Mein Aur Meri Bahu

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dil1857
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रहे हैं वो सिर्फ़ जोड़ों के लिए है?"

"हन हमे पता है इसी लिए हम चारों एक ही रूम मे रुक रहे है."
राज ने जवाब दिया.

राज की बात सुनकर वो चौंक पड़ी, उसका नाम मिली था, "एक ही कमरे
में"

"हन एक ही कमरे में, इससे अससनी होगी हम लोग पहले से ही आपास
मे चुदाई करते है." रश्मि ने तोड़ा हंसते हुए कहा.

मिली तोड़ा सोचते हुए हमारे पास से हट गयी. उसे विश्वास नही हो
रहा था जो रश्मि ने उससे कहा था. थोड़े ही देर मे या बात प्लेन
के और कर्मचारियों मे फैल गयी. सब आते जाते ह्यूम घूर रहे
थे.

रवि हंस रहा था और रश्मि से कहा, "तुमने तो मिली से ये सब
कहकर चौंका दिया."

मिली ने हम सब ड्रिंक्स और खाना सर्व किया. राज और रश्मि बातें
करने मे लगे हुए थे तब मेने रवि की और अपना ध्यान कर लिया.

"रवि तुमने आज तक कितनी लड़कियों को छोड़ा है?" मेने रवि की पंत
के उपर से उसके लंड को सहलाते हुए कहा.

रवि अपनी कॉलेज की दास्तान सुनने लगा. उसकी चुदाई के किससे
सुन्नकर में काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी.

"रवि अब बस करो बाकी की कहानी फिर कभी सुन्नना." मेने एक कमजोर
आवाज़ मे कहा.

"लगता है की मेरी कहानी सुन कर तुम्हारी छूट गीली गो गयी है."
रवि ने पूछा.

"हन" मेने धीरे से कहा.

"लाओ देखता हूँ मे." कहकर उसने अपना हाथ मेरी स्कर्ट मे दल दिया
और गीली हुई पनटी के उपर से मेरी छूट पर रख दिया, "उम्म्म्मम काफ़ी
गीली हो चुकी हो."

रवि ने अपनी उंगलियाँ मेरी पानी मे दल दी और मेरी छूट मे उंगली
दल अंदर बाहर करने लगा. में इतनी उत्तेजित की टीन चार बार उंगली
करने से ही मेरी छूट ने उसकी हथेली पे पानी छोड़ दिया. उसने
मुस्कुराते हुए अपना हाथ अपने मुँह के पास किया और अपनी उंगली चाटने
लगा.

कॅबिन मे एक अजीब सी सुगंध फैल गयी. मेने गर्दन घुमा प्लेन के
कोने में देख की मिली वहाँ रश्मि के पास खड़ी ह्यूम ही देख रही
थी. जब उसने रवि को उंगली चाटते देखा तो डांग रह गयी. वो सब
समझ चुकी थी. रवि ने मेरी नज़रों का पीछा किया और ज़ोर से अपनी
उंगली चाट मिली को चिढ़ने लगा.

तब मेने देखा की रश्मि ने अपना हाथ मिली के स्कृत मे दल दिया है
और उसकी छूट को सहला रही थी. मिली के चेहरे पर अजीब से भाव आ
गये थे. जब मिली ने हम लोगो को उसे देखते देखा तो शर्मा कर दूर
चली गयी.

रवि मिली को देख हँसने लगा. वो झुक कर मेरे कन मे बोला, "प्रीति
तुम्हारी छूट सही मे प्यारी है और तुम्हारी छूट के पानी का तो
जवाब नही मज़ा आ गया."

जब हम प्लेन से उतरे तो मिली ने हम सब अभिवादन किया.

"हमे अफ़सोस है की तुम हमारे साथ नही चल सकती." रश्मि ने मिली
से कहा.

हम लोगो ने अपना अपना समान उठाया और अपनी मंज़िल की और चल दिए.

मनाली पहुँच हम हमारे पेंटहाउस मे पहुँचे और अपना समान लगा
दिया. हम सब सफ़र से तक गये थे इसलिए तोड़ा आराम करने लगे.

जब हम लोग तोड़ा आराम करने के बाद उठे तो सबने तोड़ा छाई नाश्ता
किया. नाश्ता करने के बाद रवि ने कहा, "चलो तोड़ा घूम आते हैं
जिससे हम इस महॉल से वाकिफ़ हो जाएँगे."

जिस होटेल में हम रुके थे वहाँ हर प्रकार सुख सुविधा थी.
टेन्निस कोर्ट बना हुआ था, जिम था, सॉना बात, और ढेर सारी दुकाने
शॉपिंग के लिए. जो कुछ भी किसी को चाहिए वहाँ उपलब्ध था. एक
बार था जो 24 घंटे खुला रहता था.

घूमते घूमते हम होटेल के स्विम्मिंग पूल के पास आ गये. वहाँ काफ़ी
भीड़ थी और कई लोग पूल मे टायर रहे थे. राज और रश्मि भी अपने
कपड़े उत्तर पानी मे उत्तर गये. रवि ने मेरी तरफ देखा तो मेने
भी अपने कपड़े उत्तरने शुरू कर दिए. में भी अपनी ब्रा और पनटी
पहने पानी मे कूद पड़ी.

रवि बार की तरफ चला गया. जब वो हम सभी के लिए ड्रिंक्स लेकर
लौटा तो मेने देखा की औरतों की नज़र उसकी लंड वेल हिस्से पर
टिकी हुई थी. उसका लंड खड़ा था और उसकी शॉर्ट्स पर से उसकी मोटाई
झलक रही थी.

थोड़ी देर स्नान करने के बाद हम सब अपने पेंटहाउस मे आ गये. कपड़े
बदलने के बाद हम सब रात के कहने के लिए तय्यार थे.

होटेल के रेस्टोरेंट मे हम सभी ने खाना खाया. खाना काफ़ी स्वादिष्ट
था. खाना खाने के बाद हम लाउंजस मे बैठे कॉफी पी रहे थे.
आख़िर हम सब कमरे मे लौट आए और सोने की तय्यरी करने लगे.

में और रवि एक बिस्तर पर थे और राज और रश्मि एक बिस्तर पर. उस
रात रवि ने मुझे कई बार कस कर छोड़ा और मेरी छूट को अपने
वीर्या से भर दिया. राज ने भी रश्मि की जाम कर चुदाई की. जब वो
तक कर सो गया तो रश्मि हमारे साथ हमारे बिस्तर पर आ गयी और
मेरे उपर लेट अपनी छूट मेरे मुँह मे दे दी. हम 69 अवस्था मे एक
दूसरे की छूट चूस रहे थे. तभी रवि ने अपना लंड मेरी गांद मे
दल कर धक्के लगाने लगा. तभी राज भी उठ गया और उसने अपना
लंड रश्मि की गंद मे दल दिया. आख़िर हम सब तक कर सो गये.

हनिमून का पहला दिन

मुझे पहली बार पता चला की जब किसी मर्द लंड पेशाब से भरा हो
तो वो चुदाई कैसे करता है. रवि का लंड खुंते की तरह ताना था
और वो मेरी छूट मे घुसकर कस के धक्के मार रहा था. में उसके
धक्कों को सहन नही कर पा रही थी, मेने उसे रकनो को कहा.
रवि ने अपना लंड बाहर निकाला और बातरूम मे पिशब करने चला
गया.

जब वो बातरूम से बाहर आया तो उसने अपना लंड मेरे मुँह के सामने
कर दिया, "प्रीति इसे चूसो ना देखो कितना भूका है ये."

मेने उसका लंड अपने मुँह मे ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी रवि
ने अपना हाथ मेरे सिर पर रख दिया और अपने लंड को अंदर तक घुसा
दिया. अब वो मेरे मुँह मे धक्के लगा रहा था, "ओह हाआाआअँ
चूऊसो ईसीई ओह आआआ ओह प्रीईटी कितना अचह
लंड चूवस्ट्ी हो तुम ओह मेरा छूताअ." कहकर उसने अपने वीर्या
की पिचकारी मेरे मुँह मे छोड़ दी. में उसका सारा वीर्या पी गयी.

फिर हम सब स्नान करने के बाद नीचे रेस्टोरेंट मे नाश्ता करने
चले गये. नाश्ते के बाद हुँने साइटसीयिंग का प्रोग्राम बनाया हुआ
था. पूरे दिन मनाली की सैर करने के बाद हम जब शाम को होटेल
पहुँचे. घूमते घूमते हमारी दोस्ती कई लोगो से हो गयी थी.

हमारी दोस्ती दो ऐसी लड़कियों से हुई जो घूमने आई हुई थी. उनकी
हरकतों को देख कर में समझ गयी वो लेज़्बीयन है. उनका नाम रीता
और अनीता था. हमारी जान पहचान एक जोड़े विनोद और शीला से हुई
जो हनिमून मानने आए थे.

जब इन चारों को मालूम हुआ की हम चारों एक ही कमरे में रहकर
साथ साथ चुदाई करते है तो उन्हे विश्वास नही हुआ. हम सब लोगों
ने मिलकर रात का खाना साथ साथ खाया. जब रात हुई तो रवि ने
पूछा, "रात का क्या प्रोग्राम है."

पता नही मेरी बहू रश्मि के मान में क्यट हा, "राज आज में और
प्रीति रीता और नीता के साथ उनके कमरे में सोएंगे."

राज कोई जवाब देता उससे पहले रवि ने कहा, "हमे कोई अपपत्ति नही
है, हम भी शायद आज की रात विनोद और शीला के साथ गुजरेंगे."

शायद रवि की विनोद और शीला से कुछ बात हो चुकी थी. उन्होने
मेरी और रश्मि की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिला
दिया.

जब सब लोग तक गये थे तो एक बार की लिए सब अपने अपने कमरे में
चले गये कपड़े बदलने के लिए.

जब में अपने कमरे में रश्मि के साथ पहुँची तो उसने अपने कपड़े
उत्तर दिए. फिर रश्मि ने एक छोटी सी शॉर्ट और टशहिर्त पहन ली
बिना ब्रा और अंडरवेर के, "क्या इतना ही पहनोगी रात को उन लड़कियों
की पार्टी मे जाने के लिए." मेने हंसते हुए पूछा.

"एक बार उनके कमरे में पहुँचेंगे तो शायद ये भी बदन पर नही
रहेंगे, हम वहाँ चुदाई के लिए जेया रहे है ना की रात का खाना
ख़ान एके लिए." रश्मि अपनी चुचियों को मसालते हुए बोली.

मेने रश्मि की तरह शॉर्ट्स और टशहिर्त पहन ली. मुझे असचर्या हो
रहा था की में रश्मि के साथ जाने को कैसे तय्यार हो गयी. आज
तक मेने रश्मि के साइवा किसी और औरत के साथ सेक्स का मज़ा नही
लिया था. पर आने वाली रात के बारे में सोच कर ही मेरे शरीर मे
सुरसुरी दौड़ रही थी.

"तुम दोनो ने क्या प्रोग्राम बनाया है." रश्मि ने राज और रवि से
पूछा.

"हम दोनो विनोद और शीला के रूम मे जेया रहे है. शीला ने कभी
टीन मर्दों से एक साथ नही चुडवाया है और वो इसका मज़ा लेना
चाहती है." राज ने हंसते हुए कहा.

"म्‍म्म्ममम अछा है मज़े करो." रश्मि ने कहा.

हम चारों अपने रूम से निकले और अपने अपने स्थान की और बढ़ गये.

जब हम उन लड़कियों के कमरे पे पहुँचे तो रीता ने दरवाज़ा खोला.
वो पूरी तरह नंगी थी. कमरे मे आने के बाद मेने देखा की अनीता
भी नंगी ही सोफे पर बैठी थी. रश्मि ने तुरंत अपनी शॉर्ट और
टशहिर्त उत्तर कर कमरे के एक कौने मे फैंक दी. तीनो लड़कियाँ मेरी
तरफ देख इस बात का इंतेज़ार कर रहीं थी की में कब कपड़े
उत्तरती हूँ. मेने रश्मि की नकल करते हुए अपने कपड़े उत्तर दिए.

मेने नंगी लड़कियों की और देखा. सब अपने आप में सुंदरता की
मूरत थी. रीता के लंबे बदन की लड़की थी, सुडौल कमर लंबी
टाँगे और बहरे भरे चुतताड. अनीता उसके मुक़ाबले थोड़ी भरे बदन
की थी, भारी भारी चुचियाँ और मसल जंघे. दोनो ने अपनी छूट
के बलों को तराशा हुआ था जिससे उनकी छूट बड़ी प्यारी लग रही
थी.

रीता और अनीता मेरे पास आई और बोली, "शरमाने की ज़रूरत नही
है."

फिर उन्होने रश्मि को पकड़ कर बिस्तर पे बिता दिया और खुद उसके
अगाल बगल बैठ गयी. फिर सब बातें करने लगे. उंदोनो ने मुझे
भी अपने बगल माइयन बीत लिया और बातें करने लगे. थोड़ी देर में
ही बातों का विषय सेक्स पर आ गया.

रीता और अनीता बताने लगे की किस तरह उन्हे मर्दों से ज़्यादा आपस
मे सेक्स करने में मज़ा आता है. में समहज़ गयी की ये दोनो लेज़्बीयन
है. और इन्हे औरतों के साथ सेक्स में अक्चा लगता है. मेने आज तक
रश्मि के अलावा किसी और औरत के साथ सेक्स नही किया था, और आज
में एक नही टीन लड़कियों के साथ इस कमरे मे थी. टीन लड़कियों के
साथ सेक्स का अनुभव ये सोच कर ही मेरे बदन मे एक सिरहन सी दौड़
गयी.

"तुम कितनी सेक्सी लगती हो?" कहकर रीता राशिम के बदन पर अपने
हाथ फिरने लगी.

अनीता भी अब मेरे शरीर पर हाथ फिरने लगी. उसने मेरी चुचियों
के भींचते हुए कहा, "क्या आपने कभी नकली लंड यानी डिल्डो का मज़ा
लिया है?"

"नही हमने ये मज़ा आज तक नही लिया पर राज और रवि ने एक साथ
हमे मज़ा ज़रूर दिया है." रश्मि ने जवाब दिया.

अनीता ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और घूम कर मेरे उपर आ
गयी. उसने अपनी छूट मेरे मुँह पर रखी और खुद मेरी टॅंगो को
फैला मेरी छूट को चूसने लगी. में भी अपने अंदर की उत्तेजना को
रोक नही पाई और उसके चुतताड पकड़ अपनी जीभ उसकी छूट मे घुसा
दी.

वही हाल रश्मि का था. रीता उसके उप्पर लेट उसकी छूट को चूस
रही थी और रश्मि नीचे से अपनी जीभ रीता की छूट के अंदर
घुसा हुए थी.

अनिता अपनी जीभ को मेरी गांद के छेड़ तक ले जाती और फिर अपनी
जीब को रगड़ते हुई मेरी छूट तक ले आती. जब वो अपनी नुकीली जीभ
से मेरी गांद के छेड़ पे घूमती तो अजीब सी गुदगुदी और सनसनी
मच जाती. में जोश मे ज़ोर ज़ोर से उक्की छूट को चूस रही थी.
हम दोनो की रफ़्तार बढ़ी हुई थी और मेरे साबरा का बाँध छूटने
वाला था. मेने अपने हाथों से उसके सिर को अपनी छूट पर और दबा
दिया और मेरी छूट ने तभी पानी छोड़ दिया. अनीता की छूट ने भी
पानी छोड़ा तो मेरा मुँह पूरा का पूरा भर गया. बड़ी मुश्किल से
में उसके पानी को गतक पाई.

अनीता मेरी छूट को इस तरह चूस रही थी जिससे एक बूँद भी अंदर
ना रह जाए. रश्मि की भी यही हालत थी. अब रीता और अनीता ने
अपनी जगह बदल ली. रीता नीचे लेट गयी और मुझे खुद के उप्पर कर
लिया.

फ़र्क सिर्फ़ इतना था की रीता मेरी छूट चूसने के साथ सहत मेरी
गांद मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी. इस दोहरे मज़े ने
मुझे और उत्तेजित कर दिया था. तभी मेने देखा की अनीता अपनी
जांघों पर नकली लंड लपेटे मेरी गांद मे पीछे आ गयी है.

अनीत ने तोड़ा थूक अपनी उंगलियों पे लिया और मेरी गांद को चिकना
करने लगी, वहीं रीता की जीब मेरी छूट मे खलबली मचाए हुए
थी. अनिता ने अब डिल्डो को मेरी गांद के छेड़ पे रखा और धीरे
धीरे अंदर घुसने लगी.

में नही देख पा रही थी, पर लंड के घुसने से मुझे आससास हुआ
की नकली लंड रवि के लंड से भी मोटा है. वो मेरी गांद की दरारों
को चीरता हुआ अंदर घुस रहा था और में दर्द से चिल्ला
पड़ी, "उउउइईई माआर ग्ाआई."

अनीता ने मेरी चीख पर ध्यान नही दिया और एक ही धक्के मे पूरा
लंड मेरी गांद मे पेल दिया. रीता की जीभ मेरी गांद के छेड़ के
पास से होती हुई मेरी छूट पर आती तो उस मज़े ने मेरा दर्द कम कर
दिया. मेने भी अपनी गांद पीछे कर मज़े लेने लगी.

ये खेल पूरी रात चलता रहा. मेने भी अपनी कमर पर नकली लंड
बाँध रश्मि की गांद की धुनाई की और अनीत और रीता उसकी छूट को
साथ चूसी. ना जाने कब तक कर हम चारों सो गये.


दूसरे दिन की सुबह

सुबह हम उठे और अपने कमरे मे आगाय. राज और रवि गहरी नींद मे
सोए हुए थे. मेने घड़ी मे समय देखा सुबह के 11.30 बाज चुके
थे. मेने उन दोनो को उठाया और तय्यार होने को कहा जिससे हम
चारों नाश्ता कर सके.

तयार होते होते नाश्ते का समय निकल चुका था. हम चारों खाने
की टेबल पर बैठे थे और एक दूसरे को अपनी रात के किससे सुना रहे
थे. राज और रवि बताने लगे की किस तरह उन दोनो ने शीला की
छूट छोड़ी.

राज ने कहा, "सबसे पहले मेने शीला की छूट छोड़ी फिर उसके पति
विनोद ने. जब रवि ने अपना लंड उसकी छूट मे घुसाया तो उत्तेजना
में इतना पागल हो गयी की उछाल उछाल कर मज़े लेने लगी. वो तब
तक चुड़ती रही जब तक रवि ने अपना वीर्या उसकी छूट मे नही छोड़
दिया."

राज ने फिर कहा, "फिर मेने अपनी जिंदगी की पहली कुँवारी गांद
मारी. रवि और विनोद ने मिलकर उसे घोड़ी बना दिया और फिर विनोद ने
उसकी गांद को वॅसलीन से एक दम चिकना कर दिया. रवि का मुक़ाबले
मेरे लंड छोटा है इससे उसकी गांद को ज़्यादा दर्द नही हुआ."

"हन पहले तो वो तोड़ा चीखी थी फिर उसे भी मज़ा आने लगा. राज
के बाद विनोद ने और फिर मेने उसकी गांद मारी. कसम से क्या
कमसिन और कसी कसी गांद थी. मेने तो पागल ही हो गया था उसकी
गांद मे लंड घुसा कर." रवि अपने लंड पेर हाथ फेरते हुए बोला.

"शीला ने पहले कभी गांद नही मरवाई थी. और काफ़ी दीनो से वो
ऐसा करना चाहती थी. जब राज के लंड ने उसकी गांद को तोड़ा ढीला
कर दिया तो उसे इतना मज़ा आया की वो मेरा और राज को लंड को ज़ोर ज़ोर
से चूस्टी रही और उसका पति उसकी गांद मे अपना लंड डाले पेलता
रहा." रवि ने कहा.

राज ने कहना शुरू किया "शीला का पति देखना चाहता था की उसकी
पत्नी टीन लंड को एक साथ कैसे लेती है, इसलिए रवि बिस्तर पर
पीठ के बाल लेट गया. फिर शीला रवि की कमर के अगाल बगल टाँगे
रख बैठ गयी और उसका लंड अपनी छूट मे डाल लिया. फिर मेने
पीछे से अपना लंड उसकी गांद मे दल दिया और विनोद सामने से उसके
मुँह मे लंड दे दिया. वो अपना लंड चूसाते हुए पूरा नज़ारा देख
रहा था."

तभी रवि ने बताया की वो नीचे से धक्के लगते हुए उसकी चुचियों
को ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था. शीला को चुदाई के दौरान अपनी
चुचियाँ रगड़वाने और मसलवाने मे बहोट ही मज़ा आता है, वो
उछाल उछाल कर धक्के लगती है."

फिर राज कहने लगा, "प्रीति तुम नही जानती जब रवि का लंड नीचे
से उसकी छूट मे घुसता तो मुझे एशिया लगता की शीला की गांद के
अंदर हल्की सी चाँदी की दूसरी और से उसका लंड मेरे लंड से टकरा
रहा है, इतना मज़ा आ रहा था की तुरंत ही मेरा पानी उसकी गांद मे
छूट गया."

रवि ने कहा, "शीला इतने जोस्त मे थी और इस कदर मेरे लंड पर
उछाल कर धक्के लगा रही थी की मे एक बार तो दर गया की कहीं
उसके चोट ना आ जाए. जब उसका छूट ने पानी छोड़ा तो उसका शरीर
इतनी ज़ोर से कंपा और वो मेरे बदन पर लुढ़क गयी."

"विनोद खुद ये नज़ारा देख अपने आपको रोक नही पाया और उसने उसके
मुँह मे अपना वीर्या उगल दिया." राज ने बताया.

"शीला लुढ़क कर मेरे बगल मे आ गयी थी. मेरा पानी अभी छूटा
नही था और में एक बार फिर उसकी गांद मारना चाहता था. में
उसकी गांद मे अपना लंड घुसा दिया. शायद उसकी हिम्मत टूट चुकी
थी, वो बेजान सी पड़ी थी." रवि ने कहा.

"पर तुमने उसके चेहरा का ख़ौफ़ नही देखा जब तुम्हारा मोटा लंड
उसकी गांद के चिथड़े उड़ा रहा था." राज ने बीच मे कहा.

दोनो की कहानी सुनकर मेने कहा, "बेचारी शीला! उसकी तो तुम दोनो
ने जान ही निकाल दी होगी? आज सुबह तो वो चल भी नही पा रही
होगी?"

"अब रहने भी दो प्रीति. क्या हम दोनो इस दौर से नही गुज़रे है. तुम
कुछ ज़्यादा ही उसके बारे मे सोच रही हो?" रश्मि ने कहा. "वो ठीक
होगी और ठीक हमारी तरह चल फिर रही होगी, तुम चिंता मत
करो."

रवि और राज की कहानी हमारे बदन को गरमा दिया था, "चलो कमरे
मे चलते है?" रश्मि खड़ी होते हुए बोली.

हम चारों कमरे में पहुँचे और एक बार फिर चुदाई का दौर शुरू
हो गया. जब हम तक कर चूर हो गये तो सब मिलकर घूमने जाने
का प्रोग्राम बनाना लगे. पता नही शाम और रात के लिए इन तीनो
के दिल मे क्यट हा.

तोड़ा सस्टेन के बाद हम सबने कपड़े बीडल और स्विम्मिंग पूल के
पास आकेर बैठ गये. वहाँ हमे रीता और अनिता मिल गये. थोड़ी देर
मे विनोद और शीला भी आ गये. हम सब आपस मे बात करने लगे.
किसी ने भी रात की बात का ज़िकरा नही किया.

थोड़ी देर बाद रीता स्विम्मिंग पूल मे स्विम करने चली गयी और उसके
पीछे पीछे रश्मि भी चली गयी. मेने देखा की पूल की दूसरी और
किनारे पर रीता बैठी है और पानी मे खड़ी रश्मि उसकी छूट को
चूस रही है.

"दोनो कितनी सेक्सी और गरम लग रही है." अनीता ने मुझसे कहा.

"लगता है ये दोनो कभी सेक्स से थकती नही है?" मेने उनकी और
देखते हुए कहा.

"हन रीता कुछ ज़्यादा ही सेक्सी है, उसे हरदम छूट का बुखार चढ़ा
रहता है" रीता ने जवाब दिया.

"रश्मि भी कुछ ऐसी ही है, उसे भी हर वक़्त लंड छूट चाहिए."
मेने कहा.

"क्या तुम उनका साथ देना पसंद करोगी?" अनीता ने अपने कपड़े खोलते
हुए कहा.

"ना……….रे……बाबा! में तो अभी तक रात की थकावट से ही नही उभरी
हून. मुझे तोड़ा आराम करना है." मेने जवाब दिया.

"ठीक अगर इरादा बदल जाए तो चली आना." कहकर अनीता पूल मे
कूद गयी और उन लड़कियों की तरफ तैरने लगी.

में आराम कुर्सी पर पसार गयी और सोचने लगी "मेने तो सोचा भी
नही था की एक दिन मे इतनी चुदाई होगी जो एक हफे मे होनी चाहिए
थी." में लेती हुई थी की मेरे कानो मे राज, राव, विंडो और शीला
की बात चिट सुनाई पड़ी.

"अब कैसा महसूस हो रहा है शीला?" रवि ने उससे पूछा.

"पूरा बदन दर्द के मारे दुख रहा है. जिस तरह से तुम तीनो ने
मेरी छूट और गंद की धुनाई की है लगता है की पूरे बदन मे
सोजन आ गयी है." शीला तोड़ा गुस्से मे बोल रही थी.

"शांत हो जाओ. तुमने पहली बार गांद मे लंड लिया है इसलिए तुम्हे
तोड़ा दर्द हो रहा है. दो चार बार और मरवा लॉगी तो आदत पद
जाएगी." रवि ने उसे समझते हुए कहा.

"रहने दो…………अगर टीन टीन लंड तुम अपनी गांद मे लोगे तो तुम्हे
पता चलेगा की दर्द कैसा होता है." शीला ने कहा.

"हम लोग इसका मज़ा ले चुके है. मेने कई बार रश्मि की गांद मारी
है और मेरी मया प्रीति की भी. हम सबको बहोट मज़ा आता है." राज
ने कहा.

"इसका मतलब तुम चारों आपस मे एक दूसरे के साथ चुदाई करते हो?"
शीला तोड़ा चौंकते हुए बोली.

"हम आपस मे चुदाई ही नही करते बल्कि, प्रीति और रश्मि रात को
रीता और अनीता के साथ थी जब हम तुम्हारी चुदाई कर रहे थे."
रवि ने कहा.

"मेने नही मानती मुझे विश्वास नही होता." शीला ने कहा.

"यार सुनकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया. में एक बार शीला को किसी
दूसरी औरत के साथ सेक्स करते देखना चाहता हूँ?" विनोद बोला.

"तो इसमे परेशन होने की क्या बात है, रात को तुम दोनो हमारे
कमरे मे आजना. हम 6 लोग मिलकर अपनी पार्टी करेंगे." राज ने कहा.

"नही किसी भी कीमत पर में किसी औरत के साथ सेक्स नही करूँगी."
शीला तोड़ा ज़ोर देते हुए बोली.

"अब मान भी जाओ शीला. एक बार करके तो देखो तुम्हे बहोट मज़ा
आएगा." रवि ने उसे समझते हुए कहा.

"रवि सही कह रहा है शीला. पहले प्रीति को भी पसंद नही था
और अब वो कोई मौका चूकना नही चाहती. फिर तुम्हे अगर पसंद ना
आए तो बता देना, कोई तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती नही करेगा." राज ने
कहा.

"में तुम दोनो को विश्वास करूँ जबकि रवि ने अपना गढ़े जैसा लंड
मेरी गांद मे घुसा दिया था.." शीला तोड़ा नाराज़ होते हुए बोली.

"एक बार हमारे साथ पार्टी करके तो देखो. में तुमसे वादा करता हूँ
कोई भी तुम्हारी मर्ज़ी के बिना कुछ नही करेगा." रवि ने उसे
आश्वासन दिया.

"प्लीस डार्लिंग एक बार पार्टी करके देखो, मेरी खातिर." विनोद शीला
से बोला.

"एक शर्त पर में तुम्हे राज की गांद मरते देखने चाहती हूँ."
शीला ने कहा.

"ठीक है……फिर तय रहा." विनोद खुश होते हुए बोला.

तभी वो तीनो लड़कियाँ पूल से बाहर आ गयी. रश्मि हमारे बगल
मे आकर लेट गयी, "हे बहगवान क्या छूट चूस्टी है ये दोनो."

"है रश्मि." राज ने पुकारा, "विनोद और शीला आज रात को हमारे
कमरे में आ रहे पार्टी करने."

"वाउ ये तो खुशी की बात है, मेरी छूट तो अभी से गीली गो रही
है." रश्मि ने अपनी छूट पर हाथ फिरते हुए कहा.

"तुम्हारी छूट किस समय गीली नही होती. मुझे तो ये हर वक़्त छूटी
नज़र आती है." रवि हंसते हुए बोला.

रात को हमारे कमरे मे मिलने का वाडा कर हम अलग अलग हो गये.

रात की पार्टी


विनोद और शीला थोड़ी देर से हमारे कमरे मे पूरी तरह साझ धज
कर आए. पर हम चारों शॉर्ट्स और त-शर्ट बिना अंदर कुछ पहनने
के आदि हो चुके थे. पर हम सब के शरीर पर कपड़े ज़्यादा देर नही
टीके. थोड़ी ही देर हम सब नंगे होकर एक दूसरे के बदन से खेल
रहे थे.

"तुम्हे याद है ना की इसके पहले की हम कुछ करें तुम्हे राज की
गांद मारनी है." शीला ने अपने पति को याद दिलाया.

शीला की बात सुनकर राज कमरे मे से क्रीम ले आया और अपनी गांद
पे मलकर अपनी गांद विनोद के लिए तय्यार करने लगा. फिर वो घुटने
के बाल झुक गया और अपनी गांद विनोद के सामने कर दी, "आओ और अपना
लंड मेरी गांद मे दल दो और कस कर मरो."

"क्या तुम्हे इसकी बिना बलों वाली गांद और गोरे चुतताड किसी लड़की की
गांद की तरह नही लगते." रवि ने विनोद को उकसाते हुए कहा, "में
तो जब भी इसकी गांद मे लंड डालता हूँ मुझे लगता है की में किसी
लड़की की गंद मार रहा हूँ."

रवि ने तुरंत अपना लंड राज के मुँह मे दे दिया. विनोद भी राज के
चूतड़ सहलाते हुए अपन लंड उसकी गांद मे घुसा दिया. उसे असचारी
हुआ की कितनी आसानी से उसका लंड उसकी गांद मे चला गया और सू
मज़ा भी आ रहा था.

"ज़रा कस कर इसकी गंद मारना. बाद मे में तुम्हे अपनी गंद मे भी
लंड डालने का मौका दूँगी." रश्मि विनोद के चुतताड पर थप्पड़
मरते हुए बोली. "मेरी ही नही तुम प्रीति की भी गांद की चुदाई कर
सकोगे."

शीला असचर्या भारी नज़रों से अपने पति को मेरे बेटे की गांद
मरते हुए देख रही थी, और मेरे बेटा रवि के लंड की चूसा कर
रहा था. रश्मि शीला के पास बिस्तर पर पहुँची और उसके बदन
पर हाथ फिरने लगी.

रश्मि ने उसके बदन को सहला रही थी और शीला के निपल किसी
लंड की तरह टन गये थे. रश्मि फिर झुक कर उसके ताने निपल को
अपने मुँह मे ले लिए और अपने दाँतों से भींचने और काटने लगी.
शीला के मुँह से सिसकारी निकल रही थी.

विनोद अब मज़े लेते हुए ज़ोर ज़ोर से राज की गंद मार रहा था. उसकी
जंघे आवाज़ करते हुए राज के चुततादों से टकरा रही थी. विनोद उसकी
गांद मरते हुए उसके चुतताड पर हल्के थप्पड़ भी मरते जेया रहा
था.

थोड़ी थोड़ी देर मे राज भी रवि के लंड को अपने मुँह से बाहर निकल
विनोद को उकसा रहा था, "ओह हाआँ पेल दो अपना लंड मेरी गाअंड
मे, भर दो मेरी गांद तुम्हारे पानी से हन चूड़ो."

रश्मि ने शीला की चुचियों और निपल को चूसना बंद किया और
घुटनो के बाल बैठ कर उसकी टॅंगो के बीच आ गयी. उसने उसकी टाँगे

dil1857
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