Mein Aur Meri Bahu

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

का मेरा पहला अवसर था. ऐसी चुदाई मेने कभी नही देखी, तब से
मेरी छूट मे अंगार लगी हुई है."

"मेरी भी ऐसी ही हालात हो रही है," कंचन भी बोली, "सही मे इन
तीनो देख मे इतनी उत्तेजित हो गयी हूँ. राज एक दम लड़की जैसा लगता
है जब उसका लंड नही दिखता."

"तुम्हारा क्या हाल है प्रीति, लगता है कीट उम सिर्फ़ सोच कर ही गीली
हो गयी हो." रवि ने कहा.

"हन मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही है, कमरे मे पहुँच कंचन को
कहूँगी के मेरी छूट की आग ठंडा कर दे." मेने जवाब दिया.

"हाआँ ये तुम्हारे लिए अछा रहेगा." रवि हंसते हुए बोला.

"तो दोस्तों ऐसा लगता है की तुम दोनो की सामूहिक चुदाई की झिझक
अब दूर हो गयी है." रवि ने राजेश और बॉब्बी से पूछा.

राजेश ने जवाब दिया, "तुम्हारा कहना सही है रवि. राज काफ़ी
अनुभवी है इस मामले में. उसे लंड चूसना कितनी अची तरह से
आता है, और जब में उसकी गंद मार रहा था मुझे ऐसा लगा की
में किसी लड़की की गंद मे लंड घुआसाई हुए हूँ, वो ठीक एक औरत की
तरह मेरे लंड को अपनी गंद की मांसपेशियों मे जाकड़ मेरे लंड को
पूरा निचोड़ लिया."

इन सब बातों ने मुझे काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. मेने कंचन की
तरफ देखा और कहा, "कंचन चलो कमरे मे चलते है."

शायद कंचन का ध्या कही और था, वो मेरी बात सुनकर चौंक
पड़ी. वो खड़ी हो गयी और एक बार अपने पति की और देखा जैसे की
उसकी अगया लेना चाहती हो, "ठीक है चलो." कहकर वो मेरे साथ हो
ली.

कमरे मे पहुँचते ही हम दोनो ने अपने कपड़े उत्तरे और नंगे होकर
बिस्तर पर लेट गये.

"तुम पहले छूट चूसवाना छोहॉगी या तुम मेरी छूट पहले चूसना
चाहोगी?" मेने उससे पूछा.

"नही मे पहले तुम्हार छूट चूसूंगई, में तुम्हारे जितनी गरम नही
हूँ अभी, शाया तुम्हारी चूओत चूस कर हो जौन." कंचन ने जवाब
दिया.

में पीठ के बाल होकर अपनी टाँगे फैला दी. कंचन मेरी टॅंगो के
बीच आ गयी और मेरी छूट पर हाथ फिरने लगी. में अपनी उत्तेजना
को बड़ी मुश्किल से रोक पा रही थी, मेने महसूस किया की कंचन
मेरी छूट को छेड़ मुझे चिढ़ा रही है. मेने कंचन को खींच
कर अपने छूट पर उसके मुँह को रखना चाहा पर जैसे कंचन को
मेरी उत्तेजना की कोई परवाह नही थी, वो अपने हिसाब से मेरी छूट से
खेलती रही.

मेने ज़ोर लगाकर अपनी छूट उसके मुँह पर रख दी. में चाहती थी
की ये मासूम सी दिखने वाली लड़की मेरी छूट की गहराइयों को अपनी
जीब से नापे. मेरी छूट को अची तरह से छाते और मेरे पानी को
पी जाए.

कंचन भी अब अपनी उत्सुकता नही रोक पाई और अपनी जीब से मेरी
छूट के चारों और चाटने लगी. फिर उसने मेरे कुल्हों को पकड़ कर
तोड़ा फैला दिया और अपनी जीब को मेरी गंद के छेड़ पर घूमने
लगी. वहाँ से चाटते हुए जब वो मेरी छूट तक आकर उसे चट्टी तो
एक अजीब सी सिरहन और उत्तेजना मेरे शरीर मे दौड़ जाती.

"ऑश कनककचन हाआँ ऐसे ही छातो बहोट माअज़ा एयेए रहा है."
में उसे उत्तसाहित करते हुए सिसकने लगी.

कंचन अपनी प्यारी जीब से मेरी छूट को छाते जा रही थी. में
भी उत्तेजना अपने कूल्हे उठा अपनी छूट को उसके मुँह पर दबा दी.
अचानक कंचन ने अपनी एक उंगली मेरी छूट मे दल अंदर बाहर करने
लगी.

"ऑश हाां एक उंगली और दल दो बहोट अककचा लग रहा है." में
सिसक रही थी.

कंचन ने अब अपनी उंगली मेरी छूट के रस से गीली कर उसे मेरी गंद
मे दल अंदर बाहर कर रही थी. मुझे इतना मज़ा आ रहा थी की क्या
बतौन. मेरा झड़ने का समय नज़दीक आता जेया रहा था. मेने ज़ोर से
अपने कूल्हे उठाए और उसके सिर को पकड़ अपनी छूट पर जोरों से दबा
दिया.

"ओह आआआआज काआअंचाां मेरााा चूऊता." कहकर मेरी
छूट ने पानी छोड़ दिया.

कंचन मेरी छूट को पूरी तरह अपने मुँह में भर मेरे रस को
पीने लगी. वो तब तक मेरी छूट को चूस्टी रही जब तक की एक
बूँद पानी उसमे बचा था.

थोड़ी देर हम यूँही लेते रहे, फिर धीरे से कंचन ने अपनी उंगली
मेरी गंद से निकली और अपना सिर मेरी जांघों पर रख दिया. वो बड़े
प्यार से मेरी छूट को सहला रही थी. आज हमारे नई रिश्ते की
शुरुआत थी और अब मुझे उसकी छूट चाहिए थी.

"तुम बहोट जल्दी सब कुछ सिख गयी कंचन." मेने उसके सिर पर
हाथ फिरते हुए कहा.

"हन रश्मि एक अची टीचर है." कंचन ने कहा.

"हन वो तो है, मुझे भी उसने ही सिखाया है." मेने कहा.

"प्रीतू जब तुम उत्तेजित होती हो तो तुम्हारी छूट कितनी फूल जाती
है, और जब तुम्हारी छूट पानी छोड़ती है तो एक दम पिशब की धार
की तरह छोड़ती है, एक बार तो में चौंक ही पड़ी थी जब एक तेज
धार मेरे मुँह मे छूटी थी." कंचन ने कहा.

"हन रवि भी यही कहता है, वो कहता है की मेरी छूट नही बल्कि
पानी की नाल है, लाओ अब में देखती हूँ की तुम्हारी छूट क्या कहती
है." हंसते हुए मेने उसे अपनी बाहों माइयन भर लिया.

अब कंचन बिस्तर पर लेट गयी और में उसकी टॅंगो के बीच आ गयी.
मेने कंचन की टाँगे और फैला दी और उसकी गुलाबी प्यारी छूट को
देखने लगी. मेने उसकी छूट को फैलाया तो अंदर का गुलाबी हिस्सा
रस से चिकना हो चमक रहा था.

जब इस प्यारी चीज़ को देख में अपने आपको नही रोक पा रही थी तो
रश्मि कैसे रुकी होगी. मीने तुरंत अपना हाथ उसकी छूट पर
फिरते हुए उसकी छूट को अपने मुँह मे ले लिया. में उसकी छूट के
दाने के साथ खेलने लगी.

में जोरों से उसकी छूट को चूज़ जेया रही थी और वो उत्तेजना मे
अपने कूल्हे उछाल मेरे मुँह पर मार रही थी. में अपनी जीब को
अंदर बाहर कर उसे छोड़ रही थी.

"ओह प्रीईटी चूवसो और चूऊवसो ज़ोर से हाआअँ ज़ोर से ऑश
अयाया" कंचन सिसक रही थी.

मेने अपने दोनो हाथों से उसके कूल्हे पकड़ लिए और अपने मुँह पर
दबाता हुए उसकी छूट पूरे वेग से चूसने लगी. उसकी टाँगे अकड़ने
लगी और में समझ गयी की उसका भी छूटने वाला है.

"ओह आआआः प्रीईईईटी चबा डालो मेरी चूओत को ओह
हाां मेरा चूऊता." कहकर उसकी छूट ने पानी छोड़ दिया. उसकी
छूट ने वैसी धार तो नही छोड़ी जैसा मेने सोचा था फिर भी
मुझे आआया और मेने भी उसका सारा पानी पी लिया.

कंचन ने मुझे कंधों से पकड़ अपने उपर कर लिया और मेरे मुँह
मे अपनी जीब दल दी. वो अपने रस का स्वाद मेरे मुँह मे अपनी जीब गोल
गोल घुमा कर लेने लगी.

हम अपने कपड़े पहन वापा हमारे दोस्तों के पास लॉन मे आ गये.
सभी मिकलर शाम का और रात का प्रोग्राम बनाना लगे. सब के बीच
ये तय हुआ की तोड़ी देर अपने अपने कमरे में सुसताने के बाद हम सब
यही नीचे रेस्टोरेंट मे खाने के लिए मिलेंगे फिर रात का
कार्यक्रम तय करेंगे. हम सब अपने अपने कमरे मे सुसताने के लिए
चले गये.


खाना मस्ती और चुदाई


जैसे तय हुआ था हम सब रेस्टोरेंट में खाने के लिए इकट्ठा हुए.
आज होटेल मे एक संगीत का आयोजन किया हुआ. बाहर से ऑर्केस्ट्रा
बुलाया गया था. खाना हर बार की तरह स्वादिष्ट और लाजवाब था.

खाने के बाद हम सब अपने हाथ मे ड्रिंक्स ले गाने का मज़ा लेने
लगे. कुछ गानो पर हम सबने जोड़े बना डॅन्स भी किया. डॅन्स मे
मेरे साथ राजेश था. डॅन्स करते करते उसने मुझे अपने से ज़ोर से
चिपका लिया जिससे मेरी छातियाँ उसकी छाती से चिपक से गयी थी.

फिर राजेश ने अपने दोनो हाथों से मेरे कुल्हों का पकड़ा और अपनी और
खिंक लिया जिससे उसके लंड का दबाव मुझे ठीक अपनी छूट पर हो
रहा था.

"प्रीति में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ." राजेश मेरे कान मे
धीरे धीरे से बोला.

"माना कौन करता है," कहकर मेने उसके लंड को पंत के उपर से
पकड़ भिच दिया.

जब ऑर्केस्ट्रा ख़त्म हुआ तो हम सब हमरे कमरे की और चल दिए.

जैसे ही हम सब हमारे कमरे मे पहुँचे सबने अपने कपड़े उत्तरने
शुरू कर दिए. थोड़ी देर मे आठ लोग मदरजात नंगे होकर एक दूसरे
के शरीर से खेल रहे थे.

अचानक रश्मि को क्या हुआ पाट नही, "प्रीति आज में तुम्हे टीन लंड
से एक साथ चुड़वते देखना चाहती हूँ."

मेने भी आज तक टीन लंड एक साथ अपने शरीर पर नही झेले थे.
टीन लंड की रोमांचता ने मुझे अंदर से हिला दिया. मेने धीरे से
अपनी गर्दन हन मे हिला दी.

"बॉब्बी तुम बिस्तर पर लेट जाओ, प्रीति तुम बॉब्बी पर चढ़ उसका लंड
अपनी छूट मे ले लो. राजेश तुम पीछे से अपना लंड इसकी छूट मे दल
देना. और रवि तुम अपना लंड प्रीति से चूस्वाओगे." रश्मि ने सबको
निर्देश देते हुए कहा.

पता नही रश्मि को सपना आया था या उसने डॅन्स हॉल मे हमारे बात
सुन ली थी. थोड़ी ही देर पहले राजेश ने मुझसे मेरी गंद मरने की
इक्चा जाहिर की थी.

बॉब्बी बिस्तर पर पीठ के बाल लेट गया और में उसपर चढ़ कर अपने
दोनो घुटनो को उसके बगल रख दिए. फिर अपनी छूट को तोड़ा फैला
मेने बॉब्बी के लंड को अपनी छूट से लगाया और उसे पर बतिह्ती
चली गयी. उसका लंड पूरा का पूरा मेरी छूट मे घुस चक्का था.

फिर राजेश मेरे पीछे आ गया और मेरे चुतताड को सहलाने लगा.
उसने तोड़ा से थूक मेरी गंद पर गिराया और मेरी गंद को गीला करने
लगा. फिर सुस्ने अपनी एक उंगली मेरी गंद मे दल गोल गोल घूमने
लगा. जब उसने देखा की गंद पूरी तरह गीली हो गयी है तो अपने
लंड को मेरी गंद के छेड़ पर रख एक ज़ोर धक्का मारा, पूरा लंड एक
ही धक्के मे अंदर घुस गया.

"उईईई माआअ मार गाआआए." में ज़ोर से चीख पड़ी.

मेरी चीख के साथ ही बॉब्बी ने मेरे दोनो मामे पकड़ उन्हे मसालने
लगा और मेरे मुँह मे अपनी जीब दल चुभलने लगा. मुझे थोड़ी सी
रहट मिली. राजेश अब धीरे धीरे धक्के लगते हुए मेरी गंद मार
रहा था.

रवि ने जब धेका की अब में मज़े लेते हुए बॉब्बी के लंड पर उठ
बैठ रही हूँ तो उसने अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया. में उसके
लंड को चूसने लगी.

एक अजीब स्वर्गिक आनंद मुझे मिल रहा था. जब में नीचे बैठती तो
राजेश का लंड बाहर निकल आता और जब उपर उठती तो बॉब्बी का. मेरे
शरीर के तीनो छेड़ को मज़ा आ रहा था. में सोच रही थी की टीन
लंड से छुड़वाने मे इतना माज़ा आता है तो मेने पहले क्यों नही
चुडवाया.

में पूरी तरह उत्तेजित हो उछाल उछाल कर छोड़ रही थी, छुड़वा
रही चूस रही थी. मुझे नही मालूम मेरी छूट ने कितनी बार पानी
छोड़ा.

रवि झड़ने के कगार पर था, उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपना लंड
अंदर तक घुसकर वीर्या की बौछार मेरे गले मे दल दी. में जोरों
से चूस कर उसका सारा वीर्या पी गयी. रवि अपने मुरझाए लंड को
निकल हट गया.

"ओह राअज याहान आआओ और मुझे अपन लंड दो चूसने के लिए." में
चिल्लाई.

राज मेरे पास आया और अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया.

अगली बरी राजेश की थी. वो मेरे कुल्हों पर थप्पड़ मरते हुए मेरी
गंद मार रहा था. उसने जोरों से मेरे कूल्हे पकड़े और अपने लंड को
अंदर तक घुसा अपना पानी छोड़ दिया. मेरी गंद उसके वीर्या से भर
गयी थी. मेने उसके लंड को जकड़े रखा और एक एक बूँद निचोड़ ली.

"रश्मि जल्दी से लॉडा लाओ और मेरी गंद मरो." में बोली.

प्रिया और कंचन अजीब नज़रों से रश्मि को देख रही थी. रश्मि
उठी और अलमारी से डिल्डो निकल अपनी कमर पर बाँधने लगी.

रश्मि मेरे पीछे आई और वो नकली लंड मेरी गंद घुसा धक्के
मरने लगी. प्रिया और कंचन घूरते हुए रश्मि को मेरी गंद मरते
देख रही थी. शायद उन्होने कभी नकली लंड का मज़ा नही लिया
था.

"प्रीति तय्यार हो जाओ मेरा छूटने वाला है." बॉब्बी ने नीचे से
धक्के मरते हुए कहा.

बॉब्बी का शरीर आकड़ा और उसने मेरी कमर पकड़ते हुए अपने कूल्हे
उठाए और मेरी छूट को अपने वीर्या से हर दिया. उसने अनपे धक्को
रफ़्तार तेज करते हुए अपने लंड का सारा पानी मेरी छूट मे छोड़ दिया.
उसके लंड से इतना पानी छूटा की वो मेरी छूट से बह कर उसकी
गोलैईयों तक चला गया.

"हेययय भाआगवान्नन् मेरी चूऊत कितनी भारी हुई लग राआही हाीइ.
ऑश अयाया बॉब्बबू लाओ में तुम्हारा लुंदड़ड़ चूवस कर साआफ कर
दूं." में सिसक रही थी.

बॉब्बी मेरे नीचे से निकल घुटनो के बाल मेरे मुँह के सामने हो गया.
राज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और में बॉब्बी का लंड
मिने मे ले चूसने लगी. जब उसका लंड झड़कर मुरझा गया तो मेने
उसे बाहर निकल दिया.

"रश्मि प्लीज़ किसी से कहो मेरी छूट छोड़े?" मेने चिल्लाते हुए
बोली.

रश्मि नि वो नकली लंड मेरी गंद से निकाला और ड्रॉयर की और बढ़ी
गयी. टीन मर्द झाड़ चुके थे और सिर्फ़ राज मेरा बेटा बचा था जो
फिर से अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया था.

रश्मि ने एक दूसरा नकली लंड निकाला और प्रिया और कंचन से
पूछा, "तुममे से कौन प्रीति की छूट इस नकली से लंड से चौड़ना
चाहेगा?"

प्रिया रश्मि की बात सुनकर उछाल पड़ी और दौड़ कर वो नकली लंड
उससे ले अपनी कमर पर बाँधने लगी. फिर वो मेरे नीचे लेट गयी
और मेने उस नकली लंड को मेरी छूट से लगाया और उसे अंदर घुसा
लिया. अब में उछाल उछाल कर छोड़ रही थी.

रश्मि, प्रिया और राज तीनो मिलकर मुझे छोड़ रहे थे. टीन टीन
लंड थे पर दो नकली थे.

राज अपने आपको ज़्यादा देर नही रोक पाया और मेरे मुँह मे अपना वीर्या
छोड़ दिया. में जोरोसे चूस्टे हुए उके लंड को पूरी तरह निचोड़
लिया. राज अपना लंड बाहर निकल बाकी तीनो मर्दों के पास खड़ा हो
मेरी चुदाई देखने लगा.

"कंचन यहाँ आओ और अपनी छूट मुझे दो?" में बोली.

कंचन शरमाते हुई मेरे पास आई और अपनी छूट मुझे चूसने के
लिए दे दी. दो औरतें मुझे छोड़ रही थी और एक की मीं छूट
चूस रही थी. ऐसा अनुभव मेने अपनी जिंदगी में कभी नही
लिया. आज की रात मेरे लिए एक यादगार रत बन गयी थी.

मेरी छूट ने कितनी बार पानी छोड़ा ये मुझे भी याद नही. में
आयेज पीछे, उपर नीचे सब तरह से लंड का मज़ा ले रही थी. में
तक कर चूर हो चुकी थी, आख़िर में तक कर कंचन के बदन
पर गिर पड़ी. मुझे अब और ताक़त नही बची थी, इस तरह की चुदाई
मेने फेली बार कीट ही.

जब हम सब सुस्ता रहे थे तब रश्मि ने प्रिया को डबल डिल्डो
दिखाया, उसे बताया की किस तरह होटेल मे ठहरी दो लेज़्बीयन लड़कियों
ने उनको इस डिल्डो से छोड़ा था.

"तुम्हे पता है यहाँ आने से पहले हुँने कभी सपने में भी नही
सोचा था की हम किसी औरत के साथ कुधाई का मज़ा लेंगे, वो भी एक
नही टीन टीन के साथ." प्रिया ने रश्मि से कहा.

"हन में भी बहोट खुश है की हम औरतों के साथ सेक्स करने मे
खुल गये. कितना उत्तेजञात्मक होता है जब एक सनडर लड़की मेरी छूट
रही हो और बाद मे में उसकी छूट चूसों. मेने अपनी जिंदगी मे
कभी डिल्डो इस्टामाल नही किया था, पर आज इस्टामाल करके मुझे मज़ा
आगेया." कंचन ने कहा.

"हन सही मे काफ़ी उत्तेजञात्मक नज़ारा था जब तुम तीनो औरतें
आपस में चुदाई कर रहे थे. और में राज का शुक्रिया अदा करूँगा
की उसने हमे ये सब सिखाया. और सबसे बड़ी बात तो मुझे उसकी गंद
मरने मे माज़ा आया." राजेश ने हंसते हुए कहा.

"आप सब जो करना चाहते वो आपने किया, पर मुझे तो प्रिया आरू
कंचन की गंद मरने को नही मिली ना, पर फिर भी आप लोगों के
साथ समय अक्चा गुज़ारा." रवि ने कहा.

"पता नही क्यों, पर जब मेरी गंद की चाँदी खींचती है तो मुझे
अक्चा नही लगता, मुझे तो अपनी गंद मे कोई उंगली डाले तो भी बुरा
लगता है." प्रिया ने कहा.

"जब कमरे मे प्रीति मेरी छूट चूस रही थी तो मुझे उसकी उंगली
अपने गान मे बहोट अची लग रही थी, पर रवि का जितना मोटा और
लंबा लंड अपनी गंद मे, ना बाबा ना, में तो मार ही जौंगी." कंचन
तोड़ा शरारती स्वर मे बोली.

"देखो में तुम्हारी बात से सहमत हूँ, पर किसी भी चीज़ को उसका
आदि होने मे तोड़ा वक़्त लगता है. अगर तुम थोड़ी हिम्मत और तोड़ा
समय दो तुम रवि का लंड भी बड़ी आसानी से अपनी गंद मे लेने
लगोगी." रामी ने कंचा से कहा.

तभी रवि बीच मे बोला, "तुम लोगों को मालूम ही है की मुझे गंद
मारना अछा लगता है, फिर भी कोई कुटिया बन मुझसे चुड़वति है
तो मुझे पीछे से उक्की छूट मरने मे ज़्यादा माज़ा आता है, कम से
कम माइयन उसकी गंद से खेल तो सकता हूँ."

थोड़ी देर सुसताने के बाद राजेश और बॉब्बी फिर किसी की गंद मारना
चाहते थे. उन्हे मालूम था की यही आखरी मौका है गंद मरने का
कारण प्रिया और कंचन तो उन्हे गंद मरने देंगी नही भविष्या मे.

बॉब्बी ने मुझसे पूछा, "प्रीति क्या तुम अपनी गंद मे मेरा लंड लेना
चाहोगी?"

और वहीं राजेश की नज़र रश्मि की गंद पर थी. रश्मि वो डबल
डिल्डो निकल्ल लाई और हम दोनो एक दूसरे के सामने इस तरह हो गये
की वो डिल्डो हम दोनो की छूट मे आसानी से घुस जाए.

हम दोनो एक दूसरे को उस नकली लंड से छोड़ रहे थे, और बॉब्बी
रश्मि की और राजेश मेरी गंद मार रहा था.

वहीं दूसरे बिस्तर पर रवि ने प्रिया को घुटनो के बाल कर पीछे से
उसकी छूट छोड़ रहा था. राज कंचन के साथ वही कर रहा था और
चारों लोग हमे देख रहे थे.

रवि प्रिया की छूट छोड़ते छोड़ते उसकी गंद को सहला रहा था. वो
कभी उसे भींच देता कभी झुक कर उसे चूम लेता.

राज ने किसी तरह अपनी उंगली कंचन की गंद मे घुसा दी थी और उसे
अंदर बाहर कर रहा था, साथ ही उसका लंड कंचन की छूट की
धुनाई कर रहा था.

थोड़ी ही देर में सबका पानी छूट गया, किसी मे बात करने की भी
ताक़त नही बची थी. हम सब निढाल होकर जहाँ थे वही पसार गये
और अपनी सांसो पर काबू पा रहे थे.

तोड़ा सुसताने के बाद हम चारों ने प्रिया और उसके साथियों से विदा
ली और आनने कमरे में आ गये. में रवि के साथ बिस्तर में घुस
गयी और राज अपनी नई दुल्हन रश्मि के साथ.

सुबह जब हमारी आँख खुली तो हम सब नहा कर नीचे रेस्टोरेंट मे
नाश्ते के लिए आगाय. ह्यूम प्रिया और उसके साथी कहीं दिखाई नही
दिए. बाद मे हमे पता चला की वो आज वापस जेया रहे हैं.

हमारा भी आज का दिन आखरी दिन था और हम कल सुबह वापस लौटने
वाले थे.

पूरे दिन हम घूमते रहे और शॉपिंग करते रहे. हमारा कोई इरादा
नही था की हम किसी नई जोड़े से दोस्ती बनाईं.

शाम को तक हर कर हम अपने कमरे मे आए और सो गये. दूसरे दिन
सुबह हुँने होटेल का बिल भरा और एरपोर्ट की और चल दिए. चुदाई
के इस दौर मे सब इतने थके हुए थे की पूरे सफ़र में हम सब सोते
रहे.

हन मेरे बेटे के साथ ये हनिमून मुझे हमेशा याद रहेगा.
चुदाई की जिन उँचाइयों को मेने इन दीनो मे छुआ था वो में कभी
कल्पना भी नही कर सकती.
हम चारों घर पहुँच बचों की तरह सो गये. सफ़र से इतना तक
गये थे की किसी मे भी हिम्मत नही थी. दूसरे दिन सब एक के बाद एक
उठे.

सबसे पहले रवि सोकर उठा. जब सबको सोता हुआ देखा तो चुपचाप
किचन मे जाकर सबके के लिए कॉफी बनाने लगा. फिर मेरी आअंख
खुली और में रवि के पास किचन मे जाकर उसके साथ डिन्निंग टेबल
पर बैठ गयी. आख़िर रश्मि और राज भी आ गये और हमारे साथ
कॉफी पीने लगे.

हम सब अपनी छुट्टियों की बात कर रहे थे की तभी फोन की घंटी
बाजी, "इस समय कौन मुझे फोन करेगा." मेने अपनेआ आपसे कहा.

"शायद सीमा होगी." राशिमी ने उमीद से कहा.

"तुम्हारी बात सच हो." राज ने कहा.

"है बबिता कैसी हो तुम?" में अपनी बेहन की आवाज़ सुनकर चौंक
पड़ी. राज ने अपने मुँह पे उंगली रख रवि और रश्मि को चुप रहने
का इशारा किया.

"हन ज़रुरू क्यों नही, तुम और प्रशांत यहाँ रह सकते हो, अरे तुम
चिंता मत करो हमे कोई तकलीफ़ नही होगी," मेने जवाब दिया. "ठीक
है फिर गुरुवार को में तुम लोगों का इंतेज़ार करूँगी, ओक बाइ."
कहकर मेने फोन रख दिया.

रवि, रश्मि और राज मेरी तरफ असचर्या भारी नज़रों से देख रहते
थे. मेने उन्हे बाते की प्रशांत को कुछ बिज़्नेस का काम है, साथ
में बबिता भी आ रही है. वो लोग रविवार तक यहीं हमारे साथ
रहेंगे.

"बबिता मासी हमारी शादी में बहोट ही सेक्सी लग रही थी है ना."
राज ने कहा.

"हन राज में भी उनसे मिलना चाहती हूँ, उस समय तो उनसे मुलाकात
नही हो पाई." रश्मि ने कहा.

"क्या वो भी खुले विषचरों की है और ओपन सेक्स मे विश्वास रखती
है." रवि ने मुझसे पूछा.

"अपनी बकवास बंद करो रवि. बबिता अपने पति प्रशांत से शादी
करके बहोट खुश है, और वो इधर उधर मुँह नही मारती." मेने
तोड़ा गुस्सा करते हुए कहा.

"क्या पता रवि का लंड और उसका छोड़ने का अंदाज़ जानकार वो अपना
इरादा बदल ले." रश्मि तोड़ा मुझे चिढ़ते हुए बोली.

"तुम दोनो बहोट ही बेशरम हो?' मेने कहा.

"इसमे बेशरम वाली क्या बात है, अब तुम अपनी तरफ ही देखो कैसे
हमारे रंग मे रंग गयी." रश्मि ने कहा.

"मेरी बात कुछ अलग है, में किसी से बँधी हुई नही हूँ, मेरा
तलाक़ हो चुका है और में अपनी मर्ज़ी की मालिक खुद हूँ." मेने
उन्हे समझते हुए कहा.

"ठीक है प्रीति इतना गुस्सा क्यों हो रही हो. हम वाडा करते है की
वो जब यहाँ होगे तो हम उनसे तमीज़ से पेश आएँगे." रवि ने कहा.

"इस बात का ख़याल रखना और हन वो जब यहाँ पर हो तो घर मे
नंगा घुऊंना बंद कर देना." मेने कहा.

पूरा दिन हम मस्ती करते रहे. कभी कोई ग़मे खेलते कभी लिविंग
रूम मे बैठ साथ मे सब कोई पिक्चर देखते. रात के खाने के बाद
सब सोने चले गये. आज किटन दीनो के बाद में आकेली अपने बिस्तर मे
सो रही थी. आकेयला सोना बड़ा ही अजीब लग रहा था.

अगले चार दिन में अपनी बेहन के आने की तय्यरी में जुटी रही.
हम चारों ही मस्ती मे थे, और मौके के हिसाब से सब चुदाई करते
थे. में अपनी मौजूदा जिंदगी से बड़ी खुश थी. मुझे टीन प्यारे
बचे मिल गये थे जो मेरा हर प्रकार से ख़याल रखते थे.


बबिता और प्रशांत

गुरुवार की दोपहर को बबिता और प्रशांत आ गये. हुँने एक दूसरे को
गले लगा हल्का सा चुंबन लिया. मेने महसूस किया की प्रशांत ने
कुछ ज़्यादा ज़ोर से ही मुझे अपनी बाहों मे लिया था. और जब अलग हो
रहे थे तो उसके हाथ मेरी पीठ से होते हुए मेरे चुतताड को सहला
गये थे. मेने उस बात को हादसा समझ अपने दिमाग़ से निकल दिया.

रवि, रश्मि और राज ने पहले ही सोच लिया थे की वो गुरुवार को घर
पर नही रहेंगे जिसससे बबिता और प्रशांत के घर मे अड्जस्ट होने
का अची तरह से मौका मिल सके.

प्रशांत को तुरंत अपने बिज़्नेस के काम से बाहर जाना था. बबिता
स्नान कर सफ़र की थकान उत्तरणा चाहती थी. प्रशांत अपने काम पर
चला गया और बबिता नहाने.

बबिता नहाने के बाद एक निघटी पहन बिस्तर पर लेती थी. मेने भी
सिर्फ़ एक गाउन पहना हुआ था.

"तुम राज और उसकी पत्नी के साथ उनके हनिमून पर गयी थी, कैसा
रहा, मज़ा आया की नही." बबिता ने पूछा.

"बबिता हनिमून के बारे में बताने से पहले में तुम्हे राज,
रश्मि और राज के दोस्त रवि के बारे में बताना चाहूँगी." फिर
मेने उसे बताया की किस तरह मेरा रिश्ता रवि से हुआ और फिर किस
तरह में राज और रश्मि के साथ भी खुल गयी.

मेने उसे बड़ी बारीकी से बताया की किस तरह रवि ने मुझे बहकाया
और फिर राज और रश्मि को भी अपने खेल मे शामिल कर लिया. बबिता
मेरी बात सूकर चौंक भी पड़ी और उत्तेजित भी हो गयी.

"हे भगवान प्रीति, मुझे तुमपर विश्वास नही हो रहा. तुम गांद
भी मरवा सकती हो, दूसरी औरतों के साथ भी, और आख़िर में नकली
लंड के साथ. तुम तो पूरी तरह चुड़क्कड़ हो गयी हो." बबिता हंसते
हुए बोली.

"तुम्हारे साथ कैसा चल रहा है बबिता, सीधी साधी चुदाई या तुम
लोग भी कुछ नया प्रयोग करते हो?" मेने उससे पूछा.

बबिता ने मेरी तरह सच बताते हुए कहा, "प्रशांत मेरी गंद मरता
है, एक बार हम लोग दूसरे जोड़े के साथ भी अनुभव कर चुके है. उस
औरत को भी दूसरी औरत के साथ चुदाई करने मे मज़ा आता था."

"क्या तुम्हे दूसरी औरतों के साथ पसंद है?" मेने पूछा.

"पहले तो अछा नही लगता था पर अब लगता है, और जहाँ तक गंद
मे लंड लेने का है तो बहोट दर्द होता है पर प्रशांत को पसंद
है इसलिए करना पड़ता है. अब तो आदत सी हो गयी है. दूसरी औरत
के साथ अच्छा लगा था पर दुबारा कभी मौका नही मिला." बबिता ने
कहा.

"अब मुझे हनिमून के बारे में विस्तार से बताओ, में सब सुनना
चाहती हूँ." बबिता बोली.

में बबिता को हनिमून के बारे मे पूरी तरह बताने लगी. मेने एक
बात भी उससे नही छुपाई. यहाँ तक की किस तरह पहले हमे विनोद
और शीला मिले, फिर वो दो लेज़्बीयन लड़कियाँ अनीता और रीत, फिर वो
दो जोड़े. जब तक मेरी कहानी ख़त्म हुए बबिता उत्तेजित हो चुकी थी

1...56789...11