हँसी तो फँसी

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दीपा की बात सुनते ही बॉस ने दीपा के स्तन को अपने मुंह में बड़ी मुश्किल भर लिया। हालांकि वह पूरा स्तन तो भर नहीं पाए पर उन्होंने लगभग आधे से ज्यादा स्तन पने मुंह में चूस के इतने जोर से खींचा की दीपा के मुंह से चीख निकल गयी। दीपा ने कहा, "यार ज़रा धीरे से। मैं कहीं भागी नहीं जा रही। यह अब तुम्हारे ही हैं, चाहे जितना चुसो। पर थोड़ा धीरे से।" बॉस ने जब दीपा के स्तन को छोड़ा तब दीपा ने अपने स्तन को देखा तो बॉस के दाँतों के निशान दिख रहे थे और पूरा स्तन लाल हो गया था।

बॉस के चेहरे पर अब वही पुरानी मस्ती और शरारत थी। बॉस ने दीपा के स्तनोँ को चूसते हुए मेरी और उंगली करते हुए पूछा, "वह सब तो ठीक है, पर इन महाशय का क्या?"

दीपा ने कहा, "यह बेचारे कहाँ जाएंगे? तुम्हें मेरे साथ इनको भी झेलना पडेगा। तुम दोनों ने मिलकर मेरा हाल तो ऐसा कर दिया की क्या बताऊँ? सब ने सूना होगा की अक्सर एक पति की दो पत्नियां होतीं है, यहां तो एक पत्नी के दो पति होने वाले हैं।"

बॉस ने कहा, "तुम हो ही ऐसी। तुम्हारी जैसी सेक्सी और अक्लमंद औरत को तो कई पति होने चाहिए, पर अब मैं आ गया हूँ ना। मैं अब तुमको इस महाशय के अलावा और किसी के साथ शेयर नहीं कर सकता। क्या करूँ इनके साथ तुम्हें शेयर करना मेरी मज़बूरी है।"

अब बॉस के चेहरे पर वही पुरानी रौनक वापस आ चुकी थी। दीपा के पीछे आये और लेटी हुई दीपा की जांघें दोनों हाथों से चौड़ी करने लगे। दीपा ने कस कर अपनी जांघें बंद कर रखी थीं। बॉस ने ताकत लगा कर उन्हें खोलीं और दीपा की चूत को देखा। उस समय भी दीपा की चूत से निकले खून के कुछ धब्बे दिख रहे थे। बॉस ने झुक कर दीपा की चूत को चूमा और और खून के धब्बे चाट लिए और दीपा से कहा, "देखो, आज रात हम हनीमून मनाने का कार्य क्रम पोस्टपोन कर देते हैं। हम हनीमून कल मनाएंगे। आज तुम्हें मैं जो घाव दिए हैं उनको ठीक होने दो।"

दीपा ने कहा, "बिलकुल नहीं, यह घाव मेरे लिए तोहफे हैं। यह दर्द मेरे लिए सुख है। हम उस राँड़ के जाने का उत्सव और तुम्हारी इस नयी राँड़ के आने का उत्सव आज ही मेरी दूसरी सुहाग रात के रूप में मनाएंगे।"

बॉस बिस्तरे ऊपर बैठ गए। बॉस ने दीपा के नंगे बदन को दूसरी बार देखा। पर अब वह बदन शिखा का नहीं दीपा का था। दीपा के नंगे बदन को बारीकी से देखते हुए बॉस का लण्ड फुफकार ने लगा। बॉस ने दीपा के बदन का मुआयना करते हुए मुस्काते हुए कहा, "मैंने इससे पहले इतनी सुन्दर खूबसूरत नंगी औरत आज तक नहीं देखि। और वह भी मेरी अपनी होने वाली है यह मेरे लिए कितने गर्व का विषय है, यह तुम नहीं समझोगी।"

दीपा ने मुंह मोड़ते है कहा, "मैंने भी इसके पहले, इतनी सुन्दर नंगी औरत के साथ कुर्ता पहना हुआ ऐसा हैंडसम मर्द कभी नहीं देखा।"

बॉस ने दीपा का ताना सुनकर फ़ौरन अपना कुर्ता निकाल दिया। फिर एकदम नंगधडंग बॉस दीपा के सामने खड़े हो गए। दीपा भी अपनी साँस थामे बॉस के फिट बदन को देखती ही रही। बॉस के बड़ी ही बारीकी से कटे हुए काले घने घुंघराले बाल उनके खूबसूरत चेहरे पर मुकुट की तरह सजे हुए लग रहे थे। बॉस की लम्बी नाक शायद उनकी बुद्धिमत्ता की गवाही दे रही थी। बॉस का विशाल ललाट और उस पर अंकित कुछ रेखाएं उनको इतनी कम उम्र में इतनी सारी जिम्मेदारियां उठा लेने की क्षमता दर्शा रहीं थीं। दीपा की लाल लिपस्टिक से लाल रंग में रंगे बॉस के होँठ कुछ ही देर पहले दीपा को किस की थी उसकी चुगली खा रहे थे। उनके मजबूत कंधे, बड़ी विशाल भुजाएं, चौड़ी छाती और करारे बाइसेप्स (बाँहों के स्नायु पेशियाँ) एकदम गठीली और सख्त थीं। बॉस के पेट में कई बल पड़े थे (सिक्स पैक्स) जैसे कसरत करने वालों के पेट में पड़े होते हैं।

बॉस की पतली कमर के नीचे उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर दीपा को उस लण्ड के कारण जो असह्य टीस उसकी चूत में उठी थी उसे याद कर दीपा सिहर उठी। पर साथ में ही उसे यह भी एहसास हुआ की जब बॉस का वह लण्ड अंदर घुस रहा था तो पता नहीं क्यों, उस दर्द में भी एक गजब की मिठास उसे महसूस हो रही थी जिसका वर्णन करना नामुमकिन था। जब एक औरत उसी चूत में से बच्चा निकालती है तो उसका क्या हाल होता होगा? दीपा ने यह सोच कर तय किया की उसे बॉस के ही लण्ड से चुदवाना है। इसके लिए जो चिकनाहट लगानी पड़े वह लगाएगी पर बॉस का लण्ड वह लेगी जरूर।

जैसे जैसे वह दीपा को उस घोड़े जैसे लण्ड से चुदवाने की आदत होती जायेगी वैसे वैसे उस लण्ड से चुदवाने का मजा कुछ और ही होगा। शायद फिर उसे हलके फुल्के लण्ड से चुदवाने में कोई मजा ना आये। दीपा को उसी लण्ड को अपनी चूत में डलवाना ही पडेगा यह सोच कर दीपा की उत्तेजना और चिंता दोनों बढ़ती ही जा रही थी। बॉस का लटकता लण्ड दीपा ने एक हाथ में पकड़ा और उसे वह धीरे धीरे बड़े प्यार से सहलाने लगी।

बॉस का लण्ड उत्तेजना के कारण एकदम टाइट हुए खड़ा था। पर उसकी ख़ास बात यह थी की वह सीधे खड़े होने के बजाय टेढ़ा सा खड़ा था। उसे अगर आपको नापना हो तो आपको उसे पकड़ कर सीधा करना पडेगा। बोस का लण्ड चिकनाहट से लोथपोथ था और काफी मोटे लण्ड के अंदर श्याम रंग की पूरी तरह से फूली हुई रगों में उनका वीर्य फर्राटे मारता हुआ दिख रहा था। दीपा को अपनी हाथ की हथेली और उँगलियों में बॉस के वीर्य की चिकनाहट चमकती हुई दिख रही थी।

दीपा बार बार अपनी बॉस के वीर्य से लिपटी हुई उँगलियों को देख रहीं थीं। दीपा को वैसे हाथ की उंगलियां पर वीर्य लिपटा हुआ अच्छा नहीं लगता था। वह ऐसा कुछ होने पर फौरन हाथ धो कर आ जाती थी। पर बॉस के वीर्य में उसे बड़ी पसंदीदा खुशबु और एक तरह का आकर्षण महसूस हो रहा था। दीपा को लण्ड चूमना या चूसना अच्छा नहीं लगता था। पर बॉस का लण्ड पता नहीं दीपा को बड़ा ही रोमांटिक लग रहा था।

बॉस का लण्ड देख कर दीपा का मन उसे चूमने के लिए मचल उठा। शायद उसका कारण यह था की दीपा उस रात अपने आप को पूरी तरह बॉस को समर्पित करना चाहती थी। वह बॉस को कोई भी स्त्री सुख से वंचित रखना नहीं चाहती थी। उस रात दीपा सिर्फ और सिर्फ बॉस के सेक्स के खिलौने के रूप में ही अपने आप को पेश करना चाहती थी। वह चाहती थी की उस रात के बाद शिखाजी बॉस की जिंदगी से हमेशा के लिए गायब हो जाए। उस रात दीपा चाहती थी की बॉस दीपा को ही अपनी समझे और उसके आगे किस औरत के बारे में सोचे ही नहीं।

दीपा को इसमें जबरदस्त कामयाबी भी हासिल हुई। दीपा ने बॉस के मन से शिखा को आखिर में निकाल ही दिया। अब बॉस की पुरानी पत्नी एक भुला हुआ इतिहास ही बन कर रह गयी थी। दीपा ने झुक कर खड़े हुए बॉस की दो टांगों के बिच में अपनी जगह बना ली और अपना मुंह बॉस के लंड के ऊपर रखा। बॉस के लण्ड को पकड़ कर दीपा ने बॉस से कहा, "बॉस सर, सॉरी सोमजी, आज तुम मेरे मुंह को अपने लण्ड से चोदो। आज मेरे मुंह में तुम अपना माल निकालो। मैं आज तुम्हारे प्यार की भीख मांगती हूँ।"

दीपा ने बॉस के लण्ड को अपनी उँगलियों में पकड़ ने की कोशिश करते हुए कहा, "बापरे! तुम्हारा लण्ड तो इतना बड़ा और मोटा हो चुका है! कितनी चिकनाहट इसके ऊपर जमी हुई है! पता नहीं कितने दिनों से इसे कोई चूत को चोदने का अवसर नहीं मिला है। मैं तुम्हारे इस लण्ड से चुदवाने के लिए बड़े समय से बेताब थी। जिस दिन उस पार्टी में तुमने मेरे बदन से अपना बदन रगड़ रगड़ कर डान्स किया था उसी समय मैंने तुम्हारे इस खड़े और तगड़े लण्ड को मेरी दोनों जाँघों के बिच में महसूस किया था। उसी समय से मैं इस लण्ड से चुदवाने के लिए बेताब थी। दिन ब दिन मेरी तुमसे चुदवाने की यह बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी।"

मेरी और इशारा करते हुए मेरी बीबी ने बॉस को कहा, "आज मौक़ा मिला है। मेरे बुद्धू पति गहरी नींद में सो रहे हैं। उन्हें क्या पता की उनकी बीबी आज रात उसी पलंग पर उन्हीं के बगल में उनके ही बॉस से चुदवाने के लिए कितनी तड़प रही है? आज रात के बाद उनकी बीबी किसी और की बीबी बनने जा रही है, इस बात का मेरे पति को अंदाज भी नहीं होगा। खैर वह तो पता तो उन्हें लग ही जाएगा। मैं ही उन्हें वक्त आने पर बता दूंगी।"

बॉस ने जब दीपा के हाथ की उंगलियां अपने लण्ड पर महसूस कीं तो बॉस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। दीपा ने बॉस को पलंग पर सुला दिया और बॉस के खम्भे की तरह खड़े हुए लण्ड को देख कर आश्चर्य से बोली, "सोमजी, तुम्हारा लण्ड तो बड़ा तगड़ा है यार! मैंने मेरे पति का ही फुला हुआ लण्ड देखा है। वह भी काफी मोटा और तगड़ा है। पर तुम्हारा लण्ड तो मेरे पति के लण्ड से भी काफी बड़ा है! बापरे, जो औरतें तुमसे चुदवाती होंगीं उनकी तो फट ही जाती होगी।"

बॉस दीपा की उटपटांग बातें सुन कर हैरान हो रहे थे। एक संस्कारी शादीशुदा शर्मीली औरत कैसे अपने मन के कोने में गड़े हुए अपने गुह्य विचार उनसे शेयर कर रही थी। कुछ खिसियानी सी आवाज में बॉस ने कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। पिछले कई महीनों से मैंने किसी औरत को उस निगाह से देखा तक नहीं है। मैं सच कहता हूँ, शिखा के एक्सपीरियंस के बाद मुझे एक तरह से पूरी औरत जात पर नफरत सी हो गयी थी। जब से तुम मेरी जिंदगी में आयी तो मुझे लगा की सब औरतें एक सी नहीं होतीं। तुम एक अलग ही औरत हो। दीपा तुम्हें देख कर तुम्हारी पूजा करने का मन हो रहा है।"

दीपा बॉस की बात सुनकर जैसे बॉस ने कोई जोक मारा हो ऐसे हँस पड़ी और बॉस को झकझोरते हुए कहा, "ऐ सोमजी, आज की रात मेरी पूजा नहीं करवानी मुझे। आज की रात मुझे तुमसे चुदाई करवानी है, यार!"

बॉस दीपा को देखते ही रह गए। कभी यह औरत शर्मा जाती है, कभी खिलखिला कर हंस पड़ती है और कभी खुल्लमखुल्ला लण्ड, चूत बगैरह बोलती है तो कभी ऐसे शब्दों का उपयोग करने से कतराती है। दीपा बॉस से एकदम खुल्लमखुल्ला बात कर रही थी। दीपा के मुंह में अपना लण्ड पाकर बॉस के पुरे बदन में एक सिहरन फ़ैल गयी। शिखा ने कभी बॉस के लण्ड को चूसना तो और चूमा तक नहीं था। दीपा बॉस के लण्ड को इतने प्यार चुम और चूस रही थी की बॉस का पूरा बदन मचल उठा।

बॉस ने दीपा का सर पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और उसे पलंग के एक छोर पर बिठाया और दीपा के पाँव फर्श पर लटका कर वह दीपा की टाँगें चौड़ी कर उन्होंने अपना सर उसमें घुसेड़ दिया। वह बोले, "दीपा आज महीनों के बाद मुझे मौक़ा मिला है की मैं एक मेरी चाहने वाली, खूब सूरत, नंगी औरत की बाँहों में हूँ, जो मुझसे चुदवाना चाहती है। अगर तुम्हें एतराज ना हो तो आज मैं तुम्हें चूसना चाहता हूँ।"

दीपा शर्म की मारी अपनी नजर नीची कर चुप रही पर उसने अपनी जांघें अपने प्रियतम बॉस के लिए खोल दीं। बॉस ने दीपा की जांघें पूरी तरह चौड़ी कर अपनी जीभ दीपा की चूत की पंखुड़ियों पर रखी और प्यार से धीरे धीरे दीपा की चूत को चाटने लगे। दीपा के लिए यह बड़ा ही रोमांच कारी पल था। जब बॉस की जीभ उसकी चूत को छू कर चाटने लगी तो दीपा बरबस ही मचल उठी। दीपा की चूत में से उसका स्त्री रस चू ने लगा। बॉस उस रस को अपनी जीभ से लपालप चाटने लगे। बॉस ऐसे चाट रहे थे जैसे दीपा की चूत में से शहद निकल रहा हो।

दीपा बॉस की जीभ की हरकतों से काँप ने लगी। बॉस दीपा की कमजोर और बड़ी ही संवेदनशील चमड़ी को अपनी जीभ से कुरेद रहे थे और चाट रहे थे। साथ साथ में दीपा की चूत से चू रहे रस का भी वह रस पान कर रहे थे। दीपा के लिए यह बड़ा ही रोमांचक अनुभव था। मैं कभी कभी दीपा की चूत चाटने की कोशिश जरूर करता था पर मुझे उसमें ज्यादा रोमांच नहीं लगता था।

बॉस की हरकतों से दीपा के मुंह से हलकी सी कामुक कराहटें निकलने लगी। वह बॉस का सर अपने हाथ में पकडे हुए हलकी आवाज में वासना से कराह उठती थी। दीपा का बदन एक अजीब रोमांच का अनुभव कर रहा था। जिनसे चुदवाने की वह कई हफ़्तों से उम्मीद कर रही थी वोह बॉस उस रात उसके दो जाँघों के बिच में अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहे थे। दीपा का बदन कामुकता और रोमांचक उत्तेजना से खिंच रहा था। दीपा को लगा की अगर बॉस उसी तरह उसकी चूत को चाटने में लगे रहे तो वह जरूर झड़ जायेगी।

बॉस भी अपनी प्रियतमा को उन उचाईयों पर ले जाना चाहते थे जहां शायद वह अपने पति के साथ जा नहीं पाती हो। उस को ध्यान में रख कर कुछ देर बाद बॉस ने पीछे हट कर अपनी जीभ की जगह दो उँगलियाँ दीपा की चूत में डाल दीं। पहले तो वह हलके हलके उँगलियों को चूत की पंखुड़ियों पर प्यार से रगड़ते रहे। कभी कभी उस पंखुड़ियों की चमड़ी को उँगलियों में पिचकाते हुए दीपा की क्लाइटोरिस को भी छेड़ते रहे। इसका असर यह हुआ की दीपा अपने कूल्हे बिस्तर पर कभी इधर उधर खिसकाने तो कभी ऊपर निचे पटक ने लगी। बॉस की जीभ के चाटने से दीपा काफी गरम हो चुकी थी और झड़ ने के कगार पर पहुँच गयी थी। बॉस के उंगली चोदने से वह एकदम अपना आपा भूल कर उन्माद की स्थिति में पहुँच गयी।

वह अपने ओर्गास्म को रोक नहीं पा रही थी और बॉस के उंगली छे चोदने के चंद पलों में ही "आह....... सोमजी........ मुझे पकड़ो........ मैं झड़ रही हूँ........." और ऐसे ही कई उद्गार के साथ कुछ देर तक मचलते हुए दीपा झड़ गयी और कुछ देर तक चुपचाप पड़ी अपनी उत्तेजना को आराम देने की कोशिश में बिस्तरे पर ही पड़ी रही।

दीपा को साँस लेते हुए देख बॉस भी कुछ देर लेटी हुई नंगी दीपा को देखते रहे। दीपा की छाती हांफने से ऊपर निचे हो रही थी जो बॉस की नजर को अपने ऊपर गाड़े हुए राखी थी। दीपा के नंगे बदन की एक एक रेखा बॉस अपने दिमाग की हार्ड डिस्क में सेव करते जा रहे थे। दीपा के बाल, उसका कपाल, उसकी आँखें, उसकी नाक, गाल, होँठ, कंधे, उसकी खूबसूरत भरी हुई खड़ी अक्कड़ चूँचियाँ, उसकी पतली कमर, रसीली गाँड़, मस्त गठीली जाँघे और सबसे ज्यादा खूबसूरत दीपा की चूत जो कमल की डंडियों के बिचमें जैसे छुपने की कोशिश कर रही थी।

कुछ देर तक साँस लेने के बाद दीपा ने घूम कर बॉस की और देखा और उन्हें उसके के बदन को घूरते हुए देखा तो दीपा शर्मा गयी और बोली, "इतना देखा है तो भी अभी तक देखते पेट नहीं भरा क्या?"

बॉस ने मुस्कराए कर कहा, "लगता है तुम्हें ऐसे जिंदगी भर देखता रहूंगा तो भी पेट नहीं भरेगा। मन करता है ऐसे ही तुम नंगी मेरे सामने बैठी रहो और मैं तुम्हें देखता ही रहूं।"

दीपा ने नकली मुंह फुलाते हुए कहा, "तुमने मुझे पहली बार नंगी देखा है ना इसलिए। सब मर्द शुरू शुरू में ऐसा ही कहते हैं। फिर जब बार बार देखते हैं ना, तो उनका भी जी भर जाता है। फिर तो तुम देखोगे भी नहीं।"

बॉस ने कहा, "जानेमन, मौक़ा तो दो! आज से सौ साल के बाद भी जब तुम और मैं बूढ़े हो जाएंगे, तुम और मैं मोटे हो जाएंगे तब भी मैं तुम्हें नंगी देखने का मौक़ा नहीं चुकूँगा। तब भी तुम्हें नंगी देखते हुए मेरा पेट नहीं भरेगा।"

दीपा ने हँसते हुए कहा, "अरे! इतना नहीं जीना है मुझे। चलो, अब तुम्हें सिर्फ देखने से काम नहीं चलेगा सोमजी। मेरा पेट तो भरा नहीं अब तक। अभी तो तुम्हें बड़ी मशक्कत करनी है।"

बॉस ने कहा, "मैं हूँ ना? तुम्हारा पेट भरने के लिए।"

बॉस की बात सुन कर दीपा खिलखिला कर हँस पड़ी। हंसती हुई बोली, "वह तो मैं जानती हूँ, इतने महीनों, या सालों का माल जो भरा हुआ है तुम्हारे अंडकोषों में! उसे निकालोगे तो मेरा पेट तो भर ही दोगे तुम।"

बॉस ने दीपा को अपनी बाँहों में भर कर कहा, "दीपा यह जो तुम्हारी हँसी है ना, यह मुझे मार देती है। पता है, मेरा दिल तुम पर कब आ गया था?"

दीपा ने बॉस की और नजरें उठाकर पूछा, "कब?"

बॉस ने कहा, "जब हम पहली बार तुम मुझे देख कर खिलखिला कर हँस पड़ी थी तब से मैंने तय किया था की एक न एक दिन मैं तुम्हें पा कर ही रहूंगा।"

फिर हँसते हुए कहा, "मतलब मैं हँसी तो फँसी?"

बॉस ने कहा, "बिलकुल!"

दीपा ने बॉस के लण्ड को हिलाते हुए कहा, "तो फिर फाँसो मुझे अच्छी तरह। ऐसे फाँसो की मैं निकल ही ना पाऊं? मछली तुम्हारे जाल में फँसने के लिए तड़प रही है।"

बॉस पलंग से उठ खड़े हुए और दीपा का हाथ पकड़ कर एक बार फिर उसे अपने बैडरूम की और ले जाने लगे तब दीपा ने उनसे हाथ छुड़ाते हुए मेरी और इशारा करते हुए कहा, "यह तो कुम्भकरण सी गहरी नींद सो रहे हैं। तुम कितना भी चिल्लाओ, जब तक इन पर ठन्डे पानी की बाल्टी नहीं फेंकोगे, तब तक यह नहीं उठेंगे। यही मौक़ा है की उनकी बीबी को उनके बगल में रख कर चोदो ना? क्या तुम्हें इसमें एक अजीब उत्तेजना का अनुभव नहीं होगा? पति की बगल में सो कर तुमसे चुदवाने के आईडिया से ही मेरी तो ऐसी की तैसी हो रही है।"

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Anonymous
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3 Comments
AnonymousAnonymous4 months ago

Story likhne ki tameez aa jaye, tab likhna

Farzana ;)

AnonymousAnonymousover 4 years ago
Write storyline of incest

Really u re owessome

AnonymousAnonymousover 4 years ago

Hello iloveall,

Your stories are marvelous. The way you set up a plot, weave the characters & the way you bring up the climax is simply fantastic.

I have only complaint - you take pretty long brakes between your stories. Please write more frequently, Your stories are really awaited.

Thanks

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