हँसी तो फँसी

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मेरी बात भी तो सही थी। मैं तो चाहता ही था की बॉस दीपा के साथ सब कुछ करे। बॉस की जिंदगी वापस पटरी पर आने से हम को भी तो फायदा था।

बॉस ने कुछ समय के लिए मुझे उलझन भरी नज़रों से देखा, फिर बोले, "दीपक, मैं बता नहीं सकता की मैं आज आपके यह भाव से कितना खुश हूँ। मैं आप दोनोंके लिए कुछ भी कर सकता हूँ।"

उतनी ही देर में मेरी पत्नी दीपा नहा कर अपने कपडे बदल कर गाउन पहन कर हाजिर हुई। उन्होंने बॉस से मुझे बातें करते हुए सुन कर कहा, "मैं सुन रही थी की आप बिच बिच में मेरा नाम ले रहे थे। कहीं आप दोनों मुझे फँसाने का कोई प्लान तो नहीं कर रहे हो?"

मैंने तपाक से जवाब देते हुए कहा, "हम मर्द तुम्हें फँसाने वाले कौन हैं? तुमने ही हमें फँसा दिया है। इस संसार को औरतों ने ही अपने चक्कर में फँसा रखा है।"

हालांकि दीपा ने ढीला खुला हुआ गाउन पहना था पर मुझे दिख रहा था की उस गाउन के अंदर उसने और कुछ नहीं पहना था। नहाने के कारण दीपा का गाउन भी कुछ थोड़ा सा गीला था। दीपा के बाल भीगे हुए दीपा के पुरे ऊपरी बदन पर बिखरे हुए थे। दीपा ने एक तौलिया वैसे ही अपने बालों पर डाल रखा था। उनमें से हलकी सी बूंदें दीपा के गाउन को गीला कर रही थीं। हवा में बार बार गाउन दीपा की जाँघों के बिच में चिपक जाता था और दीपा की गाँड़ और उसकी चूत की झांकी भी हो रही थी। कभी दीपा के बड़े फुले हुए स्तन के दो गोले साफ़ दिख रहे थे और उन के ऊपर खड़ी दो फूली हुई निप्पलेँ भी दिख रहीं थीं।

बॉस बड़ी आतंरिक मशक्कत के बाद भी अपनी नजर वहाँ से हटा नहीं पाते थे। दीपा यह देख कर बिंदास बोली, "बॉस, ऐसे क्या देख रहे हो? जुठ मत बोलना?"

बॉस ने घबड़ाते हुए कहा, "कुछ नहीं, तुम्हारे गाउन पर एक मच्छर मंडरा रहा था।"

दीपा ने उसी अंदाज में पर धीरे से कहा, "एयरक्राफ्ट देख रहे थे या एयरपोर्ट? मच्छर देख रहे थे या मच्छर जहां बैठा था वह जगह? "

बॉस ने दीपा की बात का कोई जवाब नहीं दिया।

मैं भी दीपा की बात सुनकर हैरान रह गया। मैंने जैसे उसकी बात नहीं सुनी ऐसे काम में लग गया। बॉस भी अपनी नजरें वहाँ से हटा कर मेरे साथ काम में जुट गए।

खाना टेबल पर रखने के बाद मैंने कहा, "खाना लग गया है। सब आइये और बैठिये।"

दीपा ने कुर्सी में बैठते हुए कहा, "आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। आप दोनों क्या बात कर रहे थे?"

बॉस ने अपना गला खुंखारते हुए कहा, "मैं दीपक को कह रहा था की अब दीपक मेरा असिस्टेंट नहीं मेरा अंतरंग मित्र है।"

दीपा ने खुश हो कर बॉस के हाथ पर अपना हाथ रख कर कहा, "सिर्फ दीपक ही क्यूँ? क्या मैं आपकी अंतरंग नहीं हूँ?"

बॉस ने दीपा के हाथ दबाते हुए कहा, "दीपा, हम तुम्हारे बारे में यही बात कर रहे थे। तुम सब से पहले मेरी अंतरंग हो। इसमें कोई शक नहीं है। दीपक कह रहे थे की जैसे तुम और दीपक एक हो वैसे ही उसने अब मुझे भी तुम दोनों के साथ शामिल कर दिया है। वह कहता है हम तीनों अंतरंग हैं हम तीनों एक हैं।"

मैंने कहा, "सर, अभी हम डिनर खा कर फिर आराम से बाते करेंगे।"

बॉस ने कहा, "आप मेरे घर आने का यह पहला दिन है। क्यों न आज पार्टी हो जाए?"

मैंने कहा, "जरूर पार्टी तो होनी चाहिए।"

बॉस ने फ़ौरन उनके बार में से आयात की हुई व्हिस्की की एक बोतल निकाली। साथ साथ ऊपर के शेल्फ में से तीन गिलास भी निकाले और सब में व्हिस्की डालने लगे।"

दीपा ने फ़ौरन अपना हाथ एक गिलास पर रखते हुए कहा, "मैं नहीं पियूँगी। मैं शराब नहीं पीती।"

बॉस ने कहा, "दीपा यह कोई देसी शराब नहीं है। यह इम्पोर्टेड व्हिस्की है। थोड़ी पीलो ना? हमारी खातिर?"

दीपा ने बॉस की और देखा फिर मेरी और देखा। मैंने कंधा हिला कर मेरी सहमति जाहिर की। दीपा ने आखिर कहा, "ठीक है, तुम कह रहे हो तो थोड़ी सी आप लोगों की कंपनी के लिए पी लुंगी। पर मैं यह बतादूँ की मुझे थोड़ी सी भी चढ़ जाती है। इस लिए आगे मुझे ज़रा भी आग्रह मत करना प्लीज?" और मेरी और घूम कर बोली, "सोमजी, इनको तो बिलकुल मत पिलाना। इनको तो एकदम नशा चढ़ जाता है और फिर वह ऐसे सो जाते हैं की इनको होश ही नहीं रहता। फिर आप नगाड़े बजाओगे तब भी वह सुबह तक नहीं उठेंगे।"

हम तीनों ने गिलास उठा कर "चियर्स" किया। बॉस ने कहा, "हम तीनों की लम्बी और ख़ुशी भरी दोस्ती के लिए "चियर्स"।"

मैंने मेरा गिलास जल्दी ही ख़त्म किया। दीपा ने तो सिर्फ एक घूंट अपनी आँखें बंद कर पी और फिर ग्लास छोड़ दिया। दीपा ने मेरे करीब आ कर बॉस ना सुन सके ऐसे हलके से कहा, "दीपक, तुम नशे में लुढ़क जाने का नाटक करो।"

मैंने खड़े हो कर मेरी पीठ बॉस की तरफ कर ऐसा दिखावा किया जैसे मैंने एक बड़ा पेग बनाया और मैं उसे गटागट पी गया। बॉस दीपा के साथ कुछ इधरउधर की बातें करने में लगे थे। बॉस बार बार दीपा के गाउन को इधर उधर लहराते हुए देख रहे थे। कई बार वह ऊपर से चोरी से दीपा के क्लीवेज को घूर रहे थे।

मैं उनसे बातें करते हुए फिर खड़ा हुआ और मैंने फिर एक और पेग बना कर पीने का नाटक किया। कुछ देर बाद मैं उनकी बातें सुनते हुए ही धीरे से टेबल के ऊपर अपने दोनों हाथ लम्बे कर लेट गया। बॉस ने मेरी और देखा और फिर दीपा की और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा।

दीपा ने कहा, "मैंने कहा था ना की इन्हें ज्यादा मत पिलाओ? इन्होने ज्यादा पी ली है। लगता है यह लुढ़क गए।" फिर मुझे पकड़ कर दीपा झकझोरने लगी। वह मुझे खाना खा कर सोने के लिए कह रही थी। पर जो जाग रहा हो उसे कैसे जगाया जाए? मैं बिलकुल ही नहीं हिला।

आखिर में दीपा ने उलझन भरी आवाज में बॉस से कहा, "यह तो गए काम से। इन्हें अब हम को उठा कर ऊपर ले जा कर बिस्तर पर सुलाना पडेगा। पर पहले हम खाना खा लेते हैं।"

ऐसा कह कर दीपा ने अपने और बॉस के लिए खाना परोसा। खाना परोसते हुए दीपा बॉस के करीब गयी और उसने पहला निवाला बना कर बॉस के मुंह में देना चाहा तब बॉस ने मेरी और देख कर मेरी बीबी को इशारों में ही पूछा की कहीं मैं देख तो नहीं रहा?

तब दीपा ने मैं सुन सकूँ ऐसे बॉस को बोला, "अब इनकी चिंता मत करो। सुबह तक उन्हें होश नहीं आएगा।" यह कह कर दीपा ने बॉस के मुंह में वह निवाला रख दिया।

बॉस ने एकदम दीपा को अपनी बाँहों में खिंच कर अपनी गोद में बिठा दिया और दीपा का मुंह ऊपर कर बॉस ने दीपा को किस करना चाहा। मैंने अपनी आँखों के ऊपर एक बाजू रखी थी ताकि मैं तो उनको देख सकूँ, पर उनको मेरी खुली आँख ना दिखे। बॉस की बाँहों में जाते ही मेरी बीबी मचल उठी और बॉस के मुंह को दूसरी तरफ हटाती हुई बोली, "अरे अभी खाना खा रहे हो तो मुंह का उपयोग खाने में करो। मुंह साफ़ करने के बाद जो चाहे कर लेना।"

मेरी बीबी बॉस को साफ़ इशारा कर रही थी की खाने के बाद जो चाहे वह कर सकते हैं। बॉस और दीपा ने जल्दी ही खाना खा लिया। दोनों ने मिल कर टेबल साफ़ लिया और बर्तनों को सिंक में रख दिए।

जैसे ही दीपा ने सारा काम कर अपने हाथ साफ़ किये की बॉस उससे लिपट गए और इस बार बॉस ने दीपा का मुंह अपने एकदम करीब ले लिया और दीपा का कोई भी प्रत्यारोध की परवाह ना करते हुए दीपा के होँठों के ऊपर अपने होँठ कस कर भींच दिए और दीपा को गहराई से किस करने लगे। उस समय मैं उनको देख नहीं पा रहा था। पर मैं वहाँ से हिल भी नहीं सकता था।

मुझे उस समय सिर्फ दोनों के चूमने की "बुच्च..... बुच्च....." की आवाज के साथ उनकी तेजी से चलती गहरी साँसे सुनाई दे रहीं थीं। कुछ देर में जब वह दोनों खिसक कर मेरी नजरों के दायरे में आये तब मैंने देखा की बॉस के दोनों हाथ मेरी बीबी के बॉल को गाउन के ऊपर से ही मसलने में लगे हुए थे। बॉस दीपा के गाउन को उठाना चाहते थे, पर दीपा ने उनको रोका हुआ था। कुछ देर में गहरी साँस लेती हुई दीपा ने अपने को बॉस की बाँहों से अलग किया और बोली, "सोमजी, तुम तो बड़े ही चंट लवर हो यार। तुम औरत को गरम करने में बड़े ही माहिर हो। पर अभी रुको। इन्हें पहले कमरे में ले जाते हैं। मुझे तुमसे कुछ बातें भी करनी हैं।"

बॉस और दीपा ने मिल कर मुझे उठाया। बॉस ने एक ही झटके में मुझे अपने कंधे पर लाद दिया। सीढ़ी चढ़ते हुए दीपा पीछे से उनका साथ दे रही थी। बॉस ने फुर्ती से मुझे हमारे कमरे में ले जा कर धीरे से बिस्तरे के ऊपर लिटा दिया। हमारे कमरे में एक बड़ा किंग साइज पलंग था। मुझे बॉस ने उस पलंग के एक किनारे पर लिटा दिया। बॉस ने फिर अपने होँठों पर उंगली रख कर बिना कुछ बोले दीपा को खिंच कर अपने कमरे में ले जाना चाहा तब दीपा ने कहा, "रुको सोमजी, मैं तुम से कुछ बातें करना चाहती हूँ। तुम्हें मेरी बात ध्यान से सुननी पड़ेगी।"

मुझे लगा जैसे बॉस दीपा की बात सुन कर कुछ रुंआसे हो गए। दीपा ने बॉस के चेहरे के भाव देखे तो फ़ौरन बॉस के करीब जा कर उन का हाथ पकड़ कर पलंग के दूसरे छोर पर बॉस को बिठाया और खुद बॉस की गोद में इस तरह जा बैठी जिससे दीपा का मुंह बॉस के मुंह के सामने था। ऐसे बैठने से दीपा की दोनों टाँगें बॉस की कमर के आसपास थीं। जब दीपा ऐसे बैठी तो उसका गाउन उसकी जाँघों के ऊपर तक चढ़ गया। दीपा बॉस की गोद में ऐसे बैठी थी जैसे वह बॉस से चुदवा रही हो। बॉस का लण्ड जरूर दीपा की चूत को कोंच रहा होगा। बस बिच में फंसे हुए कपडे ही उन्हें रोक रहे थे। बॉस ने अपना हाथ दीपा की जाँघों के ऊपर रखा और वह दीपा की जाँघें सहलाने लगे। दीपा ने उनका हाथ पकड़ा और उसे अपनी पीठ के इर्दगिर्द लपेट ने का इशारा किया।

बॉस ने दीपा को अपनी बाँहों में कस कर ले लिया पर उनकी नजर दीपा की जाँघों के ऊपर चिपकी रह गयीं। दीपा ने बॉस के सर को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर बॉस के होँठों को अपने होँठों पर कस कर भींच दिए।

बॉस ने भी दीपा का सर पकड़ कर अपने होँठ दीपा के होंठ के साथ कस कर मिलाये और अपनी जीभ से दीपा के होँठ खोल कर बॉस ने दीपा के मुंह में अपनी जीभ डाल दी और उसे बार बार अंदर बाहर करने लगे। दीपा भी बॉस के होँठ और उनकी जीभ बड़े ही चाव से चूमने और चूसने लगी। दीपा को चुम्बन में महारथ हासिल था। वह सही मायने में चुम्बन करने की कला में निष्णात थी। चुम्बन कर कैसे मर्द को अपने वश में कर लेना वह भली भाँती जानती थी।

मैं हमेशा अपने बैडरूम में मेरी बीबी को चुम्बन करते ही पगला जाता था और उसे चोदने के लिए तड़पने लगता था। दीपा चुम्बन करते हुए मुझे ऐसे पागल कर देती थी। मेरी बीबी के होँठों में कुछ अजीब का नशीला रस था। जैसे ही दीपा बॉस को उन्मादक प्यार से चुम्बन करने लगी की बॉस भी अपनी सारी मर्यादाओं को ताक पर रख कर दीपा के होँठों का रस चूसने लगे और अपनी जीभ दीपा के मुंह में अंदर बाहर करते हुए मेरी बीबी को उसे चोदने के जैसे इशारे करने लगे।

बॉस का एक हाथ धीरे धीरे दीपा के गाउन के ऊपर ही बदन के निचे सरकने लगा। दीपा की पीठ और फिर उसकी पतली कमर से निचे सरक कर सुआकार गाँड़ पर पहुँचते ही दीपा की गाँड़ के गाल दबा कर बॉस के हाथ की उंगलियां दीपा की गाँड़ की दरार में घुसने लगीं। दीपा आवेश में उँह........ म्मम....... ऊँ...... इत्यादि दबी हुई आवाज में कराहने लगी। कुछ देर तक बॉस को पागल की तरह चूमने के बाद दीपा ने बॉस के हांथों को अपने ऊपर से हटाया और बॉस से थोड़ी दुरी बनाकर हट कर कहा, "सोमजी, आज की रात और आने वाली कई रातें हमारी हैं। पर मैं तुमसे एक जरुरी बात करना चाहती हूँ।"

सोमजी दीपा की और एकटक देखने लगे। दीपा ने बॉस के करीब जाकर उनके हाथोँ को अपने हाँथों में लेकर उनको दबाते हुए कहा, "आपने मुझे मेरे पिता जी के लिए इतनी सहज रूपसे जो समय पर बिना कुछ लिखा पढ़ी के सहायता की उससे आपने मुझे अपना ऋणी बना दिया। मैं उसी दिन से आप की हो गयी थी। पर मेरे पति और आपकी कंपनी के और भी कर्मचारी आपके ऋणी हैं और आप पर निर्भर करते हैं। एक बददिमाग और निहायत ही रूखी औरत के कारण आप सब की करियर को दांव पर नहीं लगा सकते। मैं मानती हूँ की अपनी पत्नी को खोने का सदमा तगड़ा होता है। पर सच में देखा जाए तो शिखाजी आपकी पत्नी थी ही नहीं। उसने आपको पत्नी का सुख ही नहीं दिया तो अगर वह चली गयी तो यह दुःख की बात है सुख की?"

बॉस मेरी पत्नी के चेहरे को आश्चर्य से देखते रहे। दीपा जो बात कह रही थी वह उन्हें एकदम सटीक लगी।

दीपा ने कहा, "सोमजी, अब इस खिचखिच से ऊपर उठिये और अपनी जिम्मेदारी सम्हालिए। आप एक कर्मठ बिजनेसमैन हैं। आप ऐसी छोटीमोटी परेशानी से विचलित नहीं हो सकते। आपको इससे कहीं बड़ी बड़ी बुलंदियों को छूना है। आपको आपकी कंपनी को हिन्दुस्तान की ही नहीं दुनिया की जानी मानी कंपनियों में स्थान दिलाना है। बोलिये यह आप कर सकते हैं या नहीं? मैं अपने आप को ऐसे व्यक्ति को समर्पित करुँगी जो इन छोटीमोटी समस्याओं से ऊपर उठकर अपना डंका न सिर्फ हिन्दुस्तान में बल्कि पुरे विश्व में बजाये ताकि मैं गर्व से कह सकूँ की यह मेरा प्रेमी है। बोलिये क्या मेरी यह चुनौती आपको स्वीकार्य है?"

बॉस दीपा की बात सुन कर बड़े ही आश्चर्य और अजूबे से मेरी बीबी को देखते ही रहे। उनकी समझ में यह नहीं आ रहा था की मेरी बीबी एक साधारण गृहिणी हो कर भी बिज़नेस की ऐसी गहराइयों और बारीकियों की इतनी पकड़ कैसे रखती थी। बॉस ने यह भी महसूस किया की कैसे एक औरत किसी इंसान को ऐसे मोटीवेट कर सकती है?

बॉस दीपा की बात सुन अभिभूत हो गए। अपनी बाँहे फैला कर उन्होंने दीपा को अपनीं बाँहों में जकड लिया और कहा, "दीपा, हाँ यह सही है की मैं शिखा ने जो मेरे साथ विश्वास घात किया उससे कमजोर पड़ गया हूँ और उससे उभर ने की कोशिश कर रहा हूँ। अगर मैं एक बार शिखा को उसकी औकात दिखा सकूँ तो मेरे मन में से उस राँड़ का साया हमेशा के लिए चला जाएगा। दीपा मैंने एम्.बी.ए. किया है और मैनेजमेंट में पी.एच.डी. भी हासिल की है। पर तुम्हारी बात में जो कोरा तथ्य है और और प्रोत्साहित करने की जो अद्भुत शक्ति है वह मैंने कहीं नहीं देखि ना पढ़ी है। वह मुझे आज तुमसे सिखने को मिली है। मैं मानता हूँ की मुझमें कमजोरियाँ हैं और उनसे ऊपर उठकर मैं तुम्हें प्रॉमिस करता हूँ की तुम्हें मुझसे जो उम्मीदें है वह मैं जरूर पूरी करूँगा। मैं हमारी कपनी को उस ऊंचाई पर ले जाऊंगा जिसकी तुम्हें और हमारे सारे कर्मचारियों को अपेक्षा है। इसमें कोई भी कसर नहीं छोडूंगा। यह मेरा वादा है।"

मैं हैरान रह गया जब दीपा ने कहा, "ऐसे सिर्फ वादे करने से नहीं चलेगा। मुझे बताओ, अभी बैठ कर प्लान करो की कल सुबह से तुम्हारा क्या शैड्यूल रहेगा? तुम कैसे इस कंपनी को अपने गंतव्य स्थान पर ले जाओगे। जहां तक शिखा को भुला ने का सवाल है उसको तो तुम मुझ पर छोड़ दो।"

बॉस की आँखों में और चेहरे पर निराशा के भाव दिखने लगे। बॉस के हाथ दीपा के गाउन के ऊपर उसकी छाती को हलके से मसाज कर रहे थे और बॉस के हाथ की हथेली और उँगलियाँ मेरी बीबी के स्तनों को अपनी हथेलियों में उठा कर उनसे खेल रहीं थीं। बॉस ने दीपा के गले में प्यार से अपनी दाढ़ी रगड़ते हुए अपनी हताशा जाहिर करते हुए पूछा, "दीपा, क्या स्केड्युअल अभी डिस्कस करना जरुरी है?" मेरी और देखते हुए बॉस ने पूछा, "क्या हम यह सब सुबह नहीं कर सकते? क्या यह सब अभी.....?"

दीपा ने वही सख्त आवाज में एक कड़े शिक्षक की अदा से मेरी और इशारा कर बॉस की बात आधे में ही काटते हुए कहा, "तुम मेरे प्राण नाथ पति की ज़रा भी चिंता मत करो। मुझे उनका सालों का तजुर्बा है। मुझे पता है की वह तो सुबह तक ऐसे ही पड़े रहेंगे। हम कितना भी चिल्लाएं, कुछ भी करें, उनके कानों में जु तक नहीं रेंगेगी। वह हिलेंगे भी नहीं। हमारे पास पूरी रात पड़ी है। मैं तुम से पूरी प्लानिंग नहीं मांग रही हूँ। मैं तुमसे सिर्फ टाइम लाइन चाहती हूँ की कब और क्या होगा। तुम्हारे जैसा मैनेजमेंट एक्सपर्ट तो इस प्लान के बगैर काम ही नहीं कर सकता। पिछले एक हफ्ते में तुमने यह तो सोचा ही होगा।"

बॉस की मेरी बीबी के प्रति निष्ठा हर पल उसकी बात सुन कर बढ़ती ही जाती थी। बॉस ने कहा, "जरूर सोचा है बॉस। मैं अभी आपको मेरी टाइम लाइन बताता हूँ। पर तुम्हारा यह रूप देख कर मेरा प्यार उमड़ रहा है। मैं इसे सम्हाल नहीं पा रहा। मुझे बस दो मिनट के लिए ही प्यार कर लेने दो। फिर तुम जो कहोगी वह मैं करूंगा।" बॉस ने ऐसा कह कर मेरी बीबी को अपनी बाँहों में दबोच लिया। उसको अपनी पूरी ताकत से जकड कर बॉस ने उसे अपने निचे सुला दिया और उसके ऊपर चढ़ गए। यह सब मेरी आँखों के सामने मरे एकदम करीब बिस्तर पर हो रहा था।

मैं मूक शाक्षी की तरह बिना हिले डुले चुपचाप बिस्तर में पड़ा इसे देख रहा था। मेरा लण्ड मेरे पाजामे में फर्राटे मार रहा था जिसे मैंने जबरदस्ती अपनी टाँगों के बिच में कस कर जकड रखा था।

दीपा ने बड़ी कोशिश की की वह बॉस के चंगुल से छूट जाए पर बॉस की सख्त पकड़ के सामने उसकी बेचारी की क्या चलती? आखिर में दीपा ने हाथ पाँव मारना बंद किया और बॉस से कहा, "ठीक है, बस दो ही मिनट।"

बॉस ने फ़ौरन अपना मुंह दीपा के मुंह के ऊपर रखा और अपने होँठों को दीपा के होंठो से कस कर दबाया और दीपा को बेतहाशा आवेश से चुम्बन करने लगे। बॉस के दोनों हाथ दीपा की गाँड़ के निचे घुस कर दीपा की गाँड़ को सेहला रहे थे। अपने पेंडू को उठा कर बॉस दीपा को गाउन के कपडे के ऊपर से ही चोदने की अदा करते हुए ऊपर निचे कर रहे थे।

बॉस की इतने जोश भरी प्यार की कवायद से मेरी बीबी के होश ही उड़ गए। उसके हालात भी कोई ज्यादा अच्छे नहीं थे। वह भी अपनी काम वासना में मरी जा रही थी। दो टांगों के बिच में उसका स्त्री रस भी तो बहने लगा था, जो उसे बॉस को ना रोकने के लिए जैसे दीपा को मजबूर कर रहा था।

बॉस दीपा के मुंह में अपनी जीभ को बड़ी दक्षता से घुमा फिरा रहे थे और कभी उसे अंदर तो कभी बाहर कर दीपा के होंठों को चाट रहे थे। दीपा बॉस के मुंह से निकलता हुआ रस बड़े चाव से निगल रही थी और मैं उसके चेहरे के भाव देख कर महसूस कर रहा था की वह बड़ी उत्तेजक स्थिति में थी। दीपा भी बॉस को अपनी बाँहों में जकड कर जैसे उन्हें अपने अंदर समा देना चाहती थी। बॉस बार बार अपनी जीभ अंदर बाहर कर मेरी बीबी के मुंह को अपनी जीभ से जैसे चोद रहे थे।

बॉस दीपा को इतने उन्माद भरी अवस्था में चुम्बन कर रहे थे जैसे उससे पहले उन्होंने किसी भी औरत को चुम्बन ही ना किया हो। करीब पांच मिनट तक बॉस और दीपा किस करते रहे। उस बिच बार बार बॉस दीपा के गाउन को उसकी जाँघों के ऊपर खिंच कर मेरी बीबी को निचे से नंगी करना चाह रहे थे और दीपा हर बार उसे फिर नीचा कर देती थी और बॉस को ऐसा करने से रोक रही थी।

ऐसे ही प्यार और चुम्बन की गेहमागहमी में काफी समय बीत गया तब दीपा ने बॉस को अपने ऊपर से हटने के लिए मजबूर किया। बॉस के बाजू में हट ने के बाद दीपा ने बॉस को अपनी चुटकियां बजाते हुए कहा, "तुम्हारे दो मिनट की जगह तुमने पांच मिनट ले लिए। धिस इस नॉट गुड सोमजी। समय सीमा की हमेशा पाबंदी रखनी चाहिए। चलो तुम्हारा प्यार करने का समय अब समाप्त। अब उठो और अपना काम करो।"

बॉस पर तो तब भी मेरी बीबी के होँठों के रस का नशा छाया हुआ था। वह बड़े ही क मन से उठ खड़े हुए और अपने खड़े हुए लण्ड को बड़ी मुश्किल से सम्हाल कर अपने पाजामें में एडजस्ट करते हुए लड़खड़ाते अपने बगल वाले कमरे में गए।

बॉस के जाने के बाद दीपा खिसक कर मेरे करीब आयी और मुझे बड़े प्यार से चद्दर ओढ़ाते हुए उस के अंदर अपना सर डाल कर मेरे होँठों पर अपने होँठ रख कर मुझे चुम्मा देते हुए बोली, "मेरे स्वामी, क्या मैं ठीक जा रही हूँ? तुम्हें कोई जलन या ईर्ष्या तो नहीं हो रही?"

मैंने मेरी बीबी का हाथ मेरे फुले हुए लण्ड पर रख दिया। मैंने कहा, "ईर्ष्या? मैं तो उत्तेजना का मारा हुआ मेरे इस लण्ड को सम्हाल नहीं पा रहा हूँ। मैं तुम्हें अभी इसी वक्त चोदना चाहता हूँ।"

मेरी बीबी आसमान की और देखती हुई बोली, " हे भगवान, मेरे दोनों प्रेमी सब्र नाम का कोई शब्द का अर्थ जानते ही नहीं। पता नहीं, मुझे इन दो मर्दों को धैर्य की परिभाषा सिखाने में कितना समय लगेगा।" फिर मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोली, "सारा खेल बिगाड़ना चाहते हो? चुपचाप पड़े रहो और कुछ ही देर में अपनी बीबी को चुदवाते हुए देख लेना। बड़ा ही शौक था ना अपनी बीबी को किसी से चुदवाने का? तो अब भुगतो उस शौक का परिणाम, जिंदगी भर। अब मुझसे कोई शिकायत मत करना। और जैसा मेरा प्लान है, मेरे पतिदेव, तुम्हें मेरी चेतावनी है, की अपने आप को सम्हालना। जो आप देखने वाले हो वह देखते हुए तुम्हारी नसें कहीं फट ना जाएँ!"

ऐसे मुझे डाँट लगा कर दीपा उठ खड़ी हुई और मुझसे दूर बैठ कर मुझे इशारे से अपना अंगूठा दिखाती हुई शरारती अंदाज से मुस्कराती हुई बॉस के वापस आने का इंतजार करने लगी।

बॉस कुछ ही देर में वापस आये। उनके हाथों में उनका लैपटॉप था। टेबल पर लैपटॉप रख कर वह दीपा के पास आये। दीपा को इंतजार करते हुए देख कर बॉस ने फिर दीपा को अपनी बाँहों में जकड कर दीपा के होठोँ पर अपने होँठ रख कर एक किस की और फिर दीपा से अलग होते हुए बोले, "दीपा, मैं तुमसे अलग हो नहीं पा रहा हूँ। एक ही दिन में जैसे मुझे तुम्हारी आदत हो गयी है। खैर सबसे पहले यह एक्शन प्लान टाइम लाइन के साथ मैंने पहले से बना रखा है यह मैं तुम्हें दिखा रहा हूँ। मैं आज यह दिखाना नहीं चाहता था। मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था। पर तुम्हारी जिद के कारण अब मुझे मजबूरन इसको तुम्हारे साथ शेयर करना पडेगा। यह मैं कल ऑफिस की मीटिंग में सब के सामने रखूंगा।"

यह कह कर बॉस ने अपने लैपटॉप में दीपा को उनकी कंपनी के लिए बनाया एक्शन प्लान दिखाना शुरू किया। दीपा ने जब देखा तो उसकी आँखें फ़टी की फ़टी रह गयीं। दीपा बॉस के बनाये हुए एक्शन प्लान को पढ़ने लगी।

दिनांक..... दीपा को डायरेक्टर बनाना

दिनांक...... कर्मचारियों को योग्यता और योगदान के अनुसार कंपनी में शेयर होल्डर बनाना.......

दिनांक..... बैंक से....... रुपये का मंजूर हुए ऋण की लागत लगा कर सॉफ्टवेयर पार्क में जगह लेना.. दिनांक..... प्रोडक्ट लॉन्च करना.......

दिनांक..... नाराज ग्राहकों से मिलना और उनकी शिकायतों को सुलझाना ........

दिनांक..... सेल्स प्रमोशन टीम को टारगेट दे कर सेल्स प्लान रेखांकित करना........

एक के बाद एक ऐसे और कई कार्यों को करने का स्केड्यूल बॉस ने बना कर रखा था। दीपा ने जब यह देखा तो दीपा देखती ही रह गयी। दीपा ने अपनी नजरें उठा कर बॉस से नजरें मिलाते हुए पूछा, "बॉस, तुमने तो मुझे बोल्ड ही कर दिया। इसमें मेरा नाम क्यों डाला हुआ है? मैं तो तुम्हारी कंपनी में कुछ हूँ ही नहीं। मुझे इसमें तुमने डायरेक्टर के पद पर दिखाया है। मुझे लगता है तुम्हारे जहन में मेरे लिए जो पागलपन है इसके कारण मैं तुम्हें हर जगह दिखाई पड़ती हूँ। शायद इसी लिए तुमने गलती से मेरा नाम डायरेक्टर की जगह लिख दिया है।"

बॉस ने कहा, "तुमने मुझे फिर बॉस कह डाला। खबरदार मुझे बॉस कहा तो। और तुम्हारा नाम गलती से नहीं डाला गया है। मैंने बड़े सोच विचार से तुम्हारा नाम डायरेक्टर के पद के लिए रक्खा है। मैंने यह निर्णय कोई जल्दबाजी में नहीं लिया है। इसके पीछे मेरा तुम्हारे बारे में महीनों से किया गया निरिक्षण और परिक्षण है। मैंने तुम्हें इस दरम्यान बड़ी बारीकी से स्टडी किया है। हमारी कंपनी में जो रिक्त स्थान है उसके लिए तुम्हारी योग्यता के बारे में मैंने पूरी जिम्मेदारी से सोचा है। तुम इस ओहदे के काबिल हो इसमें मुझे कोई शक और शुबह नहीं है। मैंने तुम्हारा नाम इस लिए नहीं डाला की तुम मेरी प्रियतमा हो या मैं तुम पर कोई एहसान कर रहा हूँ। मैंने तुम्हारी काबिलियत देखते हुए तुम्हें बड़े सोच विचार कर पसंद किया है। मुझे पूरा भरोसा है की तुम हमारी कंपनी को जो ऊंचाई पर हम सब ले जाना चाहते हैं उस पर ले जाने की पूरी क्षमता रखती हो और उसे वहाँ पहुंचाने में अपना पूरा योगदान दोगी।"

बॉस की बात सुन कर मेरी बीबी के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ने लगीं। दीपा ने बॉस को धीरे से डरते हुए पूछा, "आर यू स्योर?"

बॉस ने मेरी बीबी को अपनी बाँहों में लेते हुए कहा, "आई एम् १००% स्योर। धेर इस नो डाउट इन माय माइंड। आप ने ही मुझे इस कंपनी को आसमान की उचाईयों तक ले जाने की एक चुनौती दी थी। अब आप मुझे बताओ की आप हमारे साथ शामिल हो कर इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हो की नहीं?"