खाला और अम्मी की चुदा‌ई

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को‌ई एक घंटे के बाद मेरी नींद तब खुली जब मैंने अपने लंड पर एक निहायत पुरलुत्फ जकड़न महसूस की। मैंने आँखें खोली तो पाया कि मेरा तना हु‌आ लंड अम्मी की मुट्ठी में था। कमरे की ला‌इट अभी भी ऑन ही थी और अम्मी भी पहले जैसे बिल्कुल नंगी थीं और उन्होंने ऊँची ही वाले सैंडल भी नहीं उतारे थे। अम्मी ने मुस्कराते हु‌ए कहा – “शायद तुम को‌ई खुशनुमा ख्वाब देख रहे थे। तभी ये नींद में ही खड़ा हो गया।“ मैं अम्मी को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया और उनके जिस्म को चूमने चाटने लगा। मेरा लंड बेचैन हो चुका था। मैं उस वक़्त दुनिया जहान से बेखबर था और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी अम्मी के पुरकशिश और गदराये हु‌ए जिस्म से पूरी तरह लुत्फ़-अंदोज़ होना चाहता था। शायद क़यमत भी आ जाती तो मुझे पता ना चलता। मैं उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हु‌ए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था कि अचानक अम्मी ने अपनी टाँगें पूरी तरह खोल दीं। मेरा तना हु‌आ लंड उनकी चूत के ऊपर टकरा गया। मैंने महसूस किया कि अम्मी ने आहिस्ता से अपने जिस्म को ऊपर की तरफ़ उठया और अपनी चूत से मेरे लंड पर दबाव डाला। मैं बे-खुद सा हो गया और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी चूत को बड़ी तेज़ी और बे-दर्दी से मसलने लगा। अम्मी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। वो अब बहुत ज्यादा गरम हो रही थीं और सिसकियाँ ले रही थीं। अब अपनी अम्मी की चूत में लंड घुसाने का वक़्त आ पुहँचा था।

मैंने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर घुसाने की कोशिश की मगर मुझे कामयाबी नहीं मिली। अम्मी मेरी नातजुर्बेकारी को समझ गयीं। अभी मैं अम्मी की चूत में अपना टोपा घुसाने की कोशिश कर ही रहा था कि मेरी मदद करने की खातिर उन्होंने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया और फिर उनकी कमर उठी और मेरा लंड अम्मी की चूत को फैलाता हु‌आ उसके अंदर समाने लगा। उनकी चूत अंदर से नरम और गीली थी। अगरचे मेरा लंड बड़ी आसानी से अम्मी की चूत के अंदर गुसा था मगर इसमें को‌ई शक नहीं था कि उनकी चूत काफी टा‌इट थी।

जैसे ही मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर गया मुझे उनकी चूत आहिस्ता-आहिस्ता खुलती हु‌ई महसूस हु‌ई और मेरा लंड टट्टों तक उसके अंदर गायब हो गया। उन्होंने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनों हाथ मेरे बाजु‌ओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर-नीचे किया ताकि मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले। मैं पहली बार अपने लंड पर चूत की कसावट महसूस कर रहा था और यह एहसास नाकाबिले-बयां था। लंड अंदर जाते ही मैंने बे-साख्ता घस्से मारने के लिये अपने जिस्म को ऊपर-नीचे करने शुरू कर दिया। ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हु‌आ था।

अचानक अम्मी सिसकते हु‌ए बोलीं – “इतने बेकरार मत हो... तुम जल्दबाज़ी करोगे तो पूरा मज़ा नहीं ले सकोगे! जैसा मैं कहती हूँ वैसा करो।“ मैंने बामुश्किल अपने धक्कों को रोका। अम्मी ने मेरे चेहरे को अपनी जानिब खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिये। उनके बोसे का मज़ा लेने के साथ-साथ मैंने अपने लंड के र्गिर्द अम्मी की चूत की गिरफ्त को महसूस किया। कुछ देर बाद अम्मी अपने चूतड़ हौले-हौले उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं। उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया कि मैं भी धक्के मारूँ। मैंने उनकी ताल से ताल मिला कर हलके-हलके धक्के लगाने लगा। अम्मी ने एक हाथ लंबा करके चूतड़ पर रखा हु‌आ था और ज़ोर दे कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं। कुछ घस्सों के बाद मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा तो अम्मी ने अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी। अब हम दोनों एक दूसरे के घस्सों का जवाब पुरजोर घस्सों से दे रहे थे। मुझे अम्बरीन खाला याद आयी। वो भी इसी तरह अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर नज़ीर से चुदी थीं। अम्मी कुछ देर तो दबी आवाज़ में सिसकते हु‌ए चुदती रहीं लेकिन जब मेरे लंड के झटके तेज़ हो गये तो उन्होंने खुल कर ज़ोर-ज़ोर से “ऊँह... आ‌आहहह... ओहहह” करना शुरू कर दिया।

अम्मी को चोदते हु‌ए मैं मज़े के एक गहरे समंदर में गोते खा रहा था। उनके मुँह से निकलने वाली बेधड़क सिस्कारियाँ मुझे और भी पागल करने लगीं। इन आवाज़ों ने मेरे ज़हन को बड़ा सकून बख्शा और मेरे एहतमाद में इज़ाफ़ा हु‌आ कि मैं अम्मी को चुदा‌ई का मज़ा देने की सलाहियत रखता हूँ। कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गयीं। उन्होंने नीचे लेटे-लेटे अपनी गाँड को गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया और मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं। उनकी चूत में बला की कसावट आ गयी थी।

मेरे नीचे उनके चूतड़ों की हरकत और तेज़ हो गयी। मुझे ऐसा महसूस हु‌आ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो। अब मैं समझ गया कि अम्मी खल्लास होने वाली थीं। मुझे ये जान कर बहुत खुशी हु‌ई और मैं उनकी चूत में ज्यादा रफ़्तार से घस्से मारने लगा। मैं इस काबिल तो हो ही गया था कि अपनी अम्मी को चोद कर खल्लास कर सकूँ। अम्मी की चूत अब लगातार पानी छोड़ रही थी और उनके जिस्म में बुरी तरह झटके लग रहे थे। इन हालात में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था। मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भरी हु‌ई चूत से बाहर निकाल लिया और उनकी बगल में लेट गया।

अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा। फिर उन्होंने अपनी साँसें क़ाबू में करते हु‌ए मुझ से पूछा कि क्या हु‌आ। मैंने कहा – “मुझे फारिग होने का डर था। इसलिये घस्से मारने बंद कर दिये क्योंकि मैं और मज़े लेना चाहता था।“

वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – “शाकिर, तुम एक घंटे पहले ही खल्लास हु‌ए हो। मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार उतनी जल्दी नहीं छूटते? परेशान मत हो... रफ़्ता-रफ़्ता सब समझ जा‌ओगे बस थोड़े तजुर्बे की जरूरत है... चलो आ‌ओ और खुद को डिसचार्ज करो ताकि इस काम का मज़ा तो ले सको!”

मैंने उनसे पूछा कि उन्हें मज़ा आया क्या तो उन्होंने कहा कि अगर मज़ा नहीं आता तो वो दो दफ़ा खल्लास कैसे होतीं। फिर वो उठीं और घूम कर अपनी दोनों कुहनियों और घुटनों के सहारे बेड पर घोड़ी बन गयीं और अपने मस्त मोटे-मोटे चूतड़ों को ऊपर उठा दिया और बोलीं कि अब मैं उन्हें पीछे से चोदूँ। इस तरह अम्मी ने अपनी हसीन गाँड का रुख मेरी तरफ कर दिया और अपनी टाँगें भी फैला लीं।

मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हु‌ए उनकी गाँड के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा। अम्मी की चूत अब उनके उभरे हु‌ए चूतड़ों के अंदर उनकी गाँड के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उसे अपने टोपे के ज़रिये महसूस किया। अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से उनकी चूत में घुसेड़ दिया। अम्मी की चूत अभी भी गीली थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होने में को‌ई मुश्किल पेश नहीं आयी। मैंने अम्मी के हसीन गदराये चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा।

मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गहरे चूतड़ों में से गुज़रता हु‌आ उनकी चूत में अंदर-बाहर होता नज़र आ रहा था। वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर रही थीं। मेरा लंड अम्मी के गदराये हु‌ए चूतड़ों के अंदर छुपी हु‌ई उनकी चूत को चोद रहा था। मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्से लगाने लगा। मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतड़ों में एक इर्ति‌आश की सी कैफ़ियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे। फिर मुझे अपने लंड पर अजीब किस्म का लज़्ज़त-अमेज़ दबाव महसूस होने लगा। मैंने गैर-इरादी तौर पे अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी।

अम्मी को शायद इल्म हो गया कि मैं अब फारिग होने वाला हूँ और उन्होंने भी अपने चूतड़ों को बड़े नपे-तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी चूत को मेरे लंड पर भींचना शुरू कर दिया। ताबडतोड धक्कों के बीच उनकी चूत में मेरे लंड से पानी की बौछार शुरू हो गयी। मेरे रग-रग में एक मदहोश कर देने वाली अजीब-ओ-ग़रीब लज्ज़त का तूफान उठ रहा था। ठीक उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजे में कसा और अम्मी भी मेरे साथ फिर खल्लास हो गयीं। मैं अम्मी को बांहों में भींच कर उनके ऊपर पसर गया। तूफ़ान के गुजरने के बाद अम्मी ने उठ कर मेरा गाल चूमा और कपड़े उठा कर बिल्कुल नंगी ही ऊँची हील की सैंडलों में गाँड मटकाती अपने कमरे में चली गयीं।

मुझे अपनी पहली चुदा‌ई में इतना मज़ा आया कि मेरा मन उन्हें फिर से चोदने के लि‌ए मचल रहा था। अब्बू के वापस लौटने में कुछ दिन बाकी थे। अगली रात मैं बेकरारी में करवटें बदलते-बदलते सो गया। सपने में मैं अपने लंड को सहला रहा था और दु‌आ कर रहा था कि खुदा मुझ पर मेहरबान हो जाये और अम्मी को मेरे पास भेज दे। मैंने अपने लंड को मुट्ठी में ले कर दबाया तभी मेरी नींद टूट गयी। ये क्या? अम्मी मेरे पास लेटी थीं और मेरा लंड उनकी मुट्ठी में था। उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा – “तुम को‌ई ख्वाब देख रहे थे?”

मैंने शरमा कर कहा – “मैं तो ख्वाब में आपके आने का इंतज़ार कर रहा था। मुझे गुमान ही नहीं था कि आप हकीकत में आ जायेंगी।“

अम्मी ने प्यार से कहा – “अब आ गयी हूँ तो जो तुम ख्वाब में करना चाहते थे वो हकीकत में कर लो।“ यह सुन कर मेरा दिल खुशी से उछलने लगा। मैंने अम्मी को अपनी बांहों में भींच लिया। फिर तो पिछली रात वाला सिलसिला फिर से शुरू हो गया और मैंने जी भर कर अम्मी को चोदा। अगली रात को भी यही हु‌आ। दिन भर मैं आने वाले इम्तिहानात के लिये दिल लगा कर पढ़ायी करता था और तीन घंटे के लिये ट्यूशन भी जाता था और रात को अम्मी और मैं चुदा‌ई करते थे। अब्बू के वापस लौटने में कुछ दिन बाकी थे। तीसरी रात को चुदा‌ई के एक दौर के बाद अम्मी ने मेरा गाल चूमते हु‌ए कहा कि – “तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ!” फिर वो बोलीं कि – “राशिद दो दिनों में कईं दफ़ा उन्हें फोन करके चुदा‌ई के लिये इल्तज़ा कर चुका है और राशिद को इस तरह तड़पाना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा।“ मैंने थोड़ा नाराज़ होते हु‌ए उनसे पूछा कि क्या मैं उन्हें चुदा‌ई में मुत्तमा‌इन नहीं कर पा रहा तो अम्मी ने समझाया कि ऐसी बात नहीं है लेकिन बेचारे राशिद के भी तो इम्तिहान हैं और वो चुदा‌ई की बेकरारी में पढ़ा‌ई में ध्यान नहीं दे पा रहा है। अगर वो दिन के वक्त राशिद से चुदवा लेंगी तो वो भी मुत्तमा‌इन हो कर दिल लगा कर पढ़ा‌ई कर सकेगा। नहीं तो कहीं फेल ना हो जाये। मैंने बहुत बे-दिल से अम्मी को अपनी रज़ामंदी दे दी। अम्मी ने खुश होकर मुझे गले लगा लिया और देर रात तक हम चुदा‌ई करते रहे। अगले दिन मेरे ट्यूशन जाने के वक़्त पे अम्मी ने राशिद को बुला लिया और मेरे वापस आने से पहले राशीद मेरी अम्मी को चोद कर चला गया।

उस दिन मैंने फैसला कर लिया था कि इम्तिहान खत्म होने के बाद कुछ भी करके मैं भी अम्बरीन खाला को चोद कर ही रहुँगा। लेकिन अगले ही दिन एक और मसला हो गया। मैं घर के सेहन में मेज़-कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था कि अंदर कमरे में ‘पी-टी-सी-एल’ के फोन की घंटी बजी। अम्मी ने आवाज़ दी कि – “शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है।“ मैं उठ कर अंदर गया और फोन का रिसिवर उठा कर ‘हेलो’ कहा। दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नम्बर दोहराया और पूछा कि – “क्या ये शाकिर का घर है?” मैंने कहा – “हाँ मैं शाकिर ही बोल रहा हूँ।“ वो आदमी अचानक हंस पड़ा और बोला – “ओये मेरे गैरतमंद जवान! मुझे नहीं पहचाना? मैं नज़ीर बोल रहा हूँ... पिंडी वाला नज़ीर!” ये सुन कर मुझे तो जैसे करंट लगा और मेरे जिस्म से ठंडा पसीना फूट पड़ा।

नज़ीर से बात करते हु‌ए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इससे कहीं ज़्यादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मग़लूब कर रखा था। मैंने उसे गंदी गालियाँ देते हु‌ए कहा कि अगर उसने दोबारा यहाँ फोन किया तो मैं पुलीस से रबता करुँगा। ये कह कर मैंने फोन का रिसिवर क्रेडल पर दे मारा।

मैं फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परेशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं। उन्होंने पूछा कि – “तुम किस से लड़ रहे थे?” मैं कुछ कहना ही चाहता था कि फोन फिर बज उठा। मैंने लपक कर रिसिवर उठाया तो दूसरी तरफ़ नज़ीर ही था। वो बोला कि – “फोन बंद करने से पहले ये सुन लो कि मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला कि नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो मैं वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दुँगा।“

मैंने अम्मी कि तरफ़ देखा कि उनकी मौजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ। फिर मैंने सोचा कि अम्मी को चोद लेने के बाद मेरा और उनका रिश्ता वो नहीं रहा जो पहले था और अगर मैं उन्हें सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज़ ना होता। मैंने नाज़िर से कहा कि – “तुम बकवास करते हो... बंद कमरे में किसने फिल्म बना ली?” नज़ीर बोला कि – “होटल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इसलिये होटल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छोटा कैमरा खूफ़िया तौर पर लगा देते थे तकि लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकें। तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी! यकीन नहीं तो जहाँ कहो आ कर तुम्हें दिखा दूँ!” मैंने सवाल किया कि – “अगर फिल्म बन रही थी तो तुमने मोबाइल से हमारी तसवीरें क्यों लीं?” उसने जवाब दिया कि – “फिल्म तो मुझे पता नहीं कितनी देर बाद मिलती और मैं तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था!” मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा। मैंने कहा अभी बात नहीं हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे!

मैंने फोन रखा तो अम्मी फ़िक्रमंद लहजे में बोलीं कि – “शाकिर ये क्या मामला है? किस का फोन था?” मैंने कहा – “अम्मी एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ और समझ नहीं पा रहा कि क्या करूँ!” अम्मी ने कहा – “साफ़ साफ़ बताओ क्या किस्सा है? तुम गुस्से में गालियाँ दे रहे थे और किसी फिल्म का ज़िक्र भी था! आखिर हुआ क्या है?”

मैंने अम्मी को अपने और अम्बरीन खाला के साथ पिंडी में पेश आने वाला वाक़्या तमामतर तफ़सीलात के साथ बयान कर दिया। सारी बात सुन कर अम्मी जैसे सकते में आ गयीं। लेकिन उन्होंने मुझे अम्बरीन खाला को चोदने की कोशिश पर कुछ नहीं कहा। कहतीं भी कैसे... वो तो खुद अपने भांजे को चूत देती रही थीं। कुछ देर गुमसुम रहने के बाद उन्होंने कहा कि – “नज़ीर को हमारे घर का नम्बर कैसे मिला?” मैंने कहा – “कमरों की बुकिंग के वक़्त होटल के रजिस्टर में हमारे घर का पता और फोन नम्बर ज़रूर लिखवाया गया होगा। नज़ीर खुद तो उस रात नौकरी छोड़ कर भाग गया था मगर वहाँ उसके साथी तो होंगे जिन्होंने उसे हमारा नम्बर दे दिया होगा।“

अम्मी ने सर हिलाया और कहा कि – “क्या वाक़य होटल वालों ने कोई फिल्म बनायी होगी?” मैंने कहा – “मुमकिन है नज़ीर झूठ ही बोल रहा हो!” उन्होंने कहा कि – “तुमने मोबाइल फोन वाली तसवीरें तो ज़ाया कर दी थीं... जिनके बगैर वो तुम्हें ब्लैकमेल नहीं कर सकता लेकिन वो फिर भी यहाँ फोन कर रहा है जिसका मतलब है कि उसले पास कुछ ना कुछ तो है!”

अम्मी ठीक कह रही थीं। कुछ सोच कर वो बोलीं कि – “मैं अम्बरीन से बात करती हूँ! नज़ीर ने अम्बरीन को चोदा था इसलिये अब भी वो उससे ज़रूर मिलना चाह रहा होगा ताकि फिर उसे चोद सके।“ मैंने उन्हें बताया कि नज़ीर ने उनके बारे में भी उल्टी सीधी बातें की थीं। वो हैरत से बोलीं कि नज़ीर ने तो उन्हें देखा ही नहीं वो उनके लिये कैसे बात कर सकता है। मैंने कहा कि – “उसने अम्बरीन खाला को देख कर अंदाज़ा लगाया होगा कि उनकी बहन भी खूबसूरत और हसीन होगी।“ अम्मी ने एक गहरी साँस ली लेकिन खामोश रहीं।

हम दोनों गहरी सोच में ग़र्क थे। अचानक अम्मी ने पूछा कि – “शाकिर क्या तुम अम्बरीन को चोदने में कामयाब हुए?” मैंने कहा – “नहीं अम्मी! पिंडी से वापस आने के बाद अभी तक शर्मिंदगी के मारे मैं उनसे मिला तक नहीं!” अम्मी तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुरायीं और कहा कि – “जब तुम ने अपनी अम्मी को चोद लिया तो फिर खाला को चोदने की कोशिश पर क्यों इतने शर्मिंदा हो?” मैं ये सुन कर खिसियाना सा हो गया। वो कहने लगीं कि – “हमें इस मसले का कोई हल निकालना है वर्ना बड़ी बर्बादी होगी। अम्बरीन से बात करनी ही पड़ेगी।“ मैंने उनसे इत्तेफ़ाक किया।

उन्होंने अम्बरीन खाला को फोन किया और वो कुछ देर बाद हमारे घर आ गयीं। अम्मी उन्हें अपने बेडरूम में ले गयीं और मुझे भी वहीं बुला लिया। मैं अंदर गया तो देखा कि वो दोनों बेडरूम में पड़ी सोफ़े की दो कुर्सियों पर साथ-साथ बैठी थीं। नज़ीर के फोन कि वजह से मैं परेशान था मगर फिर भी अम्मी और अम्बरीन खाला को यूँ इकट्ठे बैठा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं दिल ही दिल में सर से पांव तक दोनों बहनों का मवाज़ना करने लगा।

अम्मी और अम्बरीन खाला के खद्द-ओ-खाल एक दूसरे से बहुत मिलते थे। दोनों के बाल, आँखें, नाक, माथा और गालों की उभरी हुई हड्डियाँ बिल्कुल एक जैसी थीं। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि दोनों की आँखों के दबीज़ पपोटे भी एक जैसे ही थे। अलबत्ता अम्मी के होंठ अम्बरीन खाला के होंठों से ज़रा पतले थे और दोनों की ठोड़ियाँ भी कुछ मुखतलीफ़ थीं। मजमुई तौर पर दोनों बहनों के चेहरे देख कर गुमान होता था जैसे वो जुड़वाँ बहनें हों। और तो और अम्बरीन खाला अम्मी को नाम ले कर ही बुलाती थीं... ‘बाजी’ या ‘आपा’ नहीं कहती थीं।

मैं अम्मी और अम्बरीन खाला को नंगा देख चुका था और जानता था कि दोनों के जिस्म भी कम-ओ-बेश एक जैसे ही थे। वो तकरीबन एक ही कद की थीं और दोनों ही के जिस्म गदराये हुए लेकिन कसे हुए थे। अम्मी चालीस साल की और अम्बरीन खाला अढ़तीस साल की थीं और अपनी उम्र के बावजूद उनके जिस्म पर कहीं भी जरूरत से ज्यादा गोश्त नहीं था क्योंकि दोनों ही वर्जिश करती थीं और खुद को फिट रखती थीं।

दोनों बहनों के मम्मे उनके जिस्म का नुमायां तरीन हिस्सा थे जिन पर हर एक की नज़र सब से पहले पड़ती थी। उनके मम्मे बड़े-बड़े, तने हुए और बाकी जिस्म से गैर-मामूली तौर पर आगे निकले हुए थे। मैंने अम्मी के मम्मे उन्हें चोदते वक़्त बहुत चूसे थे जबकि अम्बरीन खाला के मम्मों को पिंडी में खूब टटोला था। मुझे लगता था कि अम्मी के मम्मे अम्बरीन खाला से एक-आध इंच बड़े थे। लेकिन देखने में दोनों के मम्मे एक दूसरे से बड़ी हद तक मिलते थे। दोनों के मम्मों के निप्पल काफी बड़े साइज़ के थे। अम्बरीन खाला के निप्पल लंबाई में अम्मी के निप्पलों से कुछ कम थे और उनके साथ वाला हिस्सा बहुत बड़ा था जबकि अम्मी के निप्पल बहुत लंबे थे मगर उनके साथ का हिस्सा अम्बरीन खाला के मुकाबले में कुछ छोटा था।

अम्मी और अम्बरीन खाला की कमर काफी स्लिम थी और ज़रा भी पेट नहीं निकला हुआ था। हालांकि अम्मी के तीन बच्चे थे और अम्बरीन खाला के दो लेकिन दोनों की चूतों में भी काफी मुमासिलत थी। मैंने अम्बरीन खाला को नहीं चोदा था लेकिन अम्मी कि चूत से हर तरह से वाक़िफ़ हो चुका था। दोनों की चूतें फूली-फूली सूजी हुई सी थीं और दोनों की चूतों पर बाल नहीं थे क्योंकि दोनों अपनी चूतें शायद हर दूसरे दिन हेयर-रिमूवर से साफ करती थीं। उनकी रानें भी काफी गदरायी हुई और सुडौल थीं। मम्मों के बाद दोनों ही के जिस्म का बहुत ही खास हिस्सा उनके गोल-गोल बड़े-बड़े चूतड़ थे जिनकी बनावट भी एक जैसी थी। अम्मी और अम्बरीन खाला के चूतड़ भी उनके मम्मों की तरह उनके बाकी जिस्म के मुकाबले गैर-मामूली मोटे और बड़े थे। इसके अलावा दोनों ही ज़्यादातर ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए रहती थीं जिससे उनके चूतड़ और ज्यादा बाहर निकले हुए नज़र आते थे।

मैं इन खयालों में डूबा हुआ था और अम्मी अम्बरीन खाला को बता रही थीं कि उन्हें पिंडी वाले वाक़िये का इल्म हो चुका है और ये कि नज़ीर ने यहाँ फोन किया था। ये सुन कर अम्बरीन खाला के चेहरे का रंग उड़ गया। कहने लगीं – “बस यासमीन ये बे-इज़्ज़ती किस्मत में लिखी थी लेकिन उस कुत्ते को ये नम्बर कैसे मिला?” अम्मी ने उन्हें होटल के रजिस्टर के बारे में बताया और कहा कि – “अब पुरानी बातें छोड़ो और ये सोचो कि अगर नज़ीर के पास कोई नंगी फिल्म है तो वो उससे कैसे ली जाये!”

फिर हमने फ़ैसला लिया कि नज़ीर से फिल्म ले कर देखी जाये और इसके बाद आगे का सोचा जाये। कुछ देर बाद नज़ीर का फोन आया। इस बार अम्बरीन खाला ने उससे बात की और कहा कि वो पहले उन्हें फिल्म दिखाये फिर बात होगी। वो बोला कि वो जहाँ कहेंगी वो आ जायेगा। मैं और खाला उनकी कार में उसे दाता दरबार के पास एक होटल में उससे मिलने गये। उसके साथ एक दुबला पतला सा लम्बा लड़का भी था जिसकी उम्र बीस-बाइस साल होगी। वो भी नज़ीर के ही तबके का लग रहा था। नज़ीर ने उस का नाम करामत बताया। उसने खाला को एक डी-वी-डी दी और कहा कि इस को देख कर वो उससे राब्ता करें तो फिर वो बतायेगा कि वो क्या चाहता है। उसने खाला को एक मोबाइल फोन का नम्बर भी दिया।

हम वापस घर आये और वो फिल्म देखी तो वाक़य उसमें मैं अम्बरीन खाला की कमीज़ उतार कर उनके मम्मे मसल रहा था और खाला भी नशे में मेरी हरकत पे हंस रही थीं और लुत्फ़ उठा रही थीं। अम्मी ने कहा कि – “ये तो बहुत गड़्बड़ है... अगर नज़ीर ने ये फिल्म किसी को भेज दी तो क्या होगा!” अम्बरीन खाला बोलीं कि – “इसका मतलब है नज़ीर ने जो मेरे साथ किया उसकी भी फिल्म बनी होगी।“ मैंने कहा कि “ऐसी फिल्म तो उसे भी फंसा देगी... वो ये नहीं कर सकता।“ अम्मी ने मुझसे इत्तेफक़ किया। फिर खाला ने नज़ीर के दिये हुए नम्बर पर फोन किया और पूछा कि वो क्या चाहता है। उसने हंस कर कहा कि वो अम्बरीन खाला और मेरी अम्मी को चोदना चाहता है और उसे पचास हज़ार रुपये भी चाहियें। खाला ने उससे कहा कि वो चाहे तो उन्हें चोद ले लेकिन मेरी अम्मी की बात छोड़ दे और रुपयों का इंतज़ाम भी हो जायेगा। पचास हज़ार रुपये तो खैर मामूली बात थी अगर वो बेवकूफ पाँच लाख भी माँगता तो अम्बरीन खाला आसानी से दे देतीं। मुझे हैरानी इस बात की थी कि अम्बरीन खाला नज़ीर से खुद चुदने के लिये फौरन रज़ामंद हो गयी थीं। नज़ीर ने कहा कि वो अम्बरीन खाला के साथ-साथ मेरी अम्मी को भी चोदे बगैर नहीं मानेगा।

फोन काटने के बाद अम्बरीन खाला ने हमें ये बात बतायी और बोलीं – “वो यासमीन को भी चोदना चाहता है... क्या करें!”

अम्मी बोली – “करना क्या है अम्बरीन! हम कोई खतरा मोल नहीं ले सकते... हमें हर सूरत में वो फिल्म हासिल करनी है चाहे इसके लिये हमें अपनी चूत उसे दे कर अपनी इज़्ज़तों का सौदा ही क्यों ना करना पड़े...!”

मुझे फिर हैरानी हुई कि अम्मी भी एक अजनबी गैर-मर्द से चुदवाने के लिये बगैर हिचकिचाहट के फौरन रज़ामंद हो गयी थीं और साथ ही मुझे ये एहसास भी हुआ कि हालात कुछ ऐसे हो गये थे कि मेरी अम्मी और खाला मेरे सामने अपनी चूतों और चुदाई का ज़िक्र कर रही थीं और ना उन्हें कोई शरम महसूस हो रही थी और ना मुझे। वक़्त भी कैसे-कैसे रंग बदलता है।

फिर अम्मी बोलीं – “लेकिन मसला ये है कि उस कुत्ते को कहाँ मिला जये?” अम्बरीन खाला बोलीं – “यासमीन! नज़ीर चालाक आदमी है... हमें उसे अपने घर ही बुलाना चाहिये क्योंकि हमारे लिये बाहर कहीं जाना ज़्यादा खतरनाक हो सकता है।“ मैंने और अम्मी ने इस बात से इत्तेफ़ाक किया।

खाला ने नज़ीर को फोन करके हमारे घर का पता बताया और कहा कि वो कल सुबह ग्यारह बजे आ जाये! उसने कहा कि – “ठीक है... और मैंने फिल्म अपने एक दोस्त को दी है जब मैं फ़ारिग हो कर तुम्हारे घर से निकलुँगा तो तुम मेरे साथ चलना और फिल्म ले लेना!” हमारे पास उसकी बात मान लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। इसके बाद अम्बरीन खाला अपने घर चली गयीं।

अगले दिन अम्मी ने बच्चों को सुबह ही नाना के घर भेज दिया था। अम्बरीन खाला सुबह दस बजे ही आ गयीं। वो तैयार होकर आयी थीं और अम्मी भी वैसे ही काफी सज-धज कर तैयार हुई थीं। दोनों को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी पार्टी के लिये तैयार हुई हों। नज़ीर के आने में एक घंटा बाकी था तो मैं भी नहाने चला गया। नहा कर कपड़े पहन कर आया तो अम्मी और खाला ड्राइंग रूम में बैठी शराब पी रही थीं और हंसते हुए कुछ बात कर रही थीं। मुझे हैरानी हुई कि एक तो ये कोई वक्त शराब पीने का नहीं था और दूसरे उन्हें देख कर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि नज़ीर से अपनी इज़्ज़त लुटवाने में उन्हें कोई मलाल या शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। बल्कि ऐसा महसूस हो रहा था कि वो खुद नज़ीर से चुदवाने के लिये बेकरार हो रही थीं। खाला ने पचास हज़र रुपये का लिफाफा मुझे देते हुए कहा कि जब वो दोनों नज़ीर के साथ होंगी तो मैं दूसरे कमरे में वो रुपये अपने पास संभाल कर रखूँ। ठीक ग्यारह बजे दरवाज़े की घंटी बाजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने नज़ीर और करामत खड़े थे। मैं उन्हें ले कर ड्राइंग रूम में आ गया। अम्मी और अम्बरीन खाला सोफ़े पर बैठी थीं और शराब की चुस्कियाँ ले रही थीं। अम्मी नशीली आँखों से नज़ीर को गौर से देख रही थीं। नज़ीर ने भी दोनों बहनों को देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गयी।

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