हँसी तो फँसी

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दीपा ने बॉस की और प्यार भरी नज़रों से देखा। बॉस ने दीपा की मन चाह समझते हुए अपनी बाँहें फैलायीं। दीपा ने बॉस की बाँहों में सिमट कर कहा, "अगर तुम मुझे "आप" कहना बंद करोगे तो मैं यह चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ। जैसे तुमने मुझे महीनों से स्टडी किया और उसके बाद मुझे इतनी बड़ी जिम्मेवारी देने का डिसिशन लिया वैसे ही मैंने भी पिछले कुछ दिनों में तुम्हें स्टडी कर एक डिसिशन लिया है। तुम्हें मेरे बॉस होते हुए भी और (मेरी और इशारा करते हुए) इनको मेरे पति होए हुए भी मेरे आदेश मानने पड़ेंगे। तुम्हें तो पता है की मैं बहुत ही सख्त टास्क मास्टर हूँ। अगर तुम्हें मुझ पर और मेरी काबिलियत पूरा भरोसा है तो तुम्हें आज एक बहोत जरुरी काम करना है और तुम्हें अच्छा लगे या बुरा, यह करना ही है। इसमें कोई हाँ, ना या और कोई खिचखिच नहीं चलेगी। मैं जो कहूँगी वह तुम करोगे? बोलो मंजूर है?"

बॉस ने दीपा के होँठों को चूमते हुए कहा, " १०० % मंजूर है। बोलो क्या आदेश है?"

दीपा ने कहा, "तो फिर सबसे पहले मेरा आदेश है की आज अभी तुम्हें मेरे साथ एक खेल खेलना होगा। मेरी और ऐसे मत देखो। तुम्हारे इस प्लान की सफलता के लिए यह यह खेल बहुत ही जरुरी है। यह खेल को रोल प्ले कहते हैं। रोल प्ले का मतलब समझते हो? रोल प्ले में हम अपना रोल यानी किरदार बदलते हैं। मैं मैं नहीं रहती और तुम तुम नहीं रहते। पर मैं जो रोल प्ले खेलने जा रही हूँ यह एक अलग सा रोल प्ले है। तुम तुम ही रहोगे पर मैं मैं नहीं रहूगी। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूँगी। आगे तुम्हें जैसा ठीक लगे ऐसा तुम प्ले करना। मैं जो चाहे वह मैं करुँगी। खेल में किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। हम जो चाहे, मेरी बात को ध्यान से सुनिए, जो कुछ भी चाहें कह सकते हैं और कर सकते हैं।"

बॉस दीपा की बात सुन कर उसे देखते ही रहे। दीपा ने बॉस की और देखा और कहा, "जब तुमने मुझे कुछ जिम्मेवारी के लिए चुना ही है तो देखते जाओ, मैं तुमसे और सब से क्या क्या करवाती हूँ। अब मैं अपने कमरे में जा रही हूँ। तुम यहीं रुको। मैं कुछ ही देर में वापस आती हूँ। मेरे वापस आते ही खेल शुरू होगा।"

फिर थोड़ा आगे चल कर रुकी, थोड़ा पीछे हट कर बॉस के करीब आयी और थोड़ी बुलंद आवाज में बोली, "मैं दुबारा कहती हूँ, इस रोल प्ले में तुम जो चाहे बिना झिझक कह सकते हो और जो भी करना चाहो बेधड़क बिना हिचकिचाहट कर सकते हो। तुम कुछ भी कर सकते हो। इसमें कोई पाबंदी नहीं है। मैं या कोई और, तुम को नहीं रोकेगा।"

बॉस ने दीपा को पकड़ना चाहा। पर दीपा खिसक गयी तब बॉस बोले, "क्या इसमें चुदाई करने पर भी कोई पाबंदी नहीं है?"

दीपा ने नजरें जमीन में गाड़े कहा, "मैंने बार बार कहा की कोई भी पाबंदी नहीं है। तुम कुछ भी कह सकते हो और कुछ भी कर सकते हो। चाहो तो तुम मर्डर भी कर सकते हो। इससे आगे मैं क्या कहूं?"

बॉस हैरानगी से दीपा को जाते हुए देखते रहे और अपने मन में बड़े ही उलझन में सोचते रहे की अब दीपा उनको क्या गुल खिलाएगी।

दीपा उठ खड़ी हुई और रूम के बाहर चली गयी। बॉस इंतजार करते रहे। धीरे धीरे समय बीतता जा रहा था। करीब आधे घंटे बाद जब बॉस को नींद आने लगी थी, तब बॉस को क़दमों की आहट सुनाई दी।

बॉस ने घूम कर देखा तो वह अपनी आँखों का विश्वास ना कर सके। उन के सामने साक्षात शिखा खड़ी थी। उस समय करीब आधी रात को अचानक उनकी पूर्व पत्नी जो उन्हें छोड़ कर चली गयी थी वह वापस कैसे आ गयी?

पर बॉस कुछ समझ सके उसके पहले बॉस को दीपा की आवाज सुनाई दी। दीपा ने हूबहू शिखा की तरह ही मेकअप किया था और चोटी भी शिखा की तरह बाँधी थी। यहां तक की अपने फुले हुए अल्लड़ स्तनों को छिपाने के लिए पता नहीं दीपा ने क्या पट्टी बाँध कर छाती सपाट दिखाने की कोशिश की थी। बॉस समझ ही नहीं पाए की शिखा के रूप में वह दीपा थी। बॉस को पलंग पर बैठे हुए देख कर दीपा ने बॉस को दहाड़ मारते हुए कहा, "सोम, क्या बात है? तुम आधी रात को मेरे कमरे में क्यों आये हो? जाओ अपने कमरे में जा कर सो जाओ। काफी रात हो चुकी है। मुझे डिस्टर्ब मत करो।"

बॉस ने दीपा की और देखा। दीपा शिखा के रोल और कपडे में भी निहायत खूबसूरत लग रही थी। बॉस ने आगे बढ़ कर दीपा को अपनी बाँहों में ले कर कहा, "डार्लिंग, आ जाओ ना मेरी बाँहों में। आज तुम्हें प्यार करने को मेरा मन तड़प रहा है।"

दीपा ने बॉस को एक करारा धक्का मार कर कहा, 'शर्म नहीं आती? तुम पागल तो नहीं हो गए? क्या मैं तुम्हारी बंधवा मजदूर हूँ की तुम जब चाहो मुझे यूज़ करो? तुम्हारी औकात ही क्या है सोम?"

बॉस ने फिर गिड़गिड़ाते हुए कहा, "डार्लिंग,क्या मैं इतना बुरा हूँ की तुम मुझे तुम्हारे प्यार के चंद लम्हे भी नहीं दे सकती? देखो आज मेरा बहुत मन कर रहा है? प्लीज?"

दीपा ने गुस्से से कहा, "अरे एक बार कहा ना? समझ में नहीं आ रहा है क्या? देखो, मुझे तंग मत करो। मुझे नींद आ रही है। मुझे कल अपने घर जाना है। पापा ने बुलाया है। उन्होंने नयी मर्सिडीज़ खरीदी है। मुझे वह लॉन्ग ड्राइव पर ले जाना चाहते हैं। अब जाओ और सो जाओ।"

दीपा के कड़वाहट भरे शब्द सुन कर बॉस में अचानक परिवर्तन आने लगा। उनकी आँखें लाल हो गयीं। शिखा को अचानक ही अपने सामने पा कर वह अपनी ब्याहता बीबी से इतने गुस्से में थे की पिछले कुछ महीनों की जो कड़वाहट, जो गुस्सा और जो कुंठा उनके मन में भरी थी वह उनक चहरे पर दिखने लगी। उन्हें लगा की धीरज की भी कोई हद होती है। उनके मन में दबी हुई काम वासना और गुस्से का खतरनाक संगम उस समय उनके दिमाग में धमाके की तरह तूफ़ान मचा रहा था।

बॉस ने दीपा का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड को सहलाने को लगाया और बोले, "साली छिनाल शिखा तू कितनी बेहया और जाहिल औरत है? मेरे साथ शादी कर के भी तूने मुझे पत्नी का सुख नहीं दिया। तो फिर तूने मुझसे शादी ही क्यों की? साली कुतिया, तू तो कुतिया कहलवाने के भी लायक नहीं है। मैं तुम्हारे लिए काफी समय से तड़प रहा हूँ। आज मैं नहीं रुकूंगा और तुझे पा कर ही छोडूंगा।"

दीपा ने बॉस के हाथ को झटके से हटा दिया और उतने ही गरम और तिरस्कार भरे शब्दों में कहा, "अच्छा? मेरे बापने मेरी शादी तुम्हारे साथ कर दी तो क्या तुम मेरे बदन के मालिक हो गए? मुझे जब चाहे तब रगड़ो और जब चाहो तब छोड़ो? अरे जाओ, तुम्हारे जैसे ऐरे गैरे तो मेरे बाबूजी के यहां नौकर हैं।"

यह सुन कर बॉस के दिमाग का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने दीपा की साड़ी पकड़ी और बड़ी ताकत से झटका मर कर खींची। एक ही झटके में दीपा घूमने लगी और बॉस ने दीपा की पहनी हुई साड़ी निकाल फेंकी। दीपा पेटीकोट में खड़ी हो गयी। दीपा ने जब बॉस की यह हरकत देखि तो उसकी चूत में से जैसे पानी की धार बहने लगी। पर उस समय उसे दीपा नहीं शिखा का रोल निभाना था।

दीपा जोर से चिल्ला कर बोली, "भड़वे! एक औरत पर ताकत दिखाता है? मैं तुझे कल सुबह देखती हूँ। मेरे पापा के पास जा कर तुझे मैंने जेल ना भिजवाया तो मेरा नाम शिखा नहीं।"

बॉस ने दीपा की एक भी बात ना सुनते हुए दीपा को करीब खींचा और दीपा के ब्लाउज को एक जोर से झटका मारा तो शिखा का ब्लाउज फट गया। बॉस ने अपनी आँखों से आग के शोले बरसाते हुए कहा, "अच्छा? कल सुबह की बात कर रही है तू राँड़? क्या तूने मुझे कोई नामर्द समझ रखा है? की मैं अपनी बीबी को किसी और से चुदवाते हुए देख कर भी कुछ ना बोलूं? मेरी सज्जनता को तू मेरी कमजोरी समझ रही है?"

यह कह कर बॉस ने लपक कर बॉस ने दीपा की ब्रा की पट्टी भी एक ही झटके में खोल दी। दीपा की ब्रा के अंदर दीपा के स्तनों को दीपा ने एक पट्टी में बाँध रखा था जिससे उसके स्तन छिप जाएँ। बॉस ने एक झटके में वह पट्टी भी फाड् डाली। दीपा के नंगे खूब सूरत स्तनोँ को देखते ही बॉस अपना होश खो बैठे। बॉस ने दीपा की कमर पकड़ कर उसे झुका कर उसके स्तनोँ पर अपना मुंह चिपका दिया। बॉस दीपा के गोर अल्लड़ सख्त और पुरे फुले हुए स्तनों को मुंह से चूसने लगे और दूसरे स्तन को एक हाथ में पकड़ कर उसे जोर से मसलने लगे।

अपने स्तनों पर बॉस का इतना जोशीला प्यार भरा चुम्बन का अनुभव कर दीपा मरी जा रही थी। दीपा का दिल जोर से धड़कने लगा था। दीपा की साँस फूल रही थी और उसकी छाती उपर निचे हो रही थी। दीपा की चूत में ना जाने क्या क्या मचलन हो रही थी। वह बॉस के बाहुपाश से बिलकुल छूटना नहीं चाहती थी। बल्कि वह बॉस को अपना सबकुछ समर्पण करना चाहती थी। पर उसे अपना काम करना था।

दीपा ने बॉस को धक्के मारते हुए हटाया और अपने स्तनोँ को दोनों हाथों से ढकते हुए तिरस्कार भरे शब्दों में कहा, "जबरदस्ती करना चाहते हो? खबरदार आगे बढे तो। मैं तुहारी कोई बंधवा मजदुर नहीं हूँ। मुझे हाथ मत लगाना। मैं तुम्हारी बीबी हूँ। कोई खरीदी हुई राँड़ नहीं। मैं एक रईस बाप की बेटी हूँ। मुझसे शादी करने के लिए कई रईसों के बेटों की लाइन लगी हुई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी की मैंने तुम्हें पसंद किया। अब तुम मुझ पर कोई जबरदस्ती नहीं कर सकते।"

बॉस ने दीपा की बाँहें पकड़ कर अपने करीब खींचा और उसको अपनी टाँगों के बिच में लेकर बोले, "शिखा, मैं तुम्हारा पति हूँ। तुमने मुझे एक पत्नी का सुख कभी नहीं दिया। पति होने के नाते वह मेरा अधिकार था। पर तुमने मुझे हमेशा ना सिर्फ अपना नहीं समझा पर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश की।"

दीपा ने बॉस को अपना विकराल रूप दिखाते हुए कहा, "अच्छा मैंने तुम्हें नीचा दिखा ने की कोशिश की? तुम सोमेंद्र, ऊँचे कबसे हो गए? तुम इतनी जल्दी भूल गए? अरे तुम तो वही सोम हो ना, जो मेरे बाप के आगे इन्वेस्टमेंट की भीख मांगने आये थे? और मेरे पिताजी ने दया कर के तुम्हारी कंपनी में इन्वेस्टमेंट कर तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान किया था? साथ साथ में तुम्हें अपनी बेटी मतलब मुझे भी ब्याह में दिया था? भीख मांगने वाला हमेशा नीचा होता है। मेरे पिताजी से और रुपये चाहिए तो मांग लो। शायद वह देदें। पर अब मुझे तुम्हारी बीबी बने रहने की कोई जरुरत नहीं है। तुम्हारे पास मुझे रखने के लिए पैसे नहीं है, इस लिए, गो टू हेल!" यह कह कर दीपा ने बॉस को ऐसा तगड़ा झटका दिया की बॉस कुछ कदम तक लड़खड़ाते पीछे हट गए।

दीपा की जली कुटी सुनकर बॉस के दिमाग की नसें फूल गयीं। बॉस की आँखों में खून की लालिमा लाल लाल दिखाई देने लगीं। इन्हें देख कर दिप को भी डर लगा। बॉस ने दीपा का गला पकड़ा और एक हाथ से उसके बाल पकड़ कर एक थप्पड़ मार कर कहा, "साली शिखा, तू अपने बाप के पैसे से मुझे अपना गुलाम बनाना चाहती है? तू सोचती है, मैं तुम्हारे पैसे से खरीदा जा सकता हूँ। राँड़, छिनाल, धोकेबाज। तू मुझ से बाप का पैसा दिखा कर ऐसे बात कर रही है? क्या तू यह समझ रही है की मैं अपने बलबुते पर पैसे नहीं कमा सकता? अरे तू आज मुझे क्या रोकेगी? आज मुझे तुम्हें चोदने से कोई नहीं रोक सकता। मैं तुझे दिखाता हूँ की मैं कौन हूँ।"

यह कह कर बॉस ने दीपा को पकड़ा और उसकी पेटीकोट का नाडा खोल दिया। दीपा का पेटीकोट सरक कर दीपा की जाँघों से निचे गिर पड़ा। दीपा हफडाताफड़ी में पैंटी पहनना भूल गयी थी। बॉस ने दीपा को पहली बार नंगी देखा। बॉस के नंगी दीपा को देख कर तो होश ही उड़ गए। शिखा का बदन और दीपा के नंगे बदन में आसमान जमीन का फर्क था।

दीपा एकदम रसीली, सेक्सी कामुकता की शिरोमणि और शिखा सुखी बंजर जमीन की तरह उजड़ी सी रूखी नीरस। दीपा के बदन का एक एक अंग बॉस को कराह कराह कर प्यार से चोदने के लिए पुकार रहा था। दीपा की अतुल्य खूब सूरत नंगी मूरत बॉस देखते ही रहे।

बिना कोई आवरण के नंगी दीपा जैसे कोई स्वर्णसुन्दरी लेटी हो ऐसी लग रही थी। बॉस के साथ गुत्थम गुत्थी के कारण दीपा ने बनायी चोटी खुल गयी थी। दीपा के बाल उसके कन्धों से होकर पीछे और आगे बिखरे थे। कुछ ही देर पहले नहाने के कारण उसके गीले बाल की जुल्फें चिपक कर खुले बालों के कई पतले गुच्छे बना रहीं थीं। दीपा की घनी तीखी भौंहें और उसकी छत्र छाया में दीपा की धनुष्य जैसी नशीली आँखें बॉस के मन को तीखी कटार से काट ने के लिए पर्याप्त थीं।

बॉस को नंगी दीपा की आँखें बड़ी नशीली और उन्मादक लग रहीं थीं। बॉस से चूमे हुए रसीले चमकते ओष्ट गुलाब की पंखुड़ियों के समान लगते थे। दीपा की नुकीली सुन्दर नाक और लम्बी गर्दन हँस की गर्दन सी लग रही थी। उसीके थोड़े निचे दीपा के अल्लड़ तने हुए फुले गुब्बारे सामान स्तन जो हलके चॉकलेट रंग की एरोलासे अच्छादीत थे; जिसमें उत्तेजना के कारण छोटी छोटी फुंसियां और उसके बिलकुल बीचमें तन कर खड़ी फूली निप्पलेँ स्तन की खूबसूरती में चार चाँद लगा देतीं थीं।

नंगे पेट और नाभि पर इस कदर लचीला घुमाव जो कूल्हों की विशालता दर्शाता था वह गिटार वाद्य के घुमाव सा मनमोहक था। ढूंटी के निचे हलके से पेट का उभरना और फिर वह उभार ढलाव में बदल कर चूत की पंखुडिपों में और कमल की डंडी सी जाँघों के बिच में समा जाना भी अपने आप में एक अद्भुत कामुक दृश्य था। बॉस लेटी हुई उनकी प्रियतमा का नग्न मनमोहक रूप देखते ही रह गए। "वाओ"के अलावा उनके मुंह से एक शब्द भी नक़ल नहीं पाया।

बॉस के हाथ का करारा थप्पड़ खाने से दीपा के गाल लाल हो गए थे। दीपा के कान में तमतमाती आवाजें चीखने लगी थीं। बॉस के चेहरे के भाव देख कर दीपा ने क्रोध से गुर्राते हुए बॉस को कहा, "एक औरत को थप्पड़ मार कर अपने आपको मर्द साबित करना चाहते हो? क्यों, क्या देख रहे हो? तुमने तो बहोत सारी लड़कियों को नंगा किया होगा? मैंने सूना है की तुमने मेरे पहले कई लड़कियों को चोदा है। तुम्हारे पास तो चुदवाने के लिए लडकियों और औरतों की लाइन लग जाती होंगी? तुम इतने हैंडसम जो हो? मैं भी तो फँस गयी थी तुम्हारे जालमें। पर शादी के बाद मुझे पता चला की तुम तो साले फक्कड़ हो। बीबी को पालने के लिए तुम्हारे पास दौलत नहीं तो फिर मेरे जैसी अरब पति की बेटी से शादी क्यों की? पर मैं उन सब औरतों की तरह वेश्या नहीं हूँ जो तुमने देख लिया तो कपडे उतार दूंगी और चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी। ऐसे क्या देख रहे हो? तुम्हारी नियत ठीक नहीं लगती। देखो, तुम आगे मत बढ़ो। तुम मुझ पर बलात्कार करोगे? मेरे नजदीक मत आना। खबरदार मुझे हाथ लगाया तो।"

यह कह कर दीपा खड़ी हुई तब बॉस की तंद्रा हटी। कुछ पल के लिए वह दीपा के प्रति कामुकता के भाव में बह गए थे। पर शिखा के रोल में दीपा की तिरस्कार भरी जली कटी बात जब सुनी तो बॉस की आँखों में एक अजीब सा क्रूरता का जनून फिर से सवार हो गया। उन्हें फिर सामने खड़ी दीपा नहीं शिखा दिखाई देने लगी। उन्होंने तय किया की अगर शिखा नहीं मानी तो उसे वह जबरदस्ती चोद कर ही छोड़ेंगे। जो उन्होंने सालों तक नहीं किया वह उस रात करने पर बॉस आमादा हो गए थे। बॉस ने दीपा को एक जोरदार धक्का मार कर पलंग पर गिराया। दीपा गिरकर पलंग पर लेट गयी और गुस्से में कराहने लगी। वह बॉस को गालियां देने लगीं। मैंने पहली बार मेरी बीबी के मुंह से इतनी गन्दी गालियां सुनी थीं।

बॉस ने दीपा की और देख कर तिरस्कार भरे शब्दों में कहा, "तु समझती क्या है अपने आपको? क्या तू मुझे जिंदगी भर नचाती रहोगी, क्यूंकि तुम्हारे बाप ने मेरी कंपनी में पैसा लगाया है? तुमने मुझे अपनी मर्जी से शादी की। तुमने क्या सोचा था की शादी भी करोगी और मुझसे चुदवाओगी भी नहीं? क्या शादी पैसे के लिए ही करते हैं? तुमने मुझे शादी के बाद क्या दिया? मैंने सोचा था शादी करेंगे, बच्चे होंगे, एक परिवार होगा। पर तुम्हें तो पैसे, बंगला, गाडी, नौकर चाकर इसके आगे कुछ दिखता ही नहीं था। शिखा तुमने मेरी जिंदगी को जहर बना दिया। और फिर भी मैं तुम्हारा साथ निभाता रहा। मैंने सोचा तुम धीरे धीरे बदल जाओगी। पर तुमने तो डाइवोर्स का नोटिस भेज कर मेरी इज्जत का भी कबाड़ा कर दिया?"

दीपा भय भरी आँखों से बॉस की जिंदगी की उनकी कुण्ठा सुनती ही रह गयी। उसे तब तक इतना पता नहीं था की बॉस का ऐसा हाल था। बॉस अपनी कहानी बोले जा रहे थे , "तूने मुझे समाज में और अपनी खुद की नजर में ख़तम कर दिया, बर्बाद कर दिया।"

दीपा ने उसी कड्वाहट भरे शब्दों में बॉस को कहा, "अरे साले भड़वे, तुझ में हिम्मत है तो मुझे हाथ लगा कर दिखा। मैं तुम्हारी रंडियों जैसी नहीं हूँ की तुम्हारे बाँहें फैलाते ही मैं तुम्हारे निचे आ कर अपनी टांगें चौड़ी कर चुदवाने के लिए सो जाउंगी। समझे?"

बॉस का गुस्सा अब हद से पार जा रहा था। बोस ने देखा की उस दिन तक शिखा के साथ इस तरह की नौबत नहीं आयी थी। शिखा ने तो हद ही पार कर दी थी। वह अपने पति को गन्दी गन्दी गालियां दे रही थी और अपना बचाव करने के बजाय वह तो बॉस को ही लताड़े जा रही थी। इस औरत को सबक सिखाने का समय आ गया था।

बॉस ने फ़ौरन एक ही झटके में अपना पजामा उतार फेंका और वह दीपा के सामने अपना खड़ा लण्ड लहराते हुए खड़े हो गए। जब दीपा ने बॉस का इतना मोटा और लंबा तगड़ा लण्ड देखा तो उसकी हवा ही निकल गयी। उसने सपने में भी सोचा नहीं था की किसी मर्द का लण्ड इतना मोटा और इतना लम्बा हो सकता है। दीपा को समझ नहीं आ रहा था की उसकी छोटी सी चूत में इतना बड़े पाइप जैसा लण्ड अंदर घुसेगा कैसे और वह जब अंदर बाहर होगा तो वह तो दीपा की चूत को फाड़ ही देगा उसमें दीपा को कोई शक नहीं था। दीपा बॉस से चुदवाने के सपने देख रही थी वह बॉस के ऐसे घोड़े जैसे लण्ड को देख कर इतनी डर गयी की उससे बोला ही नहीं जा रहा था। पर तब बहोत देर हो चुकी थी।

दीपा ने लण्ड लहराते हुए बॉस से चिल्ला कर कहा, "सोम, तुम अभी के अभी यहां से चले जाओ। इतना मोटा लण्ड दिखा कर तुम यह समझते हो की मैं तुमसे चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी? तो यह तुम्हारा भ्रम है।" दीपा ने अपनी चूत को दोनों हथेलियों से ढकते हुए कहा, "गेट आउट ऑफ़ माय रूम, ओ नामर्द इंसान।"

बॉस ने जैसे ही शिखा से नामर्द शब्द सूना की वह सीधा ही दीपा के ऊपर टूट पड़े। दीपा की चूत को ढकी हुई दीपा की हथेलियों को हटाया और दीपा की जाँघ के ऊपर एक करारा तमाचा मार कर दीपा की टाँगों को ऊपर उठाकर अपने कन्धों पर रखा। गुस्से में बिना कुछ सोचे समझे दीपा की चूत में अपना खड़ा हुआ लोहे की छड़ जैसा घोड़े के लण्ड सा लंबा और मोटा लण्ड घुसेड़ दिया। जैसे ही बॉस का इतना मोटा और लंबा लण्ड बिना कुछ तैयारी किये हुए घुसने लगा की दीपा की तगड़ी चीख से पूरा बैडरूम गूंज उठा। मैंने अपने आप को बड़ी ही मुश्किल से उठने से रोका।

बॉस का लण्ड घुसने से दीपा की चूत की चमड़ी शायद फटने लगी थी। दीपा दर्द के मरे कराहने लगी। मैंने भी देखा की दीपा की चूत में से खून की हल्की धार निकली। जब बॉस ने यह देखा तो अचानक वह हिल गए। गुस्सा, कड़वाहट और हैवानियत का भूत जो उनके दिमाग पर सवार था वह दीपा की चूत में से रिसते हुए खून को देख कर जैसे अचानक गायब हो गया। अचानक उन्हें होश आया की जिस पर वह टूट पड़े थे वह शिखा नहीं, उनकी प्यारी दीपा थी।

बॉस ने धीरे से अपना लण्ड दीपा की चूत में से निकाला। पर बॉस ने जब दीपा की और देखा तो पाया की दीपा हिल नहीं रही थी। बॉस को डर लगा। दीपा उस की चूत में अचानक बॉस को इतना बड़ा लण्ड घुसने से जो दर्द उसकी चूत में हुआ था उसके कारण शायद बेहोश हो गयी थी। बॉस ने दो या तीन बार दीपा को बुला कर हिलाया। पर दीपा नहीं उठ पायी। दीपा का यह हाल देख कर बॉस दीपा के ऊपर गिर पड़े और फफक फफक कर रोने लगे।

बॉस की आँखों से निकली अश्रुधारा से दीपा का चेहरा गीला हो रहा था। अपने चेहरे पर आँसुंओं की धार पड़ते ही दीपा हिली। उसे धीरे होश आया और उसने बॉस को बच्चे की तरह फफक फफक कर रोते हुए पाया।

इतने बड़े आदमी को इस तरह रोते हुए देख कर दीपा को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। बीबी कैसी ही क्यों ना हो, उससे तलाक का सदमा कितना गहरा होता है और एक इज्जतदार आदमी के लिए वह कितना घातक होता है वह दीपा ने महसूस किया। दीपा ने बॉस को अपनी बाँहों में लेकर उनका सर अपनी छाती पर रख दिया। दीपा के नंगे कड़क स्तनोँ का स्पर्श बॉस के होंठों को हुआ। दीपा के स्तनों का स्पर्श होते ही बॉस की आँखों में से आंसू फव्वारे की तरह उमड़ पड़े।

बॉस ने दीपा के स्तनोँ को अपने मुंह से चूमते हुए ऊपर देख कर दीपा की आँखों से आँखें मिला कर कहा, "दीपा आज वाकई में मैं पागल हो गया था। मैं पता नहीं कैसे तुम्हें शिखा समझ बैठा और अपना आपा गँवा बैठा। मैंने तुम्हें जिस हिंसक तरीके से मारा है उसकी मुझे सजा मिलनी चाहिए। मैं तुम्हारी माफ़ी के लायक भी नहीं हूँ।"

दीपा ने बॉस के सर में अपनी उंगलियां घुसा कर उनके बालों को संवारते हुए कहा, "सोमजी, वह मैं नहीं वह शिखा ही थी जिसे तुम मार रहे थे। वह मैं नहीं शिखा ही थी जिसका तुमने अपमान किया और जिस को तुमने जबर्दस्ती चोदा। वह अब तुम्हारी जिंदगी में कभी वापस नहीं आएगी और नाही तुम्हें उसकी जरुरत है, क्यों की अब तुम्हारी जिंदगी से शिखा हमेशा हमेशा के लिए चली गयी है। तुम्हारी बाँहों में शिखा नहीं दीपा है। और वह तुम्हारी प्यारी दीपा नंगी तुम्हारी बाँहों में तुमसे चुदवाने के इंतजार में पड़ी हुई है। अब शिखा को भूल जाओ और दीपा को अपनाओ।"

दीपा की बात बॉस के कानों पर जैसे डंके की चोट सी असर कर रही थी। उनके मन में दीपा के प्रति जो सम्मान और प्यार था वह यह सब देख और सुन कर कई गुना बढ़ गया। उन्होंने दीपा के भरे हुए स्तनोँ को चूमते हुए कहा, "दीपा आज तुमने मुझे एक अनूठे तरीके से निराशा, अफ़सोस और दुःख की गर्त से निकाल कर आत्मसम्मान और उम्मीद के साथ प्यार की ऊंचाइयों पर लाने की सफल कोशिश की है। मुझे उस शिखा राँड़ से पिंड छुड़ाने के लिए तुमने जो किया है, मुझे पता नहीं उसका ऋण में कैसे चुका पाउँगा?"

दीपा ने बॉस के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "सोमजी, अब उस मुसीबत की जड़ को तुमने निकाल फेंका है। अब शिखा नहीं दीपा तुम्हारी है और सदैव तुम्हारे साथ रहेगी। जो उस राँड़ ने तुम्हें नहीं दिया वह मैं तुम्हें दूंगी। वह राँड़ तुम्हारे घर से तो निकल ही गयी है और उसकी जगह एक दूसरी राँड़ आ गयी है। अब तुम्हें उसे सम्हालना होगा।"

दीपा ने बॉस के पाजामे का नाडा खोल दिया और बॉस के होँठों को चूमते हुए कहा, "अब यह दीपा तुम्हारी है और रहेगी जब तक तुम उसे अपने दिल से या घर से निकाल नहीं दोगे। जहां तक तुम्हें पत्नी का सुख देने का सवाल है तो सोमजी, यह सुख तुम्हें मैं जरूर दूंगी और भरपूर दूंगी। पर साथ में मेरी एक शर्त है की मैं भी तुम्हें अपना गुलाम बना कर रखूंगी।"

दीपा की बात सुनकर बॉस हँस पड़े। उन्होंने कहा, "दीपा इसी लिए मैं तुम्हारा कायल हूँ। मैं तो तुम्हारा गुलाम बनने के सपने कभी से देख रहाहूं। मैंने इसी कारण तुम्हें मेरी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए चुना है। हर समस्या का समाधान करने का एक असरदार तरिका होता है जिसे कहते हैं "बॉक्स के बाहर सोचने का तरिका' मतलब असाधारण योजना को अपनाना। और वह तुम भलीभाँती जानती हो। मेरे जहन में शिखा का अचानक ही मेरी जिंदगी से चले जाने का सदमा इतना तगड़ा था की पिछले कुछ हफ़्तों से उसने मुझे और मेरे आत्म विश्वास को तोड़ कर चकनाचूर कर दिया था। उस आत्म विश्वास को वापस लाना बड़ा ही मुश्किल था। इंसान का आत्मविश्वास जब टूट जाता है तब वह आसानी से वापस नहीं आता उसे वापस लाने के लिए मानसशास्त्री यानी साइकोलॉजिस्ट को भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।

पर तुमने ऐसा सहज रास्ता अपनाया और यह रोल प्ले कर मुझे एहसास दिलाया की शिखा के मन में जब मेरे लिए कोई जगह थी ही नहीं और जब शिखा मेरे काम की थी ही नहीं तो फिर वह मेरी जिंदगी से चली जाए यही मेरे लिए बेहतर है। इसके लिए अफ़सोस करना या अपने आप को ग़म के अँधेरे कुँए में ड़ाल देना एक पागलपन या कोरी बेवकूफी है यह तुमने शिखा का रोल प्ले कर मुझे दिखा दिया। मेरे जहन में जो एक रंजिश घर कर गयी थी की मुझे उस औरत को एक सबक सिखाना था वह तुमने इस रोल प्ले कर दूर कर दी।"

बॉस की तारीफ़ सुन कर दीपा का चेहरा शर्म से लाल हो गया। दीपा ने शर्माते हुए कहा, "मेरा तुम्हें सर कहने का मन हो रहा है। पर मैं तुम्हें सोमजी ही कहूँगी। सोमजी, तुमने मेरी काबिलियत परखी इसलिए मैं तुम्हारी ऋणी हूँ। इसी कारण मुझे भरोसा है हमारी कंपनी बिज़नेस में तरक्की कर ऊँची बुंलदियों को छुएगी। पर आज रात हमारी सुहाग रात है। मेरे लिए यह दूसरी सुहाग रात है। तो मेरे राजा आओ और तुम्हारी दीपा को आज की रात पूरी तरह से एन्जॉय करो। आज की रात मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ।"

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