हँसी तो फँसी

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दीपा ने बॉस के हाथों की उँगलियों से खेलते हुए पूछा, "सोमजी पर ऐसा क्या हुआ? शिखाजी के साथ कुछ बोलचाल हुई थी क्या?"

शिखा का नाम सुनते ही बॉस के चेहरे पर वही दुःख की सियाही छाने लगी। पर फिर भी बॉस ने कहा, "दीपा यह लम्बी कहानी है। कहानी सब को पता है। तुम मुझसे पूछ कर मेरे घाव ताजा मत करो। मैं उसे भूल जाना चाहता हूँ। मुझे उसकी याद मत दिलाओ। शिखा के पिता हमारी कंपनी में इन्वेस्टर थे। मुझसे प्रभावित हो कर उन्होंने मेरी शिखा के साथ शादी करने का प्रस्ताव रखा। शायद पिता की बातों में आकर शिखा ने भी मान लिया। पर अब मुझे लग रहा है की मैंने शिखा से शादी कर के भारी गलती कर दी थी। शिखा के मन में मेरी कोई हैसियत नहीं थी। वह सिर्फ एक रईस बाप की बेटी थी। वह पूरी तरह से मेरी पत्नी बनाना ही नहीं चाहती थी। नाही उसमें मेरे लिए प्यार था और नाही उसने हमारी शादी को सफल बनाने की कोशिश की। पर फिर भी मैंने उसे मेरा सब कुछ दिया।

शादी के एक महीने तक तो शिखा मेरे साथ ठीक ठाक सलूक कर रही थी और हमारी सेक्स लाइफ भी चल ही रही थी। शुरू से ही मुझे ऐसा लग रहा था की शिखा का किसी और के साथ कुछ अफेयर था। शादी के कुछ दिनों के बाद ही उसने अपने रंग दिखाने शुरू किये। वह मुझसे नफरत करने लगी थी, क्यों की उसका कोई बॉय फ्रेंड के साथ चक्कर था। मैंने उस के लिए काफी बलिदान दिया और काफी समय तक उसकी जली कटी सुनता रहा। वह बेतहाशा खर्च करती थी और पिता से पैसे मांगती रहती थी जो मुझे चुभता था। वह ना मेरी ना मेरे दोस्तों की, ना रिश्ते दारों की इज्जत करती थी।

वह सिर्फ पैसों को ही जानती है। मुझे नहीं चाहिए ऐसा जीवन साथी। मैं अकेला ही ठीक था। अब अचानक ही वह छोड़ कर चली गयी और ऊपर से एक के बाद एक लीगल नोटिस भेजनी शुरू कर दी। तुम ही बताओ मैं क्या करूँ? अब मैंने यह तय किया है की मैं शिखा को भूल जाऊं। पर क्या करूँ मैं उसे याद करना नहीं चाहता पर उसने जो मुझ पर घाव किये हैं उस कारण उसे भूल भी नहीं सकता। क्या तुम मुझे शिखा को भुलाने और नयी जिंदगी देने में मेरी मदद करोगी?"

दीपा कुछ सोच कर पूछा, "क्या उसे आपसे कुछ पैसे चाहिए?"

बॉस ने कहा, "वह एक घमंडी औरत है। उसने नोटिस में भी लिखा है की उसे कोई निर्वाह धन राशि नहीं चाहिए।"

बॉस की बात सुनकर दीपा सोच में पड़ गयी। दीपा ने बॉस का टेबल पर रखा हुआ हाथ थाम कर कहा, "सर, मेरा मतलब है सोमजी, मुझे नहीं पता की शिखाजी का आपके जीवन में क्या स्थान था अथवा है। पर ऐसी औरत को भूल जाने में ही भलाई है। अगर उसे कोई धन राशि नहीं चाहिए तो बेहतर है की शायद जो कुछ भी हुआ वह आप के लिए अच्छा ही हुआ, ऐसा मैं मानती हूँ। इसे आप एक घाव समझ कर भूल जाएँ। यह घाव धीरे धीरे भर जाएगा और मैं उस घाव को भरने में आपकी पूरी मदद करुँगी। आप चिंता मत करिये। हम आपके साथ हैं। अगर आप वास्तव में मेरी मदद चाहते हैं तो सबसे पहले तो ऑफिस जाना शुरू कीजिये और ऑफिस के बाद हर शाम आप यहां रोज आइये। हम साथ में खाएंगे और ऑफिस काम के बारे में या और कुछ गपशप मारेंगे उसके बाद ही आप घर जाइये। अब आप शांत हो जाइये।"

मेरी बीबी ने बातों बातों में बॉस को कह दिया की बॉस को अब रोज ऑफिस जाना होगा। उसके बाद ही वह शाम को हमारे घर डिनर के लिए आएं।

फिर दीपा कुछ रुक कर अपने आप से ही बोलने लगी, "साला यह 'आप' मुंह से निकल ही जाता है। सोमजी मुझे आप बोलने के लिए माफ़ करना पर मैं आपकी इतनी रेस्पेक्ट करती हूँ की तुम बोलना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है।"

बॉस ने कुछ पीछे हट कर कहा, "अगर तुम मुझे रेस्पेक्ट करती हो तो दीपा फिर मेरे और तुम्हारे बिच में रेस्पेक्ट की एक दिवार होगी। रेस्पेक्ट उनको करते हैं जिनको हम अंतरंग और उत्कट प्यार नहीं करते। जब अंतरंग और उत्कट प्यार होता है तो रेस्पेक्ट उसमें अन्तर्निहित होता है। उसे दिखाने की जरुरत नहीं पड़ती। हम सम्मान किसको करते हैं? शिक्षक को, हमारे प्रधान मंत्री को या हमारे पिता को। पर हम प्यार किसे करते हैं? हमारी प्रेमिका या प्रेमी को या बीबी या पति को या बच्चे को। जिसे प्यार करते हैं उसे सम्मान देने की आवश्यकता ही नहीं है। सम्मान बाहरी है। प्यार अंदरूनी है। सम्मान हो उससे प्यार होना जरुरी नहीं है, पर प्यार हो वहाँ सम्मान होता ही है।"

दीपा ने अपने दोनों हाथ अपने गालों पर रख दिए और हैरानी से बोली, "बापरे! इतना ज्ञान! आपतो, मेरा मतलब है तुम तो बड़े ग्यानी निकले सोमजी। फिर तो मैं कहती हूँ की मैं तुम्हें सम्मान भरा प्यार करती हूँ।"

मेरी बीबी दीपा की बात सुन कर बॉस की आँखों में फिर वह चमक की झांकी मुझे दिखाई पड़ी। दीपा को अपना प्यार जता कर बाँहों में लेने के लिये आगे बढ़ रहे थे की दीपा ने उन्हें रोका और बोली, "अरे रुको भी। क्या कर रहे हो? इतनी भी क्या जल्दी है? थोड़ी तो धीरज रखो? अभी नहीं। दीपक आते ही होंगे।"

वह सही वक्त था मेरे एंट्री करने का। मैंने बाहर जाकर दरवाजे की घंटी बजायी। दीपा ने अंदर से ही आवाज दी, "दरवाजा खुला है।"

मैं जब अंदर पहुंचा तो बॉस कुर्सी पर बैठे थे और दीपा रसोई में खाना बना कर डाइनिंग टेबल पर लगाने में जुटी हुई थी। दीपा का चेरा लाल दिख रहा था। बॉस ने कुछ सेकंड के लिए ही सही पर मेरी बीबी को किस किया था। शायद उसको किसी गैर मर्द ने पहली बार किस किया था।

मुझे देख कर औपचारिकता के तौर पर मेरी बीबी ने पूछा, "आपको आने में बड़ी देर हो गयी?"

मैंने झट से सारा आइसक्रीम और कुछ और सामान जो मैं लाया था वह फ्रिज में रख दिया और अपना पसीना पोंछते हुए बोला, "आज बहोत गर्मी है। यह नजदीक वाली दूकान पर आइसक्रीम नहीं मिला तो दूर जाना पड़ा।"

फिर मैं बॉस के साथ बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगा। खाना खाकर बॉस जब जाने के लिए तैयार हुए तब दीपा ने बॉस से कहा, "सोमजी, मैं रोज आपके लिए लंच भेजती रहूंगी। आप रोज शाम को ऑफिस के बाद हमारे यहां खाना खाने आएंगे तो हमें बड़ी ख़ुशी होगी।"

बॉस ने कहा, "मैं चाहता हूँ की आप दोनों कुछ दिन मेरे यहाँ आओ। इतने बड़े घर में मैं अकेला ही रहता हूँ। मुझे अकेलापन खाये जाता है। अगर तुम दोनों आ कर कुछ दिन मेरे साथ रहोगे तो मुझे बहोत अच्छा लगेगा। इस घर को कुछ दिन ताला लगा दो। मरे घरमें दीपा खाना बना लेंगी और कुछ दिन आप दोनों मेरे वहाँ ही रहो। मुझे खाना मिल जाया करेगा। दीपक और मैं साथ में ऑफिस चले जायेंगें, और साथ में ही वापस आ जाएंगे। मैं यह भी सोच रहा हूँ की अगले हफ्ते तीन दिन छुट्टियां पड़ती हैं। हम नजदीक कोई जगह पर छुट्टी पर घूमने चले जाएंगे। आप के लिए एक चेंज हो जाएगा।"

दीपा ने पूछा, "सर वह तो ठीक है, पर अगर शिखाजी कहीं आ गयीं तो कैसा लगेगा?"

का चेरा शिखा का नाम सुनकर एकदम दुखी हो गया। वह बोले, "उस मनहूस का नाम मत लेना। अब वह कभी नहीं आएगी। उसने मुझे तलाक का नोटिस भेजा हुआ है। वह अब मेरे साथ रहना नहीं चाहती, और ना ही मैं उसके साथ रहना चाहता हूँ। बल्कि मुझे अफ़सोस हो रहा है की जब वह मेरे साथ रहती थी तब एक बार, सिर्फ एक बार मैं उसे एक पति होने की हैसियत से ऐसा सबक सिखाता की वह याद रखती। काश मैंने ऐसा किया होता तो मेरी यह भड़ास और कड़वाहट निकल जाती और मैं उसे हमेशा के लिए मेरी जिंदगी और मेरे मन से निकाल फेंक सकता।"

दीपा ने मेरी और देखा। मैंने कहा, "शिखा जी को छोड़िये सर। पर हम आपके वहाँ आएं उससे बेहतर है की आप यहाँ रोज आएं। यहां क्या बुराई है?"

बॉस ने कहा, "वह तो सही है। पर मेरी इच्छा है की इस बहाने आपका चेंज हो जाएगा और कुछ दिनों के लिए ही सही पर मुझे आप दोनों की कंपनी भी मिल जायेगी। अगर आप को बुरा ना लगे तो। हम लोग मेरी गाडी में घूमने चलेंगे। मेरे खर्च पर। यहीं शिमला, मसूरी या कहीं और। सोचना की आप बिना कोई खर्च किये हनीमून पर जा रहे हो।आपको एक पैसा भी खर्चना नहीं पडेगा। यह मेरी इच्छा है। बाकी मैं आप पर जबरदस्ती कैसे कर सकता हूँ?" यह कहते हुआ बॉस का चेहरा मुरझा गया।

दीपा ने तालियां बजाते हुए मेरी और उत्सुकता से देखा और कहा, "दीपक, हिल स्टेशन पर घूमना और वह भी मुफ्त में? ऐसा मौक़ा कहाँ मिलेगा? वैसे भी हम हनीमून पर तो गए ही नहीं थे। तो चलो ना? सर के साथ चलेंगे तो और भी मजा आएगा।"

मैंने मजाकिया अंदाज में कहा, "यह शायद पहला हनीमून होगा जिसमें तीन लोग हनीमून मेंजाएंगे।"

तब दीपा की समझ में आया की उसने कैसा लोचा मार दिया था। दीपा अपनी बात को सुधारती हुई बोली, "मेरा कहने का मतलब था, अरे हनीमून को गोली मारो। सब साथ में चलेंगे तो मजा तो आएगा ना?"

बॉस ने कहा, "कोई जल्दी नहीं है। सोच लेना। कल जवाब देना। मैं इंतजार करूंगा।"

मैंने कहा, "चलो ठीक है। देखते हैं। हम लोग मशवरा करके आप को बताएँगे।"

बॉस के चले जाने के बाद मुझे लगा की मेरे दिमाग में जो प्लान था वह शायद काम कर सकता था। दीपा ने पहली मुलाक़ात में ही बॉस को राजी कर लिया की वह ऑफिस जायेंगे और काम करना शुरू कर देंगे। यह एक बड़ी उपलब्धि थी। मेरे मन में आया की मैं मेरी बीबी को पूछूं की मेरे आइसक्रीम लेने के लिए जाने के बाद क्या हुआ था? पर मैंने यह सोचा की अगर मैं ज्यादा पूछताछ करूंगा तो कहीं मेरी बीबी बॉस से करीब आने से हिचकिचाए; यह सोच कर की मैं मेरी बीबी और बॉस के मिलने से नाराज हूँ । इस लिए मैंने उस बात को छेड़ना ठीक नहीं समझा।

मैं चाहता था की मेरी बीबी बॉस के करीब आये और आगे आगे क्या होता है यह जानने के लिए मैं बहुत ही उत्सुक था। सिर्फ मेरी ही नहीं, हमारी कंपनी के अस्तित्व का सवाल था। मेरी दिली ख्वाहिश थी की दीपा और बॉस की बात आगे बढे और मैं उसमें रोड़ा अटकाना नहीं चाहता था। मेरी बीबी से कुछ देर के लिए ही मिलने से बॉस के मन में ऑफिस जाने की और काम करने की लालच जागी। मैंने उनमें काफी बदलाव देखा।

उस रात बॉस के बारे में दीपा ने ही बात छेड़ दी। दीपा ने कहा, "दीपक, आप को समझ नहीं आता की बॉस से कैसे बात करते हैं? मैंने जब हनीमून की बात की तब तुमने बिच में क्यों तीन लोगों की बात करके अड़ंगा डाल दिया? बुरी बात है। जब तुमने बॉस को खुश करने का काम मुझ पर छोड़ दिया है तो फिर तुम्हें हर बात में मुझे सपोर्ट करना है। समझे?"

मैंने अपने कान पकड़ा कर कहा, "समझ गया बॉस। सॉरी!"

दीपा मेरे अपने कान पकड़ते हुए देख हँस पड़ी और नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा, "ठीक है। आगे से ध्यान रखना।"

फिर दीपा ने मुझे बड़े उत्साह से कहा, "जानते हो जब तुम आइसक्रीम लाने गए थे तब बॉस ने मुझे अपनी दर्द भरी कहानी सुनाई थी। उनकी बीबी उनसे लड़ाई करके पिछले करीब एक महीने से अपने मायके चली गयी है। पता नहीं ऐसे भले आदमी को ऐसी कुब्जा कहाँ से मिली?"

मैंने कहा, "बॉस की कहानी तुम्हें पता नहीं थी? ऑफिस में सब जानते हैं। उनकी बीबी बहोत ही बड़े बिज़नेस मेन की बेटी है और हर महीने अपने पिता से वह करीब एक लाख से भी ज्यादा पैसे मंगवाती है। बॉस को तो वह नौकर जैसे समझती है।"

दीपा मेरी बात सुन कर चौंक गयी और बोली, "बापरे! इतनी घमंडी? बेचारे बॉस का मन इधर उधर तो भटकेगा ही ना?"

मैंने कहा, "बिलकुल! इसी लिए बॉस बेचारे जब तुम्हारे साथ होते हैं तो खुश रहते हैं। वह तुम्हें देखने और तुम्हारी मीठी बातें सुनने के लिए बड़े ही बेताब रहते हैं। मैं तो कहता हूँ की हमें उनके साथ अपना कुछ समय देना चाहिए। तुम्हें देख कर उनकी आँखें कुछ तो ठंडी होंगी!"

दीपा ने कुछ शर्माते हुए कहा, "यह कहीं तुम जलन से तो नहीं कह रहे?"

मैंने कहा, "बिलकुल नहीं। बॉस ने हमें जो कांटे के समय दिल खोल कर मदद की है उसे मैं भी भुला नहीं सकता। ऊपर से मुझे मेरे काम में हमेशा सहायता करते हैं। उनकी ही मेहनत से मेरा प्रमोशन हुआ है। अगर वह मुरझाये हुए रहेंगे तो हमारा बिज़नेस ठप हो जाएगा। हमने जो कर्ज बॉस से लिया है उसे कैसे चुका पाएंगे? अगर उनको हमारे संग कुछ भी शकुन मिलता है तो सब कुछ बदल जाएगा। सब कुछ पहले जैसे ही अच्छा हो जाएगा। यह मत समझना की मुझे जलन होगी। क्यूंकि मैं भी उनको अपना समझता हूँ इस लिए हम उन्हें कुछ शकुन दें सकें तो यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी। तुम मुझे प्यार करती हो और करती रहोगी इसका मुझे पूरा विश्वास है। देखो तुम औरत हो और यह नेचुरल है की किसी भी मर्द को तुम्हारे जैसी खूबसूरत सेक्सी औरत के संग शकुन तो मिलता ही है। मैं जानता हूँ की वह तुम्हे करीब पाकर मचल उठते हैं। इसमें कौन सी बुराई है? मैं तो इसे नेचुरल समझता हूँ।"

दीपा ने कुछ शर्माते हुए कहा, "देखो, मैं तुमसे छुपाउंगी नहीं। जब तुम आइसक्रीम लेने गए थे तो बॉस ने मेरा हाथ पकड़ा था और कुछ आवेश में आ कर मुझे करीब खिंच कर कुछ हरकत करने लगे थे। पर मैंने उनको आगे बढ़ने से रोका। बेचारे बहोत शर्मिंदा हुए और माफ़ी मांगने लगे।"

मैंने कहा, "वैसे मेरे बॉस बहोत ही शरीफ हैं। उन्हें कोई औरत का प्यार नहीं मिला तो वह भी क्या करें? तुमने कहीं उनको लताड़ा तो नहीं ना?"

दीपा ने वही नज़ारे निचीं कर कहा, "नहीं, पर उन्हें आगे बढ़ने से रोका। मैंने तुम्हारा नाम लेकर कहा की कहीं तुम आ जाओगे तो अच्छा नहीं लगेगा।"

मैंने बीबी की कमर में नकली घूंसा मारते हुए कहा, "अच्छा? काम अपना और नाम मेरा? तुम उन्हें रोकना चाह रही थी तो मेरा नाम क्यों लिया? बॉस सोचेंगे की मैं उनसे जलता हूँ। अगर उन्हें तुम्हारे संग शकुन मिलता है तो फिर क्यों ना हम उनकी बात मानलें और कुछ दिन उनके बंगले में जा कर उनके साथ रहें?"

मेरी बात सुन कर दीपा बहुत खुश लग रही थी। उसने कहा, "सच्ची? आप तैयार हो? क्या हम चलेंगे? अच्छा है कुछ चेंज भी हो जाएगा। मैं रोज तुम्हें और तुम्हारे बॉस को अच्छा अच्छा खाना खिलाऊंगी। हमारे कुछ पैसे भी बच जाएंगे। बॉस खुश हो जाएंगे तो वह फिर शिखा की चिंता नहीं करेंगे। वह तुम पर और भी खुश हो जाएंगे और तुम्हारा और भी प्रमोशन हो जाएगा। पर एक डर जरूर है मेरे मन में। हमारे उनके वहाँ रुकने से बात कहीं आगे तो नहीं बढ़ जायेगी? मैंने बताया ना की आज तुम नहीं थे तो बॉस ने मुझे छेड़ दिया था। कहीं वह मुझे पटाने की कोशिश तो नहीं कर रहे? वह तो अच्छा हुआ की तुम सही वक्त पर आ गये।"

मैंने कहा, "अरे यार ऐसी छोटी मोटी बातों पर क्या सोचना? हम उनके उतने कर्जदार हैं की उनका कर्ज हम कैसे भी चुका नहीं सकते। उन्होंने ख़ास कर तुम्हारे कहने पर एक अपनी सारी कमाई तुम्हारे हाथों में सौंप दी। वाकई में देखा जाए तो तुम्हारे पिताजी की जान उन्होंने बचाई है। वरना हम कहाँ से इतने सारे रुपयों का इंतजाम कर सकते?"

दीपा ने कहा, "हाँ दीपक यह तो सही है। पर...... "

मैंने कहा, "पर क्या? यही ना की वह कहीं तुम्हें छेड़ ना दें? कहीं वह तुम्हें पटाने की कोशिश ना करे? देखो तुम्हारे जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को अगर कोई मर्द पटाने की कोशिश ना करे तो मैं यही मानूंगा की यातो वह मर्द नपुंशक है। अरे औरत और मर्द के बीच में पटना पटाना तो चलता रहता है। अगर तुम पटना चाहोगी तभी तो वह तुम्हें पटा पाएंगे। अगर तुम नहीं पटना चाहोगी तो वह तुम्हें थोड़े ही पटा पाएंगे? वह कोई जबरदस्ती थोड़े ही करेंगे? इसकी ज्यादा चिंता ना करो। देखो अगर तुम्हें एतराज नहीं है तभी हम चलेंगे, वरना नहीं चलेंगे। और अगर जाएंगे तो उनके घर में कुछ दिन रहेंगे।"

फिर मैंने धीरे से कुछ व्यंग के स्वर में कहा, "और बाद में हम तीनो छुट्टियों में तीन लोग हनीमून पर भी जाएंगे।"

दीपा ने मुंह बना कर कहा, "दीपक, मैंने गलती से हम तीन लोग हनीमून पर जाएंगे ऐसा बोल दिया तो अब तुम मेरी टाँग खिंच रहे हो?"

मैंने गंभीरता से कहा, "नहीं ऐसा नहीं है। मैं वाकई सीरियसली कह रहा हूँ की हनीमून तो हम जरूर मनाएंगे। और हम तीन लोग ही हनीमून पर भी जाएंगे। भाई हम बॉस को दुसरा कमरा दे देंगे। जब हम बॉसके वहाँ गए या बाहर गए तो क्या तुम मुझसे चुदवाओगी नहीं? देखो अगर तुमने मुझे बॉस के वहाँ या बाहर तुन्हें चोदने से रोका तो देख लेना। यह मत कहना की बॉस के घर में है या बॉस साथ में हैं तो मैं तुम्हें चोद नहीं सकता। बोलो मंजूर है? बोलो तुम तैयार हो?"

दीपा ने उलझन भरी आवाज में कहा, "जब हम तीनों साथ में जा रहे हैं तो क्या यह ठीक लगेगा की हम बॉस को अकेला छोड़ दें और हम दोनों अलग एक दूसरे कमरे में रह कर मौज करें? बेचारे बॉस! कम से कम एक महीने से तो बॉस को सेक्स नहीं मिला। तो क्या हमतो खुल कर जोश से चुदाई करें और बॉस को क्या दूसरे कमरे में मुठ मारने के लिए मजबूर करें? क्या बॉस यह नहीं सोचेंगे की हमने उनको अनदेखा कर उनकी अवमानना की? और फिर तुम यह भी चाहते हो की मैं तुम्हारे बॉस के करीब जा कर उनका मन ऐसे बहलाऊँ ताकि वह अपना दुःख भूल कर वापस अपना पुराना जोश और जज्बा वापस लाएं? दोनों चीज़ें एक साथ कैसे हो सकती हैं?"

मेरी सयानी पत्नी की बात सुन कर मैं सोचने लगा की बात उसकी सही है। अगर बॉस को ऐसा लगेगा की हम उन्हें नजर अंदाज कर रहे हैं तो फिर वह अकेलापन महसूस करने लगेंगे। वह सोचने लगेंगे की मैं तो मेरी बीबी को चोद रहा हूँ और उस के साथ मौज कर रहा हूँ और वह बेचारे अकेले को मैंने मुठ मारने के लिए छोड़ दिया। अकेलेपन में वह फिर से वही अपनी निराशाओं के चक्रव्यूह में फँस जाएंगे। तो फिर क्या करें जिससे की रात में मैं दीपा को चोद भी सकूँ और बॉस को बुरा भी ना लगे?

अब बात कठिन थी। क्या किया जाये? मैंने सोचा, ठीक है बॉस को भी हमें हमारे साथ ही रखना पडेगा। पर फिर मैं दीपा को चोद नहीं पाउँगा।

मैंने कहा, "फिर ठीक है। हमें बॉस को भी हमारे ही रूम में रखना पडेगा। फिर मैं तुम्हें कैसे चोद पाउँगा?" फिर मैं थोड़ी देर शांत रह कर दीपा की और शरारत भरी नजर से देख कर बोला, "दीपा सुनो, मैं तुम्हें चोदे बगैर तो रह नहीं सकता। तो फिर दो रास्ते हैं। पहला आप को शायद पसंद नहीं आएगा। वह है की हम बॉस को भी चुदाई में शामिल करलें। मतलब बॉस को भी तुम्हें चोदने का मौक़ा दें। या फिर हम दोनों ही अलग बेड पर रजाई में घुस कर चुदाई करें और बॉस को हमें चोदते हुए देखने दें? दूसरा मुझे ठीक नहीं लगता।"

दीपा ने गुस्से में कहा, "क्या बात करते हो? बॉस मेरे साथ तुम्हारे सामने कुछ नहीं कर सकते। बॉस तो तुम्हारे सामने मेरा हाथ भी नहीं पकड़ते।" मेरी बीबी ने अनजाने में ही कह दिया की उसे बॉस से चुदने में कोई आपत्ति नहीं थी अगर मैं वहाँ ना होऊं तो।

मैं मेरी बीबी से बच्चे की तरह चिपक गया। मैंने कहा, "दीपा मुझ से मत पूछो। मैं नहीं जानता। तुमने कहा की सब कुछ मुझ पर छोड़ दो। सो अब मैंने सब कुछ तुम पर छोड़ दिया है। अब तुम जानो। बस मैं यही चाहता हूँ की कुछ भी हो तो तुम मुझे अलग मत करना। तुम जो कुछ तय करो, वह मुझे मंजूर होगा। मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगेगा। अगर तुम समझती हो की तुम्हें बॉस से चुदवाना पडेगा, तो वह भी मुझे मंजूर है। मैं सब कुछ देख लूंगा, सहन कर लूंगा। पर मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगा। और तुम भी मुझे छोड़ने की सोचना भी मत।"

मेरी बच्चे वाली हरकत देख कर मेरी बीबी बरबस हँस पड़ी और बोली, "दीपक, बच्चे मत बनो। मैं तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली। पर तुम एक बात समझ लो। मर्दों की तरह औरतों के लिए यह छेड़ खानी और सेक्स सिर्फ शौकिया अथवा बदन की भूख मिटाने की बात नहीं होती। औरत के लिए किसी मर्द से सेक्स करना यह फीलिंग्स, सम्मान की बात होती है। हाँ कई बार जब कोई औरत को किसी चीज़ की सख्त जरूरियात होती है तब वह उसे पाने के लिए मजबूरी में अपना बदन किसी और को सौंपने के लिए तैयार हो जाती है, वह एक अलग बात है। मैं तुम्हारे बॉस से 'क्या करूँ मज़बूरी है' यह सोच सेक्स नहीं कर सकती, क्यूंकि तब वह बात नहीं बनेगी। वह बड़े अक्लमंद हैं। वह समझ जाएंगे की सेक्स में मेरा मन नहीं है। और सारी कवायद बेकार जायेगी।"

मेरी समझ में कुछ नहीं आया की मेरी बीबी क्या कहना चाहती थी। मैंने कहा, "मैं कुछ नहीं समझा।"

दीपा ने कहा, "या तो तुम बुद्धू हो या फिर तुम दिखावा कर रहे हो। जब मैं तुम्हारे बॉस के करीब जाने की कोशिश करुँगी तो क्या होगा? क्या तुम्हें नहीं पता की तुम्हारे बॉस मुझ से क्या चाहते हैं? क्या तुमने उनकी आँखों में मेरे लिए भड़क रही वासना की भूख को महसूस नहीं किया? मेरे और तुम्हारे बॉस सोमजी के बिच सेक्स का आकर्षण तो है ही। जब हम और करीब आएंगे तो जाहिर है की सेक्स की आग तो भड़केगी ही। तुम्हारे बॉस मुझे दिलोजान से चाहते हैं। शिखा के छोड़ देने के बाद तो उनकी यह चाहत अब बे-लगाम हो गयी है। तुम्हारे बॉस की मुझे अपना बनाने की चाहत है। जाहिर है की वह मुझे पुरे प्यार से सेक्स करना चाहेंगे। वह यह भी चाहेंगे की मैं उनसे मज़बूरी में नहीं, मैं उनसे पुरे प्यार से सेक्स करूँ। जब मैं तुम्हारे बॉस से सेक्स करूँगी तो मैं उनसे आधे अधूरे मन से नहीं, मैं उनको मेरा सब कुछ समर्पण करुँगी। क्या तुम मुझे तुम्हारे बॉस के साथ शेयर करने के लिए तैयार हो?

वैसे भी अपनी उदारता और प्यार से उन्होंने मुझे ऋणी बनाकर मेरे बदन और प्यार को तो खरीद ही लिया है। मेरी समझ में नहीं आता की अगर हम एक साथ अकेले हों और अगर वह मुझे सेक्स करना चाहेंगे तो मैं उनको मना कैसे कर पाउंगी?

और यहां तो बात एक कदम आगे की है। क्यूंकि तुम चाहते हो की मैं उनको अपनी पहली स्थिति में ले आऊं। इस का मतलब है मुझे उनसे सिर्फ सेक्स करना ही नहीं है, मुझे उनको दिलोजान से प्यार कर उनको जीवन की पटरी पर फिरसे लाना है। तभी मैं उनको एहसास दिला पाउंगी की वह अकेले नहीं है। मैं उनके साथ हूँ। तभी तुम्हारे बॉसमें वह जज़्बा और वह जोश वापस लौटेगा जो तुम चाहते हो। तो जनाब आप तैयार रहो की आपकी बीबी को आप एक और मर्द के साथ शेयर करोगे। मतलब उस के बाद मेरे बदन और मेरे प्यार पर तुम्हारे अलावा तुम्हारे बॉस का भी अधिकार रहेगा।

मेरे पतिदेव, अगर आप उस के लिए तैयार हो तो ही इस में आगे बढ़ो। वरना यह सही समय है की हम यहीं रुक जाएँ। बादमें यह अफ़सोस मत करना की मैं तुम्हारे बॉस से प्यार करने लगी हूँ, या उनसे सेक्स करने के लिए आतुर रहती हूँ।"

मेरी बीबी की बात सुन कर मैं थोड़ी देर सोचने के लिए मजबूर हो गया। क्या वाकई में मैं अपनी बीबी को शेयर करने के लिए तैयार था? उत्तेजना तो कुछ पल की होगी पर परिणाम शायद जीवन भर भुगतना पड़ सकता है, यह सोच कर मैं कुछ असमंजस में पड़ गया। पर मैंने इस के बारे में सोच तो रखा ही था।

मैं मेरी बीबी की बाँहों में चला गया। मैंने मेरी बीबी की दाढ़ी पकड़ते हुए कहा, "बेबी, मुझे कोई एतराज नहीं। पर डार्लिंग मैं तुम्हें शेयर तो कर सकता हूँ पर खोने के लिये तैयार नहीं हूँ। तुम्हें मुझे प्रॉमिस करना पडेगा की तुम मुझे निकाल फेंकोगी तो नहीं ना? मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता। तुम बेशक बॉस से रोज जो चाहो करो। पर मुझे साथ रखना। बेबी मैं खुद ही तुम को बॉस से चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ।"

मेरी बीबी ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मेरा मुंह उसने अपनी छाती पर रखा और मुझे अपने बूब्स चूसने का इशारा किया और बोली, "डार्लिंग यह मुश्किल है। बॉस तुम्हारे सामने मुझे छेड़ने से डरते हैं। जब छेड़ ही नहीं सकते तो आग की तो बात ही क्या? यह मुमकिन नहीं लगता की बॉस तुम्हारे सामने मुझे किस भी करेंगे। सेक्स करना तो दूर की बात है।"

मैं मेरी बीबी की बात सुन कर दुखी हो गया। मैंने कहा, "कुछ रास्ता निकालो ना, डार्लिंग! तुम तो इतनी स्मार्ट हो! मैं कहीं छुप जाऊंगा या फिर आँखें बंद करके सोने का ढोंग करता हुआ पड़ा रहूंगा। पर मैं सब कुछ देख पाऊं। प्लीज?"

कुछ सोच कर दीपा बोली, "ठीक है। मैं कुछ सोचती हूँ। देखते हैं। कुछ करेंगे। ओके?"

मेरी बात सुन कर मेरी बीबी बहुत उत्तेजित हो गयी। जरूर उसने बॉस से चुदवाने के सपने देखे होंगे।

दीपा ने मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "बॉस से सेक्स करने की बात करके तुमने मुझे बहोत गरम कर दिया है।"

मैंने कहा, "तुम इतनी सेक्सी और खूबसूरत हो की बॉस भी अपने सब कुछ ग़म और दुःख भूल कर तुम्हारे पीछे पागल हो गए हैं। डार्लिंग, मैं तुम्हारा पति होने के बावजूद भी तुम्हारे पीछे इतना पागल हूँ तो फिर बॉस की बेचारे की तो बात ही क्या? अभी मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।"