बदला पति का पत्नी से

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रात ज्यादा हो रही थी इस लिये वह दोनों सोने चले गये। पीछे हम दोनों बच गये। मैंने उसे देख कर कहा कि मैडम आप के लिये अलग से बेड नहीं है मेरे साथ ही सोना पड़ेगा। यह सुन कर वह मेरी तरफ बड़े खतरनाक मुड़ में बढ़ी। मैं उस से बच कर बेडरुम में चला गया। वह पीछे पीछे बेडरुम में आ गयी। उस के इरादे खतरनाक लग रहे थे। सिगल बेड पड़ा था। मुझे आये अभी चार दिन ही हुये थे। इस लिये कुछ भी व्यवस्थित नहीं था। मैं बेड पर बैठ गया। उस ने दरवाजा बंद कर दिया। वह आ कर मेरे कदमों में बैठ गयी। मैंने कहा कि ऊपर बैठो तो वह बोली कि तुम ने मुझे अभी तक माफ नहीं किया है। आज भी मेरे पीछे पड़ने पर ही तुम मुझे ले कर आये हो।

मैं भी बेड से उठ कर उस के पास बैठ गया। मैंने उसे बाँहों में भरा और उस के होंठ चुम कर कहा कि जो तुम कह रही हो सब सही है तुम भी मुझे माफ कर दो कि मैंने तुम पर अपना अधिकार नहीं जताया। यह मेरी गल्ती है। मुझे भी इस की भरपुर सजा मिली है। मैंने भी इतना समय तुम से दूर रह कर बिताया है। हम दोनों को एक दूसरे को माफ कर देना चाहिये। यही हमारी सजा है। वह मेरी छाती में सर छुपा कर रोने लगी। मैंने उसे रोका नहीं, आज बहुत कुछ बांध तोड़ कर बह जाना था। मैं उसे रोक कर दोषी नहीं बनना चाहता था। काफी देर तक हम दोनों नीचे बैठे रहे। रात गहरा गयी थी। लेकिन हमारे जीवन में छाया अंधेरा छटने को था।

उस ने गरदन उठायी और मेरे होंठों को अपने होंठों से ढ़क दिया। दोनों बहुत प्यासे थे। गहरे चुम्बन में डुब गये। जब साँस फुल गयी तो अलग हुये। वह बोली कि आज तो इस बिस्तर का दम निकल जायेगा। मैंने हँस कर कहा कि कहो तो नीचे फर्श पर सो जाये। वह बोली यही सही रहेगा नहीं तो बहुत आवाज आयेगी। उस की बात की शरारत समझ कर मुझे पता चल गया कि आज की रात बहुत घमाकेदार होने वाली थी।

दोनों ने मिल कर बेड का गद्दा नीचे फर्श पर बिछा लिया और उस पर लेट गये। उस के बाद दोनों सनातन खेल में लग गये। कमरें में आहहहह उहहहह ऊईईईईई कराहने और फच-फच की आवाज भर गयी। जब तुफान खत्म हुआ तो दोनों थक कर अगल-बगल लेट गये। वह बोली कि तुम्हें मेरी रात को याद नहीं आती थी। मुझे तो हर रात तुम्हारी याद आती थी। मैंने उसे बताया कि मेरा भी ऐसा ही हाल था लेकिन हालात पर कोई जोर नहीं चल रहा था। कुछ देर बाद फिर से संभोग शुरु हो गया। दोनों बहुत लम्बें समय से प्यासे थे। रात में तीन बार संभोग हुआ। सुबह पत्नी की चाल बता रही थी कि रात को क्या हुआ था। मेरी कमर दर्द कर रही थी लेकिन दोनों को कोई चिन्ता नहीं थी। माँ अपनी बहु की चाल देख कर मुस्करा रही थी।

हमें दोनों को ऑफिस भी जाना था। सो तैयार हो कर दोनों अपने अपने ऑफिस पहुँच गये। मैंने अपने स्टाफ को पत्नी के बारें में बताया तो उन के चेहरों पर हैरानगी थी। मैने कहा कि लम्बी कहानी है फिर कभी सुनाऊंगा। दिन में मैडम का फोन आया कि क्या कर रहे हो? मैंने बताया कि मीटिंग में जा रहा हूँ। वह बोली कि शाम में मिलते है। पत्नी ने भी मेरे बारें में ऑफिस में बता दिया। सारे प्रशासनिक अमले को हम दोनों के संबंध के बारे में पता चल गया। किसी तरह की अफवाहें उड़े इस से अच्छा था कि हमारें बारें में सब को सही सूचना मिल जाये। हम नें ऐसा ही किया था। पत्नी तो अनुभवी थी मैं ही नया था।

रात को दोनों घर में मिले तो माँ बोली कि तुम दोनों छुट्टी लेकर कुछ दिन कही घुम आयों। बहुत दिनों से अकेले कही गये नहीं हो। मैंने माँ से कहा कि मैंने तो अभी जॉयन किया है कुछ महीनों तक तो ऐसा नहीं कर सकता हूँ। पत्नी बोली कि ऐसा नहीं है, छुट्टी तो मिल जायेगी लेकिन कैरियर के लिये सही नहीं रहेगा। जहाँ इतन दिन अकेले रहे है तो इस के लिये भी कुछ दिन इंतजार कर लेगे। उस की बात सुन कर माँ मुस्करा कर चली गयी। पत्नी बोली कि कमरें में सुधार करवाओ। ऐसे काम नहीं चलेगा। कमर का दम निकल जायेगा। मैं भी उस की बात से सहमत था। दूसरे दिन बेडरुम में नया बेड आ गया। उस पर मोटे गद्दे पड़े हुये थे। रात को जब वह लेटी तो बोली कि अब मजा आयेगा। मैंने उसे पकड़ते हुये कहा कि मैडम कही दोनों बीमार ना पड़ जाये। वह बोली कि प्यार करने से कही कोई बीमार हुआ है।

रात को सोते समय पत्नी बोली कि बेड तो बढ़िया लिया है। मैंने कहा कि अगर एक दिन और नीचे सोना पड़ता तो मेरी कमर का बजा बज जाना था। वह हँस कर बोली कि चार साल बाद मिले पति-पत्नी के साथ बहुत नाइंसाफी होती यह तो। तुम ने पहले ही इस का उपाय कर दिया नही तो मुझे ही कुछ करना पड़ता। फिर मुझे चुप देख कर बोली कि मैं भी तुम से बहुत नाराज हूँ तुम इतने समय तक मुझ से दूर रहे, तुम अगर मुझे अपना समझते तो इस बीच मुझे याद नहीं करते। मैंने बदलें में उसे चुमा और कहा कि मैं भी बहुत नाराज हूँ कि तुम नें मुझे और मेरे माता-पिता को बहुत रुलाया है लेकिन तुम्हारी सारी गल्तियाँ इस लिये माफ कर दी है क्योंकि तुम्हारी वजह से ही मैं प्रशासनिक सेवा में आ पाया नहीं तो वही पुरानी नौकरी करता रहता।

वह मुझ से चिपक गयी और बोली कि मेरी ज्यादा चिन्ता करने के वजह से ही मैं इतना बिगड़ गयी कि तुम्हें भुल गयी। मेरी क्या सजा है। मैंने कहा कि कोई सजा नहीं है चार साल के विरह को दूर करने का प्रयास करो, तुम्हारी और मेरी यही सजा हो सकती है। जो कुछ इन दिनो में हम से छुट गया है उसे पकड़ते है। वह मेरी बात समझ गयी और बोली कि अब तुम ज्यादा बोलने लग गये हो।

उस के और मेरे बीच जो होना था वह तो होना ही था। हम दोनों को चार साल की कसर निकालनी थी। अब बातों के लिये समय नहीं था। उस के हाथ मेरी गरदन को चारों तरफ लिपट गये और उस के होंठों ने मेरे होंठों पर अपनी छाप लगानी शुरु कर दी। वह बहुत प्यासी थी, मेरी भी यही हालत थी। मैं भी उस की गरदन पर चुम्बन ले रहा था। फिर धीरे से मेरे हाथ उस की छाती को सहलाने लगे। वह यही चाहती थी। उस की साड़ी ढ़ीली हो कर साइड मे गिर गयी। मैंने उस का ब्लाउज उतार दिया। ब्राउन रंग की ब्रा में कसे उस के उरोज मुझे ललचा रहे थे। मैंने उसकी पीठ पर अपने हाथ ले जा कर उसके उरोजों को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया। पहले उन्हें हाथ से सहलाया और एक निप्पल को जो फूल कर कड़ा हो गया था अपने होंठ में ले लिया। उस को धीरे धीरे चुसना शुरु कर दिया। वह आहहहह उहहहहहहहहहह करने लगी। उस के बाद अपनी जीभ से उस के निप्पल के चारों ओर चाटना शुरु किया। इस से उस का निप्पल और तन गया।

हाथ उरोज को अपने में दबोच कर दबा रहा था। वह सिसकियां भर रही थी। दूसरे उरोज के साथ भी मैंने ऐसा ही किया। वह उत्तेजना की वजह से मेरे होंठों को काट रही थी। इस के बाद मेरा होंठ उस की सपाट कमर पर अपनी छाप छोड़ने लग गये। नाभी को चुम कर मैं नीचे उतरा तो वहाँ उस का पेटीकोट बीच में आ गया। मैंने उस का नाड़ा खोल कर नीचे कर दिया। उस की भरी जाँघों पर लाल रंग की पेंटी कसी हूई थी। उसे भी नीचे खिसका दिया। अब उस की योनि मेरे सामने थी। पहले तो मैं उसे अपने हाथ से सहलाता रहा फिर जब मुझ से रहा नहीं गया तो उसे अपने होंठों से चुम लिया। इस से पत्नी चिहुक गयी।

अब मेरी जीभ उस की योनि को ऊपर से नीचे चाट रही थी। इस के बाद उस की भग को होंठों में ले कर चुसना शुरु कर दिया। पत्नी इससे उत्तेजना के कारण सर इधर-उधर पटक रही थी जब उस से रहा नहीं गया तो उस ने अपने हाथ बढ़ा कर मेरा पायजामा उतार दिया। उस का हाथ मेरी ब्रीफ के ऊपर से मेरे लिंग को सहलाने लगा। कुछ देर तो वह ऐसा करती रही। इस के बाद उस ने ब्रीफ से लिंग को बाहर कर लिया और उसे हाथ में ले कर सहलाना शुरु कर दिया। मेरा लिंग पुरे तनाव पर आ गया था। ब्रीफ के कारण मुझे दर्द हो रहा था। मैंने अपनी ब्रीफ उतार दी। तब जा कर मुझे आराम मिला।

मैं हाथ से उस की जाँघों को सहला रहा था। वह इस का आनंद उठा रही थी। मैंने अपने पांव उस के मुँह की तरफ कर लिये अब उसे मेरे लिंग को अपने मुँह में लेने में कोई परेशानी नहीं थी। यही वह चाहती थी। मैं उस की योनि चाटता रहा और वह मेरे लिंग को चुसती रही। काफी देर तक हम दोनों एक-दूसरे का आनंद लेते रहे।

फिर मैं उस के ऊपर से उठ कर बेड पर बैठ गया और उसे उठा कर अपने पांवों पर बिठा लिया। उस के पांव मेरी कमर से लिपट गये। उस ने मेरे लिंग को हाथ से पकड़ कर योनि के मुँह पर रखा और अपने कुल्हें दबा कर उसे अपनी योनि में डाल लिया। हम दोनों के चेहरें एक-दूसरे के आमने सामने थे। हम दोनों एक दूसरे को चुमने लग गये। ऊपर से हमारे होंठ मिले हुये थे और नीचे से योनि और लिंग एक दूसरे में समाने का प्रयास कर रहे थे। मैं नीचे से अपने कुल्हें उछाल कर लिंग को उस की योनि में डाल रहा था। ऊपर से वह अपने कुल्हें उछाल कर मेरे लिंग को अपनी योनि में समाने का प्रयास कर रही थी। फिर दोनों के बीच दौड़ शुरु हो गयी। दोनों में से कोई पीछे रहने को तैयार नहीं था। दोनों पसीने से नहा गये।

मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया और उस के ऊपर आ गया। इस आसन में मैं धक्कें लगाने लगा। मेरी गति बहुत तेज हो गयी। कुछ देर बाद अचानक विस्फोट सा हुआ और मैं स्खलित हो गया। पत्नी के पांव भी मेरी कमर पर बुरी तरह से कस गये थे। वह भी स्खलित हो गयी थी। कुछ देरे ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं उस के ऊपर से उतर कर बगल में लेट गया। वह मेरी तरफ मुँह करके बोली कि तुम तो मेरी कमर तोड़ कर मानोगें। मैंने कहा कि प्यार करने से कही किसी की कमर टुटती है। वह बोली कि सर जी मुझे भी सारे दिन कुर्सी पर बैठना पड़ता है।

चार साल का हिसाब तो ऐसे ही पुरा होगा

यह तो गलत बात है

क्यों क्या गलत है?

मेरे बहुत दर्द हो रहा है

ऐसा मान लो कि हम दूबारा हनीमून मना रहे है

हाँ यह तो है दूबारा हनीमून वाला मजा तो आ ही रहा है

बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा है

चलों कसम खाये कि आगे ऐसी कोई गल्ती नहीं करेगे

हाँ हमेशा ध्यान रखेगे कि ऐसी गल्ती दूबारा ना होने देगे

हर रात मैंने करवट बदलते काटी है

मेरा भी यही हाल रहा है

उस की कसर तो पुरी करनी ही पड़ेगी

इस लिये दर्द भी सहना ही होगा

तुम ठीक कहते हो

मैंने उसे अपने से लिपटा लिया और हम दोनों गहरी नींद में खो गये। अब हर रात ऐसा ही होना था तभी हम अपने खोये हुए समय की पुर्ति कर सकते थे। हम दोनों इस बात के लिये तैयार थे। अपने जीवन और सेक्स लाइफ के बीच में किसी और को बीच में नहीं आने देना चाहते थे। सुबह जब दोनों उठे तो दोनों के मन संतुष्टि से भरे थे। शरीर भले ही थोड़े से थके हो लेकिन मन तो उल्लास से भरा था। दोनों उठे और अपनी जीवनचर्या में लग गये। दिन में दोनों के बीच बातचीत कम ही हो पाती थी। शाम को घर आ कर ही दोनों भरपुर बात कर पाते थे। माता-पिता हम दोनों को देख कर खुश थे। एक दिन माँ बोली कि तुम दोनों अब सही लग रहे हो, हमेशा ऐसे ही रहना। मैं और पत्नी उन की बात सुन कर शर्मा कर रह गये।

जीवन में जो खोया था उसे जल्दी से वापस पाना था। इस लिये जो भी उस के लिये करना पड़ेगा वह करने के लिये हम दोनों तैयार थे, और वही कर रहे थे।

समाप्त

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