बीबी की चाहत 03

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

दीपा सीधी बैठी और तरुण और मुझे अपनी दोनों बाँहों में लिया। दीपा की एक बाँह में जाते ही मैं दीपा की और घूम गया। दीपा के चेहरे के सामने अपना चेहरा रख कर मैंने दीपा के रसीले होँठों पर अपने होँठ रख दिए और उसके होँठों को चूसने लगा। मेरी बीबी के रसीले होँठ चूमते और चूसते हुए मैंने मेरी बीबी से कहा, "डार्लिंग, तरुण सच कहता है। मैं बहोत ही लकी हूँ की मुझे तुम्हारे जैसी हिम्मतवान, प्यार भरी, संवेदन शील और सेक्सी बीबी मिली है।"

मैंने तरुण की और घूम कर देखा और बोला, "तरुण तुम्हारी हाजरी की ऐसी की तैसी। मैं आज मेरी बीबी को प्यार किये बिना रह नहीं सकता और डार्लिंग तुम मुझे मत रोकना।"

दीपा ने अपनी आँखें बंद कर ली। फिर मेरी नाक से अपनी नाक रगड़ती हुई बोली, "मैंने तुम लोगों को मुझे प्यार करने से कहाँ रोका है? इसके लिए बेचारे तरुण को क्यों बदनाम कर रहे हो?"

प्यार की उत्तेजना में दीपा भूल गयी की उसके मुंह से गलती से "तुम्हें" की बजाय निकल गया "तुम लोगों को" . इसका मतलब यह हुआ की तरुण भी उसमें शामिल था। फिर मैंने सोचा क्या दीपा भूल गयी थी या जानबूझ कर उसने "तुम लोगों" बोला?

ऐसा बोल कर दीपा मेरे साथ आँखे बंद कर चुम्बन में मशगूल हो गयी। तरुण ने हमें चुम्बन करते देखा तो वह भी मेरे साथ ही दीपा के सामने आ गया। उसने भी "तुम लोगों" सूना था। अब तो दीपा ने उसे भी प्यार करने का अधिकार दे दिया था। तरुण ने हमारे मुंह के बिच अपना मुँह घुसेड़ दिया। जब मैंने देखा की तरुण भी दीपा के रसीले होंठो को चूसने और उसे किस करने के लिए उतावला हो रहा था तो मैंने बीचमें से अपना मुंह हटा लिया।

तरुण और दीपा के रसभरे होंठ मिल गये और तरुण ने दीपा का सर अपने हाथ में पकड़ कर दीपा के होठों को चूसना शुरू किया। दीपा की आँखे बंद थीं। पर जैसे ही तरुण की मूछें उसने महसूस की, तो उसने आँख खोली और तरुण को उस से चुम्बन करते पाया। वह थोड़ी छटपटाई। पर तरुण ने उसका सर कस के पकड़ा था। वह हिल न पायी और उसने तरुण को अपना प्यार देनेका वादा किया था। यह सोच कर वह शांत हो गई और तरुण के चुम्बन में उसकी सहभागिनी हो गयी।

तरुण ने दीपा के रस भरे होंठों को चूमते हुए कहा, "भाभी सच कहता हूँ, जब आप ने मुझे इतना सम्मान दिया है की आपने अपने आपको मेरे हवाले किया है और आप और दीपक मुझे इतना हौसला देते हो तो मुझे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। मैं मुसीबतों से लडूंगा और विजयी हूँगा। पर मुझे आपका साथ चाहिए।"

दीपा ने तरुण को चूमते हुए टूटेफूटे शब्दों में कहा, "तरुण, मैं और दीपक पराये नहीं हैं। दीपक भी तुम्हारे हैं और मैं भी तुम्हारी हूँ।" मेरी पत्नी और कुछ बोल नहीं पायी क्यूंकि उसके होंठ पर तरुण के होंठों ने कब्जा कर लिया था।

मेरे लिए यह एक अकल्पनीय द्रष्य था। मेरी रूढ़िवादी पत्नी मेरे प्रिय मित्र को लिपट कर किस कर रही थी। दीपा ने जब महसूस किया की तरुण उसकी जीभ को भी चूसना चाहता था तब दीपा ने तरुण के मुंह में अपनी जीभ को जाने दिया।

तरुण मेरी प्रिय पत्नी को ऐसे चुम्बन कर रहा था जैसे वह अब उसे नहीं छोड़ेगा। दीपा ने एक हाथ से मुझे पीछे से चिपकने का इशारा किया और फौरन, तरुण का सर अपनी हाथोँ में कस के पकड़ा और तरुण के होँठों को अपने होँठों पर और कसके दबाया और तरुण को बेतहाशा चुम्बन करने लग गयी।

तरुण ने सामने से और मैंने पीछे से दीपा को कस के अपनी बाँहों में जकड लिया। मेरी और तरुण की बाँहों के बिच में मेरी प्यारी दीपा जकड़ी हुई थी। हम दोनों दीपा को अपनी बाँहों में जकड़े हुए पलंग पर लेट गए। दीपा का मुंह तरुण की और था। मैं दीपा के पीछे लेटा था। दीपा और जोश से तरुण को चुम्बन करने लगी। तब तरुण और मेरी पत्नी ऐसे चुम्बन कर रहे थे जैसे दो प्रेमी सालों के बाद मिले हों। दीपा के दोनों हाथ तरुण के सर को जकड़े हुए थे। तरुण ने भी मेरी पत्नी को कमर से कस के अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था।

यह द्रष्य मेरे लिए एकदम उत्तेजित करने वाला था। मेरा लण्ड एकदम कड़क खड़ा हो गया था। मैंने दीपा को पीछे से मेरी बाहोँ में जकड़ा हुआ था। दीपा के गाउन के ऊपर से मेरी पत्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मैंने मसलना शुरू किया। हम तीनों पलंग पर लेटे हुए थे। मैंने फिर मेंरे कड़े लण्ड को मेरी पत्नी के गाउन ऊपर से उसकी गाँड़ में डालना चाहा। मैं उसे पीछे से धक्का दे रहा था। इस कारण वह तरुण में घुसी जा रही थी। तरुण पलंग के उस छौर पर पहुँच गया जहाँ दीवार थी और उसके लिए और पीछे खिसकना संभव नहीं था।

अचानक दीपा जोर से हँस पड़ी। उसे हँसते देख तरुण ने पूछा, "भाभीजी, क्या बात है? आप क्यों हंस रही हो?"

तब दीपा सहज रूप से बोल पड़ी, "तुम्हारे भैया मुझे पिछेसे धक्का दे रहे हैं। उनका कड़क लण्ड वह मेरे पिछवाड़े में घुसेड़ ने की कोशिश कर रहे है। इनकी हालत देख मुझे हंसी आ गयी।"

मैंने पहली बार मेरी रूढ़ि वादी पत्नी के मुंह से तरुण के सामने इतने सहज भाव से लण्ड शब्द का इस्तमाल करते हुए सुना। मुझे लगा की जीन और व्हिस्की की मिलावट के दो पुरे पेग पीनेसे अब मेरी बीबी बेफिक्र हो गयी थी। साथ में वह अब तरुण से पहले से काफी अधिक घनिष्ठता महसूस कर रही थी।

इसे सुनकर तरुण ने रिसियायी आवाज में कहा, "भाभीजी, एक बात कहूं? आपने अपने पति की हालत तो देखी पर मेरे हाल नहीं देखे। यह देखिये मेरा क्या हाल है?" ऐसा कहते ही दीपा को कोई मौका ना देते हुए तरुण ने दीपा का हाथ पकड़ कर अपने दोनों पांव के बीच अपने लण्ड पर रख दिया और ऊपर से दीपा के हाथ को जोरों से अपने लण्ड ऊपर दबाने लगा। मेरे पीछे से धक्का देने के कारण दीपा के बहुत कोशिश करने पर भी वह वहां से हाथ जब हटा नहीं पायी तब दीपा ने तरुण के लण्ड को अपने हाथों में पकड़ा। तरुण का पाजामा उस जगह पर चिकनाहट से भरा हुआ गिला हो चुका था। यह देख कर मैं ख़ुशी से पागल हो रहा था।

मैंने तब दीपा को पीछे से धक्का मारना बंद किया और मैं पीछे हट गया। अब दीपा चाहती तो अपना हाथ वहां से हटा सकती थी। परंतु मुझे यह दीख रहा था की दीपा ने अपना हाथ वहां ही रखा। वह शायद तरुण के लण्ड की लंबाई और मोटाई भाँप ने की कोशीश कर रही थी। तरुण के पाजामे के ऊपर से भी उसे तरुण के लंबे और मोटे लण्ड की पैमायश का अंदाज तो हो ही गया था।

मेरी प्यारी बीबी जब तरुण के लण्ड की पैमाइश कर रही थी तब अचानक ही उसके गाउन की ज़िप का लीवर मेरे हाथों लगा। मैंने कुछ न सोचते हुए उसे नीचे सरकाया और उसको दीपा की कमर तक ले गया।

उसके गाउन के दोनों पट खुल गए। दीपा ने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। जैसे ही गाउन के पट खुले और ज़िप कमर तक पहुँच गयी तो उसके दो बड़े बड़े अनार मेरे हाथों में आ गये। जैसे ही तरुण ने दीपा के नंगे स्तनों को देखा तो वह पागल सा हो गया। इन स्तनों को ब्लाउज के निचे दबे हुए वह कई बार चोरी चोरी देखता था। तरुण ने उनको अधखुले हुए भी देखा था। उस समय उसने सपने में भी यह सोचा नहीं होगा की एक समय वह उन मम्मों को कोई भी आवरण के बिना बिलकुल खुले हुए देख पायेगा।

तरुण को और कुछ नहीं चाहिए था। वह तो दीपा के दूध को पीने के लिए अधीरा था। परंतु मुझे तब बड़ा आश्चर्य यह हुआ की उसके सामने दीपा के बड़े बड़े और सख्त मम्मे गुरुत्वाकर्षण के नियम को न मानते हुए उद्दंड से ऐसे खड़े थे जैसे तरुण को चुनौती दे रहे हों। फिर भी तरुण ने उन्हें हाथों में न पकड़ते हुए दीपा के कानों में कुछ कहा। यह सुनकर दीपा मुस्कायी और उसने अपना सर हामी दर्शाते हुए हिलाया। मुझसे अपनी जिज्ञासा रोकी नहीं गयी। मैंने तरुण से पूछा, "तुमने दीपा से क्या कहा?

तरुण ने इसका कोई जवाब न देते हुए मेरी पत्त्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में भरते हुए कहा, "मैंने दीपा भाभी से इनसे खेलने की इजाजत मांगी।"

मैं तरुण की इस हरकत से हैरान रह गया। कमीना, उसने अपना काम भी करवा लिया और ऊपर से शराफत का नाटक भी कर के दीपा की आँखों में शरीफ बन गया।

उसने दीपा की दोनों बड़ी पूरी फूली हुई गोरी गोरी चूँचियों को अपने दोनों हाथों में बड़ी मुश्किल समाते हुए रखा और बोला, "भाभीजी, आपके स्तनों का कोई मुकाबला नहीं। मैंने कभी किसी भी औरत के इतने सुन्दर बॉल नहीं देखे। इसमें टीना भी शामिल है। आज मैं आप से छिपाऊंगा नहीं की जब पहले दिन मैंने आपको देखा था उस दिन से मैं आपके इन बड़े और सख्त मम्मों को देखने के लिए पागल हो रहा था, पर आपने मुझे अब तक बिलकुल मौक़ा नहीं दिया।अब मुझे मत रोकिये प्लीज?"

मेरी बीबी ने तरुण को अपनी और खींचा और उसके मुंह को अपने स्तनों में घुसा दिया। तरुण को तो जैसे जन्नत मिल गयी। दीपा ने तरुण के कानों में कहा, "देवरजी, अभी भी पूछ रहे हो? तुम्हें रोका किसने है? और फिर अगर मैं रोकूंगी भी तो क्या तुम रुकोगे?"

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
2 Comments
TheMaskEditorTheMaskEditorover 3 years ago

Nice story very very captivating, Enjoyed a lot, Thanks for your efforts.

shrimohitshrimohitabout 4 years ago
Nicely constructed

Very mild but very hot sotry from beginning to end. Keep writing this type of stores.

Share this Story

Similar Stories

मनाना हो तो ऐसा मैंने मेरी आँखों के सामने एक नयी जिंदगी की शुरुआत देखि।in First Time
हँसी तो फँसी मेरी बीबी ने हम सब को कैसे हताशा के अँधेरे कुँए से निकाला।in Loving Wives
साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ This is a story of two close friends and their wives.in Erotic Couplings
Rahul aur Pooja ki Kahani Husband ne apni biwi ko share kiya.in Loving Wives
Affairs to Remember Pt. 01 The first part of the story.in Loving Wives
More Stories