Mein Aur Meri Bahu

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dil1857
dil1857
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थोड़ी फैला कर उसकी छूट पे उंगली घूमने लगी.

"प्लीस ऐसा मत करो…….मेने आज तक नही किया है." शीला बोल पड़ी.

"आराम से लेती रहो और मज़े लो, ये कोई तुम्हे नुकसान नही देगा."
रश्मि ने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और मुझसे बोली, "रश्मि तुम
शीला की चुचियाँ चूज़ इसके निपल बड़े मज़ेदार है."

मेने खिसक कर शीला के बगल मे आगाय और उसकी चुचियों को
अपने मुँहे मे ले चूसने लगी. में एक हाथ से उसकी चुचि मसल
भी रही थी. शीला को अपनी चूसवने मे बहोट मज़ा आ रहा था और
इस वजह से उसेन अपनी ताने और फैला दी. में जानती थी की शीला
को काफ़ी मज़ा आएगा क्यों की रश्मि छूट चूसने और चाटने मे
माहिर थी.

टीन मर्दों की आपस मे चुदाई और बिस्तर पर हम टीन औरतों की
महॉल को जरमेन के लिए काफ़ी थी. थोड़ी ही देर मे शीला के मुख से
सिसकारिया निकल रही थी.

"ओह हाआआआआआं मुझीईई नहियिइ मालूमम्म था की इसमे
इतना मज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा आअता हाऐी हााआ चूऊसू."

सिसकते हुए शीला की छूट ने किसी ज्वालामुखी के लावे की तरह पानी
छोड़ दिया और उसी वक़्त विनोद भी सिसक रहा था की उसका छूटने वाला
है.

रश्मि और में विनोद की बदन को अकड़ते हुए देख रहे थे जब उसके
लंड मेरे बेटे की गंद मे पानी छोड़ दिया. राज ने अपने पाओं को आकड़ा
कर विनोद के लंड को अपनी गंद मे जाकड़ लिया था और उसके लंड से
हर बूँद को निचोड़ रहा था. थोड़ी देर मे विनोद का लंड मुरझकर
उसकी गंद से बाहर निकल पड़ा और साथ ही उसके वीर्या की धारा बहने
लगी.

रश्मि शीला के बगल मे लेट गयी और उसके होठों को ज़ोर से चूमते
हुए उसके मुँह मे अपनी जीब दल दी, "लो चाखो अपनी छूट के पानी का
स्वाद. हैया अक्चा !"

शीला गहरी साँसे लेते हुए बिस्तर पर लेती थी. उसे विश्वास नही हो
रहा था की एक औरत भी इस तरह से छूट को चूस सकती है. वही
रवि का पानी नही छूटा था. उसने अपना लंड राज के मुँह से निकाला
और शीला के पास आ गया.

रवि ने अपना लंड शीला की छूट मे घुसा दिया. शीला चौंक पड़ी
और दर गयी जब उसे रवि के लंड की लंबाई याद आई. शीला गहरी
साँसे लेते हुए रवि के लंबे लंड को अपने छूट मे ले रही थी. रवि
भी छोटे और हल्के धक्के लगा उसकी छूट को छोड़ रहा था. तभी
रश्मि उठी और शीला के मुँह पर बैठते हुए अपने छूट उसके मुँह
पर रख दी.

"शीला अब वैसे ही मेरी छूट को छातो जैसे मेने तुम्हारी छूट
को छाता था. हन अपनी जीब का इस्टामाल करो और मेरी छूट के दाने
को छातो." रश्मि उसे सीखते हुए बोली.

रवि ने ज़ोर के धक्के लगते हुए शीला की छूट को अपने पानी से
भर दिया. शीला का शरीर भी थिदर उठा जब दूसरी बार उसकी
छूट ने पानी छोड़ा. रश्मि भी अपनी छूट को उसके मुँह पर दबा
रही थी. शीला पूरी तरह से तृप्त और तक चुकी थी.

"इशे अभी थोड़ी ट्रैनिंग की ज़रूरत है." रश्मि शीला के उपर से
हटती हुई बोली. "अभी इसे छूट चूसने की आदत नही है."

"प्रीति यहाँ मेरी छूट के पास आओ और अपनी जीब का जादू दिखाओ?"
रश्मि अपनी टाँगे फैलते हुए बोली.

में रश्मि के उपर आ गयी और 69 आवष्ता मे एक दूसरे की छूट
चूसने लगे. छूट चूस्टे हुए हम एक दूसरी गांद मे उंगली डाल
रहे थे. हमारी हरकत को देख विनोद का लंड एक बार फिर टंकार
खड़ा हो गया था.

तभी मेने राज की आवाज़ सुनी, "विनोद चलो हम इनकी गंद मे अपना
लंड दल देते हैं. तुम किसकी गंद मारना चाहोगे रश्मि की या प्रीति
की.?"

विनोद ने कमजोर आवाज़ मे कहा "रश्मि की"

वो दोनो हमारे बिस्तर के पास आए और मेरे बेटे ने अपना लंड मेरी
गांद मे डाल दिया. व्हाई विनोद ने अपना लंड रश्मि की गोरी और प्यारी
गांद मे घुसा दिया. रश्मि और में एक दूसरे की छूट को चूज़ जेया
रहे थे और विनोद और राज हमारी गांद की धुनाई कर रहे थे. इस
दोहरे मज़े ने हम दोनो को काफ़ी उकसा दिया था और हम दोनो के मुँह एक
दूसरे के पानी से भर गये थे.

पानी छूटने के बाद भी रश्मि मेरी छूट को चूज़ जेया रही थी.
में भी रश्मि की तरह उसकी छूट मे अपनी जीब अंदर बाहर कर
रही थी. मेने महसूस किया की राज के लंड ने मेरी गांद मे पानी
छोड़ दिया है तभी मेने दूसरी बार अपना पानी रश्मि के मुँह पर
छोड़ दिया.

रश्मि का शरीर भी अकड़ने लगा और उसकी छूट ने मेरे मुँह मे पानी
छोड़ दिया और विनोद ज़ोर के ढके लगा शांत हो गया.

"ऐसी चुदाई मेने पहले कभी नही की." शीला रवि के खड़े लंड
को अपने हाथों मे लेते हुए बोली.

"हन मज़ा आगेया" विनोद ने कहा.

"ज़रा सोचो विनोद आज तुमने एक पति और उसकी पत्नी दोनो की गांद एक
ही दिन मारी है. ऐसा मौका कहाँ मिलता." रवि ने कहा.

इसके बाद हम सब सुसताने लगे. हम सबने ड्रिंक्स बनाई और बात
करने लगे. हम साथ ही कुछ खाते भी जेया रहे थे.

फिर तीनो मर्दों ने आपस मे तय किया की में भी टीन लंड का मज़ा
साथ साथ लू. विनोद मेरी गंद मे लंड डालेगा और रवि अपना मूसल
जैसा लंड मेरी छूट मे. और में राज के लंड को चूसोंगी.

हम चारों ने बिस्तर पर पोज़िशन ली और थोड़ी ही देर मे मेरे तीनो
छेड़ लंड से भर गये. रश्मि और शीला बगल में बैठ कर मेरी
सामूहिक चुदाई बड़े गौर से देख रहे थे. लड़कों का पानी एक बार
पहले छूट चुका था इसलिए उनको समय लगा रहा था. तीनो गधों
के तरह मुझे छोड़ रहे थे. इसके पहले की उनके लंड पानी छोड़ते
मेरी छूट ने कितनी बार पानी छोड़ा मुझे याद नही.

सबसे पहले मेरे बेटे ने अपना वीर्या मेरे मुँह मे छोड़ा. बिना किसी
झिझक मे सारा पानी पी गयी बिना एक बूँद भी व्यर्थ किए. में
उसके लंड को तब तक चूस्टी रही जब तक की वो ढीला ना पद गया.

फिर विनोद ने मेरी गांद अपने पानी से भर दी. मेने अपनी गांद मे
उसके लंड को जाकड़ उसकी हर बूँद को निचोड़ने लगी. वो मेरी गांद मे
अपना लंड पेलता रहा. थोड़ी देर मे उसका लंड मुरझा कर मेरी गंद से
बाहर निकल पड़ा. उसका पानी मेरी गांद से बहता हुआ मेरी छूट पे
आगेया जहाँ रवि का लंड मेरी छूट को छोड़ रहा था.

मेरी शरीर मे अजीब सी सनसनी मची हुई थी. मस्ती में ज़ोर ज़ोर से
उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी छूट मे ले रही थी. में इस
कदर उछाल कर छोड़ रही थी जैसे ये मेरी आखरी चुदाई हो. रवि
ने ज़ोर से अपने कूल्हे उछालते हुए अपना लंड मेरी छूट की जड़ तक
पेल दिया और इतने ज़ोर की पिचकारी छोड़ी की उसका पानी सीधे मेरी
बाकछेड़नी से जा टकराया. मेरी छूट ने भी तक कर पानी छोड़ दिया
और मे उसकी छाती पे निढाल हो गयी. रवि ने मुझे बाहों मे भर
लिया और चूमने लगा.

"तुम ठीक तो हो ना?" रवि ने मुझे बाहों मे भरते हुए पूछा.

"हन अभी तो थी हूँ, ऐसी आग मेरे शरीर मे पहले कभी नही
लगी." मेने जवाब दिया.

मेने उसके उपर लेती रही और वो मेरे बदन को सहलाता रहा. मुझे
ऐसा लगा की में उसके उपर इसी तरह हमेशा के लिए लेती रहूं.
में सोच रही थी, "आज जिस तरह से मेरी छूट ने पानी छोड़ा है
ऐसा सैलाब मेरी छूट मे पहले कभी नही आया."

थोड़ी देर बाद हम फिर बैठ कर ड्रिंक ले रहे थे. अब नंगा रहने
मे मुझे शरम नही आ रही थी. यहाँ में अपने बेटे और उसके दोस्त
और एक अंजान आदमी के साथ नंगी बैठी थी.


विनोद हमारी कहानी सुनना चाहता था की हम सब यहाँ तक कैसे
पहुँचे. रवि ने उसे तोड़ा हिस्सा सुनाया. हमारी कहानी सुन्न्ते मेने
देखा की उसका लंड एक बार फिर खड़ा हो गया है. तोड़ा सुसताने के
बाद रवि ने पूछा, "क्या सब एक और रौंद के लिए तय्यार है." मेने
नज़रें घूमकर देख तो रश्मि और शीला वहाँ नही थे.

रवि ने एक बार नीचे लेट गया और में उसके उपर होते हुए उसका लंड
अपनिर छूट मे ले लिया. राज ने अपना लंड मेरी गांद मे डाल दिया और
विनोद ने पीछे से अपना लंड राज की गांद मे. हम चारों जाम कर
चुदाई कर रहे थे. जब तीनो का लंड अपने अपने स्थान पर पानी छोड़
रहा था रश्मि ने कमरे मे आते हुए कहा, "वा क्या सीन है!"

जब हम सब तक कर अलग हुए तो मेने देखा की शीला काफ़ी ताकि
ताकि सी दिख रही है, "तुम दोनो कहाँ चली गयी थी?" मेने
रश्मि से पूछा.

"शीला को छूट चूसने की ट्रैनिंग देने के लिए इसे रीता और
अनीता के पास ले गयी थी." रश्मि ने जवाब दिया.

शीला ने सिर्फ़ विनोद से इतना कहा, "क्या अब हम अपने कमरे मे चले?"

शीला और विनोद बिना कुछ कहे कपड़े पहन अपने रूम मे चले गये.

"ऐसा वहाँ क्या हुआ जो शीला इतनी ताकि और उखड़ी हुई थी." मेने
पूछा.

"तुम्हे विश्वास नही होगा उन दोनो लड़कियों ने शीला की हालत खराब
कर दी. उसके जिस्म मे इतनी आग भर दी की वो पागल हो गयी. उसने
सबकी छूट चूसी छाती और डिल्डो से चुडवाया भी. एक नही दो दो
डिल्डो से साथ सहत चुडवाया. बाकी सब में सुबह नाश्ते के टेबल पर
बटूँगी अब में सोने जेया रही हूँ." ये कहकर रश्मि रवि को पकड़
सोने चली गयी.

में भी राज की बाहों मे सो गयी.


अगले दिन सुबह हम चारों नाश्ते की टेबल पर बैठे अपने तीसरी
छाई और कॉफी का पी रहे थे वहीं रश्मि हमे रात की कहानी
सुनने जेया रही थी जो शीला और उन दो लेज़्बीयन लड़कियों बीच गुज़री
थी.

रश्मि ने कहा की "ऐसा कुछ शीला के साथ के नही हुआ जो मेरे और
प्रीति के साथ उस रात हुआ था. दोनो लड़कियाँ काफ़ी आक्ची थी, पहले
उन्होने शीला की चुचियों को चूसा फिर उसकी छूट को. शीला इसी
दौरान इतनी बार झाड़ चुकी थी उसकी छूट एक चिकनी मलाई की तरह
लग रही थी."

रश्मि ने अपनी कहानी जारी रखी, "मेने कभी सपने मे भी नही
सोचा था की शीला इतनी ज़ोर से सिसकेगी और चिल्लएगी. हम तीनो
लड़कियों ने बरी बरी से उसकी छूट नकली लंड से छोड़ी, हम अपनी
छूट उसके मुँह पर रख अपनी छूट चूस्वते. थोड़ी ही देर में तो
वो छूट चूसने मे इतनी माहिर हो गयी की में क्या बतायूं."

"मुझे विश्वास नही होता की कोई लड़की अपने पहले अनुभव में इतनी
एक्सपर्ट हो सकती है." मेने कहा.

"विश्वास तो मुझे भी नही हुआ था," रश्मि ने अपनी कहानी जारी
रखते हुए कहा, "हम तीनो लड़कियाँ नकली लंड अपने कमर पर बाँध
साथ साथ उसे छोड़ने लगे. सबसे अककह नज़ारा तो उस वक्त था जा
अनिता शीला की छूट मे डिल्डो घुसा हुए थी और रीता कमर पर
डिल्डो बाँध अनीता की गंद मार रही थी. रीता की गंद इतनी सुडौल
और चिकनी थी की में अपने आपको रोक ना पाई और डिल्डो कमर पर
बाँध रीता की गंद मे उस नकली लंड को घुसा उसकी गांद मरने लगी."

रवि तभी बीच मे बोल पड़ा, "सही मे रश्मि जबसे रीता को और उसकी
गांद को देखा है मेरा भी मान उसकी गंद मरने का है. क्या तुम उसे
मेरे लिए सेट कर सकती हो?"

रश्मि रवि की बात सुनकर मुस्कुरई और बोली, "बाद मे देखेंगे." वो
अपनी कहानी जारी रखते हुए बोली, "अनिता शीला को रंडी, छिनाल
और ना जाने क्या क्या कह कर छोड़ रही थी. शीला भी जवाब मे अपने
आपको रंडी चुड़दकड़ कह उसे ज़ोर ज़ोर से छोड़ने को बोल रही थी.
शीला इतनी गरम और उत्तेजित थी की उसे रोक पाना हम तीनो को
मुश्किल लग रहा था."

"हे भगवान! तभी शीला इतनी ताकि और मारी हुई हालत मे थी जब
वो हमारे कमरे मे आई थी." मेने कहा.

"हन उसके बाद उसने तोड़ा आराम किया, फिर में उसे सहारा देखा
हमारे कमरे तक ले आई, उससे चला भी नही जेया रहा था." रश्मि
ने कहा. "कामनरे मे आते वक़्त उसने मुझे बताया की उसे अपने किए पर
बहोट शर्मिंदगी है, मेने उसे समझाया की ऐसा होता रहता है, पर
शायद वो ज़्यादा ही आत्मा गिलानी हो गयी थी इसीलिए वो हमारे कमरे
मे ज़्यादा देर तक नही रुकी."

"ये दोनो लड़कियाँ भी शायद सेक्स से कभी थकती नही, देखो ना
पहले रश्मि और प्रीति फिर रात को रश्मि और शीला." राज ने
कहा.

"रश्मि मेरी बात ध्यान से सुनो, में जनता हूँ तुम रीता को मेरे
लिए सेट कर सकती हो? उसने फेले ही नकली लंड अपनी गंद मे लिया
हुआ है, उसे समझाओ की नकली लंड से छुड़वाने मे और एक असली
मजबूत लंड से छुड़वाने मे कितना फ़र्क है. जब असली लंड उकी गंद
और छूट को अपने पानी से भरेगा तो उसे कितना मज़ा आएगा." रवि ने
रश्मि को समझते हुए कहा.

"ठीक है ठीक है, में कोशिश करूँगी. अगर में उसे सेट करने मे
कामयाब होगआई तो तुम्हे मुझे एक अक्चा सा तोहफा देना होगा." रश्मि ने
रवि से कहा.

हम चारों ने अपना नाश्ता ख़त्म किया और अपने कमरे मे वापस आ
गये. हुँने अपने कपड़े बदली किए और घूमने निकल गये. पूरे दिन
हम सैर करते रहे बाज़ारों की खाक छानते रहे. हमने कुछ शॉपिंग
भी की. शाम होते होते हम काफ़ी तक गये थे. वापस होटेल पहुँच
हम होटेल के लॉन मे कुर्सी पर बैठ गये और छाई का ऑर्डर दे दिया.

मेने देखा की रवि कुछ सोच मे डूबा हुआ था, "क्या बात है रवि,
क्या सोच रहे हो?"

"पता नही प्रीति क्यों में रीता और उसकी गांद को अपने दिमाग़ से
निकल ही नही पा राहु हूँ." रवि ने जवाब दिया.

"ऑश तो इतने उत्तावले हो रहे हो रीता की गंद मरने के लिए.
निसचिंत रहो रश्मि कोई ना कोई जुगाड़ कर ही लेगी." मेने कहा.

हम लॉन मे बैठे चारों नास्था कर रहे थे की वो दोनो लड़किया
रीता और अनिता भी हमारे पास आकर बैठ गयी. रीता ने हमे बताया
की विनोद और शीला होटेल छोड़ कर जेया चुके है. शायद शीला को
अपनी रात की हरकत पर कुछ ज़्यादा ही शर्मिंदगी हो गयी थी.

हम सब मिलकर हँसी मज़ाक कर रहे थे. रीता ने रवि से
पूछा, "रवि पहले ये बताओ की तुम्हारी और राज की दोस्ती कैसे हुई
और तुम्हे ये गंद मरने का शौक कब से हुआ?"

रवि अपनी कहानी सुनने लगा, हम सबने एक घेरा सा बना लिया और
उसकी कहानी सुनने लगे.

रवि ने कहना शुरू किया, "राज और में कॉलेज के दीनो मे हॉस्टिल मे
रूम पार्ट्नर थे. कॉलेज जाय्न करने के पहले में कई लड़कियों की
छूट और गंद मार चक्का था. जब हमारी दोस्ती गहरी हो गयी तो
हम दोनो मिलकर लड़कियों की चुदाई करने लगे."

राज ने बीच मे कहा, "हन एक लीडकी थी माला जिसे हमने कई महीनो
तक साथ साथ छोड़ा था. उसे दो लंड से चुदाई करने मे बहोट मज़ा
आता था. लेकिन छूट छुड़वाने से ज़्यादा मज़ा उसे गंद मरवाने मे
आता था और सबसे बड़ी बात तो ये थी की उसे अलग अलग आसनो मे
चुदाई का शौक था. माला ने ही मुझे गंद मरवाना और मारना सिखाया
था.'

रवि और राज की बातें सुनकर हम तीनो के शरीर मे गर्मी आने लगी
थी. "ज़रा विस्तार से बताओ ये सब कैसे हुआ?" रीता ने पूछा.

राज आयेज बताने लगा, "एक रात की बात है, में माला को हमारे
हॉस्टिल के रूम मे छोड़ रहा था. रवि कहीं बाहर गया हुआ था. उस
रत माला अपने साथ एक डिल्डो भी लेकर आई थी. वो उस डिल्डो को अपनी
छूट मे घुसा हुए थी और मेने अपना लंड उसकी गंद मे दल रखा
था. थोड़ी देर बाद वो मेरे लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.
वो मेरे दोनो कुल्हों को पकड़ मेरा लंड चूस रही थी तभी उसने
अपनी उंगली मेरी गांद मे दल दी. फिर उसने मेरा लंड चूस्टे हुए वो
डिल्डो मेरी गंद मे घुसा दिया. पहले तो मुझे बहोट दर्द हुआ पर वो
इतने जोरों से मेरा लंड चूस रही थी की मुझे गंद मे लंड लेने मे
मज़ा आने लगा."

आयेज की कहानी रवि सुनने लगा, "उसी समय में बाहर से कमरे मे
आया तो देखा की राज घुटनो के बाल झुका हुआ है और माला डाइडो को
अपने कमर से लगाए रवि की गंद मार रही थी. जब माला ने मेरी
तरफ देखा तो उसने आँख मार कर मुझे राज की गंद की और इशारा
किया. राज की चिकनी गंद देखकर मेरा भी दिल आगेया."

"अगर में अपने दिल की बात कहूँ तो में रवि के मोटे लंड को पहले
से पसंद करता था. लेकिन मेने कभी ये नही सोचा था की इसका
लंड मे अपनी गंद मे लूँगा." राज ने आयेज कहा, "फिर माला ने रवि को
मेरी गंद मे लंड घुसने के लिए कहा."

रवि बताने लगा, "माला ने पहले तो वो डिल्डो राज की गंद से निकाला
और फिर मुझे एक क्रीम की शीशी दी जिसे मेने वो क्रीम अपने लंड
और राज की गंद पर माल दी. फ्िए मेने अपना लंड राज की गंद मे
घुसाया तो वो बड़ी आसानी से अंदर तक घुस गया. मुझे पहली बार
किसी लड़के की गंद मरने मे मज़ा आ रहा था. मेंग इसके चुतताड
मसल मसल कर उसकी गंद मरने लग गया."

राज ने उत्तेजित स्वर मे कहा, "मुझे विश्वास नही हो रहा था की रवि
की मूसल लंड को मेरी गंद इतनी आसानी से निगल लेगी. मुझे भी मज़ा
आने लगा और में रवि को ज़ोर ज़ोर से अपनी गंद मरने के लिए कहने
लगा."

राज ने आयेज बताया, "उसी समय माला मेरी टॅंगो के बीच आ गयी और
मेरे लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी. अब मुझे भी दोहरा मज़ा
आ रहा था. एक तरफ माला मेरा लंड चूस रही थी और दूसरी तरफ
रवि मेरी गंद मार रहा था."

"मुझे मालूम था की में अपने आपको ज़्यादा देर तक नही रोक पौँगा.
माला रावज का लंड चूस्टी तो मेरे गोटून को भी अपने मुँह मे भर
चुलबल देती जिससे मेरे लंड और टन जाता. फिर मेने अपना वीर्या राज
की गंद मे छोड़ दिया." रवि ने बताया.

"में तुम लोगों को बता नही सकता की कितना पानी रवि के लंड मेरी
गंद मे छोड़ा था. मुझे ऐसा लगा की मेरी गंद उसके वीर्या से भर
गयी है, और पानी बहता हुआ मेरी टॅंगो से होते हुए माला के मुँह पर
छूने लगा. माला ने वो सारा वीर्या छत लिया और फिर मेरे लंड को
जोरों से चूसने लगी तभी मेने भी अपना पानी उसके मुँह मे छोड़
दिया." राज ने कहा.

रवि आयेज कहने लगा, "फिर मेने अपना लंड राज की गंद से निकल
लिया और तभी माला ने उसे अपने मुँह मे ले लिया. में ज़मीन पर
बैठ गया और माला मेरी टॅंगो के बीच आ मेरे लंड को जोरों से
चूसने लगी. मुझे लगा की में एक बार फिर अपना पानी उसके मुँह मे
छोड़ दूँगा."

"पर शायद उस रात माला के दिमाग़ मे कुछ और था, उसने मुझे अपने
पास बुलाया और कहा की में भी लंड चूस्कर देखु. पता नही मुझे
क्या हुआ मेने रवि के लंड को अपने मुँह मे ले जोरो से चूसने लगा.
उसी वक्त माला ने फिर डिल्डो अपनी कमर पर बाँध मेरी गंद मे नकली
लंड घुसा दिया. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की में जोरो से उसके
लंड को चूसने लगा और रवि ने अपना वीर्या मेरे मुँह मे छोड़ दिया."
राज ने बताया.

मेने देखा की कहानी सुनते हुए दोनो लड़कों के लंड सख़्त हो गये
थे और तीनो लड़कियाँ भी अपनी छूट कपड़ों के उप्पर से रग़ाद रही
थी. अगर हम होटेल के लॉन मे ना बैठे होते तो शर्तिया चुदाई
यही पर शुरू हो गयी होती.

राज ने अपनी कहानी समाप्त करते हुए कहा, "उसके बाद तो सिलसला
हमेशा चलने लगा. जब भी मौका मिलता हम एक दूसरे की गंद मार
लेते. माला थी ही हमसे छुड़वाने लिए. एक साल बाद मेरी मुकलकट
रश्मि से हुई. पहले दोस्ती हुई और फिर प्यार. फिर मेने उसे अपनी
और रवि के दोस्ती के बारे मे बताया, पर ये कहानी फिर कभी."

"हन मुझे भी लगता है की में अब और नही सुन पौँगी, पहली ही
मेरी छूट इतनी गीली हो गयी है, क्या कोई मेरी छूट चूसना
चाहेगा?" रीता हंसते हुए बोली.

"में अभी और इसी वक़्त तुम्हारी छूट चूस सकता हूँ अगर तुम दोनो
मे से कोई मुझे अपनी गंद मरने दे तो?" रवि अपने लंड को मसालते
हुए बोला.

अनिता रवि की बात सुनकर चुआंक गयी और रीता की और देखने लगी जो
अपनी गर्दन ना मे हिला रही थी.

तभी रश्मि अपनी जगह से उठी और रीता के कान मे कुछ कहने लगी.
रीता ने अपनी गर्दन हिलनी बंद कर दी और ध्यान से रश्मि की बातें
सुनने लगी. तभी रीता ने अपनी गर्दन हिला हन की तो रश्मि
मुस्कुरई और रीता के होठों को चूम लिया.

रीता ने शरमाते हुए कहा, "ठीक है में तय्यार हूँ," ये कहकर
उसने अनिता चौंका दिया था, उसने आगा कहा, "ऐसा भी नही है की
मेरी गंद खूनवारी है, में पहले ही कई बार नकली लंड से गंद
मरवा चुकी हूँ तो आज असली लंड से सही."

अनिता ने फिर कहा, "ठीक है वैसे भी आज की रात हमारी होटेल मे
आखरी रात है. आज होटेल की सालगिरह की पार्टी है जिससमे सभी को
बुलाया गया है. हम सब उस पार्टी के बाद हमारे कमरे मे मिलेंगे और
आज की रात को एक यादगार रत बना देंगे."

सबने अपनी गर्दन सहमति मे हिलाई और में मान ही मान सोचने
लगी "लगता है आज की रात फिर चुदाई का भयंकर दौर चलने
वाला है," मेने ये भी सोच लिया था की रीता से उसका अड्रेस और
फोन नो ले लूँगी जसिसे भविष्या मे काम आए.

फिर बिना कोई शरम किए रवि ने रीता की छूट वहीं सबके सामने
चूसी और अपना वादा निभाया.

रात को हम सब साज धज कर होटेल के बॅंक्वेट हॉल मे जमा हुए.
पार्टी का इंतेज़ाम काफ़ी अक्चा किया हुआ था. होटेल मे ठहरे सभी को
इन्वाइट किया हुआ था. वहाँ हमारी मुलाकात दो अन्या जोड़ों से हुई जो
देल्ही से आए हुए थे. दोनो जोड़े एक साप्ताह के लिए घूमने आए थे.

प्रिया एक गोरी सनडर औरत थी जिसे देखकर मुझे हिन्दी फ़िल्मो की
हेरोयिन नीतू सिंग की याद आ गयी. उसकी चुचियाँ भी नीतू सिंग
की तरह काफ़ी बड़ी और भर भारी थी और उसके चुतताड भी काफ़ी बड़े
और सुडौल थे. उसका पति राजेश ऋषि केपर जितना सनडर तो नही
फिर भी सनडर था. उसका शरीर एक खिलाड़ी की भाँति काफ़ी कसरती
और गतिला था.

दूसरा जोड़ा उनसे तोड़ा विपरीत था, कंचन जहाँ कद मे थोड़ी नाती
थी उसकी चुचियाँ भी प्रिया जितनी बड़ी नही थी. पर दिखने मे वो
काफ़ी सनडर थी और उसका पति बॉब्बी भी सनडर और हॅंडसम था.

रवि के नज़रें प्रिया की गंद से हटाए नही हट रही थी. वो अपनी
नज़रें बचाने की भी कोशिश नही कर रहा था और जब प्रिया ने
रवि को अपनी गंद की और घूरते देखा तो शर्मा गयी.

रश्मि ने प्रिया को बताया की रवि को गंद मरने का इतना शौक है की
संसार की हर औरत की गंद उसे आकर्षित कर देती है. रश्मि की बात
सुनकर प्रिया ने उसे पूछा की क्या वास्तव मे उसकी गंद इतनी सनडर और
प्यारी है तो रश्मि ने उसके चुतताड सहलकर जवाब दिया हन है.
में मान ही मान दोनो को देख हंस रही थी.

थोड़ी ही देर मे दोनो जोड़े हमसे घुलमिल गये थे. उन्होने हमसे पूछा
की हुआँ कुछ वक़्त उनके साथ बिता सकते है तो मेने बताया की आज की
रात तो हमारी कुछ दोस्तों के साथ पार्टी है, हम कल उनसे दोपहर
के कहने पर लॉन मे मिलेंगे. हम सब उनसे विदा ले अपने कमरे की और
बढ़ गये.

रात की पार्टी


होटेल की पार्टी के बाद हम चारों अपने कमरे मे आ गये और कपड़े
बदलने लगे. हम चारों ने शॉर्ट्स और त-शर्ट पहन ली. फिर हम
अनिता और रीता के रूम की और बढ़ गये. हम कमरे में पहुँचे तो
देखा की दोनो लड़कियाँ पहले ही से नंगी थी और हमारा इंतेज़ार कर
रही थी.

उन्हे नंगा देखा रश्मि अपनी हँसी नही रोक पाई, "शायद तुम लोग
समय बर्बाद नही करना चाहती हो?"

"हन आज की रात हमारी यहाँ पर आखरी रात है और हम एक एक पल
का मज़ा लेना चाहते है." अनिता ने जवाब दिया.

हम चारों ने अपने कपड़े उत्तरे और ढंग से समेत कर उसे एक टेबल
पर रख दिए. हम सब अनिता के अगले कदम का इंतेज़ार करने लगे,
हमे पता था की उसे निर्देश देना अछा लगता था और आज की रत कोई
अलग नही थी.

"आज की रात मे ऐसी यादगार बनाना चाहूँगी की हम सब याद
रखेंगे. रवि और राज तुम दोनो घुटने के बाल हो जाओ पहले में और
रीता तुम दोनो की गंद मारना चाहेंगे. प्रीति और रश्मि तुम दोनो इस
अवस्था मे इनके नीचे लेट जाओ जिससे तुम इनका लंड चूस सको और ये
दोनो तुम्हारी छूट चूस सके." अनिता ने निर्देश दिया.

अनिता ने फिर थोड़ी क्रीम राज की गंद पर लगाकर डिल्डो उसकी गंद मे
घुसा दिया और रीता ने ठीक वैसा ही कर राज की गंद मे नकली लंड
पेल दिया.

रश्मि राज की टॅंगो के बीच आकर लेट गयी और उसका लंड चूसने
लगी और राज ने अपना मुँह रश्मि की छूट पर रख दिया. मेने भी
वैसा ही किया.

राज और रवि को इस दोहरी चुदाई मे काफ़ी माज़ा आ रहा था, जब भी
पीछे उसे उनकी गंद मे धक्का पड़ता तो उनका लंड मेरे और रश्मि के
मुँह मे गले तक चला जाता और वो ज़ोर ज़ोर से हमारी छूट को
चूसने लगते. हमे भी दोहरा मज़ा मिल रहा था. थोड़ी ही देर मे
दोनो ने हमारे मुँह मे अपना अपना वीर्या छोड़ दिया.

अनिता और रीता को भी मज़ा आता जेया रहा था. जब भी नकली लंड राज
और रवि की गंद मे घुसता तो उस नकली लंड का आखरी हिस्सा उनकी
छूट से टकराता जिससे उनकी छूट और खुज़ला जाती. दोनो उछाल उछाल
कर लड़कों की गंद मार रहे थे. थोड़ी ही देर मे उनकी छूट ने भी
पानी छोड़ दिया.

दोनो लड़कों के पीछे से हट ज़मीन पर सुसताने लगी. वहीं रवि और
राज हमारी छूट को जोरों से चूज़ जेया रहे थे. हमारी छूट भी

dil1857
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