बचपन की दोस्त से दूबारा मुलाकात

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रास्तें की थकान मिटा कर हम दोनों बिस्तर पर गये और हम दोनों नें बड़े आराम में संभोग किया। संभोग में सरोज को सन्तुष्टि मिली या नहीं लेकिन मुझे बड़ा आनंद आया। वह काफी देर तक अपने पैर ऊपर किये लेटी रही। फिर खड़ी हो कर बोली कि तुम नें आज मुझ पर बड़ा उपकार किया है। मैं उसका बदला नहीं चुका सकती। मैंनें कहा कि धन्यवाद करने में जल्दबाजी ना करें अभी यह पता लगना बाकी है कि फल क्या आया है। यह कह कर मैं वापसी के लिये निकल गया। मेरा वहाँ ज्यादा देर रुकना सही नहीं था। रात को घर पहुँचा तो पत्नी बोली कि वहाँ क्या हुआ। मैंनें उसे बताया कि उस के पति तो नहीं थे सो उसे छोड़ कर वापिस आ गया हूँ। वह कुछ नहीं बोली।

6. समाधान

मैं अपने काम में डुब गया। कुछ दिनों के बाद पत्नी नें बताया कि आज सरोज का फोन आया था उस ने बताया है कि वह गर्भवती हो गयी है। मैंनें कहा की अच्छी खबर है, अब शायद उस के जीवन में खुशी आ पाये। मेरी बात सुन कर पत्नी बोली कि अब हमें भी दूसरें बच्चें के लिये सोचना चाहिये, इस पर मैंनें कहा कि हाँ अब तो दूसरा आ जाना चाहिये तो वह बोली कि आयेगा तब ना जब कि हम चाहेगें। मैंनें कहा कि चलों अब से ट्राई करते है देखते है कब सफलता मिलती है। वह बोली कि तुम्हें तो प्यार करने का समय ही नहीं मिलता।

मैंने हँस कर कहा कि जब मैं प्यार करना चाहता हूँ तब तुम तैयार नहीं होती बताओं क्या करें? वह बोली कि कोई तो रास्ता निकालना पड़ेगा। मैंने हाँ में सर हिलाया तो वह हँस पड़ी और बोली कि चलों मैं ही जिम्मेदारी लेती हूँ। अब तो इस में सफलता मिल ही जायेगी। यह कह कर मैंनें उसे अपने से लिपटा लिया और हम दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में डुब गये। जब चुम्बन खत्म हुआ तो लगा कि यह तो शुरुआत है खेल तो आगे खेला जाना चाहिये तो बेडरुम में चले गये और वही सनातन आदिम खेल शुरु हो गया। दौड़ लग गयी, और जब दौड़ खत्म हुई तो दोनों थक कर चुर हो गये थे। थोड़ी देर बाद दोनों गहरी नींद में चले गये।

हम दोनों ने सप्ताह में तीन बार संभोग करने का नियम सा बना लिया। कई महीनों के बाद पत्नी ने बताया कि उसका पीरियड नहीं आया है इस का मतलब था कि वह गर्भवती थी। प्रेगनेन्सी टेस्ट किया तो वह पोजिटिव आया। हम दोनों बहुत खुश हुये कि जो हम कई महीनों से चाह रहे थे वह हो गया है। पत्नी को गायनाक्लोजिस्ट को भी दिखला दिया। उसे परेशानियाँ होनी शुरु हो गयी। उस की मदद करने को भी कोई नहीं था। घर पर भी वह अकेली ही रहती थी। सरोज को जब यह बात पता चली तो एक बार वह पत्नी से मिलने आयी। उस की गर्भावस्था अन्तिम चरण में थी, मैंने उसे ऐसी अवस्था में आने से मना किया लेकिन उस ने मेरी एक नहीं सुनी। उस को देख कर मुझे सुकून मिला। उस का चेहरे पर खुशी झलक रही थी।

पत्नी को देख कर वह बोली कि कुछ दिन रुक जाती तो मैं तुम्हारी सहायता को आ जाती। पत्नी बोली कि बहुत दिनों से कोशिश कर रहे थे, अब जा कर हुआ है। एक दिन रुक कर वह चली गयी। मेरी उस से ज्यादा बात नहीं हो पायी। दो महीनें बाद पत्नी ने बताया कि सरोज नें एक लड़के को जन्म दिया है। उस के पति भी बहुत खुश है वह तो खुशी से पागल सी हो रही है। मैंनें कहा कि बड़े इंतजार के बाद उन के घर में खुशी आई है ऐसा तो होना ही है।

पत्नी उस के पास जाना चाहती थी लेकिन उस की हालत देख कर मैंने मना कर दिया। वह मेरी बात मान गयी। समय गुजरता रहा। पत्नी की डिलीवरी का समय भी आ गया। उस के पास भी कोई नहीं था। सरोज आ नहीं सकती थी। मैं भी नहीं चाहता था कि वह आये। पत्नी नें भी पुत्र को जन्म दिया। कुछ दिनों के बाद पुत्र के नामकरण पर सरोज अपने बेटे को लेकर आयी। उस के बेटे को देख कर मुझे लगा कि यह तो बिल्कुल अपनी मां पर गया है। यह देख कर मेरे मन को चैन मिला।

एकान्त में सरोज मुझ से बोली कि तुम नें मेरा जीवन बदल दिया है, मैं कैसे इस उपकार का बदला चुकाऊँ? मैंनें कहा कि अपने पुत्र को अच्छी तरह से पाले यही मेरे लिये बहुत है तो वह बोली कि यह भी कोई कहने की बात है। फिर हँस कर बोली कि तुम्हारा बेटा तो बिल्कुल तुम पर गया है। मैंनें कहा की तुम्हारा तुम पर गया है मेरा मेरे पर गया है यह बहुत सही बात है। मैंने उस से हिचकिचाते हुये पुछा कि पति का क्या हाल है तो वह बोली कि अब बदल गये है।

बच्चें की ममता नें हम दोनों की दूरी तो कम नहीं कि है लेकिन अब वह टूर पर कम जाते है। उस दिन तुम्हारें जाने के बाद दूसरें दिन यह वापस आ गये थे, मैंनें उस दिन इन से जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश करी तो इन्होनें भी साथ दिया, कुछ हुया या नहीं कह नहीं सकती लेकिन लिंग अंदर गया था। मेरे लिये इतना ही काफी था। मेरे अंदर का डर भी खत्म हो गया। शायद कभी वह सही हो जाये लेकिन मैं तो अपना जीवन इस के सहारें काट लुंगी। मैंने उस का हाथ दबा कर कहा कि वह खुश है मेरे लिये यही बहुत है। उस नें मजाक में मुझ से कहा कि तुम ने दूसरा बच्चा किया है तो मैं भी दूसरें के लिये तैयार हूँ। मैं हँस दिया और बोला कि कुछ साल इंतजार करें, इस को बड़ा होने दे। फिर इस बात को सोचना। वह मुस्कुराती रही। मैं उस की इस मुस्कान का अर्थ नहीं समझ सका।

कार्यक्रम के बाद वह वापस चली गयी। पत्नी नें कहा लगता है अब सरोज के जीवन में कुछ खुशी आयी है। आगे का उस का जीवन शान्ति से कट सकेगा। मैंने हाँ में सर हिलाया। मैंने कहा कि तुम नें उस की इस में बहुत सहायता की है तो वह मुस्कराई और चली गयी। पत्नी की मुस्कराहट भी मुझे रहस्यमयी सी लगी।

7. समापन

समय अपनी गति से गुजर रहा था। दो साल बाद एक दिन हम पति-पत्नी एक साथ एकान्त में बैठे थे। मैंनें कहा कि लगता है अब परिवार पुरा हो गया है। एक लड़का और लड़की तीसरे की जरुरत नहीं है, इस पर पत्नी बोली कि पुरा कहाँ हुआ है अभी तो किसी को दूसरा बच्चा चाहिये, उस की इच्छा पुरी करनी है। उस की इस बात से मुझे बड़ा अचरज हुआ, मैंने उस की तरफ देखा तो वह बोली कि आज तुम्हें बता ही देती हूँ, यह बात तुम से कब तक छुपा सकती हूँ। उस की यह बात सुन कर मुझे हैरानी हुई, मुझे हैरान देख कर वह बोली कि हैरान मत होओ, सरोज नें मुझ से प्रार्थना करी थी कि मैं उस की गोद भर दूँ, उस नें कहा कि मैं उसे एक बच्चा पैदा करके दे दूँ जिसके सहारे वह अपना जीवन काट सके, नहीं तो वह अपना जीवन खत्म कर लेगी। उस की बात में सच्चाई थी, मुझे पता था कि अगर मैं उसके लिये कुछ नहीं करुँगी तो वह मर जायेगी और यह पाप मैं अपने सर नहीं लेना चाहती थी।

मैंनें उससे सोचने का समय मांगा। बाद में मेरे मन में यह बात आयी कि तुम्हारी वह बचपन की दोस्त है, लेकिन यह भी मुझे पता था कि तुम्हारा उस के प्रति कोई लगाव नहीं है, मैं अगर तुम से कहती कि तुम उस के साथ संबंध बना कर उसे बच्चा दे दो तो तुम तैयार नहीं होते। तुम पर मुझे यह विश्वास भी था कि उस के साथ संबंध बनाने के बावजूद तुम मेरे से दूर नहीं जाओगें। मेरे निर्णय लिया कि तुम सरोज को मां बनाओंगें लेकिन तुम्हें पता नहीं चलेगा कि यह हम दोनों की कारिस्तानी है। तुम्हें लगेगा कि तुम एक परिस्थिति में फँस कर अपनी दोस्त के लिये कुछ कर रहे हो। यही सब बात मैंनें सरोज को बताई और ऐसा अवसर पैदा किया की तुम उस के साथ अकेले हो सकों। फिर तो तुम्हें सब कुछ मालुम है।

तुम नें वही किया जो मैंनें सोचा था, पहली बार में सफलता नहीं मिली तो दूसरी बार पक्का किया कि इस बार संबंध बने तो सफलता मिले। ऐसा ही हुआ। सरोज की गोद भर गयी। उस नें अपनें पति से जबरदस्ती संभोग किया, ताकि उस के पति के मन में कोई शंका ना रहे। सब कुछ सही हुआ। इस के बाद सरोज ने कहा कि मैं दूसरा बच्चा करुँ ताकि वह भी कुछ समय बाद दूसरें के लिये प्रयास करें। मैं तो पहले से ही ऐसा चाहती थी, हम नें भी यही किया। अब वह चाहती है कि उस का परिवार भी पुरा हो जाये। उसकी इच्छा का आदर करना पड़ेगा।

मैं चुपचाप सुनता रहा और बोला कि तुम्हें एक बार भी डर नहीं लगा कि मैं कहीं हाथ से ना निकल जाऊँ, वह बोली कि तुम पर तो अपने से भी ज्यादा विश्वास है। बताओं तुम नें इतने सालों में कितनी बार उसे फोन किया हो या उस से मिलने का प्रयास किया हो? मैंनें कहा कभी नहीं, वह बोली कि यही तो मैं भी कह रही हूँ कि हम दोनों नें जो किया सही किय किसी का जीवन हमारी वजह से सुधर गया तो अच्छा ही हुआ। मेरे को चुप देख कर वह बोली कि सरोज अगले हफ्तें आने वाली है, यहाँ किसी के यहाँ शादी में। उस समय मौका देख कर उसे यहाँ बुलाना पड़ेगा। मैंनें कहा कि जैसा तुम सही समझों करो। वह बोली की तुम्हारें बिना कुछ नहीं होगा। मैंनें पुछा कि अगर उस के पति साथ में हुये तो? वह बोली कि नहीं वह अकेली ही आयेगी। अगर अब मौका नहीं मिला तो बाद में उसे बुलाना पड़ेगा।

सरोज शादी में आयी और शॉपिंग करने के बहानें हमारें यहाँ आ गयी। पत्नी कहीं चली गयी। पीछे से हम दोनों नें संभोग किया जो बहुत जोरदार था। मुझे आनंद आया, वह बोली कि आज मौका है दूसरी बार भी संभोग करना है। मैंनें कहा कि कुछ समय इंतजार तो करना पड़ेगा तो वह बोली कि तीन साल किया तो है। मैंने उसे नहीं बताया कि मेरी पत्नी नें सब कुछ मुझे बता दिया है। एक घंटें बाद फिर से संभोग हुआ और मैं बिल्कुल निचुड़ सा गया। सरोज संतुष्ट नजर आयी और बोली कि इस बार गर्भ धारण हो जाना चाहिये, मैंने सब बातें ध्यान में रखी है। मैंनें कहा कि चलों देखते है अगर नहीं हुआ तो कुछ और हल निकालेगें। वह बोली कि तुम सोचते होगें कि मेरी मांग बढ़ती जा रही है। मैंने कहा नहीं जो चाहती है, वह गलत नहीं है।

वह मुस्कराई और बोली कि तुम्हारा मेरा तो बचपन का साथ है। अब वह साथ पक्का हो गया है, तुम मेरे बच्चों के पिता हो। भाग्य नें यही लिखा था मेरे भाग्य में। मैंने कहा कि अब चिन्ता किस बात की है तो वह बोली कि इनकी तबीयत सही नहीं रहती, मैंने इन से बाहर जाने से मना कर दिया है, लेकिन मानते ही नहीं है। मैंने पुछा कि सेक्स लाईफ में कुछ सुधार हुआ तो वह व्यग्य से बोली कि उस बार तो मैंने जबरदस्ती की थी, यह भी बताया तो था कि यह किसी काम के नहीं है। मैंनेंउसे गले लगा कर सान्तवना दी और कहा कि सब कुछ सही होगा। वह उठ कर तैयार होने लगी और कपड़ें पहन कर चली गयी। कुछ देर बाद पत्नी भी वापस आ गयी।

मैंनें उसे बताया कि सरोज ही जा कर बतायेगीं कि क्या हुआ है। पत्नी बोली कि चलो दूसरें के लिये शुरुआत तो करी है। अब वह हो भी जायेगा। मैं उस की बात पर चुप रहा।

* समाप्त *

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