Mein Aur Meri Bahu

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dil1857
dil1857
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और गहरी साँसे ले रही थी.

मेने धीरे से बबिता को अपने पास खींचा और उसके होठों पर अपने
होत रख दिया, बबिता ने भी मेरा साथ देते हुए मेरे होत चूसने
लगी. मेने उसकी निघटी उत्तर दी और उसने मेरा गाउन खोल दिया.

हम दोनो नंगे थे और एक दूसरे को बाहों माइयन भींच चूम रहे थे.
मेने उसके होठों को चूस्टे हुए नीचे की और चूमना शुरू किया,
पहले उसकी गर्दन को चूमा फिर उसकी चुचियों को चूसने लगी.
उसकी चुचियाँ इतनी मुलायम और चिकनी थी की मेने उसके निपल अपने
दंटो के बीच ले धीरे से काट लिया.

"ओह क्या करती हो प्रीएटी दर्द होता है ना." बबिता सिसक पड़ी.

फिर नीचे की और बढ़ते हुए माइयन उसके पेट को चूमने लगी और उसकी
नाभि मे अपनी जीब फिरने लगी. में और नीचे बढ़ी और अब उसकी
जांघों के आंद्रूणई हिस्सों को चूम रही थी.

मेने उसकी टॅंगो को तोड़ा फैलते हुए अपनी जीब उसकी छूट के मुँह
पर रख दी, "ओह आआआअहह ओह." उसके मुँह से
सिसकारी निकल पड़ी.

में अपनी ज़ुबान उसकी छूट के चारों तरफ फिरा रही थी की बबिता
ने मेरे सिर को पकड़ लिया और उसे अपनी और उठाते हुए पूछा, "दीदी
तुम सही ये करना चाहती हो?"

"हन में तो करना चाहती हूँ, क्या तुम भी करना चाहती हो?" मेने
उसकी छूट पर जीभ फिरते हुए कहा.

बबिता ने मेरे सिर को अपनी छूट पर दबा दिया और बोली, "हाां
मईएईन करणाा चाहती हूओन ऊहह प्रीईएटी मुझे प्याअर कारू."

उसकी छूट उठ रही सुगंध मुझे बहोट अची लग रही थी, में उसकी
छूट का स्वाद भी लेना चाहती थी. मेने अपनी जीब उसकी छूट मे
घुसा और चाटने लगी. उसकी छूट का स्वाद उसकी सुगंध से भी
बेहतर था.

मेने अपने आपको ठीक उसकी टॅंगो के बीच कर लिया और उसकी छूट को
चाटने और चूसने लगी. छूट चूस्टे मेने अपनी दो उंगलियाँ उसकी
छूट के अंदर दल दी और अंदर बाहर करने लगी.

बबिता जोरों से सिसक रही थी, "ओह डीयड्डी चूऊवसो हाआँ
और ज़ूर से ऑश अया आाज तक किसीस ने मेरी चूओत को आईसीई
नही चूवसा."

बबिता उत्तेजना मे अपने कूल्हे उपर को उठा मेरी जीब को और अंदर तक
घुसने की कोशिश करने लगी. उसने नीचे से खुल्‍हे उठाए और उपर
से मेरे सिर को अपनी छूट पर दबा दिया, मुझे लगा की मेरी जीब
उसके बाकछेड़नी को चू रही थी.

बबिता ज़ोर से चीखी, "हाआँ ख़ाा जाओ मेरी चूऊत को ओह
हाां ऑश मेराअ चूऊओटा." कहकर उसकी छूट ने पानी छोड़
दिया.

बबिता की छूट भी मेरी छूट की तरह धार मार कर पानी छोड़ती
थी. में अपनी होठों से उसकी छूट को मुँह में भर लिया और उसका
रस का स्वाद लेने लगी. में एके क बूँद चूस चूस कर पी रही
थी. मुझे ऐसा लग र्हा था की मेरी जन्मों की प्यास बुझ रही थी.

बबिता निढाल होकर लेती थी. में भी लेट कर अपनी उंगलियाँ अपनी
छूट मे दल अब अंदर बाहर कर रही थी. मेरे बदन मे आग लगी हुई
थी और में भी झड़ने को बेताब थी.

बबिता ने जब मुझे मुठियाते देखा तो पूछा, "दीदी क्या में तुम्हारी
छूट को छू सकती हूँ?'

मेने अपनी गर्दन हन मे हिलाई और बबिता अब मेरी टॅंगो के बीच आ
गयी. उसने धीरे से मेरी छूट पर हाथ फिरना शुरू किया.

मेने कई औरतों के साथ समय बिताया था पर ऐसा लग रहा था की
बबिता की उंगलियों मे जादू था. उसके हाथ लगते ही एक अजीब नशा
मेरे शरीर मे छा गया.

बबिता मेरे बदर को चूमते हुए नीचे की और आई और मेरी छूट को
मुँह मे भर चूसने लगी. वो अपनी जीब को मेरी छूट के चारों और
फिरते तो मुझे बड़ा अछा लगता. में भी उसकी पीठ को सहलाते हुए
उसके चुतताड मसल रही थी.

बबिता ने मेरी जांघों को तोड़ा उठा कर अपने कंधे पर रख लिया
जिससे मेरी छूट उपर को उठ गयी. उसने दोनो हाथों से मेरे कूल्हे
पकड़ रखे थे और मेरी छूट मे अपनी ज़ुबान अंदर बाहर कर रही
थी.

में उत्तेजना मे पागल हुए जा रही थी. मेने अपनी टॅंगो को उसकी
गर्दन मे फँसा लिया था और अपनी छूट को उँचा उठा उसके मुँह मे
दबा रही थी.

मुझसे सहन नही हो रहा था, मेरे सारे शरीर मे मानो चईटियाँ
रेंग रहित थी, में चिल्ला रही थी, "ओह हाआअँ चूऊवसूओ
ओह आअहह जूऊर सीई ओह."

बबिता अब और जोरों से मेरी छूट मे अपनी जीब और होठों का कमाल
दिखा र्है थी. मेरा झड़ने का वक़्त आ गया था मेने अपनी छूट को
और दबाते हुए पानी छोड़ दिया, जैसे कोई बाँध टूट गया हो मेरी
छूट पानी पर पानी छोड़ रही थी.

वो अपने होठों से मेरा सारा पानी पी गयी फिर ज़ुबान चारों और
फिरा मेरे रस को चाट रही थी.

में नीह्दल हो अपनी सांसो पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी.
बबिता मेरे बगल मे लेटते हुए बोली, "प्रीति मुझे नही पता था की
तुम इतनी गरम औरत हो?"

"हन और मुझे भी नही पता थी की इतनी आक्ची तरह से छूट
चूस्टी और चाट्ती हो?' मेने उसके होठों को चूमते हुए कहा.

"मुझे औरतों के साथ सेक्स करने में माज़ा आता है, क्या तुम्हारे
पास कोई खिलोने है माज़े के लिए?" बबिता ने पूछा.

"हन दो है जो शायद तुम्हे पसंद आएँगे, वही जो उन लेज़्बीयन
लड़कियों ने मुझे मनाली मे दिए थे." मेने उसे याद दिलाते हुए
कहा.

"तब तो मज़्ज़ा आ जाएगा, में तो रुक नही सकती, और में रश्मि को
भी अची तरह से जान लेना चाहती हूँ." बबिता बोली.

"ज़रूर तुम्हारे जाने से पहले तुम्हे हर चीज़ का माज़ा मिलेगा ये
मेरा वादा है." मेने कहा.

उसके बाद पूरे दिन हम बातें करते रहे. दोपहर को हमारा खेल एक
बार फिर चला. शाम को प्रशांत अपने काम से वापस आया और हम
दोनो को रात के खाने के लिए बाहर ले गया.

राज, रश्मि और रवि ने घर पर ही रहना चाहा. मुझे नही मालूम
था की उन तीनो के दिमाग़ मे क्या था, में तो बस यही प्रार्थना कर
रही थी की जब हम वापस आएँ तो वो अपने कमरे मे हों.

प्रशांत रवि के बारे मे जाने के लिए बहोट उत्सुक था. मेने उसे
बता दिया की रवि राज का जिगरी दोस्त है और कुछ दीनो के लिए हमारे
साथ रह रहा है. बबिता मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी.

मेने देखा की प्रशांत मेरी तरफ कुछ ज़्यादा ही आकर्षित हो रहा
था. मेने ध्यान दिया की जब हम रेस्टोरेंट मे खाने की लिए घुसे
तो प्रशांत ने मेरे कूल्हे हल्के से सहला दिए थे. पर उस रत ये
हरकत उसने कई बार की पर हर बार अंजान बना रहा.

जब हम तीनो घर पहुँचे तो मेने चैन की सांस ली. राज रश्मि
और रवि अपने कमरे मे थे, वरना मेने तो सोचा था की वो तीनो
यही हॉल मे चुदाई कर रहे होंगे.

हम तीनो ने एक दूसरे से विदा ली और में अपने कमरे मे आ गयी.
प्रशांत और बबिता गेस्ट बेडरूम मे चले गये. थोड़ी हे देर मे
मुझे उनी सिसकने और मादकता के शब्द सुनाई देने लगे. मेने चुप
छाप सो गयी, किसी को मेरे और मेरी बेहन के रिश्तों के बारे मे पता
नही चला था.

शुक्रवार की शाम मेरी बेहन के नाम

शुक्रवार की सुबह प्रशांत अपने काम से चला गया. में और बबिता
दोनो दोपहर को खाने के टेबल पर बैठे थे की रश्मि भी हमारे
साथ आ बैठ गयी. शाम तक हम सब बातें करते रहे. बबिता
रश्मि के साथ काफ़ी घुलमिल गयी थी.

शाम को में सब के लिए छाई बनाना किचन मे चली गयी. वापस
लौती हूँ तो देखती हूँ की रस्मी और बबिता नंगे हो सोफे पर 69 की
मुद्रा मे हो एक दूसरे की छूट चूस रहे थे.

दोनो एक दूसरे की छूट रहे थे और साथ एक दूसरे की गंद मे उंगली
दल अंदर बाहर कर रहे थे, जब वो दोनो झड़कर अलग हुए तो मेने
कहा, "चलो छाई तय्यार हो पी लो. मुझे तुम दोनो को एक मिनिट के
लिए भी अकेले नही छोड़ना चाहिए था." मेने हंसते हुए कहा.

बबिता पहले बोली, "तुम सही कहती थी प्रीति, रश्मि से अची छूट
कोई नही चूस्टा, तभी में सोचूँ की ये इतनी अची टीचर कैसे
बन गयी."

"बहोट आसान काम है बबिता, जब तुम्हारी जैसी गरम और मुलायम
छूट सामने हो तो कोई भी चूस सकता, सही बोलू तो छाई के स्वाद से
तुम्हारी छूट का स्वाद मुँह से चला गया, में तो एक बार फिर
तुम्हारी छूट चूसना चाहूँगी." रश्मि अपने होठों पर ज़ुबान फेरते
हुए बोली.

"आज से ये छूट तुम्हारी है, तुम जब चाहो इसे चूस सकती हो काट
सकती हो." बबिता अपनी छूट पे हाथ फेरते हुए कहा.

"ज़रा आराम से बबिता, तुम्हारे और प्रशांत के सामने अभी तो पूरी
रात बाकी पड़ी है." मेने बबिता को याद डीतालते हुए कहा.

"बबिता तुम लोग एक काम क्यों नही करते, दो टीन दी रुकने के बजाए
पूरा हफ़्ता क्यों नही रुक जाते, साथ मे मौज मस्ती करेंगे बहोट
मज़ा आएगा." रश्मि ने कहा.

"पता नही, प्रशांत को वहाँ ऑफीस मे काम है और फिर मेरा बेटा
सन्नी भी तो सोमवार को घर आने वाला है." बबिता ने बताया.

"बबिता ये घर तुम्हारा है, तुम लोग जिट्नी दिन चाहो यहाँ रह
सकते हो. फिर तुम प्रशांत से बात करके तो देखा, शायद कोई रास्ता
निकल आए, फिर तुम सन्नी को यही बुला लेना." मेने कहा.

"सुनकर तो अक्चा लग रहा है, में प्रशांत से बात करके देखूँगी."
बबिता तोड़ा खुश होते हुए बोली.

"बबिता घड़ी देख लो, आज तुम्हे प्रशांत के साथ बाहर भी तो जाना
है, चलो तय्यार हो जाओ?" मेने बबिता को एक बार फिर याद दिलाया.

"हन तुम सही कह रही हो, मुझे अभी नहाना भी है और फिर बाल
भी तो बनाना है." कहकर बबिता बातरूम की और जाने लगी.

"अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो क्या में तुम्हारे साथ शवर ले लूँ?"
रश्मि ने बैयटा से कहा.

"मुझे क्या ऐतराज़ होगा, बल्कि मुझे तो मज़ा आएगा." बबिता ने
रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ बातरूम मे ले गयी.

"घड़ी पर नज़र रखना, प्रशांत टाइम का पाबंद है, मस्ती मे कहीं
तुम समय को ही भूल जाओ." मेने पीछे से चिल्ला कर कहा.

करीब आधे घंटे बाद रश्मि बातरूम से एक पारदर्शी गाउन पहने
आए और सोफे पर बैठ गयी. डूस मिनिट के बाद प्रशांत भी आया
और पूछा, "बबिता कहाँ है?"

"वो गेस्ट रूम मे तय्यार हो रही है." मेने जवाब दिया. मेने गौर
किया की प्रशांत की नज़रें रश्मि के बदन पर गाड़ी हुई थी. वो उसके
पारदर्शी गाउन से झलकते नंगे जिस्म को अपनी आँखों से नाप तौल
रहा था.

"में भी जाकर तय्यार हो जाता हूँ." प्रशांत ने कहा.

प्रशांत मूड कर गेस्ट रूम की और जाने लगा, मेने देखा की उसका
लंड खड़ा होकर पंत मे एक तंबू सा बन गया था. में सोच रही
थी की उसका लंड दिखने मे कितना बड़ा होगा? जिस हिसाब से सब कुछ हो
रहा है, इसससे ये सब मुझे जल्द ही पता लग जाएगा.

एक घंटे के बाद प्रशांत और बबिता तय्यार होकर आए. दोनो ही आज
खूब साज धज कर आए थे. इन दोनो की जोड़ी वाकई मे बहोट ही सनडर
लग रही थी. दोनो बाहर चले गये.

राज, रश्मि और रवि अपने दोस्तों के साथ बाहर चले गये. वो लोग
रत को देरी से आने वेल थे, मईएनए खाना खाया और एक पतला सा गाउन
बिना कुछ अंदर पहने सोफे पर बैठ पिक्चर देखने लगी. कब मुझे
नींद आ गयी मुझे पता ही नही चला. मेरी आँख तब खुली जब
प्रशांत और बबिता घर आए.

मेने उठ कर दरवाज़ा खोला और बबिता को अपनी बाहों मे ले लिया.
उसकी सांसो से शराब की महक आ रही थी. उसने भी मुझे बाहों मे
लेते हुए मेरी पीठ सहलाई और फिर नीचे की और अपने हाथ लेजकर
मेरे कूल्हे सहलाने लगी. प्रशांत के सामने वो ऐसा कर रही थी ये
देख में चौंक गयी थी.

"प्रीति क्या तुम मेरी ड्रेस उत्तर डोगी प्लीज़?" बबिता ने मुझसे
कहा.

प्रशांत अभी भी कमरे मे ही तह और वो मुझसे खुद के कपड़े
उत्तरने को कह रही थी. प्रशांत हॉल मे पड़ी एक कुर्सी पर बैठ
गया और ह्यूम देखने लगा. मेने आयेज बढ़ कर उसकी ड्रेस को उत्तर
दिया. उसकी नंगी पीठ पर में अपने हाथ फिरने लगी, उसके बदन को
स्पर्श करते ही मुझे महसूस हुआ की मेरी छूट गीली हो गयी है.

"प्रीति प्लीज़ रुकना नही, तुम्हारा हाथ काफ़ी गरम है और मुझे
अपने शरीर पर तुम्हारा हाथ काफ़ी अक्चा लग रहा है." बबिता
उत्तेजना भरे स्वर मे बोली.

में अपने हाथों से उसके बदन को सहलाने लगी. में ये भूल चुकी
थी प्रशांत कमरे मे ही मौजूद था. मेने उसकी भरे भरे ममो को
अपने हाथों मे ले मसालने लगी. उसके निपल टन कर खड़े हो चुके
थे. मेने अपने होत उसके होंठ पर रख दिए. फिर उसकी गर्दन को
चूमते हुए मेने उसके कान की लाउ पर अपनी जीब फिराई फिर नीचे
होते हुए उसकी चुचियों को चूसने लगी.

बबिता ने मेरा गाउन उठा उसे उत्तर दिया. फिर अपना हाथ मेरी छूट
फिरते हुए उसने अपनी दो उंगली मेरी गीली छूट मे दल दी. मेने अपने
पावं को तोड़ा फैला उसकी उंगलियों को अपनी छूट मे जगह दी.


हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से छिपते हुए खड़े थे, बबिता ने मेरे
चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मेरे होठों को चूसने लगी, मेने
कनखियों से प्रशांत की और देखा. प्रशांत अपनी पंत और शर्ट
उत्तर चक्का था. कुर्सी पर बैःता अपनी अंडरवेर नीचे घुटनो तक
खिस्काई वो अपने ताने लंड को मसल रहा था. उसका लंड रवि जितना
लंबा और मोटा तो नही थी फिर भी दिखने मे काफ़ी अक्चा लग रहा
था.

बबिता ने मेरे चेहरे को एक बार फिर अपनी और घुमाया और मेरे
होठों पर अपने होत रखते हुए अपनी जीब मेरे मुँह मे घुसा दी.
फिर अपने पावं की मदद से उसने मेरे पावं को तोड़ा फियालेया और एक
बार फिर अपनी उंगलिया मेरी छूट मे दल दी.

बबिता अब घुटनो के बाल मेरे सामने बैठ गयी, पहले उसने मेरे पेट
को चूमा फिर मेरी नाभि को और अब मेरी छूट के उपर अपनी ज़ुबान
घूमने लगी. मेने अपने हाथों से उसके सिर को अपनी छूट पर दबा
दिया. बबिता ने अपनी उंगलियों से मेरी छूट को तोड़ा फियालेया की मेरी
छूट से पानी तपाक कर उसकी उंगलियों पर गिर पड़ा, वो उस पानी को
अपनी जीब से चाटने लगी.

"ओह बाआबबीइता ओह बाआबिता." में बड़बड़ा रही थी.

"क्या रुक जौन में?" बबिता ने हंसते हुए पूछा.

"नही, अक्चा लग रहा है, पर प्रशांत क्या सोचेगा." मेने कहा.

"प्रशांत को पता है." उसने कहा.

"पता है, क्या पता है?" मेने खुद से पूछा, मेने गर्दन घुमाई
तो देखा वो अपने लंड को पकड़े जोरों से मूठ मार रहा था.

बबिता ने अपनी उंगली मेरी छूट से बाहर निकाली और चाट कर एकदम
साआफ कर दी. उसने एक बार फिर अपनी उंगली मेरी छूट मे डाली और
फिर मेरे रस से भीगी अपनी उनगली को बाहर निकाला और मेरे मुँहे मे
दे दी.

"लो अपने रस का स्वाद चाखो?" उसने कहा.

लगता था की शराब का नशा उसे चढ़ा हुआ था. आज वो ज़्यादा
उत्तेजित लग रही थी. मेने खूब जोरों से उकी उंगलियों को चूसने
लगी. बबिता ने अपने मुँह को मेरी छूट पर रखा और जोरों से
चूसने लगी. उसका चेहरा मेरी गुलाबी छूट मे पूरी तरह से छुपा
हुआ था और उसकी टीन उंगलिया मेरी छूट के अंदर बाहर हो रही थी.

बबिता ने मेरे कूल्हे पकड़े और अपने मुँह पर और जोरों से दबा दिए.
उसकी जीब मेरे छूट के चारों और घूमते हुए चाट रही थी. मुझे
लगा की मानो आज बबिता पागल हो गयी है, वो इतनी जोरों से मेरी
छूट को चूस और चाट रही थी.

मेरी साँसे तेज हो गयी थी, जिसकी वजह से मेरी छातियाँ उपर
नीचे हो रही थी. गहरी सांस लेते हुए मेने उसके सिर को और जोरों
से अपनी छूट पर दबाया और पानी छोड़ दिया. बाहिता का पूरा चेहरा
मेरे पानी से भीग गया था. में तक कर नीचे ज़मीन पर लुढ़क
गयी.

मेने प्रशांत की और देखा, वो अब भी एक हाथ से अपने लंड को पकड़े
मूठ मार रहा था और दूसरे हाथ से अपनी अंडकोषों को सहला रहा
था.

"क्यों ना हम बेडरूम मे चलते है? बाकछे कभी यहाँ आ सकते
है." मेने एक कमज़ोर आवाज़ मे कहा.

वैसे तो राज, रश्मि और रवि को आनंद आता हमे इस हालात मे
देखकर पर मे नही चाहती थी की आज ये सब हो. जैसे हम कमरे
में पहुँचे मेने बबिता को पलंग पर धकेल दिया और उसकी टाँगों
को फाइयला दिया. अब में उसकी छूट वैसे ही चूसने जा रही थी
जैसे उसने मेरी छूट थोड़ी देर पहले चूसी थी.

बबिता की छूट काफ़ी गीली हो चुकी थी. में हल्के से अपनी ज़ुबान
उसकी छूट के चारों और घूमने लगी. में थोड़ी देर उसे तड़पाना
और चिढ़ाना चाहती थी. उसने अपनी उनलीयान अपनी छूट मे डालने की
कोशिश पर मेने उसके हाथ को झटक दिया.

बबिता ने एक बार फिर कोशिश की तो मेने उसके हाथों को उसके सिर के
पीछे कर दिया और प्रशांत को मदद के लिए बुलाया. प्रशांत अब
पूरी तरह नंगा हो चक्का था, और जब उसने अपनी बीवी के हाथों को
कस कर पकड़ा तो उसका ताना हुआ लंड बबिता के चेहरे के ठीक सामने
था.

में जोरों से अपनी ज़ुबान उसकी छूट पर फिरा रही थी. उसकी छूट
और गरम और कड़ी होती जेया रही थी. पर मेरे मान में तो आज उसकी
छूट के साथ पूरी तरह खेलने का था, में बिस्तर से उठी और अपनी
अलमारी से एक डिल्डो निकालने लगी.

"इसे कस के पकड़ के रखना?" मेने प्रशांत से कहा.

"प्रीति तुम क्या कर रही हो? कहाँ जेया रही हो, प्लीज़ यहाँ वापस
आओ आमुर मेरी छूट चूसो मुझे झड़ना है." बबिता सिसक कर बोली.

तभी बबिता ने मुझे अलमारी से वो नकली लंड निकलते देखा, "ये क्या
हो रहा है, तुम इसके साथ क्या करने वाली हो?' वो तोड़ा डरते हुए
पूछी.

"अब स्तिति तुम्हारे बस मे नही है बबिता, ये नकली लंड तुम्हे
वासना उत्तेजना की उचािन्यो तक ले जाएगा ये में जानती हू." मेने
कहा.

ये नकली लंड प्रशांत के असली लंड से काफ़ी मोटा और लंबा था,
मेने उसे बबिता की छूट मे घुसाया और वो अपनी छूट को सिकोडते
हुए उसे अंदर लेने लगी.

"ओह नाआआः इसस्स्ससे बाहर निकककककककाअलो बहूओत बद्ददडा और
मूटा हाीइ." बबिता दर्द से चिल्ला उठी.

"तोड़ा आराम से काम लो, पहले इसे तुम्हारी छूट मे तो घुसने दो,
थोड़ी देर में तुम इस लंड की भीख माँगोगी." प्रशांत ने अभी
बबिता के हाथों को पकड़ रखा था और में अब उसकी छूट मे वो
नकली लंड अंदर बाहर करने लगी.

में अब वापस उसकी छूट चाटने लगी, साथ ही उस लंड को अंदर
बाहर करती रही. थोड़ी देर मे बबिता भी अपने चुतताड उछाल उस लंड
का माज़ा लेने लगी, और उसकी छूट ने पानी छोड़ दिया. उसका राज लंड
के सहत बहते हुए मेरे मुँह मे आ गया. मेने पहले उसकी छूट खूब
चूस कर उसका सारा पानी पिया फिर उस नकली लंड को चाट साफ कर
दिया.

"क्या अब तुम असली लंड लेने के लिए तय्यार हो?" प्रशांत ने अपनी बीवी
से पूछा.

बबिता के मुँह से आवाज़ नही निकल रही थी इसलिए उसने सिर्फ़ गर्दन
हिला कर हन की. प्रशांत ने उसके हाथ छोड़ दिए और घूम कर उसकी
टॅंगो के बीच आ गया. उसने बबिता की दोनो टाँगे अपने कंधे पर
रख ली और अपना लंड एक ही धक्के मे पूरा उसकी छूट मे घुसा दिया.

प्रशांत को बबिता को छोड़ते देख में फिर से गरमा गयी थी. में
उठ कर बबिता के मुँह पर बैठ गयी और अपनी छूट उसके मुँह पर
रख दी. मेने अपनी छूट उसके मुँह पर रग़ाद रही थी और प्रशांत
ज़ोर के धक्कों से उसकी छूट छोड़ रहा था. थोड़ी देर बाद प्रशांत
बिस्तर पर से उठ कर खड़ा हो गया. बबिता मेरी छूट चूज़ जेया
रही थी.

में अपने हाथों से अपनी छूट को मसल रही थी और बबिता जोरों से
चूज़ जेया रही थी. थोड़ी ही देर मे मेरा शरीर आकड़ा और मेरी छूट
ने मेरी बेहन के चेहरे पर पानी छोड़ दिया. में लुढ़क कर मेरी
बहन के बगल मे गिर पड़ी.

प्रशांत ने तब तक उस नकली लंड पर बेल्ट बाँध दी थी. उसने मेरी
तरफ देखा और वो लंड मुझे पकड़ा दिया.

"इसे बांधो और बबिता को छोड़ो." उसने थोड़े उतावले स्वर मे कहा.

में बिस्तर से उठी और उस नकली लंड की बेल्ट को अपनी कमर पर
बाँध लिया. फिर मे बिस्तर पर आकर अपनी बेहन की टॅंगो के बीच आ
गयी और वो नकली लंड उसकी छूट मे घुसा दिया.

प्रशांत आकर बबिता के पेट पर बैठ गया और उसके दोनो ममो के
बीच अपना लंड सता दिया. अब वो उसके दोनो ममो को पकड़ अपने लंड को
आयेज पीछे कर रहा था. जब भी उसका लंड बबिता के मुँह के पास
आता तो वो उसे जीभ से चाट लेती.

कुछ देर इसी तरह करने के बाद प्रशांत उसके पेट पर से उठा और
डिस्टर पर पेट के बाल लेट गया. मेने प्रशांत के इशारे पर डिल्डो
बबिता की छूट से बाहर खींच लिया.

"बबिता अब तुम मेरी चुदाई करो?" प्रशांत ने कहा.

बबिता उठ कर प्रशांत पर चढ़ गयी और उसके लंड को अपनी छूट
मे ले उपर नीचे हो उसे छोड़ने लगी. में बबिता के पीछे आ गयी
और प्रशांत के अंदो से खेलने लगी. फिर धीरे से मेने अपनी एक
उंगली प्रहसंत की गांद मे घुसा दी.

मेरी इस हरकत से प्रशांत अचानक उछाल पड़ा. बड़ी मूसखिल से
बबिता अपने आपको गिरने से बचा पाई. डिल्डो अभी भी मेरी कमर से
बँधा हुआ था. मेने बबिता के पीछे से वो डिल्डो उसकी गांद मे
घुसा दिया. प्रशांत और बबिता थोड़ी देर के लिए रुक गये, जिससे
डिल्डो आसानी से बबिता की गंद मे घुस सके.

अब हम तीनो धक्के लगा रहे थे. प्रशांत नीचे से धक्के लगता
और में पीसेह से उसकी गांद मे. तीनो पसीने से लत पाठ हो चुदाई
कर रहे थे. में उसकी पीठ सी चिपक सी गयी थी, में अपनी
चुचियों को उसकी छाती पर रगड़ते हुए जोरों से धक्के मार रही
थी.

"ओह आआआहह ओह हीई भाआगवाां मेराा
चूऊओटाआ." बबिता सिसक रही थी.

"हाआँ राआनी चूऊद डूऊ अपन्‍न्णना प्ाअनी, चूऊओ दो साब पानी
मेरी लुंदड़ड़ पर." प्रशांत अपने कूल्हे उठाते हुए बोला.

एक आखरी धक्का लगते हुए प्रशांत ने अपने वीर्या की बौछार अपनी
पत्नी की छूट मे छोड़ दे, वहीं बबिता उसके लंड को अंदर तक ले
पानी छोड़ दिया.

मेने वो नकली लंड उसकी छूट से निकल दिया. बबिता प्रशांत के
शरीर से हट बिस्तर पर लुढ़क गयी और में उसकी टॅंगो के बीच आ
उसकी छूट से उसका और प्रासहंत का वीर्या चूसने और चाटने लगी.

प्रशांत मेरे पीछे आ गया और मेरी छूट मे उंगली डाल मेरी गांद
के छे पर जीभ प्रहिरने लगा. फिर उसने एक उंगली मेरी गांद मे दल
दी. अब वो मेरी छूट और गांद मे साथ साथ उंगली अंदर बाहर कर
रहा था. में बबिता की छूट चूज़ जेया रही थी.

प्रशांत ने अब अपने लंड को मेरी गांद पर लगाया और एक ढके मे
पूरा लंड अंदर तक घुसा दिया. फिर उसने अपनी उंगली से मेरी छूट
और लंड से मेरी गांद छोड़ रहा था.

"हाां आईसससे ही चूओड़ो मेरी गाआं ऊहह आआआः आाज भर दो
मेरी गाआं को आअपँे प्ाअनी से." में सिसक रही थी.

प्रशांत ने बलों को पकड़ा और मेरे सिर को अपनी बीवी की छूट पर
दबाते हुए इतनी ज़ोर का धक्का मारा की मेरी छूट ने पानी छोड़ दिया.
मेरा वीर्या उसकी उंगलियों को और बिस्तर की चादर को भिगो रहा था.

बबिता ने मेरे मुँह मे पानी छोड़ दिया और प्रशांत ने पीछे मेरी
गांद मे. हम तीनो निढाल हो बिस्तर पर लेट गये. हमारी सांसो की
आवाज़ कमरे मे गूँज रही थी.

हम तीनो सुस्ता रहे थे की कमरे की शांति रश्मि की आवाज़ से
भंग हुई, "ये प्राइवेट पार्टी है या हम सब भी इसमे शामिल हो
सकते है."

हम तीनो ने देखा की दरवाज़े पर राज, रश्मि और रवि एक दूं नंगे
खड़े हमें ही देख रहे थे.


में बबिता और प्रशांत दरवाज़े पर खड़े राज, रश्मि और रवि को
देख रहे थे. तीनो पूरी तरह से नंगे थे. रश्मि ने तो कोई जवाब
का इंतेज़ार भी नही किया और डिल्डो को उठा अपनी छूट मे घुसा
लिया.

प्रशांत और बबिता रश्मि को घूर रहे थे. बबिता बिस्तर पर लेट
गयी और रश्मि को अपने उपर खींच डिल्डो के दूसरे सिरे को उसकी
छूट मे घुसा दिया.

"अब तुम्हारी तीहरी चुदाई की बारी है, तुम्हारे पति को थोड़े आराम
की ज़रूरत है इसलिय उनकी जगह मेने ले ली है." रश्मि ने कहा.

एक बार वो डिल्डो अची तरह रश्मि और बबिता की छूट मे घुस चुका
था, राज ने पीछे से अपना लंड उसकी गंद मे दल दिया और रवि ने
अपना लंड उसके मुँह मे दे दिया.

बबिता असचर्या भारी नज़रों से रवि के मोटे लंड को देख रही थी.
उसके लंबे लंड को अब वो जोरों से चूस रही थी और अपने मूठ मे ले
मसल भी रही थी. बीच मे वो सुके लंड को अपने थूक से भिगोटी और
फिर उसे चूवसने लगती.

बबिता की अब तीहरी चुदाई हो रही थी. रश्मि नीचे से उसकी छूट
मे धक्के मार रही थी और पीछे से राज उसकी गांद मार रहा था.
रश्मि नीचे से धक्के मरते हुए खुद कितनी बार झड़ी उसे याद नही.

बबिता की छूट इस सामूहिक चुदाई से इतना पानी छोड़ रही थी जैसे
कोई बाँध टूट गया हो. राज ने जोरों से धक्का मरता हुए उसकी गंद
मे अपना वीर्या छोड़ दिया. रवि सबसे आख़िर मे झाड़ा, पर शायद
बबिता इसके लिए तय्यार नही थी.

रवि के लंड ने जोरों का फावरा बबिता के मुँह मे छोड़ा, इसके पहले
की बबिता उस वीर्या को निगलता दूसरी पिचकारी ने फिर उसके मुँह को

dil1857
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