Mein Aur Meri Bahu

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dil1857
dil1857
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झड़ने लगी.

"कहो रवि और राज आज अपनी गांद एक लेज़्बीयन लड़कियों से मरवाने मे
कैसी लगी?" अनिता ने पूछा.

"अनिता पूछो मत ऐसा मज़ा पहले कभी नही आया. जब तुम धक्के
मारती तो अजीब ही नशा छ्छा रहा था, एक तो लंड की चूसैई साथ ही
छूट का मज़ा." राज ने जवाब दिया.

"अब आयेज क्या इरादा है?" रवि ने अनिता से पूछा.

"अब जसिया पहले तय हो चक्का है तुम रीता की गंद मे अपना लंड
पेलोगे," अनिता ने कहा और रीता की और देखने लगी, "तुम सही मे
रवि का लंड अपनी गंद मे लेने को तय्यार हो ना."

"पहले बात तय तो हो चुकी है फिर तुम दुबारा क्यों उससे पूछ रही
हो?" रवि तोड़ा चिल्लाते हुए बोला.

"में कोई वादा नही तोड़ रही हूँ, पर में चाहूँगी की पहले रश्मि
डिल्डो से मेरी गंद को तोड़ा ढीला कर दे जिससे रवि के मोटे लंड से
मेरी गंद को कोई परेशानी ना हो." रीता ने जवाब दिया.

"हन क्यों नही, रश्मि ज़रा से प्यार से रीता की गंद मे डाइडो दल
इसे ढीला कर दो?" अनिता ने रश्मि को डिल्डो पकड़ते हुए कहा.

"मुझे ऐसा करके खुशी होगी." कहकर रश्मि डिल्डो को अपनी कमर
पर बढ़ने लगी.

रीता ज़मीन पर घुटनो के बाल हो गयी जिससे उसकी गंद हवा मे उठ
गयी थी. रश्मि रीता के पीछे आ गयी और अपनी एक उंगली उसकी छूट
मे दल दी. उसकी छूट के पानी से उंगली गीली कर उसने वो उंगली उसकी
गंद मे दल अंदर घूमने लगी. जब उसकी गंद पूरी तरह से गीली हो
गयी तो उसने डिल्डो गंद मे दल धक्के लगाने लगी. रीता सिसक रही
थी और वो भी अपने चुतताड हिला रही थी.

"प्रीति रश्मि जब तक रीता की गंद मार रही है ज़रा तुम रीता की
छूट चूसोगी?" अनिता ने पूछा.

अनिता की बात सुनकर में अचानक चौंक सी गयी. पर बिना झिझकते
हुए में रीता की छूट के पास आ गयी. मेने देखा की वो नकली लंड
रीता की गंद के अंदर बाहर हो रहा था साथ ही मुझे रश्मि की
छूट की फांके भी दिखाई पद रही थी. मेने अपनी एक उंगली रश्मि
की छूट मे दल दी और अपना मुँह रीता की छूट पर लगा चूसने
लगी.

मेने ज़ोर ज़ोर से रीता की छूट चूस रही थी और साथ ही अपनी उंगली
रस्मी की छूट के अंदर बाहर कर रही थी. में तब तक ऐसा करती
रही जब तक की दोनो की छूट ने पानी नही छोड़ दिया.

रश्मि ने नकली लंड को रीता की गंद से बाहर निकल हट गयी और
में भी वहाँ से हट गयी. रीता अभी घुटनो के बाल अपनी गंद हवा
मे उठाए थी. उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव सॉफ दिखाई दे रहे
थे.

रवि का लंड खुंते की तरह टन कर खड़ा हो चक्का था. वो अपने
लंड को सहलाते हुए रीता के पीछे आ गया. रवि की चाल को देख कर
ऐसा लगा की एक शिकारी अपने शिकार के पास जेया रहा है. हम सबकी
नज़रें रीता के चेहरे पर टिकी हुई थी जो जिंदगी मे पहली बार असली
लंड का मज़ा लेने जेया रही थी.

रवि रीता के पीछे आ गया और उसके चुतताड सहलाने लगा. फिर उसने
अपना लंड उसकी गंद के मुँह पर लगा घिसने लगा. उसके लंड से छूटे
पानी ने उसकी गंद को और गीला कर दिया. फिर उसने अपने सूपदे को
धीरे से अंदर घुसा दिया. रीता को पहले तो तोड़ा दर्द हुआ फिर उसने
अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया.

"एक ही बार मे पूरा मत पेलना, ज़रा धीरे धीरे करना." रीता
फुसफुसा.

"रीता तुम चिंता मत करो, में तुम्हे दर्द नही होने दूँगा. में
धीरे धीरे ही घुसौंगा. जब भी तुम मुझे रोकॉगी में रुक जौंगा."
रवि ने उसे होसला देते हुए कहा.

रवि धीरे धीरे अपना लंड उसकी गंद मे घुसते जेया रहा था. वो
अपने लंड को बाहर खींचता और फेले से तोड़ा ज़्यादा अंदर घुसा
देता. वो तब तक ऐसा करता रहा जब तक उसका पूरा लंड उसकी गंद मे
नही घुस गया. रीता को भी अब मज़ा आ रहा था.

"रश्मि याहान आओ और अपनी छूट दो मुझे." रीता चिल्ला उठी.

रश्मि तुरंत उछाल कर रीता के मुँह के सामने इस तरह लेट गयी की
उसकी छूट ठीक उसके सामने थी. रीता ने तुरंत अपनी जीभ को एक
त्रिकोण का आकर देकर उसकी छूट के अंदर बाहर करने लगी वही रवि
अपनी लंड को उसकी छूट जोरो से पेल रहा था.

रीता छूट चूस्टे ज़ोर से बड़बड़ा उठती थी, "ओह रवववववी
पेल्ल्ल दो अपन्‍न्‍न्णना लुंद्ड़द्ड मेर्रररर गाआंद ओह हाा अगर मुझीई
पता होत्तता की आासली लंड मे ईईईतना माआज़ाअ है तो मेईईईिन उस
नकल्ल्ली लुन्न्द्दद्ड से कभी गाआं नाआी मर्वववाअती."

रीता रश्मि की छूट चूज़ जेया रही थी और साथ ही अपने कुल्हों को
पीछे कर रवि के धक्को से ताल ताल से मिला रही थी.

तीनो की चुदाई को देख कर बाकी के लोग भी गरमा रहे थे. खास
तौर पर अनिता से रुका नही जेया रहा था. वो तुरंत रवि की पीछे
आई और इस तरह से उसकी टाँगे की बीच लेट गयी की उसका मुँह रीता
की छूट पर था.

अनिता ने देखा की रवि का लंड रीता की गंद के अंदर बाहर हो रहा
है, उसने अपनी जीएभ से रवि के लंड पर लगा दिया. जब भी रवि का
लंड रीता की गंद से बाहर आता तो अनिता की जीभ से रगड़ता हुआ
फिर अंदर चला जाता. इस स्पर्श ने रवि के बदन मे और उत्तेजना
भर दी और वो जोरों से रीता की गंद मरने लगा.

रीता जोरों से अपनी छूट को अनिता के मुँह पर रग़ाद रही और साथ ही
रश्मि की छूट को चूस रही थी. थोड़ी ही देर मे रश्मि की छूट
ने पानी छोड़ दिया और वहीं रीता ने अनिता के मुँह मे.

पता नही अनिता को क्या हो गया था, उसने अपना मुँह रीता की छूट से
हटा रवि के अंडकोषों को मुँह मे ले चूसने लगी. आज जिंदगी मे
पहली बार वो किसी मर्द के अंगों से खेल रही थी.

रवि मदहोशी मे ज़ोर से रीता की गंद मार रहा था. अब उसे भी खुद
को रोकना मुश्किल लग रहा था. उसने ज़ोर से रीता के कूल्हे पकड़ अपना
लंड उसकी गंद मे जड़ तक पेलते हुए अपने वीर्या की पिचकारी छोड़ दी.
दोनो की सांडाए इतनी तेज थी की लगता था जैसे मीलों दौड़ कर आए
हो.

रवि तब तक अपना लंड रीता की गंद के अंदर बाहर करता रहा जब
तक की उसका लंड मुरझाने ना लगा. उसने अपने लंड को रीता की गंद से
बाहर निकाला तो साथ ही उसके वीर्या की एक धारा रीता की जांघों पर
बहने लगी. रश्मि ने अपना मुँह घुमाया और रीता की जांघों पर
बहते रवि के वीर्या को चाटने लगी.

चोरों एक दूसरे अलग हो अब ज़मीन पर पड़े सुस्ता रहे थे. थोड़ी देर
बाद अनिता ने मेरे हाथ मे डिल्डो पकड़ते हुए कहा, "प्रीति आज तुम्हे
मौका मिल रहा है की तुम किसी मर्द की गंद मार सको. ये लो और इसे
बाँध कर अपने बेटे की गंद मे घुसा दो."

मेने वो डिल्डो अपनी कमर पर बंद लिया और अपने बेटे राज की और
बढ़ गयी. मेने उस नकली लंड को राज की गंद पर लगाया और अंदर
घुसा दिया. पहले तो मुझे तोड़ा अजीब सा लगा पर जब उस लंड का
आखरी हिस्सा मेरी छूट से टकराता तो मुझे भी मज़ा आने लगा. अब
में ज़ोर के धक्के मार राज की गंद मार रही थी.

राज ने रश्मि को इस तरह अपने नीचे कर लिया और अपना लंड उसकी
छूट मे पेल उसे छोड़ने लगा. थोड़ी ही देर मे हम तीनो तक कर
फिर एक बार अलग हो गये.

हम सब ने ड्रिंक्स बनाई और सुसताने लगे, साथ ही हम कुछ नाश्ता
भी कर रहे थे. करीब घंटा भर सुसताने के बाद अनिता मुझे से
बोली, "क्यों ना हमे तुम्हारे परिवार की समहुही चुदाई देखने को मिल
जाए."

"हन सही आइडिया है." रीता चूहांक उठी, "प्रीति तुम पीठ के बाल लेट
जाओ, और रश्मि तुम प्रीति के मुँह पर बैठ कर अपनी छूट इसे
चूसने की लिए दो. राज तुम अपनी मया की छूट मे अपना लंड डालोगे
और रवि तुम्हारा मान करे उस छेड़ का तुम इस्टामाल कर सकते हो."

जैसा रीता ने कहा में अपनी पीठ के बाल लेट गयी, फिर रश्मि मेरे
मुँह पर बैठ गयी जिससे मे अपनी बहू की छूट चूस सकूँ. मेरा
बेटा राज ने अपना लंड मेरी छूट मे घुसा दिया. जब से हमारा रिश्ता
कायम हुआ था आज पहली बार मेरा बेटा मेरी छूट छोड़ रहा था. रवि
ने अपना लंड रश्मि के मुँह के सामने कर दिया, जिसने बड़े आराम से
मुँह मे भर लिया.

"ओह अनिता कितना सुखद नज़ारा है एक परिवार की आपस मे चुदाई का."
रीता खुश होते हुए बोली.

हम चारों इतनी जोरों से चुदाई कर रहे थे की किसी को याद नही की
किसका कितनी बार पानी छूटा. हम इतना तक चुके थे की एक दूसरे के
बगल मे निढाल से गिर पड़े.

हम चारों ने दोनो लड़कियाँ से विदा ली और अपने कमरे मे जाने लगे.
तभी मेने देखा की रीता रवि के कान मे कुछ कह रही है. रवि ने
अपनी गर्दन हन मे हिलाई और उसकी कुल्हों को ठप तपाने लगा. हम
अपने कमरे मे आकर बिस्तर की और बढ़ गये. मेने रवि को अपनी
बाहों मे ले सो गयी और नई शादी हुई राज और रश्मि अपने बिस्तर पर
सो गये.

सुबह जब में सोकर उठी तो मेने देखा की रवि कमरे मे नही था.
राज और रश्मि अभी भी एक दूसरे की बाहों मे सोए पड़े थे. में
फिर से करवट बदलकर सो गयी. रात की चुदाई से पूरा शरीर अभी
भी दुख रहा था. दुबारा जब मेरी आँख खुली तो मेने देखा की
रवि वापस आ गया था और मेरे बगल मे गहरी नींद मे सोया हुआ
है.

मेने नहाने का मान मनाया और शवर लेने बातरूम मे घुस गयी.
में नहा कर वापस आई तो देखा की राज और रश्मि भी उठ चुके
है. उन दोनो ने भी स्नान कर कपड़े पहने और हम तीनो होटेल के
रेस्टोरेंट मे नाश्ता करने चले गये.

मेने रश्मि से कहा, "क्यों ना रवि के लिए कुछ नाश्ता रूम मे ले
चले?"

रश्मि ने एक केला हाथ मे लेते हुए कहा, "ये कैसा रहेगा? इसे में
अपनी छूट मे घुसकर पूरा रसीला बना दूँगी."

"क्या तुम हमेशा चुदाई के बारे मे ही सोचती रहती हो? मेने हंसते
हुए कहा.

"सिर्फ़ उस वक्त नही सोचती जब में छुड़वा रही होती हूँ." रश्मि
जोरों से हंसते हुए बोली.

"तुम पक्की छिननल और चूड्डकड़ हो?" मईएनए कहा.

"हन जहाँ तक चुदाई का सवाल है तुम ये कह सकती हो." रश्मि ने
जवाब दिया.

हम रवि के लिए नाश्ता लेकर अपने कमरे में पहुँचे और उसे
जगाने लगे, "ओह कुंभकारण की औलाद उठो, हम तुम्हारे लिए नाश्ता
लेकर आए है." रस्मी ने उसे झींझोड़ते हुए कहा.

रवि ने उठकर नाश्ता किया और हमारा शुक्रिया अदा किया. नाश्ते के
बाद हम चारों फिर सैर को निकल पड़े. पिछले टीन दीनो मे हम इतनी
चुदाई कर चुके थे की सारा शरीर दर्द कर रहा था. लेकिन सच
कहूँ तो मज़ा भी बहोट आया था.

जब हम सड़कों पर सैर कर रहे थे तो मेने रवि से पूछा की रात
को वो कहाँ चला गया था.

उसने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखा और कहा, "तुम लोग विश्वास
नही करोगे जो में अब बताने वाला हूँ."

हम तीनो ने उससे ज़िद की की वो हमे बताए की पूरी रात और सुबह
होने तक वो कहाँ था. हम सब अपने कन उसकी बातों पर लगा उसकी
कहानी ध्यान से सुनने लगे. रवि ने बताया की उन लड़कियों के रूम से
निकलते वक़्त रीता ने उसे आधे घंटे मे लॉन मे मिलने के लिए कहा
था.

"जब तुम तीनो सो गये तो में नीचे लॉन मे जाकर उसका इंतेज़ार
करने लगा. उसने आधे घंटे मे आने के लिए कहा था पर वो एक
घंटे के बाद आई, और तुम मनोगे नही जो मेने रात को देखा."
रवि ने कहा.

"ऐसा तुमने क्या देख लिया?" रश्मि तोड़ा उत्सुक होते हुए बोली.

"मेने देखा की होटेल में ठहरे जोड़े चाँदनी रात मे लॉन मे
प्यार कर रहे हैं, और कुछ जोड़े तो वही पर चुदाई कर रहे थे."
रवि ने बताया.

"तुम ये कहना चाहते हो की लोग खुले आम चुदाई कर रहे थे?" मेने
पूछा.

"हन! तुम जानती हो की होटेल मे ठहरे तकरीबन लोग अपने हनिमून
पर आए है. तो जिट्नी भी जोड़े थे वो एक दूसरे से काफ़ी दूर दूर
थे. और अपने हनिमून पर कौन अपने आप पर कंट्रोल कर सकता है,
जब मौसम इतना सुहाना हो और उसपर चाँदनी रात." रवि ने कहा.

"फिर आयेज क्या हुआ?" रश्मि ने पूछा.

"तभी मेने देखा की रीता अनिता का हाथ पकड़े लॉन की तरफ आ रही
थी. में चल कर उनके पास पहुँचा और रीता ने मेरे मुँह पर एक
प्रगाढ़ चुंबन दे दिया.

थोड़ी देर मेरे होठों को चूसने के बाद रीता ने मुझसे कहा, "रवि
आज तुम मुझे और अनिता को छोड़ दो. आज हौं सही मे किसी मर्द का
लंड अपनी छूट मे लेना चाहते है." सिर्फ़ उसकी इतनी बात सुनकर ही
मेरा लंड टन खार खड़ा हो गया.

हम तीनो लॉन मे जगह देखने लगे. एक सुनसान कोने पर घास पर हम
तीनो बैठ गये. हम जहाँ बैठे वहाँ तोड़ा अंधेरा था. हम
तीनो एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे की बदन सहला रहे
थे.

मेने अपने एक हाथ की उंगली रीता की छूट मे घुसा दी और दूसरे हाथ
की उंगली से अनिता की छूट को छोड़ने लगा. रीता के साँसे तेज होती
जेया रही थी और उत्तेजना मे उसका शरीर कांप रहा था, "रवि प्लीज़
मेरी छूट को चूसो ना?"

उसके कहने की देर थी की में उसकी टॅंगो के बीच उछाल कर आ गया
और उसकी छूट को चूसने लगा. उसकी छूट की पंखुड़िया इतनी बड़ी
बड़ी थी की मेने उन्हे अपने दंटो के बीच ले लिया और अपनी जीभ को
अंदर बाहर करने लगा.

"उसकी छूट से उठने वाली सुगंध भी बड़ी प्यारी है ना." रश्मि
उत्तेजित होते हुए बोली.

रीता ने अपना हाथ बढ़ा मेरे लंड को सहलाने लगी और मसल रही
थी, "रवि अब मुझसे नही रहा जाता अपना लंड मेरी छूट मे दल दो
ना, ये मुझे चाहिए अभी."

मेने तुरंत अपने लंड को उसकी छूट मे घुसा दिया, उसकी छूट कोई
कुँवारी नही थी. इतने नकली लंड से छुड़वाने के बावजूद उसकी छूट
बड़ी तिघत थी. मेने ज़ोर का धक्का लगा उसकी छूट की दीवारों को
चीरते हुए अपना लंड जड़ तक घुसा दिया.

में इतना उत्तेजित था की जानवर की तरह उसकी छूट को छोड़ रहा
था. वो भी उत्तेजना मे अपने कूल्हे उठा मेरे धक्कों का साथ दे रही
थी. उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर मे लपेट ले थी और मेरे कुल्हों
को और नीचे को दबा मेरे लंड का मज़ा ले रही थी." रवि अपनी
कहानी सुना रहा था.

मेरे हर धक्के पर उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी, "हाआँ रवि
चूओड़ो मुझे आाज फाड़ दो मेरी चूओत को ओह कितना आआचा
लग रह हाईईईई." में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. में अपने लंड
को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सूपड़ा अंदर रह जाता तो एक ही धक्के
मे पूरा लंड उसकी छूट मे पेल देता और उसे इतना मज़ा आया की वो
अपने नाख़ून मेरी पीठ मे चूबो देती."

रीता की छूट गीली दर गीली होती जेया रही थी. उस लॉन हमारी चुदाई
की आवाज़ें गूँज रही थी……फ़च…….फ़च………में अपने धक्के की रफ़्तार
थोड़ी धीमी कर अपने आपको रोकना चाहता था पर रीता थी की रुकने का
नाम ही नही ले रही थी.

रीता ने और ज़ोर से अपनी टाँगे मेरी कमर गिर्द लपेट ले और अपने दोनो
कूल्हे हवा मे उठा दिए और सिसकने लगी, "चूऊओदो रवीीई और ज़ोर
सी चूऊड़ो ऑश मेरा चूओटने वाला है ओह माइयन तो
गाइिईईईईई."

मेने करवट बदल ली और रीता को अपने उपर लेते हुए में नीचे हो
गया, रीता अब मेरे लंड पर उछाल उछाल कर खुद धक्के लगा रही
थी और उसकी छूट पानी पे पानी छोड़ रही थी. मेने भी अपने कूल्हे
उठा अपना वीर्या उसकी छूट मे छोड़ दिया.

"रीता की साँसे इतनी तेज थी और उसकी छूट ने कितनी बार पानी छोड़ा
मुझे नही मालूम. में उसकी चिकनी और प्यारी गंद तब तक सहलाता
रहा जब तक की उसकी साँसे नही संभाल गयी." रवि एक गहरी साँस
लेते हुए बोला.

"जब तुम रीता को छोड़ रहे थे उस वक्त अनिता क्या कर रही थी?"
मेने रवि से पूछा.

"जब में रीता की छूट मे अपना लंड दल उसे छोड़ रहा था तो वो
हमारे बगल मे लेती अपनी सहेली रीता की पहली असली चुदाई देख रही
थी. कभी कभी वो बीच मे या तो रीता की चुचियाँ दबा देती और
कभी हाथ बढ़ा मेरे लंड को पकड़ लेती." रवि ने कहा.

"पर जब रीता मेरे उपर से हट कर घास पर लेट गयी तो अनिता ने
मेरे लसलस्यए हुए लंड को पकड़ा और कहा, "रवि में भी इसका स्वाद
चखना चाहती हूँ." रवि ने बताया.

"एक बार तो मुझे लगा की अपने शौक के अनुसार वो रीता की टॅंगो के
बीच कूद उसकी छूट को चूसेगी पर मेरे लंड को अपने मुँह मे ले
उसने मुझे चौंका दिया. वो मेरे लंड को मसालने के साथ जोरों से
चूसने लगी. मेरे लंड मे फिर से जान आते हुए एक बार फिर टन कर
खड़ा हो गया." रवि ने कहा.

"फिर अनिता मेरे उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगे मेरी कमर के अगाल
बगल रख उसने मेरे लंड को अपनी छूट के मुँह पर रख लिया. फिर
मेरे लंड पर बैठते हुए उसने पूरा लंड अपनी छूट मे घुसा लिया.
फिर वो रीता की तरह उछाल उछाल कर धक्के मरने लगी."

"जितनी जोरों सो वो मेरे लंड पर उछाल रही थी मुझे एक बार लगा की
कहीं उसे चोट ना लग जाए, पर वो और तेज़ी से मेरे लंड पर उठ
बैठ रही थी." रवि ने बताया.

"आयेज क्या हुआ?" रश्मि अपनी छूट को खुजलते हुए पूछा.

"मेने देखा की उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव थे और उसका शरीर
अकड़ने लगा था. जब उसकी छूट ने पानी छोड़ा तो वो इतनी ज़ोर से
सिसकी, "ओह ृित्ततता असली लंड से छुउूउड़वाने मे इतन्णना माज़ा आता
है मुझे नही मालूम था. ओह अयाया मेरााआ तो चूऊत गया."

"क्या तुम्हारा दुबारा पानी नही छूटा?" मेने पूछा.

"मुझे कई बार लगा की मेरा पानी छूटने वाला है, पर हो सकता है
की आज मेरे लंड ने इतनी बार पानी छोड़ा है की नही छूटा." रवि
ने जवाब दिया.

"फिर क्या हुआ?" रश्मि एक बार फिर बोल पड़ी.

"मेरा लंड अभी भी खड़ा था, रीता एक बार फिर मुझ पर चढ़ कर
चुदाई की. मेरा पानी अभी भी नही छूटा था. रीता ने मेरे लंड को
अपने मुँह मे ले जोरों से चूसने लगी. जब मेरा छूटने का समय
आया तो मेने रीता से कहा भी की मेरे छूटने वाला है पर वो
चूस्टी गयी और मेरे लंड ने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया." रवि
गहरी सांस लेते हुए बोला. "फिर हमने अपने कपड़े ठीक किए और अपने
अपने कमरे मे आ सो गये."

"ये तो कमाल हो गया. तो तुमने दोनो समलैंगिक लड़कियों को पूरा
चुड़दकड़ बना ही दिया. में शर्त लगा सकती हूँ की भविष्या मे वो
नकली लंड की तरफ देखेंगी भी नही." रश्मि हंसते हुए बोली.

मेने तीनो से कहा, "खाने का समय हो रहा हो क्यों ना कपड़े बदल
कर थोड़ी देर मे खाने के लिए रेस्टोरेंट मे चला जाए."

हम चारों कमरे मे आ अपने कपड़े बदले और नीचे रेस्टोरेंट मे आ
गये. वहाँ हमारी मुलाकात प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी से हुई.
हम सब साथ साथ खाना खाने लगे.

खाना खाना के बाद हम सब यानी आठ लोग साथ साथ घूमने निकल
गये. हम सभी को काफ़ी मज़ा आया और आपस हम खुल भी गये थे.

घूमते घूमते जब हम तक गये थे तो एक गार्डेन रेस्टोरेंट मे छाई
नाश्ते के लिए बैठ गये. हम सब जब अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ
गये थे तो मेने देखा की प्रिया और कंचन की निगाहें रवि के
खड़े लंड पर ही गाड़ी हुई थी.

रश्मि ने उन दोनो को रवि के लंड को चूरते देख लिया था. उसने अपना
हाथ बढ़ा कर पंत की ज़िप खोलते हुए रवि के लंड को बाहर निकल
लिया और दोनो लड़कियों से बोली, "सही मे मस्त लंड है ना."

प्रिया और कंचन रश्मि की हरकत देख शर्मा गयी, प्रिया
बोली, "मुझे नही मालूम था की तुम हमे घूरते देख रही हो. सॉरी
मुझे इस तरह नही घूर्ना चाहिए था."

रश्मि ने कंचन की तरफ देखा जिसने कोई जवाब नही दिया
था, "कंचन क्या तुम इसे अपने हाथों मे पकड़ना चाहोगी?"

तभी रवि ने रश्मि के हाथ को झटक दिया और दांते हुए
बोला, "रश्मि तुम भी हद करती हो. पहले इनकी झिझक तो ख़त्म होने
दो. इन्हे हमारे साथ अड्जस्ट तो होने दो?"


प्रिया और राजेश ने फिर हमे बताया की वो लोग एक स्विंगिंग क्लब के
मेंबर है. वो लोग अक्सर नई जोड़ों के साथ रिज़ॉर्ट या किसी हिल
स्टेशन पर जाते रहते है. ये यात्रा उनकी थोड़ी अलग है कारण की
कंचन और बॉब्बी पहली बार स्विंगिंग कर रहे है.

रश्मि अपने आपको रोक ना पाई और पूछा, "तो अब तक तुम चारों के
बीच कैसा चल रहा है?"

प्रिया ने जवाब दिया, "अभी तक तो सब ठीक चल रहा है. में और
बॉब्बी पार्ट्नर बने हुए है और कंचन राजेश के साथ. अब ये लोग
आयेज भी नई प्रयोग करने के लिए तय्यार है."

"अब तक तुम लोगों ने आपस मे क्या क्या किया? मेरा मतलब है की सीधी
सदी चुदाई की है या, लड़की लड़की, थोड़ी चूसा, गांद मारना या
समहुक चुदाई." रश्मि ने आयेज पूछते हुए कहा.

तभी राज बीच मे बोल पड़ा, "रश्मि अपने मतलब से मतलब रखो.
तुम्हे ये पूछने का कोई हक़ नही है."

"नही इसे पूछने दो कोई बात नही." प्रिया ने कहा, "अभी तक तो सीधी
चुदाई चल रही है सिर्फ़ थोड़ी बहोट चूसैई के साथ. रश्मि तुम्हे
क्या पसंद है?"

प्रिया का प्रश्ना सुनकर हम सभी चौंक पड़े और समझ गये की
आयेज क्या होने वाला है. रश्मि मुस्कुरई और कहने लगी, "प्रिया
चुदाई मे ऐसी कोई चीज़ नही है जो पसंद ना हो. में चूस्टी भी
खूब हूँ और चूसवने में भी मज़ा आता है. मुझे दो टीन, हर
छेड़ मे एक साथ लंड लेने मे मज़ा आता है, मुझे दूसरी औरत के
साथ भी उतना ही आनंद आता है. और बता डू तुम्हे की जब रवि अपना
मूसल लंड मेरी गंद मे पेलता है तो मुझे जन्नत का मज़ा आ जाता
है."

हम सब प्रिया के चेहरे की और देखने लगे शायद रश्मि की बात
सुनकर उसके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया आए, पर उसने खुद को
संभाले रखा और सिर्फ़ मुस्कुरा दी.

"रश्मि तुम और राज हमारे क्लब के अकचे मेंबर बन सकते हो. हमारे
यहाँ कई जोड़े है जो तुम्हारी तरह चुदाई का पूरा मज़ा उठना
जानते है, वो सब कुछ वो करेंगे जो तुम करने के लिए कहोगे."
प्रिया आत्मविश्वास भारी आवाज़ मे बोली.

तभी बॉब्बी बोल पड़ा, "अगर तुम चारों आज हमारे साथ हमारे कमरे
मे स्विंगिंग करो तो कैसा रहेगा."

"में तय्यार हूँ आने के लिए." रश्मि खुश होती हुई बोली.

"ये तो अशर्या की बात है." रवि रश्मि को चिढ़ने के अंदाज़ मे
बोला.

मेने राजेश और बूबी की और देखते हुए कहा, "मुझे लगता है हम
सभी को मज़ा आएगा."

मेने देखा की राजेश और बॉब्बी की निगाहें रश्मि के शरीर को छेड़
रही थी. वो दोनो शायद मान ही मान रश्मि के शरीर के साथ करने
की सोच रहे थे जो उन्हे उनकी बीवियाँ करने को नही देती.

"कंचन तुमने अपनी राई नही बताई, क्या तुम अदला बदली के लिए
तय्यार हो?" रवि कंचन के शरीर को उपर से नीचे घूरते हुए बोला.

"में तय्यार तो हूँ पर गंद मे लंड नही लूँगी." कंचन अपनी बात
पर ज़ोर देते हुए बोली.

तभी प्रिया ने कहा, "जब हम अदला बदली करेंगे तो कोई भी इंसान
अपने साथी की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नही करेगा. क्या सबको मंज़ूर
है."

सभी ने प्रिया की बात को मान लिया. इसका बाद ये तय हुआ की सभी लोग
उनके कमरे मे खाना खाने के बाद मिलेंगे. पूरी शाम हम बातें
करते रहे साथ ही ड्रिंक्स का भी आनंद लेते रहे. हर इंसान के दिलो
दिमाग़ मे रत की पार्टी का ही ख़याल चल रहा था.


पार्टी अदला बदली की


रात का खाना हम सभी ने मिलकर खाया. खाने के साथ सभी दो दो
ड्रिंक्स भी ले ली थी. फिर सभी अपने अपने कमरे मे कपड़े बदलने
चले गये.

में, राज, रश्मि और रवि कपड़े बदलकर हमारे नई दोस्तों के सूयीट
मे पहुँचे. उन चारों ने हमारा स्वागत किया. हमने देखा की वो
चारों नंगे थे. हमने भी अपने कपड़े उत्तरे और एक कोने मे रख
दिए.

प्रिया ने सभी लिए ड्रिंक्स बनाई और सबको पकड़ा दी, "आप सब
शुरुआत कैसे करना चाहेंगे. मेरी छूट तो रवि का लंड लेने के
लिए उत्तावली हो रही है."

हम सभी ने अपने साथी चुन लिए और ये तय किया की पहले सीधी
साधी चुदाई करेंगे और समय के साथ ही आयेज की सोचेंगे. में
राजेश के साथ थी, रश्मि बॉब्बी के साथ और कंचन राज के साथ.

कमरे मे दो ही बिस्तर थे, इसलिए दो जोड़े बिस्तर पर चाड गये और
दो ज़मीन पर. में राजेश के साथ एक बिस्तर पर थी और वो मेरे
उपर लेट कर 69 अवस्था मे आ गया.

"चुदाई से पहले तोड़ा खेलने मे मज़ा आता है." कहकर उसने मेरी
छूट को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.

मेने भी उसका साथ देते हुए उसका 8' इंची लंड को अपने मुँह मे ले
लिया. हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे. जब चुदाई
का समय हुआ तो वो मेरे शरीर पर घूम सा गया और अपना लंड मेरी
छूट मे दल अंदर बाहर करने लगा.

शुरुआत मे वो धीमे और छोटे धक्के मार रहा था. पर जैसे ही वो
तेज़ी पकड़ने लगा मेरे मुँह से तेज सिसकारियाँ फूटने लगी. उसका हर
ढाका पहले धक्के से तेज और ज़ोर का होता था.

राजेश का लंड जब मेरी छूट की दीवारों की धज्जियाँ उड़ते हुए
मेरी बच्चे दानी पर ठोकर मरता तो में ज़ोर से सिसक पड़ती. वो एक
जंगली जानवर की तरह मुझे छोड़े जेया रहा था और मेरी सिसकारियाँ

dil1857
dil1857
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