खाला और अम्मी की चुदा‌ई

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अम्मी को घूरते हुए नज़ीर बोला – “अच्छा तो तुम इसकी बहन हो। तुम भी इसी कि तरह मज़ेदार हो! इस की फुद्दी मैंने पिंडी में मारी थी और आज तक उसकी लज़्ज़त नहीं भूला। रोज़ इसकी चिकनी फुद्दी को याद कर के दूसरी औरतों को चोदता था और मुठ मारता था।“ अम्मी कुछ बोली नहीं सिर्फ़ अदा से मुस्कुरा दीं।

अम्बरीन खाला ने उन दोनों को बैठने को कहा और उन्हें भी शराब पेश की लेकिन नज़ीर इंकार करते हुए बोला – “मैं तो अब तुम दोनों को चोद कर तुम्हारे हुस्न की शराब पियुँगा। इस काम में मेरा ये दोस्त करामत मेरी मदद करेगा!” खाला और अम्मी के चेहरों पर खिफ़्फ़त के ज़रा से भी आसार नज़र नहीं आ रेहे थे बल्कि ये सुन कर उनके चेहरे और खिल गये। खाला इतराते हुए बोलीं – “तो कर लो अपना मुतालबा पूरा और निकलो यहाँ से!” नज़ीर ने कहा कि – “क्यों इतनी बे-रुखी बातें कर रही हो... जब चोदुँगा तो मज़ा तो तुम्हें भी आयेगा... याद है पिंडी में कैसे मज़े से चींख-चींख कर चुदी थी... बताया नहीं अपनी बहन को।“ ये सुनकर अम्बरीन खाला के गाल लाल हो गये। नज़ीर फिर बोला – “यहाँ मज़ा नहीं आयेगा... ऐसे कमरे में चलो जहाँ बेड हो!” अम्मी और खाला ने अपने गिलास खतम किये और उठकर उन दोनों को लेकर अम्मी के बेडरूम की तरफ़ जाने लगीं। मैं वहीं बैठा रहा तो नज़ीर बोला कि – “तुम हमें अपनी खाला और अम्मी को चोदते हुए देखोगे क्योंकि मुझे इन को तुम्हारे सामने चोदने में ज़्यादा मज़ा आयेगा।“

बेडरूम में जाते हुए अम्मी और खाला ऊँची हील के सैंडलों में बड़ी अदा से चूतड़ हिलाते हुए आगे-आगे चल रही थीं। बेडरूम में आते ही नज़ीर ने फौरन कपड़े उतार दिये और उसका अजीब-ओ-गरीब मोटा लंड सब के सामने नंगा हो गया। उसके मोटे-मोटे टट्टे दूर ही से नज़र आ रहे थे। करामत खामोश एक तरफ़ खड़ा रहा। अम्बरीन खाला तो नज़ीर का लंड अपनी चूत में ले ही चुकी थीं मगर अम्मी उसे देख कर वाज़ेह तौर पर हैरान हुई थीं। अम्मी ने मुस्कुराते हुए अम्बरीन खाला की तरफ़ माइनी-खेज़ नज़रों से देखा। शायद वो सोच रही थीं कि अम्बरीन खाला ने इतना मोटा और बड़ा लंड कैसे अपनी चूत में लिया होगा। अम्बरीन खाला ने भी मुस्कुराते हुए अम्मी को आँख मार दी। अब मुझे यकीन हो गया कि दोनों बहनें खुद ही चुदने के लिये तड़प रही थीं और उन्होंने एक दफ़ा भी करामत की मौजूदगी पर एतराज़ ज़ाहिर नहीं किया था।

फिर नज़ीर के कहने पर करामत ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उसका लंड भी कम जानदार नहीं था। उसका लंड नज़ीर से पतला था लेकिन बे-इंतेहा लम्बा था। मैंने सिर्फ़ ब्लू-फ़िल्मों में ही इतना लम्बा लंड देखा था। करामत का लंड देख कर समझ में आता था कि वो और नज़ीर क्यों दोस्त थे। फिर खेल शुरू हो गया। नज़ीर ने अम्मी का हाथ पकड़ा और उन्हें खींच कर सीने से लगा लिया। अम्मी उससे काफी लम्बी थीं और फिर उन्होंने तकरीबन चार इंच ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल भी पहन रखी थी। नज़ीर ने अपने हाथ उनकी मज़बूत कमर में डाले और उन्हें सख्ती से अपने साथ चिमटा लिया। फिर अम्मी का दुपट्टा उतार कर फ़रश पर फ़ेंका और उनका चेहरा नीचे करके उनके होंठों पर अपने होंठ मज़बूती से जमा दिये। वो बड़ी शिद्दत से अम्मी के सुर्ख होंठों को चूम रहा था। उसने एक हाथ से अम्मी के मम्मे पकड़े और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। अम्मी के होंठों को चूमते हुए नज़ीर का एक हाथ मुसलसल उनके मम्मों से खेल रहा था। अम्मी भी उसके बोसों का खुल कर जवाब दे रही थीं। फिर नज़ीर एक सेकेंड के लिये अम्मी के होंठों से अपना मुँह हटाया और अम्बरीन खाला को अपने पास बुलाया।

अम्बरीन खाला ने तिरछी नज़र से मुझे देखा और कुर्सी से उठ कर मुस्कुराती हुई नज़ीर के पास चली गयीं। उसने एक हाथ से उन्हें भी खींच कर अपने करीब कर लिया। अब वो अम्मी और अम्बरीन खाला दोनों के साथ चिपका हुआ था। दो गोरी और निहायत हसीन और खूबसूरत औरतों के दरमियान वो बद-शक्ल छोटे से कद का आदमी अपने मोटे तने हुए लंड के साथ एक अजूबा लग रहा था। उसने अपना एक-एक हाथ अम्मी और अम्बरीन खाला कि गर्दनों में डाला और बारी-बारी दोनों के मुँह चूमने लगा। वो दोनों भी उसके बोसों का पूरा जवाब दे रही थीं। इस दफ़ा मेरी हालत भी पिंडी जैसी नहीं थी और मुझे अपने लंड में गुददुदी होती महसूस हो रही थी। मेरा चेहरा लाल हो रहा था लेकिन इस लाली की वजह शरम नहीं थी बल्कि अपनी अम्मी और अम्बरीन खाला को इस हालत में देख कर मैं गरम हो गया था।

नज़ीर अम्मी और अम्बरीन खाला को बेड के क़रीब ले आया और खुद उस पर लेट गया। उसने अपना मोटा ताज़ा अकड़ा हुआ लंड हाथ में पकड़ लिया और करामत से कहा कि – “इन दोनों गश्तियों के कपड़े उतार दे तकि इन कि इनके मम्मे और फुद्दियाँ तो नज़र आयें!” करामत ने आगे बढ़ कर अम्मी की कमीज़ उनके चूतड़ों पर से उठायी और सर के ऊपर से उतार दी। फिर करामत ने हाथ आगे ले जा कर उनकी सलवार का नाड़ा खोला और उनकी सलवार उनके पैरों तक नीचे खींच दी। फिर उसने झुक कर उनकी सलवार उनके सैंडल पहने हुए पैरों से निकाल ली। उसने अम्बरीन खाला के गुदाज़ जिस्म को भी कपड़ों से इसी तरह आज़ाद कर दिया। अम्मी और अम्बरीन खाला अब सिर्फ़ ब्रा, पैंटी और ऊँची हील के सैंडल पहने खड़ी थीं। बकौल नज़ीर उनके मम्मे और चूतें तो उस ही की तरफ़ थीं लेकिन मोटे-मोटे चूतड़ मेरी जानिब थे। दोनों ने जी-स्ट्रिंग पैंटियाँ पहनी हुई थी जिनमें कमर पे और पीछे की तरफ सिर्फ पतली सी डोरी थी जो उनके चूतड़ों के बीच में धंस कर छुपी हुई थी।

मुझे उन दोनों के चूतड़ों के साइज़ में भी कोई फर्क़ महसूस नहीं हुआ। करामत ने अब बारी-बारी अम्मी और अम्बरीन खाला के ब्रा के हूक खोले और उनके बड़े-बड़े मम्मों को नंगा कर दिया। फिर ना-जाने करामत को क्या सूझी कि उसने अम्मी और अम्बरीन खाला के मोटे चूतड़ों पर अपना एक हाथ फेरा और उन्हें दबाने लगा जैसे कि चेक कर रहा हो। फिर उसने एक-एक कर के उन दोनों की जी-स्ट्रिंग पैंटियाँ भी उतार दीं। अम्मी और अम्बरीन खाला अब सिर्फ ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने अलिफ नंगी थीं।

ये सब कुछ हो रहा था और मेरी हालत खराब हो रही थी। मेरी तवज्जो नंगी खाला की तरफ़ ज्यादा थी जिसे मैंने अभी तक नहीं चोदा था। मैं अम्मी और अम्बरीन खाला को नंगा देख कर अपने ऊपर काबू नहीं कर पा रहा था और मेरा चेहरा टमाटर की तरह लाल हो चुका था। ऊँची हील कि सैंडल पहने होने की वजह से अम्मी और अम्बरीन खाला के गोल और भारी चूतड़ और ज्यादा बाहर निकले हुए बेहद हसीन लग रहे थे जिन्हें देख कर मेरा लंड तन गया था और उस में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी।

फिर नज़ीर ने अम्मी और अम्बरीन खाला दोनों को कहा कि वो उसका लंड चूसें। अम्मी अपने होंठ पे ज़ुबान फिराती हुई फौरन बेड पर चढ़ गयीं और नीचे झुक कर नज़ीर का लंड अपने मुँह में ले कर उसके टोपे पर ज़ुबान फेरने लगीं। अम्बरीन खाला भी अपने भारी मम्मों और चूतड़ों को हरकत देती हुई सैंडल पहने हुए ही बेड पर चढ़ गयीं। अम्मी की चौड़ी गाँड का रुख मेरी तरफ़ था। अम्बरीन खाला ने भी घुटनों के बल बैठ कर अपना मुँह नज़ीर के काले सियाह लंड के क़रीब कर लिया जिसे अम्मी अपने गोरे हाथ में पकड़ कर चूस रही थीं। अम्बरीन खाला की मोटी गाँड भी मेरी जानिब थी। दोनों बहनों के चूतड़ों को जिनके बीच में उनकी चिकनी चूतें और गाँड के सुराख नज़र आ रहे थे इस तरह हवा में उठा देख कर मेरे जिस्म में खून कि गर्दिश बढ़ गयी। नज़ीर सही कहता था कि दोनों ही ज़बरदस्त माल थीं।

जब अम्मी नज़ीर का मोटा लंड चूसते-चूसते ज़रा थक गयीं तो उन्होंने उसे अपने मुँह से निकाल लिया। अब अम्बरीन खाला ने अम्मी के थूक से भीगा नज़ीर का लंड अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। नज़ीर ने अम्मी को बाज़ू से पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और उनके मुँह में मुँह दे कर उनकी ज़ुबान चूसने लगा। उसका एक हाथ बड़ी बे-दर्दी से अम्मी के मम्मों के नरम उभारों को मसल रहा था। मैंने देखा कि अम्मी भी अपनी ज़ुबान नज़ीर के मुँह में डाल रही थीं। जब नज़ीर ने ज़ोर से अम्मी के नंगे मम्मे पर चुटकी काटी तो उनके मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। अम्मी ने मसनोई गुस्से से उसकी तरफ़ देखते हुए प्यार से उसके सीने पर मुक्का मारा तो नज़ीर हंसने लगा। अम्बरीन खाला ने भी उसका मोटा लंड अपने मुँह से निकाला और उसकी तरफ़ देखा। नज़ीर भी शायद अम्मी और अम्बरीन खाला से अपना लंड चुसवा-चुसवा कर बेहद गरम हो गया था। उसने करामत को इशारा किया।

करामत किसी पालतू कुत्ते की तरह बेड के पास आ गया। चलते हुए उसका बेहद लम्बा लंड अकड़ कर हवा में हिचकोले ले रहा था। नज़ीर ने अम्मी और अम्बरीन खाला से कहा कि – “ज़रा मेरे यार का लौड़ा। क्या तुम ने कभी ऐसा लौड़ा देखा है?” अम्मी और अम्बरीन खाला ने मुड़ कर करामत को देखा तो उसके लंड को ललचाई नज़रों से निहारने लगी। मैंने देखा कि अम्बरीन खाला का एक हाथ बे-साख्ता उनकी चूत पर फिसलने लगा। अम्मी की आँखों में भी हवस और तारीफ झलक रही थी।

नज़ीर ने अम्मी और अम्बरीन खाला को बेड पर सीधा लिटा दिया। फिर उसने अम्मी की टाँगें खोलीं और उनकी चूत चाटने लगा। उसकी लम्बी ज़ुबान शपाशप मेरी अम्मी की उभरी हुई चिकनी चूत पर तेज़ी से चलने लगी। उसने अपने दोनों हाथ अम्मी के चूतड़ों के नीचे रखे और उन्हें थोड़ा ऊपर उठा दिया। वो उनकी गाँड के सुराख से ले कर उनकी चूत के ऊपरी हिस्से तक अपनी ज़ुबान फेर रहा था। अम्मी अपनी चूत और गाँड के सुराख पर नज़ीर की ज़ुबान बर्दाश्त ना कर सकीं और उनके मुँह से मस्ती भरी आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं। अम्बरीन खाला उनके साथ ही लेटी थीं और अपनी बहन की हालत देख कर खुद भी गरम हो गयी थीं और अपनी चूत पर हाथ फेर रही थीं। करामत भी अम्मी की हालत देख कर बे-काबू हो रहा था।

वो नज़ीर से पूछे बगैर बेड पर चढ़ा और अम्बरीन खाला के ऊपर लेट गया। उसने अम्बरीन खाला के मुँह पे ज़ोर-ज़ोर से बहुत सी चुम्मियाँ लीं और उनके मुलायम मम्मों को हाथों में ले कर बुरी तरह चूसने लगा। अम्बरीन खाला ने भी “ऊँऊँहहह ऊँऊँहहह” शुरू कर दी और उनकी टाँगें खुद-ब-खुद खुल गयीं। करामत अम्बरीन खाला पर चढ़ा हुआ था और जब उनकी टाँगें खुलीं तो वो अपने जिस्म के दर्मियाने हिस्से को पूरी तरह उनकी चूत के ऊपर ले आया। उसका लंड अम्बरीन खाला की चूत और गाँड के सुराख से टकराता हुआ बेड की चादर से थोड़ा ऊपर आ गया।

अम्बरीन खाला के मम्मे अच्छी तरह चूसने के बाद करामत नीचे की तरफ़ खिसका और उनकी चूत चाटने लगा। अम्बरीन खाला बेड पर कसमसाने लगीं और उनके मुँह से एक तवातुर के साथ आवाज़ें बरामद होने लगीं। करामत उनकी चूत के कुछ हिस्से को मुँह में लेता तो उनके जिस्म में जैसे करंट दौड़ जाता। दोनों बहनों के मुँह से निकलने वाली मस्ती भरी आवाज़ें एक दूसरे में मद्घम हो रही थीं।

करामत ने फिर उठ कर अम्बरीन खाला के मुँह में अपना लंड दे दिया। वो उसका लम्बा लंड पूरा अपने मुँह में नहीं ले सकती थीं लेकिन बहरहाल वो उस का टोपा और टोपे से नीचे का काफी हिस्सा चूसती रहीं। करामत के टट्टे इस दौरान पेंडुलम की तरह हिलते रहे।

अम्बरीन खाला उसके लंड के टोपे को बड़ी अच्छी तरह चाट रही थीं और वो खूब मज़े ले रहा था। करामत ने ज़बरदस्ती अपने लंड को अम्बरीन खाला के मुँह के और अंदर करने की कोशिश की। शायद उसके लंड का टोपा उनके हलक़ में लगा और वो खाँसने लगीं। नज़ीर ने करामत से कहा कि एहतियात करे। करामत मुस्कुरा दिया।

नज़ीर ने अब अम्मी को अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा। अम्मी ने अपनी चढ़ी हुई साँसों को काबू करने की कोशिश की और नज़ीर के पेट पर बैठ गयीं। फिर उन्होंने अपने मोटे चूतड़ ऊपर उठाये और नज़ीर के थूक में लिथड़ी हुई अपनी चूत उसके लंड के बिल्कुल ऊपर ले आयीं। नज़ीर ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उसे अम्मी की चूत के अंदर करने लगा। उसके लंड का टोपा अम्मी की चूत को खोलता हुआ उसके अंदर घुस गया। अम्मी के चेहरे पर हल्की सी तक़लीफ नज़र आने लगी।

नज़ीर ने उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर लगा कर उनके जिस्म को नीचे की तरफ़ दबाया। उसका लंड फंस-फंस कर अम्मी की चूत में गायब हो गया। चंद सेकंड रुक कर नज़ीर ने अम्मी कि चूत में एक ज़बरदस्त घस्सा मारा। अम्मी के मुँह से ज़ोर की आवाज़ निकली। अब वो नज़ीर का पूरा लंड अपने अंदर ले चुकी थीं। नज़ीर ने अम्मी के मम्मे पकड़े और उन्हें अपनी तरफ़ खींचते हुए नीचे से उनकी चूत में घस्से मारने लगा। अम्मी उसके सीने पर झुक गयीं और नज़ीर ने उनके होंठ अपने मुँह में ले लिये।

कुछ देर इस तरह अम्मी को चोदने के बाद नज़ीर ने अपने दोनों हाथ अम्मी के चूतड़ों के पीछे ला कर उन्हें मज़बूती से पकड़ लिया और उन्हें अपने लंड पर आगे-पीछे करने लगा। अम्मी के गोरे चूतड़ों पर उसके काले हाथ ऐसे लग रहे थे जैसे दो सफ़ेद घड़ों पर काले रंग से इंसानी हाथों के निशान बना दिये गये हों।

अम्मी भी मस्ती के आलम में नज़ीर के सीने पर हाथ रख कर अपने जिस्म को ऊपर उठा रही थीं ताकि उसका लंड आसानी से उनकी चूत ले सके। नज़ीर के हर घस्से पर अम्मी का मुँह खुल जाता और वो ज़ोर-ज़ोर से “ऊँऊँहहह ऊँऊँहहह” करने लगती थीं। नज़ीर ने कहा कि – “तुम्हारी फुद्दी में भी बिल्कुल तुम्हारी बहन जैसा मज़ा है।“ अम्मी मस्ती से अपनी चूत मरवाती रहीं और कोई जवाब नहीं दिया। उनके लंबे और रेशमी बाल नज़ीर के एक कंधे पर पड़े हुए थे। कुछ ही देर में उसके लंड पर अम्मी के मोटे चूतड़ों की उछल-कूद तेज़ हो गयी और वो अपने मोटे मम्मे हिला-हिला कर ज़ोरदार आवाज़ें निकालते हुए खल्लास हो गयीं। खल्लास होने की वजह से उनका सारा जिस्म थर्रा रहा था। रफ़्ता-रफ़्ता नज़ीर के लंड पर उनके चूतड़ों की हर्कत आहिस्ता होने लगी।

मुझे अम्मी की गाँड का सुराख साफ़ नज़र आ रहा था और उससे ज़रा नीचे नज़ीर का मोटा लंड भी जो आधा अम्मी की चूत के अंदर था। उसके लंड के ऊपर अम्मी की चूत से निकलने वाला पानी एक लकीर बनाता हुआ उसके टट्टों की तरफ़ बह रहा था। उसकी बड़ी उंगली अम्मी कि गाँड के सुराख पर रखी हुई थी। कुछ देर अम्मी की चूत मारने के बाद नज़ीर ने रुक कर अपने लंड को एक हाथ में पकड़ा और दूसरे हाथ से अम्मी के चूतड़ों को हर्कत देते हुए उसे उनकी चूत में सही जगह फिट करके फिर घस्से मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अम्मी को सीधा लिटाया और अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। अब उसका लंड फिर अम्मी कि चूत को फाड़ रहा था। वो अम्मी को चोदते हुए उनके कान में कुछ कह भी रहा था लेकिन मैं सुन नहीं सकता था।

करामत ने इस पोज़िशन में अम्बरीन खाला के जिस्म को अच्छी तरह चूमने और चाटने के बाद उन्हें बेड पर लिटा दिया था। उसने उनके ऊपर आ कर उनकी चूत के अंदर एक ऐसा घस्सा मारा कि उसका पूरा लंड एक झटके से अम्बरीन खाला की चूत के अंदर चला गया। जब उसका लम्बा लंड अम्बरीन खाला की चूत में घुसा तो बे-साख्ता उनकी चींख निकल गयी। अम्मी ने नज़ीर के नीचे लेटे-लेटे अम्बरीन खाला की तरफ़ देखा और फिर अपनी आँखें बंद करके उस के मोटे लंड का मज़ा लेने लगीं।

कुछ ही देर में अम्बरीन खाला की चूत करामत का लंड ज़रा सहुलियत से लेने लगी और वो उन्हें तेज़-रफ़्तार से चोदने लगा। उसने अचानक अपने लंड को अम्बरीन खाला की चूत में गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया। अम्बरीन खाला का मुँह खुल गया और वो अपने चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से ऊपर उठाने लगीं। अब करामत और अम्बरीन खाला दोनों ही घस्से मार रहे थे। अम्बरीन खाला करामत के लंड पर घस्से मार रही थीं और करामत अम्बरीन खाला की चूत में घस्से लगा रहा था। एक मिनट बाद ही अम्बरीन खाला छूट गयीं और उनके मुँह से निकलने वाली आवाज़ें पहले कुछ और तेज़ हुईं और फिर दम तोड़ने लगीं।

करामत उनके खल्लास होने से और बिफर गया और उसके घस्सों में शिद्दत आ गयी। उसका लंड अम्बरीन खाला की पानी से भरी हुई चूत में ‘शपड़-शपड़’ की आवाज़ों के साथ आ जा रहा था। चंद लम्हों के अंदर ही अम्बरीन खाला ने एक बार फिर तेज़-तेज़ “ऊँऊँहहह आआंआंह” शुरू की और बड़े खौफ़नाक तरीके से दूसरी दफ़ा खल्लास हो गयीं। उनकी चूत से निकलने वाले पानी ने बेड की नीली चादर पर काफी बड़ा गोल-सा निशान बना दिया था। करामत उनकी हालत से बे-नियाज़ उसी तरह अपने लंड से उनकी चूत की धज्जियाँ उड़ाता रहा और उसके टट्टे अम्बरीन खाला की गाँड के सुराख से ‘थप-थप’ टकराते रहे।

कुछ देर में नज़ीर ने अम्मी की चूत से अपना लंड निकाला और करामत से कहा कि वो अब अम्बरीन खाला की फुद्दी मारना चाहता है। करामत फौरन अम्बरीन खाला के ऊपर से उठ गया और आ कर अम्मी के मोटे मम्मे चूसने लगा। नज़ीर ने पहले तो अम्बरीन खाला के आठ-दस बोसे लिये और फिर उनके मम्मे मसलते हुए उनको अपने लंड पर बिठा लिया। उन्होंने इस दफ़ा नज़ीर का मोटा लंड बड़ी आसानी से अपनी चूत में ले लिया और उस पर ऊपर नीचे होने लगीं। कुछ देर तक अम्बरीन खाला के मम्मे हाथों में पकड़ कर नज़ीर उन्हें इसी तरह चोदता रहा।

फिर उसने अम्बरीन खाला को कुत्तिया बनाया और पीछे से उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया। उसके घस्सों के ज़ोरदार झटकों से अम्बरीन खाला के मोटे मम्मे बे-काबू हो कर ज़ोर-ज़ोर से झूलने लगे। कोई आठ दस मिनट तक उन्हें पीछे से चोदने के बाद नज़ीर ने एक दफ़ा फिर उनका पानी छुड़ा कर उनकी चूत की जान छोड़ी और दो तकिये सर के नीचे रख कर बेड पर लेट गया। अम्बरीन खाला भी वहीं अपनी टाँगें फैला कर के लेटी हुई अपनी साँसें काबू करने लगीं।

करामत उस वक़्त अम्मी के चूतड़ों को खोल कर उनकी चूत और गाँड के सुराख को चाट रहा था। नज़ीर ने अम्मी से कहा कि वो उसका लंड चूसें और अपनी बहन की चूत के पानी का मज़ा लें। उसने हंस कर कहा कि आज वो उन्हें लंदन की सैर करायेगा। अम्मी मुस्कुराते हुए करामत के पास से हट गयीं। वो एक लम्हे के लिये रुकीं लेकिन फिर उन्होंने घुटनों के बल बैठ कर नज़ीर का गीला लंड मुँह में लिया और उसे चूसने लगीं। करामत ने भी अपना लंड उनके मुँह के सामने कर दिया और अम्मी बारी-बारी उन दोनों के लंड चूसती रहीं।

थोड़ी देर तक अम्मी से अपना लंड चुसवाने के बाद करामत उनके चूतड़ों की तरफ़ आ गया और अपना लम्बा लंड हाथ में पकड़ कर उनकी फूली हुई चूत में अपनी बड़ी उंगली डाल कर हिलाने लगा। अम्मी ने फुसफुसाते हुए कहा कि – “उंगली नहीं अपना लंड अंदर डालो!” इस पर करामत ने एक झटके से अपने लंड को अम्मी की चूत के अंदर घुसेड़ दिया। अम्मी उस वक़्त नज़ीर का लंड चूस रही थीं लेकिन जब करामत ने अपना लंड अचानक उनकी चूत में डाला तो नज़ीर का लंड उनके मुँह से निकल गया। करामत ने फौरन ही अम्मी के चूतड़ों को पकड़ा और उनकी चूत में घस्से मारने लगा। उसका ताकतवर लंड अम्मी कि चूत को जैसे फाड़ता हुआ उसके अंदर जा रहा था। अम्मी के चेहरे पर तक़लीफ के आसार थे और वो अपनी चूत में लगने वाले हर घस्से पर “आआंआंहह... आंआंआईईई.... आआंआंहह... आआंआंहह...” कर रही थीं। करामत का लंड उनकी चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था।

अम्मी ने नज़ीर का लंड अपने हाथ में पकड़ा हुआ था लेकिन करामत के तेज़ झटकों की वजह से अब उसे चूस नहीं पा रही थीं। करामत का लंड अपने अंदर लेटे हुए अम्मी का तनोमंद जिस्म बार-बार दुहरा हो-हो जाता था। करामत ने अम्मी को काबू करने के लिये अपना एक हाथ उनकी गर्दन पर रखा और उन्हें नीचे दबा कर उनकी चूत में पूरी ताकत से घस्से मारने लगा। नज़ीर ने अम्मी के दोनों मम्मे हाथों में दबोच लिये और उन्हें अपनी चूत को करामत के लंड के ऊपर ही रखने पर मजबूर कर दिया। अम्मी अब आगे हो कर करामत के लंड से अपनी चूत को बचा नहीं सकती थीं। उन्होंने बे-बसी के आलम में अपना एक हाथ पीछे कर के करामत की रान पर रखा और उसे तेज़ घस्से मारने से रोकने की कोशिश की मगर वो अपने लंबे लंड से अम्मी कि चूत का कचूमर निकालने में मसरूफ रहा। वो इसी तरह अम्मी को चोदता रहा और अम्मी की मस्ती भरी चींखें बेडरूम में गूँजती रहीं। इसी तरह चींखें मारते मारते अम्मी फिर खल्लास हो गयीं।

अम्बरीन खाला नज़ीर के बिल्कुल साथ जुड़ कर लेटी थीं और अम्मी की मस्ती भरी चींखें उन पर भी असर कर रही थीं। मैंने उनके मम्मों के निप्पल अकड़ते हुए देखे। वो एक हाथ से अपना एक मम्मा मसल रही थीं और दूसरा हाथ से अपनी चूत। वो लंड लेने के लिये बेताब नज़र आ रही थीं लेकिन नज़ीर और करामत दोनों की तवज्जो अम्मी को चोदने पर मरकूज़ थी। बिल-आखिर नज़ीर ने अम्मी को करामत के हवाले किया और अम्बरीन खाला को अपने लंड पर बैठने को कहा। उन्होंने वक़्त ज़ाया किये बगैर नज़ीर के ऊपर टाँग पलटायी और उस का लंड अपनी चूत में ले लिया। दोनों बहनों को दो इंतेहाई तजुर्बेकार मर्द बे-तहाशा चोद रहे थे।

अम्बरीन खाला नज़ीर के लंड पर बैठी ही थीं कि तीन-चार मिनट में फिर खल्लास हो गयीं। नज़ीर हंसने लगा। उसने अम्बरीन खाला को बेड पर लिटाया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया। अभी उसने उनकी चूत में दस-बारह घस्से ही लगाये थे कि उसके मुँह से अजीब भोंडी आवाज़ें निकलने लगीं। उसके काले चूतड़ अकड़ गये और उसने खल्लास होते हुए अम्बरीन खाला की चूत में अपनी सारी मनि छोड़ दी। फिर उसने अपना लंड उनके अंदर से निकाला और उनके साथ लेट गया।

करामत अब भी अम्मी की चूत में घस्से मार रहा था और उसका मुँह जिस्मानी मुशक्कत से लाल हो रहा था। वो भी अब यकीनन छूटने के क़रीब था। उसने चंद ज़ोरदार घस्सों के बाद अपने लंड को अम्मी की चूत में पूरा घुसा कर दबा दिया और वहीं रुक गया। फिर अपना पूरा मुँह खोल कर उसने अम्मी के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनके अंदर अपनी मनि डालने लगा। अम्मी की चूत में अपनी मनि का आखिरी कतरा डालने के बाद वो उनके बगल में लेट गया।.

जब नज़ीर और करामत फारिग हुए तो मुझे लगा कि चलो काम निपट गया लेकिन मेरा ख्याल बिल्कुल गलत था। दो-तीन मिनट तो चारों बेड पर लेटे अपनी-अपनी साँसें संभालते रहे। फिर नज़ीर ने मेरी अम्मी और अम्बरीन खाला से पूछा कि उन्हें भी मज़ा आया कि नहीं। इस बार दोनों ने मुस्कुराते हुए “हूँहूँ” करके हाँ में जवाब दिया। चारों में से किसी ने भी अपने नंगे जिस्म को ढकने की ज़हमत नहीं की। उनके लिये मैं तो जैसे वहाँ मौजूद ही नहीं था। फिर अचानक नज़ीर मुझसे मुखातिब होते हुए बोला – “तुम्हें मज़ा आया अपनी अम्मी और खाला को चुदते देख कर?” मैं कुछ नहीं बोला और नज़रें झुका लीं। मेरा लंड अभी भी पैंट के अंदर तन कर खड़ा था लेकिन शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी। फिर वो मुझसे बोला कि उनके पीने लिये कुछ ठंडा ले कर आऊँ। मैं किचन में जाकर पाँच बड़े गिलसों में बर्फ़ के साथ पेप्सी डालने लगा। मुझे बेडरूम से अम्मी और अम्बरीन खाला के कुछ बोलने और खिलखिला के हंसने कि आवाज़ें सुनाई दे रही थी। जब मैं ट्रे में गिलास ले कर आया तो मैं बेडरूम के बाहर रुक कर अंदर चल रही गुफ़्तगू सुनने लगा।

नज़ीर बोल रहा था – “अभी तो और मज़ा आयेगा... जब हम दोनों मिल के तुम दोनों तो लंदन की सैर करवायेंगे!” अम्मी ने मुस्कुराते हुए पूछा – “लंदन की सैर? वो कैसे?”

“जब सैर करोगी तब देख लेना!” कहते हुए नज़ीर और करामत दोनों हंसने लगे और अम्मी और अम्बरीन खाला भी उनके साथ हंसने लगीं। ज़ाहिराना तौर पे दोनों बहनें इस हरामकारी में खुल कर शरीक़ हो रही थीं और बस मेरी मौजूदगी में शाइस्तगी का थोड़ा नाटक कर रही थीं। नज़ीर फिर बोला – “मेरी तो सलाह है कि थोड़ी शराब और पी लो तुम दोनों... मदहोशी में लंदन की सैर का पूरा मज़ा ले सकोगी।“

मैं ट्रे लेकर कमरे में दाखिल हुआ तो अम्मी और खाला चुप हो गयीं। चारों पहले जैसी ही नंगी हालत में थे। अम्मी और अम्बरीन खाला मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थीं। मैंने बेड के साइड में छोटी सी मेज़ पर ट्रे रख दी। चारों पेप्सी पीने लगे। इतने में अम्मी बेड से उतरकर नंगी ही ऊँची हील के सैंडल में चूतड़ मटकाती बेडरूम के अटैच्ड बाथरूम में चली गयीं। फिर अम्बरीन खाला भी अपनी पेप्सी खतम करके अम्मी की तरह नंगी ही सैंडल खटकाती हुई ड्राइंग रूम की तरफ चली गयीं। कुछ सेकंड के बाद खाला जब वापस आयीं तो उनके हाथ में शराब की वही आधी भरी बोतल थी जिसमें से वो और अम्मी नज़ीर के आने से पहले पी रही थीं। मेरे लंड की हालत खराब थी इसलिये मैं धीरे से बोला कि मैं अभी आता हूँ और बेडरूम से बाहर निकल कर अपने बाथरूम में मुठ मारने के लिये चला गया। मुठ मार के करीब दस मिनट के बाद जब मैं वापस अम्मी के बेडरूम में आया तो अम्मी और खाला बेड पर नज़ीर और करामत के बीच में बैठी शराब पी रही थीं। नज़ीर और करामत उनके जिस्मों को सहला रहे थे। अम्बरीन खाला ने भी शराब पीते हुए नज़ीर का लंड अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया और हंसने लगीं। थोड़ी देर ऐसे ही छेड़छाड़ का सिलसिला चला और अम्मी और खाला ने काफी शराब पी ली थी और नशे में झूमने लगी थीं। अम्बरीन खाला को तो मैंने पहले पिंडी में होटल में नशे में चूर होते देखा था लेकिन अम्मी को मैंने इससे पहले कभी इतने नशे में नहीं देखा था। अब तो उन्हें मेरी मौजूदगी का भी कोई लिहाज़ या फिक्र नहीं थी।

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