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मैं पहले नहाने चला गया। मेरे बाद नेहा भी नहाने चली गयी। आयी तो केवल टॉवल लपेटे हूई थी। बोली कि वैसे भी तो उतारने ही है तो फिर पहनों ही क्यूँ, मैंने सुटकेस में से अपना एक नाईटसुट निकाल कर उस को दिया और कहा कि इसे पहन ले नही तो ठन्ड़ लग जायेगी। उस ने उसे पहन लिया। मैंने पुछा कि कुछ पीयेगी। उस ने कहा कि क्या पड़ा है मैंने कहा कि गिफ्ट में स्काच की बोतल मिली है। सही रहेगी वो बोली ज्यादा नही सिर्फ एक पैग मैंने कहा कि जरुरी नही है कि पी ही जाये। इस पर वो बोली की सैलिब्रेट तो करना ही है अपनी दूसरी रात को।

मैंने बोतल निकाल कर दो पैग बनाए और फ्रीज में से सोड़ा निकाल कर गिलासों को उस से भर दिया।

दोनों धीरे-धीरे स्काच के घुट लगाते रहे। स्काच तो वैसे भी मखमल ही तरह लगती है। गिलास ले कर नेहा तो बेड पर पालती मार कर बैठ गयी। मैं सोफे पर बैठ गया मैंने कहा नेहा ज्यादा बोल्ड हो गयी है। वह बोली की बोल्ड तो मैं पहले भी थी लेकिन वह समय सही नही था। लेकिन आप ने मेरी बोल्डनैस तो देखी थी। मैंने कहा हाँ देखी है, चखी है।

नेहा हँस दी।

बोली की आप ने कहा तो अच्छा किया नही तो मैं तो अपने आप भी रात को नही जाने वाली थी।

उस रात के बाद आप के साथ दुबारा सोने की इच्छा थी, लेकिन उस समय ऐसा हो नही सका। आप ने मेरे जॉब छोड़ते समय एक बार भी मुझे नही रोका।

मैंने कहा कि रोकना चाहता था लेकिन आगे बढ़ने के रास्ते को बन्द नही करना चाहता था। इसी लिए नही रोका। फिर तेरे सामने सारा भविष्य पड़ा था शादी नही हुई थी। मैं अपने लाभ के लिए तुम्हारा नुकसान करुँ ऐसा में नही हूँ।

उस ने कहा कि उस समय तो मैं आप से बहुत नाराज थी। आप ने एक बार भी मुझे बुला कर नही समझाया। इसी नाराजगी में मैंने अपनी शादी में भी आप को नही बुलाया और ना ही आप को फोन करा।

मैंने कहा कि सब कुछ सही है। मैं तो किसी से नाराज नही हूँ।

शादी के बाद आप की याद बार बार आने लगी,

क्यों मैंने पुछा?

उस ने कहा कि उस रात आप ने मेरे साथ जैसा व्यवहार किया वो मुझे हर पल याद आता था। मेरे पति ने जैसा व्यवहार किया उस के बाद तो आप की याद हर दिन आती थी, लेकिन आप के प्रति गुस्सा इतना था कि फोन तक नही किया। लेकिन तलाक के बाद तो एक बार तो ऐसा लगा कि दिल्ली जा कर आप से मिलू लेकिन आप के वैवाहिक जीवन में आग लगाने की कोई मंशा नही थी। मेरी परेशानी में मैं आप को नही डालना चाहती थी। आज तो आप को अचानक देख कर एक बार तो विश्वास ही नही हुआ। मन तो यह कर रहा था कि वही पर आप के गले में झुल जाऊँ। लेकिन भीड़ के कारण चुप रही। दो-ढ़ाई घन्टे मैंने कैसे काटे है यह मैं ही जानती हूँ।

मैं सोफे से उठ कर उस के पास बैठ गया और उस का चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर चुम लिया। हमारा किस चलता रहा। नेह ने अपना सिर मेरी गोद में रख लिया। मैं उस के शरीर पर हाथ फिरा रहा था। मेरा हाथ उस की कमर से होते हुए नीचे टांगों के बीच में पहुँच गया। रास्ते में कोई बाधा नही थी क्योकि उस ने नीचे कुछ पहन नही रखा था केवल नाईटसुट का पायजामा था। हल्के बाल थे लेकिन उन से कोई बाधा नही थी। ऊंगलियां योनि के होंठों से खेलने लग गई। उत्तेजना के कारण वह भी तनी हुई थी। योनि के ऊपर से नीचे जाते समय बीच के छेद में घुस गई। धीरे-धीरे अन्दर प्रवेश कर गई। गीलापन भी वहाँ था। नेहा का जीस्पाट उन को मिल गया था मैं उसे ही सहला रहा था। जीस्पाट को सहलाने से औरतों को इतनी तेज उत्तेजना होती है कि उसे संभालना मुश्किल होता है। नेहा का भी बुरा हाल था पहले तो वह किस करने लगी, इसके बाद उस ने मेरे होंठों को काटना शुरु किया। मुँह से आहहहहहहहहहहहहहहह उईईईईईईईईईईईईईई आहहहहहहहहहह की आवाजें निकाल रही थी। मैं ने अपने को लम्बा कर के उस के पैरों की तरफ झुका लिया।

मैं अपने होठों को ऊंगलियों की जगह इस्तेमाल करना चाहता था। अभी तक तो नेहा को ही मजा आ रहा था कुछ मजा मैं भी लेना चाहता था इस लिए मैं उस के पेट पर लेट गया। मेरा मुँह तो उस की योनि तक पहुच गया लेकिन नेहा को भी मेरा लिंग हाथ लग गया। मेरे होठो ने योनि का निरिक्षण करना शुरु किया तो नेहा ने मेरे लिंग को मुँह में ले लिया। उस की जीभ ने पहले सुपारे को चाटा फिर पुरे लिंग को चाटा इसके बाद उसके होठो ने मेरे अंड़कोष को मुँह में भरने की कोशिश की। मेरी भी कराह निकल गई। लेकिन रुका कोई नही। हम दोनों अपने काम में लगे रहे। नेहा ने उत्तेजना के कारण अपने पांव मेरे सर पर लपेट लिए और मेरे मुँह को अपनी योनि से चुपका दिया।

उस के हाथों ने मेरे कुल्हों को हाथों से लपेट लिया ताकि वह हट ना सके। मेरी जीभ उस की योनि के भीतर घुमती रही। मेरा लिंग नेहा के मुँह में समा गया। उस के होंठ उसे मसल रहे थे। मैं अपने लिंग को उस के मुँह से निकाल नही सकता था। थोड़ी देर बाद में मैं नेहा के मुँह में डिस्चार्ज हो गया। उस ने सारा वीर्य निगल लिया। अचानक नेहा का शरीर तेजी से हिलने लगा। मेरे मुँह पर पानी की तेज धार लगी। नेहा भी मेरे रास्ते पर चल पड़ी थी वह भी डिस्चार्ज हो गयी थी। उस के पानी से मेरा सारा चेहरा भीग गया। नेहा का शरीर अभी भी उत्तेजना के कारण झटके ले रहा था। मैं उस के चरम पर पहुँचने का आनंद ले रहा था।

हम दोनों ही इस का पुरा आनंद ले रहे थे। कोई हटना नही चाहता था, कुछ देर में नेहा की उत्तेजना थोड़ी कम हुई तो उस के मेरे सर पर से अपने पैर हटा लिए, मैंने भी अपने लिंग को उस के मुँह से निकाल लिया। दोनों ऐसे ही एक-दूसरें पर पड़ें रहे। नेहा बोली की आप अपना मुँह धो ले, मैंने कहा कि अभी तो शुरुआत है बाद में देखते है। मैं उठ कर नेहा कि बगल में लेट गया। उस ने अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिये। हम दोनों एक-दूसंरे के शरीरिक द्रव्यों का स्वाद लेने लगें।

जब हम दोनों इस किस से अलग हुए तो मैंने नेहा से कहा कि क्या बात है कि योनि की कसावट पहले जैसी ही है, शादी के बाद तो इस में बदलाव आ जाता है। उस ने कहा कि आप बहुत तेज है आप ने इतनी सी देर में वह बात पकड़ ली जो मेरे को छोड़ कर शायद किसी को पता है। अभी तो आप ने योनि में लिंग डाला ही नही है। कैसे पता चला?

लगता है कि इस विषय में काफी रिसर्च किया है?

रिसर्च करने की जरुरत नही है। अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ। जो मेरी ऊंगलियों ने महसुस किया। वह ही मैंने कहा है। तुम मेरे जीवन में दूसरी थी। इस लिए वह अनुभव याद है। और किसी का अनुभव नही है। शादीशुदा महिला की योनि में यह कसावट नही रहती।

दूसरी थी इस लिए आप को याद रहा, मेरी शादी थी तो प्रेम विवाह लेकिन विवाह के बाद पता चला कि उसे मेरे में दिलचस्पी नही थी, केवल पैसे से प्यार था। वैवाहिक जीवन का मजा तो कभी मिला ही नही, मिली तो मार, अपमान। इस अनुभव ने पुरुषों पर से मेरा विश्वास हिला दिया। मैंने उस से छुटकारा पा कर अपने को किसी भी पुरुष के लिए बन्द दिया। आज आप को देख कर वो बन्धन खोला है। पता नही आप को देख कर मैं अपने आप को रोक नही पाती हूँ। मेरे अन्दर की नटखट बच्ची जाग जाती है। उस की शरारतें शुरु हो जाती है।

इस बच्ची को देख कर मैं भी खुश हो जाता हूँ आज तुम्हे देख कर मेरे मन को अच्छा लगा। सुन कर दूख हुआ कि शादी नही चली। मुझे इस बारे में पता नही था। आज से पहले तुम्हारे बारे में कुछ ज्यादा पता नही था।

आप से गुस्सा इतने सालों तक मेरे दिल में रहा। इस लिए आप के सम्पर्क नही रखा। लेकिन आज आप को देख कर सारा गुस्सा एक पल में गायब हो गया।

मुझे विश्वास नही हो रहा कि मैं दूसरी हूँ और इन पांच सालों में भी कोई और नही है।

तुम्हारे साथ भी जो हुआ वो तुम्हारे आगे आने से हुआ था नही तो मैं अपने आप को नियंत्रण से बाहर नही जाने देता। इस लिए तुम मेरे लिए इतनी खास हो, तुम्हारे साथ का अनुभव मेरी स्मृति में सुरक्षित है।

आप के बाद मैंने भी किसी को नही छुआ, शादी के बाद पति के लिए बचा कर रखा। उस ने तो शादी का मजा लेने ही नही दिया।

आप को तो बहुत अवसर मिले होगे, कैसे बचे?

अभी तो बताया कि अपने पर बन्धन लगा रखा है। उस के कारण ऐसा हुआ है लेकिन तेरे सामने यह बन्धन टुट जाता है यह मेरी समझ से बाहर है।

मेरा आप से कुछ अलग तरह का संबंध है, मुझे भी समझ में नही आया है। मुझे पता है कि आप मुझे नही मिल सकते है लेकिन दिल है कि मानता ही नही है।

शायरी करनी शुरु कर दी।

शायद दर्द शायरी करने के लिए जरुरी है तभी तो ऐसा हो रहा है। आप से कुछ माँग भी नही सकती, क्योकि मैंने आप को दिया ही क्या है जो कुछ माँगु।

दार्शनिक भी हो गयी हो।

आप को बताने का तो मन हो रहा है कि इन तीन-चार सालों में मैंने कितना झेला है। लगता था कि शायद कल में रहुँ ना रहुँ।

ऐसे विचार तो नही आने चाहिए मन में, गलत बात है। कोई दोस्त नही है जिससे शेयर कर सको।

नहीं कोई नही है। एक थे जिन से पुछने का साहस नही हुआ था।

सोने का साहस तो हुआ लेकिन दुख बताने का नही हुआ। यह कैसी बात है?

जगह तो आज भी खाली है। भरेगें?

निमंत्रण तो देके देखो?

चिठ्ठी लिखनी पड़ेगी।

बात करनी पड़ेगी तभी तो सामने वाले को पता चलेगा, सामने वाले के पास तो सम्पर्क करने के लिए फोन नम्बर भी नही है।

ये तो सही बात है अब तो पहले वाली स्थिति नही है। बात करी जा सकती है।

एक मौका तो देना बनता है। जबाव ना मिले तो शिकायत करना।

मौका तो दे दिया है।

आधा अधुरा

अभी कल का दिन भी तो पड़ा है। नम्बर मिल जायेगा।

देखते है।

नेहा ने मुझ से लिपट कर कहा कि मुझे संभालना बहुत मुश्किल काम है। मैंने उस से लिपट कर कहा कि बातें कल कर लेगे।

नेहा को मैंने अपने ऊपर लिटा कर उस से कहा कि अब उस की बारी है कि वह सब कुछ करें। उस ने हाथ से मेरा लिंग अपनी योनि में डाल कर कुल्हों को ऊपर-नीचा करना शुरु कर दिया। मैं भी उस का साथ दे रहा था। उस ने थोड़ी देर करने के बाद मुझे ऊपर करके कहा कि अब आप जब तक नही हटेगे जब तक डिस्चार्ज ना हो जाये। मैं धक्के लगाता रहा था। उस का भी साथ था काफी देर यह चलने के बाद मैं डिस्चार्च हो गया उस ने अपने पांवों से मेरे कुल्हें कस रखे थे कि मैं हट ना जाऊ। उस की योनि की मांसपेशियों ने मेरे लिंग को पुरा मसल का वीर्य का कतरा-कतरा निचोड़ लिया। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि योनि की मांस पेशियों पर ऐसा नियंत्रण सुना नही था, आज महसुस कर लिया। मेरा लिंग निचुड़ कर बाहर निकल गया। दोनों इतने थक गये थे कि सो गये।

सुबह पांच बजे मैंने उठ कर नेहा को भी उठाया और तैयार होने के लिए कहा, मैं नहाने जाने लगा तो उस ने कहा कि नहाने की जरुरत नही है। घर जा कर नहा लेगे। मैं ने उस की बात मान कर सिर्फ कपड़ें बदल कर तैयार हो गया, सुटकेस ले कर हम दोनों रुम में निकले तो नेहा बोली कि मैं कार लेने जा रही हूँ आप जब तक चैकआऊट कर लो। मैं ने रिशेप्शन पर जा कर चैक आऊट किया और बाहर आ कर खड़ा हुआ तभी नेहा कार ले कर आ गई। रास्ते में उस ने कहा कि आज तो आप मेरे रहमो करम पर है। मैंने हँस कर कहाँ कि मुझे अपनी मेजवान पर विश्वास है। आधा घन्टे बाद उस का फ्लैट आ गया। दसवीं मंजिल पर उसका फ्लैट था। खुला खुला फ्लैट था बॅालकानी से खुला आसमान दिखाई दे रहा था। मैं बॉलकॉनी में आ कर खड़ा हो गया नेहा ने पीछे से आ कर मुझे आलिंगन कर लिया और बोली की पहले नाश्ता करेगें या नहायेगे। मैंने कहा कि जो तुम्हारी मर्जी। उस ने कहा कि नाश्ता करते है, फिर नहा कर शहर घुमने चलेगें।

दोपहर का खाना बाहर खायेगे। रात की बाद में सोचेगे।

थोड़ी देर में नेहा नाश्ता बना कर ले आई, नाश्ता बढिया बना था मैंने नेहा से कहा कि तुम्हारी इस खासियत का मुझे पता नही था। उस ने कहा था कि मेरे बारे में आप को पता ही क्या है? इतने साल मैंने आपके साथ काम किया, लेकिन आप की नजरे इनायत मुझ पर नही हूई। मैंने कहा कि तुम ने देखा होगा कि मैं किसी पर भी ध्यान नही देता था, मैं भी बहुत सारी परेशानियों से दो-चार हो रहा था। काम करना तो मजबुरी थी नही तो मैं सन्यास ले कर कहीं चला जाता। लेकिन मेरे भाग्य में परेशानियों से छुटकारा नही है। मैं तो बहुत छोटी उम्र से घर की जिम्मेदारी निभा रहा हूँ। इस कारण से मेरा ध्यान और बातों पर विशेष तौर पर किसी लड़की पर नही जाता। यह शिकायत तुम को ही नही मेरे साथ पढ़ने वाली लड़कियों को भी थी। कालेज में भी यही समस्या थी। वो तो उम्र थी यह सब काम करने की लेकिन उस समय भी ध्यान कही और रहता था। तुम्हारे साथ तो रोज मिलना होता था लेकिन मैं जानबुझ कर काम से काम रहता था। इस लिए शिकायत सही है। अब पता चल जायेगा, रात का खाना भी घर पर ही खाते है। होटल का खाना तीन दिन से खा रहा हूँ। उस ने कहा कि ऐसी बात है तो रात का खाना भी घर पर खायेगे पता नही फिर ऐसा मौका मुझे कब मिलेगा। मैं चुप रहा।

नाश्ते के बाद नेहा मुझे ले कर शहर दिखाने निकल गयी। मैं कई बार बंगलुरु आया था लेकिन शहर में कुछ नही देखा था। दोपहर में दक्षिण भारतीय खाना खाया। शाम को घर पर लौट आये। नेहा का चेहरा खुशी से चमक रहा था। उस की कोई बड़ी चाहत पुरी हुई थी। घर आ कर मैंने कहा कि नेहा आ कर मेरे पास बैठ और अपने बारे में बताओ।

नेहा सोफे पर मेरे पास आ कर बैठ गई। उस का सिर मेरे कन्धे पर टिक गया, उस की आँखों से आँसु गिरने लगें। मैं ने उस को गले से लगा लिया। काफी देर तक मैं उस की पीठ सहलाता रहा। जब वह शान्त हुई तो उस ने कहा कि आप के यहाँ से नौकरी छोड़ने के बाद मैं यहाँ आ गई, मेरे पति से मेरी जल्दी दोस्ती हो गई या वो मेरे पीछे पड़ गया और मैं उस के जाल में फंस गई। छह महीने बाद हमने शादी कर ली लेकिन आप मानोगे कि हनीमून पर जाने की बजाए वो कम्पनी के साथियों के साथ घुमने चला गया। आने के बाद उसका व्यवहार बदला हुआ था, मैंने उस से बहुत पुछा तो जबाव में पिटाई मिली। थप्पड़ चाटें मिले। एक महीने तक तो मैंने बर्दाश्त किया फिर मैंने उस का घर छोड़ दिया। उस के खिलाफ पुलिस में शिकायत की और कोर्ट में तलाक की अर्जी डाल दी, उस ने दुबारा मिलने की कोशिश की लेकिन मैंने उस के खिलाफ कोर्ट से आदेश ले लिया। छह महीने में तलाक मिल गया। मेरे घर वालों ने बहुत कहा कि मैं घर वापस आ जाऊँ, लेकिन मैंने यही रहने का फैसला किया। मुझे लगता था कि मुझे किसी और की चाहत थी और उस के बजाए गलत आदमी को चुन लिया था।

तब मुझे यह समझ आया कि मैं आप से प्यार करती थी लेकिन आप का सामना मेरे से होता नहीं था। आप को फोन करना भी नहीं चाहती थी।

उस दिन भी मैं शराब के नशे में थी। आप के प्रति गुस्सा भी था कि आपने एक बार भी मुझे नही रोका। समझ में नही आ रहा था कि अब क्या करुँ। किसी और से मन नही जुड़ना चाहता था। एक बार गलती कर के देख ली थी। इस लिए काफी दिन डिपरेशन में रही ईलाज से सही तो हुई लेकिन आप के बिना जीना नही हो रहा था। यह भी पता था कि आप के ऊपर मेरी मर्जी नही चलेगी, आपका अपना जीवन है। इस लिए एक बार तो फैसला किया कि ऐसे जीवन से मौत अच्छी है। शायद आत्महत्या भी कर लेती लेकिन श्री श्री रविशंकर जी के उपदेश सुन कर रुक गई। लेकिन इस से बाहर निकलने का कोई रास्ता नही मिल रहा था। कल आप के अचानक देख कर एक बार तो विश्वास ही नही हुआ कि मैं कही सपना तो नही देख रही हूं। मैंने अपने आप को चिकुटी काटी। लेकिन आप सचमुच में थे। मेरी खुशी की कोई सीमा नही थी। आप ने भी जिस तरह से मेरे साथ व्यवहार किया, मेरे मन में जमा गुस्सा उसी पल बह गया। मेरे व्यवहार से आप को ऐसे लगा होगा कि मुझे केवल सेक्स की जरुरत है। आप ही जानते होगे कि मेरी कैसी तस्वीर आप के मन में है। आप के मेरे प्रति व्यवहार में तो मुझे कुछ दिखाई नही दिया है।

मैंने उसे फिर से अपने गले लगा कर कहा कि तुम्हारी तस्वीर मेरे मन में कैसी है यह तो तुम्हें मेरे साथ काम करते हुए पता चलनी चाहिऐ थी। नेहा ने कहा कि मुझे तो उस समय आप के व्यवहार में कोई बदलाव नजर नही आया था। आप तो मेरे साथ एकदम सामाऩ्य व्यवहार करते थे, यह मेरे लिए की आश्चर्य की बात थी कि जिस लड़की के साथ एक रात बिताने के बाद भी कोई व्यक्ति ऐसा व्यवहार करे कि वह उसे जानता ही नही है। आप का ऐसा व्यवहार रहस्यमय बना रहा मेरे लिए। मैंने कहा कि मैं अब इस बारे में क्या कहूँ, तुम्हारी बात सही है कि उस रात के बाद दोनों व्यक्तियों के बीच व्यवहार बदलना चाहिए, लेकिन तुम्हारे मेरे व्यवहार में कोई अन्तर नही आया। तुम्हारे व्यवहार में भी कोई अन्तर नही आया था यह भी तुम्हारे चरित्र के बारे में बताता है। बड़ा ही सधा हुआ व्यवहार था हम दोनों का। तुम्हारे साथ जो हुआ वह भाग्य का खेल था किसी की गल्ती नही है। परिस्थिति अभी भी बदली नही है। हाँ मैंने अपने आसपास की परेशानियों से अपने को अलग करना सीख लिया है। तुम्हारी दोस्ती या जो भी मेरी तरफ से हो सकेगा करुँगा। लेकिन अब तुम इस की वजह से परेशान नही होओगी।

मेरे से जो भी हो सकेगा मैं करुँगा ऐसा मेरा तुम्हें आश्वाश्न है। उस ने फिर रोना शुरु कर दिया, मैंने उस से कहा कि रोना बन्द कर नेहा नही तो मैं तेरी पिटाई कर दुगाँ। यह सुन कर वह हँसने लगी। मुझे अच्छा लगा। वह काफी देर तक हँसती रही। फिर बोली कि पांच साल से जिस बात से परेशान रही आप ने पांच मिनट में उस का हल कर दिया। मैं अब हर बात का सामना कर सकती हूँ। मैंने कहा कि आज तो भाग्य के कारण मैं मिल गया लेकिन आगे कैसे मिलुँगा इस का इन्तजाम करना पड़ेगा। उस ने कहा कि इस की चिन्ता नही है। आप महीने में एक शनिवार रविवार मेरे साथ गुजार सकते हो तो, मैं तो इतने में ही जी लुँगी। मेरा दिल्ली आना नही हो पाता है। न मैं आना चाहती हूँ।

मैं कुछ सोचता रहा। मुझे चुप देख कर उस ने कहा कि सोच रहे होगे की कहाँ फंस गया। मैंने कहा कि नही, मुझे घुमने का शौक है हमारे मिलने में इस का सहारा ले सकते है। कोई बहाना नही करना पड़ेगा। उस ने कहा कि यह सही रहेगा। हम दोनों काफी देर तक एक-दुसरें के कन्धे पर सर रख कर बैठे रहे। मैं तो इस तरह से बैठने का आदी नही हूँ। मेरी बीवी तो ऐसे बैठ कर राजी ही नही है।

रात के खाने में मैं भी नेहा के साथ खड़ा रहा, उस को आश्चर्य हो रहा था कि मैं रसोई घर में भी रुचि रखता हूँ मैंने कहा कि अपनी मां के साथ रसोईघर में मदद करता था, सब्जी काटना और छोटे बड़े काम कर देता था। शादी के बाद मेरी बीवी को मेरा रसोई घर में खड़ा होना पसन्द नही है। सो इस लिए अब किचन में जाता नही हूँ। उस ने कहा कि आप के बारे में जान का मुझे आश्चर्य हो रहा है कि आप कितने सरल हो। लेकिन आप की छवि इस से एकदम उलट है।

मैंने कहा कि मुझे पता है कि मेरी छवि गलत है लेकिन मैं इस को दूर नही करना चाहता, कुछ चीजों को ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। किस-किस को जबाव देते रहे। मैं भी सामान्य आदमी हूं। उसी जैसी इच्छाऐं है। ऐसा सब के साथ होता है। खाना बन गया था, नेहा ने मेज पर लगा दिया। खाना बहुत ही स्वादिस्ट बना था मेरे द्वारा प्रशांसा करने पर उस ने कहा कि ज्यादा मस्का मत लगाईये। कुछ इनाम नही मिलेगा। मैंने कहा कि खाना ही इनाम है। यह सुन कर नेहा के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। वह बोली की मेरे बनाए खाने की तो किसी ने प्रशांसा ही नही करी। मैंने मजाक में कहा कि किसी को खिलाया ही नही होगा, तो उस ने कहा कि घर में तो वह कई बार खाना बनाती थी। मैंने कहा कि घर में कोई प्रशांसा नही करता, कहावत नहीं सुनी घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्द। उस का चेहरा खुशी से चमक रहा था, मुझे उस पर बड़ा लाड़ आ रहा था लेकिन मैंने अपने को रोक लिया।

खाना खाने के बाद मैं उस के साथ बैठ कर बात कर रहा था कि मेरे फोन की घन्टी बजी, मेरी सेकेट्ररी थी उस ने कहा कि सर सुबह 6 30 की फ्लाईट है। टाईम से एअर पोर्ट पहुँच जाईगा। मैं कहा कि हाँ ध्यान है। यह कह कर फोन काट दिया।

तभी नेहा कुछ लेने के लिए चली गई और जब वह आई तो उस के हाथ में दो पैकेट थे। उस ने मेरे पास बैठ कर मेरे हाथ को पकड़ा और अपने हाथ में पकड़े पैकेट में से सोने की अगुठी निकाल कर मेरी ऊंगली में पहना दी। मैंने पुछा कि यह किस लिए तो वह बोली की कोई कारण नही है कल मन करा कि आप के हाथ में कोई अगुठी नही है तो खरीद ली, यह डर था कि सही आयेगी या नही लेकिन सही नाप की है। मैंने कहा कि शायद तुम्हें पता है कि काम के कारण में अगुठी नही पहनता। उस ने कहा कि अब यह आप के ऊपर है कि आप इसे पहनते है या नही। फिर उस ने दूसरा पैकेट खोला, उस में से एक घड़ी निकाल का मेरे हाथ में पहना दी। मैं हैरान था कि नेहा को हुआ क्या है? मैंने कहा कि कल दो ढ़ाई घन्टे में यही काम किया है।

उस ने कहा हाँ यही किया है, घड़ी मुझे बहुत दिन से पसन्द थी लेकिन किस के लिए लु यह नही समझ आ रहा था। कल ये परेशानी खत्म हो गई सो खरीद ली। मुझे पता है आप को घड़ियों का शौक है मैंने आप को अदल-बदल का घड़ी पहनते देखा है। नेहा से उपहार लेने में मुझे अच्छा नही लग रहा था क्योकि मैं बदले में उसे कुछ नही दे पा रहा था। उस ने मेरे मन की बात पढ़ ली और बोली कि मेरे को तो आपने इतना बड़ा उपहार दिया है कि उस की कोई बराबरी हो ही नही सकती। आप ने मुझे मेरा जीवन वापस कर दिया है। जब आपने मेरे को स्वीकार कर लिया है तो मेरे दिये गिफ्ट से क्या परेशानी है। मैंने कहा कि अभी कुछ ज्यादा जल्दी नही है यह सब कुछ।

उस के चेहरे पर उदासी सी छाने लगी। मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर कहा कि नेहा जी हर बात पर उदास होने की आदत खत्म कर दो। ऐसे तो तुम से बातें नही हो पायेगी। उस ने हैरानी से मेरे चेहरे को देखा, मैंने उस के चेहरे को दोनों हाथों में ले कर कहा कि नाराज नही होना। मैं थोड़ा मुँहफट हूँ। मैंने उस के कहा कि मेरी पहनी हुई घड़ी पैकेट में रख दे मैं यही पहन कर जाऊँगा। उस के चेहरे पर छायी उदासी छट गई। मैंने उस के होंठों पर किस कर के थैक्यु कहा। उस ने कहा की औरतों को तो शॉपिग करने की लत होती है आज मुझे मौका मिला है कि मैं किसी के लिए शॉपिग करुँ। इसे में कैसे छोड़ देती। अभी तो आपने और सामान नही देखा है।

यह कह कर वह मुझे हाथ पकड़ कर कमरे में ले गई, वहाँ बेड़ पर ढ़ेरों कपड़ों के डिब्बे पड़ें हुए थे। मैंने कहा ये सब सामान कहाँ था। रात को तुम्हारे पास बैग के सिवा कुछ नही था इस पर वह बोली की वह यह सब सामान पहले ही गाड़ी में रख गई थी। उस ने एक डिब्बा खोल कर कमीज निकाली और बोली की इसे आप पर सही आना चाहिए मैंने साईज देख कर कहा कि यही साईज है मेरा। मैंने कहा और क्या क्या लाई है मेरे लिए तो उस ने नाईटसुट ब्रीफ आदि दिखाए। बोली की मेरे को आप का साईज पता नही था इस लिए ज्यादा नही लिए। एक टाई भी थी। मैंने कहा कि सब के कलर बढ़िया है। टाई का रंग भी अच्छा है तो उस ने कहा कि एक सुट देखा था लेकिन साईज समझ में नही आया। यह सब देख कर मैं भी भावुक हो गया मैंने उस के हाथ पकड़ कर चुम लिए। मैंने कहा कि मैंने अपने लिए इतनें गिफ्ट पहले कभी नही देखे। यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया। उस ने झट से मुझे चुम लिया।

उस ने कहा कि कुछ कपड़ें तो यही पड़े रहने दिजिए, शर्ट और टाई ले जाईये। मैंने हँस कहा कि जैसी आप की आज्ञा। वह भी हँस दी। रात हो रही थी, मुझे सुबह निकलना था, इस लिए सोना जरूरी था। नेहा ने मेरा हाथ पकड़ा और बेडरुम की तरफ ले चली। जब उस ने दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि कमरा गुलाब के फुलों से भरा हुआ था, मुझे आश्चर्य में देख कर बोली की अपने घर में पहली रात तो कुछ खास होनी चाहिये ना सो मैंने यह किया।

कमरे में गुलाब की खुशबु भरी हुई थी। नेहा ने कहा कि आप कैसे इसे यादगार बना सकते हो। मैंने कहा कि मैडम जी आप साड़ी पहन कर आये फिर शुरुआत भी करते है अपनी रात की। वह भी मुस्कराते हुए चली गई। जब वो साड़ी पहन कर आयी तो मैं उसे एकटक देखता रह गया। उस ने शरमा कर पुछा कि नजर लगा कर मानेगे। मैंने कहा कि अपनों की नजर नही लगती है। यह कह कर मैंने उसे बेड पर खीच लिया। वह आ कर मेरे पास बैठ गई। साड़ी में मैंने उसे कम ही देखा था इस लिए आज ज्यादा ही अच्छा लग रहा था। वह मेरे गले में बांहे डाल कर बोली की क्या सुहागरात का सीन करना है। मैंने कहा कि नही उस की जरूरत नही है, कुछ और करते है। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उस के लबों का चुम्बन ले लिया। उस ने भी मचल कर मेरे को अपने ऊपर गिरा लिया। मैं उसके ऊपर आराम से लेट गया और कहा कि जान निकल जायेगी, उस ने कहा कि देखे कैसे जान निकालते है। उस ने मेरे कानों के कोने अपने होठों में लेकर काटना शुरु कर दिया। उस के भरे हुए उरोज मेरे ह्रदय में चुभ रहे थे। शायद पैडेड ब्रा थी इस लिए गोल-गोल उरोज दबे जा रहे थे। मैंने भी उसकी आखों, माथे होठों को चुमा। तभी नेहा के होठ मेरे होठों से मिल गये और हम दोनों की जीभें भी एक-दूसरे को चाट रही थी। हम दोनों के होंठ एक-दूसरें के इतने प्यासे थे कि एक-दूसरें को चुसने लगे।

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