Mein Aur Meri Bahu

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dil1857
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बढ़ती जेया रही थी.

में उसके हर धक्के के साथ अपने समय के करीब आ रही थी और
जोरों से चिल्लाने लगी, "राआाजएसस्स्स्सश चूऊऊदो मुझे हााआअँ
और जूऊरों से राआजेश ओह और जूओर से राआजेश मेरा
छूटने वाला है." मेने उसे अपने से और जोरों से चिपकते हुए
बड़बड़ा रही थी.

"हाां प्रीईटी चूओद दूओ अपनाा पानी. नहल्ल्ल दो मेरे लुन्न्ञन्द
को आअपँे प्ाअनी से. मेरीईए लुंद्ड़द्ड के लिईईए झाड़ जाओ." कहकर
वो और जोरों से धक्के पे धक्के मार रहा था.

राजेश जितनी ताक़त से मुझे छोड़ सकता था छोड़े जेया रहा था और
मेरी छूट पानी पे पानी छोड़े जेया रही थी. उत्तेजना मे मेरा शरीर
काँप रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी कमर मे लपेट रखी थी और
अपने हाथों के नाख़ून उसकी पीठ पर गाड़ा रही थी.

जब मेरी छूट ने सारा पानी छोड़ दिया तो राजेश ने मुझे पलटा कर
घोड़ी बहा दिया और पीछे से मेरी छूट मे लंड पेल दिया. इस अवस्था
मे बाकी के टीन जोड़ों को भी देख सकती थी. एक जोड़ा मेरे बगल की
बिस्तर पर था और दो बाकी ज़मीन पे. मेने अपनी उत्तेजना मे इतनी
खोई हुई थी की में इन सब को एक बार के लिए भूल सी गयी थी.

मेने दूसरे बिस्तर पर देखा प्रिया अपनी टाँगे फैले थी और रवि
उसकी टॅंगो के बीच हो उसे छोड़ रहा था.

प्रिया इतनी जोरों से सिसक रही थी, "ओह रवीीईईईई तुम्हारा
लुंदड़ तो मेरी चूऊओट को गहराइयोंन्णणन् तक जाअ रहा है. ओह
कितना मज़्ज़ा एयेए रहाा है हाआँ चूओड़ो मुझे और ज़ोर से. मेराअ
छूटने वाला हाीइ तुम रुकना नाहहीी बस चूऊदे जाऊओ ओह."
और शायद एक बार फिर उसकी छूट ने पानी छोड़ दिया.

रवि अपने आप पर कंट्रोल करते हुए प्रिया को छोड़े जेया रहा था.
में जानती थी की रवि को प्रिया की गंद मारनी है, पर मुझे शक़
था की शायद ही प्रिया उसे अपना लंड गंद मे घुसने देगी.

मेने नीचे ज़मीन पर देखा, राज कंचन की छूट मे पीछे से लंड
डाले हुए है और साथ ही अपने एक हाथ की उंगली भी छूट मे दल
रखी है. दूसरे हाथ से वो उसकी छोटी चुचियों का मसल रहा था.
कंचन ने अपनी आँख बंद कर रखी थी और चुदाई का पूरा मज़ा ले
रही थी.

दूसरी और बॉब्बी रश्मि को उपर चढ़ा उसे छोड़ रहा था. रश्मि के
शरीर को देख के लगता था की उसका भी पानी छूटने वाला था. में
जानती थी रश्मि इतनी चुड़क्कड़ है की अगर और कोई वक़्त होता तो वो
आकेयलए ही इन चार मर्दों को झेल लेती पर आज उसे इन मर्दों को टीन
औरतों के बीच बाँटना पद रहा है. बॉब्बी ने ज़ोर के धक्के लगते
हुए अपना पानी उसकी छूट मे छोड़ दिया. रश्मि उसे देख मुस्कुराने
लगी.

अचानक रश्मि ने बॉब्बी से पूछा, "बॉब्बी क्या तुम अपना लंड मेरी गंद
मे घुसना चाहोगे?"

बॉब्बी हैरत भारी नज़रों से रश्मि को देख रहा था. रश्मि ने उसे
उकसाते हुए कहा, "क्या सोच रहे हो? तुम खुद मेरी गांद मारना चाहते
हो है ना. ज़रा सोचो जब तुम्हारा लंड मेरी गंद मे पिचकारी छोड़ेगा
तो तुम्हे कितना मज़ा आएगा और जब में अपनी गंद को सिकोड तुम्हारे
लंड की एक एक बूँद चूस लूँगी तब कैसा लगेगा."

पर बॉब्बी के चेहरे से लग रहा था की फिलहाल उसमे ताक़त नही थी
रश्मि की गंद मरने की. वो उसके बगल मे लेट सुस्ता रहा था. उसकी
हालत देख रश्मि मुस्कुरई और उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले
चूसने लगी.

पर शायद इतना ही बॉब्बी के लिए बहोट था, "नही रश्मि अभी रहने
दो रूको थोड़ी देर."

रश्मि उसे अलग हट अपने पति राज और कंचन के पास आ गयी. उसने
राज की उंगलियाँ उसकी छूट से बाहर निकल दी और अपने आप को इस
अवस्था मे कर लिया की वो उसकी छूट चूस सके.

"कंचन अगर में तुम्हारी छूट चूसू तो तुम्हे कोई ऐतराज़ तो
नही?" रश्मि ने हंसते हुए कहा.

रश्मि अब कंचन की छूट चूस रही थी. वहीं राज उसकी दोनो
चुचियों को मसालते हुए अपना लंड उसकी छूट के अंदर बाहर कर
रहा था. थोड़ी ही देर मे राज ने अपना वीर्या उसकी छूट मे छोड़ दिया.
वो तब तक धक्के मरता रहा जब तक की उसका लंड मुरझा कर मुलायम
ना हो गया.

राज ने अपना लंड कंचन की छूट से बाहर निकाला और अपनी पत्नी के
खुले मुँह मे दे दिया. थोड़ी देर अपने पति का लंड चूसने के बाद
रश्मि ने फिर कंचन की छूट चूसनी शुरू कर दी. कंचन एक बार
फिर गरमा गयी और उसने रश्मि का सिर पकड़ अपनी छूट पे दबा
दिया. थोड़ी ही देर मे उसकी छूट ने एक बार फिर रश्मि के मुँह मे
पानी छोड़ दिया.

तभी रवि की चिल्लाने की आवाज़ आई, "ओह प्रिया मेराा चूओटने
वाला है. हाआँ और मेरे लंड को अपनी चूओत मे ले लो. में तुम्हारी
छूट आज अपने रस से भर दूँगा."

"नही अपना पानी मेरी चूओत मे मत चूड़ना, मेरा उपर मेरे शरीर
पर छोड़ना, में तुम्हारे वीर्या की पिचकारी अपने शरीर पर महसूस
करना चाहती हूँ." प्रिया उसे रोकते हुए चिल्लाई.

रवि ने अपना मोटा और लंबा लंड प्रिया की छूट से बाहर निकल लिया
और उसपर झुकते हुए अपने लंड का निशाना उसके चेहरे की और कर
दिया. फिर लंड को ज़ोर से मुठियाने लगा, तभी एक ज़ोर की पिचकारी
उसके लंड से निकल प्रिया के चेहरे पर गिरी.

प्रिया उस वीर्या को अपनी हथेली से अपने चेहरे पर रग़ाद ही रही थी
की दूसरी पिचकारी उसकी चुचियों पर और तीसरी उसके पेट पर गिरी.
रवि ने अपने वीर्या से ऊए पूरी तरह नहला दिया था. रवि ने पूरा
पानी निचोड़ने के बाद एक बार फिर उसकी छूट मे अपना लंड घुसा उसे
छोड़ने लगा.

"ऑश देखो मेरा शरीर पूरा वीर्या से नहा गया है. क्या मज़े का
वीर्या स्नान किया है मेने." प्रिया ज़ोर से चिल्लाई और पूरे शरीर
पर रवि का वीर्या मसालने लगी.

इस नज़ारे ने राजेस्ट को काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. उसने मेरे कूल्हे
पकड़ दो चार कस के धक्के मारे और अपना पानी मेरी छूट मे छोड़
दिया. में जोरो से अपनी छूट को रग़ाद अपना पानी भी छोड़ दिया. हम
दोनो निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े. पूरे कमरे मे चुदाई का महॉल
छाया हुआ था.

हम सब सुसताने लगे और अपनी अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पाने की
चेस्टा कर रहे थे. थोड़ी देर बाद हम सब फिर अपने अपने जोड़े
बनाना लगे.

"इस बार में कंचन को छोड़ूँगा." रवि ने कहा.

हम सब रवि और कंचन की और देखने लगे.

"ना बाबा ना, मेरी छूट तो इसके लंड से फॅट ही जाएगी, में नही
चुड़वति इससे." कंचन तोड़ा हंसते हुए बोली.

"अरे डरती क्यों हो कंचन, क्या प्रिया की छूट फॅट गयी है. देखो
में धीरे धीरे करूँगा प्रॉमिस." रवि कंचन की चुचियाँ छेड़ते
हुए बोला.

आख़िर कंचन मान गयी. में इस बार बॉब्बी के साथ थी, रश्मि
राजेश के साथ और प्रिया राज के साथ.

रवि ने कंचन को अपनी गोद मे उठाया और बिस्तर पे लाज़कर लिटा
दिया. हम सब ने बिस्तर के चारों और एक घेरा सा बना लिया और
कंचन और रवि की चुदाई देखने लगे. हम देखना चाहते थे की
रवि का मूसल जैसा लंड कंचन की नाज़ुक और मुलायम और छोटी
छूट मे कैसा घुसता.

रवि कंचन की टॅंगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी छूट
पर रगड़ने लगा. वो अपने लंड से छूटे पानी से उसकी छूट को चारों
और से गीला कर रहा था. कंचन की छूट हल्की रोशनी मे पानी से
गीली हुई एक दम जगमगा रही थी.

रवि के लंड की रागड़ाई से कंचन भी गरमा गयी, उसने अपनी उंगलियों
से अपनी छूट का मुँह फैलाया, "रवि अब दल दो मेरी छूट मे पर
ज़रा धीरे धीरे डालना प्लीज़."

रवि ने अपने लंड का सूपदे उसकी छूट पर लगाया और अंदर घुसा
दिया. फिर तोड़ा सा बाहर खींच हल्का धक्का लगाया तो उसका आधा
इंच लंड अंदर घुस गया. यही क्रिया दोहराते हुए उनसे अपना लंड
आख़िर पूरा उसकी छूट मे घुसा दिया.

रवि ने अपने शरीर का वजन कंचन के शरीर पर नही डाला था. वो
चाहता था की कंचन उसके लंड की आदि हो जाए तो ज़ोर के धक्के
लगाए. रवि के लंड ने कंचन की छूट को अंदर से इतना चौड़ा कर
दिया था की एक बार तो कंचन का शरीर कांप उठा. रवि अब धीरे
धीरे उसकी छूट मे लंड अंदर बाहर कर रहा था. हम सब बड़ी गौर
से इन दोनो की चुदाई देख रहे थे.

थोड़ी ही देर मे कंचन को भी मज़ा आने लगा, वो जोरों से सिसकने
लगी, "ओह हााआअँ रवीिइ तुम्हारा लुंद्ड़द्ड मे सहियीई
कांमाअल का है. देखूूओ कैसे मेरी चूऊओट की धज्जियाँ उड़ा रहा
है. हाआँ चूऊड़ो मुझे और जूऊरों से हाां चूवड़ते जाओ मेरे
रजाअ."

रवि ने अब अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. वो ज़ोर ज़ोर की ठप लगा
कंचन को छोड़ रहा था. कंचन भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे
रही थी. दोनो की चुदाई इतनी बहनकार थी की पता नही कंचन
कितनी बार झड़ी होगी. थोड़ी ही देर मे रवि ने अपना वीर्या उसकी छूट
मे छोड़ दिया.

थोड़ी ही देर मे रवि तक कर कंचन के शरीर पर गिर पड़ा और और
करवट बदलते हुए कंचन को अपने उपर कर लिया. उसका लंड अब भी
उसकी छूट मे घुसा हुआ था. जब उसका लंड मुरझाया तो अपने आप ही
उसकी छूट से बाहर निकल गया. कंचन जब उसके शरीर से उठने की
कोशिश की तो रवि का वीर्या उसकी छूट से ताप ताप गिरने लगा ऐसा
लगा की कंचन ही झाड़ रही है.

"हे भगवान इसका लंड है या मूसल, मेरी छूट का तो बजा बजा दिया
इसने." कंचन उसके बगल मे गिरते हुए बोली.

हम सब रवि और कंचन की चुदाई देख इतना गरमा गये की सब अपने
साथ के साथ चुदाई मे व्यस्त हो गये. बॉब्बी मुझे कुटिया बना पीछे
से छोड़ना चाहता जिसका मेने कोई विरोध नही किया और उसने पीछे
अपना लंड मेरी छूट मे दल दिया.

राज प्रिया, राजेश और रश्मि ज़मीन पर जाम गये. राज अपना लंड
प्रिया की चुचियों मे फँसा उसकी चुचियों को छोड़ना चाहता था.

"अगर तुम मेरी चुचियों मे अपना लंड फँसा छोड़ोगे तो मेरी छूट
की प्यास कौन बुझाएगा?" प्रिया ने राज से पूछा.

"उसकी तुम चिंता मत करो, में तुम्हारी छूट का ख़याल रखूँगी."
रश्मि ने कहा.

"किसी हाल मे भी नही." प्रिया ने कहा.

"क्यों नही, आज तक किसी ने मुझसे शिकायत नही की है. तुम कंचन
से पूछ सकती हो की जब मेने उसकी छूट चूसी थी तो उसे मज़ा आया
था की नही" रश्मि ने कहा.

प्रिया ने कंचन की तरफ देखा तो पाया की वो हन मे अपनी गर्दन
हिला रही थी.

"वो क्या है ना रश्मि, मेने आज तक किसी औरत के साथ सेक्स नही
किया है इसलिए माना कर रही थी." प्रिया ने कहा.

"तुम ज़्यादा मत सोचो अपनी चुचियाँ मेरे पति के हवाले कर दो और
छूट मेरे. फिर देखो तुम्हे दोहरा माज़ा आता है की नही." रश्मि
उसकी चुचियों पर हाथ फेरते हुए बोली.

प्रिया पीठ के बाल बिस्तर पा लेट गयी और राज प्रिया के पेट पर बैठ
गया. फिर उसने अपना लंड उसकी चुचियों के बीच दल दिया और उसकी
चुचियों को अपने लंड के गिर्द दबा दिया.

रश्मि प्रिया की टॅंगो के बीच घुटनो के बाल बैःट गयी और उसकी
छूट से खेलने लगी.

राजेश रश्मि के पीछे आ गया और उसके कुल्हों पर हाथ फिरने
लगा, "अपने किस छेड़ मे लंड लेना पसंद करोगी रश्मि?" राजेश ने
पूछा.

"पहले अपना लंड मेरी छूट मे डालकर छोड़ो. जब तुम्हारा लंड पूरी
तरह गीला हो जाए तो उसे मेरी गंद मे दल देना." रश्मि ने उसे
बताया.

राज अब कंचन की चुचियों को छोड़ रहा था और रश्मि उसकी छूट
को चूस रही थी. राजेश रश्मि के कूल्हे मसालते हुए उसकी छूट मे
अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.

रश्मि की छूट शायद पहले से ही काफ़ी गीली हो चुकी थी इसलिए
राजेश ने कब अपना लंड उसकी छूट से निकल उसकी गंद मे दल दिया
था किसी को पता ही नही चला.

"रश्मि डार्लिंग, तुम्हारी गांद बड़ी शानदार है, अगर तुम अपनी गंद
मे मेरे लंड को इसी तरह भींचती रही तो में अपने आपको ज़्यादा
देर तक नही रोक सकूँगा." राजेश ज़ोर के धक्के लगते हुए बोला.


पर राजेश को समझ मे आ गया की हालत उसके वश मे नही बल्कि
पूरी तरह से रश्मि के वश मे थे. वो अपने गंद की मांसपेशियों से
उसके लंड को जकड़े हुए थी और वही प्रिया का शरीर रश्मि की जीभ
के इशारों पर मचल रहा था.

में प्रिया की हालत का आनदाज़ा लगा सकती थी क्यों की कुछ दिन
पहले ही रश्मि ने मेरी छूट चूस मुझे औरत के साथ सेक्स का
अनुभव दिया था. रश्मि एक कुचल छूट चूसू थी बल्कि ये कहना
चाहिए की चुदाई के मामले मे वो पूरी तरह निपूर्ण थी.

बॉब्बी ने पीछे से मेरी छूट मे अपना लंड मेरी छूट मे दल मुझे
छोड़ रहा था. हम दोनो ज़मीन पर नज़ारा देख रहे थे. वहीं
दूसरे बिस्तर पर कंचन घोड़ी बनी हुई थी और रवि पीछे से उसे
छोड़ते हुए नीचे ज़मीन का नज़ारा देख रहा था.

थोड़ी देर में राज चिल्लाया की उसका छूटने वाला है और उसने अपना
वीर्या प्रिया की चुचियों पर छोड़ दिया.

वहीं राजेश का शरीर आकड़ा और उसने अपना वीर्या रश्मीं की गांद मे
छोड़ दिया. रश्मि उसके लंड को जकड़े हुए उसके लंड की एक एक बूँद को
अपनी गंद मे निचोड़ने लगी.

प्रिया भी उत्ट्तेजना की चरम सीमा पर थी, उसने रश्मि का सिर पकड़ा
और अपनी छूट पर जोरों से दबा दिया, "हे भाआगवान रश्मि तुम
कमाल की हो चूवसो मेरी चूऊऊथ को और मेरा पााअनी फिर से
चूऊड़ा दो."

बॉब्बी मुझ पर झुक सा गया और मेरे कान मे फुसफुसाया, "प्रीति
तुम्हारी गांद मरने का दिल कर रहा है क्या में तुम्हारी गंद मे
अपना लंड दल सकता हूँ?"

"नहीं बॉब्बी आज की रात नही, मेरा मान नही है गंद मरवाने का,
ऐसा करो तुम रश्मि की गंद मार लो वो हमेशा तय्यार रहती है."
मेने जवाब दिया.

बॉब्बी ने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकाला और ज़मीन पर नीचे
रश्मि के पीछे आ गया. उसने अपना लंड उसकी गंद के छेड़ पर लगाया
और अंदर घुसा दिया. रश्मि ने उसके लंड का स्वागत करते हुए वो ही
प्रक्रिया दोहराई जो उसने राजेश के लंड के साथ की थी.

थोड़ी देर बाद बॉब्बी चिल्ला उठा, "ऑश रश्मि मेरा छूटने वाला है
और में तुम्हारी गांद अपने पानी से भर दूओंगा." उसका शरीर आकड़ा
और उसने रश्मि की गांद को अपने वीर्या से भर दिया.

रश्मि ने जैसा राजेश के साथ किया था वैसे ही करते हुए बॉब्बी के
लंड की एक एक बून निचोड़ ली. बॉब्बी निढाल होकर ज़मीन पर लुढ़क
गया और रश्मि प्रिया की छूट को अपनी जादू भारी ज़ुबान से चूज़
जेया रही थी.

"बस रामी रुक जाओ, मुझसे और नही सहा जाता अब में बर्दाश्त नही
कर सकती." जैसे ही प्रिया की छूट ने पानी छोड़ा वो गिड़गिदने लगी.

रश्मि प्रिया के और देखा कर मुस्कुरई और उससे पूछा, "कैसा लगा,
अब तो तुम्हे मेरी बात पर विश्वास है ना?"

"रश्मि वाकई तुम कमाल की हो, सिर्फ़ चूसने से मेरी छूट ने जितना
पानी आज छोड़ा है इसके पहले कभी नही छोड़ा." प्रिया ने जवाब
दिया.

हम चारों ने अपने कपड़े संभाले और अपने नई दोस्तों को अलविदा
कहा. हुँने उनसे वाडा किया की कल ज़रूर मिलेंगे कहते हुए हम अपने
कमरे मे वापस आ गये.

कमरे मे वापास आते ही में और रवि एक बिस्तर पर चले गये और
राज और रश्मि दूसरे बिस्तर पर. रवि ने उस रात एक बार फिर मेरी
चुदाई की और वहीं राज ने अपनी पत्नी की गांद छोड़ कर अपना वीर्या
उसकी गंद मे उंड़ेल दिया.

पूरी तरह तक कर कर चूर हम चारों सो गये. में अपनी आँखे
बंद कर सोच रही थी की कल हमारे नये दोस्तों के साथ क्या होगा
और क्या इस यात्रा मे और नई दोस्तों का साथ लिखा है.

दूसरे दिन सुबह मेरी आँख खुली तो मुझे बहोट अछा लग रहा था.
पिछली रात मेने काफ़ी एंजाय किया था और अपने आप पर कंट्रोल रखा
था. तभी मुझे एहसास हुआ की में बिस्तर पर अकेली हूँ. मेने नज़रे
घुमा दूसरे बिस्तर पर देखा की रवि मेरे बेटे राज और उसकी पत्नी
और मेरी बहू रश्मि के साथ था. रश्मि रवि के उपर लेट उसे छोड़
रही थी और पीछे से राज उसकी गंद मार रहा था.

में सोचने लगी कैसी बचे है, कभी सेक्स से थकते ही नही. में
बिस्तर से उत्तरी और नहाने चली गयी, जबकि वो तीनो अभी भी
बिस्तर मे ही थे. में शवर के नीचे गरम पानी का मज़ा ले रही
थी की रश्मि बातरूम मे आ गयी और मेरे साथ ही नहाने लगी.

"मेरी छूट और गंद मे इतना वीर्या भरा हुआ है, मेरी समझ मे
नही आता की रवि के लंड मे इतना वीर्या आता कहाँ से है, शायद
उसने कोई वीर्या बनाने की मशीन लगा रखी है." रश्मि हंसते हुए
बोली.

"हन सही मे उसके शरीर की ताक़त कमाल की है." मेने कहा.

रश्मि ने अपनी छूट और गंद से वीर्या अची तरह धोया. हम साथ ही
शवर के नीचे नहा रहे थे रश्मि ने अपना ध्यान मेरे और किया और
मेरे शरीर पर साबुन मलने लगी.

"क्यों ना हम एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाए." रश्मि ने कहा.

में उसके शरीर पर साबुन लगाने लगी और रश्मि साबुन लगते हुए
अपने हाथ मेरे पूरे शरीर पर फिरने लगी. में उत्तेजित हो रही
थी पर में रश्मि को रोक दिया, "रश्मि अभी रहने दो अभी तो पूरा
दिन पड़ा है."

रश्मि मेरी बात मान गयी और हम दोनो नहा कर बाहर आ गये. रवि
और राज ने भी स्नान कर लिया और हम कपड़े पहन नीचे नाश्ता करने
आ गये.

आज हमे काफ़ी देर हो गयी थी नीचे आते आते सो मेने कहा, "क्यों
ना आज हेवी नाश्ता कर लिया जाए और खाने की छुट्टी कर दी जाए.
थोड़ी देर मे प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी भी आ गये और हमारी
टेबल पर बैठ गये.

खाने के बाद हम सब घूमने निकल गये. घूमते हुए भी चर्चा का
विषय चुदाई ही था. प्रिया और कंचन ने बताया की रश्मि के साथ
सेक्स करते हुए कितना मज़ा आया. इसके पहले उन्होने कभी किसी औरत के
साथ चुदाई नही की थी. फिर राजेश और बॉब्बी ने बताया की किस
तरह उन्होने रश्मि की गंद मारी. दोनो ने अपनी जिंदगी मे पहली बार
किसी की गंद मारी थी.

"ओह तो तुम दोनो का गंद मरने का ये पहला मौका था. फिर तो इसके
लिए तुम्हे रहस्मी का शुक्रिया अदा करना चाहिए." रवि ने कहा.

दोनो ने रश्मि का शुक्रिया अदा किया तो रश्मि ने झुक कर उनका
अभिवादन किया. फिर प्रिया ने बताया की किस तरह सुबह वो और
कंचन 69 की अवस्था मे लेट एक दूसरे की छूट चूसी.

"देखा मेने पहले ही कहा था कीट उम दोनो को मज़ा आएगा. आज से
अदला बदली मे एक नई चीक्ष जुड़ गयी तुम दोनो के साथ." रश्मि
बोली, "तुममे से अगर कोई मेरी छूट चूसना चाहता है तो में
हमेशा तय्यार हूँ, मुझे बता देना."

प्रिया और रश्मि दोनो शर्मा गयी, प्रिया बोली, "अभी नही बाद मे
देखते है."

वो चारों की इस बात मे ज़्यादा दिलचस्पी थी की हम साथ साथ कैसे
हुए की साथ मे सफ़र कर रहे है और एक दूसरे के साथ चुदाई कर
रहे है. मेने रवि, राज और रश्मि की तरफ देखा की कहाँ से
शुरू किया जाए.

राज बीच मे टपकता बोला, "में आपलोगों को हमारी कॉलेज की दीनो
से बताता हूँ."

राज ने उन्हे माला, रवि और अपने रिश्ते के बारे मे बताया. फिर किस
तरह रश्मि से उसकी पहचान हुई और रवि उनके साथ हो लिया. उसने
इतनी बारीकी से अपने रश्मि और रवि के रिश्ते के बारे मे बताया की
में भी हैरान रह गयी.

उसने बताया की किस तरह रवि उसकी गंद मरता था और रश्मि उसके
लंड को अपने मुँह मे ले चूस्टी थी. फिर वो रवि की गंद मरता था
और रश्मि अपनी कमर पर डिल्डो बाँध उसकी गंद मारती थी.

रश्मि बीच उछलते हुए बोली की उस किस तरह दो या टीन लंड से साथ
साथ चुदाई करने मे मज़ा आता था. उसने बाते की उसने और राज ने
शादी के पहले ही सोच लिया था की किसी चौथे इंसान को हनिमून
पर साथ ले चलेंगे.

उसने बताया की फिर जब प्रीति हमारे साथ खुल गयी तो किसी और को
साथ लाने का सवाल ही नही उठहता था.

प्रिया, कंचन, राजेश और बॉब्बी के मुँह से एक शब्द ना निकला, वो
रवि राज और रश्मि की कहानी सुनते रहे. चारों अचंभित मुद्रा मे
उनकी बात सुन रहे थे, फिर बॉब्बी बोला, "मुझे मालूम था की तुम लोग
सामूहिक चुदाई करते हो पर तुम्हारी चुदाई का अंदाज़ इतना भयंकर
होगा ये नही मालूम था."

बॉब्बी कुछ देर शांत रहा फिर राज से पूछा, "क्या तुम्हे सही मे लंड
चूसने और गंद मरवाने मे मज़ा आता है?"

"हन ये सब मुझे अछा लगता है," राज ने जवाब दिया फिर उनसे
पूछा, "क्या तुम दोनो ने कभी किसी मर्द के साथ चुदाई की है, मेरा
मतलब किसी का लंड चूसा हो या गंद मारी हो. क्यों ना करके एक बार
इसका भी अनुभव ले लेते हो."

राजेश और बॉब्बी एक दूसरे को अजीब सी नज़रों से देखते रहे फिर
राजेश बोला, "मेने कभी इस विषय पर सोचा नही है ना ही मुझे
कभी ऐसा मौका लगा."

"मेने भी कभी नही सोचा आज तक." बॉब्बी भी बोला.

"एक बार कोशिश करके देखना चाहिए." रवि ने कहा, "और में दावे
के साथ कहता हूँ की तुम दोनो को मज़ा आएगा."

"हन तुम लोगों को एक बार आजमाना चाहिए और तुम लोगो को देख कर
तो ऐसा लगता है की तुम अभी से तय्यार हो." रश्मि ने कहा.

रश्मि की बात सही थी. राजेश और बॉब्बी के लंड पंत के अंदर
खड़े हो गये थे. इतनी सब सेक्सी बातों ने उन्हे उत्तेजित कर दिया था
पर वो अब भी सॅमलिंग चुदाई के लिए तय्यार नही थे. डॉन वन शर्मा
कर अपने हाथ पंत के उपर रख लिए जिससे उनका खड़ा लंड दिखाई ना
दे.

प्रिया ने बातचीत के विषय को बदलते हुए मुझसे पूछा की मे किस
तरह रवि रश्मि और अपने बेटे के साथ जुड़ गयी.

मेने उन तीनो को बताया की किस तरह मेने चुप कर राज को रवि का
लंड चूस्टे देखा फिर रवि ने राज की गंद मारी. दूसरी बार मेने
रश्मि को इनके साथ सामूहिक चुदाई करते देखा. फिर मेने दोनो को
रश्मि को साथ साथ छूट और गंद मे छोड़ते देखा.

"हे भगवान प्रीति, तुम किस तरह अपने आपको ये सब नज़ारा देख
कर रोक पाई, में होती तो उसी वक़्त उनके साथ हो जाती." प्रिया ने
कहा.

"हन मेने अपने आप पर काबू रखा कारण में अपने ही बेट एके सामने
शर्मिंदा नही होना चाहती थी, मेने सोच लिया था की चुप रह कर
बाद में अपने कमरे मे मुठिया लूँगी." मेने जवाब दिया.

"हन पर वो इतना भी शांत नही खड़ी थी, मेने इसे हमे देखते
पकड़ लिए था." रवि ने कहा.

फिर मेने अपनी कहानी जारी रखते हुए सबको बताया की किस तरह एक
दिन रवि ने मुझे बहका लिया. फिर मेने बताया की किस तरह पहले
तो रश्मि हमारे साथ शामिल हो गयी और एक दिन मेरी उत्तेजना और
मदहोशी का फ़ायदा उठाते हुए मेरे बेटे राज को भी इसमे शामिल कर
लिया.

मेने बाते की किस तरह की किस तरह उस दिन मेरे बेटे ने मेरी गंद
मारी जब रश्मि मेरी छूट चूस रही थी, और रवि मेरे मुँह को
छोड़ रहा था. फिर मेने उन्हे अपनी दोहरी चुदाई के बारे में बताया
की किस तरह रवि ने मेरी छूट मे लंड डाला था और राज ने मेरी
गंद मे.

"जब एक बार में इन तीनो के साथ चुदाई कर चुकी थी, तो हम सब
बराबर साथ साथ मे चुदाई करने लगे. फिर जब राज ने मुझे अपने
हनिमून पर साथ चलने को कहा तो में मान गयी, आयेज की कहानी
आप सबको मालूम ही है." मईएनए अपनी बात समाप्त करते हुए कहा.

"यार ये हक़ीक़त है या कोई कहानी, मुझसे तो अपना लंड संभाले
नही जेया रहा." राजेश अपने लंड को सहलाते हुए बोला.

"मेरी भी हालत कुछ ऐसी ही है." बॉब्बी भी बोला.

"अगर ऐसी बात है तो में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, चलो होटेल
वापस चलते है." राज ने कहा.

"मान जाओ तुम दोनो," रवि ने कहा, "और ये डॉवा है तुम दोनो
पछताओगे नही."

"हन तुम दोनो मान क्यों नही जाते," प्रिया ने उन्हे उकसाया.

राजेश और बॉब्बी दोनो दुविधा मे थे की माने की ना माने. ये सही था
की दोनो का मर्द के साथ चुदाई करने का पहला अवसर था पर वो दोनो
इतने ज़्यादा गरमा चुके थे की ना नही कर पाए. दोनो होटेल वापस
जाने को तय्यार हो गये.

"में ये नज़ारा अपनी आँखों से देखना चाहती हूँ." प्रिया उछलते
हुए बोली.

हम सब लोग होटेल वापस आगाय. में रवि और रश्मि नीचे लॉन मे
ही बैठ गये और वो सब कमरे की और बढ़ गये. अभी तक कंचन ने
कोई प्रतिक्रिया नही जताई थी पर वो भी प्रिया की पीछे पीसेह हो ली.

करीब एक घंटे के बाद सब लौट कर लॉन मे आ गये. मेने देखा
की राजेश और बॉब्बी के चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी और राज
धीरे धरिए मुकुरा रहा था. प्रिया और कंचन का चेहरा उत्तेजना मे
लाल हो रहा था.

"कहो कैसा रहा?" रवि ने दोनो से पूछा.

राजेश और बॉब्बी के मुँह से कोई बोल नही फूटा पर राज ने
कहा, "माज़ा आ गया, राजेश ने मेरी गांद मारी और मेने बॉब्बी का
लंड चूमा. दोनो ने मुझे वीर्या से भर दिया, अब में ज़रा स्विम्मिंग
पूल मे स्नान करके आता हूँ." कहकर राज स्विम्मिंग पूल की और बढ़
गया.

फिर प्रिया कहना लगी, "टीन मर्दो को साथ साथ चुदाई करते देखने

dil1857
dil1857
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