बेनाम संबंध

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अगर खुश नहीं होते तो वह भी कह देते, यह ऐसे ही है तु चिन्ता मत कर। माधुरी बोली कि दीदी मुझे कैसे पता चलेगा कि यह कब नाराज होते है कब खुश? पत्नी ने कहा कि यह तो इतने सालों में मुझें भी नहीं पता चला तु दो-तीन सालों में कैसे जान पायेगी। मैंने दोनों से कहा कि मैं खुश हूँ कि माधुरी की इच्छा पुरी हूई, पत्नी की पति की सेक्स लाइफ को अच्छा करने की इच्छा पुरी हुई। पत्नी बोली कि इस को अभी भी तुम से मिलने का मन है गुप्ता तो शराब की वजह से कुछ कर ही नहीं पाता। मैंने कहा कि कुछ महीने तो सब्र करना ही पड़ेगा नहीं तो परेशानी हो सकती है।

पत्नी बोली कि तुम इसे लाड़ तो कर सकते हो, ताकि इस का मन लगा रहे। मैंने कहा कि इस से लिये मौका कहाँ है? वह बोली कि मौके ही मौके है यह रोज तो यहाँ पर आती है। मैंने आश्चर्य से उस की तरफ देखा तो वह बोली कि हां मैं अपनी सौतन से तुम्हें प्यार करते देख सकती हूँ यह मेरी छोटी बहन ही तो है। मैं यह सुन कर जोर से हँस पड़ा और बोला कि लो अब तो सारा क्लेश ही मिट गया। माधुरी शर्मा कर बोली कि दीदी तो मजाक कर रही है, मैं यहाँ तो कुछ नहीं कर सकती। हम दोनों पति-पत्नी एक साथ बोले जैसी तेरी मर्जी। हमारी बात सुन कर वह बोली कि अच्छा अब दोनों मिल कर मुझे परेशान करोगे। हम दोनों नें कहा कि हम से हल सुझा दिया है अब तुम पर है कि तुम मानो या ना मानों। माधुरी बोली कि जैसी आप दोनों की मर्जी। लेकिन आज कल यह बहुत शराब पीने लगे है। क्या करुँ? मैंने कहा कि अब तो उसे शराब पीनी छोड़ देनी चाहिये। माधुरी बोली कि इन की मित्र मंडली ने इन को बर्बाद कर दिया है मुझे तो डर लगता है कि मेरा भविष्य कैसा होगा? मैं कुछ नहीं बोला। क्या बोलता, शराब कब क्या गुल खिलाये कौन बता सकता है।

माधुरी लड़के तो ले कर चली गयी। उस के जाने के बाद मैंने पत्नी से कहा कि तुम ने एक समस्या हल कि यहाँ दूसरी समस्या खड़ी हो गयी। वह बोली कि उस का भी कोई ना कोई हल निकल आयेगा। फिर वह मेरे पास आ कर बोली कि मुझ से तो नाराज नहीं हो। मैंने कहा कि तुम तो मेरी रानी हो, तुम से नाराज हो कर कहाँ जाऊँगा। मेरी बात सुन कर वह बोली कि तुम माधुरी के राजा हो, मैंने कहा कि लेकिन तुम रानी तो मेरी हो। मेरी बात सुन कर वह बोली कि बातों के उस्ताद तो तुम हो ही।

एक रहस्य तो खुल ही गया था, लेकिन एक समस्या सामने आ कर खड़ी हो गयी थी। गुप्ता का गिरता स्वास्थ्य, मैंने माधुरी को राय दी की वह थोड़े समय के लिये दूकान पर जा कर काम को समझने की कोशिश करें, ताकि कभी जरुर पड़े तो उसे सभाँल सके। पहले तो वह हिचकिचायी मैंने उसे समझाया कि अगर कहीं परेशानी आयी तो मैं तो हुँ ही उस की सहायता करने के लिये। माधुरी ने दूकान पर जाना शुरु कर दिया, काम को समझने के लिये। उस ने गुप्ता से कहा कि वह मुझे काम में सहायता के लिये कहे। मैं इस के लिये तैयार हो गया। रोज दो-तीन घंटें जा कर उस की सहायता कर दिया करता था। माधुरी ने एक लड़की तो जन्म दिया। लड़की तो देख कर गुप्ता बहुत खुश रहता था लेकिन उस की शराब उसे अंदर ही अंदर खोखला कर रही थी। दूकान का काम कुछ हद तक माधुरी और मैंने संभाल लिया था। लेकिन गुप्ता ज्यादा दिन नहीं चल पाया। एक दिन अचानक सब को छोड़ कर चला गया।

माधुरी इस दुख के लिये तैयार थी लेकिन तैयार होना अलग बात है उसे झेलना अलग बात है। दुख को भूलने का एक ही तरीका था कि अपने आप को काम में डुबा लेना सो माधुरी से किया, दूकान को संभाल लिया। मेरा भी काफी समय उस के साथ दूकान पर ही चला जाता था। आर्थिक परेशानी कोई नहीं आयी। माधुरी नें हर हालत का सामना बहादुरी से किया। अब उस के और मेरे मिलन में कोई बाधा नहीं थी लेकिन व्यस्तता इतनी थी कि समय ही नहीं मिलता था। हम दोनों नें दूकान को अगले लेवल तक ले जाने के लिये एक नई दूकान खोली और उस को चलाना शुरु कर दिया, पुरानी दूकान में कमायी कम होने लगी थी। समय से व्यवसाय बदल लेने से मुसीबत से बच गये थे।

माधुरी एक दिन मुझ से बोली कि पता है हम ने कितने दिन से प्यार नहीं किया है? मैंने कहा कि दिन तो नहीं गिने है लेकिन काफी समय हो गया है। वह बोली कि लगता है मैं भी दीदी की तरह हो गयी हूँ आपकी सेक्स लाइफ के प्रति लापरवाह। मैं चुप रहा, वह बोली कि नाराज है?, मैंने कहा कि मेरी भी गल्ती है मैंने कहाँ कब तुम से प्यार करने की चेष्टा की। वह बोली कि यह तो सही बात नहीं है। हम दोनों रात को जब घर के लिये निकले तो थोड़ें से रोमांटिक से थे। पत्नी दोनों बच्चों के साथ माधुरी के घर पर थी, हम दोनों घर पर पहुँचे तो माधुरी बोली कि हम दोनों की आग कहाँ चली गयी।

मैं क्या कहता, वह बोली कि अब से मैं आपके साथ नियमित रुप से सेक्स किया करुँगी। मैंने पुछा कि कहाँ करेगी? तो वह बोली कि यह तो समस्या है। वह मेरे से लिपट कर बोली कि इस का कोई समाधान निकालों ना। मैंने उसे बांहों में भरा और गोद में उठा कर बेडरुम में बेड पर लिटा दिया। वह बोलती इससे पहले ही उस के होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया। उस की साड़ी ऊपर करके हाथ से पेंटी नीचे कर दी फिर पोजिशन बदल कर उस की टागों के बीच फर्श पर बैठ गया। उस की योनि मेरे सामने थी मेरे होंठ उस की योनि का रस पीने को ना जाने कब से तरस रहे थे आज तक मैंने उस की योनि को चुमा नहीं था।

मेरी जीभ उस की योनि को उपर नीचे चाटने लगी। फिर मैंने उँगलियों से योनि के होंठों को अलग करके अपनी जीभ अंदर डाल दी, मेरी जीभ के योनि में जाते ही माधुरी को करंट सा लग गया उस ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी जाँघों से चिपका लिया। मैं उसकी योनि के स्वाद लेने लगा। माधुरी का शरीर उत्तेजना से कांप सा रहा था। काफी देर तक ऐसे ही चाटता रहा, फिर मैं उल्टा बैठ गया और अब मेरा कुल्हें माधुरी के मुँह पर थे उस ने मेरी पेंट की जिप खोल कर ब्रीफ में से लिंग को बाहर निकाल लिया।

हमारे मिलन में पहली बार माधुरी ने मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया। अब वह उसे लॉलीपॉप की तरह चुस रही थी। इस से मेरे शरीर में तनाव आता जा रहा था। लिंग तन कर मोटा हो गया था। वह लिंग को पुरा निगलने की कोशिश कर रही थी। मैंने कुल्हें ऊंचे कर के लिंग उस के मुँह से दूर कर दिया अब मैं सीधा हो गया और माधुरी के चेहरे को चुमने लगा। माधुरी भी साथ देने लगी। फिर हम दोनों नें कपड़ों को उतारा और दोनों एक दूसरे के शरीर में समा गये। काफी देर तक सेक्स की भुख मिटाते रहे फिर जब ज्वालामुखी फट गया तो पस्त हो कर अगल-बगल में लेट गये। काफी दिनों की प्यास बुझी थी सो दोनों सन्तुष्ट थे। फिर उठे कपड़ें पहले बाल वगैरहा सही किये और माधुरी के घर की तरफ चल दिये।

वहां पर पत्नी बच्चों सहित बैठी, हमारा ही इंतजार कर रही थी। हमें देख कर बोली कि इतनी देर कहाँ लगा दी? माधुरी बोली कि आज कोई भुला हुआ काम याद आ गया था, उसे कर के आ रहे है। पत्नी को बात समझ में आ गयी, वह मुस्कराई और बोली कि चलो याद तुम्हें याद तो आयी नहीं तो मुझे लगा कि पैसे कमाने में लग गये हो। मुझे उस की आवाज का तंज महसुस हुआ। सही बात थी आज कल हम पैसे की ही चिन्ता कर रहे थे, जो गलत था। जीवन को भुल गये थे। मैंने कहा कि तुम सही कह रही हो, अब इस गल्ती को भी सुधारते है।

*** समाप्त ***

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1 Comments
AnonymousAnonymous8 months ago

बहुत बढिया कहानी है। लिखते रहिये।

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