Mein Aur Meri Bahu

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dil1857
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रश्मि के मुँह पर पानी छोड़ दिया.

अचानक रवि ने मेरे सिर पर हाथ रख उसे अपने लंड पे दबा दिया.
उसके लंड को गले तक लेने मे मुझे परेशानी हो रही थी की उसके
लंड ज़ोर की पिचकर छोड़ दी. इतना पानी छूट रहा था की पूरा वीर्या
निगलना मेरे बस की बात नही थी. उसका वीर्या मेरे होठों से होता
हुआ मेरी चुचियों पर गिर पड़ा.

रश्मि ने आगे बढ़ मेरे चुचियों परे गिरे वीर्या को छत लिया और
मेरी चुचियों को चूसने लगी.

"क्या इनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी नही है?" रश्मि ने मेरे निपल्स को
भींचते हुए रवि से पूछा.

रवि के लंड से छूटा वीर्या अभी भी मेरे होठों पे लगा हुआ था.
में बिस्तर पर आराम से लेट गयी थी, तभी रवि ने मेरे होठों को
चूम कर मुझे चौंका दिया. उसने मेरे होठों को चूस्टे हुए अपनी
जीब मेरे मुँह मे दल दी. में इतनी उत्तेजित हो गयी की मुझे लंड
लेने की इक्चा होने लगी.

रवि ने मेरी छूट को अपनी उंगलियों से फैला एक ही ज़ोर के धक्के मे
अपना लंड मेरी छूट मे अंदर तक पेल दिया. उसके एक ही धक्के ने
मेरी छूट का पानी छुड़ा दिया.

रश्मि मेरे उप्पर आ गयी और मेरे चेहरे के पास बैठ कर अपनी
छूट मेरे मुँह पर रख दी, में दर गयी, "प्लीज़ रश्मि ऐसा मत
करो, मेने आज तक ये सब नही किया है." मेने विरोध करते हुए
कहा.

"बेवकूफ़ मत बनो. वक्त आ गया है की तुम ये सब सिख लो. वैसे ही
करते जाओ जैसे मेने तुम्हारी छूट चूस्टे वक़्त किया था." रश्मि
ने कहा.

"रश्मि अगर तुमने जिस तरह से मेरे लंड को चूसा था उससे आधे
तरीके से भी तुम छूट चतोगी तो रश्मि को मज़ा आ जाएगा." रवि
ने मेरी छूट मे धक्के लगते हुए कहा.

मेने अपना सिर तोड़ा सा उप्पर उठाया और अपनी जीब बाहर निकल ली.
मुझे पता नही था की छूट कैसे छाती जाती है इसलिए में अपनी
जीब रश्मि की छूट के चारों और फिरने लगी.

रश्मि की छूट इतनी मूल्याँ और नाज़ुक थी की में अपने आप को रोक
नही पाई और ज़ोर से अपनी जीब चारों तरफ घूमने लगी, रश्मि के
मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. रश्मि को भी मज़ा आ रहा था.

मुझे खुद पर विश्वास नही हो रहा था, मुझे उसकी छूट का स्वाद
इतना अक्चा लगा की मेने अपनी जीब को एक त्रिकोण आकर देखार उसकी
छूट मे घुसा दी. अब में उसकी छूट मे अपनी जीब अंदर बाहर कर
रही थी.

रश्मि को भी मज़ा आ रहा था. उसने अपनी जंघे और फैला दी जिससे
मेरी जीब को और आसानी हो उसकी छूट के अंदर बाहर होने मे.

जैसे जैसे मे रश्मि की छूट को चूस रही थी मेरी खुद की
उत्तेजना बढ़ती जेया रही थी. रवि एक जानवर की तरह मुझे छोड़े
जेया रहा था. उसका लंड पिस्टन की तरह मेरी छूट के अंदर बाहर हो
रहा था. उत्तेजना मे मेने अपनी दोनो टाँगे रवि की कमर पे लपेट ली
और वो जड़ तक धक्के मरते हुए मुझे छोड़ने लगा.

रवि ने एक ज़ोर का ढाका लगा अपना वीर्या मेरी छूट मे छोड़ दिया और
उसी समय मेरी छूट ने भी पानी छोड़ दिया. मेरी छूट हम दोनो के
पानी से भर गयी थी. मेने नज़रें उठा अपना ध्यान रश्मि की और
कर दिया.

अब मे अपनी जीब जोरों से उसकी छूट के अंदर बाहर कर रही थी.
मेने उसकी छूट की पंखुड़ियों को अपने डातों मे ले काट लेती तो वो
मारे उत्तेजना के चीख पड़ती, "ओह काआतो मेरिइई चूओत को
ओह हाआअँ घुसााआआअ दो आआपनी जीएब मेर्रर्र्ररर चूऊत
मे आआआः आचाा लग रहा है."

रश्मि ने उत्तेजना मे अपनी छूट मेरी मुँह पर और दबा दी और अपनी
छूट को और मेरे मुँह मे घुसा देती. मेईएन उसके कुल्हों को पकड़ और
ज़ोर से उसकी छूट को चूसना शुरू कर दिया. रश्मि ने अपनी छूट को
मेरे मुँह पर दबाते हुए अपना पानी छोड़ दिया. आकीहिर वो तक कर
मेरे बगल मे लेट गयी.

हम तीनो थके निढाल बिस्तर पर लेते हुए थे की रश्मि बोल
पड़ी, "प्रीति आज तक किसी ने मेरी छूट को इस तरह नही चूसा
जैसे तुमने. सबसे बड़ी बात ये है की छूट चूसने का तुम्हारा
पहला अनुभव था."

"और लंड चूसने मे भी, मेरे लंड ने पहली बार इतना जल्दी पानी
छोड़ा होगा." रवि ने कहा.

"मुझे खुद समझ मे नही आ रहा है. पिछले दो दीनो मे जितनी
चुदाई मेने की है उतनी में पिछले दो सालों मे नही की." मेने
कहा.

"अब तुम क्या सोचती हो?" रवि ने पूछा.

"मुझे खुद को अपने आप पर विश्वास नही हो रहा है की मेने अपनी
होने वाली बहू के साथ शारारिक रिश्ता कायम किया है और मेरे बेटे
के गहरे दोस्त से चुडवाया है. समझ मे नही आता की अगर मेरे बेटे
राज को पता चला तो उससे क्या उससे क्या कहूँगी." मेने कहा.

"ये सब आप मुझ पर छोड़ दें, राज को में संभाल लूँगी. फिलहाल तो
में फिर से गरमा गयी हूँ." रश्मि ने कहा.

रश्मि बिस्तर पर पसार गयी और अपनी टाँगे फैला दी, "प्रीति अपनी
जीब जादू मेरी छूट पर एक बार फिर से चला दो. आओ और मेरी
छूट को फिर से चूसो ना."

मेने अपनी होने होली वाली बहू को प्यार भारी नज़रों से देखा और
उसकी टॅंगो के बीच आते हुए अपनी जीब उसकी छूट मे अंदर तक घुसा
दी. रश्मि को अपनी छूट चूसवाना शायद अक्चा लगता था. वो सिसक
पड़ी.

"ओह हााआआं चूऊऊऊओसो और ज़ोर से अहह ऐसे ही."

रवि मेरे पीछे आ गया और मेरी कुल्हों को पकड़ पीछे से मेरी छूट
मे अपना लंड घुसा दिया. मेरी छूट काफ़ी गीली हो चुकी थी. रवि ने
मेरी छूट का पानी अपनी उंगली मे लगा मेरी गांद के छेड़ मे दल उसे
गीला करने लगा. पहले तो मुझे अजीब सा लगा पर में वैसे ही पड़ी
रही.

"ऐसे ही रहना हिलना मत." कहकर रवि बातरूम मे चला गया.

जब वो वापस आया तो उसने फिर अपना लंड मेरी छूट मे घुसा दिया और
मेरी गांद के छेड़ पे अपनी उंगलियाँ फिरने लगा. फिर वो कोई क्रीम
मेरी गान पर मलने लगा. उसने थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के अंदर
दल दी और मलने लगा साथ ही अपनी उंगली को मेरी गांद के अंदर
बाहर कर रहा था. मेरी गांद पूरी तरह से चिकनी हो गयी थी और
उसकी उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी.

रश्मि जो अब तक रवि की हारकोतों को देख रही थी अचानक बोल
पड़ी. "हाआन्न रवि दल दो अपना लंड इसकी गांद मे. में देखना
चाहती हूँ की तुम प्रीति की गान कैसे मरते हो?'

"प्रीति क्या तुम भी अपनी गांद मे मेरा लंड लेना चाहोगी?" रवि ने
अपने लंड को मेरी गांद के छेड़ पर रखते हुए कहा.

"नही रवि ऐसा मत करना. मेने पहले कभी गान नही मरवाई है."
मेने अपना सिर यहाँ वहाँ पटकते हुए कहा, "तुम्हारा लंड काफ़ी मोटा
और लंबा और है, ये मेरी गांद को फाड़ डालेगा."

"हिम्मत से कम लो. अगर में इसका लंड अपनी गांद मे ले सकती हूँ तो
तुम भी ले सकती हो फराक सिर्फ़ आदत का है." रश्मि मेरे निपल
मसालते हुए बोली.

रवि ने ढेर सारी क्रीम लगाकर अपने लंड को भी चिकना कर लिया
था. फिर उसने तोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगा अपना लंड मेरी गांद
मे घुसा दिया.

मेरे आँख से आँसू निकल पड़े और में दर्द में चीख
पड़ी, "उईईई मररर्र्र्ररर गाइिईईईई निकााआाआल लूऊओ
प्ल्ीआस्ीईए दर्द्द्द्द्दद्ड हूऊ रहा."

मेरी चीखों पर ध्यान ना देते हुए रवि ने अपना हाथ आयेज कर अपनी
दो उंगली मेरी छूट मे दल दी. उसके इस स्पर्श ने शायद मेरी गांद
मे उठते दर्द को कम कर दिया. में अपने कूल्हे पीछे धकेल उसका
साथ देने लगी.

रवि अब पूरे जोश से मेरी गांद की धुलाई कर रहा था. उसकी
उंगलियाँ मेरी छूट को छोड़ रही थी और उसका लंड मेरी गांद को.

वही रश्मि ने अपनी छूट मेरे मुँह के आयेज एक बार फिर कर दी और
में उसकी छूट को चूज़ जेया रही थी.

रश्मि की निगाहें रवि के लंड पर थी जो मेरी गांद के अंदर बाहर
हो रहा था, "राआवी घुस्स्स्स्स्ससा दो अपना लंड फाड़ डूऊऊऊऊ आज
इसकी गांद को." रश्मि बड़बड़ा रही थी.

मेरे शरीर मे गर्मी इतनी बढ़ती जेया रही थी. मेरी छूट मे उबाल
आ रहा था. में अपने पूरे जोश से रवि के धक्कों का साथ दे रही
थी. मेरी छूट इतनी पहले कभी नही फूली थी जितनी की आज.

"हे भ्ाागवान." मेने अपने आपसे कहा. "मेरा फिर छूटने वाला
है," मुझे विश्वास नही हो रहा था.

रवि पूरी ताक़त से अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. मेने अपनी
टाँगे उसकी कमर के चारों और लपेट ली थी और बड़बड़ा रही
थी, "ओह राआवी हाआआं और काआआस के चूऊऊदो हूऊऊ
आआआआः मेर्रर्र्र्ररर चूऊऊऊथा."

रवि मेरी गांद मे अपने लंड के साथ अपनी उंगली से मेरी छूट को
छोड़ रहा था. मेने अपना मुँह रश्मि की छूट पर रख दिया और एक
पागल औरत की तरह उसकी छूट को चूसने लगी.

रवि ने एक ज़ोर का धक्का मारा और अपना वीर्या मेरी गंद मे छोड़ दिया.
मेरी गांद आज पहली बार वीर्या का स्वाद चखा था. में ज़ोर ज़ोर से
रश्मि की छूट चूस रही थी, उसकी छूट पानी छोड़े जेया रही थी
और में हर बूँद का स्वाद ले उसे पी रही थी.

हम तीनो थके निढाल, पसीने से तार बतर बिस्तर पर पसार गये.
इतनी भयंकर सामूहिक चुदाई मेने अपनी जिंदगी मे नही कीट ही.
मुझे शरम भी आ रही थी साथ ही एक अंजनी खुशी भी की में
अपने शारारिक सुख का भी अब ख्याल रख सकती थी तभी रश्मि ने
कहा,

"प्रीति तुम हमारे साथ हमारे हनिमून पर क्यों नही चलती?"

"रश्मि तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है? तुम चाहती हो की
में अपनी हँसी उड़वौन. लोग क्या कहेंगे की बेटे के हनिमून पर एक
मया उनके साथ क्या कर रही है?" मेने कहा.

"में मज़ाक नही कर रही. रवि हम लोगो का साथ आ रहा है. हुँने
चार लोगो के हिसाब से कमरा बुक करवाया है. तुम हमारे साथ एक
दूं फिट बैतोगी." रश्मि ने कहा.

"रश्मि सही कह रही है प्रीति. हुँने चार लोगो की बुकिंग कराई
है. में वैसे भी किसी को अपने साथ ले जाने वाला था, तो तुम क्यों
नही चलती." रवि ने मेरी चुचियों को मसालते हुए कहा.

"तुम ये कहना चाहते हो की राज चाहता है की रवि और एक दूसरी औरत
उसके साथ उसके हनिमून पर चले और साथ साथ एक ही रूम मे
रुके." मेने पूछा.

"हन ये सही है. तुम जानती हो की हम तीनो आपस मे चुदाई करते
है. और तुम भी हम दोनो का साथ दे चुकी हो तो क्यों ना हम चारों
साथ साथ चले." रवि ने कहा और रश्मि निब ही अपनी गर्दन हिला
दी.

"अगर में तुम लोगून की बात मान भी लेती हूँ तो राज क्या सोचेगा?
मेने कैसे उसके सामने एक ही कमरे में तुम दोनो के साथ चुदाई
करूँगी?" मेने पूछा.

"मेने कहा ना की राज में संभाल लूँगी." रश्मि ने कहा.

"में इस तरह फ़ैसला नही कर सकती. मुझे सोचने का वक़्त चाहिए.
में सोच कर तुम लोगों को बता दूँगी." मेने जवाब दिया.

मेने देखा की रवि का लंड एक बार फिर खड़ा हो रहा था. रश्मि ने
मेरी निगाहों का पीछा किया और झुक कर रवि के लंड को अपने मुँह मे
ले लिया. वो उसके लंड को चूसने लगी और उसका लंड एक बार फिर पूरी
तरह से टन कर खड़ा हो गया.

"क्या ये सब कभी रुकेगा की नही?" मेने अपनेआ आप से पूछा.

"प्रीति में एक बार फिर तुम्हारी गान मारना चाहता हूँ." रवि ने
अपने लंड को सहलाते हुए कहा.

रवि और रश्मि ने मिलकर मुझे घोड़ी बना दिया. "प्रीति में आज
तुम्हारी गांद मे अपना लंड दल अपना वीर्या तुम्हारी गांद मे दल
दूँगा." रवि मेरे कन मे फुफउसते हुए मेरे कन की लाउ को
चुलबुलाने लगा.

मेरा शरीर कांप गया जब उसने अपने लंड को मेरे गंद के छेड़ पर
रगड़ना शुरू किया. वो एक बार मेरी गंद मे अपना लंड घुसा चक्का
था फिर भी मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गयी, "ओह मार
गाइिईई."

रवि का लंड मेरी गंद मे जगह बनता हुआ पूरा अंदर घुस गया. वो
मेरे कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था. तभी रश्मि मेरी टॅंगो
के बीच आ गयी और मेरी छूट को चाटने लगी. उसकी तर्जुबेकर जीब
मेरी छूट से खेलने लगी.

वो अपने लंड को मेरी गंद के अंदर बाहर करता रहा जब तक की उसका
9' इंची लंड पूरा नही घुस गया. फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली और ज़ोर
के धक्के लगाने लगा.

मेने भी ऐसा आनंद अपनी जिंदगी मे नही पाया था. एक तो रश्मि की
जीब मेरी छूट मे सनसनी मचाए हुए थी और दूसरी और रवि का
लंड मेरी गंद की धज्जियाँ उड़ा रहा था. मेने भी उत्तेजना में
अपने मामे मसल रही थी और ज़ोर से अपने कुल्हों को पीछे धकेल उसका
साथ दे रही थी.

रवि ज़ोर से छोड़ रहा था और रश्मि पूरी ताक़त से चूस रही थी.
जब रश्मि ने मेरी छूट के मुहानो को अपने डातों से भींचा उसी वक़्त
मेरी छूट ने पानी छोड़ दिया. मुझे याद नही की ये आज मे 6थी बार
झड़ी थी या 7वी बार.

रवि ने छोड़ना जारी रखा. मुझे उसका लंड अपनी गंद मे अकड़ता
महसूस हुआ में समझ गयी की उसका भी छूटने वाला है.

मुझसे अब सहा नही जेया रहा था. में पागलों की तरह अपना सिर
बिस्तर पर पटक रही थी, बिस्तर की चादर को नोच रही थी और
गिड़गिदा रही थी की वो दोनो रुक जैन.

रवि ने अपने तगड़े लंड को मेरी गंद से बाहर खींचा और सिर्फ़ अपने
सूपदे को अंदर रहने दिया. उसने दोनो हाथों से मेरे मामे पकड़े और
एक ज़ोर का धक्का लगाया. उसका लंड मेरी गंद की दीवारों को चीरता
हुआ जड़ तक घुस गया. उसने ऐसा दो टीन बार किया और अपना वीर्य मेरी
गांद मे छोड़ दिया.

मुझे नही पता की उसके लंड ने कितना पानी छोड़ा पर मेरी छूट पानी
से लबाब भर गयी थी. उसका वीर्या मेरी गांद से होते हुए मेरी छूट
पर बह रहा था जहाँ रश्मि अपनी जीब से उस वीर्या को छत रही
थी.

रवि और रश्मि उठे नहाए और कपड़े पहन कर चले गये, और छोड़
गये मुझे आकाला अपनी सूजी हुई गंद और छूट के साथ जो रस से
भारी हुई थी. उनके साथ हनिमून पर मे जौन की नही इसी ख़याल मे
कब मुझे नींद आ गयी मुझे पता नही.


दूसरे दिन मेरी आँख खुल तो मेरा बदन मेरे दर्द के दुख रहा था.
ऐसा लग रहा था की शरीर मे जान ही नही है. मेने बात टब मे
हल्के गरम पानी डाला और स्नान किया. आची तरह अपनी सूजी हुई छूट
और गंद की गरम पानी से सिकाई की.

में अपने छूट और गंद पर हाथ फिरा रही थी तो मुझे विश्वास
नही हो रहा था की एक दिन में इतनी बार छुड़वा सकती हू. रवि को
मोटा मस्ताना लंड मेरी आँखों के आयेज आ जाता. रवि वाकई मे एक
शानदार मर्द था और उसे औरत को चुदाई का सुख देना आता था.

मेने अपने गीले बदन को अची तरह टवल से पौंचने के बाद अपने
बदन को शीशे मे निहारा. मेरा हर आंग जैसे खिल उत्ता था. दिल
मे एक अलग ही उमंग सी जाग उठी थी.

में राज और रश्मि के हनिमून के बारे में सोच रही थी. मुझे
विश्वास नही हो रहा था की वो मुझे साथ चलने के लिए कह सकते
थे. मेने फ़ैसला वक़्त पर छोड़ दिया था. अभी शादी को एक महीना
पड़ा था.

कुछ दिन इसी तरह बीट गये. एक दिन की बात है में रवि और
रश्मि के साथ अपने बिस्तर पर थी. राज किसी कम से बाहर गया हुआ
था.

रवि अपने खड़े लंड को हाथ मे पकड़े हुए बिस्तर पर लेता हुआ था.
में अपने आपको रोक नही पाई और रवि के उप्पर आ गयी. मेने अपनी
दोनो टाँगे रवि की कमर के अगाल बगल रखी और अपनी छूट को उसके
खड़े लंड पर रख दी.

रश्मि ने अपने हाथों से मेरी छूट के मुँह को तोड़ा फैलाया और
लंड को ठीक छूट के मुँह पर लगा दिया. मेने नीचे होते हुए रवि
के लंड को अपनी छूट मे लेने लगी. मेरे कूल्हे अब रवि की अंडों से
टकरा रहे थे.

मेने झुकते हुए अपने होत रवि के होठों पर रखे और उन्हे मुँह मे
ले चूसने लगी. रवि ने भी मेरी भारी भारी चुचियों को अपने
हाथों मे पकड़ा और अपनी जीब मेरे मुँह मे दल दी.

उसका लंड मेरी छूट मे हिल्लोरे मार रहा था. मुझसे अब सहन करना
मुश्किल होने लगा. मेने अपने आपको सीधा किया और उसके लंड पर
उठने बैठने लगी. रवि मेरे कुल्हों को पकड़ नीचे से धक्के लगाने
लगा.

रश्मि ने मेरे होठों पर अपने होत रख कर चूसना शुरू कर दिया
साथ ही वो मेरे चुचियों को ज़ोर से मसल रही थी. कभी वो मेरे
निपल को भींच देती. रवि अपने लंड को मेरी छूट मे अंदर बाहर
किए जेया रहा था.

रश्मि ने अपने हाथ मेरी गांद पर रख मेरे गांद के छेड़ से खेलने
लगी. रश्मि अब मेरे गंद के छेड़ पर अपनी जीभ फिरा रही थी.
मुझे ऐसी सनसनी पहले कभी महसूस नही हुई. इससे पहले भी
रश्मि मेरी छूट या गांद के छेड़ को छत चुकी थी पर ऐसे नही
जब एक लंड मेरी छूट मे पहले से ही था.

तभी मेने महसूस किया की रश्मि ने किसी तरह की क्रीम या तेल मेरी
गांद के छेड़ पर डाल दिया है और उस जगह की मालिश कर रही
है. जब मेरी गान के चारों तरफ का हिस्सा चिकना हो गया तो उनसे
अपनी एक उंगली मेरी गांद मे दल गोल गोल घूमने लगी. इस दोहरे
स्पर्श ने मेरी छूट और गंद मे एक आग सी लगा दी थी. में उत्तेजना
मे ज़ोर ज़ोर से अपने आप को रवि के लंड पर दबा देती.

रश्मि ने अपनी उंगली मेरी गांद से निकल ली और मेरे गंद को और
फैलते हुए अपने जीब से उसे चाटने लगी. तभी मेने महसूस किया
की उसकी मुलायम जीब से ज़्यादा सख़्त चीज़ मेरी गान से टकरा रही
है, में दर गयी पता नही क्या चीज़ है.

में विरोध करना चाहती थी की तभी रश्मि मेरे बगल मे आ गयी
और मेरे ममो को मसालने लगी और फिर उसने मेरा सिर पकड़ अपनी
छूट की और कर दिया. तभी मेने रवि की कहते सुना,

"प्रीति अब राज तुम्हारी गांद मरेगा. राज तुम्हारा बेटा पहचानती हो
ना उसे? और फिर तुम चाहती हो ना की कोई तुम्हारी गांद मारे? रवि ने
कहा.

मेने राज के लंड को अपनी गांद मे घुसता महसूस किया. राज का लंड
रवि जितना लंबा और मोटा तो नही था फिर भी उसे अंदर घुसने मे
तकलीफ़ हो रही थी.

में इस से बचना चाहती थी पर रश्मि ने अपनी छूट मेरे मुँह पर
दबा कर मेरी हर कोशिश को नाकाम कर दिया.

"तोड़ा साबरा से काम लो प्रीति," रश्मि ने मुझे समझते हुए
कहा, "तोड़ा दर्द होगा शुरू मे फिर ऐसा मज़ा आएगा की तुम अपने
आप को कोसोगी तुमने आज तक एक साथ दो लंड अपनी छूट और गांद मे
क्यों नही लिए."

उसकी शब्दों ने मुझे थोड़ी रहट दी. पहले तो मुझे अपनी गांद मे
दर्द हो रहा था पर वक़्त के साथ दर्द मज़े मे बदल गया. राज अपना
लंड मेरी गांद मे पेले जेया रहा था और रवि अपना लंड मेरी छूट
मे.

में भी दोहरी चुदाई का मज़ा लेने लगी. कभी में अपने आप को
रवि के लंड पर दबा देती तो कभी अपने कूल्हे पीछे कर राज के लंड
पर.

तीनो मेरे जिस्म से खेल रहे थे. उनके हाथ मेरे बदन पर रैंग रहे
थे और मेरी उत्तेजना को एक नई चिर्म् सीमा पर पहुँचा रहा थे.
मेरे लिए चुदाई का या नया अनुभव था. अपने जिस्म मे इतनी उत्तेजना
मेने कभी महसूस नही की थी.

"प्रीति मुझे पता है की दोहरी चुदाई का मज़ा क्या होता है. मेने
राती को ही इन दो लंड का मज़ा साथ सहत लिया है." रश्मि बोली.

अचानक मेने महसूस किया की मेरी गंद मे घुसा लॉडा फूलने लगा
है और उसकी छोड़ने की रफ़्तार तेज हो गयी है. कुछ ही देर मे रवि
का लंड मेरी गंद मे अपने वीर्या की पिचकारी छोड़ रहा था, और साथ
ही मेरी छूट ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया.

रवि का लंड भी तनने लगा था और वो ज़ोर ज़ोर से अपने कूल्हे उछाल
मेरी छूट मे अपना लंड पेल रहा था. मेने रवि के लंड को अपनी
छूट मे जकड़ा और ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे बैठने लगी. उसका लंड
आकड़ा और उसने भी मेरी छूट मे अपना वीर्या उंड़ेल दिया.

रश्मि भी पीछे नही रही उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी छूट पर
दबा दिया. मेने उसकी छूट चूस्टे हुए अपनी दो उंगलियाँ उसकी छूट
मे दल अंदर बाहर करने लगी. उसकी छूट ने भी पानी छोड़ दिया और
में उसकी छूट से छूटे पानी को पीने लगी. जब में उसकी छूट से
छूटे पानी एक एक बूँद पी गयी तो में निढाल होकर उनके बगल मे
बिस्तर पर पसार गयी.

रवि और राज मेरे बदन से खेल रहे थे. दोनो मेरे बदन को सहला
रहे थे और रश्मि मेरी टॅंगो के बीच आ मेरी छूट मे भरे पानी
को पी रही थी. थोड़ी ही देर मे मेरे दोनो शेर फिर से तय्यार हो
गये थे मुझे छोड़ने के लिए.

में एक बार फिर रवि के उप्पर चढ़ कर उसका लंड अपनी छूट मे ले
लिया. फराक सिर्फ़ इतना था की राज ने अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया
था और रश्मि मेरे गंद मे अपनी उंगली दल अंदर बाहर कर रही थी.

मेरे तीन छेदों को तीन लोग अपनी तरह से छोड़ रहे थे, "प्रीति
देखो दो लंड को कैसे तुम मज़े से ले रही हो. मेने कभी नही
सोचा था की तुम इतनी चुड़दकड़ हो जाओगी." रश्मि मेरी गांद के छेड़
पर अपनी जीब फिरते हुए बोली.

रवि और राज दोनो ने अपने लंड का पानी अपने अपने छेड़ मे उंड़ेल दिया
था और रश्मि ने एक बार फिर अपनी ज़ुबान से उनके वीर्या को चाट कर
सॉफ किया था. एक तरफ तो मेरे मान मे खुशी थी और दूसरी तरफ
आत्मा गिलानी भी.

"मया तुम्हे सही मे हमारे साथ मेरे हनिमून पर आना चाहिए.
मेने प्लेन की भी चार टिककतें करा रखी है और होटेल मे रूम
भी चार लोगों के लिए है." राज ने मुझसे कहा.

मेने सोच रही थी की अभी अभी मेरा बेटा अपना वीर्या मेरी गांद मे
झाड़ के हटा है और अब मुझे अपने हनिमून पे साथ मे आने की
दावत दे रहा है. में समझ चुकी थी की हनिमून पर भी
संहूइक चुदाई के अलावा क्या होना था, मेने सोचा. जो पहले ही हो
चुका है उसे पीछे क्या हटना. अगर कुछ और होगा तो थोड़े दीनो मे
मुझे पता चल जाएगा.

"ठीक है जो हम लोगों के बीच हो चक्का है उसके बाद में हन
बोलती हूँ." मेने कहा.

"वा मज़ा आ गया तुम्हारी बात सुनकर. फिर तो हमे झशना मानना
चाहिए." रवि ने उछलते हुए कहा. "प्रीति में एक बार फिर
तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ."

हम चारों ने अपने बदन घुमाए, में और रश्मि 69 की आवाष्ता मे
थे और एक दूसरे की छूट को चूस रहे थे. रवि ने अपना लंड मेरी
गांद मे डाल छोड़ रहा था और राज रश्मि की गांद मे लंड दल पेल
रहा था.

दोनो हम दोनो को इसी तरह छोड़ते रहे जब तक की उनका पानी नही
छूट गया.

हम चारों तक गये थे और निढाल पड़े थे. फिर हम सबने साथ
सहत स्नान किया और हॉल मे आकर बैठ गये.

बातें करते हुए रवि ने बताया की मनाली के जिस होटेल मे बुकिंग
कराई गयी हो वो छोड़ू लोगों के लिए मशहूर है. वहाँ हर तारह के
जोड़े आते है और चुदाई का मज़ा लेते है.

राज ने बताया की उस होटेल में जोड़े आते ही इस लिए है की वहाँ पर
अदला बदली आसानी से हो जाती है.

"तब तो मज़ा आ जाएगा." रश्मि अपने होठों पर ज़ुबान फेरते हुए
बोली.

में मान ही मान सोच रही थी की, "जो मेने किया वो अक्चा है या
बुरा, पता नही कहाँ मेने अपने आपको फँसा लिया था."

अगले कुछ दिन हमारे शादी की तय्यारियाँ करते हुए बीते. लेकिन हम
चारों एक दूसरे के इतने करीब आ गये थे की क्या कहूँ? हम लोग दिन
भर शूपिंग करते, फिर रात को किसी आचे होटेल मे खाना खाते और
फिर बेडरूम मे चुदाई करते.

आख़िर राज की शादी का दिन आ ही गया. शादी का समारोह काफ़ी
सिंपल था, सिर्फ़ कुछ खास दोस्त और रिश्तेदार थे. सब लोगो ने खूब
मज़ा लिया और शादी का आनंद उठाया.

फ़ैयरों के पहले रवि ने खूब कस कर रश्मि को छोड़ा और अपना वीर्या
उसके मुँह मे छोड़ दिया था. में भी पीछे नहीं थी मेने भी अपनी
छूट कस कर उससे चूस्वई थी. फ़ैयरों के वक्त जब रश्मि ने
घूँघट निकल रखा था मेने पूछा, "ये घूँघट क्यों निकल रखा
है?"

"कुछ नही अपने चेहरे और होठों पर रवि के वीर्या के दाग छुपाने
की कोशिश कर रही हूँ." उसने शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया.

उसकी बात सुन माइयन भी जोरों से हंस दी.

अगले दिन हम एरपोर्ट के लिए रवाना हो गये. जहाँ तक पड़ोसी और
रिश्तेदारों का सवाल था वो ये ही जानते थे की मेने काम से छुट्टी
ले ली है और कहीं घूमने जेया रही हूँ. किसी को नही पता था की
में और रवि नई ब्याहते जोड़े को उनके हनिमून पर उनके साथ हो
जाएँगे.

कहने को तो हम चारों प्लेन के फर्स्ट क्लास मे अलग अलग बैठे थे,
पर एर होस्टेस्स समझ गयी की हम साथ साथ है. वो थोड़ी विचलित
थी, उसे पता था की राज और रश्मि की अभी अभी शादी हुई है, पर
हम दोनो उनके साथ क्यों है ये उसके समझ मे नही आया.

ये बात उसकी समझ मे तब आई जब रश्मि ने उसे बताया की
हनिमून पर हम उनके साथ शामिल हो जाएँगे. रश्मि ने उसे हमारे
होटेल का नाम भी बता दिया जहाँ हम ठहरनेवाले थे.

एर होस्टेस्स जो को एक 26 साल की कुँवारी और सनडर लड़की थी अपने
आपको रोक नही पाई और राज से पूछ बैठी, "जहाँ तक में समझती
हूँ आप दोनो की नई शादी हुई है और आप हनिमून पर जेया रहे
है. आपका खास दोस्त और आपकी माताजी आप दोनो के हनिमून पर आप
के साथ हो जाएँगी. क्या आपको पता है की जिस होटेल में आप लोग रुक

dil1857
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