर से सो गया है। मैंने उसे बताया कि मुझे गहरी नींद आई थी कुछ पता ही नहीं चला। वह बोली कि तुम सही तो हो? मैंने कहा कि मुझे कुछ नहीं हुआ है। वह बोली कि एक दो दिन से तुम्ही कुछ ज्यादा ही नींद आ रही है। मैंने कहा कि हाँ लगता तो है लेकिन कुछ खास लग नहीं रहा है।

वह बोली कि अपना ध्यान रखो। पुरा आराम करो। मैंने कहा कि तुम देख तो रही हो, मैं आराम ही तो कर रहा हूँ। वह बोली कि कुछ पता नहीं चल रहा है। शायद तुम कुछ ज्यादा ही थक गये होगे। मैं कुछ नहीं बोला। वह भी उठ कर चली गयी। मैं टीवी पर मैच देखने लग गया। रात के खाने के बाद मैं बाहर के कमरे में सोने लगा तो वाणी बोली कि तुम आज मैंरे कमरे में बेड पर आराम से सोओ, मैं रमा के साथ सो रही हूँ।

मैं थका सा था सो सोने के लिये चला गया और बेड पर लेटते ही गहरी नींद में चला गया। सुबह वाणी ने मुझे झकझौर कर उठा दिया। वह बोली कि क्या बात है कुछ पता नहीं चल रहा है, सोये ही जा रहे हो। मैंने कहा कि नहीं ऐसी बात नहीं है तुम ने उठाया तो मैं जग गया हूँ। वह बोली कि देखु तुम्हें बुखार तो नहीं है। मुझे बुखार नहीं था। वह मेरे पास लेट कर बोली कि मैं सोच रही थी कि कुछ करेगे लेकिन तुम आराम करो। मैंने कहा कि अब जगा दिया है तो आराम कैसे कर सकता हूँ वह हँस कर बोली कि हाँ आराम कहाँ है।

मैंने उसे बाँहों में भर कर कहा कि तुम मेरे पास हो तो नींद नहीं आयेगी। वह मुझे चुम कर बोली कि चलो छोड़ो। मैंने उसे आगोश में कस लिया। हम दोनों जोरदार चुमाचाटी में लग गये। जब मन भर गया तो अलग हो गये। वह बोली कि कुछ और मन में है तो मैं बोला कि है तो बहुत कुछ मन में लेकिन आज नहीं फिर कभी करेगे। मैंने उसे नीचे लिटा लिया और उस की गोलाइयों को मसलना शुरु कर दिया। हम दोनों के कपड़ें शरीर से अलग हो गये।

मैंने लिंग पर कंड़ोम चढ़ा लिया। जब लिंग वाणी की योनि में घुसा तो वह बोली कि यह क्या है? डॉटेड कंडोम है। अंदर अजीब सा महसुस हो रहा है। कुछ देर में मजा आने लगेगा। तुम्हें कैसे पता। मैंने पहले भी इस्तेमाल किया है। मैं जब भी सोचती हूँ कि तुम्हें जान गई हूँ तभी तुम कुछ ऐसा कर देते हो कि लगता है कि अभी तुम्हें जानना बाकि है।

हम दोनों संभोग में लगे रहे। काफी देर लगी स्खलित होने में। जब हुये तो दोनों का थकान के बारें बुरा हाल था लेकिन मजा बहुत आया था। मुझे ऑफिस भी जाना था इस लिये संभोग के बाद उठ कर चाय बनाने चल दिया। मेरे पीछे पीछे वाणी आ गयी और बोली कि मैं चाय बनाती हूँ तुम जाओ। मैंने कहा कि आज मेरे हाथ की चाय पी का तो देखो। वह मेरी बात मान गयी लेकिन वही खड़ी रही। चाय लेकर कर हम दोनों बाहर आ गये। चाय की चुस्की लेने केबाद वाणी बोली कि हाँ चाय तो सही बनाते हो। मैंने कहा कि बस यहीं आता है। वह बोली कि कहो तो और कुछ भी सीखा दूँ. मैंने कहा कि अगर सीखा दोगी तो सही रहेगा। बाद में काम आयेगा। वह हँस कर बोली कि पहले मुझे गुरु मानो। मैंने कहा कि मैंने तो उसे पहले से ही मान रखा है। वह बोली कि देख लो गुरु दक्षिणा देनी पड़ेगी। मैंने कहा जो कहोगी दे देगे। वह बोली कि देख लो बाद में भाग मत जाना। मैंने कहा तुम से भाग कर मेरी कोई गति नहीं है। वह यह सुन कर मुस्कुराई और चाय पीती रही।

दिन ऐसे ही गुजर रहे थे। रमा की तबियत खराब ही रहती थी, लेकिन वह कोशिश करती थी कि वह काम करती रहे अपने हाथ पैर चलाती रहे। वाणी सारे घर का काम करती थी जब मैं घर पर होता तो उस की मदद करा देता था। रात को हम दोनों एक दूसरे से बात कर लिया करते थे। मैं उस के नीजि जीवन के बारे में कभी बात नहीं करता था। इस के पीछे मेरा यह डर था कि मुझे उस से ज्यादा लगाव ना हो जाये लेकिन लगाव तो दोनों को हो रहा था। मैं पुरी कोशिश करता था कि रमा को पुरा समय दूँ उस के साथ बैठु और उसे प्यार करुँ। सात महीने खत्म हो रहे थे और अब वाणी के जाने का भी समय आ गया था।

उसे भी अपनी ससुराल जाना था। एक दिन मेरे साले साहब आये और अपनी पत्नी को ले गये। कुछ दिन तो हम दोनों ने काम चलाया लेकिन रमा को घर के काम करने में परेशानी हो रही थी। माँ का फोन आया कि रमा की सेहत कैसी है तो मैंने माँ को सब बताया कि उस से अब घर का काम नहीं होता है जल्दी थक जाती है तो वह बोली कि मैं आ जाती हूँ बच्चा होने तक तुम्हारें साथ ही रहुँगी। यह सुन कर मुझे चैन मिला। माँ कुछ दिन बाद आ गयी। उन के आ जाने से मुझे बहुत चैन था कि घर में एक बड़ें के होने से मन में संतोष रहता है कि कोई आप को सलाह देने वाला है।

आठवाँ महीना शुरु होने वाला था। और सब कुछ तो सही चल रहा था नियमित रुप से डॉक्टर को दिखा ही रहे थे लेकिन कुछ ना कुछ परेसानी खड़ी हो जाती थी। माँ के हमारे पास होने से ज्यादा चिन्ता नहीं थी लेकिन प्रसव को लेकर मैं और रमा कुछ चिन्तित तो थे आखिर पहली बार माता-पिता मन रहे थे। ऐसा होना स्वाभाविक था। माँ हम दोनों को समझाती रहती थी। इस लिये शान्त हो जाते थे। निश्चित समय पर रमा ने बेटी को जन्म दिया। मैं बहुत खुश था, माँ भी अपनी पोती को पा कर प्रसन्न थी। उसके जन्म के बाद मेरी ससुराल से सब लोग आये। वाणी भी अपने लड़के के साथ आयी। बेटी का नामकरण होने के बाद माँ बोली कि अब वह कुछ दिनों के लिये घर जा रही है कुछ दिनों के बाद वापिस आयेगी। हम ने वाणी से अनुरोध किया कि वह कुछ दिनों के लिये रुक जाये तो अच्छा रहेगा। वह हमारा अनुरोध मान गयी।

छोटे बच्चे को होने वाली परेशानियों से वह परिचित थी इस कारण से रमा को लड़की का पालन करने में सहयोग मिल रहा था। मैं भी अपनी तरफ से सहयोग करने की कोशिश कर रहा था। एक दिन किसी बात पर मेरे और रमा में झगड़ा हो गया। रमा और मैं शायद चिड़चिड़े हो गये थे। रमा को रात रात भर जागना पड़ता था। इस कारण से वह जल्दी गुस्सा हो जाती थी। मैं भी शायद रमा के व्यवहार के कारण चिड़ गया था।

वाणी ने हम दोनों को शान्त कराया और समझाया कि अभी तो ऐसे ही काफी समय गुजारना पड़ेगा। बच्चे को पालना इतना आसान नहीं है। मैंने उस से कहा कि वह मुझे खाना बनाना सीखा दे ताकि मैं भुखा ना रहा करुँ। वह बोली कि आप गलत बोल रहे हो अभी तो मैं हूँ, इस लिये ऐसी हालत नहीं आयी है। मैंने उसे समझाया कि उस के जाने के बाद ऐसी हालत आने वाली है इस लिये मैं उस का सामना करने के लिये तैयार होना चाहता हूँ। वह बोली कि आप चिन्ता ना करे, मैं आप को सब सिखा दूँगी।

रात को मैं जब रमा के साथ सो रहा था तो वह सेक्स के लिये उत्सुक तो थी लेकिन डर भी रही थी। मैंने कहा कि वाणी से पुछ लेते है। रमा ने वाणी को बुला कर पुछा कि आप ने कितने दिनों बाद सेक्स शुरु किया था तो वह बोली कि दो महीने के बाद शुरु किया था। उस से पहले मेरी हालत सही नहीं थी। इस लिये हम दोनों डर रहे थे। तुम दोनों अभी थोड़े दिन और इंतजार कर लो। जब रमा थोड़ी सही हो जाये तब करना। हम दोनों ने उस की बात मान ली। मैं रमा के पास से उठ कर बाहर दिवान पर जा कर लेट गया। रमा भी थकी थी इस लिये सो गयी।

रात को किसी जानी पहचानी खुशबु ने मेरी नींद खोली तो लगा कि कोई मेरे पास लेटा है। वाणी बोली कि चुपचाप लेटे रहो। मैं ने उसे टटोला तो वह बोली कि मुश्किल से आ पायी हूँ यह सो ही नहीं रहा था। तुम तो सब समझते हो फिर भी रमा से लड़ रहे थे। मैंने कहा कि आज मुझे गुस्सा आ गया था। जो कि नहीं आना चाहिये था। गुस्सा मेरे पर निकाल लो। जो रमा के साथ करना था मेरे साथ कर लो। मैंने उसे चुमा और कहा कि तुम सारे दिन काम कर के थक जाती हो रात में तुम्हें तंग करना मुझे सही नही लग रहा है।

कोई मेरे से भी कुछ पुछेगा

गल्ती हो गयी अब बता दो

तुम बिल्कुल बुद्धू हो कुछ क्यों नहीं समझते

समझ तो गया हूँ

तुम्हारे साथ बिताये पलों से मेरी सारी थकान मिट जाती है

मैं यह हमेशा याद रखुँगा

एक बात बताओ, तुम्हारी माता जी ने मेरे लड़के को देख कर कुछ कहा था

नहीं तो वह तो उसे देख कर बहुत खुश थी, जब समय मिलता था उस के साथ खेलती रहती थी

कुछ चेहरे वगैरहा के बारे में

नहीं तुम जो सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं कही थी उन्होनें, निश्तित रहो

मुझे उन के सामने आने में बड़ी हिचक हो रही थी कि वह सारी बात जान सकती है

मुझे नहीं लगा, ना उन्होनें इस संबंध में कोई बात की। बेटी के बारे में जरुर कहा कि अपनी माँ पर गयी है

मेरी बहुत बड़ी चिन्ता खत्म हो गयी

हम दोनों प्रेमालाप में मग्न हो गये। मैं तो बहुत दिनों से सेक्स के लिये तड़प रहा था लेकिन कुछ हो नहीं पा रहा था। वाणी बोली कि तुम जब सामने होते हो तो मेरी हालत खराब हो जाती है मुझ से पुछो कि इतने दिनों से तुम से कैसे दूर रही हूँ। मैं बोला कि हमें अपने आप पर अकुंश तो लगाना ही पड़ेगा। वह बोली कि नीचे हाथ लगा कर देखो कितनी गिली हूँ। तुम से दूर रहना बहुत कठिन है लेकिन कुछ कर नहीं सकती। लेकिन एक बात हमेशा ध्यान रखना सब के सामने मैं तुम से अलग ही व्यवहार करुँगी। इस का कभी भी बुरा मत मानना। मैंने उसे आश्वस्त किया कि मेरी तरफ से वह निश्चिन्त रहे। फिर हम दोनों अपने शरीरों में लगी आग को बुझाने में लग गये। जब आग बुझ गयी तो निढ़ाल हो कर एक-दूसरे की बगल में लेट गये।

भुख मिट जाने के बाद वाणी उठ कर कमरे में चली गयी और मैं नींद में डुब गया। सुबह वाणी ने ही जगाया और कहा कि उठ जाओ आज से तुम्हारी क्लास शुरु हो रही है। मैं समझ में आने पर उठ कर खड़ा हो गया। रमा को देखने गया तो वह नींद में डुबी थी। बाहर आ कर वाणी से बोला कि मास्टरनी जी चले। वह मेरा हाथ पकड़ कर किचन में ले गयी और मुझे आटा गुधँना सीखाने लग गयी। उस के बाद मैं चाय बनाने लगा। चाय बना कर हम दोनों चाय पीने लग गये। वाणी रमा को उठाने गयी और वापस आ कर बोली कि एक कप चाय उस के लिये भी बना दो। मैं ने रमा के लिये चाय बनाने रख दी। कुछ देर बाद रमा भी उठ कर आ गयी और चाय पीने लग गयी। मुझे ऑफिस जाना था सो मैं उस के लिये तैयार होने लग गया।

दिन सही गुजर गया। रात को रमा ने कहा कि वह थक गयी है इस लिये सो रही है। मैं बाहर सो गया। कुछ देर बाद वाणी आयी और मेरे साथ लेट गयी। उस के हाथ मेरे बदन पर फिरने लगे। उन ने मेरे कान में कहा कि आज कुछ नया करते है। मैंने कहा कि क्या नया चाहती हो? वह बोली कि पता नहीं लेकिन कुछ हट कर करना है। मैं उसे चुम कर बोला कि चलों आज कोई पोर्न मुवी देखते है फिर उस के बाद सोचेगे क्या करना है। वह भी मेरे विचार से सहमत थी। मैं अपने लैपटॉप को उठा लाया और उस पर पोर्न साइट खोल कर फिल्म शुरु कर दी। कुछ देर तक तो वाणी फिल्म देखती रही फिर बोली कि यह तो बोरिग है। मैंने लैपटॉप बंद करके रख दिया।

वाणी के दिमाग में शायद कुछ था जो वह करना चाहती थी। मैंने उस से पुछा कि वह जो करना चाहती है वह कर सकती है। उस ने मेरे पायजामे में हाथ डाल कर मेरे लिंग को सहलाया और बोली कि इसे आज में मुँह में खाली करुँगी। जैसी तुम्हारी मर्जी, यह कह कर मैने नीचे के कपड़े उतार दिये। अब वाणी के लिये मैदान साफ था वह उल्टी लेट गयी और मेरे लिंग को मुँह में लेकर प्यार करने लगी। कुछ देर बाद लिंग तन कर पुरे शबाव पर आ गया। वाणी लिंग को मुँह में अंदर बाहर कर के चुस रही थी। मैं भी उत्तेजना के कारण काँप सा रहा था। मैंने उस की भरी हुई जाँघों को अलग किया और अपने मुँह को उन के जोड़ पर लगा दिया।

उस ने पेंटी नहीं पहन रखी थी। योनि से पानी निकल रहा था मैं धीरे-धीरे उसे चाटने लगा। इस से वाणी का शरीर अकड़ने सा लगा। फिर मेरी जीभ उस की योनि के गहरायी नापने में लग गयी। वह मेरे लिंग कर बुरी तरह से मथ रही थी। मुझे पता था कि मैं ज्यादा देर तक नहीं टीक पाऊंगा। वाणी मेरे से पहले स्खलित हो गयी। मैं उस का सारा पानी चाट गया। मेरे स्खलित होने पर उन ने सारा वीर्य चाट कर साफ कर दिया। इस काम में हम दोनों थक गये थे इस लिये सीधे हो कर लेट गये। कुछ देर बार वाणी बोली कि तुम जैल किस लिये लाये थे। मैंने कहा कि जो तुम सोच रही हो उसी के लिये लाया था। वह बोली कि चला आज पीछे से करके देखते है। इन्होनें एक बार किया था तो बड़ा दर्द हुआ था। मैंने कहा कि अगर ऐसा है तो नहीं करते। वह बोली कि तुम्हारें साथ मैं सब कुछ करना चाहती हूँ यह तुम समझ लो।

मैं उठ कर जैल की टयूब लेने चला गया। जैल की टयूब ले कर आया तो वाणी तैयार बैठी थी। उत्तेजित तो हम दोनों पहले से थे ही मैंने उस को पेट के बल लिटा कर उस के कुल्हों पर चुमा और उस की गहराई में ऊंगली फिरायी। वह पहले तो चिहुकी लेकिन शान्त हो गयी। मैंने ऊंगली पर जैल लगया और उस की गुदा के आसपास चुपड़ दिया उसके बाद ऊंगली को धीरे-धीरे गुदा के ऊपर नीचे करने लगा। मेरा आशय था कि वाणी की मांसपेशियां का तनाव कम हो जाये। कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ। जब मैंने ऊंगली उस की गुदा में डाली तो वहाँ कसावट नहीं थी। पहले ऊंगली अंदर बाहर की उस के बाद अगुंठे को गुदा में डाल कर अंदर बाहर करना शुरु कर दिया।

जब मुझे लगा कि वाणी लिंग के लिये तैयार है तो उस के कुल्हों को डॉगी स्टाइल में उठा कर उस के पीछे घुटनों के बल बैठ कर अपने लिंग पर जैल लगा कर लिंग के सुपाडे को गुदा के मुँख पर रख कर दबाव डाला। जैल के कारण चिकनाहट होने की वजह से सुपाड़ा गुदा में घुस गया। वाणी के मुँह से आह निकली लेकिन उस ने होंठ दांतों से दबा कर दर्द पर काबु पाया। मैं थोड़ा रुका और वाणी के स्तनों को सहलाया। कुछ देर ठहरने के बाद मैंने जोर लगाया और लिंग आधा गुदा में समा गया। गुदा के अंदर बहुत गर्मी थी और कसाबट बहुत थी। वाणी से पुछा कि दर्द हो रहा है तो वह बोली कि हो तो रहा है लेकिन तुम रुको नहीं। मैंने जोर लगाया और पुरा लिंग वाणी की गुदा में समा गया।

लिंग को आधा निकाला और फिर से गुदा में घुसेड़ दिया। काफी देर तक ऐसा करने के बाद एक हाथ नीचे ले जा कर वाणी की योनि को सहलाना शुरु कर दिया। वाणी बोली कि दोनों तरफ से करने का विचार है? मैने कहा कि हाँ विचार तो कुछ ऐसा ही है। मेरी ऊंगली उस की योनि की गहरायी नापने लग गयी। वहाँ भी नमी भरपुर थी। आगे से ऊंगली और पीछे से लिंग दोनों अपने काम पर लगे हुये थे। वाणी की मादक कराहे मुझे और उत्तेजना दिला रही थी। कुछ देर गुदा में लिंग को अंदर बाहर करने के बाद मैंने वाणी को सीधा किया और अपना 6 इंच का फुला हुआ लिंग उस की योनि में घुसा दिया। पहली बार में ही वह आहहहहह उहहहहह करने लगी।

फिर उस के कुल्हें मेरे कुल्हों के साथ ऊपर-नीचे होने लगे। मुझे पता था कि मैंने वीर्य उस की योनि में नहीं डालना है, लेकिन इस परिस्थिती में कुछ किया भी नहीं जा सकता था। कंडोम पहनना ध्यान ही नहीं रहा था। शायद वाणी ने मेरी समस्या समझ ली थी वह बोली कि महीना होने वाला है कुछ नहीं होगा। तुम चिन्ता ना करो। मैं पुरे जोर से धक्कें लगाने में लग गया। कुछ देर बाद उस की योनि ने मेरे लिंग को कसना शुरु कर दिया। इस का मतलब था कि वह डिस्चार्ज होने वाली थी। मैं भी उसी समय डिस्चार्ज हुआ। लिंग के योनि से निकलते ही सारा वीर्य वाणी की योनि से बाहर निकल गया। वह गहरी सांसे लेती लेटी रही।

तुम जब भी करोगे मेरी जान पर बन आती है

तो करना बंद कर दूँ

ऐसा मैंने कब कहा

प्यार करते में अपने पर काबु नही रहता

तुमने तो दोनों तरफ से ले कर जान ही निकाल दी है

सही सलामत तो हो, ज्यादा हल्ला मत करो

कल पता चलेगा ना तो बैठ पाऊंगी ना कुछ कर पाऊँगी

तुम्ही को कुछ नया करने का मन था, कुछ देर में सही हो जाओगी। इसी लिये जैल का इस्तेमाल किया है ताकि घर्षण कम से कम हो

जैल से कुछ पता नहीं लगा, नहीं तो आग सी लग जाती है

सुबह कुछ नहीं होगा, सब सही हो जायेगा, देखना तुम दूबारा करने को कहोगी

वो तो मैं कहुँगी ही

तुम से बड़ा बदमाश कोई नहीं है

अभी तो कुछ देखा ही नहीं है

तुम मोटी हो गयी हो

हाँ लेकिन आज ही पता चला है?

हाँ पहले पीछे से हड्डीयां लगा करती थी इस बार ऐसा नहीं था

तुम मेरे हाथों पीटोंगे

क्यों सही कह रहा हूँ पहले तो मांस था ही नहीं, अब गुदगुदापन मजा देता है

तुम्हारी मौज है और मैं वजन कम करने को मरी जा रही हूँ

अपने आप कम हो जायेगा, अभी तो दूध पिलाने के लिये शरीर मजबुत चाहिये

तुम्हें भी ऐसा ही पसन्द है

नहीं मुझे तुम कैसी भी पसन्द हो, मैं तो मजाक कर रहा था, देखना रोज संभोग करने से तुम्हारा वजन कम हो जायेगा

चलों देखते है क्या होता है