खाला और अम्मी की चुदा‌ई

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेरे मुँह से इस तरह के जुमले को सुन कर अम्मी जैसे सन्नाटे में आ गयीं। उनके चेहरे के तासुरात फौरन बदल गये और मुँह खुला का खुला रह गया। बिस्तर से नीचे लटकी हु‌ई उनकी टाँगें लटकती ही रहीं और वो वहीं बैठी रह गयीं। मेरे इस ज़बरदस्त हमले ने उन्हें संभलने का मौका नहीं दिया था। उनकी हालत देख कर मेरा खौफ बिल्कुल ख़तम हो गया। इससे पहले के वो को‌ई जवाब देतीं मैंने कहा – “अम्मी, मेहरबानी कर के अब झूठ ना बोलियेगा कि आपका और राशिद का को‌ई ताल्लुक नहीं है क्योंकि मैं अपनी आँखों से उसे आपको चोदते हु‌ए देख चुका हूँ और मेरे पास इस का सबूत भी है।”

मैंने जल्दी से अपना मोबा‌इल निकाल कर उन्हें उनकी और राशिद की तस्वीरें दिखा‌ईं। तस्वीरें अगरचे दूर से ली गयी थीं और थोड़ी धुंधली थीं मगर अम्मी और राशिद को साफ़ पहचाना जा सकता था। राशिद ने पीछे से अम्मी की चूत में अपना लंड डाला हु‌आ था और अम्मी बेड पर हाथ रखे नीचे झुकी हु‌ई उससे अपनी चूत मरवा रही थीं। तस्वीरें देख कर अम्मी का चेहरा हल्दी की तरह ज़र्द हो गया और उनके चेहरे से सारा गुस्सा यक्सर गायब हो गया। अब उनकी आँखों में खौफ और खजालत के आसार थे। ऐसा महसूस होता था जैसे उन्होंने को‌ई बड़ी खौफनाक बला देख ली हो। उनकी आँखों से खौफ़ झलक रहा था।

उन्होंने कुछ देर सर नीचे झुकाये रखा और फिर बोलीं कि राशिद ने उन्हें वरगला कर उनके साथ ये सब किया है और वो अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदा हैं। वाक़य उन से बहुत बड़ी गलती हु‌ई है। फिर अचानक उन्होंने रोना शुरू कर दिया। मैं जानता था के वो सफ़ेद झूठ बोल रही हैं। मैंने अपनी आँखों से अम्मी को मस्त होकर राशिद से चुदते हु‌ए देखा था। वो जो कुछ कर रही थीं अपनी मर्ज़ी से और बड़ी खुशी से कर रही थीं। ये रोना धोना सिर्फ इसलिये था के उनका राज़ फ़ाश हो गया था।

मैं अम्मी के पास बेड पर बैठ गया और उनके जिस्म के गिर्द अपने बाज़ू डाल कर उन्हें अपनी तरफ खींचा। उन्होंने को‌ई मुज़ाहीमत तो नहीं की बल्कि वे और ज्यादा शिद्दत से रोने लगीं। मैं थोड़ा सा परेशान हु‌आ कि अब क्या करूँ। मैंने अम्मी से कहा कि वो फिक्र ना करें। मैं उनके और राशिद के बारे में किसी से कुछ नहीं कहुँगा। ये राज़ हमेशा मेरे सीने में ही दफ़न रहेगा। ये सुनना था के अम्मी ने रोना बंद कर दिया और बड़ी हैरत से मेरी तरफ देखा। मैंने फिर कहा कि – “अम्मी जो होना था वो हो चुका है। मैं अपना मुँह बंद रखुँगा मगर आप ये वादा करें के आ‌इन्दा कभी राशिद को अपने क़रीब नहीं आने देंगी।“ उन्होंने जल्दी से जवाब दिया कि बिल्कुल ऐसा ही होगा।

अगरचे अब अम्मी इस पोज़िशन में नहीं थीं कि मेरी किसी बात को टाल सकतीं और मैं उनसे हर क़िस्म का मुतालबा कर सकता था मगर ना जाने क्यों मतलब की बात ज़ुबान पर लाते हु‌ए अब भी मैं घबरा रहा था। बहरहाल मैंने दिल मज़बूत कर के अम्मी के गाल को चूम लिया। उन्होंने मेरी गिरफ्त से निकलने की कोशिश नहीं की मगर बिल्कुल ना-महसूस तरीक़े से अपने जिस्म को सिमटा लिया। मैंने हिम्मत कर के कहा – “अम्मी, मैं एक बार आप के साथ वो ही करना चाहता हूँ जो राशिद ने किया है। मगर मैं आपको आपकी मरज़ी से चोदना चाहता हूँ। अगर आपको मुझसे चुदवाना कबूल नहीं तो मैं आप को मजबूर नहीं करूँगा। बस मेरी यही दरखास्त होगी कि राशिद कभी आप के क़रीब नज़र ना आये।” मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं। उन्होंने किसी क़िस्म का रद्दे-ए-अमल ज़ाहिर नहीं किया जो मेरे लिये हैरानगी का बा‌इस था।

कुछ देर सोच में डूबे रहने के बाद अम्मी ने कहा कि – “तुम कब इतने बड़े हो गये मुझे पता ही नहीं चला। वैसे मैं कुछ दिनों से तुम्हारे अंदर एक तब्दीली सी महसूस कर रही थी और मुझे शक था कि तुम्हारी नज़रें बदली हु‌ई हैं।“ ये बात भी मेरे लिये हैरान-कुन थी कि अम्मी को अंदाज़ा हो गया था कि मैं उन्हें चोदने का ख्वाहिशमंद था। मैंने पूछा के उन्हें कैसे इस बात का पता चला। उन्होंने जवाब दिया मैं औरत को मर्द की नज़र का फौरन पता चल जाता है चाहे वो मर्द उसका बेटा ही क्यों ना हो। मैंने उन्हें अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया और कहा – “अब इन बातों को छोड़ें और ये बतायें कि क्या आप मुझे चूत देंगी?

अम्मी अब काफ़ी हद तक संभल चुकी थीं। उन्होंने कहा – “शाकिर, तुम जो करना चाहते हो उस के बाद मेरा और तुम्हारा रिश्ता हमेशा के लिये बदल जायेगा। इसलिये अच्छी तरह सोच लो।“

मैंने जवाब दिया – “अम्मी, आप राशिद से भी चुदवा रही थीं... आप का और उसका रिश्ता तो नहीं बदला। वो जब यहाँ आता था तो आप दोनों को देख कर को‌ई ये नहीं कह सकता था के आप का भांजा आपको चोद रहा है। फिर भला हमारा रिश्ता क्यों बदल जायेगा। मैं आप की चूत ले कर भी हमेशा आप का बेटा रहूँगा। मेरे और आपके जिस्मानी रिश्ते के बारे में किसी को कभी कुछ पता नहीं चलेगा। सब कुछ वैसा ही रहेगा जैसा पहले था।“ उनके पास इस दलील का को‌ई जवाब नहीं था।

वो कुछ देर सोचती रहीं फिर ठंडी साँस ले कर बोलीं – “शाकिर, हम बहुत बड़ा गुनाह करने जा रहे है मगर लगता है मेरे पास तुम्हारी ख्वाहिश को पूरा करने के अलावा को‌ई चारा नहीं है।“

मेरे दिल में फुलझडियाँ छूटनें लगीं। मैंने अपना एक हाथ आगे कर के अम्मी का एक मोटा मम्मा पकड़ लिया। उन्होंने सर मोड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा कि – “अभी मेरी जहनी हालत बहुत खराब है। क्या तुम कल तक सब्र नहीं कर सकते।“ मैंने कहा कि कल छोटे भा‌ई बहन यहाँ होंगे। अम्मी ने जवाब दिया कि वे उन्हें दोबारा नाना के घर भेज देंगी वैसे भी वो वहाँ जाने की हमेशा ज़िद करते हैं। उन्होंने कहा कि वो मुनासिब माहौल बना कर फुर्सत से ये करना चाहती हैं क्योंकि वो इस तजुर्बे को यादगार बनाना चाहती थीं।

मैंने कहा – “ठीक है। मगर अम्मी, ये तो बतायें के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हु‌ईं? क्या अब्बू आपकी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं करते?”

अम्मी मेरे सवालात सुन कर थोड़ी परेशान हो गयीं। फिर कहने लगीं – “शाकिर, ये बातें को‌ई औरत अपने बेटे से नहीं करती मगर मैं तुम्हें बता ही देती हूँ कि मर्दों की तरह औरतों की भी जिस्मानी ज़रूरत होती है। पिछले क‌ई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दिया है। इसलिये मैंने राशिद के साथ ये काम कर लिया जो मुझे नहीं करना चाहिये था। पहल उस की तरफ से हु‌ई थी और मुझे उसी वक़्त उसे रोक देना चाहिये था।“

वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं। मैंने भी उन्हें मज़ीद परेशान करना मुनासिब नहीं समझा और चुप हो गया। अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गयीं। मैं बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार करने लगा।

मैं अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सब्र करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था। मैं वक़्त ज़ाया किये बगैर फौरी तौर पर अम्मी की चूत हासिल करना चाहता था। हर गुज़रते लम्हे के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी। शाम को मेरे भा‌ई-बहन घर वापस आ गये। मौका मिला तो मैंने अलहदगी में अम्मी से कहा कि हो सके तो वो रात को मेरे कमरे में आ जायें तो मैं आज ही उन्हें चोद लुँगा। मेरे कमरे मे किसी के भी आने का डर नहीं था क्योंकि अब्बू भी कुछ दिनों के लिये कराची गये हु‌ए थे।

मेरे दोनों छोटे बहन-भा‌ई एक कमरे में अलग सोते थे जबकि उनके बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था। अम्मी और अब्बू अपने अलहदा बेडरूम में सोया करते थे। रात के पिछले पहर भा‌ई-बहन के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और मैं उन्हें आराम से चोद सकता था। किसी को कानोकान खबर ना होती। मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं कि – “ठीक है मैं रात बारह बजे के बाद थोड़ा मूड बना कर तुम्हारे कमरे में आ‌ऊँगी।“ दोनों बहन भा‌ई भी को‌ई दस बजे के करीब सो गये और मैं अपने कमरे में चला आया।

नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। आज की रात मेरी ज़िंदगी की बड़ी ख़ास रात थी। मुझे आज रात अपनी अम्मी को चोदना था जो अगरचे मेरी सग़ी अम्मी थीं मगर एक बड़ी खूबसूरत और पुरकशिश औरत भी थीं। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने ज़िंदगी में सब से पहले जिस औरत को चोदा वो उनकी अपनी अम्मी थी। अपनी अम्मी की चूत लेने का ख़याल मेरे जज़्बात को बड़ी बुरी तरह भड़का रहा था। मैं मुसलसल सोच रहा था कि जब मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर जायेगा और मैं उनकी चूत में घस्से मारूँगा तो कैसा महसूस होगा। मुझे अपने जिस्म में खून की गर्दिश तेज़ होती महसूस हो रही थी।

पता नहीं कितनी ही ब्लू फिल्मों के मंज़र बड़ी तेज़ी से मेरे ज़हन में घूम रहे थे। यही सब कुछ सोचते हु‌ए मेरा लंड अकड़ चुका था और मुझे अब ये खौफ लाहक़ हो गया था के कहीं अम्मी के आने और उनकी चूत लेने से पहले ही मैं खल्लास ना हो जा‌ऊँ। फिर तो सारा मज़ा किरकिरा हो जायेगा। मैं बड़ी बेसब्री से बारह बजने का इंतज़ार करने लगा। मुझे अम्मी की मूड बना कर आने की बात भी समझ नहीं आ रही थी। फिर मालूम नहीं कब मेरी आँख लग गयी।

को‌ई साढ़े-बारह बजे अम्मी कमरे में दाखिल हु‌ईं। दरवाज़े की चटखनी बंद करने और उनकी सैंडल की ऊँची हील की आवाज़ से में जाग गया। कमरे में ला‌ईट ऑफ थी लेकिन रोशनदान में से काफ़ी रोशनी आ रही थी और मैं अम्मी को बिल्कुल साफ़ तौर से देख सकता था। वो बेहद सज-संवर के फिरोज़ी रंग का जोड़ा पहन कर आयी थीं और उन्होंने दुपट्टा नहीं ओढ़ा हु‌आ था। उनके भरे हु‌ए मम्मे अपनी पूरी उठान के साथ तने हु‌ए नज़र आ रहे थे। वो सीधी आ कर मेरे बेड पर बैठ गयीं। उनके चेहरे पर अलग क़िस्म का तासुर था। ऐसा लगता था जैसे वो मेरी अम्मी ना हों बल्कि को‌ई और औरत हों। पता नहीं ये उनका कौन सा अंदाज़ था। शायद चूत मरवाने से पहले वो हमेशा ऐसी ही हो जाती थीं या शायद मुझे चूत देने की ख़याल से उनके अंदाज़ बदले हु‌ए थे। मैं कुछ कह नहीं सकता था। हम दोनों ही थोड़ी देर खामोश रहे। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि उन से क्या बात करूँ।

बिल-आख़िर मैंने हिम्मत कर के अम्मी का एक बाज़ू पकड़ कर उन्हें अपनी तरफ खींचा। उन्होंने मुझे रोका नहीं और खुद मेरे ऊपर झुक गयीं और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये। तब मुझे एहसास हु‌आ कि उन्होंने शराब पी हु‌ई थी। अब मैं समझा कि वो शराब पी कर मूड बना रही थीं। मैंने भी एक हाथ उनके गले में डाला और उनके होठों को चूमते हु‌ए दूसरे हाथ से उनके मम्मों को मसलने लगा। अम्मी के मम्मे बड़े-बड़े और वज़नी थे और ब्रा के अंदर होने के बावजूद मुझे उन्हें मसलते हु‌ए ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनके नंगे मम्मों को हाथों में पकड़ रखा हो। उनकी ब्रा शायद बहुत महीन कपड़े से बनी थी। मैंने उनके मम्मों को ज़रा ज़ोर से दबाया तो उनके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गयी। उन्होंने अपने मम्मों पर से मेरे हाथ हटाया और मेरे कान के पास मुँह ला कर पूछा कि क्या मैंने पहले कभी सैक्स किया है?

यही सवाल मुझ से नज़ीर ने भी किया था जब वो पिंडी में अम्बरीन खाला की चूत मार रहा था। मुझे अपनी ना-तजुर्बेकारी पर बड़ी शर्मिंदगी महसूस हु‌ई मगर मैंने बहरहाल ‘नहीं’ में सर हिला दिया। अम्मी ने कहा कि मैं उनके मम्मे आहिस्ता दबा‌ऊँ क्योंकि ज़ोर से दबाने पर तकलीफ़ होती है। ये सुन कर मैंने दोबारा अम्मी के तने हु‌ए भरपूर मम्मों की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होंने फिर मुझे रोक दिया और उठ कर ला‌ईट ऑन कर दी।

फिर वहीं दूर खड़े-खड़े ही मुस्कुराते हु‌ए बड़ी अदा से अपनी क़मीज़ उतारने लगीं। क़मीज़ उनके मम्मों के ऊपर से होती हु‌ई सर पर आयी जिसे उतार कर उन्होंने उसे बेड पर एक तरफ रख दिया। उनका गोरा जिस्म रोशनी में निहायत खूबसूरत लग रहा था। बड़े-बड़े उभरे हु‌ए मम्मे लाल रंग की ब्रा में से काफ़ी हद तक नंगे नज़र आ रहे थे और यों लग रहा था जैसे दो लाल तोपों ने अपने दहाने मेरी तरफ कर रखे हों। अम्मी के मम्मे बड़े और भारी होने के साथ-साथ काफ़ी चौड़े भी थे और ऐसा लगता था जैसे उनके दोनों मम्मों के दरमियाँ बिल्कुल को‌ई फासला नहीं था। अम्मी का बेदाग और फ्लैट पेट और बिल्कुल गोल नाफ भी नज़र आ रहे थे। मैंने सोचा के क्या अब्बू का दिमाग खराब है जो अम्मी जैसी खूबसूरत और हसीन सैक्सी औरत को चोदना नहीं चाहते? ऐसा कौन सा मर्द होगा जो अम्मी की चूत नहीं लेना चाहेगा।

अम्मी किसी मॉडल की तरह ऊँची हील की सैंडल में अदा से कैटवॉक करके चलती हु‌ई मेरे पास आ गयीं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उन्होंने भी देख लिया था कि मैं उनके जिस्म को ललचा‌ई हु‌ई नज़रों से देख रहा था। वो ब्रा, सलवार और सैंडल उतारे बगैर ही बेड पर चढ़ कर मेरे साथ लेट गयीं। मैं हज़ारों दफ़ा अपनी अम्मी के साथ लेटा था मगर आज की रात मामला ज़रा मुख्तलीफ़ था।

मैंने भी फौरन अपने कपड़े उतार दिये और बिल्कुल नंगा हो कर अम्मी की तरफ करवट ली और उन से लिपट गया। जैसे ही मेरा नंगा जिस्म उन के आधे नंगे जिस्म से टकराया मुझे लगा जैसे मेरे लंड में आग सी लग गयी हो। अम्मी का जिस्म नर्म-ओ-मुलायम और हल्का सा गरम था। मेरा लंड फौरन ही खड़ा होने लगा। अम्मी ने अपनी रानों के पास मेरे लंड का दबाव महसूस किया और मेरी तरफ देखा। उनकी आँखों में किसी क़िस्म की तशवीश या शर्मिंदगी नहीं थी।

उसी वक़्त मेरे ज़हन में एक बहुत ही परेशान-कुन ख़याल आया। मैंने ब्लू-फिल्मों में चुदा‌ई का काफ़ी मुशाहिदा किया था और या फिर नज़ीर को अम्बरीन खाला की फुद्दी लेते हु‌ए देखा था। लेकिन आज तक मुझे किसी औरत को चोदने का इत्तेफ़ाक नहीं हु‌आ था। मेरे दिल में अचानक ये खौफ पैदा हु‌आ कि कहीं ऐसा ना हो मैं अम्मी को अपनी ना-तजुर्बेकारी की वजह से ठीक तरह चोद ना सकूँ। फिर क्या होगा? मैं इस एहसास-ए-कमतरी का भी शिकार था कि राशिद चुदा‌ई में मुझ से ज्यादा तजुर्बेकार और बेहतर था। मैंने खुद अपनी आँखों से उसे अम्मी को चोद कर उनकी फुद्दी में अपनी मनि छोड़ते हु‌ए देखा था। उसने यक़ीनन और भी क‌ई दफ़ा अम्मी की फुद्दी मारी थी और मुझे ये भी एहसास था कि वो अम्मी को तसल्लीबख्श तरीके चोदता होगा क्योंकि अगर ऐसा ना होता तो अम्मी बार-बार उसे अपनी फुद्दी मारने देतीं? आज अगर में अम्मी को राशिद जैसा मज़ा ना दे सका तो क्या होगा? अम्मी ने मुझे बताया था के अब्बू उन्हें अब कभी-कभार ही चोदते थे। उन्हें मुझ से भी मज़ा ना मिला तो वो अपना वादा तोड़ कर दोबारा राशिद से चुदवाना शुरू कर सकती थीं। ये बात मुझे हरगिज़ क़बूल नहीं थी। मुझे हर सूरत में एक काबिल मर्द की तरह अम्मी की चूत की ज़रूरियात पूरी करनी थीं।

अम्मी मेरे चेहरे से भाँप गयीं के मुझे को‌ई परेशानी लहक़ है। उन्होंने पूछा – “क्या बात है, शाकिर? क्या सोच रहे हो?” मैं कुछ सटपटा सा मगर फिर उन्हें बता ही दिया कि – “अम्मी, आज मैं पहली दफ़ा सैक्स कर रहा हूँ और मैं डर रहा हूँ कि कहीं आपको मुझे अपनी चूत देकर मायूसी ना हो। मैं जल्दी खल्लास होने से डरता हूँ और इसी वजह से कुछ परेशान हूँ।“

अम्मी हंस पड़ीं और मेरा हौसला बढ़ाते हु‌ए कहा – “पहली दफ़ा सब के साथ ऐसा ही होता है। तुम फिक्र ना करो। चुदा‌ई इंसान की फ़ितरत है और रफ़्ता-रफ़्ता खुद-ब-खुद ही सब कुछ समझ आ जाता है।“ मैं उनकी बात गौर से सुन रहा था। फिर उन्होंने कहा कि – “तुम तो कम-उम्र लड़के हो... तुम से चुदवा कर तो हर औरत खुश होगी। कुछ ही दिनों में तुम इस काम में माहिर हो जा‌ओगे! और फिर मैं तो तजुर्बेकार हूँ... कितनों को... मेरा मतलब राशिद को भी सिखाया है तो वैसे ही तुम्हारी मदद भी करुँगी।”

मैं पूर-सकून हो गया। मैंने अपने ज़हन में सर उठाते हु‌ए खौफ से तवज्जो हटाने की कोशिश की और अम्मी के गालों को ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगा। उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया और अपने बाज़ू मेरी कमर के गिर्द लपेट कर मुझे अपने ऊपर आने दिया। मैंने अपने दोनों बाज़ू उनकी गर्दन में डाले और उन से पूरी तरह चिपक कर उन्हें चूमने लगा। मैंने अम्मी के होठों, गालों, ठोड़ी और गर्दन को चूम-चूम कर उनका पूरा चेहरा गीला कर दिया। वो भी इस चूमाचाटी का मज़ा ले रही थीं। फिर उन्होंने मेरे मुँह के अंदर अपनी ज़ुबान डाली तो मैंने उनकी जीभ अपने होठों में पकड़ी और उसे चूसने लगा। मेरे मुँह के अंदर मेरी और उनकी ज़बानें आपस में टकरातीं तो अजीब तरह का मज़ा महसूस होता। तजुर्बा ना होने की वजह से उनकी जीभ कभी मेरे होठों से निकल जाती तो वो फौरन उसे दोबारा मेरे होठों में दे देतीं। मुझे अम्मी की जीभ चूसने में गज़ब का लुत्फ़ आ रहा था। मेरा लंड अम्मी के नरम पेट से नीचे उनकी सलवार में घुसा हु‌आ था।

अम्मी के चेहरे के तासुरात से लग रहा था कि कम-अज़-कम अब तक तो मैं ठीक ही जा रहा था। मैं अम्मी से बुरी तरह चिपटा हु‌आ उन्हें चूम रहा था और वो भी मेरी ताबड़तोड़ चुम्मियों का जवाब दे रहीं थीं। हमारी साँस चढ़ गयी थी। अम्मी अब वाज़ेह तौर पर बेहद गरम होने लगी थीं। उनका जिस्म जैसे हल्के बुखार की कैफियत में था। अपनी अम्मी को चोदने का ख्याल मुझे पागल किये दे रहा था। मेरे ज़हन से अब जल्दी खल्लास होने का डर भी निकल चुका था। मैंने सोचा के ब्लू-फिल्मों से सीखी हु‌ई चीजें कामयाबी से कर के अम्मी को इंप्रेस करने का यही वक़्त है।

मैं अम्मी के ऊपर से उठ गया और उन्हें करवट दिला कर सा‌इड पर कर दिया। फिर मैंने कमर पर से उनकी ब्रा खोल कर उसे उनके जिस्म से जुदा कर दिया। इस पर अम्मी ने खुद ही अपनी सलवार और पैंटी उतार कर टाँगों से अलग कर दी। अब वो सिर्फ ऊँची हील वाली सैंडल पहने हु‌ए मुकम्मल नंगी हालत में थीं। मैंने उन्हें सीधा करने के लिये आगे हाथ ले जा कर उनके मोटे-मोटे नंगे मम्मों को हाथों में दबोच लिया और उन्हें अपनी जानिब खींचा। उन्होंने अपने खूबसूरत और दिलनशीं जिस्म को संभालते हु‌ए मेरी तरफ करवट ले ली। मैंने उनके दूधिया मम्मों को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया। मेरी नज़र में मम्मे औरत के जिस्म का सब से शानदार हिस्सा होते हैं और मेरी अम्मी के मम्मों की तो बात ही कुछ और थी। मैंने अम्मी के दोनों मम्मों को बारी-बारी इस बुरी तरह चूसा और चाटा के उनका रंग लाल हो गया। अम्मी के निपल्स को मैंने इतना चूसा कि वो अकड़ कर बिल्कुल सीधे खड़े हो गये थे।

मैं उनकी ये बात बिल्कुल भूल चुका था कि मम्मों के साथ नर्मी और एहतियात से पेश आना चाहिये। क‌ई दफ़ा जब मैंने उनके मम्मे ज़ोर से चूसे या दबाये तो वो बे-साख्ता कराह उठीं लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं। अपने मम्मे चुसवाने के दौरान अम्मी काफ़ी मचल रही थीं और मुसलसल अपना सर इधर-उधर घुमा रही थीं। जब मैं उनके मम्मों के निप्पल मुँह में ले कर उन पर ज़ुबान फेरता तो वो बे-क़ाबू होने लगतीं और मुझे उनके जिस्मानी रद्द-ए-अमल से महसूस होता जैसे वो अपने पूरे मम्मे मेरे मुँह में घुसा देना चाहती हैं। उनके निप्पल भी बे-इंतेहा लज्ज़तदार थे। मुझे उन्हें चूसने में ज़बरदस्त मज़ा आ रहा था। मेरे लंड की भी बुरी हालत हो रही थी जिसे शायद अम्मी ने महसूस कर लिया था और वो अपना हाथ मेरे अकड़े हु‌ए लंड पर रख कर बड़ी नरमी से ऊपर-नीचे फेरने लगीं। जब उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ में लिया तो मुझे अपने टट्टों में अजीब किस्म का खिंचाव महसूस होने लगा।

कुछ देर तक अम्मी के दोनों मम्मों को चूसने के बाद मैं सरक कर अम्मी की टाँगों की तरफ आया तो उन्होंने अपनी टाँगें फैला दीं। मैं उनकी फैली टाँगों के बीच में आ गया। अब मैं उनकी दिलकश चूत का नज़ारा देख रहा था। अम्मी की चूत भी अम्बरीन खाला की चूत की तरह बगैर-बालों के बिल्कुल साफ और चिकनी थी। फूली होने के बावजूद उनकी चूत सख्ती से बंद नज़र आ रही थी। मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उन्होंने शायद गैर-इरादी तौर पर उन्होंने अपनी टाँगें बंद करने की कोशिश की मगर मैं अपने सर को नीचे कर के उनकी टाँगों के बीच में ले आया और मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया। यहाँ भी ब्लू-फिल्में ही मेरे काम आ‌ईं। मैंने अम्मी की चूत पर ज़ुबान फेरी और उसे ज़ोरदार तरीक़े से चाटने लगा। मेरे लि‌ए चूत चाटने का यह पहला मौका था मगर जल्द ही मैं जान गया के अम्मी को खुश करने के लिये मुझे क्या करना है। अम्मी की टाँगें अकड़ गयी थीं और उनका एक हाथ मुसलसल मुझे अपने सर को सहलाता हु‌आ महसूस हो रहा था। उनके मुँह से वाक़फे-वाक़फे से सिसकने की आवाज़ आ रही थी। मैंने अपनी ज़ुबान उनकी चूत पर फेरते-फेरते उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो मुझे अचानक उनकी गाँड का सुराख मिल गया। मैंने फौरन सर झुका कर उसे भी चाट लिया। गाँड चाटने से मुझे भी बहुत मज़ा आया और अम्मी को भी मज़ा आने लगा और थोड़ी ही देर में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका नमकीन ज़ायक़ा अपनी ज़ुबान पर महसूस कर के मुझे फख्र हु‌आ कि मैं अम्मी को फारिग करने में कामयाब हो गया था।

उनके फारिग होने के बाद कुछ देर हम दोनों नंगे एक-दूसरे की बांहों में लेटे रहे। मुझे इस बात की खुशी थी कि मेरी कारगुजारी से अम्मी झड़ चुकी थीं मगर मेरा लंड अभी चूत की गिरफ्त से नावाकिफ था। उसकी बेचैनी को महसूस कर के अम्मी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और उसे बड़ी नर्मी से मुट्ठी में लिया और अपना हाथ ऊपर नीचे करने लगीं। मैं बहुत बार मुट्ठी मार चुका था पर अम्मी के हाथ का मज़ा ही अलग था। फिर अम्मी घुटनों के ज़ोर पर बेड पर बैठ गयीं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। मैंने ब्लू-फिल्मों में भी यही होते देखा था और अम्बरीन खाला ने भी नज़ीर के साथ यही किया था। मेरे लंड का टोपा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़ुबान फेरने लगीं। मैंने अम्मी को राशिद का लंड भी चूसते हु‌ए देखा था। उस वक़्त तो उन्होंने काफी जल्दी में राशिद के लंड को चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी महारत और आराम से चूस रही थीं।

उन्होंने पहले तो मेरे लंड के गोल-टोपे पर अच्छी तरह अपनी ज़ुबान फेर कर उसे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं। फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़ुबान गर्दिश करती रही। लंड चूसते-चूसते अम्मी की ज़ुबान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड पानी के गिलास के अंदर चला गया हो। कुछ ही देर में मेरा लंड टोपे से ले कर टट्टों तक अम्मी के थूक से भर गया। उनके मुँह में भी बार-बार थूक भर जाता था लेकिन वो एक लम्हे के लिये रुक कर उसे निगल लेतीं और फिर मेरा लंड चूसने लगतीं।

यकायक अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया। उनका चेहरा लाल हो चुका था। मेरे टोपे को उन्होंने होंठों में ले कर ज़ोर-ज़ोर से चूसा तो मेरे लंड में तेज़ सनसनहट होने लगी और मेरे टट्टे सख्त होने लगे। मुझे लगा जैसे मैं खल्लास हो जा‌ऊँगा। मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होंने नहीं सुना। फिर मैंने देखा कि उन्होंने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हु‌आ था और बड़ी उंगली अपनी चूत के अंदर डाल कर उसे तेज़ी से अंदर-बाहर कर रही थीं।

मैं समझ गया कि उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा और वो खल्लास होने के करीब हैं। अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर मैं भी सब्र ना कर सका उनके मुँह में ही मेरे लंड से झटकों के साथ मनि निकलने लगी। अपने मुँह के अंदर मेरी मनि को महसूस करके अम्मी ने मेरा लंड पर अपने होंठ और ज़ोर से जकड़ दिये और मेरे टट्टों को मुठ्ठी में पकड़ कर दबाने लगीं। अम्मी जल्दी-जल्दी मेरी मनि निगल रही थीं लेकिन मेरे लंड से इतनी तादाद में मनि निकल रही थी कि उन्हें मुँह खोलना ही पड़ा जिससे मेरी मनि उनके होंठों और गालों पर भी गिरने लगी। अम्मी खुद भी तेज़-तेज़ साँसें लेती हु‌ई खल्लास होने लगीं। उनका मुँह खुल गया और आँखें बंद हो गयीं। मैंने जल्दी से हवा में झूलता हु‌आ उनका एक मम्मा मुठी में जक्ड़ लिया और अपना लंड फिर उनके मुँह में देने की कोशिश की मगर उन्होंने ज़ुबान से ही मेरे टोपे पर लगी हु‌ई मनि चाट ली।

फारिग होने के बाद हमारे औसान बहाल हु‌ए तो मैंने कहा – “अम्मी, आप तो कमाल का लंड चूसती हो। मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं आया। मगर मैं आपकी चूत तो चोद ही नहीं सका और आपके मुँह में ही निपट गया।“

उन्होंने हंस कर जवाब दिया – “अगर तुम मेरे मुँह में फरिग नहीं होते तो मुझे तुम्हारी मनी का लज़ीज़ ज़ायका कैसे मिलता। और फिर अभी तो एक ही बजा है। तुम थोडा आराम कर के अपनी ताक़त फिर से हासिल कर लो। फिर तुम अपनी बाकी मुराद भी पूरी कर लेना।“ मैंने सोचा के अब मुझे नींद तो आने से रही। लेकिन ऐसा नहीं हु‌आ। अम्मी मेरे सर पर हाथ फेरने लगीं तो मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब नींद की आगोश में चला गया। अम्मी शायद अपने तजुर्बे से जानती थीं कि झड़ने के बाद अमूमन मर्दों को नींद आ जाती है।

123456...8