बीबी की चाहत 02

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दीपा इतनी गरम हो रही थी की उसके मुंह से बरबस एकदम धीमी आवाज में कामुकता भरी कराहटें "आह........ ओह........ उफ़....... हाय.... अरे तरुण, क्या कर रहे हो? रुक जाओ ना, प्लीज? कोई देख लेगा" निकल ने लगीं। तरुण की हरकतों से वह इतनी गर्म हो चुकी थी की दीपा को डर लगा की अगर जल्दी ही तरुण रुका नहीं तो दीपा कहीं खुद ही अपना घाघरा ऊपर कर तरुण से चुदवाने के लिए कहने को मजबूर ना हो जाए।

ऐसे ही कुछ देर तक तरुण दीपा के बूब्स को कभी ब्लाउज के ऊपर से तो कभी ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर मसलता रहा और दीपा की निप्पलोँ को उँगलियों में पिचकता रहा। साथ साथ में दीपा को कपड़ों के ऊपर से चोदता रहा। दीपा अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। दीपा भी काम वासना की ज्वाला में जल रही थी। दीपा भी खुद तरुण की कमर पकड़ कर जैसे उससे चुदवा रही हो ऐसे कर रही थी और उसके कारण उसका मन भी शायद तरुण का लण्ड लेने के लिए व्याकुल हो रहा था। एक तरफ वह तरुण को रोकना चाहती थी तो दूसरी और उसके मुंह से बरबस ही दबी हुई आवाज में कामुकता से उत्तेजित आहटें निकल रहीं थीं जो तरुण को और भी उत्तेजित कर रहीं थीं।

कुछ ही देर में जब दीपा ने देखा की उसे तरुण को रोकना ही होगा, वरना गजब हो जाएगा तब मौक़ा देख कर दीपा तरुण से अलग खड़ी हो गयी और तरुण को लाल आँखें दिखा कर बोली, "यह क्या है तरुण? तुम्हें तो ज़रा भी ढील नहीं देनी चाहिए। तुम तो उंगली देती हूँ तो बाँह ही पकड़ लेते हो। कुछ हँसी मजाक छेड़खानी ठीक है, पर तुम तो दानापानी लेकर चालु ही हो जाते हो? अभी तो रात शुरू भी नहीं हुई की तुम तो चालु हो गए?"

तरुण ने कहा, "ठीक है भाभी माफ़ कर देना। अगर आप कहते हो तो ठीक है। शुरुआत के लिए अभी इतना ही काफी है। ओके? भाभी क्या करूँ? आपको देख कर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा। सॉरी भाभी।"

फिर तरुण ने दीपा के गालों पर हलके से उंगलिया फेरते हुए कहा, "भाभी आप नाराज तो नहीं हो ना? देखो भाभी आज की रात मेरी हरकतों का बुरा मत मानना। प्लीज?"

दीपा ने तरुण का हाथ अपने गालों से हटाते हुए कुछ मज़बूरी में मुस्काते हुए कहा, "चलो ठीक है। तुम्हारे भाई आने वाले हैं। अब चुपचाप चलो और कोई शरारत मत करना। ओके?"

तरुण ने कहा, "भाभी इतने से ही तंग आ गए? यह तो शुरुआत है। शरारत तो अभी बाकी है। आज की रात तो मजे करने के लिए ही है ना?"

दीपा ने चेहरे पर खिसिआनि मुस्कान लाते हुए कहा, "पता नहीं, बाबा और कितनी शरारत करोगे तुम? ठीक है बाबा, रात तो अभी बाकी है ना और शरारत करने के लिए? अभी तो चलो यार।"

तरुण ने बड़े ही नाटकीय ढंग से दीपा के पाँव छुए जैसे वह दीपा को प्रणाम कर रहा हो। दीपा यह देख कर भागी और कुछ बोले बिना तरुण की कार मैं जा बैठी। मैं मेरे पिता और माताजी को प्रणाम कर और मुन्ना को प्यार करके बाहर आया और आगे की सीट में कार की खिड़की की तरफ दीपा के पास बैठ गया। तरुण अपनी पुरानी एम्बेसडर में आया था। उस कार में आगे लम्बी सीट थी जिसमें तिन लोग बैठ सकते थे। तरुण कार के बाहर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा था। जैसे ही मैं गाडी मैं बैठा, तरुण भी भागता हुआ आया और ड्राइवर सीट पर बैठ गया। दीपा की एक तरफ मैं बैठा था और दूसरी तरफ तरुण ड्राइवर सीट में बैठा था और दीपा बिच में।

मैंने दीपा को देखा की मेरी पत्नी हररोज की तरह चुलबुली नहीं लग रही थी। वह सहमी हुई थी और उसके गाल लाल नजर आ रहे थे। शायद उसके कपडे भी थोड़े इधर उधर हुए मुझे लगे। मुझे शक हुआ की कहीं मेरी गैर हाजरी में तरुण ने दीपा से कोई और शरारत भरी हरकत तो नहीं की? उस समय मुझे तरुण और दीपा के बिच घर के बाहर रास्ते पर पार्क के पास कार के सहारे हुए कार्यकलाप के बारे में कुछ भी पता नहीं था। वह सारी बात मेरी बीबी ने मुझे काफी समय के बाद बतायी थी। खैर, जैसे ही तरुण ने कार स्टार्ट की, उसके फ़ोन की घंटी बजी। तरुण ने गाडी रोड के साइड में रोकी और थोड़े समय बात करता रहा। जब बात ख़त्म हुई तो दीपा ने पूछा, "किस से बात कर रहे थे तरुण?"

तरुण ने दीपा की तरफ देखा और थोड़ा सहम कर बोला, "यह रमेश का फ़ोन था। बात थोड़ी ऐसी है की आपको शायद पसंद ना आये। थोड़ी सेक्सुअल सम्बन्ध वाली बात है।"

तब मैंने दीपा के ऊपर से तरुण के कंधे पर हाथ रखा और बोला, "देखो तरुण, हम सब वयस्क हैं. दीपा कोई छोटी बच्ची नहीं। वह एक बच्चे की माँ है। आज होली का दिन है, थोड़ी बहुत सेक्सुअल बातें तो वह भी सुन सकती है। जब दीपा ने पूछ ही लिया है तो बता दो। ठीक है ना दीपा?" मैंने दीपा के सर पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा।

दीपा ने तरुण की तरफ देखा और सर हिलाते हुए हाँ का इशारा किया।

तरुण ने कहा, "रमेश मेरा पुराना दोस्त है। उसकी पोस्टिंग जब जोधपुर में हुई थी तब उसका एक पुराना कॉलेज समय का मित्र भी वहाँ ही रहता था। वह मित्रकी पत्नी भी कॉलेज के समय में रमेश की दोस्त थी। उस समय रमेश और उसकी होनी वाली पत्नी के बिच में प्रेम संदेशों का आदान प्रदान भी रमेश करता था। यूँ कहिये की उनकी शादी ही रमेश के कारण हो पायी थी। रमेश के दोस्त की पत्नी को रमेश के प्रति थोड़ा आकर्षण तो था पर आखिर में उसने रमेश के मित्र के साथ ही शादी करनेका फैसला लिया।"

मैंने देखा की तरुण अपनी कार को मुख्य मार्ग से हटाकर शहर के बाहरी वाले रास्ते से ले जा रहा था। रास्ते में पूरा अँधेरा था। वह कार को एकदम धीरे धीरे और घुमा फिरा कर चला रह था। मैंने तरुण से पूछा क्या बात है। तरुण ने कहा उसने रात का खाना नहीं खाया था, और वह कहीं न कहीं खाने के लिए कोई ढ़ाबे पर रुकना चाहता था।

यह तो मैं बता ही चूका हूँ की मेरी सुन्दर पत्नी दीपा तरुण और मेरे बिच में सटके बैठी हुयी थी। तरुण की कहानी सुनने के लिए मैं काफी उत्सुक हो गया था। एक तो पुरानी गाडी की धड़ धड़ आवाज और ऊपर से तरुण की धीमी और नरम आवाज को सुननेमें मुझे थोड़ी कठिनाई हो रही थी। मैंने इस कारण दीपा को तरुण की तरफ थोड़ा धक्का दे कर खिसकाया। मेरी बीबी बेचारी मेरे और तरुण के बिच में पिचकी हुयी थी। तरुण ने अपना गला साफ़ किया और आगे कहने लगा।

"शादी के करीब पांच साल के बाद रमेश का मित्र बिज़नस बगैरह के झंझट में व्यस्त था और पत्नी घरबार और बच्चों में। उनके दो बच्चे थे। रमेश का मित्र और उसकी पत्नी में कुछ मनमुटाव सा आ गया था। रमेश का मित्र अपनी पत्नी को समय नहीं दे पाता था। उसकी पत्नी सेक्स के लिए व्याकुल होती थी तो रमेश का मित्र थका हुआ लेट जाता था। जब रमेश का मित्र गरम होता था तब उसकी पत्नी थकी होने बहाना करके लेट जाती थी। सेक्स में अब उनको वह आनंद नहीं मिल रहा था जो शादी के पहले चार पांच सालों तक था।" तरुण ने बड़ी ही संतुलित भाषा में रमेश के दोस्त और दोस्त की बीबी के बिच में सेक्स को लेकर जो तनाव था उसका बखूबी वर्णन किया।

अब तरुण की कहानी सेक्स के गलियारों में प्रवेश कर चुकी थी। मैं थोड़ा उत्तेजित हो गया और दीपा का एक हाथ मेरे हाथ में लेकर उसे दबाने लगा। तब मैंने थोड़ा सा ध्यान से देखा की तरुण भी गाडी चलाते चलाते और गियर बदलते अपनी कोहनी दीपा के स्तनों पर टकरा रहा था। थोड़ी देर तक तो ऐसा चलता रहा। दीपा ने शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया, पर फिर एक बार उसने अपनी कोहनी को दीपा के स्तन के उपर दबा ही दिया। अंदर काफी अँधेरा था और मुझे साफ़ दिखने में भी कठिनाई होती थी। मैंने दीपा के मुंह से एक टीस सी सुनी। साथ में ही दीपा ने भी मेरी हथेली जोर से दबायी। उसने अपने स्तन पर तरुण की कोहनी के दबाव को जरूर महसूस किया था। पर वह कुछ बोली नहीं।

तरुण ने अपनी कहानी को चालु रखते हुए कहा, "जब रमेश उनसे मिला तो भांप गया की उन पति पत्नी के बिच में कुछ ठीक नहीं है। रमेश और उसका दोस्त काफी करीबी थे और सारे विषय पर खुली चर्चा करते थे, जिसमें सेक्स भी शामिल था। जब रमेश ने ज्यादा गहराई से पूछताछ की तो दोनों ही उससे शिकायत करने लगे। अपनी फीकी शादीशुदा जिंदगी के लिए एक दूसरे पर दोष का टोकरा डालना चाहा। रमेश ने तब दोनों को एकसाथ बिठाया और बताया की उनके वैवाहिक जीवन का वह दौर आया है जहां जातीय नवीनता ख़त्म हो गयी है और नीरसता आ गयी है। उसने उनको कहा की उनको चाहिए की सेक्सुअल लाइफ में कुछ नवीनीकरण लाये।"

तरुण ने तब कार को एक जगह रोका जहाँ थोडा सा प्रकाश था। उसने अपनी कहानी का क्या असर हो रहा है यह देखने के लिए हमारी और देखा। उसने देखा की मैंने दीपा का हाथ अपनी गोद में ले रखा था। तरुण की कहानी मुझे गरम कर रही थी। दीपा मेरे और तरुण के बीचमें दबी हुई बैठी थी। वह कुछ बोल नहीं रही थी। तरुण मुस्कराया और उसने कार को आगे बढ़ाते हुए कहानी चालु रखी।

"जब उन पति पत्नी ने रमेश से पूछा की वह सेक्सुअल लाइफ में नवीनीकरण कैसे लाएं, तब रमेश ने कहा की कई अलग अलग तरीके होते हैं। पहले तो पति पत्नी अलग अलग पोजीशन में सेक्स कर काफी कुछ विविधता (वेरिएशन) लाते हैं। उसके बाद कुछ समय के बाद वह भी सामान्य हो जाता है और वह बोर हो जाते हैं तो "रोल प्ले" करते हैं, मतलब सेक्स करते समय पति पत्नी को किसी खूबसूरत जानी पहचानी औरत के नाम से बुलाता है और पत्नी पति को उसके पसंदीदा हीरो या किसी गैर मर्द के नाम से बुलाती है और फिर दोनों यह सोच कर सेक्स करते हैं की वह दूसरे आदमी या औरत से सेक्स कर रहे हैं।

कुछ दिनों बाद जब यह अनुभव भी पुराना हो जाता है तब सबसे कारगर पर थोड़ा हिम्मत वाला या कुछ हद तक खतरनाक तरिका है पति पत्नी सामूहिक सेक्स, थ्रीसम, पत्नी की अदलाबदली बगैरह। पति और पत्नी अपने जान पहचान वालों में से ही कोई ना कोई एक कपल को एक साथ एक ही पलंग पर सेक्स करने के लिए पटाने की कोशिश करते हैं। पर यह थोड़ा मुश्किल है। क्यूंकि जब दुसरा पति राजी होता है तो पत्नी तैयार नहीं होती और अगर दूसरी पत्नी राजी होती है तो पति तैयार नहीं होता।

दुसरा तरिका है थ्रीसम। अगर पति पत्नी मिल कर तय करें की वह किसी गैर मर्द या औरत के साथ मिल कर सेक्स करें तो वह किसी गैर मर्द या औरत को पसंद करते हैं और उसके सामने अथवा उसके साथ भी सेक्स करते हैं। इसमें पति और एक गैर मर्द मिल कर बीबी के साथ सेक्स करते हैं। इसको एम् एम् एफ (मेल, मेल, फीमेल), यानी दो मर्द और एक औरत वाला सेक्स कहते हैं। अगर वह कोई औरत को सेक्स करने के लिए चुनते हैं तो उसे एफ एफ एम् (फीमेल, फीमेल, मेल) यानी दो औरत और एक मर्द वाला सेक्स कहते हैं।

अगर पति पत्नी तैयार हो तो दो मर्द एक औरत वाला सेक्स थोड़ा सा आसान होता है क्यूंकि बाहर का मर्द सेक्स करने के लिए तैयार हो जाता है। पर बाहर की औरत को ऐसे सेक्स के लिए पटाना थोड़ा मुश्किल होता है। यानी वह कपल किसी एक मर्द को सेक्स करने के लिए चुनते हैं और उसके साथ मिल कर सेक्स करते हैं।

एक साथ एक ही पलंग पर दो कपल मिल कर अपनी अपनी पत्नियों से सेक्स भी करते हैं। इसे सॉफ्ट स्वैप कहते हैं। इसमें एक दूसरे की पत्नी से थोड़ी छेड़ छाड़ तो करते हैं पर सेक्स सिर्फ अपनी पत्नी से ही करते हैं। और दुसरा है हार्ड स्वैप। मतलब बीबियों की सेक्स के लिए अदला बदली। इसमें एक ही पलंग पर कभी अपनी बीबी से तो कभी दूसरे की बीबी से सेक्स करते हैं। ऐसे पत्नियों की अदलाबदली द्वारा अपने वैवाहिक जीवन में नवीनता और उत्तेजना लाते हैं। जैसा समय अथवा संजोग वैसे ही इसको व्यावहारिक रूप में अपनाया जा सकता है। परंतु इसमें सारे पति पत्नीयोँ की सहमति और एकदूसरे में पूरा विश्वास आवश्यक है।"

तरुण की यह कहानी सुनते ही मुझे अहसास हुआ की दीपा ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे जोर से दबाने लगी थी। मैं असमंजस में था। दीपा ऐसा क्यों कर रही थी? क्या तरुण साथ कोई और शरारत तो नहीं कर रहा था? या फिर दीपा भी तरुण की बात सुनकर गरम हो गयी थी? मैंने अनायास ही मेरा हाथ थोड़ा ऊपर किया और मेरी पत्नी के कन्धों के उपरसे हो कर उस के स्तनों पर रखा और उसके स्तनों को मेरी हथेली में दबाने और सहलाने लगा।

मैंने महसूस किया की दीपा के दिल की धड़कन बहोत ज्यादा तेज हो रही थी। अचानक मुझे ना जाने ऐसा लगा की

मेरा हाथ मैंने मेरी बीबी के स्तनों पर रखा था वह तरुण के हाथसे टकराया और मेरे हाथ के छूते ही तरुण ने अपना हाथ वापस ले लिया। कहानी सुनाते सुनाते क्या वह भी दीपा के स्तनों को छूने की कोशिश कर रहा था? या मेरे से भी पहले से वह दीपा के स्तनों को सहलाए जा रहा था और मेरी बीबी कुछ भी नहीं बोल रही थी? मैं इस बात को पक्की तरह से नहीं कह सकता। मैं चुप रहा और आगे क्या होता है उसका इंतजार करने लगा।

तरुण बोल रहा था, "रमेश उस समय उन्हीं के घर में रुका हुआ था। उस रात को रमेश के दोस्त ने उसे अपने बैडरूम में ड्रिंक्स के लिए बुलाया। जब रमेश उनके बैडरूम में दाखिल हुआ तो उसने देखा की उसका दोस्त अपनी पत्नी को अपनी गोंद में बिठाकर उसके स्तनों से खेल रहा था। उसकी पत्नी के ब्लाउज के बटन खुले थे और वह अपने पति के प्यार को एन्जॉय कर रही थी। रमेश स्तब्ध सा रह गया और क्षमा मांगते हुए वापस जाने लगा।

तब रमेश के दोस्तने उसे अपने पास बुलाया और अपने पास बिठाया। रमेश की पत्नी ने रमेश के सर से अपना सर मिलाया और रमेश का दोस्त और दोस्त की पत्नी एक दूसरे से करीब आकर एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे और बाद में रमेश की पत्नी ने रमेश का हाथ थाम कर अपने एक स्तन पर रखा। दूसरे स्तन को रमेश का दोस्त सेहला रहा था। पत्नी ने फिर रमेश को अपने स्तनों को दबाकर उन्हें चूसने को कहा। ऐसा लग रहा था की रमेश की बात उन लोगों को जँच गयी थी रमेश को भी दोस्त की पत्नी के प्रति आकर्षण तो था ही। वह उससे सेक्स करने के लिए तैयार हो गया। उस रात रमेश और उसके दोस्त दोनों ने मिलकर दोस्त की पत्नी के साथ जमकर सेक्स किया।"

फिर तरुण थोड़ा रुक गया और दीपा की कर बोला, "भाभी, क्या मैं आपको एक बात बताऊँ? जो रमेश, उसका दोस्त और दोस्त की पत्नी ने मिल कर किया उसे क्या कहते हैं?"

दीपा ने एक अजीब निगाह से तरुण की और देखा। वह कुछ नहीं बोली। तब मैंने तरुण से पूछा, "बोलो ना तरुण, क्या कहते हैं उसे?"

तरुण ने भाई को टोकते हुए कहा, "भाई, भाभी को जवाब देने दो ना? भाभी आप बोलो क्या मैं बताऊँ?"

दीपा ने कहा, "बताओ ना। मैंने कहाँ रोका है।"

तरुण ने कहा, भाभी, उन तीनों ने मतलब रमेश, उसका दोस्त और पत्नी ने मिलकर थ्रीसम सेक्स एम. एम. एफ (मेल, मेल, फीमेल), यानी दो मर्द एक औरत जब सेक्स करते हैं तब उसे एम. एम. एफ (मेल, मेल, फीमेल) थ्रीसम सेक्स कहते हैं। उस कपल ने मेरे दोस्त रमेश को थ्रीसम सेक्स करने के लिए चुना था। भाभी यह थ्रीसम सेक्स ऐसे होता है।"

यह कह कर तरुण कुछ देर चुप रह कर दीपा की और एकटक देखने लगा जैसे वह दीपा से कुछ जवाब चाहता था। दीपा ने जब देखा की तरुण उसकी और एकटक देख रहा था तो दीपा ने शर्माते हुए तरुण से पूछा, "तरुण तुम ऐसे क्यों मेरी तरफ देख रहे हो?"

तरुण ने कहा, "कुछ नहीं भाभी, मैं यह जानना चाहता था की आप थ्रीसम का मतलब समझे की नहीं।"

दीपा ने उखड़े हुए अंदाज में कहा, "भाई मुझे क्यों इसका मतलब समझाते हो? किया तुम्हारे दोस्त ने उसके दोस्त और उस दोस्त की बीबी के साथ और मतलब मुझे समझाते हो?"

तरुण ने थोड़ा सा खिसियानी शकल बनाते हुए कहा, "नहीं भाभी बस मैं तो वैसे ही पूछ रहा था।"

तरुण की कहानी उसकी पराकाष्ठा पर पहुँच रही थी। मैं तो काफी गरम हो ही रहा था, पर दीपा भी काफी उत्तेजित लग रही थी। दीपा पर तरुण की कहानी का गहरा असर मैं अनुभव कर रहा था, क्यूंकि वह अपनी सिट पर अपने कूल्हों को इधर उधर सरका रही थी। अँधेरे में यह कहना मुश्किल था की क्या वही कारण था या फिर तरुण की कोई और शरारत? जरूर तरुण स्वयं भी काफी गरम लग रहा था। उसकी आवाज में मैं कम्पन सा महसूस कर रहा था।

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TheMaskEditorTheMaskEditorover 3 years ago

Great work, very erotic descriptions and created good situations. It is very dramatic.

shrimohitshrimohitabout 4 years ago
Very very hot and sexy

You are a mesmorizing erotic story writer. I was compelled to read the entire story, beginning from Chapter 01 continuously again and it led me to blissful orgasm. I want more and more stories like this.

AnonymousAnonymousover 4 years ago
too hot

You are very awesome erotic story writer. Keep it up. Waiting for next part asap.

AnonymousAnonymousover 4 years ago

waiting for part 3

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